आर्टिकल डाउनलोड करें आर्टिकल डाउनलोड करें

लेजी आइ (Lazy Eye), जिसे एंबीलोपिया (amblyopia) के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर बचपन में डेवलप होती है और लगभग 2 से 3% बच्चों को प्रभावित करती है। [१] एंबीलोपिया अक्सर किसी परिवार में सभी को होती है। अगर इसे जल्दी पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो इसकी वजह से आँखों की रौशनी भी जा सकती है। [२] भले ही कुछ मामलों में लेजी आइ सीधे नजर आ जाती है, लेकिन कुछ बच्चों में इसकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है। कभी-कभी, यहाँ तक कि बच्चे तक को इस परेशानी के बारे में पता नहीं चल पाता। एंबीलोपिया को डाइग्नोज करने और इसका इलाज करने के लिए, जितना हो सके, उतनी जल्दी एक नेत्र विशेषज्ञ (ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट) या फिर ऑप्टामिट्रिस्ट (optometrist) से कन्सल्ट कर लेना चाहिए। [३] आप आपके बच्चे में लेजी आइ की जांच करने के लिए कुछ तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन आपको हमेशा एक आइ केयर प्रोफेशनल (अच्छा होगा, अगर उसके पास बच्चों की आँखों की देखभाल की ट्रेनिंग हो) से कन्सल्ट कर लेना चाहिए।

विधि 1
विधि 1 का 6:

लेजी आइ की जांच करना (Checking for a Lazy Eye)

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. जब ब्रेन को आँख के साथ सही तरीके से कम्युनिकेट करने में मुश्किल होती है, तब एंबीलोपिया का जन्म होता है। ये उस समय भी हो सकता है, जब आपकी एक आँख का फोकस दूसरी के मुक़ाबले ज्यादा अच्छा हो। [४] क्योंकि एंबीलोपिया में किसी भी तरह के नजर आने वाले अंतर या विकृति समझ नहीं आते हैं, इसलिए इसकी पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। एक बार आइ डॉक्टर के पास जाना ही एंबीलोपिया को डाइग्नोज करने का एकमात्र तरीका होता है। [५]
    • भेंगापन या स्ट्रैबिस्मस (Strabismus), एंलीबायोपिया होने के पीछे की एक सबसे कॉमन वजह होता है। स्ट्रैबिस्मस आँखों के अलाइनमेंट में आई ऐसी गड़बड़ी है, जिसमें एक आँख अंदर की ओर (एसोट्रोपिया, esotropia), बाहर की तरफ (एक्सोट्रोपिया, exotropia), ऊपर (हाइपरट्रोपिया, hypertropia) या नीचे (हाइपोट्रोपिया, hypotropia) चली जाती है। इसे कभी-कभी “आवारा आँख (wandering eye)” की तरह जाना जाता है। आखिरकार, “स्ट्रेट या सीधी आँख” ब्रेन तक आने वाले विजुअल सिग्नल्स पर ज्यादा हावी होना शुरू कर देती है, जिससे “स्ट्रैबिस्मसिक एम्ब्लोपिया (strabismic amblyopia)” होता है। हालांकि, जरूरी नहीं है कि सारी लेजी आइ स्ट्रैबिस्मस या भेंगेपन से ही जुड़ी हों। [६]
    • एंबीलोपिया शायद ड्रूपी आइलिड (या नीचे की तरफ झुकी हुई पलकों) जैसी किसी एक स्ट्रक्चर संबंधी समस्याओं की वजह से भी हो सकता है। [७]
    • आँखों की दूसरी परेशानियाँ, जैसे कि मोतियाबिंद (आँख में एक “धुंधला सा” स्पॉट) या ग्लोकोमा (glaucoma) भी लेजी आइ के पीछे की एक वजह हो सकती हैं। इस तरह के एंबीलोपिया को “डेप्रवैशन एंबीलोपिया (deprivation amblyopia)” कहा जाता है और इसका इलाज सर्जरी के जरिए ही किया जाना चाहिए [८]
    • हर एक आंख के अपवर्तन (refraction) के बीच में आया गंभीर अंतर भी एंबीलोपिया के पीछे की वजह हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों की एक आंख में करीब की नजर मजबूत (nearsighted) और दूसरी में दूर की नजर मजबूत (farsighted) होती है (जो ऐसोमेट्रोपिया के रूप में पहचाने जाने वाली एक कंडीशन)। ऐसे में ब्रेन इस्तेमाल करने के लिए एक आँख को चुन लेगा और दूसरी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देगा। इस तरह के एंबीलोपिया को “रिफ्रैक्टिव एंबीलोपिया (refractive amblyopia)” कहा जाता है। [९] [१०]
    • कभी-कभी, बाइलैटरल एंबीलोपिया (bilateral amblyopia) दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है। जैसे, एक बच्चा दोनों आँखों में मोतियाबिंद लेकर पैदा हो सकता है। एक आइ केयर प्रोफेशनल ही इस टाइप के एंबीलोपिया को डाइग्नोज कर सकते हैं और इसके लिए ट्रीटमेंट भी प्रोवाइड कर सकते हैं।
  2. हो सकता है कि आपका बच्चा आप से उसकी देखने की क्षमता (vision) के बारे में शिकायत करे। समय के साथ, एंबीलोपिया हुए इंसान की एक आँख की रौशनी शायद दूसरे के मुक़ाबले बेहतर होना शुरू कर देगी। एक प्रोफेशनल आइ एक्जाम ही अपने बच्चे में लेजी आइ के होने का पता लगाने का एकमात्र तरीका है, लेकिन ऐसे कुछ लक्षण जरूर हैं, आप जिन्हें देखने की कोशिश कर सकते हैं। [११] [१२]
    • अगर आप उसकी एक आँख को ढँकते हैं, तो वो चिढ़ने लग जाता या बेचैन हो जाता है। कुछ बच्चे उनकी आँख को ढंकने पर परेशान होना या चिढ़ना शुरू कर सकते हैं। ये इस बात का एक संकेत हो सकता है कि आँखें ब्रेन तक एक-समान रूप से विजुअल सिग्नल्स नहीं भेज रही हैं। [१३]
    • गहराई की समझ में मुश्किल होना। आपके बच्चे को शायद गहराई को महसूस करने में परेशानी हो सकती है (स्टेरोएप्सिस) और उसे 3-D फिल्म देखने में भी परेशानी हो सकती है। आपके बच्चे को शायद दूरी पर मौजूद चीजों, जैसे कि स्कूल में दूर रखे बोर्ड को देखने में भी तकलीफ हो सकती है।
