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देर रात तक जागते रहने की बजाय क्या आप गहरी नींद में सो पाते हैं? नींद का अनियमित पैटर्न बहुत ही परेशानी देने वाला होता है और इसके कारण दिन में अलर्ट रहने की बजाय थकावट फील होती है | अगर बीच रात में आपकी नींद भी टूट जाती है तो इस लेख में आपको कुछ ऐसे टिप्स और एक्सरसाइज बताई जाएँगी और लम्बे समय तक के लिए कुछ ऐसे बदलाव करने की सलाह दी जाएगी जिन्हें आजमाकर आप अपने स्लीप पैटर्न को हेल्दी और नियमित बना पाएंगे जिससे आपकी नींद बीच-बीच में नहीं टूटेगी |

विधि 1
विधि 1 का 2:

एक पल में फिर से सो जाएँ

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  1. अपनी साँसों पर ध्यान लगायें और उन्हें कण्ट्रोल करें | इससे आप अपनी हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर कम कर सकते हैं जिससे शरीर फिर से सोने के लिए तैयार हो जाता है | [१]
    • पीठ के बल सोते हुए अपने शरीर की सभी मसल्स को जितना हो सके, रिलैक्स करें |
    • नाक से धीरे-धीरे सांस अंदर भरें, अपनी चेस्ट कैविटी के बॉटम में भरी हुई हवा पर ध्यान केन्द्रित करें | आप देखेंगे कि सिर्फ छाती ऊपर उठने की बजाय पेट भी ऊपर उठ जाता है |
    • ऐसा धीरे-धीरे नियंत्रित तरीके से 8 से 10 सेकंड तक करें |
    • एक से दो सेकंड तक सांस रोके रखें |
    • अब रिलैक्स हो जाएँ और नेचुरल तरीके से छाती से हवा को बाहर निकलने दें |
    • नींद न आने तक इस प्रोसेस को रिपीट करते रहें |
  2. प्रोग्रेसिव रिलैक्सेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमे आपको अपने शरीर में अलग-अलग प्रत्येक बड़ी मसल्स के ग्रुप पर फोकस करने के लिए कहा जाता है और एक-एक करके उन्हें रिलैक्स किया जाता है | भले ही हम अपने शरीर में ही रहते हैं, फिर भी कई लोगों के लिए एक ही बार में पूरे शरीर की परिकल्पना करना बहुत मुश्किल लगता है | जब हम लेट जाते हैं और सोने के लिए रिलैक्स होने की कोशिश करते हैं तो हम अपने शरीर के कुछ हिस्सों के तनाव को देते जाते हैं | इसलिए ऐसा करने की बजाय इसे आजमायें:
    • पीठ के बल लेट जाएँ, आँखें बंद करें और उस पल में शरीर में होने वाली फीलिंग पर फोकस करें |
    • अपने पैरों पर फोकस करें, उनकी सभी मसल्स को रिलैक्स करें और उन्हें चटाई पर फ़ैल जाने दें | अपने पैर की अंगुली से लेकर टखने तक हर एक मसल्स को इमेजिन करने की कोशिश करें और उन्हें रिलैक्स करते जाएँ |
    • अब अपनी पिंडलियों और घुटनों को रिलैक्स करें | अब टखनों से ऊपर के हिस्सों पर काम करें, अपनी मसल्स की सारी टेंशन को रिलैक्स करें और पैरों को वहां ढीला छोड़ दें |
    • ऐसे ही ऊपर की ओर जाँघों को रिलैक्स करें |
    • अब अपने नितम्बों को और फिर कमर को रिलैक्स करें |
    • कुछ समय छाती और पेट पर बिताएं | अपनी ब्रीथिंग पर फोकस करें, गहरी सांस लें और सांस लेने और छोड़ने की प्रोसेस पर ध्यान लगायें |
    • अपने हाथों को रिलैक्स करें | जैसा आपने अपने पैरों के साथ किया था, वैसे ही अपने हाथ की सभी छोटी मसल्स को इमेजिन करें और उन्हें एक-एक करके रिलैक्स करें | शुरुआत अँगुलियों के साथ करें, फिर हथेली और उसके बाद कलाई पर फोकस करें |
