आर्टिकल डाउनलोड करें आर्टिकल डाउनलोड करें

हम सभी लोग रोजाना किसी न किसी तरह का कोई फैसला करते ही हैं; हम लोग जो भी बोलते हैं और जो भी करते हैं, वो हमेशा ही उस फैसले का परिणाम होता है, फिर चाहे हमने इसे बहुत सोच-समझकर लिया हो या न लिया हो। आपकी हर एक चॉइस, चाहे वो बड़े से बड़ी हो या छोटी ही क्यों हो, सही निर्णय करने के लिए कोई आसान फॉर्मूला नहीं बना है। इसे करने के लिए अगर आप कुछ कर सकते हैं, तो वो ये कि आप अपने पास मौजूद ज्यादा से ज्यादा नजरियों को तलाशें और फिर एक ऐसा काम चुनें, जो आपको उस वक़्त के हिसाब से उचित और सही लग रहा हो। अगर आपको कोई बहुत बड़ा निर्णय लेना हो, तो ऐसे में आपको डर लगना स्वाभाविक है। लेकिन ऐसी कुछ सिंपल चीज़ें मौजूद हैं, जिन्हें करके आप इसे जरा कम डरावना जरूर बना सकते हैं, जिसमें सबसे बुरी परिस्थिति (वर्स्ट केस सिनारियो) को पहचानना, एक स्प्रेडशीट बनाना और अपने मन की आवाज को सुनना शामिल है। निर्णय लेने के तरीकों के बारे में ज्यादा जानने के लिए आगे पढ़ते जाएँ।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने डर के कारण को समझना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. अपने डर के बारे में लिखना, आपको उनके बारे में एक समझ पाने की शुरुआत करने में मदद करेगा और जिसके परिणामस्वरूप आप एक बेहतर फ़ैसला ले सकेंगे। आपको क्या निर्णय लेना है, उसके बारे में लिखते हुए इसकी शुरुआत करें। इस फैसले को लेकर आपकी जो भी चिंताएँ हैं, उस हर एक चीज़ के बारे में वर्णन करें या उन्हें लिस्ट कर लें। आप खुद को जज किए बिना, अपने इन डरों को बाहर निकालने दें।
    • उदाहरण के लिए, आप आपकी जर्नल (डायरी) की शुरुआत, खुद से ये पूछकर कर सकते हैं, “ये कौन सा निर्णय है, जो मुझे करना है और अगर मैं गलती से कोई गलत फ़ैसला कर लूँ, तो उसकी वजह से ऐसा क्या हो सकता है, जिसके होने का डर मुझे सता है?”
  2. एक बार जब आप आपके द्वारा लिये जाने वाले उस फैसले के बारे में और आपको उस फैसले के बारे में क्या डर है, के बारे में लिख लेते हैं, फिर इसे एक स्टेप आगे लेकर जाएँ। आपके सामने मौजूद हर एक संभावित विकल्प के बारे में वर्स्ट केस सिनारियो को सोचकर देखें। अपने फैसले को, अगर सब गलत भी हुआ, तो क्या गलत हो सकता है, के दायरे में रखने से आपकी फैसले लेने की प्रक्रिया डरावनी हो सकती है। [१]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपके सामने, अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिता सकने के लिए फुल टाइम जॉब करने या फिर पार्ट-टाइम जॉब करने के बीच में कोई एक फैसला लेना है, तो फिर आपके द्वारा लिए जाने वाले संभावित निर्णय के साथ में हो सकने वाले वर्स्ट केस सिनारियो के बारे में सोचकर देखें।
      • अगर आप फुल टाइम जॉब को चुने रहना चाहते हैं, तो इसके लिए वर्स्ट केस सिनारियो यही होगा कि आप आपके बच्चों के बढ़ती उम्र के इतने जरूरी पलों को मिस कर देंगे और जब आपके बच्चे बड़े होंगे, तो वो इस बात के लिए आप से नाराजगी भी जता सकते हैं।
      • अगर आप पार्ट टाइम जॉब को चुनते हैं, तो वर्स्ट केस सिनारियो में, आपके द्वारा अपने महीने भर के खर्चों को पूरा नहीं कर पाने की बात आएगी।