    • बेकाबू आँख। अगर आपके बच्चे की आँख मिस-अलाइन या (सीध में न होना) नजर आएँ, तो उसे शायद स्ट्रैबिस्मस या भेंगापन हो सकता है, जो एंबीलोपिया के पीछे का एक बहुत कॉमन कारण है।
    • बार-बार कनखी मारना (squinting), रगड़ना और सिर को झुकाना। ये सभी धुंधली दृष्टि के संकेत हो सकते हैं, जो सभी एंबीलोपिया के कॉमन साइड इफ़ेक्ट्स हैं।
    • स्कूल में कोई तकलीफ होना। कभी-कभी, एंबीलोपिया की वजह से बच्चे को स्कूल में मुश्किल हो सकती है। बच्चे के टीचर से बात करें और उनसे पूछें कि आपके बच्चे से दूर से पढ़ने का बोलने पर कहीं वो कोई बहाना (जैसे, “मेरा सिर चकरा रहा है” या, “मेरी आँख में खुजली आ रही है”) तो नहीं बनाता। [१४]
    • 6 महीने से कम उम्र के बच्चे की आँख में मिस-अलाइनमेंट (misalignment) या फिर विजन प्रॉब्लम का पता लगाने के लिए आपको आपके आइ केयर स्पेशलिस्ट से बात करना चाहिए। इस उम्र में, आपके बच्चे के विजन अभी भी बन रहे होते हैं, कि आप चाहे कोई भी टेस्ट क्यों न कर लें, उससे आपको कोई रिजल्ट नहीं मिलेगा। [१५]
  3. किसी बढ़ती हुई चीज के साथ अपने बच्चे के रिस्पोंस को चेक करके देखें, अगर उसकी एक आँख, दूसरी आँख से धीमा रिस्पोंस दे रही हो। एक अच्छे ब्राइट (तेज) कलर के कैप वाला एक पेन या फिर ब्राइट कलर की किसी चीज को लेकर आएँ। अपने बच्चे से उसके एक खास भाग (जैसे, पेन का कैप, पेंसिल के ऊपर का नोंक वाला भाग) के ऊपर फोकस करने का कहें। [१६]
    • जब आपका बच्चा उस चीज के कलर वाले भाग की ओर फोकस करे, तब उससे कहें कि वो पूरे समय उसी भाग के ऊपर फोकस बनाए रखे।
    • उस चीज को धीरे-धीरे पहले दाएँ और फिर बाएँ तरफ ले जाएँ। फिर, ऊपर और नीचे ले जाएँ। जब आप ऑब्जेक्ट को मूव करें, तब बहुत सावधानी के साथ बच्चे की आँख को परखें। आपको नोट करना है कि ऑब्जेक्ट को फॉलो करते समय कहीं उसकी एक आँख, दूसरी आँख से धीमी प्रतिक्रिया तो नहीं दे रही है।
    • अपने बच्चे की एक आँख को ढँकें और ऑब्जेक्ट को एक बार फिर से: बाएँ, दाएँ, ऊपर और नीचे मूव करें। दूसरी आँख को ढँकें और टेस्ट को एक बार फिर से दोहराएँ।
    • दोनों आँखों की प्रतिक्रिया को नोट करें। इससे आपको ये समझने में मदद मिलेगी कि कहीं कोई एक आँख दूसरी आँख से धीमी प्रतिक्रिया तो नहीं कर रही है।
  4. अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे की आँख सही तरह से अलाइन नहीं है, तो फिर आँख की फोटो से इसे चेक करें। इस तरह से फ़ोटो पर काम करके आपको किसी परेशानी की तरफ इशारा करने वाले इंडिकेटर्स की जांच करने का ज्यादा टाइम मिल जाएगा। ये खासतौर पर नवजात और ऐसे यंग बच्चों के लिए उपयोगी होता है, जो शायद इतने समय के लिए एक जगह स्थिर नहीं रह पाते हैं कि आप उनकी आँख की जांच कर पाएँ। [१७] [१८]
    • अगर उनकी किसी पहले से मौजूद फोटो में भी उनकी आँखों के बारे में सही तरह से डिटेल्स नजर आ रही हैं, तो आप उसी फोटो को भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपके पास में ऐसी कोई फोटो नहीं है, जो आपके काम आए, तो फिर किसी से आपके लिए बच्चे की एक नई फोटोग्राफ निकालने में आपकी मदद करने का कहें।
    • लेजी आइ का पता लगाने के लिए एक छोटे से पेनलाइट के रिफ्लेक्शन का यूज करें। पेनलाइट को आपके बच्चे की आँख से करीब तीन फीट की दूरी पर रखने में किसी से मदद की मांग करें।
    • बच्चे से लाइट की ओर देखने का कहें।
    • जब लाइट आपके बच्चे की आँख पर चमके, तब उसकी आँख की एक पिक्चर निकाल लें।
    • उनके आइरिस (iris) या प्युपिल (पुतली) के एरिया में लाइट के सिमिट्रिकल रिफ्लेक्शन की तरफ ध्यान दें। [१९]
      • अगर लाइट दोनों ही आँखों में एक ही स्पॉट पर चमकती या रिफ्लेक्ट होती है, तो फिर आपके बच्चे की नजर सीधी हैं।
      • अगर लाइट की चमक एक-समान या सिमिट्रिकल नहीं है, तो शायद एक आँख अंदर या बाहर घूमी हो सकती है।
      • अगर आप श्योर नहीं हैं, तो फिर आँखों को फिर से चेक करने के लिए एक ही समय में कई सारी फोटो लें।
  5. इस टेस्ट को 6 महीने या इससे ज्यादा उम्र के बच्चों के ऊपर किया जा सकता है। ये कवर-अनकवर टेस्ट उनकी आँखों के सही तरह से अलाइन होने और एक-समान रूप से काम कर रहे होने की जांच करने में मदद कर सकता है। [२०]
    • अपने बच्चे को आपकी ओर फेस करके या फिर उसे किसी की गोद में सामने बैठा लें। आराम से उसकी आँख को अपने हाथ से या एक लकड़ी के चम्मच से कवर करें।
    • अपने बच्चे से उसकी खुली हुई आँख से कुछ सेकंड तक एक खिलौने को देखने का कहें।
    • उसकी ढँकी आँख को खोल दें और देखें वो किस तरह से रिस्पोंड करता है। देखें, कि कुछ समय के लिए बंद रहने की वजह से आँख वापस सीध में आ जाती है। ये एक ऐसी परेशानी की ओर इशारा कर सकता है, जिसे बच्चों के नेत्र विशेषज्ञ (pediatric ophthalmologist) से चेक कराया जाना चाहिए।
    • इसी टेस्ट को दूसरी आँख के लिए भी दोहराएँ।
विधि 2
विधि 2 का 6:

बच्चों के आइ केयर प्रोफेशनल से मिलना (Visiting a Pediatric Eye Care Professional)

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. बच्चों के नेत्र विशेषज्ञ (pediatric ophthalmologist) का पता लगाएँ: पीडीऐट्रिक ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट एक ऐसा डॉक्टर होता है, जिसे बच्चों की आँखों की देखभाल करने का नॉलेज होता है। भले ही सारे ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट पीडीऐट्रिक (बच्चों) पेशेंट्स का इलाज कर सकते हैं, लेकिन फिर भी अच्छा होगा, अगर आप बच्चों की आँख में होने वाले कई सारे डिसऑर्डर के बारे में ट्रेनिंग प्राप्त पीडीऐट्रिक स्पेशिलिटी वाले डॉक्टर से ही इलाज कराने की सलाह दी जाती है।
    • अपने एरिया के पीडीऐट्रिक ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट का पता लगाने के लिए ऑनलाइन सर्च करें। ऑनलाइन सर्च करके आपके आसपास मौजूद अच्छे पीडीऐट्रिक ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट के बारे में और उनकी लोकेशन के बारे में जानकारी मिल जाएगी। [२१] इसके साथ ही कई सारे एप पर डॉक्टर्स के क्लीनिक और हॉस्पिटल की लोकेशन का पता लगाने का फीचर भी होता है। [२२]
    • अगर आप पिछले एरिया में या छोटे शहर में रहते हैं, तो फिर शायद आपको एक स्पेशलिस्ट की तलाश करने के लिए अपने आसपास के शहर जाने की जरूरत भी पड़ सकती है। [२३]
    • फ्रेंड्स से या बच्चों वाले परिवार से रिकमेंडेशन की मांग करें। अगर आप ऐसे लोगों को जानते हैं, जिनके विजन में परेशानी है, तो उनसे किसी आइ डॉक्टर की रिकमेंडेशन मांगें। इससे आपको एक अंदाजा मिल जाएगा कि आपके लिए कौन सा डॉक्टर सही होने वाला है। [२४]
    • अगर आपका हैल्थ इंश्योरेंस है, तो फिर एक ऐसे प्रोवाइडर का इस्तेमाल करने की पुष्टि कर लें, जो आपके इंश्योरेंस प्लान में कवर हो सके। अगर आप इसे लेकर श्योर नहीं हैं, तो आप आपके इंश्योरेंस कंपनी को कॉल करके पूछ सकते हैं कि उसमें आपके सोचे हुए डॉक्टर के यहाँ होने वाला खर्च कवर होगा या नहीं। [२५]
  2. खुद को कुछ तरह के टेस्टिंग टूल्स और एक्जाम से अवगत करा लें: एक आइ केयर प्रोफेशनल खुद आपके बच्चे की आइसाइट (रौशनी) और कंडीशन को चेक करके तय करेगा कि आपके बच्चे को लेजी आइ की समस्या है या नहीं। [२६] इनके बारे में समझ रखना डॉक्टर के पास विजिट के दौरान आपको ज्यादा कम्फ़र्टेबल महसूस करने में मदद करेगा। ये आपके बच्चे को ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करने में मदद करेगा। [२७]
    • रेटिनोस्कोपी (Retinoscopy): डॉक्टर आँख की जांच करने के लिए रेटिनोस्कोप नाम के एक हैंडहेल्ड टूल का इस्तेमाल करेंगे। रेटिनोस्कोप आँखों में लाइट चमकाएगा। जब बीम मूव करेगी, तब डॉक्टर रेटिना के “रेड रिफ्लेक्स” को देखकर आँख के किसी भी रिफ्लेक्टिव एरर (जैसे कि नियरसाइटेड, फारसाइटेड, एस्टिग्मटिज़म) का पता करेंगे। ये मेथड नवजात बच्चों में भी ट्यूमर्स या केटरेक्ट को डाइग्नोज करने में मददगार होती है। आपके डॉक्टर शायद आपके बच्चे की आँख को इस मेथड के जरिए एग्जामिन करने के लिए एक आइ-डाइलेटिंग ड्रॉप्स (eye-dilating drops)का इस्तेमाल करेंगे। [२८]
    • प्रिज्म (Prisms): आपके डॉक्टर शायद आँख के साइट या विजन को चेक करने के लिए एक प्रिज्म का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। अगर रिफ्लेक्स सिमिट्रिकल या एक ही जैसा हैं, तो आँख स्ट्रेट हैं; अगर ये सिमिट्रिक नहीं हैं, तो बच्चे को स्ट्रैबिस्मस (जिसकी वजह से एंबीलोपिया होने की संभावना होती है) हो सकता है। डॉक्टर एक आँख के ऊपर प्रिज्म पकड़कर रखेंगे और उसे एडजस्ट करके रिफ्लेक्स को निर्धारित करेंगे। ये टेक्निक स्ट्रैबिस्मस के दूसरे टेस्ट के बराबर कनफर्म रिजल्ट तो नहीं देती है, लेकिन ये बहुत छोटे बच्चों की जांच करने के लिए जरूरी हो सकती है। [२९]
    • विजुअल एक्यूटी असेसमेंट टेस्टिंग (VAT): इस तरह की टेस्टिंग में कई तरह के एक्जाम शामिल हैं। सबसे बेसिक में जाने-माने “स्नेलन चार्ट (Snellen chart)" का उपयोग किया जाता है, जिसमें आपका बच्चा इस स्टैंडर्ड चार्ट में मौजूद पढ़ने लायक सबसे छोटे अक्षरों को पढ़ेगा। [३०] दूसरे टेस्ट में लाइट रिस्पोंस, प्युपिल रिस्पोंस, टार्गेट को फॉलो करने की क्षमता, कलर टेस्टिंग और डिस्टेन्स टेस्टिंग शामिल हैं। [३१] [३२] [३३]
    • फोटोस्क्रीनिंग (Photoscreening): फोटोस्क्रीनिंग को पीडीऐट्रिक के द्वारा विजन एक्जाम के लिए यूज किया जाता है। इसमें आँखों से लाइट रिफ्लेक्स का एक्जाम करके, स्ट्रैबिस्मस और रिफ्लेक्टिव एरर जैसी परेशानियों का पता लगाने के लिए एक कैमरा यूज किया जाता है। फोटोस्क्रीनिंग बहुत कम उम्र (तीन के अंदर की उम्र) के बच्चों के लिए काफी उपयोगी होती है, जिन्हें बैठने में मुश्किल जाती है, ऐसे बच्चे जो साथ देने को तैयार ही नहीं या फिर नॉन-वर्बल लर्निंग डिसऑर्डर या ओटिज्म जैसी डिसेबिलिटी वाले बच्चे। इसमें मुश्किल से एक मिनट से भी कम टाइम लगता है। [३४]
    • साइक्लोप्लेजिक रिफ्रेक्शन टेस्ट (Cycloplegic refraction test): ये टेस्ट तय करता है कि आँख का स्ट्रक्चर किस तरह से लेंस से इमेज को डिस्प्ले करता है और रिसीव करता है। आपके डॉक्टर इस टेस्ट को परफ़ोर्म करने के लिए आइ-डाइलेटिंग ड्रॉप्स का यूज करेंगे। [३५]
  3. जो भी होने वाला है, उसके बारे में अपने बच्चे को बता दें: छोटे बच्चे डॉक्टर के पास जाने जैसे नए माहौल में शायद थोड़ा डर महसूस कर सकते हैं। आइ एक्जाम के दौरान क्या होने वाला है, उसके बारे में अपने बच्चे को पहले से बता देना, आपके बच्चे को शांत रखेगा और साथ में उसे हौसला भी देगा। ये उसे एक्जाम के दौरान सही तरह से बिहेव करने में भी मदद करेगा। बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाने से पहले अगर हो सके, तो एक बार ये भी सुनिश्चित कर लें कि आपका बच्चा कहीं भूखा, नींद में या फिर प्यासा तो नहीं है, क्योंकि इस तरह की चीजों की वजह से बच्चा चिढ़ना या परेशान होने लग जाता है और फिर एक्जाम कर पाना मुश्किल बन जाता है। [३६]
    • डॉक्टर शायद बच्चे की आँख को डाइलेट करने के लिए एक आइ-डाइलेटिंग ड्रॉप का इस्तेमाल करेंगे। ये एक्जाम के दौरान उसकी आइ-साइट (eyesight) मे मौजूद रिफ्रेक्टिव एरर के लेवल का पता लगाने में मदद करेगा। [३७]
    • डॉक्टर आँखों में लाइट के रिफ्लेक्स को ऑब्जर्व करने में मदद के लिए शायद एक फ्लैशलाइट, पेनलाइट या दूसरे किसी टूल का यूज कर सकते हैं। [३८]
    • डॉक्टर शायद आँखों को गतिशीलता (eye motility) और मिस-अलाइनमेंट (misalignment) को पता करने के लिए किसी ऑब्जेक्ट और फोटोग्राफ का यूज भी कर सकते हैं।
    • आँख में किसी भी तरह की गड़बड़ी या फिर आँख की बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर शायद ऑप्थेल्मोस्कोप (ophthalmoscope) का या फिर इसी तरह के किसी दूसरे इक्विपमेंट का यूज कर सकते हैं। [३९]
  4. श्योर हो जाएँ कि आपका बच्चा उसकी आँखों के डॉक्टर के साथ में कम्फ़र्टेबल फील कर रहा है: अगर आपके बच्चे को विजन में परेशानी हुई, तो फिर शायद उसे डॉक्टर के ऑफिस में काफी ज्यादा टाइम (या जो शायद बच्चे के लिए ही ज्यादा टाइम कहलाता है) स्पेंड करना पड़ सकता है। ग्लासेस या चश्मे लगाने वाले बच्चों को साल में कम से कम एक बार जरूर चेकअप के लिए जाना चाहिए। [४०] आपके आइ डॉक्टर और बच्चे के बीच में एक अच्छी अंडरस्टेंडिंग (एक-दूसरे के साथ इंटरेक्ट करने का तरीका) रहना चाहिए। [४१]
    • आपको हमेशा ऐसा महसूस होना चाहिए कि आपके बच्चे का डॉक्टर भी आपके बच्चे की परवाह करता है। अगर आँख के डॉक्टर ने शुरुआत में सवालों का जवाब देने या आपके साथ में कम्युनिकेट करने से मना किया है, तो फिर बच्चे के लिए एक दूसरे डॉक्टर की तलाश कर लें। [४२]
    • आपको ऐसा नहीं फील होना चाहिए कि आप किसी भी डॉक्टर से जबरदस्ती में या फिर परेशान होकर इलाज करा रहे हैं। अगर आपको बहुत ज्यादा टाइम तक इंतज़ार करना पड़ा है, या फिर अपोइंटमेंट में ऐसा लगा, जैसे डॉक्टर बहुत जल्दी में है या फिर ऐसा लगा कि डॉक्टर आपके ऊपर चिढ़ रहा है, तो फिर किसी दूसरे डॉक्टर के पास जाने से जरा भी न हिचकिचाएँ। आपको आपकी जरूरत के हिसाब से एक बेहतर डॉक्टर मिल ही जाएगा। [४३]
  5. अपने बच्चे की आइ-साइट को एक्जामिन करने के बाद, ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट आपके बच्चे के लिए एक सही ट्रीटमेंट की रिकमेंडेशन तैयार कर सकता है। अगर आपके डॉक्टर ने आपके बच्चे में लेजी आइ होने का पता लगा लिया है तो इसकी थेरेपी में चश्मे, आइ पैच (eye patch) या मेडिटेशन शामिल हो सकता है।
    • ऐसा भी हो सकता है कि डॉक्टर शायद आँखों की मसल्स को उनकी सही जगह पर वापस अलाइन करने के लिए आँखों की सर्जरी कराने की सलाह भी दें। इस प्रोसीजर को जनरल एनिस्थिसिया के जरिए किया जाता है। बच्चे को जनरल एनिस्थिसिया दिया जाएगा। आँख पर एक चीरा (incision) लगाया जाएगा और आँख की मसल की लंबाई को या तो बढ़ाया जाएगा या फिर छोटा कर दिया जाएगा, जो पूरी तरह से इस बात पर डिपेंड करेगा कि आँख में क्या सुधार करने की जरूरत है। पैचिंग की जरूरत शायद अभी भी पड़ेगी। [४४]
विधि 3
विधि 3 का 6:

लेजी आइ का इलाज करना (Treating a Lazy Eye)

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. जैसे ही एंबीलोपिया के पीछे की वजह का पता चल जाए, फिर पैचिंग करना आमतौर पर ब्रेन को देखने के लिए कमजोर आँख का इस्तेमाल करने के लिए फोर्स करने का एक रिकमेंड किया तरीका होगा। [४५] जैसे, चाहे रिफ्रेक्टिव एंबीलोपिया जैसी परेशानी को सर्जरी के जरिए ठीक कर दिया गया हो, लेकिन तब भी ब्रेन के लिए फिर से उन सिगनल्स की पहचान करना शुरू करने के लिए पैचिंग की जरूरत पड़ेगी, जिन्हें पहले ब्रेन के जरिए नजरअंदाज किया जाते चला आ रहा है।
    • अपने आइ डॉक्टर से सैंपल पैच के बारे में पूछें। पैचिंग काम करे, इसके लिए जरूरी है कि पैच से एक आँख पूरी तरह से कवर हो जाना चाहिए। आपके डॉक्टर एक प्रोपर फिट के बारे में बता सकते हैं।
    • आप आमतौर पर एक इलास्टिक बैंड पैच या फिर अड़ेसिव पैच चुन सकते हैं।
    • एंबीलोपिया किड्स नेटवर्क (Amblyopia Kids Network) ने कई अलग-अलग तरह के आइ पैच को रिव्यू किया, साथ ही उन्हें कहाँ से खरीदा जाना चाहिए, इन्फोर्मेशन को भी बताया है।
  2. अपने बच्चे को दिन में दो से 6 घंटे के लिए पैच लगाने का कहें: पहले के समय में पैरेंट्स से कहा जाता था कि वो अपने बच्चे को हमेशा पैच लगाकर रखें, लेकिन हाल ही में हुई स्टडीज़ से पता चला है कि बच्चों में एक दिन में दो घंटे पैच का यूज करने के बाद भी विजन में सुधार देखा जा सकता है। [४६] [४७] [४८]
    • आपके बच्चे को धीरे-धीरे करके प्रिस्क्राइब किए टाइम तक पैच लगाना सीखना चाहिए। पहले एक दिन में तीन बार 20 से 30 मिनट के साथ शुरुआत करें। [४९] अब जब तक कि आपका बच्चा हर दिन प्रिस्क्राइब किए पूरे टाइम तक पैच पहनना शुरू न कर दे, तब तक धीरे-धीरे इस टाइम को बढ़ाते जाएँ। [५०]
    • बड़े बच्चे और सिवियर एंबीलोपिया वाले बच्चों को शायद हर रोज पैच को ज्यादा लंबे समय के लिए लगाना पड़ सकता है। आपके डॉक्टर रिकमेंड कर सकते हैं कि आपके बच्चे को कब और कितने समय के लिए पैच को लगाए रखना है।
  3. पैचिंग की वजह से कुछ ही हफ्तों के अंदर अच्छे रिजल्ट्स दिखने शुरू हो सकते हैं। हालांकि, कोई भी असर दिखाई देने में ट्रीटमेंट के बाद कुछ हफ्ते तक का समय लग सकता है। अपने बच्चे की आँख की हर महीने (या फिर आपके आइ केयर प्रोफेशनल के द्वारा रिकमेंड किए समय पर) फिर से टेस्टिंग करा के इंप्रूवमेंट चेक करें। [५१]
    • जब 6, 9 या 12 महीने के बाद कंडीशन ट्रीटमेंट के साथ बेहतर होते जाएँ, तब हर महीने इंप्रूवमेंट को चेक करते रहना जारी रखें। अलग-अलग बच्चों के लिए (और वो पैच को कितनी ईमानदारी के साथ यूज करते हैं) के अनुसार रिस्पोंस टाइम अलग हो सकता है। [५२]
    • जब तक आपको इंप्रूवमेंट नजर आते रहें, तब तक अपने बच्चे को पैच पहनाते रहें। [५३]
  4. ऐसी एक्टिविटीज़ करें, जिनमें आँख-हाथ से एक-साथ काम होता हो: बच्चे की स्ट्रॉंग आँख को पैच करके रखना और उसकी कमजोर आँख को ज्यादा से ज्यादा यूज करना, ट्रीटमेंट को और भी बेहतर बना देगा। [५४] [५५]
    • ऐसी आर्ट एक्टिविटीज़ शुरू कर दें, जिसमें कलरिंग, पेंटिंग, डॉट से डॉट जोड़ने और पेस्ट करना शामिल हो।
    • बच्चे की बुक में पिक्चर्स देखें और/या अपने बच्चे के साथ पढ़ें। [५६]
    • अपने बच्चे से उसमें दी हुई छोटी-छोटी डिटेल्स पर फोकस करने का कहें या फिर स्टोरी के वर्ड्स के ऊपर मिलकर काम करें। [५७]
    • एक बात का ध्यान रखें कि पैच यूज करने की वजह से आपके बच्चे की गहराई की समझ में कमी आएगी, इसलिए टॉस गेम शायद एक्सट्रा चेलेंजिंग हो सकते हैं।
    • बड़े बच्चों के लिए, वीडियो गेम्स को बच्चे की आँख के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार किया गया होता है। जैसे, Ubisoft जैसे सॉफ्टवेयर डेवलपर ने McGill University और Amblyotech के साथ मिलकर “Dig Rush” जैसा एक गेम तैयार किया है, जो एंबीलोपिया का इलाज करता है। अपने डॉक्टर से पूछें, कि ये ऑप्शन आपके बच्चे के लिए ठीक रहेगा या नहीं। [५८]
  5. कभी-कभी, ट्रीटमेंट उम्मीद के मुताबिक काम नहीं करते हैं। आपके आइ केयर प्रोफेशनल सबसे सही तरह से इसे डिसाइड कर सकते हैं। बच्चे अक्सर माहौल को आसानी से अपना लेते हैं। अपने आइ केयर प्रोफेशनल के टच में रहना आपको इस बात से अवगत कराएगा कि आपके बच्चे के ट्रीटमेंट के लिए कोई नया ऑप्शन काम आएगा या नहीं। [५९]
विधि 4
विधि 4 का 6:

दूसरे ट्रीटमेंट्स के बारे में सोचना (Considering Other Treatments)

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. अगर आपका बच्चा पैच को पहनना नहीं चाहता है या फिर पहन नहीं सकता है, तो फिर एट्रोपिन आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन रहेगा। एट्रोपिन ड्रॉप्स विजन को धुंधला कर देती है और इसे बच्चे में उसकी “खराब” आँख का इस्तेमाल करने के लिए, उसकी “अच्छी” आँख पर इस्तेमाल किया जा सकता है। ये बाकी के दूसरे ड्रॉप्स की तरह चुभते नहीं हैं। [६०]
    • कुछ स्टडीज़ से पता चला है कि आइ ड्रॉप्स भी एंबीलोपिया का इलाज करने में पैचेस की तरह ही या उनसे ज्यादा भी असरदार होते हैं। इनके असरदार होने के पीछे की एक वजह ये भी हो सकती है कि बच्चों के लिए ड्रॉप्स डालना, पूरे दिनभर पैच लगाकर घूमने से ज्यादा आसान होता है। इसलिए, बच्चों के द्वारा इस ट्रीटमेंट को अपनाने की संभावना ज्यादा रहती है। [६१]
    • इन ड्रॉप्स को पैचिंग की तरह लंबे समय के लिए यूज करने की जरूरत नहीं होती है। [६२]
    • एट्रोपिन ड्रॉप्स के कुछ संभावित साइड इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं, इसलिए अपने बच्चे के आँखों के डॉक्टर से बात किए बिना इन्हें यूज न करें। [६३]
  2. आइट्रोनिक्स फ्लिकर ग्लास ट्रीटमेंट (Eyetronix Flicker Glass treatment) के बारे में सोचें: अगर आपके बच्चे को हुआ एंबीलोपिया रिफ्रेक्टिव है, तो फिर फ्लिकर ग्लास ट्रीटमेंट आपके लिए एक अच्छा असरदार विकल्प हो सकता है। फ्लिकर ग्लास सानग्लासेस की तरह दिखता है। ये आपके आइ डॉक्टर के द्वारा बताई गई फ्रिक्वेन्सी पर स्पष्ट रूप से क्लियर और “घटती हुई” (बाधित) के बीच बारी-बारी से बदलकर काम करते हैं। ये बड़े बच्चों के लिए या फिर उन बच्चों के लिए, जिन्होंने किसी दूसरे ट्रीटमेंट के लिए रिस्पोंड नहीं किया है, के लिए एक अच्छी चॉइस हो सकते हैं। [६४]
    • ये ट्रीटमेंट हल्के से लेकर मीडियम एनिसोमेट्रोपिक एंबीलोपिया (anisometropic amblyopia) वाले बच्चों के लिए (मतलब अलग-अलग स्ट्रेंथ वाली आँख की वजह से हुआ एंबीलोपिया) सबसे अच्छा काम करता है।
    • आइट्रोनिक्स फ्लिकर ग्लास ट्रीटमेंट आमतौर पर 12 हफ्ते में पूरा हो जाता है। अगर आपके बच्चे ने एंबीलोपिया को ठीक करने के लिए पहले पैच यूज किया है, तो फिर ये शायद ज्यादा असरदार नहीं होगा। [६५]
    • ठीक बाकी के दूसरे वैकल्पिक ट्रीटमेंट की तरह ही, कोई भी ट्रीटमेंट ट्राई करने से पहले अपने बच्चे के आँखों के डॉक्टर से बात जरूर कर लें।
  3. एंबीलोपिया के लिए रिवाइटलविजन (RevitalVision) के बारे में सोचें: रिवाइटलविजन में आपके बच्चे के विजन में सुधार के लिए ब्रेन में स्पेसिफिक चेंज को स्टिमुलेट करने के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है। कंप्यूटर ट्रीटमेंट्स को घर पर भी (एवरेज, 40 मिनट के 40 सेशन में) किया जा सकता है। [६६]
    • रिवाइटलविजन शायद एंबीलोपिया के बड़े पेशेंट्स के लिए खासतौर से मददगार होता है।
    • आपको रिवाइटलविजन खरीदने के लिए अपने आइ डॉक्टर से कंसल्ट कर लेना चाहिए।
विधि 5
विधि 5 का 6:

आँख के एरिया की देखभाल करना (Caring for the Eye Area)