    • अपने हाथ के ऊपरी हिस्से पर और फिर कन्धों पर फोकस करें |
    • गर्दन की मसल्स को रिलैक्स करें क्योंकि कई लोगों को यहाँ बहुत टेंशन फील होती है |
    • अपने जबड़ों की मसल्स को रिलैक्स करें जिन्हें हम बिना सोचे-समझे लगातार चलाते रहते हैं |
    • अब पलकों और गालों पर फोकस करें | अब अपने पूरे स्कल (खोपड़ी) को तकिये में धंसने दें और एलक्स होने दें |
    • जब आपके पूरे शरीर के सभी हिस्सों का रिलैक्सेशन हो जाये तो सोने की कोशिश करें |
  3. पैरों की अँगुलियों पर तनाव डालने वाली (toe-tensing ) एक्सरसाइज करें: [२] हालाँकि मसल्स को बार-बार मोड़ने के कारण ऐसा लग सकता है कि इससे नींद नहीं लगेगी लेकिन इस एक्सरसाइज से सच में शरीर की सभी मसल्स रिलैक्स हो जाती है और आपका शरीर आराम करने के लिए तैयार हो जाता है |
    • बेड पर लेट जाएँ, आँखें बंद करें और अपने पैर की अँगुलियों पर फोकस करें |
    • पैरों की अँगुलियों को चेहरे की ओर पीछे मोड़ें | इस पोजीशन में दस सेकंड तक रहें |
    • इन्हें दस सेकंड तक रिलैक्स रहने दें |
    • इस प्रोसेस को दस बार दोहरायें और फिर से सोने की कोशिश करें |
  4. एंग्जायटी को शांत करने के लिए शांतिमन्त्र का इस्तेमाल करें: [३] मन्त्र में ऐसी ध्वनि होती है जिसे बार-बार दोहराने से विचारों को भटकने से रोका जा सकता है और ध्यान लगाया जा सकता है | सबसे कॉमन मंत्र है-"ॐ" लेकिन आप किसी भी रिलैक्सिंग और सरल साउंड का इस्तेमाल कर सकते हैं | मन्त्र आपका ध्यान 1)ध्वनि निकालने के काम पर, 2) मुंह और गले से ध्वनि निकलने की स्पर्श अनुभूति, और 3) निकलने वाला सूथिंग साउंड पर फोकस करते हैं |
    • बेड पर लेट जाएँ और आँखें बंद कर लें |
    • अपने फेफड़ों को धीरे-धीरे भरने के लिए गहरी सांस लें, और हवा को चेस्ट कैविटी के बॉटम तक भरने दें | ऐसा करने पर आप देखेंगे कि आपका बेत ऊपर उठ रहा है, चेस्ट या छाती नहीं |
    • "ॐ" कहते हुए आरामदायक स्थिति तक "ओ" की ध्वनी पर रुकें |
    • मन्त्र के थ्री डायमेंशन- एक्शन, फीलिंग और साउंड पर पूरी तरह से फोकस करें | सभी चीज़ों से ध्यान हटने तक इन तीन चीज़ों के बारे में सोचें |
    • बांकी के एक सेकंड तक शांत रहें |
    • एंग्जायटी गायब होने तक रिपीट करते रहें |
  5. अगर मध्यरात्रि में एंग्जायटी या स्ट्रेस के कारण पैरालाइज होकर जागते हैं तो उस स्थिति में जब तक आप अपने दिमाग में चल रहे नकारात्मक विचारों को डील नहीं करेंगे, फिर से नहीं सो पाएंगे |
    • खुद से पूछें, "क्या इन विचारों का कोई औचित्य है? क्या इनसे मुझे अपने लक्ष्य तक पहुँचने में मदद मिलेगी या ये सिर्फ अनुपयोगी, सर्कुलर, जुनूनी विचार हैं?" [४]
    • अगर ये विचार उपयोगी हैं तो उन पर काम करें | दिन के समय में होने वाली प्रॉब्लम के उपाय पर काम करने से आप काफी रिलैक्स फील कर सकते हैं |
