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इंजेक्शन के जरिये दी जाने वाली दवाओं को अपने घर के अंदर भी सुरक्षित और सटीक रूप से दिया जाना मुमकिन है। इंजेक्शन को अच्छी तरह से लगाना सीखने से, रोगी के साथ-साथ इंजेक्शन दे रहा व्यक्ति और आसपास के वातावरण को भी महफूज रखा जा सकता है। घर पर दिये जाने वाले इंजेक्शन के दो कॉमन टाइप में, सब्क्यूटेनियस (Subcutaneous), जिसका मतलब सुई को त्वचा में और फैट टिशूज में (जैसे कि, इंसुलिन इंजेक्शन्स) डाला जाता है, और इंट्रामस्क्यूलर (intramuscular) इंजेक्शन्स, जिन्हें मसल में डालने के लिए धीमे से अंदर डाला जाता है। अगर आपको खुद को इंजेक्शन्स देने पड़ते हैं या फिर आप आपके क्लोज फ्रेंड को या फ़ैमिली मेम्बर को इंजेक्शन्स दिया करते हैं, तो इसके लिए आपको पहले अपने उस हैल्थ केयर प्रोवाइडर से इंजेक्शन्स देना सीखना होगा, जो आपको इंजेक्ट करने वाली दवाइयाँ प्रिस्क्राइब कर रहा है।

विधि 1
विधि 1 का 4:

इंजेक्शन देने की तैयारी करना

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  1. आपके डॉक्टर या हैल्थ केयर प्रोवाइडर के द्वारा आपको दिये जाने वाले इंजेक्शन के टाइप के बारे में अच्छी तरह से बता दिया जाएगा और साथ ही इसे लगाने की टेक्निक भी बताई जाएगी। जब आप तैयार हों, तब आपकी दवाइयों के साथ में आए हुए डिटेल्ड इन्सट्रक्शन्स को पढ़ें, साथ ही आपके डॉक्टर, नर्स या फार्मेसिस्ट के द्वारा दी हुई डाइरेक्शन को भी याद कर लें। अगर आपके मन में इंजेक्शन को कब और कैसे देना है के ऊपर कोई भी सवाल या डाउट आ रहा हो, तो अपने डॉक्टर, नर्स या फार्मेसिस्ट से बात करें। अगर आप सही सीरिंज (syringe), नीडल (सुई) की लंबाई और नीडल गेज के ऊपर कनफ्यूज हों, तो आगे बढ़ने से पहले सवाल कर लें। [१]
    • कुछ दवाइयाँ रेडी-टू-यूज फॉर्म में आती हैं, वहीं कुछ दवाइयों के लिए आपको शीशी से दवा के साथ सुई भरने की जरूरत होती है।
    • इंजेक्शन के लिए जरूरी सप्लाईस को लेकर बहुत ज्यादा सावधानी बरतें। कुछ लोग घर पर एक से ज्यादा तरह के इंजेक्शन लिया करते हैं।
    • ऐसे में किसी एक इंजेक्शन के लिए आई हुई सीरिंजेस और नीडल्स के साथ में कनफ्यूज होना बहुत आसान है, जिन्हें शायद दूसरी दवाई के इंजेक्शन के साथ में यूज करना था।
  2. इंजेक्शन के जरिए दी जाने वाली सारी दवाओं की पैकेजिंग एक-जैसी ही नहीं हुआ करती। कुछ दवाइयों को दिये जाने से पहले इकट्ठा करना होता है। वहीं बहुत सारी तो इस तरह से पेक होकर आती हैं, कि उनमें आपकी जरूरत की हर एक चीज़ मौजूद रहती है, जिसमें सीरिंज और नीडल्स भी शामिल हैं। [२] फिर से, ये जरूरी है कि आपके हैल्थकेयर प्रोवाइडर आपको दवाइयों के बारे में सब-कुछ सिखाएँ और दवाई को तैयार करने के लिए जरूरी हर एक स्टेप भी बताएँ। बस इन्सट्रक्शन्स को पढ़ लेना या "कैसे करें" देख लेना ही सिर्फ काफी नहीं होता है — आपके पास में आपके मन में उठ रहे सवालों को पूछने का, और जानकारी पाने का और साथ ही जरूरत पड़ने पर मदद मिलने का, एक कोई सीधा जरिया होना ही चाहिए।
    • जब आप आपके डॉक्टर से बात कर लेते हैं, फिर आप प्रोडक्ट लिट्रेचर भी देख सकते हैं, जिसमें आपकी मदद के लिए, दवाई को तैयार करने के लिए स्टेप-बाइ-स्टेप इन्सट्रक्शन दिये गए होंगे। फिर से, इसे अपने हैल्थकेयर प्रोवाइडर से दवाई तैयार करने के और दवाई इस्तेमाल किए जाने के बारे में बात करने के विकल्प के रूप में न लिया जाए।
    • अगर पैकेजिंग में सीरिंज का साइज़, नीडल का साइज़ और नीडल गेज के बारे में कुछ नहीं दिया गया होगा, तो लिट्रेचर ये सब बताने में आपकी मदद करेगा।
