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आपने अभी-अभी नया कंप्यूटर ऑर्डर किया है? चाहे आप विंडोज़ डेस्कटॉप सेटअप कर रहे हों, मैक या मैक बुक कर रहे हों, या विंडोज़ लैपटॉप सेटअप कर रहे हों, आपको इन्टरनेट पर सर्फ़िंग शुरू करने और अपने मनपसंद वीडियो गेम खेलने शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा। यह सुनिश्चित करने से कि आपका हार्डवेयर ठीक से कनेक्ट (connect) हुआ है और आपने लेटेस्ट अपडेट इन्स्टाल किए हैं, आपके नए कंप्यूटर का अनुभव जितना हो सकता है, उतना बढ़िया हो जाएगा।

विधि 1
विधि 1 का 3:

विंडोज़ डेस्कटॉप को सेटअप करना

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  1. इसके आधार पर कि आपने कंप्यूटर कहाँ पर खरीदा है और आपने क्या क्या विकल्प चुने हैं, आपके पास निम्न आइटम्स (items) हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं:
    • सीपीयू टावर: अगर आपने केवल टावर खरीदा होगा तब आपके पास केवल यही होगा। अगर ऐसी परिस्थिति है, तब आप कंप्यूटर इस्तेमाल कर सकें, उसके पहले आपको मॉनिटर, माउस और कीबोर्ड भी लेना होगा।
    • मॉनिटर – सभी कंप्यूटर मॉनिटर के साथ नहीं आते हैं। अगर आप अपने कंप्यूटर को अपग्रेड कर रहे होंगे, तब आम तौर पर आप अपने पुराने मॉनिटर को इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • माउस और कीबोर्ड – अधिकांश सम्पूर्ण सिस्टम्स में ये दोनों चीज़ें आती हैं, हालांकि यह हो सकता है कि बेहतर एर्गोंनॉमिक्स (ergonomics) वाले बेहतर क्वालिटी पेरिफेरल्स (peripherals) लेने के लिए इनको अपग्रेड करना चाहेंगे।
    • स्पीकर्स – कभी-कभी ये मॉनिटर में ही बिल्ट इन होते हैं, मगर हमेशा ही शामिल नहीं होते हैं।
    • प्रिन्टर – कुछ सिस्टम्स के पैकेज में प्रिन्टर शामिल होता है, हालांकि आम तौर पर इसे अलग से ही खरीदा जाता है।
  2. सीपीयू टावर को जहां रखा जाना है उस जगह के पास उसे ऐसे रखिए कि उसके सभी पंखों से हवा का बहाव बन सके। आम तौर पर टावर्स में पीछे की तरफ़ पंखे होते हैं, और कभी-कभी उसकी साइड्स (sides) में, सामने या टॉप पर भी होते हैं। टावर को ड्रावर (drawer) के सेट्स के बीचे में या कैबिनेट के अंदर मत ही रखिएगा। अगर आप अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल होम थियेटर पीसी की तरह कर रहे होंगे, तब यह ध्यान रखिएगा कि होम थियेटर कैबिनेट में उसकी जगह ऐसी हो जहां हर तरफ़ से पर्याप्त हवा आ-जा सके और कैबिनेट पूरी तरह से बंद न हो।
  3. मॉनिटर या टीवी को टावर के पीछे वाले किसी एक मॉनिटर पोर्ट में लगा दीजिये। अधिकांश आधुनिक कम्प्यूटरों में एचडीएमआई पोर्ट होता है, जिसमें कनेक्ट करना सबसे आसान होता है। सामान्यतः मॉनिटर डीवीआई या एचडीएमआई कनेक्शन्स (connections) का इस्तेमाल करते हैं, मगर कुछ पुराने वालों में वीजीए भी इस्तेमाल होता है।
    • मॉनिटर को भी पावर आउटलेट से कनेक्ट करना होगा।
    • अगर आपके पास डेडिकेटेड (dedicated) ग्राफ़िक्स कार्ड होगा तब यह सुनिश्चित करिए कि आपका मॉनिटर ग्राफ़िक्स कार्ड से कनेक्टेड (connected) हो, न कि मदरबोर्ड से। आप ग्राफ़िक्स कार्ड का फ़ायदा तब तक नहीं उठा पाएंगे जब तक कि मॉनिटर उससे अटैच्ड (attached) नहीं होगा। आपके डेडिकेटेड कार्ड के लिए मॉनिटर के पोर्ट, टावर के पीछे, नीचे वाले हिस्से में स्थित होंगे।
