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क्या आप अपना परिवार बढाने के उद्देश्य से बच्चे पैदा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपना स्पर्म काउंट बहुत कम होने से परेशान हैं ? सीमेन (semen या वीर्य) के फर्टाइल होने की सबसे अधिक सम्भावना तभी होती है जब उसमे प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन स्पर्म से अधिक स्पर्म मौजूद हों | जब आपके वृषण (testicles) बहुत गर्म होते हैं, आप बहुत अधिक तनावग्रस्त होते हैं और जब आपको STI (sexually transmitted infections) हो (जो आपके स्पर्म के उत्पादन को बाधित कर देता है) तब स्पर्म का काउंट बहुत कम हो सकता है | लेकिन, शुक्र है कि ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से स्पर्म काउंट को बढ़ाया जा सकता है | (How to Increase Your Sperm Count in Hindi)

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी आदतें बदलें (Lifestyle Changes to Increase Your Sperm Count in Hindi)

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  1. हमारे शरीर से वृषणों के बाहर की ओर होने का कारण यह है कि वृषणों को शरीर के बांकी अंगों की तुलना में थोड़ी ज्यादा ठंडक की ज़रूरत होती है | जब वृषण बहुत अधिक गर्मी पाते हैं तो वे बहुत अधिक स्पर्म का उत्पादन नहीं कर पाते | [१] कई तरह के तरीकों से आप अपने वृषणों को अत्यधिक गर्म होने से बचा सकते हैं:
    • कसे हुए पैन्ट्स और जीन्स न पहनें |
    • ब्रीफ्स (briefs) के स्थान पर ढीले-ढाले कॉटन के बॉक्सर पहनें |
    • बिना अंडरवियर पहने सोयें जिससे आपके वृषण ठन्डे बने रहते हैं |
    • गर्म स्नान और सौना बाथ (sauna bath) से बचें |
  2. यह बात बताने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कई पुरुष इसे अपने अनुभव के आधार पर जानते हैं इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें अन्यथा एक तेज़ वेग से आती हुई बॉल आपको नुकसान पहुंयेगी और आपके स्पर्म नष्ट कर देगी |
  3. अपने नियमित व्यायाम के साथ, आयल की मालिश से सम्पूर्ण रक्त प्रवाह और परिसंचरण में सुधार आता है और परिसंचरण के बढ़ने का मतलब है-स्वस्थ स्पर्म बनना |
  4. तनाव आपकी यौनक्रियाओं को कम कर सकता है जिससे स्पर्म का उत्पादन भी कम हो जाता है | [२] अगर आप प्रतिदिन 12 घंटे से भी अधिक काम करते हैं और खुद को आराम का कोई मौका नहीं देते तो इसके परिणामस्वरूप आपका स्पर्म काउंट कम हो सकता है | पूरे दिन खुद को शांत रखने के लिए शिथिलीकरण की तकनीकों का अभ्यास करें | नियमित रूप से योग और मैडिटेशन करके या दौड़ने या तैरने के द्वारा अपने दिल और दिमाग को स्वस्थ बनाये रखें |
    • स्ट्रेस हार्मोन्स लेडिग सेल्स (leydig cells) को अवरुद्ध कर देते हैं जिससे टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है | जब आपका शरीर बहुत अधिक तनाव अनुभव करता है तब सच में स्पर्म का उत्पादन बंद हो सकता है |