    • एक ही शीशी (सिंगल डोज़ शीशी) में दिये हुए दवाई के डोज़ को दें। इंजेक्शन के जरिए दी जाने वाली ज़्यादातर दवाओं की कॉमन मैन्युफ़ेक्चरर पैकेजिंग में दवाई को एक शीशी में रखकर किया जाता है, जिसे सिंगल डोज़ शीशी कहा आता है।
    • दवाई के लेबल के ऊपर या तो “single dose vial” लिखा हुआ होगा या फिर उस पर इसे संक्षिप्त रूप में SDV लिखा गया होगा।
    • इसका मतलब ये है, कि हर एक शीशी में सिर्फ एक ही डोज़ रखा हुआ है। आपके द्वारा दिए जाने वाले डोज़ को तैयार करने के बाद शीशी में फ्लुइड (लिक्विड) बचा हुआ रहेगा।
    • शीशी में बचे हुए भाग को फेंक दिया जाना चाहिए और इसे अगले डोज़ के लिए सेव करके नहीं रखा जाना चाहिए।
  3. दूसरी कुछ दवाइयों को ऐसी मल्टी-डोज़ बॉटल में पैकेज किया जाता है, जिसमें से आप एक से भी ज्यादा बार डोज़ को निकालकर यूज कर सकते हैं।
    • इस तरह की दवाई के लेबल के ऊपर “multi-dose vial” या इसका छोटा नाम MDV लिखा हुआ होता है।
    • आप जिस दवाई का यूज कर रहे हैं, अगर वो इसी तरह की एक मल्टी-डोज़ शीशी में पेक है, तो इसे जिस भी डेट को पहली बार खोला गया है, उस डेट को एक परमानेंट मार्कर के जरिए, उस कंटेनर पर लिख दें।
    • डोज़ के बीच में दवाई को रेफ़्रिजरेटर में स्टोर करके रखें। दवाई को फ्रीज़ न करें।
    • मल्टी-डोज़ में मौजूद दवाई को तैयार करते वक़्त, कई तरह के प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल किया गया होगा। ये इनमें किसी भी तरह का संक्रमण बनने से रोकने में मदद करते हैं, लेकिन ये शीशी के खुलने के सिर्फ 30 दिनों तक ही दवाई की शुद्धता की रक्षा कर पाते हैं।
    • अगर डॉक्टर ने आपको किसी और तरह की सलाह न दी हो, तो शीशी को खोले जाने के 30 दिन पूरे हो जाने के बाद बॉटल को फेंक दिया जाना चाहिए।
  4. आपको मेडिकेशन पैकेज या शीशी की जरूरत पड़ेगी, प्रोडक्ट के साथ में आई हुई सीरिंज लगेगी, खरीदी हुई एक सीरिंज नीडल यूनिट की या फिर अलग से एक ऐसी सीरिंज और नीडल, जिसे काम के वक़्त एक-साथ रख दिया जाए, की जरूरत पड़ेगी। बाकी की दूसरी चीजों में आपको अल्कोहल पैड्स, एक छोटे से गेज पैड की या एक कॉटन बॉल, एक बैंड-एड और एक शार्प्स कंटेनर (sharps container) की जरूरत पड़ेगी। [३]
    • दवाई की बॉटल से बाहरी सील को निकाल दें, फिर एक अल्कोहल पैड से ऊपर मौजूद रबर वाला भाग पोंछ लें। अल्कोहल पैड से साफ करने के बाद, उस जगह को हमेशा हवा में सूखने दिया करें। शीशी के ऊपर कभी भी मुंह से हवा न छोड़ें, न ही इसे अपने हाँथ की स्किन से डाइरेक्ट साफ करें, क्योंकि इसकी वजह से इन्फेक्शन बगैरह फैल सकता है।
    • ब्लीडिंग कम करने के लिए इंजेक्शन की जगह पर प्रैशर अप्लाई करने के लिए गेज पैड या कॉटन बॉल का यूज करें। इसे बैंड-एड से कवर कर दें।
    • ये शार्प कंटेनर, पेशेंट की सुरक्षा के लिए, इंजेक्शन देने वाले के लिए और कम्यूनिटी को नुकसान पहुंचा सकने वाले बायोहेजार्ड (biohazard) मटेरियल्स से बचाए रखने के हिसाब से जरूरी माना जाता है। ये कंटेनर मोटा, प्लास्टिक का, बिन (डस्ट-बिन) की तरह डिजाइन किया हुआ एक बॉक्स होता है, जिसमें शार्प चीजों को डाला जा सकता है। शार्प्स में धारदार चाकू, सीरिंजेस और नीडल्स शामिल होते हैं। जब शार्प्स कंटेनर भर जाता है, तो इसे बायोहेजार्ड इक्विपमेंट्स को नष्ट करने लायक जगह पर ले जाने के लिए अरेंजमेंट्स किए जाते हैं। [४]
  5. आपके पास में सही दवा के और सही मात्रा में होने की पुष्टि कर लें और साथ ही उसकी एक्सपाइरी डेट नहीं गुजरी होने की पुष्टि भी कर लें। दवाई की शीशी या पैकेज को उसके मैन्युफेक्चरर की गाइडलाइंस के मुताबिक स्टोर किए जाने की पुष्टि कर लें। कुछ प्रोडक्ट्स को यूज करने से पहले रूम टेम्परेचर पर रखे जाना होता है, और वहीं कुछ को रेफ़्रिजरेटर में रखना पड़ता है। [५]
