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टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के टेस्टीकल्स और महिलाओं की ओवरीज में प्रोड्यूस होने वाला एक हार्मोन है | महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के खून में 7 से 8 गुना ज्यादा टेस्टोस्टेरोन हार्मोन होता है | हालाँकि, शरीर नेचुरली इस हार्मोन को प्रोड्यूस करता है लेकिन कुछ ख़ास मेडिकल कंडीशन को ठीक करने के लिए आर्टिफीसियल रूप से भी लिया जाता है | किसी भी सबक्युटेनियस इंजेक्शन (subcutaneous injection) के रूप में, इन्फेक्शन की कम से कम रिस्क के साथ सावधानी रखते हुए टेस्टोस्टेरोन का सुरक्षित डोज़ लिया जा सकता है |

विधि 1
विधि 1 का 2:

तय करें कि क्या टेस्टोस्टेरोन थेरेपी आपके लिए उचित है

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  1. जानें कि डॉक्टर द्वारा टेस्टोस्टेरोन कब और क्यों लिख जाता है: लोगों को कई तरह की मेडिकल कंडीशन के कारण टेस्टोस्टेरोन लेना पड़ता है | आमतौर पर टेस्टोस्टेरोन पुरुषों में हाइपोगोनेडिस्म (hypogonadism) के इलाज़ के लिए लिखा जाता है जो एक ऐसी कंडीशन है जो टेस्टीकल्स के सही तरह से काम न करने के कारण डेवलप होती है | [१] लेकिन, टेस्टोस्टेरोन लेने का केवल यही एकमात्र कारण नहीं हैं | नीचे कुछ अन्य कारण भी दिए जा रहे हैं:
    • कई बार टेस्टोस्टेरोन ट्रांसजेंडर लोगों को उनके लिंग पुष्टिकरण और ट्रांजीशन के रूप में दिया जाता है |
    • कुछ महिलाओं को एण्ड्रोजन हार्मोन की कमी के लिए इलाज़ के रूप में टेस्टोस्टेरोन दिया जाता है जो आमतौर पर मीनोपॉज या रजोनिवृत्ति में होती है | एण्ड्रोजन की कमी से होने वाला सबसे कॉमन लक्षण है- सेक्स की इच्छा कम हो जाना | [२]
    • अंत में, कुछ पुरुष उम्र बढ़ने के कारण टेस्टोस्टेरोन प्रोडक्शन कम होने में सामान्य इफेक्ट्स की रोकथाम करने के लिए टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट लेते हैं | लेकिन इसकी प्रैक्टिस पर अभी तक कोई ख़ास स्टडी नहीं हुई है इसलिए अधिकतर फिजिशियन इसकी सलाह नहीं देते | इसके बारे में कुछ स्टडी हो चुकी हैं जो मिले-जुले रिजल्ट्स देती हैं। [३]
  2. किसी रोगी को आमतौर पर इंजेक्शन के जरिये ही टेस्टोस्टेरोन दिया जाता है | लेकिन, टेस्टोस्टेरोन को बॉडी में पहुंचाने के की कई सारी मेथड्स होती हैं जिनमे से कुछ विधियों का इस्तेमाल कुछ ख़ास रोगियों में किया जाता है | इनमे शामिल हैं: [४]
  3. चूँकि टेस्टोस्टेरोन एक हार्मोन है इसलिए यह शरीर के फंक्शन में विशेष बदलाव ला सकता है और इससे कुछ मेडिकल कंडीशन और ख़राब या बदतर हो सकती हैं | अगर रोगी प्रोस्टेट कैंसर या ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित हो तो टेस्टोस्टेरोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | इस थेरेपी से पहले और बाद में टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट दिए जाने वाले सभी रोगियों का प्रोस्टेट एग्जाम और प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) की स्क्रीनिंग करानी चाहिए जिससे सुनिश्चित हो सके कि उसे प्रोस्टेट कैंसर नहीं है | [५]
  4. टेस्टोस्टेरोन थेरेपी के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानें: टेस्टोस्टेरोन निश्चित रूप से एक पावरफुल हार्मोन है | बल्कि सुरक्षित रूप से डॉक्टर के द्वारा मॉनिटर करते हुए इस्तेमाल करने पर भी, इससे कई साइड इफेक्ट्स देखे जा सकते हैं | टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट के सबसे कॉमन साइड इफेक्ट्स हैं: [६]
  5. किसी भी सीरियस मेडिकल ट्रीटमेंट की तरह, टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट का निर्णय भी हलके में नहीं लेना चाहिए | इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें जिससे वे आपकी कंडीशन और लक्ष्य का अंदाज़ा लगा सकें और आंकलन कर सकें कि टेस्टोस्टेरोन लेना आपके लिए सही है या नहीं |
विधि 2
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टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन लगवाएं