    • हर रात पर्याप्त नींद लें | अत्यधिक परिश्रम भी तनाव को बढ़ सकता है जिससे स्पर्म का उत्पादन कम होने लगता है |
  5. सिगरेट्स पीने से न सिर्फ स्पर्म काउंट कम हो जाता है बल्कि इससे स्पर्म की गति भी बहुत कम हो जाती है और इसके कारण स्पर्म किसी काम के नहीं रह जाते | एक स्टडी के अनुसार, स्मोकिंग करने वाले लोगों में स्मोकिंग न करने वाले लोगों की अपेक्षा 22% तक स्पर्म कम पाए गये | मारिजुआना (marijuana) का भी स्पर्म पर इसी प्रकार का प्रभाव पड़ता है | [३] अगर आप अपने स्पर्म काउंट को बढ़ाना चाहते हैं तो सबसे अच्छा होगा कि इन दोनों पदार्थों से दूर रहें
  6. अल्कोहल या शराब आपके लिवर के कार्यों को प्रभावित करती है जिससे आश्चर्जनक रूप से एस्ट्रोजन लेवल (बिलकुल पुरुषों में भी एस्ट्रोजन पाया जाता है) में उतार-चड़ाव होने लगते हैं | चूँकि टेस्टोस्टेरोन का सीधा सम्बन्ध स्पर्म के स्वास्थ्य और उत्पादन से है इसलिए ऐसा होना अच्छी बात नहीं है | यही नहीं, दिन में ली गयी दो ड्रिंक्स भी लम्बे समय तक स्पर्म के उत्पादन को प्रभावित करेंगी |
  7. बार-बार वीर्यपात होने से स्पर्म काउंट कम हो सकता है | शरीर के द्वारा हर रोज़ लाखों स्पर्म का उत्पादन होता है, लेकिन अगर आपका स्पर्म काउंट पहले से ही कम है तो वीर्यपात के बीच लम्बा अंतराल रखकर स्पर्म का संग्रह करने के बारे में सोचें | अगर आप रोज़ सेक्स या हस्तमैथुन करते हैं तो स्पर्म का उत्पादन बढाने के लिए इनके बार-बार उपयोग न करें |
  8. केमिकल के संपर्क में आने से आपके स्पर्म के साइज़, उनकी गति और संख्या पर प्रभाव पड़ सकता है | हालाँकि टोक्सिन के सम्पर्क में आने से बचना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन ऐसा करना आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य और आपके स्पर्म के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है | इनके संपर्क में कमी लाने के लिए निम्नलिखित चीज़ों का अनुकरण करें:
    • अगर आप पूरे दिन केमिकल्स के बीच काम करते रहते हैं तो लम्बी आस्तीन वाले कपडे और ग्लव्स के द्वारा अपनी स्किन को सुरक्षित रखें और अपने चेहरे की सुरक्षा के लिए मास्क और गॉगल्स पहनें | [४]
    • केमिकल युक्त चीज़ों की बजाय प्राकृतिक क्लीनिंग सप्लाइज का उपयोग करें |
    • अपने घर या बगीचे में पेस्टिसाइड या हर्बिसाइड का उपयोग न करें |
  9. विशेष प्रकार की दवाएं न सिर्फ स्पर्म काउंट को कम कर सकती हैं बल्कि इनसे स्थायी बंध्यता (infertility) भी हो सकती है | अगर आप विशेष रूप से स्पर्म के उत्पादन को लेकर चिंतित रहते हैं तो डॉक्टर द्वारा स्पर्म काउंट को प्रभावित करने वाली किसी भी दवा की लिखे जाने से पहले डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें | [५] आमतौर पर मिलने वाली दवाओं के लेवल पर भी नज़र डालें |
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपनी डाइट और एक्सरसाइज के कार्यक्रम को सुधारें (How to Increase Your Sperm Count with the help of Diet and Exercise in Hindi)