    • दवाई वाली उस शीशी में हुए किसी भी तरह के क्रेक्स या डेंट आदि जैसे दिखाई देने वाले डैमेज के लिए पैकेजिंग को चेक कर लें।
    • शीशी के ऊपर के हिस्से को अच्छी तरह से देख लें। दवाई के कंटेनर में सबसे ऊपर किसी भी तरह के क्रेक्स और डेंट्स आदि की जांच कर लें। डेंट्स होने का मतलब ये निकल सकता है, कि इस पैकेजिंग की सफलता के ऊपर अब भरोसा नहीं किया जा सकता।
    • कंटेनर के अंदर मौजूद लिक्विड की तरफ देखें। कंटेनर के अंदर ऐसे किसी भी मटेरियल के होने की जांच करें, जो जरा अजीब लग रहा है या कंटेनर के अंदर तैर रहा है। इंजेक्ट की जाने वाली ज़्यादातर दवाइयाँ साफ होती हैं।
    • कुछ इंसुलिन क्लाउडी नजर आते हैं। अगर आप कंटेनर के अंदर क्लाउडी लिक्विड के अलावा और कुछ देखते हैं, तो इंसुलिन प्रोडक्ट के अलावा, इसे फौरन ही अलग कर दें।
  6. अपने हाँथों को अच्छी तरह से साबुन और पानी से धो लें। [६]
    • अपने नेल एरिया (नाखून), उँगलियों के बीच में और आपकी कलाई के आसपास भी धो लें।
    • ये किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने में मदद करेगा और इन्फेक्शन के रिस्क को भी रोकेगा।
    • इसके साथ ही इन्फेक्शन और बैक्टीरिया के खिलाफ एक और रोक लगाने के हिसाब से, इंजेक्शन लगाने से पहले मेडिन्ट लेटेक्स एग्जामिनेशन ग्लव्स (Medint Latex Examination Gloves) जैसे ग्लव्स भी पहनने की सलाह दी जाती है।
  7. सीरिंज और नीडल के एक ऐसे बिना खुले, स्टेराइल (साफ) पेकेंजिंग में होने की पुष्टि कर लें, जिसमें से इसके डैमेज होने या गिरने आदि का कोई सबूत न मिलता हो। खोलने के बाद, सीरिंज के बेरल पर क्रेक्स की जाँच करें या सीरिंज के किसी भी भाग के कलर आदि में आए किसी भी तरह के बदलाव की जाँच करें। इसमें रबर टॉप भाग भी शामिल है। किसी भी तरह का डैमेज बस यही इशारा करता है, कि सीरिंज को यूज नहीं किया जाना चाहिए। [७]
    • नीडल पर किसी भी तरह के डैमेज के सबूतों की जांच करें। नीडल के टूटे या मुड़े हुए न होने की पुष्टि कर लें। ऐसे किसी भी प्रोडक्ट का यूज न करें, जो डैमेज हुआ नजर आए, इसमें पैकेजिंग के ऊपर आया हुआ डैमेज भी शामिल है, जिसका मतलब कि अब उसमें मौजूद नीडल स्टेराइल (साफ) नहीं रह गई।
    • कुछ पैकेज वाली सीरिंज पर एक्सपाइरी डेट लिखी हुई नजर आती है, लेकिन सभी मेन्यूफेक्चरर इसी तरह की पैकेजिंग नहीं दिया करते हैं। अगर आपको इस बात की चिंता हो रही है, कि प्रोडक्ट बहुत पुराना हो चुका है, इसे अब यूज नहीं किया जाना चाहिए, तो मेन्यूफ़ेक्चरर को कांटैक्ट कर लें। कॉल करते वक़्त अपने पास में कोई भी एक लॉट नंबर रखें।
    • डैमेज हुई या टूटी हुई या एक्सपायर हुई सीरिंज को शार्प्स कंटेनर में डालकर फेंक दें।
  8. पुष्टि करें, कि आपके पास में सही साइज़ और टाइप की सीरिंज है: सीरिंज के, आपके द्वारा यूज किए जा रहे इंजेक्शन के लिए ही डिजाइन किए हुए होने की पुष्टि कर लें। बार-बार अलग-अलग तरह की सीरिंजेस बदलने से बचें, क्योंकि इसकी वजह से आपके डोज़ में एक बहुत बड़ी गलती हो सकती है। सिर्फ उसी सीरिंज का यूज करें, जिसे आपके द्वारा दी जा रही दवाई के लिए यूज करने की सलाह दी गई है। [८]
    • एक ऐसी सीरिंज चुनें, जो आपके द्वारा यूज किए जाने वाली मात्रा से ज्यादा मात्रा को होल्ड कर सकती हो।
    • नीडल की लेंथ और गेज के लिए मेन्यूफ़ेक्चरर की सलाह पर ध्यान दें।