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  1. इंजेक्शन के लिए टेस्टोस्टेरोन को आमतौर पर cypionate या testosterone enanthate के रूप में लगाया जाता है | ये लिक्विड कई तरह के कंसंट्रेशन में आते हैं इसलिए इंजेक्शन लेने से पहले यह जानना बहुत जरुरी है कि आपके द्वारा लिए जाने वाले डोज़ में सीरम टेस्टोस्टेरोन का कंसंट्रेशन सही मात्रा में हो | आमतौर पर, टेस्टोस्टेरोन या 100 मिलीग्राम/मिलीलीटर या 200 मिलीग्राम/मिलीलीटर के कंसंट्रेशन में आता है | दूसरे शब्दों में कहें तो टेस्टोस्टेरोन के कुछ डोज़ दूसरों के मुकाबले कंसंट्रेशन में दोगुने होते हैं | इंजेक्शन लेने से पहले अच्छी तरह से चेक कर लें कि आपने जो डोज़ चुना है, उसमे टेस्टोस्टेरोन का सही कंसंट्रेशन है या नहीं |
  2. एक स्टेराइल, उचित नीडल और सिरिंज का इस्तेमाल करें: सभी इंजेक्शन की तरह, टेस्टोस्टेरोन का डोज़ लेते समय स्टेराइल और पहले कभी इस्तेमाल न की गयी नीडल का इस्तेमाल करना बहुत जरुरी होता है | गन्दी नीडल से हेपेटाइटिस और HIV जैसी रक्तजनित घातक बीमारियाँ हो सकती हैं | हर बार टेस्टोस्टेरोन का इंजेक्शन लगवाते समय एक साफ़, सील्ड, ढक्कनबंद नीडल का ही इस्तेमाल करें |
    • इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि दूसरी इंजेक्टेबल मेडिकेशन की तुलना में टेस्टोस्टेरोन थोडा ज्यादा गाढा और ऑयली होता है | इसी कारण, आपको डोज़ डालने के लिए नॉर्मल से थोड़ी ज्यादा मोटे बोर वाली नीडल (जैसे 18 या 20 गेज वाली) का इस्तेमाल करना होगा | मोटी नीडल विशेषरूप से पीड़ादायक हो सकती हैं इसलिए जब सच में इंजेक्शन लगाने का समय आता है तो आपको मोटी नीडल को हटाकर उसकी जगह पर पतली नीडल का इस्तेमाल करना होगा |
    • अधिकतर टेस्टोस्टेरोन डोज़ के लिए 3 मिलीलीटर की सिरिंज पर्याप्त होती है |
    • अगर आपसे नीडल या सिरिंज नीचे गिर जाए तो उसे फेंक दें | इसे इस्तेमाल न करें क्योंकि फिर से स्टेराइल नहीं रह जाती |
  3. इन्फेक्शन की रिस्क कम करने के लिए, इंजेक्शन देने से पहले अपने हाथों को साफ़ रखना बहुत जरुरी होता है | अपने हाथों को एंटीबैक्टीरियल साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोकर साफ़ कर लें और उसके बाद साफ़ ग्लव्स पहनें | अगर आप इंजेक्शन देने से पहले गलती से कोई अनसैनीटाइज चीज़ या सरफेस टच कर लें तो सुरक्षा की दृष्टी से ग्लव्स बदल लें |
  4. डॉक्टर आपके टेस्टोस्टेरोन के कंसंट्रेशन को ध्यान में रखते हुए डोज़ के वॉल्यूम का आंकलन करते हुए सिफारिश योग्य डोज़ देंगे | उदाहरण के लिए, अगर डॉक्टर आपको 100 मिलीग्राम डोज़ लेने की सिफारिश करते हैं तो आपको 100 मिलीग्राम/मिलीलीटर टेस्टोस्टेरोन सलूशन के एक मिलीलीटर या 200 मिलीग्राम/मिलीलीटर टेस्टोस्टेरोन सलूशन के ½ मिलीलीटर का इस्तेमाल करना होगा | डोज़ भरने के लिए, सबसे पहले अपनी सिरिंज में से डोज़ के वॉल्यूम के बराबर हवा खींचें | इसके बाद, दवा की बोतल को अल्कोहल वाइप से पोंछकर ढक्कन में से नीडल को दवा में अंदर डालें और सिरिंज की हवा को बोतल में दबाकर निकालें | अब बोतल को उल्टा करके टेस्टोस्टेरोन का सही डोज़ भरें |
    • बोतल में हवा इंजेक्ट करने से उसका इंटरनल एयर प्रेशर बढ़ जाता है जिससे दवा आसानी से सिरिंज में भर जाती है | यह टेस्टोस्टेरोन के लिए विशेषरूप से जरुरी होता है क्योंकि यह काफी गाढ़ा होता है और मुश्किल से सिरिंज से भरता है |
  5. मोटी नीडल्स बहुत पीड़ादायक हो सकती हैं | खुद को अतिरिक्त पीड़ा देने की कोई जरूरत नहीं है, अगर विशेषरूप से आप किसी ऐसे प्रोग्राम में हों, जहाँ आपको बार-बार इंजेक्शन लगवाने पड़ते हों | छोटी नीडल का इस्तेमाल करके उसमे सही डोज़ में दवा भरने के बाद नीडल को बोतल से बाहर निकाल लें और इसमें पॉइंट को अपने सामने लायें | थोड़ी सी मात्रा में एयर या हवा खींचें, इससे मेडिसिन और सिरिंज के ऊपरी हिस्से के बीच एक स्पेस बन जाता है जिससे दवा फैलती नहीं है | धुले हुए और ग्लव्स पहने हुए हाथों से सिरिंज को न पकड़ते हुए सावधानीपूर्वक फिर से कैप हटायें और नीडल को अनस्क्रू करें | इसके बाद सबसे पतली नीडल से रिप्लेस करें ( जैसे 23 गेज के नीडल से) |