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  1. आज के युग में एक्सरसाइज के एक कारगर कार्यक्रम को ढूंढ पाना बहुत ही मुश्किल काम है, लेकिन यह भी मानना पड़ेगा कि एक्सरसाइज आपके स्पर्म के उत्पादन को बढ़ाने के मदद करेगी | एक्सरसाइज से आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन स्त्रावित होता है जो स्पर्म के उत्पादन में मदद करता है | कंपाउंड एक्सरसाइज और भारी वज़न उठाने वाली एक्सरसाइज का उपयोग करें, लेकिन अगले दिन भी उन्ही मांसपेशियों की एक्सरसाइज करने से बचें | अपनी मांसपेशियों को आराम के लिए समय दें और उनकी मरम्मत होने दें जिससे टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन में भी मदद मिलेगी |
    • बहुत अधिक एक्सरसाइज न करें | अत्यधिक एक्सरसाइज से एड्रेनल स्टेरॉयड हार्मोन स्त्रावित होने लगता है जिससे टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है | इसलिए चाहे आप अपनी मसल्स बनाना चाहे या स्पर्म काउंट बढ़ाना चाहें, एक बात हमेशा याद रखें कि अपने शरीर को बहुत अधिक तनाव न दें |
    • एनाबोलिक स्टेरॉयड का उपयोग न करें | एनाबोलिक स्टेरॉयड आपका वजन तो बढ़ा सकते हैं लेकिन ये आपके वृषणों को संकुचित कर सकते हैं और इसके कारण इनफर्टिलिटी हो सकती है | अगर आप बच्चे पैदा करने के बारे में सोच रहे हों तो इनसे बहुत–बहुत दूर रहें |
  2. आपके स्वास्थ्य और आपके स्पर्म्स के लिए कम फैट और उच्च प्रोटीनयुक्त डाइट, सब्जियां और समग्र अनाज बहुत लाभदायक होते हैं |
    • खूब सारी मछली, अंडे, मीट, फल और सब्जियां खाएं |
    • मूंगफली, अखरोट, काजू, सूरजमुखी और कद्दू के बीज भी स्पर्म काउंट बढ़ा सकते हैं |
    • सोया-बेस्ड खाद्य पदार्थ और हाई-फ्रक्टोस कॉर्न सिरप से दूर रहें | सोया फूड्स शरीर पर हल्का एस्ट्रोजेनिक इफ़ेक्ट डालते हैं | हालाँकि यह महिलाओं के लिए अच्छे होते हैं लेकिन स्पर्म को बढाने के लिए ये अच्छे नहीं होते | हाई फ्रक्टोस कॉर्न सिरप के कारण इन्सुलिन रेसिस्टेंस हो सकता है जो फर्टिलिटी को कम कर सकता है | जो पुरुष नियमित रूप से एक लीटर कोक पीते हैं उनमे, कोक न पीने वालों की तुलना में स्पर्म 30% कम होते हैं |
  3. वजन कम करने से भी स्पर्म काउंट बढ़ जाता है | हालाँकि साइंटिस्ट नहीं जानते कि मोटापा किस प्रकार से स्पर्म काउंट कम होने से सम्बंधित है लेकिन हल ही में की गयी एक फ्रेंच स्टडी से पता चलता है कि मोटापे से ग्रसित पुरुषों में सामान्य की तुलना में 42% स्पर्म कम पाए गये | इसी तरह की अन्य स्टडीज में साइंटिस्ट्स को पता चला कि मोटापे से पीड़ित पुरुषों में उनके वीर्यपात होने पर उनके सीमेन या वीर्य में स्पर्म न होने की सम्भावना 81% तक होती है | [६]
    • इसके कारणों को बताने के लिए कई सारी अवधारणा हैं | इनमे से कुछ का विचार है कि फैटी टिश्यू टेस्टोस्टेरोन को एस्ट्रोजन में परिवर्तित कर देते हैं जबकि अन्य का मत है कि जांघों की अतिरिक्त चर्बी वृषणों को गर्म कर देती है |
  4. [७] प्राकृतिक हर्बल सामग्रियों से बने हुए सप्लीमेंट लेने से विशेषरूप से शरीर को अधिक सीमेन बनाने में मदद मिलती है | रिसर्च में पाया गया है कि 5 मिलीग्राम फोलिक एसिड और 66 मिलीग्राम जिंक सल्फेट प्रतिदिन 26 सप्ताह तक लेने वाले पुरुषों में लगभग 75% स्पर्म काउंट बढ़ गया | फोलिक एसिड (folic acid) और जिंक सल्फेट (zinc sulfate) DNA के निर्माण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं |
    • विटामिन C और सेलेनियम भी स्पर्म का उत्पादन बढाने के लिए उत्तम सप्लीमेंट हैं |
  5. ये आपके स्पर्म काउंट को बढाने में मदद करती हैं | होमियोपैथी सामग्रियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • पेस्सिफ्लोरा इन्कार्नटा (passiflora incarnata): यह मेल सेक्सुअलिटी को सुरक्षित रखती है और धूम्रपान या मारिजुआना आदि का सेवन करने वाले पुरुषों में स्पर्म के कम हो जाने पर स्पर्म काउंट को बढ़ा सकती है | [८] ,
    • ज़िन्कम मेटाल्लिकम (zincum metallicum): यह होमियोपैथी सामग्री जिंक को बढाती है और सीमेन की क्वालिटी को सुधारने और स्पर्म काउंट को बढाने में मदद करती है | [९]
    • डेमियना, योहिंबिनम (damiana, yohinbinum): इन होमियोपैथी सामग्रियों पर वैज्ञानिक स्टडीज की गयी हैं जिनसे पता चलता है कि ये मेल सेक्सुअलिटी को बढ़ाती हैं और यौन इच्छा में सुधार लाती हैं | [१०]
    • हर्ब्स जैसे बेशरम या विधारी (ipomoea), डिजिटाटा (digitata), आंवला (embalica officinalis), सफ़ेद मुसली (chlorophytum arundinaceum) [११] , विधारा (argyreia speciosa), कौंच बीज (mucuna pruriens), अश्वगंधा (withania somnifera), गिलोय या गुडूची (tinospora cardifolia), बला, खरेटी या बरियार (sida cardifolia), शतावरी या शतावर (ऐस्पैरागस racemosus), [१२] का उपयोग प्राकृतिक कामोद्दीपक या वाजीकर दवाओं के रूप में किया जाता है | ये टेस्टोस्टेरोन लेवल को बढ़ा देती हैं और इरेक्टाइल डिसफंक्शन को भी ठीक कर देती हैं | अश्वगंधा जैसी हर्ब्स प्राकृतिक तनावरोधी की तरह काम करती हैं | ये शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करती हैं और पुरुषों में कम स्पर्म काउंट होने के तनाव जैसे मुख्य कारण को दूर करने में मदद करती हैं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