    • तय करें, कि ये वर्स्ट-केस सिनारियो असल में होने वाला भी है या नहीं। हमारे लिए “चीजों के बारे में पहले से ही अनुमान लगा लेना” या फिर बिना सोचे समझे किसी भी चीज़ को लेकर, उसके बारे में हो सकने वाली सबसे बुरी संभावना को सोच लेना काफी आसान होता है। आपके द्वारा सोचे हुए सबसे बुरे केस के बारे में सोचें और फिर सोचें, कि वहाँ तक पहुँचने के लिए आपके साथ में क्या-क्या होने वाला है। क्या ऐसा ही है? [२]
  3. विचार करें, कि आपके द्वारा चुना हुआ फैसला परमानेंट (स्थायी) होने वाला है: एक बार आप उन सारी बातों के ऊपर विचार कर लें, जो कि आपके द्वारा फैसला करने के बाद में गलत हो सकती हैं, फिर सोचकर देखें, कि आपके द्वारा किए हुए फैसले को वापस बदला जा सकता है या नहीं। ज्यादातर फ़ैसलों को बदला जाना मुमकिन होता है, तो आप कम से कम इतना सोचकर तो सुकून पा ही सकते हैं, कि अगर बाद में जाकर कभी भी आपको आपके फैसले से नफरत होने लग जाए, तो आप हमेशा बाद में भी अपनी परिस्थिति को बदल सकते हैं। [३]
    • उदाहरण के लिए, मान लीजिए, कि आपने आपके बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिताने के लिए, पार्ट-टाइम जॉब करने का पक्का फ़ैसला ले लिया है। इसके बाद, अगर आगे जाकर फिर कभी आपको अपने बिल बगैरह न भर पाने की मुसीबत का सामना करना पड़ता है, तो फिर आप अभी भी अपने लिए एक फुल टाइम जॉब की तलाश कर सकते हैं।
  4. ऐसा न फील करें, कि सारे कठिन फैसले बस आपको अकेले ही करने हैं। अपने कुछ ऐसे भरोसेमंद फ्रेंड्स और फ़ैमिली मेंबर्स के नाम चुनें, जो आपकी मदद कर सकें या कम से कम आपके विचारों को तो सुन सकते हों। अपने फैसले के बारे में सारी डिटेल्स शेयर करें साथ ही इसे लेने के बाद क्या गलत हो सकता है, से जुड़े आपके हर डर को भी शेयर कर लें। इससे आपके द्वारा अपने फैसले से जुड़े हुए आपके सारे डरों के बारे में बोलने मात्र से आपको बेहतर महसूस होने लग जाएगा और इसके साथ ही आपके फ्रेंड्स और फ़ैमिली मेंबर्स के पास में आपके लिए अच्छी सलाह भी हो सकती हैं। [४]
    • आप किसी ऐसे इंसान से भी बात करके देख सकते हैं, जो कि इस परिस्थिति से एकदम दूर हो और जिसके पास में आपके लिए न्यूट्रल (निष्पक्ष) सलाह मौजूद हों। इस तरह की परिस्थितियों में एक थेरेपिस्ट अक्सर ही एक मददगार सोर्स माना जा सकता है।
    • आप चाहें तो ऑनलाइन जाकर भी अपने जैसी परिस्थिति में फँसे हुए लोगों की तलाश कर सकते हैं। अगर आप बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिताने के लिए फुल-टाइम जॉब और पार्ट-टाइम जॉब करने के बीच में फैसला करना चाह रहे हैं, तो आप अपनी इस परेशानी को ऑनलाइन किसी पेरेंटिंग फोरम (parenting forum) पर भी डाल सकते हैं। फिर आपको कुछ ऐसे लोगों से सुझाव मिलने की संभावना है, जो ठीक आपकी ही तरह परिस्थिति में फँस चुके हैं, साथ ही कुछ लोग आपको बताएँगे, कि अगर वो आपकी जैसी स्थिति में फँसे होते, तो वो क्या करते।