    • अगर ये नकारात्मक विचार हैं तो खुद को उनमे उलझने न दें | याद रखें, इस तरह के विचारों के बारे में सोचने से आपकी लाइफ पर कोई भी पॉजिटिव इफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा इसलिए इनके बारे में सोचना बंद करने पर ही जोर दें |
    • यह बहुत मुश्किल होता है और इसके लिए बहुत सारी प्रैक्टिस और इच्छाशक्ति की जरूरत होगी | संभव है कि पहली बार में आपको सफलता न मिले लेकिन समय के साथ-साथ, प्रयास करते रहने पर आप या तो इन पर कण्ट्रोल करना सीख जायेंगे या फिर इन विचारों से रात में नींद टूटेगी |
  6. अगर आप नकारात्मक विचारों को दिमाग में रखकर सोते हैं तो आपको रात में नींद खुलने पर फिर से सोने में बहुत परेशानी होगी इसलिए सकारात्मक पुष्टिकरण आजमायें जो एक ऐसी तकनीक है जिसमे एंग्जायटी कम होने तक सकारात्मक विचारों को रिपीट किया जाता है और यह मध्यरात्रि में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है |
    • सबसे स्पष्ट, सामान्य सकारात्मक पुष्टिकरण के साथ शुरुआत करें जैसे, "मैं एक अच्छा इंसान हूँ"; "मुझे खुद पर भरोसा है"; या "कल एक बेहतरीन दिन होगा |"
    • इस दोहराने की प्रक्रिया के द्वारा थोडा रिलैक्स फील होने तक खुद को इस तरह के पुष्टिकरण देते रहें |
    • इसके बाद और भी ज्यादा स्पेसिफिक पुष्टिकरण के लिए आगे बढे जिससे आपको रात में जगाने वाली एंग्जायटी की जड़ पर पिनपॉइंट काम किया जा सके | इसके उदाहरण हैं:
      • "मैं अपने सपनों का राजकुमार/राजकुमारी खोज लूँगा/लूंगी |"
      • "मैं जल्दी ही बेहतर जॉब खोज लूँगा |"
      • "मैं अपने शरीर से खुश हूँ |"
  7. [५] आपका ब्रेन अनजाने में पूरे समय शरीर के तापमान को रेगुलेट करता है लेकिन सोने की अपेक्षा जब आप जाग जाते हैं तो दिमाग कई-अलग-अलग तापमान तक जा सकता है | बाहरी तापमान को थोडा कम कर देने से शरीर को रेस्ट के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी | अगर आपका कमरा गर्म है तो तापमान को 65 से 68 डिग्री फेरेंहाइट तक कम कर दें |
  8. हालाँकि सोते समय अपने कुत्ते या बिल्ली को अपने पास सटाकर सुलाने पर इमोशनली आरामदायक फील हो सकता है लेकिन स्टडीज दर्शाती हैं कि अपने पालतू जानवरों के साथ सोने वाले 53% लोगो का कहना है कि अपने पालतू जानवरों के साथ सोने से उनकी नींद पूरी रात डिस्टर्ब रहती है | [६] पालतू जानवरों का स्लीप साइकिल मनुष्यों की तरह नहीं होता और उन्हें अपने अनुसार शांत रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता | अपने पालतू को बेडरूम से बाहर रखने से आप पूरी रात अच्छी तरह से सो सकते हैं |
  9. [७] अगर जागने के बाद भी आपको बेड पर बहुत देर तक लेटे रहने की आदत है तो आपका ब्रेन, बेड और जागने के बीच अनचाहा कनेक्शन बनाना शुरू कर देता है | इस तरह के कनेक्शन न बनने देने के लिए अगर नींद खुलने पर बीस मिनट बाद तक फिर से नींद न लगे तो बेड से उठ जाएँ और फिर से नींद आने तक कुछ हलकी-फुलकी एक्टिविटी करें | कोई बुक पढ़ें या रिलैक्सिंग म्यूजिक सुनें लेकिन टेलीविज़न या कंप्यूटर स्क्रीन की तेज़ लाइट से बचें क्योंकि ये ब्रेन को स्टीमुलेट करती हैं और फिर से नींद नहीं आने देतीं |
विधि 2
विधि 2 का 2:

स्वस्थ रूप से लम्बी नींद का पैटर्न विकसित करें

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  1. हालाँकि कुछ डिसऑर्डर (जैसे नर्कोलेप्सी जिसमे लोग अनापेक्षित रूप से दिन में भी सो जाते हैं) बहुत स्पष्ट और दिखाई देने वाली परेशानी होती है और आपको भी ये डिसऑर्डर हो सकता है लेकिन हो सकता है कि आप इससे अनजान हों | स्लीप एपनिया (Sleep apnea ) एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमे लोग सोते समय सांस लेना बंद कर देंते हैं जिसके कारण उन्हें पूरी रात जागना पड़ता है और वे कभी नहीं जान पाते कि उन्हें क्या चीज़ जगाये रखती है | इंडियन स्लीप एपनिया एसोसिएशन का अनुमान है कि लगभग 22 मिलियन लोग स्लीप एपनिया से पीड़ित हाँ और 80% स्लीप-डिस्ट्रिप्टिव केसेस डायग्नोज़ भी नहीं होते इसलिए खुद को चेक कराते रहें ! [८]
  2. नीद में बाधा डालने वाली दूसरी मेडिकल कंडीशन को भी चेक और/या इलाज कराएँ: भले ही आपको स्लीप डिसऑर्डर न हों, फिर भी ऐसी कई मेडिकल कंडीशन होती हैं जिनके कारण पूरी रात में कई बार बीच-बीच में नींद टूटती रहती है | उदाहरण के लिए, एसिड रिफ्लक्स से पीड़ित लोग अधिकतर अनिद्रा, स्लीप एपनिया और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (restless leg syndrome) से पीड़ित रहते हैं | [९] एनलार्ज प्रोस्टेट से पीड़ित पुरुषों को भी पूरी रात में कई बार मूत्रत्याग के लिए उठाना पड़ता है |
    • डॉक्टर को नींद में होने वाली बाधा में बारे में विस्तार से बताएं और उनसे पूछें कि आपको कौन सी मेडिकल कंडीशन के कारण ये परेशानी हो रही है |
    • इसके लिए संभवतः ब्लड टेस्ट कराये जायेंगे और अगर डॉक्टर को उस मेडिकल इशू के बारे में पता चल जाता है तो उसके लिए डाइट में बदलाव जैसे आसान उपाय से लेकर सर्जरी तक का कोई इलाज़ कराने की सलाह दी जा सकती है |
    • एसिड रिफ्लक्स से बचने के लिए खट्टा भोजन, चॉकलेट, फैटी और फ्राइड फ़ूड, लहसुन, प्याज़, टमाटर, मसालेदार फूड्स और कैफीन वाली ड्रिंक्स न लें |
    • एसिड रिफ्लक्स या सीने की जलन के लिए बाज़ार में मिलने वाली दवाएं परेशानी के कारण का इलाज़ नहीं कर पाती लेकिन अगर इन्हें सोने से पहले लिया जाये तो उस समय लक्षणों में आराम मिल जायेगा |
  3. [१०] अगर आप पता लगाना चाहते हैं कि स्वस्थ नींद के लिए आपने शरीर को किस चीज़ की जरूरत है तो इसे एक स्लीप डायरी के जरिये ट्रैक करें | समय गुजरने पर आप पता लगा लेंगे कि कौन सी आदत से आपको बेहतर नींद आती है और कौन सी आदत से नहीं |
    • स्लीप डायरी के लिए नेशनल स्लीप फाउंडेशन की template for a sleep diary वेबसाइट का इस्तेमाल करें | इसे भरने के लिए हर दिन कुछ समय निकालने और ध्यान रखें कि इसे नियमित रूप से भरना है, कोई भी दिन छोड़ना नही है |
    • अपनी स्लीप डायरी के डाटा का आंकलन करें: इन पैटर्न पर ध्यान दें: एक्सरसाइज करने वाले दिनों में आप पूरी रात सो पाते हैं? क्या सोने से पहले टीवी देखने के कारण नींद टूटती है ? क्या किसी विशेष दवा के कारण रात में नींद डिस्टर्ब रहती है?
    • रेगुलर, न टूटने वाली नींद के लिए खुद को तैयार करने हेतु आपके द्वारा चुनें गये पैटर्न के आधार पर अपनी रोजमर्रा की आदतों में बदलाव लायें |