मेडिकल ट्रीटमेंट लें (Medical Treatment to Increase Your Sperm Count in Hindi)

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  1. टेस्ट कराएँ और STIs (sexually transmitted infections) के लिये टेस्ट्स कराएँ: विशेष प्रकार के सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन जैसे क्लेमायडिया (chlamydia) और गोनोरिया (gonorrhea) के कारण स्कार बन जाते हैं जो स्पर्म के मार्ग को बाधित कर देते हैं | [१३] नियमित रूप से STIs के लिए टेस्ट कराएँ और अगर आपको ये इन्फेक्शन हों तो सही उपचार लें | अधिकतर केसेस में, इन्फेक्शन को दूर करने के लिए डॉक्टर द्वारा आपको एक एंटीबायोटिक्स का कोर्स लिख जायेगा |
  2. इसके कारण आपके वृषण का तापमान बढ़ सकता है और स्पर्म काउंट कम हो सकता है | अगर इसके कारण आपकी फर्टिलिटी प्रभावित हो रही हो तो डॉक्टर से सलाह लें | अगर वरिकोसील डायग्नोज़ हो तो सर्जिकल प्रक्रिया के द्वारा इस परेशानी को दूर किया जा सकता है | [१४]
  3. हार्मोन्स के असंतुलन से स्पर्म काउंट कम हो सकता है | हार्मोन रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट और दवाएं हार्मोन लेवल को बदल सकती हैं और स्पर्म का उत्पादन बढाने में मदद कर सकती हैं | अपने डॉक्टर से पूछें कि यह विकल्प आपके लिए उचित है या नहीं |
    • हार्मोन रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट और दवाएं आमतौर पर कम से कम 3 महीने में अपना असर दिखाती हैं |

सलाह

  • आजकल चीज़ें बदल गयी हैं | इस स्थिति में सहायक फैक्टर्स को जानने के लिए आजकल मेडिकल कम्युनिटी में “मेल इनफर्टिलिटी” विषय पर काफी स्टडीज की गयी हैं | स्मोकिंग, ड्रिंकिंग, प्रदूषण और जीवनशैली पुरुषों में स्पर्म की कमी के लिए जिम्मेदार कुछ मुख्य फैक्टर्स हैं | इन फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन स्पर्म के उत्पादन में तेज़ी से भारी कमी ला सकते हैं |
  • पुरुषों में होने वाली स्पर्म की संख्या में कमी कोई नयी अवधारणा नहीं है, कई पुरुष सदियों से इस समस्या का सामना करते चले आ रहे हैं | परन्तु, पहले के समय में तकनीकों की कमी की वज़ह से यह पता लगाना बहुत मुश्किल था कि पुरुष भी कम फर्टिलिटी की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं | टेक्नोलॉजी की इस कमी के परिणामस्वरूप, अगर कोई दम्पति बच्चा पैदा नहीं कर पाता था तो अक्सर महिलाओं को ही उसका दोषी माना जाता था और उन्हें “बाँझ (infertile)” होने का लेबल दे दिया जाता था |

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