    • नीडल गेज एक नंबर होता है, जो नीडल का डायमीटर डिस्क्राइब करता है। ज्यादा बड़े नंबर का मतलब पतली नीडल से होता है। कुछ दवाइयाँ गाढ़ी होती हैं और उनके लिए एक बड़ी गेज या ज्यादा डायमीटर की नीडल की जरूरत पड़ती है।
    • ज़्यादातर सीरिंजेस और नीडल्स को सेफ़्टी रीज़न के चलते आजकल अलग-अलग बनाया जाता है। आप जब आपकी सीरिंज का साइज़ चुनते हैं, तो आप नीडल की लेंथ और गेज को भी चुन रहे होते हैं। इंजेक्शन लगाने के लिए आपके पास में प्रोपर इक्विपमेंट होने की पुष्टि कर लें। ये जानकारी प्रोडक्ट लिट्रेचर में और भी अच्छी तरह से दी हुई होगी, या फिर डॉक्टर, फार्मेसिस्ट या नर्स से पूछने से भी मिल सकती है। [९]
    • अलग-अलग सीरिंज और नीडल्स भी मौजूद हैं। अगर आपके पास में यही है, तो सीरिंज और नीडल को जोड़ लें। अपनी सीरिंज के सही साइज़ की और नीडल के स्टेराइल, यूज न की गई और आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन के हिसाब से सही लेंथ और गेज की होने की पुष्टि कर लें। इंट्रामस्क्यूलर और सब्क्यूटेनियस इंजेक्शन्स में अलग-अलग नीडल का यूज किया जाता है।
  9. अगर पैकेजिंग इन्सट्रक्शन मौजूद हों, तो उन्हें फॉलो करें या फिर शीशी में से दवाई को सीरिंज में भरना शुरू करें। [१०]
    • शीशी के ऊपर के भाग को अल्कोहल से साफ कर लें और इसे कुछ मिनट के लिए हवा में सूखने दें।
    • अपनी सीरिंज को भरने के लिए तैयार करें। ध्यान रखें, कि आपको आपके डोज़ के लिए कितनी दवा निकालना है और यूज करनी है। आपकी सीरिंज में प्रिस्क्राइब किए हुए डोज़ को ही भरा हुआ होना चाहिए। ये जानकारी प्रिस्क्रिप्शन लेबल पर दी हुई होगी या फिर आपके डॉक्टर या फार्मेसी के द्वारा दिये हुए इन्सट्रक्शन में दी गई होगी।
    • सीरिंज को भरने के लिए, प्लंजर (plunger) को पीछे की तरफ उतना हवा भरने के लिए खींचें, जितने फ्लुइड की आपको जरूरत है।
    • शीशी को ऊपर से नीचे की तरफ पकड़े रखकर, नीडल को रबर की शीट पर घुसा दें और सीरिंज में शीशी से हवा भरने के लिए प्लंजर को धकेलें।
    • जरूरी मात्रा को भरने के लिए प्लंजर को बाहर खींच लें। [११]
    • कभी-कभी एयर बबल्स को भी सीरिंज में देखा जा सकता है। नीडल के शीशी के अंदर होते हुए ही सीरिंज को हल्के से टैप करें। इस तरह से एयर सीरिंज के ऊपर आ जाती है।
    • आपके पास में इस्तेमाल किए जाने लायक दवा की सही मात्रा होने की पुष्टि करने के लिए एयर को वापस शीशी में धकेल दें।
  10. इंजेक्शन से होने वाले दर्द को कम करने के लिए, ख़ासतौर पर मरीज अगर एक छोटा बच्चा है, तो इंजेक्शन लगाने वाली की जगह पर सूई लगाने से पहले बर्फ लगा दें। उस जगह को खुला रखकर पेशेंट को एक कम्फ़र्टेबल पोजीशन में बैठने दें। [१२]
    • आपके द्वारा इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर कम्फ़र्टेबल तरीके से पहुँचने की पुष्टि करें।
    • उस इंसान को सीधा और रिलेक्स बनाए रखने की पूरी कोशिश करें।
    • अगर आप उस जगह को अल्कोहल से वाइप करते हैं, तो नीडल को स्किन में डालने से उस जगह के हवा में पूरी तरह से सूख जाने की पुष्टि करें।
विधि 2
विधि 2 का 4:

सब्क्यूटेनियस (Subcutaneous) इंजेक्शन देना

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  1. अपने डॉक्टर के द्वारा दिये हुए इन्सट्रक्शन्स के अनुसार इंजेक्शन देने की जगह का निर्धारण करें: एक सब्क्यूटेनियस इंजेक्शन (SQ) को स्किन की मोटी लेयर पर ही दिया जाता है। SQ इंजेक्शन्स कुछ खास तरह की दवाइयों के लिए और कुछ ऐसे डोजेज़ के लिए जरूरी होते हैं, जिन्हें आमतौर पर जरा सी मात्रा में दिया जाना होता है। वो फेट लेयर, जिस पर इंजेक्शन दिया जाना होता है, वो स्किन और मसल के बीच में होती है। [१३]
