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आपको अच्छी तरह से, जी भर कर रोये हुए कितना वक्त बीता है? असल में जी भर के और फूट-फूटकर रोने से काफी अच्छा फील होता है, क्योंकि ये आपके शरीर की स्ट्रेस बाहर निकालने की प्रक्रिया है। लेकिन अगर आपको रोये हुए एक अरसा बीत गया है, तो अब आपको शुरुआत करने में जरा सी कठिनाई जरुर हो सकती है। एक शांत जगह पर जाना, अपने आपको दुनिया भर के विचलनों से दूर रखना और खुद को गहराई से इमोशंस को फील करने देना, आपको मन की एक सही स्थिति में लाकर खड़ा कर देगी। अपने आँसुओं को बेधड़क बहने में मदद करने वाली उस तकनीक को सीखने के लिए स्टेप 1 से पढ़ना शुरू करें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने आंसुओं को बहने देना (Letting the Tears Flow)

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  1. ऐसे लोग जिन्हें अपने इमोशन्स को बाहर लाने में तकलीफ होती है, उनमें से ज़्यादातर, लोगों की भीड़ से दूर कहीं, अकेले में रोना पसंद करते हैं। ऐसा वक़्त, जब आप दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं, को लेकर परेशान नहीं होते, ऐसे में आप ज्यादा बेहतर ढंग से अपनी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं। किसी के सामने रोने में कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन अगर आप अकेले में रोते हैं, तो आप खुद को बहुत ज्यादा रिलैक्स महसूस पाएँगे।
    • आपका बेडरूम, अगर ये एक प्राइवेट रूम है, और शांत जगह है, तो ये आपके लिए एक अच्छी पसंद हो सकता है।
    • आपके घर में अगर बहुत सारे लोग रहते हैं, तो ऐसे में अकेले ही कहीं निकल जाएँ, ताकि आपको कार में रोने का मौका मिल जाए। लेकिन एक बात का ध्यान रखें, कि कार ड्राइविंग करते हुए रोते वक़्त काफी सावधानी बरतें; क्योंकि ड्राइविंग करते वक़्त ऐसा करना काफी खतरनाक हो सकता है।
    • आप शावर लेते वक़्त भी रो सकते हैं - वहाँ पर आपको सुनने वाला कोई नहीं होगा।
    • कहीं बाहर होने से आपके मन को आपकी भावनाएँ बाहर निकालने में काफी मदद मिलेगी। पार्क में या बीच पर कहीं एक खाली और प्राइवेट जगह की तलाश करें।
  2. बहुत सारे लोग अक्सर ही अपनी भावनाओं को छिपा कर रखने के लिए और खुद को रोने से बचाने के लिए तरह-तरह के विचलनों का सहारा लेते हैं। ये तकनीक इतनी ज्यादा प्रभावी होती है, कि कोई इंसान इसकी मदद से महीनों तक बिना रोये रह सकता है। दुखी होने के पहले संकेत को देखते ही आप टीवी ऑन कर लेते हैं और आपका फेवरिट शो देखते हुए सारा समय बस हँस-हँसकर बिता देते हैं? अब अगली बार जब भी आपको ऐसा महसूस हो, तो आपके मन मे उठने वाले इस विचार को रोकने की कोशिश करें और भावनाओं को महसूस करने की कोशिश करें। ये अच्छी तरह से और ज़ोर-ज़ोर से रोने का पहला कदम है।
