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बातचीत किसी भी दोस्ती का आधार होती है | फिर चाहे आप इधर उधर की बातें कर रहे हों या किसी अहम मुद्दे पर चर्चा, बातचीत करने से आप दोस्तों से संबंध बना सकते हैं, एक दूसरे के बारे में जान सकते हैं और आपस में विश्वास बढ़ा सकते हैं | अगर आपके बीच में दोस्ताना बातचीत हो रही है, तो अपने दोस्त से उसकी निजी बातें जानें और उनका हाल पूछें | अगर आप किसी अहम् बात पर चर्चा कर रहे हैं, तो अपना सहारा और मदद उनके नज़र करें | चाहे जो भी हो एक सक्रीय श्रोता बनें और अपने दोस्त को एहसास कराएं की आप का ध्यान उनके पास हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

दोस्ताना बातचीत करना

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  1. जब उन्हें देखें हेलो कहें : सर हिलाना, मुस्कुराना और हाथ हिलाना सभी दोस्ती का एहसास कराते हैं, लेकिन इनसे बातचीत शुरू नहीं कर सकते हैं | अपने दोस्त को हॉल में ये घर के आस पास देखकर “हैलो” कहने से एक दोस्ताना बातचीत शुरू कर पाने की सम्भावना भी बढ़ जाती है | [१]
    • बात को आगे बढ़ाते हुए उनसे निष्ठा से पूछें की उनका हाल चाल कैसा है | फिर चाहे वो ज़्यादा देर तक बात करने की स्थिति में नहीं हों, एक निष्ठावान रूचि इस बात का सबूत है की आप एक दोस्त के तौर पर उनकी फ़िक्र करते हैं |
  2. ऐसी बातों को शामिल करें जो आपके दोस्त ने आपको कभी पहले बताई थीं | क्या उनके पसंदीदा बैंड ने हाल में नयी एल्बम रिलीज़ की है? क्या वो अपने माँ बाप से मिलने के लिए शहर से बाहर गए थे? इस जानकारी को याद करें और अपने दोस्त से उसका ज़िक्र करें ताकि उन्हें लगे की जब वो बोलते हैं तो आप उनकी बात सुनते हैं | [२]
    • उदाहरण के तौर पर, अगर आप का दोस्त सफर से लौटा है, तो कुछ ऐसे पूछें, “तुम्हारी मनाली की छुट्टी कैसी थी? मुझे उसके बारे में सब कुछ जानना है |”
  3. बातचीत में खुद ही बोलना सभ्य नहीं लगता है, लेकिन फिर दूसरे व्यक्ति को ही बोलते रहने को कहना भी भयावह है | इसके बजाय इसे बराबर का रखें | एक बार आप अपनी बात कह दें या सवाल पूछें, तो दूसरे व्यक्ति को जवाब देने का मौका दें | इसी तरह, जब वो आपसे कुछ पूछें, उन्हें एक शब्द से ज़्यादा में जवाब देने की कोशिश करें | [३]
    • अगर आपको कोई बात नहीं मालूम है, तो पूछने में सकुचायें नहीं | उदाहरण के तौर पर अगर आपका दोस्त किसी ऐसी मूवी के बारे में पूछता है जो आपने नहीं देखी है तो सीधा ये नहीं बोलें, “मैंने नहीं देखी है ” इसके बाद बोलें, “वैसे देखने में रोचक लग रही है | मुझे उसके बारे में और बताओ | ”
  4. कम समय में ज़्यादा जानकारी देने की कोशिश नहीं करें | दोस्ती का विकसित होना धीमे धीमे होता है और उसमें आपस में विश्वास बहुत ज़रूरी है | हर बार जब आप बात करें, अपने बारे में थोड़ी जानकारी बांटें | [४]
    • उदाहरण के तौर पर, आप अपने प्रेम सम्बन्ध से जुड़े मसलों के बारे में नहीं बताना शुरू कर सकते हैं | ऐसे विषयों से शुरू करें जो कम निजी हैं, और जैसे जैसे दोस्ती मज़बूत हो और निजी जानकारी बांटते रहे |
    • आपका दोस्त आपके साथ क्या बाँटना चाहते उसमें भी संयम बरतें: अगर आप निजी राज़ों के बारे में बात करना चाहते हों, लेकिन वो सिर्फ अपनी बिल्ली की बातें करना चाहते हैं, तो इस बात को समझें, और जब तक आपस में विश्वास नहीं बढ़ जाए तब तक राज़ बताने से परहेज करें |
    • इसी तरह से, अगर कोई दोस्त आपसी आपकी सुविधा से ज़्यादा नज़दीकी की बातें कर रहा है, तो उसे बता दें , “मुझे नहीं पता की ये सब बातें करने के लिए में उपयुक्त व्यक्ति हूँ की नहीं |”
  5. दोस्ताना बातचीत सिर्फ शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं होती है | अपनी बॉडी लैंग्वेज को मित्रतापूर्ण रखते हुए अपने दोस्त की आँखों में आँखें डालें और, कंधे खुले छोड़ कर आगे को झुक कर खड़े हों | इससे उन्हें लगता है की आप खुले विचारों वाले व्यक्ति हैं और बातचीत के लिए भी तैयार हैं | [५]
    • इतना भी आगे नहीं झुकें की उनको ये दखलंदाज़ी लगे | इरादा बस ये है की थोड़ा आगे झुक कर अपनी रूचि दिखाई जाए, ना की उन्हें किसी प्रकार से असहज महसूस कराया जाए |
विधि 2
विधि 2 का 3:

मुश्किल विषयों पर चर्चा करना

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  1. आपको शायद पूरी तरह से इस बात का एहसास नहीं हो की आपका दोस्त किस तकलीफ से गुज़र रहा है, पर आप उन्हें ये जता सकते हैं, की आप उन्हें हमेशा समर्थन देंगे | उन्हें विश्वास दिलाएं की वह अकेले नहीं है और अगर ज़रुरत हुई तो आप उनकी बात सुनने और मदद करने के लिए तैयार हैं | [६]
    • ऐसे समय किसी ऐसे वक़्त की बात छेड़ना सही होगा जब आप भी परेशान थे और मदद के लिए गुज़ारिश कर रहे थे | इससे उस दोस्त को लगेगा की मुश्किल समय सबकी ज़िंदगी में आता है और दूसरे से बाँटना बेहतर होता है |
  2. सही सवाल पूछने से आपको न सिर्फ इस बात का अंदाज़ा लगेगा की आपके दोस्त के दिमाग और दिल में क्या चल रहा है, उससे बाहर आने में उसे मदद भी मिलेगी | कोशिश करके खुले सवाल पूछें और ज़्यादा पूछताछ करने के बजाय दोस्त के मन की बात उसी से जानें | [७]
    • ऐसे सवाल जैसे, “अब तुम्हें कैसा लग रहा है?” आपके दोस्त को अपनी मन की बात कहने के लिए ज़्यादा गुंजाईश देते हैं नाकि ऐसे सवाल, “क्या तुम पागल हो?”
  3. आपके दोस्त के लिए अपनी मन की बात कहने के लिए बहुत हिम्मत लगी होगी, खास तौर से अगर उन्होनें कुछ ऐसा किया है जो शर्मनाक है | कोई धारणा बनाये बिना उनके मन की बात सुनें | आपको जो वो कह रहे हैं या उन्होनें किया है उससे सहमत होने की ज़रुरत नहीं है, पर ये याद रखें की सभी लोग ग़लतियाँ करते हैं | सुनें, और समझें की आपके दोस्त में भी और लोगों के जैसे कुछ ख़ामियाँ हैं | [८]
    • समस्याओं के लिए किसी पर इलज़ाम लगाने से बचें: मसलन अगर आपके दोस्त ने किसी टेस्ट में चीटिंग की है, तो उन्हें ये नहीं कहें की वो एक ख़राब छात्र हैं | इसके बजाय, कहें, “मैथ्स एक मुश्किल विषय हो सकता है | अगली बार चीटिंग करने के बजाय, क्यों ना हम साथ में होम वर्क करें ताकि में तुम्हें सही से पढ़ा पाऊँ?”
  4. अगर आपके दोस्त को इस मुश्किल समय से निकलने में मदद चाहिए तो उनकी सहायता करें | अकेले मदद माँगना थोड़ा मुश्किल काम हो सकता है | उनके साथ जाने की पेशकश करें या अन्य विकल्पों को समझने में मदद करें | इससे उन्हें लगता है की वह अकेले नहीं हैं, और मुश्किल समय में मदद माँगना गलत नहीं है | [९]
    • उदाहरण के तौर पर, अगर आपके दोस्त डिप्रेशन के शिकार हैं, तो वो थेरेपिस्ट के पास जाने से कतरा रहे होंगे | डिप्रेशन में सहायता करने वाले कुछ आस पास के थेरेपिस्ट्स की खोज करने की पेशकश कर उनकी मदद करें |
विधि 3
विधि 3 का 3:

अच्छे श्रोता बनें

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  1. अगर आपका दोस्त कहे की वह बात नहीं करना चाहता तो उसका समर्थन करें: अगर कोई दोस्त दुःख या दर्द महसूस कर रहा है और कहे की वो अपनी भावनाओं के बारे में बात नहीं करना चाहता है, तो ये कष्टदायक होता है | आप एक अच्छे दोस्त के तौर पर उनकी मदद करना चाहते है, और आपको लगता है की यदि वो अपने मन की बात नहीं करेंगे तो ऐसा नहीं कर पाएंगे | वैसे तो ये मुश्किल है, पर ऐसी स्थिति में ये बेहतर है की आप अपने दोस्त को थोड़ी देर उसके दुःख के साथ छोड़ दें | [१०]
    • उन्हें कहें, “कोई बात नहीं, अगर तुम बात नहीं करना चाहते तो में दबाव नहीं डालूँगा | बस ये याद रखना की अगर बाद में तुम्हें किसी से अपने मन की बात करने का दिल हो तो में तुम्हारी बात सुनने के लिए यहाँ हूँ |”
    • आपका दोस्त आपसे बात नहीं करना चाहता है इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं | हो सकता है की उन्हें खुद ही नहीं पता की किसी परिस्थिति के बारे में क्या सोचना है | या वो उसे भूल जाना चाहते हैं | वो उस विषय के बारे में बात करने में असहज महसूस कर रहे हैं | इसे निजी तौर पर नहीं लें | ऐसा सोचने के लिए उनका सम्मान करें
  2. एक्टिव लिसनिंग ऐसे तरीके हैं जिनसे आप अपने दोस्त को ये दिखा सकते हैं की जो भी वो कह रहे हैं आप ध्यान से सुन रहे हैं | इसमें शामिल है शरीर को ढीला छोड़ना, बिना सोचे समझे राय या धारणाएं नहीं देना, और अपने दोस्त की बातों में रूचि दिखाना | [११]
    • आपका दोस्त जो कह रहा है उसे दोबारा अपने शब्दों में कहें: इससे उन्हें पता चलता है की आप उनकी बातों पर ध्यान दे रहे हैं |
    • सहानुभूति प्रकट करें | एक्टिव लिसनिंग में सहानुभूति बहुत ज़रूरी है | अगर आपका दोस्त आपके या किसी और के प्रति नकारात्मक ख्यालों से ग्रस्त है, तो उनसे सवाल पूछने के बजाय उनकी भावनाओं की पुष्टि करें |
    • उदाहरण के तौर पर, अगर आपका दोस्त अपनी नौकरी को लेकर परेशान है, जब तक उनकी बात खत्म नहीं हो जाए ध्यान से सुनते रहे | फिर, उनकी बात को अपने शब्दों में सहानुभूति प्रकट करते हुए कहें, “जो मैंने सुना उससे लग रहा है की तुम अभी बहुत तनाव में हो, और मैं समझ सकता हूँ की इतना काम किसी को भी तनाव दे सकता है |”
  3. जब आपका दोस्त बात कर रहा होगा तब आपके पास कई सवाल होंगे या उसकी कहानी से आपको अपनी कहानी याद आ रही होगी | जो भी है, ये ज़रूरी है की जब आपका दोस्त बात कर रहा हो आप उसकी बात काटें नहीं | इससे उन्हें लगेगा की वो जो भी कह रहे हैं वो आपके लिए अहम् है | [१२]
    • अगर कोई ऐसी बात है जिसका हल आप निकालना चाहते हैं लेकिन आपका दोस्त अभी भी बात कर रहा है, तो उस बात को ध्यान में रख लें | इसे आप अपने मस्तिष्क में याद रख सकते हैं या किसी कागज़ के टुकड़े पर भी लिख सकते हैं |

सलाह

  • जब आप अपने दोस्त से बात कर रहे हों तो ईमानदार रहे | ज़रूरी नहीं की दोस्ती को बनाये रखने के लिए आपको उनकी हर बात से सहमत होना हो या उनकी स्थिति को अपनाना हो | अपने विचारों को प्रकट करते हुए तमीज़ के दायरे में रहे |

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