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपने निर्णय के बारे में विचार करना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. बहुत सारे इमोशन्स का होना, फिर चाहे वो पॉज़िटिव हों या नेगेटिव, ये आपके द्वारा तर्कसंगत फ़ैसलों को कर सकने की काबिलियत पर असर डाल सकती है। जब आपको कोई फैसला करना हो, तो इसे करने का सबसे पहला कदम आमतौर पर ज्यादा से ज्यादा शांत रहने की कोशिश करना होता है। अगर आप शांत नहीं रह पा रहे हैं, तो अपने फैसले को उस वक़्त तक रोककर रखें, जब तक कि आप स्पष्ट रूप से न सोच पा रहे हों। [५]
    • खुद को शांत करने के लिए कुछ गहरी साँसें लेने की कोशिश करें। अगर आपके पास में ज्यादा वक़्त है, तो एक शांत जगह पर चले जाएँ और लगभग 10 मिनट के लिए गहरी साँसों की एक्सर्साइज़ करके देखें।
    • गहरी साँसों की एक्सर्साइज़ करने के लिए, पहले अपने एक हाँथ को अपने पेट पर, रिबकेज (ribcage) के नीचे और दूसरे को अपनी चेस्ट पर रखते हुए शुरुआत करें। आप जब साँसें लेंगे, तब आपको आपका पेट और चेस्ट बढ़ते/फूलते हुए समझ आने चाहिए। [६]
    • अपनी नाक से धीरे-धीरे साँसें खींचें। 4-काउंट तक साँसें खींचते रहने का लक्ष्य बनाएँ। आपके लंग्स के बढ़ने के साथ ही, अपनी साँसों को महसूस करने पर ध्यान लगाएँ।
    • साँसों को 1-2 सेकंड्स के लिए होल्ड करके रखें।
    • अब अपनी साँसों को बहुत आराम से अपनी नाक के जरिए रिलीज कर दें। 4-काउंट तक एक्सहेल करने का लक्ष्य रखें।
    • अब इस प्रोसेस हर मिनट में 6-10 बार करते हुए, लगभग 10 मिनट के लिए, रिपीट करें।
  2. ज़्यादातर सारे फैसले केवल तभी सही तरह से हो पाते हैं, जबकि आपके पास में उस निर्णय को करने के लिए सारी जरूरी जानकारियाँ मौजूद हों। फैसले करना, खासकर जब ये किसी जरूरी टॉपिक से जुड़ा हुआ हो, तब इसे लॉजिक के ऊपर निर्भर होना चाहिए। आपके निर्णय के बारे में आप से जितना हो सके, उतनी ज्यादा जानकारियाँ निकालने की कोशिश करें। [७]
    • उदाहरण के लिए, अगर आप एक फुल-टाइम जॉब को जारी रखने और, अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिता सकने की कोशिश के चलते, एक पार्ट टाइम जॉब को चुनने के बीच फ़ैसला करने की कोशिश कर रहे हैं, तो पहले आपको ये जानना होगा, कि ऐसा करने से, हर महीने आपको कितने पैसे का नुकसान होने वाला है। इसके साथ ही आपको ये भी सोचना होगा, कि आप अपने बच्चों के साथ कितना वक़्त बिताने वाले हैं। इस इन्फॉर्मेशन को तैयार रखें, इसके साथ ही इससे जुड़ी हुई और कोई इन्फॉर्मेशन भी, एक सही फ़ैसला लेने में आपकी काफी मदद कर सकती है। [८]
    • इसके साथ ही आपको कुछ और दूसरे ऑप्शन्स के बारे में भी विचार करना होगा और उनके बारे में भी सारी इन्फॉर्मेशन इकट्ठी करनी होगी। उदाहरण के लिए, आप आपके एम्प्लोयर से ये पूछ सकते हैं, कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हफ्ते में कम से कम कुछ दिनों के लिए ही सही, लेकिन आपके कुछ काम सिर्फ फोन पर बात करके ही किए जा सकें।
  3. अपनी प्रॉब्लम को समझने के लिए “पाँच क्यों/फाइव व्हाय्स (five whys)” टेक्निक का इस्तेमाल करें: अपने आप से पाँच बार “क्यों?” पूछना, आपको आपकी परेशानी के स्त्रोत को समझने में मदद कर सकता है और साथ ही ये भी समझने में आपकी मदद कर सकता है, कि आप एक सही वजह के लिए निर्णय ले रहे हैं या नहीं। [९] उदाहरण के लिए, अगर आप अपनी फुल टाइम जॉब को ही करते रहने और अपने बच्चों के साथ में ज्यादा वक़्त बिताने के लिए, एक पार्ट टाइम जॉब चुनने के बीच फ़ैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपके लिए पूछे जाने वाले पाँच क्यों, कुछ इस तरह से होंगे:
    • “मैं पार्ट-टाइम जॉब के बारे में क्यों सोच रहा/रही हूँ?” क्योंकि मैं कभी भी अपने बच्चों की देखभाल नहीं कर पाता/पाती। “मैं क्यों कभी भी अपने बच्चों की देखभाल नहीं कर पाता?” क्योंकि मैं ज़्यादातर देर रात तक काम किया करता हूँ। “मैं क्यों ज़्यादातर देर रात तक काम किया करता हूँ?” क्योंकि हमारे पास एक नया अकाउंट आया है, जिसके लिए बहुत ज्यादा काम करना पड़ रहा है। “आप इसमें इतना ज्यादा वक़्त क्यों दे रहे हैं?” क्योंकि मैं अच्छे से काम करना चाहता हूँ, और इसके चलते शायद मुझे प्रमोशन भी मिल सकता है। “आप प्रमोशन क्यों पाना चाहते हैं?” ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए और अपनी फ़ैमिली को सारी सुविधाएँ देने के लिए।
    • इस मामले में, ये पाँच सवाल दर्शाते हैं, कि आप प्रमोशन पाने की चाह रखते हुए भी अपने काम के टाइम में कमी करने के बारे में सोच रहे हैं। यहाँ पर आपके विचारों में एक टकराव है, जिसके लिए आपको अपने निर्णय को करने से पहले, इसके लिए काफी जाँच-पड़ताल करने की जरूरत है।
    • ये पाँच क्यों ऐसा भी दर्शाते हैं, कि ये प्रॉब्लम टेम्पररी है -- आप सिर्फ इसलिए ज्यादा देर तक काम कर रहे हैं, क्योंकि आपके पास में एक नया अकाउंट आया है। सोचिए: जब आप अपने इस नए अकाउंट के साथ में कम्फ़र्टेबल हो जाएंगे, तब भी क्या आपको इतना ही ज्यादा वक़्त लगेगा?
  4. सबसे पहले, आपको इस बात पर विचार करना है, कि आपका फ़ैसला आपको किस तरह से प्रभावित करता है। खासतौर पर, आपका ये फ़ैसला, आपके अपने लिए बनाए हुए किसी नजरिए को किस तरह से प्रभावित करता है? आपकी अहमियत और आपके लक्ष्य क्या हैं? ऐसा फ़ैसला करना, जो कि आपकी “अहमियत के अनुकूल नहीं हैं” (जैसे कि, ये आपकी अपनी मान्यताओं के साथ मेल न खाते हों) आपको दुखी और असंतुष्ट महसूस करा सकते हैं। [१०] [११]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपकी जो आधारभूत मान्यताएँ हैं, वो आपकी पहचान में एक अहम भूमिका अदा करती है, ये आपकी महत्वाकांक्षाएँ हैं, तो ऐसे में पार्ट-टाइम जॉब को चुनना, इनके बीच एक तरह का मिसअलाइनमेंट दर्शा सकता है, ऐसा इसलिए है, क्योंकि अब आप अपने प्रमोशन पाने और कंपनी में अच्छी पोजीशन पाने के जुनून के पीछे नहीं भाग रहे हैं।
    • आपकी मान्यताएँ भी कभी-कभी एक दूसरे के साथ भी मेल नहीं खा सकती हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है, कि अपने जुनून के पीछे भागना और अपनी फ़ैमिली की देखभाल करना, आपकी आधारभूत मान्यताएँ हो सकती हैं। ऐसे में किसी फैसले के ऊपर आने के लिए आपको इनमें से ही किसी एक को चुनना होगा। आपके द्वारा कोई फैसला लेने की वजह से आपकी किस मान्यता के ऊपर असर पड़ने वाला है, के बारे में जानकारी रखने से आपको एक फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी।