    • यहाँ पर ऐसे और भी अन्य तरह के विचलन मौजूद हैं। आप ऑफिस में हर शाम देर तक रूक सकते हैं, अपना सारा वक़्त अकेले बिताने कि बजाय, बाहर जाकर बिता सकते हैं, या फिर ऑनलाइन तब तक किसी आर्टिक्ल को पढ़ते हैं, जब तक कि आपको नींद न आ जाए। आप हर उस चीज़ के बारे में सोचें, जो आप उस वक़्त किया करते हैं, जब आप अपनी भावनाओं को महसूस करने के मूड में नहीं होते और वहीं पर रुकने और अपनी भावनाओं को महसूस करने का निर्णय लेते हैं।
  3. अपने विचारों को भटका कर किसी गैर जरूरी विचार पर लगाने की बजाय, अपने मन को अपने अंदर उठने वाली भावनाओं पर लगाएँ। इन्हें अपने मन से बाहर निकालने कि बजाय अपने आपको इन पर गौर करने दें।
    • आप अगर दुखी हैं, तो उस घटना के बारे में विचार करें, जिसकी वजह से आपको ऐसा महसूस हो रहा है। आप इसके न होने कि संभावना के बारे मे कितना विचार करते हैं, आपकी लाइफ इसके पहले कैसी होती और अब इसके बाद कैसी होने जा रही है। आपको बस ये समझना है और आप क्या खो सकते हैं।
    • जो भावना आपको रोने के लिए मजबूर कर रही है, वो कितनी दृढ़ है, ये कोई मायने नहीं रखता, बस इसके बारे में सोचें और इन्हें अपने मन में एक खास जगह देने की कोशिश करें। ध्यान दें कि ये आपको कितना स्ट्रेस दे रही है और अगर ये परेशानी आपकी लाइफ से बाहर निकल जाए, तो आपको कितना अच्छा महसूस होगा।
  4. आपके इमोशन्स को इतना महसूस करें, कि आपको रोना आ जाए: क्या आपको आपका गला भरा हुआ सा महसूस हो रहा है? ऐसे में आपको जो भी कुछ दर्द पहुंचा रहा है, उसके बारे में सोचने से खुद को न रोकें। बल्कि, अपनी भावनाओं को पूरी तरह से आप पर हावी हो जाने दें। जो भी आप नहीं होने देना चाहते थे उसके बारे में सोचते रहें। जब आपके आँसू बहने लगें, तब इन्हें रोकने की कोशिश न करें। [1]
    • जब आप सच में रोने लगते हैं, तब आपके लिए खुद को रोक पाना काफी मुश्किल हो जाएगा। तब तक रोते रहें, जब तक कि आप "अपने मन को हल्का न कर लें" - आपका दिल जब हल्का हो जाएगा, तब आपको खुद समझ आ जाएगा।
    • आपके रोने की एक औसत सीमा लगभग 6 मिनिट की होनी चाहिए।
  5. आप जब रोना बंद करें, फिर आपको कैसा महसूस होता है, सोचें। अगर आप भी अन्य लोगों की ही तरह हैं, तो आप देखेंगे कि आपका मन अब उन भावनाओं से मुक्त महसूस करेगा, जो पहले आपको परेशान कर रही थीं। आपको एकदम फौरन खुशी का अहसास नहीं होने वाला, लेकिन शायद आपको ज़रा शांति महसूस होगी, कम चिंता महसूस होगी और आप आपकी परेशानियों का सामना करने को तैयार हो जाएंगे। अपनी उस फीलिंग को अपने पास रहने दें और जब आपको रोने की जरूरत महसूस हो, तो रो भी लें। ये प्रैक्टिस के साथ-साथ आसान होता जाएगा।
    • एक स्टडी के अनुसार, लगभग 85% महिलाएं रो लेने के बाद अच्छा फील करती हैं, वहीं पुरुषों में ये औसत लगभग 73% होता है। [2]
    • अगर आपको रोने के बाद भी अच्छा फील नहीं होता है, तो विचार करें, कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। शुरुआत से बस यही सुनते आने के बाद, कि रोना कमजोरों का काम है, आपको अपनी सोच बदलने में मुश्किल हो सकती है। अगर आपको अपने रोने को लेकर शर्म महसूस हो रही है, तो इस बात को याद रखने की कोशिश करें, कि ये एकदम नैचुरल और हैल्दी आदत है।
