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लिपोमा या चर्बी की गाँठ एक नॉन-कैंसरस ट्यूमर होता है जिसे फैटी ट्यूमर भी कहा जाता है | इस तरह के ट्यूमर आमतौर पर आपके धड़, गर्दन, भुजाओं, जांघों और आंतरिक अंगों पर पाए जाते हैं | भाग्यवश, लिपोमा से जान को कोई खतरा नहीं होता और अगर इनके कारण कोई परेशानी हो रही हो तो उसे ठीक भी किया जा सकता है | इसीलिए अगर लिपोमा डेवलप हो जाये तो उसे खोजना और उसका इलाज़ करना सबसे बेहतर होता है |

विधि 1
विधि 1 का 4:

लक्षण पहचानें

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  1. लिपोमा अधिकतर गुम्बदनुमा आकार के उभार होते हैं जिनका साइज़ अलग-अलग हो सकता है लेकिन आमतौर पर मटर के दाने से लेकर अमूमन 3 सेंटीमीटर (1.2 इंच) के बीच की लम्बाई के होते हैं | अगर आपके शरीर में स्किन के अंदर कहीं इस साइज़ के उभार हैं तो वे लिपोमा हो सकते हैं | [१]
    • कुछ लिपोमा 3 सेंटीमीटर (1.2 इंच) से भी बड़े साइज़ के हो सकते हैं | इसके अलावा, यह भी हो सकता है कि आप इन्हें पूरी तरह से फील न कर पायें |
    • ये उभार उस एरिया की फैट सेल्स के असामान्य और तेजी से बढ़ने के कारण बन सकते हैं |
    • हालाँकि, अगर उभार कफी बड़े, कठोर या कम गतिशील हैं तो वे सिस्ट हो सकते हैं | इसके अलावा, सिस्ट को छूने पर दर्द होता है और वे संक्रमित हो सकती हैं और ड्रेन भी हो सकती हैं |

    टिप: बहुत ही कम केसेस में, लिपोमा 3 सेंटीमीटर से भी ज्यादा बड़े हो सकते हैं

  2. उभार को फील करके पता लगायें कि वो कितना सॉफ्ट हैं: लिपोमा ट्यूमर आमतौर पर छूने में बहुत सॉफ्ट होते हैं, इसका मतलब ये है कि अगर आप उन्हें अंगुली से दबाते हैं तो वे अंगुली के नीचे हिलते हुए फील होते हैं | इस तरह के ट्यूमर अपने आस-पास के एरिया से हलके से अटैच्ड होते हैं जिससे वे अपनी जगह पर दृढ़ता से जुड़े रहते हैं और आप इन्हें स्किन के अंदर हलके से हिला भी सकते हैं | [२]
    • इससे यह पहचानने में मदद मिलेगी कि आपको लिपोमा है, ट्यूमर है या सिस्ट है | सिस्ट और ट्यूमर, लिपोमा की तुलना में काफी डिफाइंड शेप में और दृढ़ होते हैं |
    • अगर लिपोमा टिश्यू में गहराई में स्थित है जो कि काफी कम ही देखा जाता है, तो इसकी दृढ़ता को फील करना और साइज़ का अंदाज़ा लगाना काफी मुश्किल हो सकता है |
  3. हालाँकि आमतौर पर लिपोमा ट्यूमर पीड़ारहित होते हैं क्योंकि लम्प में कोई नर्व नहीं होती लेकिन अगर ये शरीर के किसी खास स्पॉट पर बढ़ने लगते हैं तो पैनफुल बन सकते हैं | उदाहरण के लिए, अगर ट्यूमर नर्व के पास है और ट्यूमर बढ़ना शुरू हो जाए तो नर्व पर प्रेशर पड़ेगा जिसके कारण दर्द होगा | [३]
    • अगर आपको लिपोमा स्पॉट के आस-पास दर्द हो तो डॉक्टर को दिखाएँ |
  4. अगर लम्प दिखाई दे या इसमें कोई बदलाव हों तो डॉक्टर को दिखाएँ: अगर कोई नया उभार बढ़ता हुआ दिखाई दे या लम्प के साइज़ या शेप में कोई बदलाव हो रहा हो तो डॉक्टर को दिखाएँ | अपनी परेशानी को खुद डायग्नोज़ करने की बजाय एक क्वालिफाइड डायग्नोसिस पाना बहुत जरुरी होता है जिससे अपनी समस्या का सही इलाज़ मिल सके | [४]
    • डॉक्टर लिपोमा और अन्य तरह के ट्यूमर और सिस्ट के बीच अंतर का पता लगा लेंगे |
विधि 2
विधि 2 का 4:

मेडिकल डायग्नोसिस करवायें

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  1. यह जानना बहुत जरुरी है कि कोई उभार कितने दिनों से बना हुआ है और समय के साथ इसमें कोई बदलाव हुए हैं या नहीं | जब भी कोई लम्प नोटिस करें, उस तारीख, लोकेशन, और उसके शेप के बारे में लिख लें |
    • इससे डॉक्टर को उभार की गंभीरता और उसे हटाने की संभावनाओं का अंदाज़ा लगेगा अन्यथा वो लगातार बढ़ता रहेगा |