    • पेट का निचला हिस्सा (एब्डोमेन) सब्क्यूटेनियस इंजेक्शन देने के लिए एक अच्छी जगह होता है। एक ऐसा हिस्सा चुनें, जो कमर के नीचे, हिप बोन से ऊपर और बेली बटन (नाभि) से लगभग 2 इंच दूरी पर हो। नाभि वाले भाग को अवॉइड करें।
    • SQ इंजेक्शन्स को थाई (जाँघ) एरिया में, कमर और घुटने के बीच की आधी दूरी पर और ऐसी जगह पर दिया जा सकता है, जहां आप स्किन को एक या दो इंच तक पिंच कर सकते हों।
    • पीठ का निचला हिस्सा SQ इंजेक्शन्स के लिए अच्छी जगह होता है। बटक्स (buttocks) के ऊपर का हिस्सा, कमर के नीचे और रीढ़ की हड्डी से आधी दूरी पर और एक तरफ वाला हिस्सा चुनें।
    • अगर आपकी ऊपरी आर्म पर एक या दो इंच तक स्किन को चुटकी में भरा जा सकता है, तो इस जगह को इस्तेमाल किया जा सकता है। अपर आर्म के उस हिस्से का यूज करें, जो कोहनी और कंधे से आधी दूरी पर है।
    • इंजेक्शन देने की जगह को बारी-बारी से बदलने से चोट और स्किन डैमेज को रोकने में कुछ मदद मिलेगी। आप चाहें तो किसी एक जगह पर ही अलग-अलग पैच को चुनकर भी जरा सा बदलाव कर सकते हैं।
  2. अल्कोहल घिसकर स्किन को और उस जगह के आसपास को साफ कर लें। इंजेक्शन लगाने से पहले अल्कोहल को सूख जाने दें। इसमें कभी भी एक या दो मिनट से ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा। [१४]
    • साफ किए हुए एरिया को इंजेक्शन देने से पहले, कभी भी अपने हाँथों से या किसी और तरह के मटेरियल से न छूएँ।
    • पुष्टि कर लें, कि आपके पास में सही दवा है, इंजेक्शन देने के लिए सही जगह है और आपने देने के लिए सही मात्रा के डोज़ को चुन लिया है।
    • सीरिंज को अपने दूसरे हाँथ (डोमिनेंट हैंड) से पकड़ लें और दूसरे हाँथ के जरिए नीडल को खींच लें। अपने नॉन-डोमिनेंट हैंड से स्किन पर चिमटी काटें।
  3. आपके द्वारा पिंच की (चिमटी काटी) जाने वाली स्किन के अनुसार, आप नीडल को या तो 45 डिग्रीज पर या फिर 90 डिग्रीज के एंगल पर भी इंजर्ट कर सकते हैं। [१५]
    • अगर आप लगभग एक इंच तक स्किन को पिंच कर पाते हैं, तो 45 डिग्री के एंगल का यूज करें।
    • अगर आप दो इंच तक की स्किन को पिंच कर पा रहे हैं, तो नीडल को 90 डिग्री के एंगल में इंजर्ट कर दें।
    • सीरिंज को टाईट पकड़ें और स्किन को नीडल से जोड़ने के लिए अपनी कलाई के क्विक मोशन का यूज करें।
    • अब आपके द्वारा स्किन को पिंच करके तय किए हुए एंगल का यूज करते हुए फौरन और सावधानी से नीडल इंजर्ट कर दें। इस तरह से जल्दी से नीडल इंजर्ट करने की वजह से पेशेंट को घबराने और टेंशन लेने तक का वक़्त नहीं मिल पाता है।
    • SQ इंजेक्शन के लिए बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं होती है। इसे करने में ज़्यादातर किसी तरह का खतरा नहीं होता है, खासकर सिर्फ तब, जब आप अगर एनोक्सेपेरिन सोडियम (enoxaparin sodium) जैसे खून को पतला करने वाले एजेंट को न इंजेक्ट कर रहे हों।
    • सिरिंज में कहीं खून तो नहीं आ गया है, यह देखने के लिए प्लंजर (plunger) को हल्का सा वापस ऊपर खींचे। अगर खून है, तो नीडल को सावधानी से निकाल लें और इंजेक्शन देने के लिए दूसरे स्थान को चुनें। खून न आया हो, तो आप अपना काम करना जारी रखें। [१६]
  4. प्लंजर को तब तक दबाए रखें, जब तक कि सारा फ्लुइड अंदर न चला जाए।
    • नीडल को हटा लें। इंजेक्शन दी जाने वाली जगह के ऊपर की स्किन को धीरे से दबाएँ और जल्दी से और बहुत ध्यान से नीडल को उसी एंगल से बाहर निकाल लें, जिससे इसे अन्दर डाला गया था।
    • इस पूरी प्रोसेस में ज्यादा से ज्यादा 5 या 10 सेकंड्स से ज्यादा का वक़्त नहीं लगेगा।
    • यूज की हुई सारी धारदार चीजों को शार्प्स कंटेनर में फेंक दें।