विधि 2
विधि 2 का 3:

रोने में कम्फर्टेबल महसूस करना (Feeling Comfortable With Crying)

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  1. आपने रोने को लेकर जो भी कुछ सीखा है, वो सब भूल जाएँ: क्या आपको ऐसा सिखाया गया है, कि बहादुर लोग रोया नहीं करते? ऐसे बहुत सारे लोग, जो इसी धारणा को अपने अंदर लेकर बड़े हुए हैं, उन्हें एक एडल्ट की तरह अपने इमोशंस को एक्सप्रेस करने में काफी तकलीफ होती है। लेकिन असल में तो रोना हमारी लाइफ का एक बेहद अहम हिस्सा होता है, जो अच्छी मेंटल हैल्थ को बढ़ावा देता है। रोना दुःख, दर्द, डर, ख़ुशी का एक एक्सप्रेशन हो सकता है या फिर ये सिर्फ एक सच्चा इमोशन भी हो सकता है और ये अपने इमोशंस को अपनी बॉडी से बाहर निकालने का एक हैल्दी और नेचुरल तरीका भी है।
    • महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को इन्हें बाहर निकालने में ज्यादा तकलीफ होती है, ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों को अपने इमोशंस को अपने तक ही दबाकर रखना सिखाया जाता है। लेकिन रोना पुरुषों के लिए भी उतना ही स्वाभाविक होता है, जितना कि महिलाओं के लिए, फिर भले वो बहुत कम ही ऐसा क्यों न किया करते हों। लड़के और लडकियाँ जब तक कि 12 की उम्र तक नहीं पहुँच जाते, तब तक वो एक-समान ही रोया करते हैं। [3] जब वो एडल्ट हो जाते हैं, तब पुरुष साल भर में लगभग 7 बार रोया करते हैं, वहीं महिलाएं एक साल में 47 बार। [4]
    • रोना कहीं से भी कमजोरी की निशानी नहीं होता। ये भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका होता है, जिसका किसी भी तरह के निर्णय लेने से कोई नाता नहीं होता। आप अगर रोते भी हैं, तब भी आप बहादुरी के कदम उठा सकते हैं। असल में, रोने से आपको महसूस होने वाली भावनाओं को बाहर निकालने में मदद मिलती है और साथ ही आप अपने आने वाले समय को ज्यादा स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
    • आपके द्वारा सुनी हुई बातों से एकदम विपरीत, रोना सिर्फ बच्चों का काम नहीं है। बच्चे अक्सर ही रोया करते हैं, और वो इसलिए क्योंकि उन्हें अभी तक रोने में किसी भी तरह की गलती का अहसास नहीं होता। लेकिन फिर भी जैसे ही आप बड़े हो जाते हैं, आपके रोने की जरूरत को कम नहीं होना चाहिए।
  2. रोना, मनुष्यों के द्वारा अपने इमोशनल टेंशन को बाहर निकालने का तरीका है। ये बॉडी का एक स्वाभाविक फंक्शन है, जो इमोशंस के बनते और उन्हें बाहर निकालने की जरूरत के परिणामस्वरूप तैयार होते हैं। [5] दिलचस्प बात तो ये हैं कि इंसान ही केवल एक ऐसा मैमल (स्तनधारी जीव) है, जो भावनाओं को व्यक्त करने के लिए आंसुओं का सहारा लेता है। रोना एक ऐसा सर्वाइवल मैकेनिज्म (जीने की कला) है, जो इन तरीकों से हमारी मदद करता है:
    • ये स्ट्रेस (तनाव) कम करता है और ब्लड प्रेशर कम करता है। समय के साथ-साथ बहुत ज्यादा स्ट्रेस और हाई ब्लडप्रेशर कई तरह की मेडिकल प्रॉब्लम्स को जन्म देता है और रोने से इन सभी मामलों को कम करने में मदद मिलती है।