    • आपको इस बात के ऊपर भी विचार करना है, कि आपकी कोई परेशानी या आपका फ़ैसला, किसी दूसरे को किस तरह से प्रभावित कर सकता है। क्या इसके संभावित परिणामों में से कोई परिणाम आपके अपनों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है? फ़ैसला करने की प्रक्रिया में दूसरों के बारे में भी सोचें, खासतौर पर अगर आप मेरिड हैं या आपके बच्चे हैं, तब तो ये आपके लिए और भी जरूरी बन जाता है।
    • उदाहरण के लिए, पार्ट-टाइम जॉब करने का फैसला लेने का मतलब, कि आपके पास में ज्यादा वक़्त रहने वाला है, जो कि आपके बच्चों के ऊपर एक पॉज़िटिव प्रभाव डाल सकता है, लेकिन क्योंकि अब आप अपने प्रमोशन पाने के लक्ष्य को छोड़ रहे हैं, इसलिए ये आपके ऊपर एक नेगेटिव प्रभाव बना सकता है। इसके साथ ही, इससे आपकी इनकम में आई कमी की वजह से आपकी पूरी फ़ैमिली पर नेगेटिव प्रभाव भी पड़ सकता है।
  5. आपके सामने मौजूद सारे विकल्पों के बारे में सोच लें: एक नजर में तो आपको ऐसा लगेगा, कि आपके सामने और कोई दूसरा रास्ता नहीं मौजूद है, लेकिन ऐसा असल में होता नहीं है। भले ही आपको आपकी परिस्थिति एकदम सीमित ही क्यों न नजर आ रही हो, लेकिन फिर भी अपने लिए कुछ विकल्पों की लिस्ट बनाने की कोशिश करें। जब तक कि आपको एक पूरी लिस्ट न मिल जाए, तब तक उनके ऊपर विचार करना न शुरू करें। अगर आपको अपने लिए ऑप्शन्स की तलाश करने में तकलीफ हो रही है, तो अपनी फ़ैमिली या फ्रेंड्स के साथ मिलकर इसके ऊपर काम करें। [१२]
    • बेशक, जरूरी नहीं है, कि इसकी एक फिजिकल लिस्ट ही तैयार की जाए। आप इन्हें अपने मन में भी बनाकर रख सकते हैं!
    • आप बाद में अपनी इस लिस्ट में से कुछ चीजों को बाहर भी निकाल सकते हैं, लेकिन कुछ क्रेज़ी आइडियाज से भी आपको ऐसे कुछ और क्रिएटिव हल मिल सकते हैं, जिनके बारे में आपने पहले सोचा भी न हो।
    • उदाहरण के लिए, हो सकता है, कि आपको किसी और दूसरी कंपनी में ही एक ऐसी फुल-टाइम जॉब मिल जाए, जिसमें आपको बहुत ज्यादा ओवरटाइम करने की भी जरूरत न हो। आप अपने घर के कामों में मदद के लिए एक किसी इंसान को हायर भी कर सकते हैं, ताकि आपके पास में अपनी फ़ैमिली के साथ बिताने के लिए कुछ खाली वक़्त बच सके। आप चाहें तो अपनी फ़ैमिली के लिए शाम को एक “फ़ैमिली वर्क” भी सेट कर सकते हैं, जिसमें सभी लोग, एक रूम में रहकर, एक-साथ मिलकर अपना काम करते हैं और साथ ही आपको उनके साथ जुड़ा हुआ महसूस कराने में मदद करते हैं।
    • रिसर्च से ऐसा भी मालूम हुआ है, कि बहुत सारे विकल्प होने की वजह से भी लोग कनफ्यूज हो जाते हैं और ये उनके लिए किसी भी एक निर्णय पर आना और भी कठिन बना देता है। [१३] एक बार आप अपनी लिस्ट बना लेते हैं, फिर आप इसमें से हर उस चीज़ को हटा सकते हैं, जो आपको जाहिर रूप से अस्वाभाविक लग रही हो। अपनी लिस्ट में सिर्फ पाँच ही ऑप्शन तक बचाकर रखने की कोशिश करें।
  6. अपने निर्णय से होने वाले वाले संभावित लाभों और हानियों के बीच तुलना करने के लिए एक स्प्रेडशीट बनाएँ: अगर आपकी परेशानी बहुत ज्यादा जटिल है और आप इसकी वजह से होने वाली कुछ संभावित चीजों को लेकर बहुत ज्यादा परेशान हैं, तो ऐसे में आपकी निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद पाने के लिए, एक स्प्रेडशीट बनाने के बारे में विचार करें। आप चाहें तो स्प्रेडशीट बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल (Microsoft excel) यूज कर सकते हैं या फिर इसे एक पेपर पर भी बना सकते हैं। [१४]