  4. लगभग सभी माउस और कीबोर्ड्स यूएसबी के द्वारा ही लगाए जाते हैं। अगर आप कोई बहुत ही पुराना पीसी सेट अप कर रहे होंगे, तब आपको माउस और कीबोर्ड पीएस/2 कनेक्टर्स के जरिये से जोड़ने होंगे। ये आम तौर पर टावर के पीछे टॉप पर लोकेटेड, और कीबोर्ड और माउस के प्लग्स से मैच करने के लिए कलर कोडेड (color coded) होते हैं।
  5. कलर कोड को गाइड की तरह इस्तेमाल करते हुये अपने स्पीकर, कंप्यूटर के पीछे की ओर प्लग कर दीजिये। यह सुनिश्चित कर लीजिएगा कि सही चैनल्स, सही साइड्स (sides) में लगे हों, और अगर ज़रूरी हो तब स्पीकर्स आउटलेट से प्लग किए गए हों।
  6. अगर आप कर सकें तब उसे किसी सर्ज प्रोटेक्टर (surge protector) या अनइंटरपटिबल पावर सप्लाई (uninterruptible power supply) (यूपीएस) में प्लग करिए। इससे पावर सर्ज या पावर लॉस की परिस्थिति में कंप्यूटर सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
    • आपको पावर सप्लाई का स्विच ऑन करना पड़ेगा। यह स्विच आम तौर पर पावर केबल के निकट स्थित होता है।
  7. उसे ऑन करने के लिए कंप्यूटर के सामने वाला पावर बटन दबाइए। अगर आपने विंडोज़ या लाइनक्स जैसे किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के पहले से इन्स्टाल किए हुये कंप्यूटर को खरीदा होगा तब आपको ऑपरेटिंग सिस्टम के पहली बार सेट-अप प्रोसेस के लिए गाइड किया जाएगा। अपनी लोकेशन बताने के लिए और अपना यूज़र अकाउंट बनाने के लिए स्क्रीन पर आने वाले प्रॉम्प्ट फॉलो करिए। अगर आपका कंप्यूटर पहले से इन्स्टाल किए हुये ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ नहीं है (जो कि बहुत ही कम होता है), तब आपको उसको खुद ही इन्स्टाल करना होगा।
  8. आप कोई प्रोग्राम डाउनलोड कर सकें या इन्टरनेट इस्तेमाल करना शुरू कर सकें, उसके पहले आपको अपने कंप्यूटर को इन्टरनेट से कनेक्ट करना होगा। आप या तो उसे वायरलेस तरीके से कर सकते हैं, मगर उसके लिए आपके वायरलेस नेटवर्क कार्ड होना चाहिए, या एथरनेट के जरिये से उसे राउटर या मॉडेम से कनेक्ट कर सकते हैं।
    • अगर आप एथरनेट के जरिये से कनेक्ट करना चाहते हैं, तब एथरनेट केबल को अपने कंप्यूटर से और अपने राउटर या मॉडेम से कनेक्ट करिए। आपको कोई और अतिरिक्त सेटअप करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
  9. संभावना यह है कि जब आपका कंप्यूटर बना होगा तब तक आपका इन्स्टाल किया हुआ ऑपरेटिंग सिस्टम और और प्रोग्राम अपडेट किए गए होंगे। हो सकता है कि आपको वो अपडेट डाउनलोड करने और इन्स्टाल करने के लिए प्रॉम्प्ट किया जाये जो आपके कंप्यूटर को सुरक्षित और स्टेबल (stable) रखने के लिए ज़रूरी हों।
    • अपडेट प्रोसेस को पूरा करने के लिए हो सकता है कि आपसे अपने कंप्यूटर को फिर से स्टार्ट करने के लिए प्रॉम्प्ट किया जाये।