  4. आपके पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों शिड्यूल के आधार पर, आपका शिड्यूल अनियमित हो सकता है जिसके कारण आपको देर रात तक जागना पड़ सकता है | लेकिन, अस्वस्थ स्लीप पैटर्न, जिनमे आमतौर पर पूरी रात बार-बार नींद टूटती रहती है, से बचने के लिए आपको अपने स्लीप शिड्यूल के लिए सख्त पैरामीटर सेट करने होंगे | हर रात एकसमान समय पर सोने को प्राथमिकता दें, भले ही इसके लिए आपको अपने दिन के शिड्यूल में फेर-बदल करना पड़े |
  5. [११] हर रात एकसमान स्टेप्स को फॉलो करते हुए आप अपनी बॉडी और ब्रेन को रात की आरामदायक नींद के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं | समय पर हर रात सोने के समय पर एकसमान चीज़ें करें | कुछ उदाहरण हैं:
    • नहायें या शॉवर लें |
    • कोई बुक पढ़ें या रिलैक्सिंग म्यूजिक सुनें |
    • मैडिटेशन करें |
  6. सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन्स से दूर रहें: रिसर्च के अनुसार, फ़ोन, कंप्यूटर और टेलीविज़न स्क्रीन की ब्राइट लाइट्स शरीर के मेलाटोनिन (एक ऐसा हार्मोन जो शरीर की इंटरनल क्लॉक को रेगुलेट करता है) प्रोडक्शन को बाधित कर देते हैं | [१२]
    • हर रात सोने से कम से कम एक से दो घंटे पहले कोई भी स्क्रीन न देखें |
  7. [१३] कुछ लोग दूसरो की तुलना में कैफीन के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होते हैं इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने शरीर की कॉफ़ी या सोडा के प्रति होने वाली प्रतिक्रिया का पता लगा लें | अगर आप कैफीन के प्रति विशेषरूप से सेंसिटिव हैं तो सुरक्षा के लिहाज से लंच के बाद कैफीनेटेड ड्रिंक्स पीने से बचें और ध्यान दें कि आपके डाइजेस्टिव सिस्टम में कोई भी चीज़ रात की नींद को बाधित न करें |
  8. ठंडा तापमान आपके शरीर के तापमान को कम करने और पूरी रात चैन की नींद देने में मदद करेगा | अगर आपकी खिड़की के बाहर स्ट्रीट लाइट हो तो रात की नींद खराब होंने से बचाने के लिए मोटे परदे (ब्लैकआउट कर्टेन) लगायें और बैकग्राउंड शोर से मुक्त शांत वातावरण तैयार करें |
    • अगर बैकग्राउंड के शोर को बंद न किया जा सके, उदाहरण के लिए, अगर आप पतली दीवारों और शोर करने वाले पड़ोसियों वाले अपार्टमेंट में रहते हैं तो सूथिंग, रेगुलर बैकग्राउंड साउंड के साथ सोने की कोशिश करें जो अनियमित शोर को रोक सके | पंखे की घरघराहट भी एक ट्रिक की तरह काम करेगी जबकि फ़ोन या कंप्यूटर के एप्स से सूथिंग साउंड जैसे बारिश या समुद्र की लहरों के साउंड प्ले करें |

सलाह

  • अगर आपकी मध्यरात्रि में नींद खुले और घड़ी में देखने पर जागने का समय न हुआ हो तो घड़ी को पलटकर रख दें और उस की तरफ न देखें | जब तक अलार्म आपको न जगाये, घड़ी देखने की कोई जरूरत नहीं है |
  • हवा, बारिश, बहता हुआ पानी जैसे कुछ रिलैक्सिंग साउंड सुनें | इसके बाद गहरी सांस लें और अपना दिमाग शांत करें |
  • बाथरूम में जाएँ और थोडा ठंडा पानी अपनी गर्दन और हाथों पर थपथपाएं | इससे आपको ठंडा और रिलैक्स होने में मदद मिलेगी | ऐसा करने से आपको पता भी नहीं चलेगा और आपको अच्छी नींद आ जायेगी |
  • गर्म दूध पियें |
  • अगर आप डिजिटल घड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो उस पर कोई चीज़ ढँक दें जिससे उसकी लाइट से आपको परेशानी न हो |

चेतावनी

  • डीप ब्रीथिंग की प्रैक्टिस करते समय केवल उतनी ही देर तक सांस रोकें जितनी देर तक आपको सही फ़ील हो |

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