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. पैचिंग के दौरान आँख का एरिया शायद इरिटेट हो सकता है या उसमें इन्फेक्शन भी हो सकता है। अपने बच्चे के आँख के एरिया के ऊपर नजर बनाए रखें। अगर आपको उसकी आँख के आसपास रैश या कट्स नजर आएँ, तो अपने डॉक्टर या पीडिअट्रीशन से उसका इलाज करने के बारे में बात करें।
  2. इलास्टिक और एडेसिव, दोनों ही तरह के पैच आँख के आसपास की स्किन को इरिटेट कर सकते हैं और बहुत हल्के से रैश भी छोड़ सकते हैं। अगर हो सके, तो स्किन पर किसी भी तरह के डिस्कंफ़र्ट के रिस्क से बचने के लिए हाइपोएलर्जेनिक एडेसिव पैच (hypoallergenic adhesive patch) चुनें। [६७]
    • नेक्सकेयर (Nexcare) कई तरह के हाइपोएलर्जेनिक एडेसिव पैच बनाते हैं। ओर्टोंपैड (Ortopad) एडेसिव और ग्लास फिटिंग स्टाइल्स में हाइपोएलर्जेनिक एडेसिव पैचेस तैयार करते हैं। आप चाहें तो अपने बच्चे के डॉक्टर से रिकमेंडेशन भी मांग सकते हैं।
  3. अगर पैच के नीचे का एडेसिव पार्ट इरिटेट करने लग गया है, तो फिर एक गेज या पट्टी की मदद से पैच के आँख से बड़े एरिया को कवर करके देखें। मेडिकल टेप की मदद से पैच को बच्चे के चेहरे पर अटेच करें। फिर पैच को गेज से जोड़ दें। [६८]
    • आप पैच के एडेसिव के थोड़े से पार्ट को काट या ट्रिम कर सकते हैं, ताकि उसका कम से कम भाग स्किन को टच करे। इसके पीछे की ट्रिक ये है कि आपको इस बात की पुष्टि करना है कि आपकी नॉर्मल आँख अभी भी पैच से सिक्योर रूप से ढँकी है।
  4. एक ऐसे पैच को ट्राई करें, जिसे ग्लासेस से जोड़ा जा सके: क्योंकि ये आपकी स्किन के संपर्क में नहीं आएगी, पैच की ये स्टाइल स्किन इरिटेशन की मुश्किल को रोक सकती है। अगर आपकी स्किन बहुत सेंसिटिव है, तो आपके लिए ये एक ऑप्शन हो सकता है। [६९]
    • एक ऐसा पैच, जो ग्लासेस से जुड़ता है, वो कमजोर आँख के ऊपर एक अच्छा कवरेज प्रोवाइड कर सकता है। हालांकि, आपको ग्लासेस को साइड पैनल पर अटेच करना होगा, ताकि आपका बच्चा पैच के आसपास से देखने की कोशिश न कर सके।
  5. आँख के आसपास के एरिया को पानी से धोकर, उस पर रह गए उन निशानों को हटा दें, जो शायद पैच के निकलने के बाद भी बचे रह गए हों। स्किन को नम रखने में मदद पाने के लिए इमोलिएंट्स (emollients) या मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें। ये स्किन को खुद ही रिपेयर करने में मदद करेगा और आगे जाकर होने वाली किसी भी इन्फ़्लैमेशन से बचाकर रखेगी।
    • स्किन क्रीम या ओइंटमेंट्स शायद इन्फ़्लैमेशन को कम कर सकता है, लेकिन सारे इन्सट्रक्शन को सावधानी के साथ फॉलो किया जाना और प्रॉडक्ट को जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना भी जरूरी होता है। कुछ मामलों में, सबसे अच्छा ट्रीटमेंट है कि आप कुछ न करें और अपनी स्किन को कुछ समय के लिए "साँस या हवा" लेने दें। [७०]
    • अपने बच्चे की स्किन की इरिटेशन का इलाज करने में सलाह पाने के लिए अपने फिजीशियन से बात कर लें।
विधि 6
विधि 6 का 6:

लेजी आइ वाले बच्चे को सपोर्ट करना (Supporting a Child with a Lazy Eye)