  10. अपने अनिवार्य प्रोग्राम्स को इन्स्टाल कर लीजिये: अब जबकि आप इन्टरनेट से कनेक्ट हो चुके हैं और विंडोज़ अपडेट हो चुका है, आप सभी अनिवार्य प्रोग्राम इन्स्टाल करना शुरू कर सकते हैं। अगर आप अपने कंप्यूटर को अपग्रेड कर रहे हों, उन सभी प्रोग्राम्स को इन्स्टाल मत कर डालिए, जो पहले से इनस्टाल्ड थे। उसके स्थान पर, थोड़ा समय निकाल कर, यह देखिये कि आपको किन प्रोग्राम्स की वास्तव में आवश्यकता है। केवल अनिवार्य प्रोग्राम्स को इन्स्टाल करने से आपका कंप्यूटर स्मूथर (smoother) चलने में मदद मिलेगी।
    • एंटीवायरस – चाहे जो भी हो, यह पहला प्रोग्राम होना चाहिए जो आप इन्स्टाल करें। एंटीवायरस आपके कंप्यूटर को मालवेयर (malware) और अन्य मैलीशियस (malicious) सॉफ्टवेयर से सुरक्षित रखने में मदद करता है, और यह तब अनिवार्य होता जबकि आपका कंप्यूटर इन्टरनेट से कनेक्टेड होता है।
    • मनपसंद ब्राउज़र (browser) – विंडोज़ के साथ में इन्टरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) इन्स्टाल किया हुआ आता है, मगर बहुत से लोग दूसरे ब्राउज़र पसंद करते हैं। चुनने के लिए बहुत सारे उपलब्ध हैं जिनमें क्रोम , फ़ायरफॉक्स और ऑपेरा प्रमुख हैं।
    • वर्ड प्रोसेसर/प्रोडक्टिविटी – अधिकांश लोग अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल होम ऑफिस के रूप में करते हैं, जिसमें वर्ड प्रोसेसर और संभवतः स्प्रेडशीट प्रोग्राम इन्स्टाल करना शामिल होता है। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस को विंडोज़ के साथ इंटीग्रेट होने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और आपके पास एक ट्रायल पहले से ही कंप्यूटर पर इन्स्टाल किया हुआ हो सकता है।
    • गेम्स – सभी लोग कभी कभार रिलैक्स करना ही चाहते हैं, इसलिए एक या दो गेम इन्स्टाल करने के बारे में भी विचार कर लीजिये! विंडोज़ द्वारा किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम के गेम्स को सपोर्ट किया जाता है, और उनको खोजने और खरीदने के तो अनेक तरीके उपलब्ध हैं। कुछ बहुत ही लोकप्रिय स्टोरफ्रंट्स में स्टीम, जीओजी, ओरिजिन, तथा डेसुरा शामिल हैं।
  11. एक बार सभी नीरस चीज़ों को सामने से हटा देने के बाद आप कंप्यूटर को अपना बनाने की कोशिश शुरू कर सकते हैं। आप डेस्कटॉप के बैकग्राउंड को बदल सकते हैं, नए कर्सर इन्स्टाल कर सकते हैं, फॉन्ट बदल सकते हैं, या विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके विंडोज़ जिस तरह से ऑर्गनाइज्ड है, उसे भी पूरी तरह से बदल सकते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 3:

मैक डेस्कटॉप या मैकबुक को सेट अप करना

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  1. अनपैक (unpack) करिए और सभी कम्पोनेंट्स को कनेक्ट करिए: अधिकांश मैक डेस्कटॉप्स सेल्फ़-कंटेंड (self-contained) यूनिट्स होते हैं और उनमें मॉनिटर में ही सब कुछ होता है। आपको केवल मॉनिटर यूनिट को पावर आउटलेट में प्लग करना होता है, और माउस तथा की बोर्ड को यूएसबी से मॉनिटर से कनेक्ट करना होता है।
  2. मैकबुक्स को तो केवल बैटरी चार्ज करने के लिए प्लग इन करना पड़ता है: अगर उसे प्लग इन कर दिया गया है तब उसे कभी भी खोला जा सकता है।
  3. आपको सेटअप असिस्टेंट प्रोसेस के जरिये से गाइड किया जाएगा जिससे आपका मैक पहली बार इस्तेमाल के लिए कन्फ़िगर (configure) हो जाएगा। अपनी लोकेशन और भाषा सेट करने के लिए और अपने लिए नया अकाउंट बनाने के लिए स्क्रीन पर दिये जाने वाले निर्देशों को एक के बाद एक फॉलो करिए।