  5. इंसुलिन इंजेक्शन भी SQ की तरह ही दिये जाते हैं, लेकिन इसमें इंसुलिन के हर एक डोज़ के एकदम सही होने, और साथ ही इंसुलिन के जाते रहने की पुष्टि करने के लिए अलग सीरिंज का यूज किया जाता है। इंसुलिन इंजेक्शन देते हुए, इंजेक्शन दिये जाने की जगह को याद रखना बेहद जरूरी होता है, जो आपको जगह बदलते रहने में मदद कर सकता है। [१७]
    • सीरिंज के बीच के अंतर को पहचानें: एक रेगुलर सीरिंज का यूज करने से डोज़ को लेकर बहुत सीरियस मिस्टेक हो सकती है।
    • इंसुलिन सीरिंजेस cc’s या mls के बजाय यूनिट्स में बढ़ती हैं। ये जरूरी है कि आप इंसुलिन देते समय इंसुलिन सीरिंज ही यूज करें।
    • आपको प्रिस्क्राइब किए हुए इंसुलिन के टाइप और डोज़ के लिए यूज की जाने वाली इंसुलिन सीरिंज की जानकारी पाने और उसे अच्छी तरह से समझने के लिए अपने डॉक्टर या फार्मेसिस्ट से बात कर लें।
विधि 3
विधि 3 का 4:

इंट्रामस्क्यूलर (intramuscular) इंजेक्शन देना

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  1. एक इंट्रामस्क्यूलर (intramuscular) इंजेक्शन (IM) को सीधे मसल पर दे दिया जाता है। इंजेक्शन देने के लिए एक ऐसी जगह को चुनें, जहां पर मसल टिशू को आसानी से पाया जा सके। [१८]
    • एक IM इंजेक्शन देने के लिए चार प्राइमरी जगहों की सलाह दी जाती है। उनमें थाइस (जांघें), हिप (कमर), बटक्स (buttocks) और अपर आर्म शामिल हैं।
    • स्किन पर घिसने, चोट, दर्द, दाग और स्किन बदलने जैसी परेशानी से बचने के लिए इंजेक्शन साइट को बदलते रहा करें।
  2. वेस्टस लेटिरेलिस (vastus lateralis), ये उस मसल का नाम है, जिसे आपको दवा देते वक़्त, दवा देने की जगह की तरह टार्गेट करना है। [१९]
    • विज्युअली थाई को तीन भागों में बाँट लें। इसका मिडिल सेक्शन ही, वो हिस्सा होगा, जिसे आपको IM इंजेक्शन देने के लिए टार्गेट करना है।
    • अगर आप खुद से ही खुद को इंजेक्शन दे रहे हैं, तो ये जगह एक अच्छी जगह साबित होगी, क्योंकि आप टार्गेट एरिया को आसानी से देख सकते हैं और आसानी से पहुँच भी सकते हैं।
  3. ये मसल कमर पर मौजूद होती है। दवाई को इंजेक्ट करने की जगह तलाशने के लिए अपने शरीर पर लैंडमार्क्स का यूज करें। [२०]
    • उस इंसान को उसके एक तरफ (करवट पर) लिटाकर प्रोपर लोकेशन की तलाश करें। अपने हाँथों की हील को थाई के अपर और आउटर पार्ट पर वहाँ पर रखें, जहां ये बटक्स को जोड़ता है।
    • अपनी उँगलियों को उस इंसान के सिर की तरफ पॉइंट करें और अपने अंगूठे को ग्रोइन (कमर से नीचे) की तरफ पॉइंट करें।
    • अब आपको आपकी रिंग फिंगर और सबसे छोटी फिंगर के टिप्स (ऊपरी हिस्से) के साथ में एक हड्डी का अहसास होगा।
    • अपनी पॉइंटर फिंगर को आपकी दूसरी फिंगर्स से अलग करते हुए एक वी (V) शेप बनाएँ। इंजेक्शन को इस वी शेप के बीच के हिस्से पर देना चाहिए।
  4. डोर्सोग्लूटील (dorsogluteal) मसल, ये वही जगह है, जहां पर इंजेक्शन दिया जाना है। प्रेक्टिस के साथ-साथ टार्गेट एरिया को लोकेट करना आसान होते जाएगा, लेकिन कुछ फिजिकल लैंडमार्क्स का यूज करना शुरू कर दें और अपनी ओर से सही जगह पर होने की पुष्टि करने के लिए उस जगह को तीन हिस्सों में बांटना भी शुरू कर दें। [२१]
    • क्रेक के ऊपरी हिस्से से लेकर शरीर के साइड तक एक इमेजिनरी लाइन या फिर अगर अल्कोहल हो, तो इसकी मदद से एक असली बना लें। मिडपॉइंट को लोकेट करें और फिर तीन इंच मूव हो जाएँ।
    • क्रॉस बनाती हुई, इस पहली लाइन को क्रॉस करती हुई एक और दूसरी लाइन बना लें।
    • अपर आउटर स्क्वेर में या हिस्से में एक कर्व्ड बोन को लोकेट करें। इंजेक्शन को अपर आउटर स्क्वेर के नीचे कर्व्ड बोन में दिया जाना चाहिए।