    टिप: ध्यान रखें कि बिना किसी बदलाव या किसी साइड इफ़ेक्ट के कोई लम्प एक ही जगह पर सालों तक बना रह सकता है

  2. जब भी सबसे पहले कोई उभार नोटिस करें, उसे टेप से नापें जिससे आप उसकी ग्रोथ को ट्रैक कर पायें | अगर आपको लगता है कि ट्युमर एक या दो महीने में काफी बढता जा रहा है तो इसे डॉक्टर को दिखाएँ, भले ही डॉक्टर पहले कभी इसे देख चुके हों | [५]
    • अगर काफी ग्रोथ हो चुकी है तो कुछ कह पाना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि इस तरह के ट्यूमर बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं |
    • लिपोमा ट्यूमर मटर के दाने के साइज़ में शुरू होता है और फिर इससे ज्यादा बढ़ा होता जाता है | लेकिन, यह आमतौर पर लगभग 3 सेंटीमीटर (1.2 इंच) व्यास तक बढ़ता है इसलिए अगर कोई ग्रोथ इस साइज़ से ज्यादा बड़ी हो तो वो लिपोमा नही हो सकती |
  3. अगर आपको अपने शरीर पर कोई असामान्य या नया उभार फील हो तो हमेशा डॉक्टर को दिखाना चाहिए | डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लें और उन्हें बताएं कि आप अपने उभार को दिखाना चाहते हैं | एग्जामिनेशन रूम में डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में पूछेंगे और लम्प या उभार को छूकर देखेंगे | [६]
    • कई केसेस में, सिर्फ उभार को फील करके डॉक्टर लिपोमा को डायग्नोज़ कर लेंगे | लेकिन, इस ग्रोथ की शंका को दूर करने के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट कराकर ही कन्फर्म किया जा सकता है |
    • इसके लिए डॉक्टर जो टेस्ट लिखते हैं, उनमे शामिल हैं: X-रेज़, CT स्कैन, MRI और बायोप्सी | [७]
विधि 3
विधि 3 का 4:

अपने रिस्क फैक्टर जानें

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  1. याद रखें कि लिपोमा ट्यूमर के डेवलप होने में उम्र ख़ास भूमिका निभाती है: इस तरह के ट्यूमर आमतौर पर ऐसे लोगों को होते हैं जो 40 से 60 वर्ष के बीच की उम्र के होते हैं | अगर आप भी 40 साल से ज्यादा उम्र के हैं तो शरीर में होने वाले इस तरह से उभारों पर नज़र रखें | [८]
    • हालाँकि, एक बात हमेशा याद रखें कि लिपोमा किसी भी उम्र में हो सकता है | लेकिन 40 साल की उम्र पार करने के बाद, इनके डेवलप होने की रिस्क सबसे ज्यादा होती है |
  2. जानें कि आपको कोई ऐसी कंडीशन तो नहीं है जिसमे लिपोमा होने की रिस्क ज्यादा होती है: ऐसे कुछ हेल्थ इशू होते हैं जिनमे लिपोमा बनने की सम्भावना बढ़ जाती है | जो हेल्थ इशू आमतौर पर लिपोमा से सम्बंधित होते हैं, उनमे शामिल हैं: [९] :
  3. रिसर्च करें कि आपकी फैमिली में लिपोमा की हिस्ट्री है या नहीं: अपने माता-पिता और ग्रैंडपेरेंट्स से पूछें कि क्या उन्हें लिपोमा था या क्या उन्हें पता है कि फैमिली में किसी को यह परेशानी थी या नहीं | आपके फैमिली मेम्बर की हेल्थ कंडीशन और आपकी हेल्थ के बीच क लिंक होती है क्योंकि लिपोमा आपके जीन से लिंक्ड होती है | [११]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपकी दादी या नानी को लिपोमा था तो आपको डेवलप होने की सम्भावना भी होगी क्योंकि आपके अंदर भी आपकी दादी या नानी के जींस आते हैं |
    • हालाँकि, ध्यान रखें कि स्पोराडिक लिपोमा जो जेनेटिक नहीं होता, फिर भी जेनेटिक लिपोमा से ज्यादा कॉमन होता है | इसका मतलब यह है कि अगर आपको फैमिली हिस्ट्री न हो तो भी लिपोमा डेवलप हो सकता है |

    चेतावनी: एक बात का ध्यान रखें कि अगर अगर आपकी फैमिली में लिपोमा की हिस्ट्री है तो तो आप भी लिपोमा से बच नहीं सकते

