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झूठ बोलना कठिन भी हो सकता और जटिल भी, विशेषकर तब, जबकि आप अक्सर झूठ नहीं बोलते हों। झूठ बोलना शुरू करने वालों को अच्छे झूठ के कुछ बेसिक गुण जान लेने चाहिए, जैसे कि झूठ में सादगी होनी चाहिए और झूठ बोलते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि झूठ विश्वास योग्य लगे। अगर आप झूठ का प्लान समय से पहले ही तैयार कर लेंगे, तब कुछ समय लगा कर उसको लिख लेने और तब तक उसकी प्रैक्टिस करने से ताकि वह विश्वसनीय लगने लगे, आपको सहायता मिल सकती है। संभवतः झूठ का सबसे महत्वपूर्ण भाग उसको कंविन्सिंग्ली (convincingly) बोलना होता है। आपको उन कॉमन चीज़ों को अवॉइड करना होगा जिनके कारण झूठ की पोल खुल जाती है, जैसे फ़िजेट (fidget) करना, अपनी आवाज़ बदलना, और आई कॉन्टेक्ट नहीं करना।

विधि 1
विधि 1 का 6:

प्रभावी झूठ को एस्टैब्लिश करिए

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  1. उसमें इतनी डिटेल्स तो रखिए, जिससे आपका झूठ लेजिटीमेट लगे, मगर इतनी भी नहीं कि वह कॉम्प्लिकेटेड हो जाये। इलैबोरेट झूठ का मतलब होता है, उसमें अधिक डिटेल्स देना और फिर आपको उनका ट्रैक रखना होता है, तथा अक्सर उसका मतलब यह भी होता है कि आपको अधिक एक्सप्लेन भी करना पड़ सकता है। सीधे-सादे झूठ को बनाए रखना कहीं आसान होता है।
    • उदाहरण के लिए एक इलैबोरेट झूठ हो सकता है, “मुझे देर इसलिए हो गई क्योंकि आई-70 पर रास्ता जाम था और मुझे एण्ट्रेंस रैंप तक वापस आ कर उसकी जगह, गाँव वाली सड़कें लेनी पड़ीं।” इस झूठ का सीधा-सादा वर्ज़न हो सकता है, “आई-70 पर रास्ता जाम था।”
    • झूठ की सादगी का अर्थ यह है कि आपको उसमें कोई और डिटेल्स नहीं शामिल करनी होंगी।
  2. किसी दूसरे को गवाही या बहाने के शामिल करने से झूठ, ज़रूरत से अधिक कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है। अगर वह व्यक्ति, जिससे आपने झूठ बोला है, वह आपके बहाने को चेक करेगा, तब वह आपके झूठ को पकड़ लेगा।
    • अगर आप अपने झूठ में किसी दूसरे को इस्तेमाल करेंगे, तब यह सुनिश्चित कर लीजिये कि आप उनको पहले से ही बता अवश्य दें। कुछ लोग आपके झूठ का भाग बनना एप्रीशिएट नहीं भी कर सकते हैं।
    • अगर आप समय से पहले ही अपने झूठ को प्लान कर रहे हैं, तब उस व्यक्ति का नाम झूठ में इस्तेमाल करने के बाद उसे बताने की जगह, कम से कम झूठ बोलने से पहले उससे बात कर लीजिये और पूछ लीजिये कि क्या वह आपको कवर करने के लिए तैयार है।