    • ये टोक्सिंस (toxins) को कम करने का एक तरीका है, जो उस वक्त बनते हैं, जब आप दुखी होते हैं। इस तरह के केमिकल्स उस वक्त आपके सिस्टम में बनते हैं, जब आप तनाव में होते हैं और रोकर इन्हें आंसुओं के जरिये बाहर निकालने में मदद मिलती है - खासकर इमोशनल आंसू, किसी तरह की जलन के परिणामस्वरूप बने आँसू के विपरीत। [6]
    • ये फौरन बाद में आपके मन को प्रोत्साहित करता है। ये सिर्फ लोगों की कही-सुनी बातें नहीं हैं - ये साइंटिफिक सत्य है। आप जब रोते हैं, आपका मैंगनीज का लेवल कम हो जाता है। मैंगनीज के बनने से स्ट्रेस और चिंता का जन्म होता है, तो इसलिए रोना इमोशनल दर्द को बाहर निकालने का स्वाभाविक रास्ता होता है। [7]
  3. पता करें, कि आखिर क्यों आप इसे मन में दबाकर रखते हैं: अब जबकि आपको रोने से जुड़ी सारी अच्छी बातों का पता चल चुका है, तो फिर इस बारे में विचार करें, कि ऐसा क्या है, जो आपको आपके आंसुओं को बाहर आने से रोक रहा है। अगर आपके द्वारा कुशलता से रोये हुए बहुत सारा वक्त गुजर चुका है, तो फिर आपको खुद को उस पॉइंट पर ले जाने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे, जहाँ से आप रोकर आपके इमोशंस को बाहर निकाल सकें।
    • क्या आपने अपने मन में रोने को लेकर नेगेटिव विचारों को पनाह दे रखी है? अगर ऐसा है, तो आपके नजरिये को बदलें और समझें कि रोने में कोई खराबी नहीं है - ये तो बल्कि आपके लिए अच्छा है।
    • क्या आपको हमेशा से ही अपनी फीलिंग्स को सामने लाने में परेशानी हुआ करती है? तो ऐसे मे खुद को रोने देना आपके लिए एक अच्छी शुरुआत हो सकती है। अपनी भावनाओं को इस तरीके से सामने लाने से आपको असल जिंदगी में और भी इमोशनल बनने मे मदद मिलेगी।
    • आप जब अपनी भावनाओं को इस तरह से जाने देते हैं और खुद को रोने से रोकते हैं, तब ये भावनाएँ आपसे दूर कहीं नहीं जाती। ऐसे में आप या तो नाराजगी महसूस करते हैं या फिर खुद को एकदम सुन्न सा महसूस करने लगते हैं।
  4. अगर आप खुद को रोने देते हैं, तो ये आपका अपनी अच्छी परवाह करने का ही एक तरीका है। ये अपनी भावनाओं को नज़रअंदाज़ किए बिना और इन्हें नीचा दिखाए बिना इनका सम्मान करने का एक तरीका होता है। आप जेबी रोते हैं, उस वक़्त आप खुद को बस आप होने का मौका देते हैं। खुद को इमोशनल आज़ादी देने का आपकी मेंटल हैल्थ पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। [8]
    • अगर आपको खुद को भावनाएँ व्यक्त करने देने मे परेशानी हो रही है, तो ऐसे में ऐसा सोचें कि आप एक छोटे बच्चे हैं। फिर ऐसा सोचें कि अगर आप बच्चे होते, तो किस तरह से खुद को फ्री रखते, जब भी मन हो, तब रो लेते, जब एक हँसता-खेलता वक़्त खत्म होता हुआ देखते तो दुखी हो लेते या साइकल से गिरने पर या घुटने में चोट लगने पर रो लिया करते। बचपन में आपको जिन बातों पर रोना आया करता था, अब एडल्ट होते हुए आपको उन कारणों पर रोना नहीं आता होगा, अब आपके रोने के कारण बदल चुका होगा, लेकिन फिर भी आप अभी भी अपनी भावनात्मक आज़ादी को महसूस जरूर कर सकते हैं।