  4. अगर खेलकूद के दौरान आपको बार-बार एक ही जगह पर चोट लगती है तो उन एरियाज का ख़ास ध्यानरखें: जो लोग खेलकूद में हिस्सा लेते रहते हैं और वहां उनको बार-बार एक ही जगह पर चोट लगती रहती है तो उन लोगों को उस जगह पर लिपोमा ट्यूमर डेवलप होने की सबसे ज्यादा सम्भावना होती है | उदाहरण के लिए, वॉलीबॉल प्लेयर्स को ऐसी ही जगह पर बार-बार चोट लगती है जहाँ बार-बार बॉल हिट होती है | [१२]
    • अगर आपको बार-बार एक ही जगह पर चोट लगती है तो ध्यान रखें कि भविष्य में इस जगह की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए जिससे ये ग्रोथ फिर से न हो |
विधि 4
विधि 4 का 4:

लिपोमा का इलाज करें

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  1. लिपोमा से छुटकारा पाने का यह सबसे इनवेसिव तरीका है | स्टेरॉयड (ट्राइएमिनो लोन एसीटोनोइड और 1% लिडोकेइन) के मिक्सचर को ट्यूमर के मध्य में इंजेक्ट किया जाता है | यह डॉक्टर की क्लिनिक में किया जा सकता है और इसके तुरंत बाद घर जा सकते हैं | [१३]
    • अगर एक महीने में भी ग्रोथ न जाए तो इसके ख़त्म होने तक प्रोसीजर को फिर से किया जा सकता है |
  2. अगर ट्यूमर बहुत बड़ा हो या इसके कारण दर्द हो रहा हो तो सर्जरी के द्वारा हटवाएं: लिपोमा ट्यूमर को हटाने का सबसे इफेक्टिव तरीका है-सर्जरी | आमतौर पर, सर्जरी केवल उन्ही ट्यूमर के लिए की जाती है जो लगभग 3 सेंटीमीटर (1.2 इंच) के हों या इनके कारण दर्द हो रहा हो | जब ट्यूमर स्किन के बिलकुल नीचे बढ़ रहा हो तो इसे स्किन पर एक छोटा सा इन्सिजन देकर हटाया जा सकता है और फिर घाव को साफ़ करके उसे भरने दें | [१४]
    • अगर ट्यूमर किसी ऑर्गन पर हो (जो कि बहुत कम ही होता है) तो ट्यूमर को हटाने के लिए आपको जनरल एनेस्थीसिया दिया जायेगा |
    • सर्जरी के द्वारा एक बार निकाले जाने के बाद ट्यूमर आमतौर पर वापस नहीं आता लेकिन बहुत कम केसेस में ये फिर से आ भी सकता है |
  3. इस तकनीक में फैटी टिश्यू को हटाने के लिए सक्शन किया जाता है | उभार पर एक छोटा सा इन्सिजन दिया जाता है और सक्शन ट्यूब को इसमें से अंदर डाला जाता है जिससे वो ग्रोथ को चूस लेती है | यह एक छोटी सी प्रक्रिया है जिसे डॉक्टर अपने क्लिनिक पर भी कर सकते हैं | [१५]
    • आमतौर पर, जो लोग इस ऑप्शन को चुनते हैं वो अपना ट्यूमर सौन्दर्य की दृष्टी से ही हटाना चाहते हैं | इसका इस्तेमाल ऐसे केसेस में भी किया जाता है जिनमे ग्रोथ सामान्य की तुलना में ज्यादा सॉफ्ट हो |

    चेतवानी: ध्यान रखें कि लिपोसक्शन से एक छोटा सा सकार बन जाता है लेकिन पूरी तरह से हील होने के बाद बहुत मुश्किल से ही दिखाई देता है

  4. लिपोमा के सप्लीमेंट ट्रीटमेंट के रूप में घरेलू दवाओं का इस्तेमाल करें: ऐसी कई हर्ब्स और सप्लीमेंट देखे गये हैं जो लिपोमा के साइज़ को कम करते हैं | हालाँकि इनके बारे में बहुत ज्यादा साइंटिफिक रिसर्च नहीं हुई हैं जो दर्शायें कि ये इफेक्टिव हैं लेकिन पुराने समय से इन्हें घरेलू उपचारों के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है, जैसे: [१६]
    • चिकवीड-किसी लोकल फार्मेसी से चिकवीड सलूशन खरीदें और खाने के बाद रोज़ दिन में तीन बार एक चम्मच मिक्सचर लें |
    • नीम- इस भारतीय हर्ब को अपने भोजन में शामिल करें या रोज़ सप्लीमेंट के रूप में लें |
    • फ्लेक्ससीड ऑइल- दिन में तीन बार प्रभावित स्थान पर फ्लेक्ससीड ऑइल डायरेक्टली लगायें |
    • ग्रीन टी- हर दिन एक कप ग्रीन टी पियें |
    • हल्दी- हर दिन टर्मेरिक सप्लीमेंट लें या उभार पर रोज़ हल्दी और तेल बराबर मात्रा में लेकर मिक्सचर बनाकर लगाते रहें |
    • लेमन जूस-अपने पेय पदार्थों में पूरे दिन थोडा लेमन जूस मिलाकर लेते रहें |

चेतावनी

  • अगर आपको किसी भी तरह का कोई उभार फील होता है या आपको लगता है कि वो कोई हानिरहित लिपोमा ट्यूमर हो सकता है तो डॉक्टर को जरुर दिखाएँ |

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