    • स्प्रेडशीट बनाने के लिए, आपके द्वारा सोची जा रहे हर एक संभावित चॉइस के लिए एक कॉलम बनाएँ। हर एक कॉलम के अंदर, सारे संभावित परिणामों के लाभ और हानियों की तुलना करने के लिए, दो और सब-कॉलम बनाएँ। जो भी आइटम पॉज़िटिव है, उसके लिए एक + साइन का इस्तेमाल करें और जो आइटम नेगेटिव है उसके लिए – साइन का इस्तेमाल करें।
    • आप चाहें तो आपकी लिस्ट में मौजूद हर एक आइटम को एक पॉइंट वैल्यू भी असाइन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप अपनी लिस्ट के “पार्ट-टाइम जॉब को चुनने” की वजह से “हर रात को अपने बच्चों के साथ डिनर करने का मौका मिलेगा” वाले आइटम को एक +5 पॉइंट्स असाइन कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ, आप आपकी इसी लिस्ट के एक और दूसरे आइटम, “हर महीने होने वाली इनकम में Rs.20,000 की कमी आएगी” को -20 पॉइंट्स असाइन कर सकते हैं।
    • स्प्रेडशीट पूरी बना लेने के बाद, आप इन पॉइंट्स को एड कर सकते हैं और फिर तय कर सकते हैं, कि कौन से फैसले को सबसे ज्यादा स्कोर मिले हैं। बस इतना ध्यान रखें, कि आप सिर्फ इसी स्ट्रेटजी के बलबूते पर कोई एक फैसला नहीं ले सकते हैं।
  7. ज़्यादातर क्रिएटिव लोगों को शायद ये बात नहीं मालूम होगी, लेकिन ये बात सच है, कि उनके ज़्यादातर फैसले और हल, अक्सर उस वक़्त पर बाहर निकलकर आते हैं, जब वो या तो कुछ भी न सोच रहे हों, या फिर बहुत धीमी गति से सोच रहे हों। जिसका मतलब ये है कि, ज़्यादातर क्रिएटिव और इंटेलिजेंट सोल्यूशंस या आइडिया, मन की एक विचारहीन अवस्था से आते हैं। इसीलिए लोग मेडिटेशन किया करते हैं।
    • कोई भी फैसला लेने से पहले, जानकारी या ज्ञान इकट्ठा करना बेहद जरूरी होता है, लेकिन अगर आप सच में एक क्रिएटिव और इंटेलिजेंट फैसला लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ वक़्त के लिए सोचना बंद या फिर अपनी सोच को कुछ धीमा करना होगा। साँसों का मेडिटेशन भी आपके विचारों के बीच में एक रुकावट लाने का एक ऐसा स्ट्रक्चर-लेस तरीका है, जो आपको क्रिएटिविटी और दुनियाभर के ज्ञान को आप में लाने में मदद करता है। क्योंकि इसके ऊपर आपको बहुत ज्यादा वक़्त नहीं देना होता है, इसलिए ये स्ट्रक्चर-लेस कहलाता है, इसमें आप कुकिंग, दांतों को ब्रश करना, वॉकिंग जैसे अपने रोज़मर्रा के कामों को करते वक़्त भी अपनी साँसों से जुड़ सकते हैं। और ज्यादा जानकारी पाने के लिए, इससे जुड़े हमारे दूसरे लेख पढ़ें।
    • एक उदाहरण के ऊपर विचार करें: एक म्यूजीशियन के पास में, इन्स्ट्रूमेंट्स प्ले करने, गाने, गाना लिखने आदि, म्यूजिक बनाने के लिए ज्ञान और इन्फॉर्मेशन (टूल्स) मौजूद होती है, लेकिन वो उनकी क्रिएटिव इंटेलिजेंस ही है, जो उन्हें टूल्स के ऊपर कुछ नया करने को उकसाती है। जी हाँ, म्यूजिक इन्स्ट्रूमेंट्स के बारे में ज्ञान, सिंगिंग बगैरह भी जरूरी होते हैं, लेकिन गाने के लिए क्रिएटिव इंटेलिजेंस भी जरूरी होती है।
