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यीस्ट एक कैंडिडा फंगस होती है जो आमतौर पर शरीर में अच्छे बैक्टीरिया के साथ रहती है और सामान्य रूप से इम्यून सिस्टम की निगरानी में रहती है | लेकिन, कई बार यीस्ट और बैक्टीरिया का बैलेंस बिगड़ जाता है जिससे यीस्ट की ओवरग्रोथ होने लगती है | बहुत ज्यादा यीस्ट की वृद्धि हो जाने को ही यीस्ट इन्फेक्शन कहा जाता है जो शरीर के कई हिस्सों में देखा जा सकता है | ये स्किन, मुंह, गला और सबसे कॉमनली वेजाइना में होते हैं | [१] आपको यीस्ट इन्फेक्शन होने पर परेशान होने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि लगभग 75% महिलाओं को उनकी लाइफ में कम से कम एक बार यीस्ट इन्फेक्शन होता ही है | यीस्ट इन्फेक्शन बहुत इर्रीटेटिंग हो सकता है इसलिए इसका डायग्नोसिस और जल्दी से जल्दी ट्रीटमेंट कराना बहुत जरुरी होता है | यीस्ट इन्फेक्शन को डायग्नोज़ करने के लिए आपको इसके लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए |

विधि 1
विधि 1 का 4:

लक्षणों को पहचानें

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  1. यीस्ट इन्फेक्शन ग्रोइन (दोनों जाँघों के बीच का एरिया), नितम्बों के बीचे के फोल्ड्स, ब्रेस्ट के बीच के हिस्से में, मुंह में और डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में, हाथ और पैर की अँगुलियों के नजदीक और नाभि में जैसे एरिया में हो सकता है |आमतौर पर, यीस्ट शरीर के बांकी हिस्सों की तुलना में ऐसे एरिया में पनपते हैं जहाँ नमी हो और ज्यादा कार्नर हों | [२]
    • रेड स्पॉट्स बड़े हो जाते हैं और छोटे, लाल पिम्पल की तरह दिखाई देना शुरू हो जाते हैं | इन उभारों को खरोंचें नहीं क्योंकि अगर आप इन्हें खरोंचेंगे या नोचेंगे तो इन्फेक्शन शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फ़ैल जायेगा |
    • याद रखें, बेबीज में अधिकतर यीस्ट इन्फेक्शन होते हैं जिनके कारण डायपर रेशेस हो जाते हैं और इनके कारण ऊपर बताये गये अनुसार रेडनेस और छोटे उभार होने लगते हैं | ये अधिकतर स्किन क फोल्ड्स, जाँघों और जेनाईटल एरिया में देखे जाते हैं और ये अधिकतर माँइश्चर के कारण होते हैं जो बहुत लम्बे समय तक डायपर लगाकर छोड़ देने से गंदे डायपर की नमी के फंसे होते हैं | [३]
  2. यीस्ट इन्फेक्शन से प्रभावित स्किन और शरीर के हिस्सों में खुलजी और छूने पर हाइपरसेंसिटिविटी फील होगी | इन्फेक्टेड स्पॉट पर किसी बाहरी चीज़ या कपड़ों की रगड़ लगने से भी इर्रीटेशन होने लगता है | [४]
    • इन्फेक्शन के कारण इन्फेक्टेड एरिया में और उसके आसपास जलन भी हो सकती है |
  3. ऐसे लक्षणों पर नज़र रखें जो अलग-अलग तरह के यीस्ट इन्फेक्शन में खासतौर पर होते हैं: तीन मुख्य प्रकार के यीस्ट इन्फेक्शन होते हैं: वेजाइनल, इन्फेक्शन, स्किन इन्फेक्शन और थ्रोट (throat) इन्फेक्शन | प्रत्येक इन्फेक्शन के अपने कुछ ख़ास लक्षण होते हैं जो नीचे बताये जा रहे हैं |
    • वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन : अगर आपको वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन है, जिसे बोलचाल की भाषा में लोग यीस्ट इन्फेक्शन कहते हैं, आपक देखेंगे कि वेजाइना और वल्वा लाल हो जाते हैं, उनमे खुजली और इर्रीटेशन होता है | आपको मूत्रत्याग या सेक्स करते समय जलन या पीड़ादायक सेंसेशन फील हो सकते हैं | वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन में वेजाइना से अधिकतर गाढा (कॉटेज चीज़ की तरह), सफ़ेद, गंधरहित डिस्चार्ज होता है लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता | याद रखें, 75% महिलाओं को अपने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन होता है | [५]
    • स्किन इन्फेक्शन : अगर आपको हाथ या पैर की स्किन में यीस्ट इन्फेक्शन है तो आपको हाथ या पैर की अँगुलियों के बीच रेशेज़, पैचेज और फफोले फील हो सकते हैं | आपको प्रभावित हाथ या पैर के नाखूनों पर सफ़ेद स्पॉट भी देखने मिल सकते हैं | [६]
    • ओरल थ्रश (Oral thrush) : गले में होने वाले यीस्ट इन्फेक्शन को ओरल थ्रश भी कहा जाता है | आप देखेंगे कि गला लाल हो जाता है और वहां सफ़ेद फफोले बन जाते हैं जैसे गले के नजदीक मुंह के पिछले हिस्से पर और जीभ पर उभार या पैचेज बन जाते हैं | आपको मुंह के किनारों पर क्रैक (angular cheilitis) दिखाई दे सकते हैं और निगलने में थोड़ी परेशानी हो सकती है | [७]
  4. अगर आपको लगता है कि आपको वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है जो सबसे कॉमन टाइप का यीस्ट इन्फेक्शन है और ये आपको पहले भी हो चुका है तो आप pH टेस्ट कर सकते हैनं और घर पर खुद ही डायग्नोज़ कर सकते हैं | नॉर्मल वेजाइनल pH लगभग 4 होते हैं जो हल्का एसिडिक है | इस टेस्ट को करते समय दिए गये इंस्ट्रक्शन फॉलो करें | [८]
    • यह टेस्ट करने के लिए, कुछ देर तक वेजाइना इक भित्ति पर pH पेपर के टुकड़े को लगाये रखें | टेस्ट के साथ दिए गये चार्ट से पेपर के कलर की तुलना करें | चार्ट पर दिए गये कलर का नंबर ही, जो पेपर के कलर से सबसे ज्यादा मेल करता है, आपकी वेजाइना का pH नंबर होता है |
    • अगर रिजल्ट 4 से ज्यादा हो तो डॉक्टर को दिखाएँ | यह यीस्ट इन्फेक्शन का संकेत नहीं होता लेकिन किसी और इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है |
    • अगर टेस्ट का रिजल्ट 4 से कम आये तो समझ जाएँ कि यह संभवतः यीस्ट इन्फेक्शन ही है |
विधि 2
विधि 2 का 4:

जटिल यीस्ट इन्फेक्शन के लक्षणों को पहचानें

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  1. अगर यीस्ट इन्फेक्शन की वृद्धि को अनदेखा कर दिया जाता है तो यह रिंग-शेप में बन जाता है जो लाल दिखाई देता है या इसमें कोई भी दिखाई देने योग्य डिसकलरेशन नहीं होता | यह वेजाइना और स्किन दोनों इन्फेक्शन में हो सकता है | [९]
  2. पता लगायें कि क्या आप किसी ख़ास रिस्क ग्रुप में सदस्य हैं: कुछ ख़ास रिस्क ग्रुप्स में ज्यादा जटिल यीस्ट इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है जिनमे शामिल हैं: [१०]
    • जिन लोगों को साल में 4 बार या उससे भी ज्यादा बार यीस्ट इन्फेक्शन हो चुके हों
    • प्रेग्नेंट महिलाएं
    • अनियंत्रित डायबिटीज वाले लोग
    • कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोग (मेडिकेशन या HIV जैसी कंडीशन के कारण)
  3. याद रखें, नॉन- कैंडिडा अल्बिकान्स (Candida albicans) इन्फेक्शन को जटिल इन्फेक्शन माना जाता है: आमतौर पर, अधिकतर यीस्ट इन्फेक्शन कैंडिडा फंगस Candida albicans के कारण ही होते हैं | इससे सिचुएशन और जटिल हो जाती है क्योंकि बाज़ार में मिलने वाली अधिकतर दवाएं और डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी दवाएं Candida albicans इन्फेक्शन के इलाज़ के लिए बनायीं जाती हैं | इसके फलस्वरूप, non- Candida albicans इन्फेक्शन के लिए और ज्यादा प्रभावी इलाज़ की जरूरत होती है | [११]
    • याद रखें, अलग-अलग तरह के कैंडिडा फंगस को डायग्नोज़ करने का एक ही तरीका है कि डॉक्टर डॉक्टर एक सैंपल (एक स्वाब) लेते हैं और नॉन-कैंडिडा ओर्गानिस्म की पहचान करने के लिए टेस्ट लगाते हैं |
विधि 3
विधि 3 का 4:

रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें

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  1. जान लें कि एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट से यीस्ट इन्फेक्शन बढ़ सकता है: लम्बे समय तक एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट लेने से न केवल शरीर के अंदर के हानिकारक बैक्टीरिया मरते हैं बल्कि इससे शरीर के “अच्छे बैक्टीरिया” भी मर जाते हैं | इसके कारण मुंह, स्किन और वेजाइना के फ्लोरा में असंतुलन हो सकता है जिससे यीस्ट की ओवरग्रोथ होने लगती है | [१२]
    • अगर आपने हाल ही में एंटीबायोटिक्स ली हैं और आपको जलन और खुजली अनुभव हो रही है तो आपको यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है |
  2. याद रखें कि प्रेग्नेंट महिलाओं को यीस्ट इन्फेक्शन होने की बहुत ज्यादा रिस्क होती है: प्रेगनेंसी के कारण वेजाइनल स्त्रावों (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन वाले) में शुगर बढ़ जाती है जिससे यीस्ट को वृद्धि करने का मौका मिल जाता है | जब यीस्ट वृद्धि करने लगते हैं तो नॉर्मल वेजाइनल फ्लोरा का असंतुलन हो जाता है जिससे यीस्ट इन्फेक्शन हो जाता है | [१३]
  3. याद रखे कि हाई एस्ट्रोजन लेवल एक रिस्क फैक्टर होता है: अगर आप हाई डोज़ में एस्ट्रोजन वाले बर्थ कण्ट्रोल पिल्स खाते हैं या एस्ट्रोजन हार्मोन थेरेपी लेते हैं तो आपको यीस्ट इन्फेक्शन होने की रिस्क बहुत ज्यादा होगी | [१४]
  4. ध्यान दें कि डूशिंग के कारण वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है: डूश (douche) का इस्तेमाल ज्यादातर पीरियड के बाद वेजाइना को साफ़ करने के लिए किया जाता है लेकिन आमतौर पर यह प्रैक्टिस अनावश्यक होती है और हानिकारक साबित हो सकती है | जब रेगुलरली डूशिंग की जाती है तो वेजाइनल फ्लोरा और वेजाइना की एसिडिटी के बैलेंस में बदलाव आने लगता है जिसके कारण अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के बीच का डिस्टर्ब हो जाता है | बैक्टीरिया का लेवल एसिडिक एनवायरनमेंट मैन्तन रखने में मदद करता है और इसके नष्ट होने से बुरे बैक्टीरिया की ओवरग्रोथ होने लगती है जिससे यीस्ट इन्फेक्शन हो जाता है | [१५]
  5. सावधानी बरतें क्योंकि पहले से होने वाली मीडियल कंडीशन यीस्ट इन्फेक्शन के लिए रिस्क फैक्टर हो सकती है: कुछ डिजीज या कंडीशन का सम्बन्ध यीस्ट इन्फेक्शन से होता है | डायबिटीज और HIV जैसी कंडीशन के कारण कमज़ोर इम्यून सिस्टम में यीस्ट इन्फेक्शन होने के चांसेस बढ़ सकते हैं | [१६]
विधि 4
विधि 4 का 4:

डॉक्टर को कब दिखाएँ

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  1. अगर आपको पहली बार यीस्ट इन्फेक्शन हुआ है तो डॉक्टर की सलाह लें: अगर आपको पहले कभी भी यीस्ट इन्फेक्शन नहीं हुआ तो डायग्नोसिस को कन्फर्म करने के लिए डॉक्टर की सलाह लें | डॉक्टर आपको स्पष्ट रूप से बता सकते हैं कि आपको क्या बीमारी है और आपके यीस्ट इन्फेक्शन का इलाज़ करने के लिए उचित दवाएं दे सकते हैं | [१७]
    • कई बार यीस्ट इन्फेक्शन कुछ ख़ास तरह की STDs की तरह दिखाई देता है इसलिए डॉक्टर को दिखाकर कन्फर्म करें कि आपको यीस्ट इन्फेक्शन है या नहीं |
    • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन या STI के लक्षण यीस्ट इन्फेक्शन के समान लग सकते हैं |
  2. अगर यीस्ट इन्फेक्शन के साथ बुखार आये तो यह ज्यादा जटिल बीमारी का संकेत हो सकता है | डॉक्टर से सलाह लें | वे आपके कुछ टेस्ट कराएँगे और यीस्ट इन्फेक्शन का इलाज़ करने के लिए कुछ दवाएं देंगे | [१८]
    • अगर आपको कंपकपी और दर्द हो तो डॉक्टर को बताएं |
  3. अगर आपको यीस्ट इन्फेक्शन होता रहता है तो डॉक्टर को बताएं: कभी-कभी यीस्ट इन्फेक्शन होने में कोई बुराई नहीं होती, अगर यह ठीक भी होता रहे तो | लेकिन अगर आपको बार-बार यीस्ट इन्फेक्शन होता रहे तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है | डॉक्टर को बताएं कि आपको मल्टपल यीस्ट इन्फेक्शन होते हैं | वे आपकी कुछ टेस्टिंग कराएँगे और इस छुटकारा दिलाने के लिए कुछ दवाएं देंगे | [१९]
    • बार-बार होने वाला यीस्ट इन्फेक्शन डायबिटीज या कैंसर का संकेत हो सकता है |
    • अगर आपको लगता है कि आपको HIV या AIDS होने की रिस्क हो सकती है और आपको मल्टीपल यीस्ट इन्फेक्शन होते हों तो डॉक्टर को बताएं |
  4. अधिकतर यीस्ट इन्फेक्शन एक दिन या उससे ज्यादा समय में इलाज़ के द्वारा ठीक हो जाते हैं | लेकिन अगर आपका यीस्ट इन्फेक्शन ठीक न हो तो डॉक्टर को दिखाएँ | वे चेक करेंगे या कुछ दवाएं देंगे जिससे यीस्ट इन्फेक्शन ठीक हो सकता है | [२०]
    • लम्बे समय तक बना रहने वाला यीस्ट इन्फेक्शन संक्रमित हो सकता है और डीप टिश्यू तक फ़ैल सकता है | सुरक्षा की दृष्टी से डॉक्टर से सलाह लें |
  5. अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपको यीस्ट इन्फेक्शन हो जाए तो डॉक्टर से सलाह लें: प्रेग्नेंट महिलाओं में यीस्ट इन्फेक्शन होना बहुत कॉमन है और आमतौर पर यह खतरनाक नहीं होता | लेकिन यीस्ट इन्फेक्शन के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं आपके और आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकती हैं | यीस्ट इन्फेक्शन ठीक करने के लिए कोई भी ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टर से ट्रीटमेंट ऑप्शन्स की जानकारी ले लें | [२१]
    • डॉक्टर से सलाह लिए बिना बाज़ार में मिलने वाली क्रीम न लगायें |
  6. अगर आपको डायबिटीज है और यीस्ट इन्फेक्शन भी हो जाए तो डॉक्टर को दिखाएँ: अगर आपको डायबिटीज है तो यीस्ट इन्फेक्शन के कारण कई सारे कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं | इसलिए खुद अपना यीस्ट इन्फेक्शन डायग्नोज़ करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें | वे आपको ट्रीटमेंट ऑप्शन या कुछ दवाएं दे सकते हैं | [२२]
    • बार-बार होने वाले यीस्ट इन्फेक्शन संकेत देते हैं कि अब आपके डायबिटीज ट्रीटमेंट प्लान को बदलने की जरूरत है |

सलाह

  • यीस्ट इन्फेक्शन होने से रोकने के लिए स्किन के फोल्ड्स को जितना हो सके, सूखा रखें |

चेतावनी

  • यह याद रखना बहुत जरुरी है कि जब कोई महिला को पहली बार वेजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन होता है तो उसे किसी क्वालिफाइड डॉक्टर से डायग्नोज़ कराना चाहिए | वेजाइनल इन्फेक्शन कई अलग-अलग तरह के होते हैं जिन्हें गलती से यीस्ट इन्फेक्शन समझ लिया जाता है और उनमे एक जैसा ट्रीटमेंट नहीं चलता | प्रारंभिक डायग्नोसिस के बाद बार-बार होने वाले यीस्ट इन्फेक्शन (जब तक ये जटिल या गंभीर न हों) का घर पर इलाज़ किया जा सकता है |

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