    • याद रखें कि दूसरी नीडल भी सील्ड और स्टेराइल होनी चाहिए |
  6. किसी व्यक्ति के शरीर में एयर बबल इंजेक्ट करने से सीरियस मेडिकल कंडीशन डेवलप हो सकती हैं जिसे एम्बोलिस्म (embolism) कहा जाता है | इसी कारण, यह सुनिश्चित करना बहुत जरुरी होता है कि टेस्टोस्टेरोन इंजेक्ट करने समय सिरिंज में कोई एयर बबल न हों | यह काम aspiration कहलाने वाली प्रोसेस के जरिये किया जाता है | इसके लिए नीचे दिए गये निर्देश देखें:
    • सिरिंज को उसकी नीडल का कैप हटाकर पकड़ें और इसे अपनी तरफ पॉइंट करके रखें |
    • सिरिंज में भरे एयर बबल्स देखें | इन बबल्स को टॉप पर लाने के लिए सिरिंज को फ्लिक करें |
    • जब आपके डोज़ में से सारे बबल निकल जाएँ तो धीरे से प्लंजर को दबाएँ जिससे एयर सिरिंज की टॉप पर आकर बाहर निकल जाए | अगर आपको सिरिंज के ऊपरी हिस्से पर दवा की बूँद दिखाई दें तो रुक जाएँ | सावधानी रखें जिससे जमीन पर डोज़ की ज्यादा मात्रा न गिरे या स्प्रे न हो |
  7. टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन आमतौर पर इंट्रामस्कुलर लगाया जाते है जो डायरेक्टली मसल्स में दिया जाता है | इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन की सबसे आसन और सरल पहुँच वाली दो जगह हैं- vastus lateralis (जांघ का सबसे ऊपरी हिस्सा) या glut (जांघ के पिछले हिस्से का ऊपर भाग जैसे नितम्ब के उभरा हुआ हिस्सा) | केवल इन्ही जगहों पर टेस्टोस्टेरोन इंजेक्ट किये जा सकते हैं लेकिन ये जगह काफी कॉमन होती हैं | आप जो भी जगह चुनें, स्टेराइल अल्कोहल पैड लेकर उससे इंजेक्ट करने वाली जगह के चारो ओर तुरंत साफ़ करें | इससे स्किन के बैक्टीरिया मर जायेंगे और इन्फेक्शन होने से बचा जा सकेगा |
    • अगर glute मसल्स में इंजेक्ट करना हो तो इस मसल्स के बाहरी हिस्से पर लगाएं | दूसरे शब्दों में, या तो बायीं glute मसल के बाएं किनारे के ऊपरी हिस्से वाली जगह चुनें या दाहिनी glute के दाहिने किनारे के ऊपरी हिस्से वाली जगह चुनें | इन जगहों पर मसल्स टिश्यू आसानी से मिल जाते हैं और नर्व और glute मसल्स के दूसरे हिस्सों की ब्लड वेसल्स के डैमेज होने का खतरा नहीं रहता |
  8. लोडेड सिरिंज को स्टेराइल इंजेक्शन साईट के ऊपर 90 डिग्री के एंगल पर डार्ट की तरह पकड़ें | एक बार में जल्दी से एकसमान मोशन में इसे मांस में इंजेक्ट कर दें प्लंजर को दबाने से पहले इसे थोडा सा पीछे खींचें | अगर सिरिंज में ब्लड आये तो नीडल हटा लें और कोई दूसरी जगह चुनें क्योंकि ब्लड आने का मतलब है कि कोई नर्व हिट हो गयी है | दवा को लगातार, कण्ट्रोल तरीके से इंजेक्ट करें |
    • आपक थोडा डिसकम्फर्ट, प्रेशर या हलकी जलन फील हो सकती है | यह नॉर्मल है | अगर ये काफी सीवियर हो जाएँ या आपको तेज़ दर्द हो तो इसका इस्तेमाल तुरन्त बंद कर दें और डॉक्टर को दिखाएँ |
  9. जब आप पूरी तरह से प्लंजर को दबा चुकें तो नीडल को धीरे से बाहर निकालें | नीडल के एंट्री पॉइंट पर ब्लीडिंग चेक करें और और जरूरत हो तो स्टेराइल बैंडेड और/या साफ़ कॉटन बॉल लगाएं | इस्तेमाल की गयी नीडल को और सिरिंज को एक उचित शार्प कंटेनर में रखकर डिस्पोज़ कर दें |
    • अगर आपके पास कोई शार्प कंटेनर नहीं है तो कोई खराब, बिना छेद वाला कंटेनर खोजें जैसे लांड्री डिटर्जेंट बोतल | ध्यान रखें कि इस कंटेनर में टाइट-फिटिंग वाला ढक्कन होना चाहिए | इस कंटेनर को डॉक्टर की क्लिनिक या फार्मेसी से लेकर इसे सुरक्षित रूप से डिस्पोज़ करें | [७]
    • अगर, इंजेक्शन लगवाने के बाद इंजेक्शन वाली जगह पर नॉर्मल से ज्यादा रेडनेस, सूजन या दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ |

सलाह

  • दवाओं को ऊपर पहुंचाने के लिए बड़ी नीडल का इस्तेमाल करें | लेकिन टेस्टोस्टेरोन को सच में इंजेक्ट करने के लिए आप छोटी नीडल को स्विच कर सकते है |
  • नीडल का गेज जितना छोटा होगा, नीडल उतनी ही बड़ी होगी | उदाहरण के लिए, 18 गेज के नीडल 25 गेज की नीडल से बड़ी होती है |
  • इंजेक्ट करने के लिए आप इन्सुलिन पिन का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इंजेक्ट करने के लिए नीडल के साइज़ से कोई फर्क नहीं पड़ता | ऑइल इतना गाढा नहीं होना चाहिए कि वो नीडल से बाहर ही न आ पाए क्योंकि ऐसे में छोटी नीडल से इंजेक्ट करना काफी मुश्किल और समय लगाने वाला बन जायेगा |
  • इंजेक्शन लगवाने के बाद, उस जगह को सर्कुलर मोशन में मलें जिससे दवा ज्यादा असरदार तरीके से फ़ैल सके और सूजन और दर्द न हो पायें |
  • नीडल की लम्बाई भी अलग-अलग तरह की होती हैं | सबसे कॉमन लम्बाई 1 इंच और 1.5 इंच होती है | अगर आप ज्यादा मांसल हैं तो 1.5 इंच (3.8 सेंटीमीटर) की लम्बाई वाली नीडल का इस्तेमाल करें, अगर आप बहुत ज्यादा मांसल नहीं हैं तो 1 इंच (२.5 सेंटीमीटर) की नीडल का इस्तेमाल करें |

चेतावनी

  • दवा को हमेशा सिफारिश किये गये तापमान पर ही स्टोर करें और बोतल की एक्सपायर डेट चेक करते रहें | अगर यह एक्स्पायर्ड तो तो इस्तेमाल न करें |
  • सभी दवाओं को बच्चों की पहुँच से दूर रखें |
  • डॉक्टर की सलाह के बिना अपना डोज़ बदलें |

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