  4. अगर आप पहले भी मैक इस्तेमाल कर रहे थे, तब आप सेटअप असिस्टेंट की सहायता से अपनी फ़ाइल्स और सेटिंग को माइग्रेट कर सकते हैं। आप वायरलेस कनेक्शन, यूएसबी, एथरनेट, या फ़ायरवायर का इस्तेमाल करके लगभग कुछ भी माइग्रेट कर सकते हैं।
    • आम तौर पर यह सुझाव दिया जाता है कि आप केवल अपनी आवश्यक फ़ाइल्स ही ट्रांसफ़र करें। कोई भी ऐप्स जो आप इस्तेमाल कर रहे हों, उन्हें फिर से इन्स्टाल करिए। चूंकि आप कुछ भी ऐसा माइग्रेट नहीं कर रहे होंगे जिससे आपका पिछला सिस्टम धीमा हो गया होगा, इसलिए इससे परफ़ोर्मेंस (performance) बेहतर हो जाएगा,
  5. आप कोई अपडेट या ऐप डाउनलोड तभी कर पाएंगे जब आप किसी नेटवर्क से कनेक्टेड होंगे। अधिकांश मैक्स में वाईफ़ाई बिल्ट इन (built in) होता है, जिसके कारण आप अपने घर, स्कूल या ऑफिस के वायरलेस वाईफ़ाई से कनेक्ट कर सकते हैं। कुछ मैक्स में एथरनेट पोर्ट्स भी होते हैं जिनसे आप एथरनेट केबल के इस्तेमाल द्वारा सीधे मॉडेम या राउटर से भी कनेक्ट कर सकते हैं।
    • अगर आप एथरनेट द्वारा कनेक्ट कर रहे हैं, तब अपने मैक के पीछे वाले एथरनेट पोर्ट से एथरनेट केबल को कनेक्ट करिए, और फिर उसके दूसरे सिरे को अपने राउटर में उपलब्ध पोर्ट से कनेक्ट करिए। शेष सभी कुछ आपका मैक करेगा।
  6. किसी नेटवर्क से कनेक्ट करने के बाद, आपको पहली चीज़ यह करनी चाहिए कि सुनिश्चित करें कि सभी लेटेस्ट अपडेट इन्स्टाल हो गए हैं। संभावना यह है कि मैक ओएस एक्स के सभी अपडेट और आपके पहले से इन्स्टाल किए गए प्रोग्राम तब तक रिलीज़ हो चुके होंगे जब आपका मैक पैक किया गया होगा, इसलिए अब तो बस काम शुरू करने से पहले सभी अपडेट्स ले लीजिये।
    • यह देखने के लिए कि क्या कोई अपडेट उपलब्ध हैं, और अगर हैं तो उनको इन्स्टाल करने के लिए, एपल मेन्यू को क्लिक करिए और "Software Update" चुन लीजिये। प्रोग्राम सभी अपडेट जाँचने के लिए एक पल लेगा, और आपको एक लिस्ट मिल जाएगी। कन्फ़र्म करिए कि आप अपडेट्स को इन्स्टाल करना चाहते हैं।
    • अपडेट प्रोसेस के दौरान, हो सकता है कि, आपको अपना मैक फिर से स्टार्ट करना पड़े।
  7. अब जबकि आपका मैक कनेक्ट और अपडेट हो चुका है, आपको दिन प्रतिदिन जिन ऐप्स की ज़रूरत पड़ती है, उनको इन्स्टाल करना शुरू करिए। मैक पर ऐप्स को इनस्टाल करना सरल है। आप जिस डीएमजी फ़ाइल को डाउनलोड करते हैं उसको खोलिए और फिर एप्लिकेशन फ़ाइल को एप्लिकेशन फ़ोल्डर में ड्रैग (drag) करके ले जाइए।
    • प्रोडक्टिविटी/ऑर्गनाइज़ेशनल (Productivity/Organizational) – मैक में अनेक प्रोडक्टिविटी तथा ऑर्गनाइज़ेशनल सॉफ्टवेयर उपलब्ध होते हैं। मैक स्टोर पर डे-प्लानर्स से ले कर, पूरे ऑफिस सुइट तक मिल सकते हैं। माइक्रोसॉफ्ट के पास मैक के लिए ऑफिस का एक वर्ज़न उपलब्ध है और एपल का भी पेजेज़ एंड नंबर्स में अपना एक ऑफिस सुइट उपलब्ध है।