  3. जब आप झूठ बोलें, तब उसमें केवल उसी जानकारी को शामिल करिए जो विश्वसनीय है। बात को इतना बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइये कि सुनने वाला आपकी बातों पर सवाल उठाने लगे। अपने झूठ को जितना हो सके उतना वास्तविक बनाइये। [१]
    • अपने झूठ के संबंध में क्रिटिकल रहिए और ध्यान रखिए कि वह रीज़नेबल रहे। केवल अपने जजमेंट पर भरोसा मत करिए, बल्कि उस व्यक्ति के बारे में भी सोचिए जिससे आप झूठ बोल रहे हैं, कि क्या वह उस बात को रीज़नेबल मानता है।
    • उदाहरण के लिए, अपनी पत्नी से यह कहना कि घर में एक चिड़िया उड़ कर आ गई थी और उसने उसका लैंप तोड़ दिया, कोई विश्वसनीय झूठ नहीं है। उससे यह बताना कि आप अपने कुत्ते से टकरा कर उस के ऊपर लुढ़क गए थे और उससे लैंप गिर गया, अधिक विश्वसनीय है।
  4. पूरी तरह से झूठी बातों वाले झूठ आसानी से पकड़े जा सकते हैं, परंतु अगर आप उसमें थोड़े सच का छिड़काव कर देंगे तब वह अधिक विश्वसनीय हो जाते हैं। अपने झूठ को पूरी तरह सच समझाने के लिए कोई ऐसा तरीका ढूंढिए जिससे कि आप यह दिखाने के लिए कोई सबूत दे सकें कि वह सच है। [२]
    • झूठ की अपेक्षा सच बोलने में वास्तविक भावनाओं का प्रदर्शन करना आसान होता है। अगर आप सच वाले हिस्से पर ज़ोर देंगे, तब आप अपनी भावनाओं को छुपा सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए, अगर आप अपने दोस्तों के किसी ग्रुप के साथ देर रात तक बाहर रहे हैं, और उस ग्रुप में आपकी एक्स-गर्लफ़्रेंड हॉली भी रही हो। अपनी वर्तमान गर्लफ़्रेंड को बताइये, “मैं कार्ल, स्टीव और स्टेसी के साथ हैंग आउट कर रहा था।” यह सच है कि आप इन लोगों के साथ थे, मगर आप हॉली के भी वहाँ होने के संबंध में झूठ बोल रहे हैं।
  5. जिस विषय में आपको झूठ बोलना हो, उस विषय पर चर्चा शुरू करके, आप दबाव में झूठ बोलने से बच सकते हैं। आपसे कुछ पूछा जाये, उसके पहले ही अपने मन से झूठ बोल दीजिये। सुनने वाला शायद यह नहीं सोचेगा कि आप झूठ बोल रहे हैं, क्योंकि आपने ही वह जानकारी देने के लिए वोलंटियर किया है।
    • अगर वह व्यक्ति, जिससे आप झूठ बोल रहे हैं, पहले से ही अपसेट या सशंकित है, तब आपके द्वारा बोले गए झूठ के संबंध में उसके क्रिटिकल होने की संभावना अधिक है। अगर उसने अभी तक सिचुएशन के संबंध में नहीं सोचा होगा, तब इसकी संभावना अधिक है कि वह आपकी बात को बिना कुछ अन्य सवाल किए स्वीकार कर लेगा।
    • अगर आप जा कर अपने दोस्त के बैंड को देखते हैं, और वे बहुत ही बुरे होते हैं, तब सेट के बाद उनके पास जाइए, और उस बारे में, उनके पूछने से पहले ही कह दीजिये, “तुम लोग बढ़िया थे!”
विधि 2
विधि 2 का 6:

झूठ को याद कर लेना

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  1. झूठ के संबंध में सबसे कठिन बात होती है, अपनी कही बात को याद रखना। इससे भी कठिन होता है कि अगर आपको थोड़े थोड़े समय के बाद उसी झूठ को कई लोगों से दोहराना होता है। इसको अवॉइड करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि झूठ को लिख डाला जाये।
    • अगर आपके पास झूठ को प्लान करने का समय हो, तब पहले उसको लिख डालिए। अगर आप स्पॉन्टेनियसली झूठ बोलते हैं, तब यह लिख लीजिये कि आपने झूठ किससे बोला था और आपने क्या कहा था।
    • अगर झूठ टाइम-सेंसिटिव है, और कुछ समय बाद उसकी ज़रूरत नहीं रहेगी, तब आपने जहां उसे लिखा था, उस काग़ज़ को बहुत दिनों तक रखने की ज़रूरत नहीं रहेगी। अगर झूठ के परिणाम लंबे समय तक रहेंगे, तब आपको उस काग़ज़ को किसी सुरक्षित जगह पर रखना ही होगा।
    • लिखने से आपको बातें क्लियर करने और उनको याद रखने में मदद मिलती है। अगर आप काग़ज़ को तुरंत फेंक भी देते हैं, लिख लेने से आपको झूठ अपने मन में एस्टैब्लिश कर लेने में मदद मिल सकती है।
  2. अगर कोई चीज़ सच है, तब अक्सर उसको याद रखना आसान होता है, मगर, अगर आप झूठ बोल रहे होंगे, तब आप भूल सकते हैं कि आप इगज़ैक्टली क्या कहना चाहते हैं। झूठ को बार-बार बोलने से आपको उसे और प्रभावी तरीके से कहने में मदद मिलती है। [३]
    • अगर आप ऑन-द-स्पॉट झूठ बोल रहे होंगे, तब आपको अपने झूठ की प्रैक्टिस करने का अवसर नहीं मिलेगा। आपने जो भी कहा होगा आप उसको बाद में दोहरा सकते हैं ताकि आपको ठीक ठीक याद रहे कि आपने कैसे झूठ बोला था।
    • अगर आपके पास पहले ही झूठ बोलने का समय हो, तब आप उसको अलग-अलग तरह से बोल कर देख सकते हैं कि झूठ बोलने के लिए सबसे अच्छी डेलीवरी क्या होगी।
  3. छोटे-छोटे झूठों को रिकॉर्ड करने के लिए वीडियो कैमरा की ज़रूरत नहीं है, मगर अगर आप बड़े झूठ की तैयारी कर रहे हैं, वीडियो से मदद मिल सकती है। आपका झूठ कंविन्सिंग है या नहीं, यह तय करने के लिए अपने आपको वीडियो पर देखिये। अगर ठीक नहीं लगे, तब उसको एडजस्ट करने के लिए कोई रास्ता निकाल लीजिये। [४]
    • यह तो शीशे में खुद को देख कर झूठ बोलने जैसा है, मगर वास्तव में शीशे में देख कर झूठ बोलना अधिक डिस्ट्रैक्टिंग होता है। अपना वीडियो ले कर उसे देखने से आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि कि आपकी डेलीवरी कंविन्सिंग थी या नहीं।
    • अगर आपकी डेलीवरी विश्वसनीय है, तब झूठ के शब्दों और प्रेज़ेंटेशन को याद रखने के लिए वीडियो को कई बार देखिये।
विधि 3
विधि 3 का 6:

झूठ बोलते समय अपने शरीर को कंट्रोल करना

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  1. झूठे अपने हाथों से बहुत फिजेट करते हैं। अगर आप खड़े हैं तब अपने हाथों को साइड में रखिए और अगर आप बैठे हैं तब उनको अपनी गोद में रखिए। अपनी ठोढ़ी या अपनी नाक को मत खुजलाइए। [५]
  2. आगे पीछे झूमना, अपने पैरों से टैप करना, या आम तौर पर बहुत हिलना-डुलना इस बात के लक्षण होते हैं कि आप झूठ बोल रहे हैं। और अपने कंधे भी बहुत बार मत उचकाइए। अपने पूरे शरीर को रिलैक्स्ड रख कर और हिलना-डुलना रोक कर आप अपने एपियरेंस को एक पॉइज़ (poise) देते हैं, और इसके कारण लोगों के मन में शक भी नहीं पैदा होगा।
  3. बाँहों को फ़ोल्ड करना क्लोज्ड पोश्चर माना जाता है और जब आप झूठ बोलते हैं तब अपनी बाँहों को क्रॉस मत करिए। उन्हें अपनी साइड्स में रखिए, या अगर आप बैठे हैं, तब अपने हाथों को अपनी गोद में रखिए। [६]
  4. झूठे लोगों की नरवसली पलकें झपकाने की आदत होती है, और यह एक ऐसा संकेत है जिसे लोग आसानी से समझ लेते हैं। इसके अलावा यह भी समझ लीजिये कि बहुत देर तक आँखें खुली रखने से भी लोगों को शक हो सकता है, इसलिए जान-बूझ कर जितना हो सके, उतना नॉर्मल तरीके से पलकें झपकाते रहने की कोशिश करिए।
  5. आई कॉन्टेक्ट का इस्तेमाल अपने फ़ायदे के लिए करिए: कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा है, इसके सबसे यक़ीनी संकेतों में से एक होता है, कि वह सुनने वाले पर से अपनी नज़रें हटा लेता है। अपने झूठ को छुपाने के लिए आप अपने आई कॉन्टेक्ट पर कंट्रोल कर सकते हैं। दूसरा व्यक्ति आप पर विश्वास कर सके इसलिए पर्याप्त आई कॉन्टेक्ट बनाए रखिए। [७]
    • आपको, बहुत कम और बहुत अधिक आई कॉन्टेक्ट के बीच में संतुलन बनाना होगा। अगर आप दूसरी ओर देखे बिना उस व्यक्ति को घूरते रहेंगे, तब भी आप उतने ही संदिग्ध लगेंगे जितने कि तब, जब आप उससे कभी भी नज़रें मिलाएंगे ही नहीं।
  6. आप जिस व्यक्ति से झूठ बोल रहे हैं, अपना शरीर उसकी ओर मोड़े रहिए: अपने शरीर को साइड में या दूसरी ओर मोड़ लेना इस बात का संकेत समझा जाता है कि आप कुछ छुपा रहे हैं। सुनिश्चित करिए कि आपका शरीर उनकी ओर ही मुड़ा रहे। अपनी आँखें भी उन्हीं की ओर रखिए, और दूर कहीं अन्तरिक्ष में मत देखते रहिए।
  7. इंटीमेसी बनाने के लिए शरीर को छूने के एक्शन का इस्तेमाल करिए: जब आप झूठ बोल रहे हों, तब जिससे आप झूठ बोल रहे हैं, उसे उचित ढंग से छुईए। अपने हाथ उनके कंधों पर रखिए, उनका हाथ पकड़ लीजिये, या अगर आप उनके पास बैठे हैं, तब कोमलता से उनके पाँव को छुईए। उनको छू कर आप उनको अपने प्रति सॉफ्ट कर लेंगे, तथा अधिक विश्वासी बना लेंगे।
    • हाँ, आपको यह तय करना होगा कि आप उस व्यक्ति के साथ इतनी नज़दीकी रिलेशनशिप में हैं या नहीं, कि आप उनको छूना शुरू कर सकें। अनेक परिस्थितियों में ऐसा मामला नहीं होगा।
विधि 4
विधि 4 का 6:

अपने बोलने को कंट्रोल करना

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  1. एक और अनकॉन्शस परिवर्तन जो होता है, वह है कि जब आप झूठ बोलते हैं तब आपकी आवाज़ की पिच ऊंची हो जाती है। कोशिश करके अपनी आवाज़ की पिच को मॉडरेट करिए ताकि वह आपके सामान्य स्तर पर बनी रहे। यह सुनिश्चित करिए कि आपके आवाज़ सिचुएशन के अनुसार उचित बनी रहे। [८]
    • यह तथ्य कि झूठ बोलते समय आवाज़ की पिच ऊंची हो जाती है, जगज़ाहिर है, इसलिए अगर लोगों को शक होगा कि आप झूठ बोल रहे हैं, तब लोग उस पर ध्यान देंगे।
    • ऊंची होने की आदत को बैलेंस करने के लिए, अगर आप चाहें तो आप उसको आम तौर पर जितना ऊंचा रखते हैं, उससे नीचे रख सकते हैं।
    • इसके अलावा अपने टोन और वॉल्यूम पर भी ध्यान दीजिये ताकि वह परिस्थिति के अनुसार उचित ही रहे। अगर आपको अफ़सोस दिखाना हो तब बहुत चीयरफ़ुल टोन में मत बोलिएगा, और न ही उस समय सीरियस टोन में बोलिएगा जब कि आपके झूठ को एनकरेज करने वाला लगने की ज़रूरत हो।
  2. जब आपसे कोई सवाल पूछा जाये, तब पूरा जवाब दीजिये, मगर ख़ुद को बातों के जंगल में भटकने मत दीजिये। न तो बीच में रुकिए और न ही फ़िलर शब्दों को शामिल करके रैंबल (ramble) करिए। रैंबल करना या टॉपिक से हट जाना इस बात का स्पष्ट संकेत होता है कि आप झूठ बोल रहे हैं। [९]
    • हालांकि इसमें प्रैक्टिस की ज़रूरत होगी, मगर आपको अपने जवाब संतुलित रखने होंगे, जिससे कि न तो वे बहुत लंबे हों और न ही बहुत छोटे। दोनों से ही शक हो सकता है।
  3. झूठ बोलते समय एक नैचुरल आदत यह होती है कि बहुत फॉर्मल हो जाया जाता है। लोग आपके विशिष्ट डेमेनोर (demeanor) के अंतर को नोटिस करेंगे। “did not” और “was not” की जगह “didn’t” और “wasn’t” जैसे कॉन्ट्रेक्शन्स का इस्तेमाल करिए। स्लेंग या कोलोकियल टर्म्स का इस्तेमाल करने में मत हिचकिचाइएगा क्योंकि बातचीत में ये नॉर्मल लगते हैं।
    • उदाहरण के लिए “I am not entirely sure” की जगह, “I don’t know” कहिए।
विधि 5
विधि 5 का 6:

फॉलो-अप प्रश्नों का जवाब देना

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  1. जब आप झूठ बोल चुकेंगे, तब शायद आपसे कहानी को फिर से सुनाने के लिए कहा जा सकता है, या आपसे उसका पूरा एक्स्प्लेनेशन मांगा जा सकता है। अपने बात से पीछे मत हटिएगा और अपने झूठ से मुकर मत जायेगा। उसी पर टिके रहिए, और कोशिश करिए कि उसको पिछली बार बताई गई बात के जितना संभव हो, उतना क्लोज़ली ही दोहराएँ। एक ही सवाल को बार बार पूछना एक ऐसा तरीका होता है जिससे झूठ पकड़ा जा सके।
  2. जब आपसे और अधिक जानकारी मांगी जाये, तब उस झूठ में बहुत अधिक ऐसा कुछ मत जोड़ दीजिये जिससे वह कॉम्प्लिकेटेड हो जाये। पूरी कोशिश करिए कि आप उसमें कोई छोटी सी जानकारी शामिल कर दें जिससे झूठ थोड़ा बढ़ तो जाये मगर उसको बनाए रखना बहुत कठिन न हो जाये।
  3. कभी-कभी आप एक प्रश्न के उत्तर में दूसरा प्रश्न पूछ कर लोगों को डिसओरिएंट तथा डिसट्रैक्ट कर सकते हैं। आप ऐसा कुछ कह सकते हैं, "तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते?" या "क्या तुमने यह कहानी किसी दूसरे से सुनी?" इसके कारण जो व्यक्ति आपसे प्रश्न पूछ रहा होता है, वह जवाब देने की कठिनाई में पड़ जाता है।
  4. अगर आप बिलकुल पकड़े जाने वाले हों तब कहिए कि आपको याद नहीं कि आपने झूठ बोला था: इससे दूसरे व्यक्ति को लगने लगेगा कि आपका झूठ उनकी कल्पना मात्र है। हालांकि सावधान रहिएगा – यह तरीका आम तौर पर उतनी अच्छी तरह काम नहीं करता है, और जब यह काम नहीं करेगा, तब आप पकड़े जा सकते हैं।
विधि 6
विधि 6 का 6:

झूठ का पकड़ा जाना

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  1. मान लीजिये कि आपने झूठ बोला था और माफ़ी मांग लीजिये: हो सकता है कि किसी न किसी पॉइंट पर आपका झूठ पकड़ा जाये, और ज़ाहिर है कि आप उसके जाल से निकल नहीं पाते हैं। हो सकता है कि किसी को वह वीडियो मिल जाये जिस से यह साबित हो जाये कि आपने झूठ बोला, या हो सकता है किसी तरह के डॉक्युमेंट्स मिल जाएँ, जिससे साबित हो जाये कि आप झूठ बोल रहे थे। उस समय झूठ को आगे फैला कर और परिस्थिति को अपने लिए और भी बुरी बनाने की जगह, आपने जो भी किया हो उसको मान लीजिये और उसके परिणाम भुगत लीजिये। [१०]
    • आम तौर झूठ को आगे न बढ़ा कर उसको मान लेने से आपकी कुछ विश्वसनीयता वापस आ जाएगी।
    • अपनी ग़लतियों से सीखिये, और कोशिश करिए कि अगली बार जब आपको झूठ बोलने की ज़रूरत पड़े, तब आप उन ग़लतियों को अवॉइड कर सकें।
    • यह काउंटरइंट्यूटिव लग सकता है, मगर आपको जल्दी ही पता चलेगा कि इसके कारण आप पर से बहुत बड़ा वज़न आप पर से उठ जाएगा, और आपको झूठ बनाए नहीं रखना पड़ेगा।
  2. कोई भी बहाना बनाए बिना, एक्सप्लेन करिए कि आपने झूठ क्यों बोला था: जब आप एक बार मान लेंगे कि आपने झूठ बोला था, तब संभावना यही है कि आपसे और भी प्रश्न पूछे जाएँगे। अपने झूठ को जस्टिफ़ाई करने की कोशिश मत करिएगा, मगर यह एक्सप्लेन करिएगा कि आप किस तरह से उस बारे में सोच रहे थे। उस व्यक्ति को बताइये कि आपको झूठ बोलने की ज़रूरत क्यों पड़ी और आपने क्यों सोचा कि आपका सच आपके लिए काम नहीं करेगा। [११]
    • हो सकता है कि वह व्यक्ति आपके एक्स्प्लेनेशन को स्वीकार न करे या कहे कि आपकी बात बेकार है या ठीक नहीं है। तब बहस मत करिए, बल्कि आपने जो कारण बताए हैं, चाहे उनका परिणाम जो भी हुआ हो, उन्हीं पर टिके रहिए।
  3. उस व्यक्ति से बताइये कि किस तरह से आप उसकी क्षति-पूर्ति करेंगे: झूठ बोलने से किसी न किसी तरह नुकसान तो होगा ही, तो जब आप पकड़े जाएँगे, तब आपको चीज़ों को ठीक करना होगा। परिस्थिति का इलाज करने के लिए उस व्यक्ति को कुछ कंक्रीट स्टेप्स बता दीजिये। आप जो भी करने वाले हैं उसके लिए ईमानदार रहिए और फिर वही करने के लिए फॉलो थ्रू करिए। [१२]
    • आपको जो चीज़ें ठीक करनी हैं, हो सकता है वे समस्या न हो कर रिश्तों का तनाव हों। अपने पछतावे को दिखाने के लिए और अपने झूठ की भरपाई करने के लिए, आपको कुछ भावनात्मक काम करने की ज़रूरत हो सकती है।

सलाह

  • अगर आप अक्सर झूठ बोलते होंगे, तब आप अपने झूठों का ट्रैक खो सकते हैं या शायद आप पर विश्वास ही न किया जाता होगा। अगर आप कम बार झूठ बोलते होंगे, तब आप कितनी बार झूठ बोलते हैं, वह बात बिना नोटिस किए हुये गुज़र जाएगी।
  • अगर आपकी बोली कॉन्फिडेंट होगी, तब वह अधिक विश्वसनीय होगी।

चेतावनी

  • झूठ अक्सर पकड़े जाते हैं, और कुछ झूठों के परिणाम दूसरों की तुलना में बहुत विशाल होते हैं। हमेशा ठीक यही होता है कि आप ख़ुद से पूछें कि क्या यह झूठ इस जोखिम को उठाने के लायक है।
  • कानूनी मामलों में झूठ बोलना कभी भी एक अच्छा विचार नहीं होता है क्योंकि उनके परिणाम बहुत बड़े हो सकते हैं।

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