  5. डेल्टोइड (deltoid) मसल अपर आर्म में लोकेटेड होती है और अगर इसमें भरपूर मसल टिशूज होते हैं, तो ये IM इंजेक्शन्स के लिए एक अच्छी जगह भी होती है। वो इंसान अगर काफी दुबला-पतला है या फिर इस एरिया में उसे कम मसल्स हैं, तो अलग-अलग जगह यूज करते रहें। [२२]
    • एक्रोमियन (acromion) प्रोसेस या अपर आर्म को क्रॉस करने वाली बोन की तलाश करें।
    • अब बोन को बेस बनाते हुए, और आपकी आर्मपिट के लेवल को को ट्राइएंगल के पॉइंट बनाते हुए एक इमेजिनरी ट्राइएंगल बना लें।
    • इंजेक्शन को ट्राइएंगल के बीच में, एक्रोमियम प्रोसेस से एक या दो इंच नीचे दे दें।
  6. उस जगह की और उसके आसपास की स्किन को अल्कोहल वाइप की मदद से साफ कर लें: इंजेक्शन लगाने से पहले अल्कोहल को सूख जाने दें। [२३]
    • इंजेक्शन देने से पहले साफ किए हुए एरिया को उंगली से या और किसी मटेरियल से बिल्कुल न छूएँ।
    • सीरिंज को ज़ोर से, आपके डोमिनेंट हैंड से पकड़ लें और आपके दूसरे हाँथ से नीडल के कवर को हटा दें।
    • आप स्किन पर जहां इंजेक्शन दे रहे हैं, वहाँ जरा सा प्रैशर दें। आराम से नीचे दबाएँ और फिर स्किन को खींचें, ताकि ये टाइट हो जाए।
  7. नीडल को स्किन में 90 डिग्री के एंगल से इंजर्ट करने के लिए अपनी कलाई का यूज करें। अब आपको आपके मसल टिशूज पर ही दवाई दिये जाने की पुष्टि करने के लिए नीडल को भरपूर रूप से नीचे की तरफ धकेलना होगा। एक सही लेंथ की नीडल को चुनने से आपको इंजेक्ट करने की प्रोसेस में गाइड करते हुए आपकी मदद करेगी। [२४]
    • प्लंजर को थोड़ा सा ऊपर खींचकर देखें। अब प्लंजर को खींचने के बाद, सीरिंज में खून आने की जांच करें।
    • अगर इसमें खून आया है, तो नीडल को सावधानी से निकाल लें और इंजेक्शन देने के लिए किसी और जगह की तलाश करें। अगर खून नहीं दिख रहा है, तो फिर इंजेक्शन देने की प्रक्रिया जारी रखें। [२५]
  8. दवाई को बहुत सावधानी से पेशेंट में इंजर्ट कर दें: प्लंजर को तब तक दबाकर रखें, जब तक कि सारा फ्लुइड खत्म न हो जाए। [२६]
    • प्लंजर को बहुत ज्यादा फोर्स के साथ भी न दबाएँ, क्योंकि ऐसा करने से दवाई के ऊपर बहुत जल्दी से उस जगह पर जाने का दबाव पड़ेगा। दर्द को कम करने के लिए प्लंजर को एक-समान, लेकिन धीमी गति में दबाकर रखें।
    • नीडल को उसी एंगल में बाहर निकाल लें, जिसमें इसे अंदर डाला गया था।
    • इंजेक्शन दिये जाने वाली जगह को एक छोटे गेज पैड से या एक कॉटन बॉल से और बैंड-एड से कवर कर दें और इसे रेगुलरली चेक करते रहें। इसके क्लीन नजर आने की पुष्टि करें और इंजेक्शन दी हुई जगह पर लगातार खून नहीं निकालना चाहिए।
विधि 4
विधि 4 का 4:

इंजेक्शन दिये जाने के बाद की सुरक्षा का ध्यान रखना

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  1. किसी भी नई दवाई को पहले फिजीशियन के ऑफिस में ले जाकर दिखाया जाना चाहिए, ताकि पेशेंट के ऊपर एलर्जी के साइन और लक्षणों का ध्यान रखा जा सके। हालांकि, अगर ये एलर्जी वाले साइन या लक्षण किसी ट्रीटमेंट के बाद नजर आ रहे हैं, तो फौरन मेडिकल देखरेख की तलाश कर लें। [२७]
    • एक एलर्जिक रिएक्शन के लक्षणों में खुजली जैसा दिखना, रैश या इचिंग; साँसों में कमी; निगलने में तकलीफ; ऐसा महसूस होना, जैसे आपके गला या हवा के द्वार बंद हो रहे हैं; और मुंह, होंठ या चेहरे पर सूजन।
    • अगर किसी भी एलर्जिक रिएक्शन के लक्षण नजर आते हैं, तो फौरन 108 पर कॉल करें। आपने अभी आपके शरीर में दवाइ को इंजेक्ट किया है, जो एलर्जी के होने पर, उसके रिएक्शन टाइम को बढ़ा देता है।