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. आइ पैच ट्रीटमेंट को सक्सेसफुल बनाने के लिए जरूरी है कि आपका बच्चा इसे प्रिस्क्राइब किए पूरे समय तक लगाए रखना चाहिए। अगर बच्चे को मालूम होगा कि उसे क्यों पैच की जरूरत है, तो आपके लिए उसे सहमत कराना आसान हो जाएगा। [७१]
    • अपने बच्चे को समझाएँ कि ये इससे उसे किस तरह से मदद मिल सकती है और अगर वो इसे नहीं इस्तेमाल करता है, तो इससे क्या होगा। अपने बच्चे को बताएं कि पैच यूज करना उसकी आँखों को स्ट्रॉंग बना देगा। अपने बच्चे को डराए बिना उसे पता चलने दें कि पैच यूज नहीं करने की वजह से उसका विजन और भी बदतर हो सकता है।
    • अगर मुमकिन हो, तो अपने बच्चे से हर रोज उसके "पैच टाइम" का इनपुट शेड्यूल करने का कहें।
  2. फैमिली मेंबर्स और फ्रेंड्स से सपोर्ट करने का कहें: कम्यूनिकेशन ही अपने बच्चे को पैचिंग के साथ कम्फ़र्टेबल फील कराने का सबसे मददगार तरीका है। ऐसे बच्चे, जो सेल्फ-कांशस होते हैं या फिर आइ पैच पहनने को लेकर अजीब महसूस करते हैं, उनके इस ट्रीटमेंट के साथ सक्सेसफुली जुड़े रहने की संभावना कम रहती है।
    • अपने बच्चे के आसपास रहने वाले लोगों से उसके लिए सहानुभूति रखने के लिए कहें और उसे उसके ट्रीटमेंट के साथ जुड़े रहने के लिए एंकरेज करें।
    • अपने बच्चे को बताएं कि उसके आसपास ऐसे कई सारे लोग हैं, जिनके पास वो अपनी कोई भी परेशानी लेकर जा सकता है। अपने बच्चे के मन में मौजूद सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहें। अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को पैचिंग के पीछे की वजह बता दें, ताकि वो भी आपके बच्चे को सपोर्ट कर सकें।
  3. अपने बच्चे के टीचर या डेकेयर प्रोवाइडर से इस बारे में बात करें: अगर आपके बच्चे को स्कूल के दौरान पैच पहनना होता है, तो बच्चे के इंस्ट्रक्टर या उसकी देखभाल करने वाले को अपनी स्थिति समझा दें। [७२]
    • अपने बच्चे के टीचर से बच्चे के क्लासमेट्स को उसके पैच पहनने के पीछे की वजह को समझाने और वो किस तरह से आपके बच्चे के साथ में सपोर्टिव हो सकते हैं, के बारे में डिस्कस कर सकते हैं। इस बात की पुष्टि कर लें कि स्कूल ऑफिशियल्स और फेकल्टी को इस बारे में पता है कि पैच को लेकर बच्चे को किसी भी तरह से परेशान किया जाना सहन नहीं किया जाएगा।
    • डिस्कस करें कि आपके बच्चे को पैच पहनकर एकेडमिक में किसी तरह की छूट मिल सकती है या नहीं। जैसे, उसके टीचर से पूछें कि क्या आपके बच्चे को मुश्किल असाइनमेंट टाइम से थोड़ा पहले मिल सकता है, ट्यूशन्स मिल सकते हैं, वर्क प्लान ऑफर करें और/या हर हफ्ते या और समय के बाद स्टूडेंट की प्रोग्रेस को चेक करते रहें। ये सभी आपके बच्चे को पैचिंग के दौरान और भी ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करने में मदद कर सकते हैं और स्कूल में अच्छी परफ़ोर्मेंस मेंटेन कर सकते हैं।
  4. आपकी पूरी कोशिश के बाद भी, दूसरे बच्चे शायद आपके बच्चे को परेशान कर सकते हैं या फिर कोई ठेस पहुंचाने वाले कमेंट्स कर सकते हैं। उसे सुनने, आराम देने के लिए हमेशा तैयार रहें और अपने बच्चे को भरोसा दिलाएँ कि ये ट्रीटमेंट टेम्पररी है और जरूरी है। [७३]
    • उसका साथ निभाने के लिए खुद भी आइपैच पहनने के बारे में सोच सकते हैं। फिर चाहे ऐसा कभी-कभी होता हो, लेकिन अगर आपका बच्चा दूसरे एडल्ट्स को भी अपने साथ में पैचेस पहने देखेगा, तो आपका बच्चा शायद थोड़ा कम सेल्फ कांशस फील कर सकता है। डॉल और स्तफ़्ड एनिमल्स (टेडी बियर्स) को भी आइपैच लगाएँ। [७४]
    • अपने बच्चे को पैच को एक पनिशमेंट या सजा की बजाय, एक गेम की तरह समझने के लिए एंकरेज करें। भले ही आपके बच्चे को पैच यूज करने के पीछे की सही वजह मालूम भी क्यों न हो, लेकिन शायद वो इसे पनिशमेंट की तरह ही देखेगा। पाइरेट्स (मूवी के किरदार) और पैच पहनने वाले दूसरे फिगर के बारे में बताएं। अपने बच्चे को पैच पहनने के लिए उसी के साथ में कॉम्पटीशन करने का कहें।
    • ऐसी कई सारी बच्चों वाली बुक्स हैं, जो पैचिंग से निपटने में मदद कर सकती हैं। जैसे, माइ न्यू आइ पैच (My New Eye Patch), पैरेंट्स और बच्चों के लिए एक बुक में आइ पैच पहनने पर कैसा दिखने वाला है, को एक्सप्लेन करने के लिए फोटोग्राफ और स्टोरीज़ का यूज किया है। दूसरों के अनुभव के बारे में पढ़ना शायद अपने बच्चे के लिए खुद को नॉर्मल फील करने में मदद कर सकता है।
  5. अपने बच्चे के लिए, जब वो बिना किसी शिकायत या तकलीफ के पैच को पहने, तब उसे एक रिवार्ड देने का प्लान बनाएँ। रिवार्ड्स आपके बच्चे को पैच पहनने के लिए मोटिवेट रखने में मदद कर सकते हैं। (याद रखें, आपके बच्चे को लॉन्ग-टर्म रिवार्ड्स और उसके दुष्परिणामों के बारे में भी अच्छी तरह से मालूम है।)
    • अपने बच्चे की प्रोग्रेस का ट्रेक रखे के लिए एक कैलेंडर, चॉक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड पर पोस्ट कर दें।
    • जब वो किसी खास बेंचमार्क को पूरा कर ले, जैसे कि हफ्ते भर में हर रोज पैच पहने रखा, तब उसे स्टिकर्स, पेंसिल या छोटे खिलौने जैसा कोई प्राइज़ दें।
    • रिवार्ड्स को बहुत छोटे बच्चों के मन को भटकाने के एक तरीके की तरह इस्तेमाल करें: जैसे, अगर आपका बच्चा पैच को खींच लेता है, उसे बदल लें और बच्चे को उससे डिसट्रेक्ट करने के लिए एक खिलौना या और कोई दूसरा रिवार्ड दें।
  6. अपने बच्चे को हर दिन के साथ एडजस्ट करने में मदद करें: हर बार जब भी आपका बच्चा पैच लगाता है, तब उसके ब्रेन को इस तरह से स्ट्रॉंगली आँखों को कवर रखने के साथ एडजस्ट होने के लिए 10 से 15 मिनट का समय लगेगा। ब्रेन जब एक आँख के विजन के पाथवे (या रौशनी) को इग्नोर करना शुरू कर देता है, तब लेजी आइ की समस्या का जन्म होता है। पैचिंग ब्रेन को उन्हीं इग्नोर किए पाथवे को वापस पहचानने में मदद करता है। ये अनुभव उन बच्चों के लिए मुश्किल हो सकता है, जिन्हें शायद इसकी आदत नहीं। अपने बच्चे को कंफ़र्ट देने के लिए, उसके साथ में समय बिताएँ। [७५]
    • इस बदलाव को आसान बनाने में मदद पाने के लिए इस समय का इस्तेमाल कुछ मजेदार करने में करें। पैच और एक अच्छे अनुभव के बीच , में एक संबंध तैयार करना आपके बच्चे के लिए पैचिंग प्रोसेस को हैंडल करना आसान बना देगा। [७६]
  7. अगर आपका पैच एडेसिव टाइप का है, तो अपने बच्चे को पैच के बाहरी भाग को स्टिकर्स मार्कर से डेकोरेट करने दें। बेस्ट डेकोरेशन यूज करने और उसे सुरक्षित (जैसे, आपको उस पर ग्लिटर नहीं यूज करना है, क्योंकि ये सूखकर पपड़ी बन जाता है और आपके बच्चे की आँख में भी जा सकता है) तरीके से लगाने के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह मांगें। [७७] [७८]
    • पैच के अंदर के साइड (जो साइड अपनी आँख की ओर रहता है) को कभी न डेकोरेट करें।
    • डेकोरेट करने के बारे में कई तरह के आइडिया को पाने के लिए पिंटरेस्ट (Pinterest) जैसी डिजाइन वेबसाइट का यूज करें। प्रिवेंट ब्लाइंडनेस (Prevent Blindness) पर भी पैच को डेकोरेट करने के बारे में कुछ सुझाव मौजूद हैं। [७९]
    • एक डेकोरेशन पार्टी होस्ट करने के बारे में सोचें। आप आपके बच्चे के किसी फ्रेंड को उसके आइपैच को डेकोरेट करने का कह सकते हैं। ये आपके बच्चे को पैचिंग एक्सपीरियंस में थोड़ा कम अकेलापन महसूस करने में मदद कर सकता है।

सलाह

  • इस आर्टिकल में दी हुई टेकनिक्स को प्रोफेशनल आइ केयर ट्रीटमेंट के साथ में इस्तेमाल करें। ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट या ऑप्टामिट्रिस्ट से कंसल्ट किए बिना लेजी आइ को डाइग्नोइज करने या ट्रीट करने की कोशिश न करें।
  • हमेशा अपने और अपने बच्चे के बीच में कम्यूनिकेशन करने के लिए तैयार रहें। अपने आइ डॉक्टर के साथ भी बातचीत करते रहें। अगर आपके मन में कोई भी सवाल हो, तो अपने आइ डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
  • अगर आपके बच्चे की आँख सीधी नहीं रहती है, तो फोटोग्राफर को उसकी कंडीशन के बारे में बता दें, ताकि वो आपके बच्चे को इस तरह से पोजीशन कर सके, कि उसकी लेजी आइ पिक्चर में दिखाई न दे। ये आपके बच्चे को स्कूल में या इयरबुक में “पिक्चर्स डे” जैसे पिक्चर लेने वाले जरूरी दिन में कम सेल्फ-कांशस फील करने में भी मदद कर सकता है।

चेतावनी

  • अगर आप कोई भी अजीब साइड इफेक्ट देखते हैं, तो अपने बच्चे को तुरंत इमरजेंसी फेसिलिटी में ले जाएँ या फिर अपने डॉक्टर को कांटैक्ट कर लें।
  • अगर लेजी आइ जन्म से ही है, तो इसी दौरान यूटेरस (uterus) के जैसे दूसरे एरिया भी उसी समय पर डेवलप हो रहे होते हैं। अपने पीडीऐट्रिक से आपके बच्चे की किसी दूसरी परेशानी की पहचान करने के बारे आमें भी पूछ लें।
  • किसी भी तरह की परेशानी को ऑप्टामिट्रिस्ट या ऑफ्थैल्मालॉजिस्ट के द्वारा ही चेक किया जाना चाहिए। रौशनी कम होने से रोकने के लिए जल्दी पता लगाना और ट्रीटमेंट कराना जरूरी होता है। [८०]
  • अगर लेजी आइ का इलाज न किया जाए, तो बच्चे को माइल्ड से सिवियर तक विजन लॉस एक्सपीरियंस हो सकता है। [८१]

