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डकार – जिसको लोग अलग अलग नामों से बुलाते हैं – इसोफैगस और मुंह के ज़रिये निकलने वाली वायु या गैस को कहते हैं। हालांकि यह एक प्राकृतिक शारीरिक क्रिया है और कुछ संस्कृतियों में सामाजिक रूप से अच्छे भोजन की प्रशंसा के रूप में स्वीकार्य भी हो सकती है, परंतु यह असुविधाजनक, जल्दी जल्दी आने वाली, ज़ोर की आवाज़ के साथ या कष्टप्रद भी हो सकती है।

विधि 1
विधि 1 का 2:

डकारों को रोकने की सरल विधियाँ

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  1. जल्दी जल्दी खाने और पीने से, खाने के साथ अतिरिक्त वायु भी अंदर चली जाती है, जिसका परिणाम अशोभनीय डकारें होता है। थोड़ा धीरे चलिये, साथी!
    • सहज वातावरण में भोजन करिए। आरामदेह स्थल पर, बिना तनाव के खाना खाने से यह देखा गया है कि आपके द्वारा अनुभव की जाने वाली डकार और पेट की गैस नियंत्रण में रहती है। [१]
  2. निगलने से पहले भोजन को पूरी तरह से चबाइए। खाते समय बातें करने का अर्थ है कि आपका मुंह खुला रहता है और भोजन के साथ वायु के निगले जाने की संभावना बढ़ जाती है।
  3. कार्बोनेटेड पेयों में कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस होती है। यदि आपको कार्बोनेटेड पेय पीने ही हैं, तब लंबे समय में छोटी छोटी चुसकियाँ लेकर पीजिए।
  4. पीने की नली उपयोग करने या कैन अथवा बोतल से पीने के स्थान पर ग्लास से चुसकियाँ लीजिये: पीने की नली आमतौर पर पेय के साथ अधिक वायु अंदर ले लेती है। चुसकियों से सबसे कम वायु अंदर जाती है।
  5. च्विंग गम खाने से, टौफ़ी चूसने से और धूम्रपान करने से बचिए: इन आदतों के कारण आपके पेट में अतिरिक्त वायु चली जाती है।
    • यदि आप कर सकें तो मुंह खोल कर बड़ी बड़ी जमुहाइयाँ लेने से बचिए। यदि जमुहाई लेने की इच्छा महसूस हो तो अधिकतर समय मुंह बंद रखने का प्रयास करिए और उस इच्छा को निकल जाने दीजिये।
  6. अपने आहार में परिवर्तन लाइये जिससे कि उसमें गैस उत्पादन करने वाले भोजन कम से कम हों: पके हुये बीन्स, दालें, ब्रोकोली, बंद गोभी, पत्ता गोभी, गोभी, सलाद, प्याज़, चॉकलेट, तथा फल - जैसे सेब, आड़ू, नाशपाती से पाचन के दौरान गैस बनती है जिसके परिणाम स्वरूप, डकारें आती हैं, पेट फूलता है, तथा वायु बनती है।
    • साथ ही, ऐसे भोजनों से भी बचिए जिनमें वायु बहुत अधिक हो जैसे, मूस, सूफ़्ले, तथा फेंटी हुयी क्रीम। आप जितनी अधिक वायु अंदर लेंगे, उतनी ही वायु को बाहर निकालना भी होगा।
विधि 2
विधि 2 का 2:

विभिन्न नीतियों का पालन कर डकारें रोकिए

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  1. सीने में जलन के कारण भी आपको बहुत डकारें आ सकती हैं। परंतु अच्छी बात यह है कि सीने में जलन को कुछ प्रकार के आहारों तथा भोजन की आदतों से कम किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि सीने की जलन तथा अधिक डकारों का आना यदि पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है तो कुछ कम तो किया ही जा सकता है। [२]
    • एक बार में अधिक भोजन खाने से, तथा सोने से तुरंत पहले भोजन करने से बचिए। अधिक भोजन करने से और पेट के फैलने से, पेट की LES नामक उस मांसपेशी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिसका काम पेट के अम्लों को गलत दिशा में जाने से रोकना होता है। [३] इसके कारण अक्सर सीने में जलन होती है।
    • गरिष्ठ भोजन करने से बचिए। गरिष्ठ भोजन को पचने में अधिक समय लगता है और वह पेट में भी अधिक देर तक रहता है। इसके कारण पेट में अधिक अम्ल उत्पन्न होते हैं और LES शिथिल हो जाती है।
    • अधिक अम्लीय भोजनों जैसे प्याज़, टमाटर, कॉफी, सलाद ड्रेसिंग, रेड वाइन, और फलों के ड्रिंक्स का सेवन करने से बचिए। साथ ही मसालेदार भोजनों जैसे काली मिर्च, लाल मिर्च तथा अन्य मसालों से भी बचिए।
    • सीने की जलन के अन्य कारकों पर भी ध्यान दीजिये। धूम्रपान, कसे हुये कपड़ों का पहनना, मोटापा, तथा पड़े रहना, इन सभी का सीने की जलन पर हानिकारक प्रभाव होता है।
  2. कुछ लोगों को पता भी नहीं चलता है कि वे परेशानी की स्थिति में आदतन गहरी सांसें खींचते रहते हैं। किसी मित्र से कहिए कि वह आपकी ओर देखे और जब आप ऐसा करें तो आपको बताए।
  3. यदि आपको ठंढ लगी है, या फ़्लू हुआ हो, जिसमें आपकी नाक बह रही हो, तब आदतन नाक सुड़कने के स्थान पर पानी की चुसकियाँ लीजिये ताकि वह वापस आपके फेफड़ों में न जाये:आप इसके साथ हवा भी अंदर ले लेंगे, जिसके परिणाम स्वरूप आपको लगातार डकारें और शायद खराब पेट का सामना करना पड़ेगा।
  4. ऐसे डेंचर जो ठीक से नहीं लगे होते हैं, उनके परिणाम स्वरूप खाते समय आप ढेर सारी वायु अंदर ले लेते हैं।
  5. इसके परिणाम स्वरूप उनके वे प्राकृतिक एंज़ाइम्स बने रहते हैं, जो पाचन क्रिया में सहायक होते हैं।
  6. बिना नुसख़े के मिलने वाला कोई ऐसा एंटेसिड लीजिये जिसमें सीमेथीकोन (simethicone) हो: इससे गैस के बड़े बड़े बुलबुलों को छोटे बुलबुलों में परिवर्तित होने में सहायता मिल सकती है।
    • बियानो (Beano) जैसा कोई एंज़ाइम सपलीमेंट लेकर देखिये। इससे अनचाही डकारों और पेट में बनने वाली वायु, दोनों का जोखिम कम होगा।
  7. ऐसे कपड़े जो कमर पर कसे होते हैं, उनके कारण पेट में असुविधा हो सकती है और डकारें आ सकती हैं।
  8. कैमोमिल, रास्पबेरी, पुदीना, अदरक, तथा सौंफ़ पेट की वायु को कम कर सकते हैं।
  9. यदि आपको काफ़ी समय से डकारें आ रही हों, तब चिकित्सक से सलाह लीजिये ताकि आप यह निश्चिंत हो सकें कि कहीं वह किसी बीमारी के कारण तो नही है: अपच, सीने में जलन, सिर चकराना, पेट फूला होना, कब्ज़, दस्त, या पेट दर्द के साथ होने वाली अत्यधिक डकारें, अम्ल वापस लौटने, या गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ़्लेक्स डिज़ीज़ (gastroesophageal reflux disease (GERD)), गैस्ट्राइटिस (gastritis), अल्सर, लैक्टोज़ इंटौलरेंस (lactose intolerance) या ग्लूटेन इंटौलरेंस (gluten intolerance), या गैस्ट्रोपरेसिस (gastroparesis) जैसी चिकित्सीय समस्याओं के लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको पहले से पता है कि आपको इनमें से एक या अधिक बीमारियाँ हैं, तब उनको नियंत्रित करने से भी आपकी डकारों में कमी या उनसे पूरा छुटकारा मिल सकता है।

सलाह

  • जबतक गैस निकल नहीं जाती, तब तक करवट लेकर लेटने से या घुटनों को छाती के पास लगा लेने से आराम मिल सकता है।
  • गर्म पेयों को पीने से पहले ठंढा हो जाने दीजिये।
  • किसी और को देखने दीजिये कि आप कैसे खाते हैं। हो सकता है कि आप अनजाने में ही या तो अत्यधिक गटक रहे होंगे, या हवा अंदर ले रहे होंगे।
  • अनेक लोगों ने बताया है कि दूध पीना बंद करने से उनको आराम मिला है।

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