  2. इन्फेक्शन नजर आने पर मेडिकल अटेन्शन की तलाश करें: यहाँ तक कि एक बेस्ट इंजेक्शन टेक्निक से भी कभी-कभी संक्रमण अंदर चला जाता है। [२८]
    • अगर आपको फीवर, फ्लू-जैसे लक्षण, सिरदर्द, गले में दर्द, जाइंट और मसल में दर्द और मसल में दर्द और पेट से जुड़ी समस्याएँ हो रही हैं, तो जितना जल्दी हो सके, उतना अपने डॉक्टर से कांटैक्ट करें।
    • ऐसे और दूसरे लक्षण, जिसमें मेडिकल अटेन्शन की जरूरत पड़ती है, वो सीने में दर्द, नाक में कंजेशन या भरा-भरा सा लगना, एक फैला हुआ रैश और कन्फ़्यूजन या लगन की कमी जैसे मेंटल बदलाव।
  3. इंजेक्शन वाली जगह पर स्किन टिशू में आए किसी भी तरह के बदलाव पर और उसके द्वारा फौरन कवर किए हुए एरिया पर अपनी नजर बनाकर रखें। [२९]
    • इंजेक्शन साइट पर होने वाले रिएक्शन कुछ ड्रग्स की तुलना में बहुत कॉमन होते हैं। आपको किस चीज़ के ऊपर नजर रखनी है, ये पता करने के लिए ड्रग देने से पहले प्रोडक्ट के लिट्रेचर को पढ़ें।
    • इंजेक्शन वाली जगह पर होने वाले कुछ कॉमन रिएक्शन में, उस जगह पर लाली आना, सूजन होना, इचिंग, घिसना और कभी-कभी एक लम्प सा बढ़ना या वो जगह हार्ड हो जाना भी शामिल है।
    • जब बार-बार इंजेक्शन लेना होता हो, तब इंजेक्शन वाली साइट को बदलते रहने से, एक ही जगह की स्किन के टिशू पर होने वाले डैमेज को कम करने में मदद पाई जा सकती है।
    • इंजेक्शन साइट पर लगातार होने वाली प्रॉब्लम्स के लिए मेडिकल हैल्प लेना बेहद जरूरी होता है।
  4. शार्प कंटेनर्स यूज किए हुए धारदार आइटम्स, सीरिंजेस और नीडल्स आदि को डिस्पोज़ करने का सेफ तरीका होता है। शार्प कंटेनर्स को आपकी लोकल फार्मेसी से खरीदा जा सकता है या इन्हें ऑनलाइन भी लिया जा सकता है। [३०] [३१]
    • धारदार चीजों, सीरिंज या नीडल्स को कभी भी रेगुलर ट्रैश (कचरे के डिब्बे) में न रखें।
    • आपके स्टेट की गाइडलाइंस को भी देख लें। आपका फार्मेसिस्ट आपके लिए जरूरी चीजों को जुटाने में आपकी मदद कर सकता है। बहुत सारे स्टेट्स में घर पर इंजेक्शन देने की वजह से बनने वाले बायोहेजार्डस वेस्ट (कचरे) को सेफली डिस्पोज़ करने के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस दी गई होती हैं।
    • यूज की हुई नीडल्स, तीखे आइटम्स और सीरिंजेस जैसे शार्प्स बायोहेजार्डस होते हैं, क्योंकि ये इंजेक्शन देते वक़्त इंका सीधा संपर्क आप से या इसे ले रहे इंसान से होता है और ये सीधे जाकर स्किन और ब्लड से जुडते हैं।
    • किसी ऐसी कंपनी के साथ में अरेंजमेंट बनाने की कोशिश करें, जो मेलबैक किट्स (mailback kits) प्रोवाइड करती हो। कुछ कंपनीस ऐसी सर्विस प्रोवाइड करती हैं, जो आपके लिए एक शार्प्स कंटेनर के साथ में सारी जरूरी चीज़ें सप्लाई करती है, और ऐसा एक अरेंजमेंट तैयार करती हैं, कि एक बार शार्प कंटेनर के फुल हो जाने पर ये उसे सेफली उन तक पहुंचाने की सुविधा देती हैं। वो कंपनी सारे बायोहेजार्डस वेस्ट को प्रोपर तरीके से नष्ट करने की सारी ज़िम्मेदारी लेती है। [३२]
    • आपकी फार्मेसी से उन सभी शीशियों को नष्ट करने के तरीके के बारे में पूछें, जिनमें अनयूज्ड दवाइयाँ भरी हुई हैं। अक्सर, किसी भी खुली हुई दवा की शीशी को सीधे शार्प्स कंटेनर में डाल दिया जाता है।

चेतावनी

  • ये बात कई बार दोहराई गई है, कि आपको आपके हैल्थकेयर प्रोवाइडर से मिले प्रोपर इन्सट्रक्शन के बिना, कभी भी इंजेक्शन देने की कोशिश नहीं करना चाहिए। इस लेख को इस तरह से न समझें, कि आपको किसी दवाई को इंजेक्शन से दिये जाने के चलते, आप इसे ही एक डॉक्टर, नर्स या फार्मेसिस्ट के विकल्प के तौर पर देखने लगें।

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