    • अगर आप किसी को रोता हुआ देखते तो क्या करते, उनके साथ कैसा बर्ताव करते, ऐसा सोचना आपकी काफी मदद करेगा। क्या आप उन्हें चुप होने का, उसे अपने अंदर ही रखने का बोलते? जब आपका बेस्टफ्रेंड किसी बात को लेकर खुद को हारा हुआ सा महसूस कर रहा होता, और रोना शुरू कर देता, तब आप उसे शायद गले से लगाकर और उसकी हौसला अफजाई करते। अपने साथ भी ठीक इसी तरह से संवेदना का बर्ताव करना, न कि खुद को रोकना, आपको रोने के लिए ज्यादा कम्फ़र्टेबल होने में मदद करेगा।
विधि 3
विधि 3 का 3:

रोने के लिए रुलाने वाली चीजों का इस्तेमाल करना (Using Tearjerkers to Help You Cry)

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  1. आप अगर किसी एक खास इंसान को लेकर, अपनी फ़ैमिली को लेकर या फिर अपनी लाइफ में आए बदलाव को लेकर दुखी हैं, तो ये आपकी आँखों में आँसू लाने का सबसे सही तरीका है। अपने किसी पुराने फोटो एल्बम को देखें या फिर ऑनलाइन मौजूद पिक्चर्स पर नजर डालें और हर एक फोटो पर जितनी ज्यादा देर तक हो सके, नजर टिका कर रखें। उस पिक्चर में मौजूद इंसान के साथ बिताए हुए आपके अच्छे पलों के बारे में याद करें या फिर पिक्चर में मौजूद किसी खास जगह से आपको कितना प्यार है, सोचकर देखें।
  2. किसी ऐसी संजीदा मूवी को देखना, जो आपको दुखी कर सकती है, आपके लिए ज़रा सा मुश्किल हो सकता है। फिर भले ही उस मूवी में मौजूद एक्टर की परिस्थिति आपकी परिस्थिति से बिलकुल भी अलग क्यों न हो, फिर भी उन्हें देखकर दर्द भरे वक़्त से गुजरकर आपकी आँखों से आँसू छलकेंगे और ये आपका दर्द भी बहा देंगे। आप जब मूवी के दौरान रोना शुरू करें, तब आपके विचारों को आपकी परिस्थिति से बदलकर देखें, ताकि आप आपकी अपनी लाइफ की फीलिंग्स को निकाल सकेंगे। अगर आपको कुछ संजीदा मूवीज के लिए सलाह की जरूरत है, तो इन्हें देखने की कोशिश करें:
    • तेरे नाम
    • सदमा
    • हाइवे
    • गुजारिश
    • अंजाना अनजानी
    • आशिक़ी 2
    • कुछ-कुछ होता है
    • कल हो न हो
    • गाजिनी
    • एक विलेन
    • कभी अलविदा न कहना
    • बाबुल
    • टाइटेनिक (Titanic) हॉलीवुड मूवी
    • देवदास
    • बागबान
    • तारे जमीन पर
    • आनंद
    • रोमियो + जूलिएट (Romeo + Juliet)
    • 3 इडियट्स
    • स्वदेश
    • शोले
    • हैदर
    • वीर-ज़ारा
    • रंग दे बसंती
  3. एक अच्छा गाना आपकी भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे अच्छा रास्ता होता है। म्यूजिक के जरिये अपने आपको रुलाने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप अपनी लाइफ के अलग-अलग वक़्त पर सुने हुए गाने या एल्बम को सुनें या फिर ऐसा कुछ सुनें, जिसे सुनकर आपको किसी गुजरे हुए इंसान की याद आती हो। अगर यहाँ पर ऐसा कोई गाना नहीं है, जो आपके लिए इस तरह की परिस्थिति तैयार करता हो, तो कुछ ऐसे बहुत दर्द भरे गाने को सुनने की कोशिश करें:
    • "तू ही रे" - बॉम्बे मूवी
    • "चन्ना मेरे या" - ऐ दिल है मुश्किल