    • ब्राउज़र – आपके मैक सिस्टम में सफ़ारी इन्स्टाल किया हुआ होता है, मगर अगर आप चाहें तो आप दूसरे ब्राउज़र भी इन्स्टाल कर सकते हैं। क्रोम, आपकी ब्राउज़र सेटिंग को, आपके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी डिवाइस के साथ सिंक (sync) करने की सुविधा देता है, जिसके कारण वह विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम्स वाले अलग-अलग कंप्यूटर्स के लिए बिलकुल सही होता है। फ़ायरफॉक्स एक दूसरा लोकप्रिय विकल्प है, और दोनों ही मुफ़्त हैं।
    • मल्टीमीडिया – मैक अपनी मल्टीमीडिया क्षमताओं के लिए जाना जाता है, इसलिए, आप, बढ़िया मल्टीमीडिया ऐप्स इन्स्टाल करने बारे में सोच सकते हैं। वीएलसी प्लेयर एक अनिवार्य वीडियो प्लेयर है, और अनेक म्यूज़िक, वीडियो तथा इमेज एडिटिंग प्रोग्राम भी उपलब्ध हैं।
    • गेम्स – समय के साथ, अधिक और अधिक गेम्स ओएस एक्स की ओर आते जा रहे हैं। मैक गेम्स तक पहुँचने के लिए स्टीम अब बहुत ही लोकप्रिय और आसान तरीका है, और मैक स्टोर पर चुनने के लिए और भी उपलब्ध हैं।
    • यूटिलिटीज़ (Utilities) – मैक आपको सिस्टम पर बहुत नियंत्रण रखने देता है, और ऐसी अनेक यूटिलिटीज़ हैं जिनके कारण आपका जीवन बहुत सरल हो सकता है। आपके पास चुनने के लिए स्टोरेज मैनेजमेंट से ले कर सिस्टम ऑटोमेशन तक बहुत कुछ होता है।
  8. आप अपने कंप्यूटर को और भी पर्सनल बनाने के लिए उसका वालपेपर बदल सकते हैं। DockMod नाम का एक सॉफ्टवेयर है जो आपको डॉक को कस्टमाइज़ करने का विकल्प उपलब्ध कराता है, जबकि Desktop Groups जैसे प्रोग्राम आपको डेस्कटॉप पर बिखरे हुये आइकन्स को ऑर्गनाइज़ करने का अवसर देता है।
    • ओएस एक्स में विजेट्स (widgets) शामिल करने के लिए आप डैशबोर्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये वे टूल्स होते हैं जिन तक आप बिना कोई प्रोग्राम शुरू किए, आसानी से पहुँच सकते हैं। डैशबोर्ड तक पहुँचने के लिए, डॉक पर डैशबोर्ड आइकन पर क्लिक करिए। डैशबोर्ड के नीचे बाएँ कोने पर "+" बटन पर, और उसके बाद "More Widgets..." पर क्लिक करके विजेट्स शामिल करिए। इससे विजेट्स डाउनलोड पेज खुल जाएगा जहां पर आप सभी उपलब्ध विजेट्स को ब्राउज़ कर सकते हैं।
विधि 3
विधि 3 का 3:

विंडोज़ लैपटॉप सेट अप करना

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  1. आपके लैपटॉप को पावर केबल और बैटरी के साथ आना चाहिए। कुछ लैपटॉप्स में तो बैटरी पहले से ही इन्स्टाल की हुई होती है, जबकि दूसरों में अनपैक करने के बाद बैटरी लगानी होती है।
  2. लैपटॉप को प्लग इन करिए जिससे कि उसमें पावर आ जाये: अधिकांश लैपटॉप्स में, जब वे आपको मिलते हैं तब पूरा चार्ज नहीं होता है। आप चाहेंगे कि जब उसे पहली बार चलाएं तब उसमें बैटरी पूरी तरह से चार्ज की हुई हो, मगर आप उसको कभी भी प्लग इन करके ऑन कर सकते हैं।
  3. आप कोई प्रोग्राम डाउनलोड कर सकें या इन्टरनेट इस्तेमाल करना शुरू कर सकें, उसके पहले आपको अपने कंप्यूटर को इन्टरनेट से कनेक्ट करना होगा। अधिकांश लैपटॉप वायरलेस तरीके से कनेक्ट हो सकते हैं, मगर कुछ लैपटॉप्स में एथरनेट पोर्ट होता है ताकि आप एथरनेट केबल के जरिये से कनेक्ट कर सकें।
    • अगर आपके लैपटॉप में एथरनेट पोर्ट नहीं है मगर आप उसे एथरनेट केबल के जरिये से कनेक्ट करना ही चाहते हैं, तब आप एथरनेट यूएसबी एडाप्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यूएसबी एडाप्टर को अपने लैपटॉप के यूएसबी पोर्ट में प्लग करिए और और वह ऑटोमेटिकली इन्स्टाल हो जाएगा।