संबंधित लेखों

सेक्स की इच्छाओं पर काबू पाएँ (Control Sexual Urges)
एक कंडोम का प्रयोग करें
कैसे पता करें कि गर्भ में पल रहा बच्चा लड़की है या लड़का?
जल्दी सिक्स पैक एब्स प्राप्त करें
कड़े मल को सॉफ्ट बनाएं
सेक्स की अवधी बढ़ाएं (Kaise Sex ka Samay Badhaye)
अपने मन पर काबू पायें (Control Your Mind)
अल्ट्रासाउंड पिक्चर पढ़ें (Read an Ultrasound Picture)
किसी को अपनी आँखों से हिप्नोटाईज (सम्मोहित) करें (Hypnotize Kaise Kare, Kaise Kisi ko Apne Bas Me Kare)
काम वासना पर विजय पायें
वीर्य की मात्रा बढ़ाएँ (Sperm, Shukranu ki sankhya badhayen)
सेक्स के बारे में सोचना बंद करें (Stop Thinking About Sex)
उत्तेजित लिंग (इरेक्शन) को शांत करें
महिला कंडोम का इस्तेमाल करें
  1. http://www.medicinenet.com/script/main/art.asp?articlekey=20150
  2. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/lazy-eye/basics/symptoms/con-20029771
  3. http://kidshealth.org/parent/general/eyes/amblyopia.html#
  4. http://www.allaboutvision.com/conditions/amblyopia.htm
  5. http://www.preventblindness.org/signs-possible-eye-problems-children
  6. http://www.aoa.org/patients-and-public/good-vision-throughout-life/childrens-vision/infant-vision-birth-to-24-months-of-age?sso=y
  7. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/lazy-eye/basics/tests-diagnosis/con-20029771
  8. http://www.aapos.org/terms/conditions/101
  9. http://www.preventblindness.org/signs-possible-eye-problems-children
  10. http://blogs.detroitnews.com/parenting/2012/02/18/how-to-tell-if-your-infant-has-a-lazy-eye/
  11. http://blogs.detroitnews.com/parenting/2012/02/18/how-to-tell-if-your-infant-has-a-lazy-eye/
  12. http://www.aoa.org/doctor-locator-search?sso=y
  13. http://www.aapos.org/find
  14. http://www.aapos.org/terms/conditions/87
  15. http://www.webmd.com/eye-health/choosing-eye-doctor
  16. http://www.webmd.com/eye-health/choosing-eye-doctor
  17. http://www.aapos.org/terms/conditions/87
  18. http://www.urmc.rochester.edu/encyclopedia/content.aspx?ContentTypeID=90&ContentID=P02107
  19. http://www.aapos.org/terms/conditions/95
  20. http://www.aapos.org/terms/conditions/101
  21. http://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/003396.htm
  22. http://www.webmd.com/eye-health/vision-tests
  23. http://blogs.detroitnews.com/parenting/2012/02/18/how-to-tell-if-your-infant-has-a-lazy-eye/
  24. http://www.urmc.rochester.edu/encyclopedia/content.aspx?ContentTypeID=90&ContentID=P02107
  25. http://www.aapos.org/terms/terms/140
  26. http://www.urmc.rochester.edu/encyclopedia/content.aspx?ContentTypeID=90&ContentID=P02107
  27. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1705714/
  28. http://www.aapos.org/terms/conditions/87
  29. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1705714/
  30. http://www.aapos.org/terms/conditions/87
  31. http://kidshealth.org/parent/general/eyes/vision.html
  32. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1705714/
  33. http://kidshealth.org/parent/general/sick/talk_doctor.html
  34. http://www.webmd.com/eye-health/choosing-eye-doctor
  35. http://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/002961.htm
  36. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/lazy-eye/basics/treatment/con-20029771
  37. http://www.aapos.org/terms/conditions/21
  38. http://www.webmd.com/eye-health/news/20030512/lazy-eye-in-children-less-patch-time-ok?page=2
  39. https://www.nei.nih.gov/news/briefs/eye_patching
  40. http://www.blackrockeyecare.com/Childrens_Eyecare/patching-for-amblyopia
  41. http://www.webmd.com/eye-health/how-to-help-your-child-wear-an-eye-patch-to-treat-amblyopia#
  42. http://www.blackrockeyecare.com/Childrens_Eyecare/patching-for-amblyopia
  43. http://www.webmd.com/eye-health/news/20030512/lazy-eye-in-children-less-patch-time-ok?page=2
  44. http://www.blackrockeyecare.com/Childrens_Eyecare/patching-for-amblyopia
  45. http://www.aapos.org/terms/conditions/21
  46. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/lazy-eye/basics/definition/con-20029771
  47. http://www.webmd.com/eye-health/how-to-help-your-child-wear-an-eye-patch-to-treat-amblyopia#
  48. http://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/002961.htm
  49. http://www.slate.com/blogs/future_tense/2015/03/06/dig_rush_by_ubisoft_amblyotech_and_mcgill_university_aims_to_treat_amblyopia.html
  50. https://www.nei.nih.gov/news/briefs/eye_patching
  51. http://www.stritch.luc.edu/depts/ophtha/adult_strabismus/atropine_drops.htm
  52. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1172103/
  53. http://www.m.webmd.com/eye-health/news/20041101/weekend-treatments-may-correct-lazy-eye
  54. http://www.stritch.luc.edu/depts/ophtha/adult_strabismus/atropine_drops.htm
  55. http://www.aaopt.org/eyetronix-flicker-glass-efg-treatment-refractive-amblyopia
  56. http://www.aaopt.org/eyetronix-flicker-glass-efg-treatment-refractive-amblyopia
  57. http://www.revitalvision.com/Amblyopia/
  58. http://www.pamf.org/eye/patients/amblyopia-patching.html
  59. http://www.webmd.com/eye-health/how-to-help-your-child-wear-an-eye-patch-to-treat-amblyopia#
  60. http://www.webmd.com/eye-health/how-to-help-your-child-wear-an-eye-patch-to-treat-amblyopia#
  61. http://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/000869.htm
  62. http://www.pamf.org/eye/patients/amblyopia-patching.html
  63. http://florida.preventblindness.org/helping-hints-dealing-amblyopia-lazy-eye
  64. http://www.webmd.com/eye-health/how-to-help-your-child-wear-an-eye-patch-to-treat-amblyopia
  65. http://littlefoureyes.com/resources/collected-wisdom/#patching
  66. http://www.pamf.org/eye/patients/amblyopia-patching.html
  67. http://www.webmd.com/eye-health/how-to-help-your-child-wear-an-eye-patch-to-treat-amblyopia#
  68. http://www.pamf.org/eye/patients/amblyopia-patching.html
  69. http://www.webmd.com/eye-health/how-to-help-your-child-wear-an-eye-patch-to-treat-amblyopia#
  70. http://www.preventblindness.org/helping-hints-dealing-amblyopia-lazy-eye
  71. http://www.aapos.org/terms/conditions/21
  72. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/lazy-eye/basics/definition/con-20029771

विकीहाउ के बारे में

सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो ७,२९२ बार पढ़ा गया है।

यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?