    • "जग सूना-सूना लागे" - ओम शांति ओम
    • "अभी मुझ में कहीं" - अग्निपथ
    • "दिल मेरा तोड़ दिया उसने" - कसूर
    • "दिल दे दिया है" - मस्ती
    • "कुछ इस तरह" - दूरी
    • "कैसे बताएँ" - अजब प्रेम की गज़ब कहानी
    • "चाहा है तुझको" - मन
    • "मुझ में तू" - स्पेशल 26
    • "तूने मेरे जाना" - एम्प्टिनेस
    • "आओगे जब तुम" - जब वी मेट
    • "आँख हैं भरी-भरी" - तुमसे अच्छा कौन है
    • "तड़प-तड़प के" - हम दिल दे चुके सनम
    • "अभी-अभी" - जिस्म 2
    • "और हो" - रॉकस्टार
    • "बारिश" यारियाँ
    • "बंजारा" एक विलेन
    • "भरे नैना" रा -वन
    • "भुला देना" आशिक़ी 2
    • "बिन तेरे" आई हेट लव स्टोरीज़
    • "चाहूं मैं या ना" आशिक़ी 2
    • "दर्द दिलों के" - द एक्सपोज
    • "दूरियाँ" - लव-आजकल
    • "इस दर्द ए दिल कि सिफ़ारिश" - यारियाँ
    • "लाल इश्क़" - रामलीला
    • "आयात" - बाजीराओ मस्तानी
    • "मौला" - जिस्म 2
    • "मेहरबानी" - द शौकीन्स
    • "मिलने है मुझ से आई" - आशिक़ी 2
    • "जो भेजी थी दुआ" - शंघाई
    • "जियें क्यों" - दम मारो दम
    • "मर जाएँ" - विकी डोनर
    • "साइयाँ" - हीरोइन
    • "पिया ओ रे पिया (सेड)" - तेरे नाल लव हो गया
    • "तुझे भुला दिया" - अंजाना-अनजानी
    • "ज़रूरी था" - राहत फतेह अली खान
    • "अगर तुम मिल जाओ" जहर
    • "अलविदा" लाइफ इन आ मेट्रो
    • "दो पल की" वीर-ज़ारा
    • "जाने नहीं देंगे तुझे" 3 इडियट्स
    • "कहीं तो होगी वो" जाने तू या जाने ना
    • "कैसे मुझे तुम मिल गयी" गाजिनी
    • "कोई फरियाद" तुम बिन
    • "मैने दिल से कहा" रोग
    • "लाई वी ना गयी" चलते चलते
  4. अपने हांथ में पेन उठाएँ और अपनी भावनाओं को महसूस करके पेपर पर लिखने की कोशिश करें। आप अपनी भावनाओं के सोर्स के बारे में लिखकर शुरुआत कर सकते हैं। अपने ब्रेकअप के बारे में हर एक छोटी-छोटी बात लिखने की कोशिश करें, अपने फैमिली मेम्बर की बीमारी के दिनों को याद करें, रिसैशन के दौरान में शुरुआत में ही खोयी हुई आपकी जॉब के बारे में सोचें। फिर बहुत गहराई से सोचें और उस एक घटना ने आपकी लाइफ को किस तरह से बदल दिया, लिखें और इसके परिणामस्वरूप आपके मन में कैसी भावनाएँ उठ रही हैं। अपनी यादों को लिखना भी आपकी आँखों में आँसू लाने का सबसे अच्छा तरीका है। [9]
  5. अगर आपको सही लगे, तो अपने किसी फ्रेंड के ऊपर भरोसा करके देखें: आपको किस वजह से दुख, गुस्सा या चिड़चिड़ापन महसूस हो रहा है, इसके बारे में किसी के साथ बात करना आपके लिए काफी अच्छा हो सकता है। अपनी भावनाओं के बारे में तब तक किसी के साथ बात करें, जब तक कि आपके पास रोने और बताने के लायक कुछ भी न बचा हो।
    • अगर आपको एक वक़्त के बाद और भी ज्यादा रोने की जरूरत महसूस हो, तो आप इसके लिए किसी थेरेपिस्ट से भी सलाह ले सकते हैं। ये किसी तरह के अनसुलझे दुख या डिप्रेशन की तरह एक बेहद संजीदा मसला भी हो सकता है।

सलाह

  • आपके रोने को लेकर हीनभावना महसूस करने की कोई जरूरत नहीं है, ये तो किसी के साथ भी हो सकता है।