  4. संभावना यह है कि जब आपका कंप्यूटर बना होगा तब आपका इन्स्टाल किया हुआ ऑपरेटिंग सिस्टम तथा प्रोग्राम्स अपडेट हुये होंगे। हो सकता है कि आपको और भी अपडेट डाउनलोड करने और इन्स्टाल करने के लिए प्रॉम्प्ट किया जाये जो आपके कंप्यूटर को सुरक्षित और स्टेबल रखने के लिए ज़रूरी हों।
    • अपडेट करने के प्रोसेस को पूरा करने के लिए आपको अपने कंप्यूटर को फिर से स्टार्ट करने के लिए प्रॉम्प्ट किया जा सकता है।
  5. अपने अनिवार्य प्रोग्राम्स को इन्स्टाल कर लीजिये: अब जबकि आप इन्टरनेट से कनेक्ट हो चुके हैं और विंडोज़ अपडेट हो चुका है, आप सभी अनिवार्य प्रोग्राम इन्स्टाल करना शुरू कर सकते हैं। अगर आप अपने कंप्यूटर को अपग्रेड कर रहे हों, उन सभी प्रोग्राम्स को इन्स्टाल मत कर डालिए, जो पहले से इनस्टाल्ड थे। उसके स्थान पर, थोड़ा समय निकाल कर, यह देखिये कि आपको किन की वास्तव में आवश्यकता है। केवल अनिवार्य प्रोग्राम्स को इन्स्टाल करने से आपका कंप्यूटर स्मूथर चलने में मदद मिलेगी।
    • एंटीवायरस – चाहे जो भी हो, यह पहला प्रोग्राम होना चाहिए जो आप इन्स्टाल करें। एंटीवायरस आपके कंप्यूटर को मालवेयर और अन्य मैलीशियस सॉफ्टवेयर से सुरक्षित रखने में मदद करता है, और यह तब अनिवार्य होता जबकि आपका कंप्यूटर इन्टरनेट से कनेक्टेड होता है।
    • मनपसंद ब्राउज़र – विंडोज़ के साथ में इन्टरनेट एक्सप्लोरर इन्स्टाल किया हुआ आता है, मगर बहुत से लोग दूसरे ब्राउज़र पसंद करते हैं। चुनने के लिए बहुत सारे उपलब्ध हैं जिनमें क्रोम , फ़ायरफॉक्स, और ऑपेरा शामिल हैं।
    • वर्ड प्रोसेसर/प्रोडक्टिविटी – चलते फिरते काम करने के लिए लैपटॉप बहुत बढ़िया होते हैं, इसलिए आप चाहेंगे कि एक वर्डप्रोसेसर इन्स्टाल कर लें और हो सके तो एक स्प्रेडशीट प्रोग्राम। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस को विंडोज़ के साथ इंटीग्रेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और हो सकता है कि एक ट्रायल पहले से ही आपके कम्प्यूटर में इन्स्टाल किया हुआ हो।
    • गेम्स - सभी लोग कभी कभार रिलैक्स करना ही चाहते हैं, इसलिए एक या दो गेम इन्स्टाल करने के बारे में भी विचार कर लीजिये! लैपटॉप्स सामान्यतः उतने पावरफ़ुल नहीं होते हैं जितने कि डेस्कटॉप, इसलिए आपको कुछ ग्राफ़िकली इंटेन्सिव गेम्स को उच्चतम सेटिंग पर खेलने में कठिनाई हो सकती है। हालांकि यह सभी लैपटॉप्स के लिए सही नहीं होता है, क्योंकि कुछ डेडिकेटेड गेमिंग लैपटॉप्स हाई-एंड डेस्कटॉप्स का मुक़ाबला कर सकते हैं। गेम्स के लिए कुछ लोकप्रिय स्टोरफ़्रंट्स हैं, स्टीम, जीओजी, ओरिजिन, और डेसुरा।
  6. जब एक बार यह सब नीरस काम हो जाये, आप अपने नए कम्प्यूटर को अपना बनाने की शुरुआत कर सकते हैं। आप अपने लैपटॉप का बैकग्राउंड बदल सकते हैं, नए कर्सर इन्स्टाल कर सकते हैं, फॉन्ट बदल सकते हैं, या विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके विंडोज़ के ऑर्गनाइज़ेशन को पूरी तरह बदल सकते हैं।

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