  • अपने साथ पानी की एक बॉटल और ढेर सारे टिशू ले लें, क्योंकि आपको इन दोनों की जरूरत पड़ने वाली है।
  • अगर आपको स्कूल या कॉलेज में रोना आ रहा है, तो इसके लिए अगर हो सके तो किसी प्राइवेट जगह जैसे कि रेस्टरूम का इस्तेमाल करें।
  • अगर आपको किसी क्लास के दौरान रोना आ रहा हो, तो अपना चेहरा डेस्क पर छुपा लें या फिर अपने चेहरे को बुक से ढँक लें। बहुत ज्यादा शोर करने की कोई जरूरत नहीं है। न ही सिसकियाँ लेने की कोशिश करें। अपने पास में टिशू रखें और जैसे ही आपका आँसू आपकी त्वचा को छूएँ, उन्हें पोछ्ते जाएँ। अगर आपके बाल बहुत लंबे हैं, तो इनके जरिये आपकी आंसुओं से भरी हुई आँखों को छिपाने की कोशिश करें।
  • अपनी भावनाओं को अपने अंदर ही दबाकर रखने की बजाय लोगों से इसके बारे में बात करें! उन्हें आपकी मदद करने में अच्छा ही लगेगा।
  • याद रखें, खुद को दर्द पहुंचाना, किसी भी दर्द से छुटकारा पाने का कोई तरीका नहीं है।
  • आप अगर रो रहे हैं और आपके पैरेंट्स आपको रोने नहीं दे रहे हैं, तो एकदम शांति से कम आवाज में रोएँ, लेकिन फिर भी इन्हें दबाकर रखने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही, वैकल्पिक रूप से, कहीं बाहर जाकर, प्राइवेट तरीके से रोना या फिर कहीं ऐसी जगह पर रोएँ, जहां पर कोई भी आपको न देख पाये।
  • अगर आप शावर में रोते हैं, तो फिर तो आप रोने के लिए फौरन कोई बहाना बना सकते हैं। बस उन्हें बोल दें, कि आपकी आँखों में साबुन चला गया या फिर पानी बहुत गर्म या बहुत ज्यादा ठंडा था।
  • अगर आपके पास टाइम है, तो ये सब होने के बाद खुद को फिर से खुश रखने की कोशिश करें।
  • रोना किसी भी तरह के बदलाव की जड़ हो सकता है। आप जब भी किसी परिस्थिति को लेकर इमोशनल हों, तब उस स्थिति पर गहराई से विचार करके और उसके बारे में कुछ करके देखें। रोकर हम अपनी भावनाओं को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। अगर ऐसी कोई बात है, जिसके बारे में किसी के साथ बात करके उसे सुलझाया जा सकता है, तो बस ऐसा ही करें।
  • कभी-कभी आपको बस रोने की इच्छा हो सकती है; तो ऐसा ही करें। याद रखें, कि रोना एकदम सामान्य बात है, और ऐसा हर कोई करता है। आप जब रोएँ, तब अपने साथ संवेदना रखें। गहरी साँस लें और जब तक आपका मन करे तब तक रोएँ।

चेतावनी

  • आप जिन लोगों से झगड़ा कर रहे हैं, ऐसे लोगों के सामने कभी न रोएँ। आप जब अकेले हों, तब किसी ऐसे इंसान के सामने रोएँ, जिस पर आपको भरोसा हो।
  • आप अगर स्कूल, कॉलेज या ऑफिस के किसी दायरे से बाहर की जगह को चुनते हैं, तो इसके लिए आप मुसीबत में पड़ सकते हैं!
  • सुनिश्चित करें, कि आपने वॉटरप्रूफ मसकारा ही लगाया है।

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • टिशू (Tissues)
  • एक ऐसा फ्रेंड या कोई ऐसा इंसान, जो आपके भरोसे के लायक हो
  • अपने चेहरे को या मेकअप को साफ करने के लिए पानी
  • वॉटरप्रूफ मसकारा

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