  8. आवेग में और सोच-समझकर किए जाने वाले फैसलों के बीच में अंतर करना सीखें: आवेग, आमतौर पर, कुछ समय बाद गायब हो जाता है। उदाहरण के लिए: खाने, शॉपिंग करने, घूमने आदि की चाह। हालाँकि, एक इंटेलिजेंट फ़ैसला अक्सर काफी समय तक दिमाग में घर करके रह जाता है। ये कुछ दिन, हफ्ते या महीनों तक भी बने रह सकता है।
    • एक इंटेलिजेंट फैसला भी एक आवेग की तरह ही आपके मन में आ सकता है, लेकिन अगर आप अपने फैसले के ऊपर भी ठीक उसी तरह से फील हो, तो सावधान हो जाएँ। इसीलिए, सारी जानकारी इकट्ठी कर लेने के बाद, अपने आप से सवाल करते हुए बीच में कुछ वक़्त लेना, आपको एक इंटेलिजेंट फैसला करने में मदद कर सकता है।
    • एक्सपेरिमेंट: कुछ गहरी साँसें लेने के बाद, आपने जिस काम को करने का तय किया है, उसकी तुलना उस वक़्त से करें, जब ये पहली बार आपके मन में आए थे।
विधि 3
विधि 3 का 3:

एक निर्णय करना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. खुद को कुछ इस तरह से सलाह दें, जैसे कि आप आपके एक फ्रेंड हैं: कभी-कभी निर्णय पर से अपने कदम पीछे कर लेने से भी आपको एक सही निर्णय की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। सोचकर देखें, कि आप आपके उस फ्रेंड को क्या सलाह देते, जो आपकी ही तरह की परिस्थिति से गुजर रहा है। आप उसे क्या फैसला लेने की सलाह देंगे? आप उन्हें उनके फैसले के बारे में क्या दिखाना चाहेंगे? आप उन्हें इस तरह की सलाह क्यों दे रहे हैं? [१५]
    • इस स्ट्रेटजी का यूज करने के लिए, रोल प्ले करने की कोशिश करें। एक खाली चेयर के साइड में बैठ जाएँ और ऐसा सोचें, कि आप अपने आप से कुछ इस तरह से बात कर रहे हैं, जैसे कि आप कोई और हैं।
    • अगर आप बैठना और अपने आप से बात नहीं करना चाहते हैं, तो ऐसे में आप चाहें तो खुद को सलाह देते हुए एक लेटर भी लिख सकते हैं। अपने लेटर की शुरुआत कुछ इस तरह से करें, “डियर ___, मैंने तुम्हारी परिस्थिति के ऊपर काफी विचार किया है और ऐसा सोचा है कि ____करना, तुम्हारे लिए बेस्ट रहेगा।” अपने लेटर में आपके विचारों (किसी और दूसरे इंसान की तरफ से आए हुए) को लिखते रहना जारी रखें।
  2. डेविल्स एडवोकेट खेलकर आपको ये तय करने में मदद मिलेगी, कि आप आपके फैसले के बारे में असल में क्या सोचते हैं, ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि आप इसमें एक विपरीत नजरिया लेकर चलेंगे और इसके ऊपर कुछ इस तरह से बहस करेंगे, जैसे कि अब यही आपका नजरिया है। उस विपरीत पॉइंट को लेकर अगर आपके द्वारा की जा रही ये बहस अचानक ही आपके लिए सही लगने लग जाती है, तो फिर अब आपके पास में सोचने के लिए एक और नई इन्फॉर्मेशन आ चुकी है। [१६]
    • डेविल्स एडवोकेट खेलने के लिए, आपके द्वारा चुने हुए विकल्प के लिए मौजूद हर एक सही वजह के लिए बहस करने की कोशिश करें। अगर ये करना काफी आसान हो, तो फिर आपको समझ आ जाना चाहिए, कि आपको एक अलग ही विकल्प के बारे में सोचने की जरूरत है।
    • उदाहरण के लिए, अगर आपका मन, अपने बच्चों के साथ ज्यादा वक़्त बिताने की चाह के चलते, पार्ट-टाइम जॉब करने के फैसले की ओर जाते जा रहा है, तो ऐसे में, आपको वीकेंड्स पर और वेकेशन पर अपने बच्चों के साथ काफी सारा क्वालिटी टाइम बिताने को मिल जाता है, सोचते हुए अपने फैसले के लिए विरोधाभास दिखाएँ। आप चाहें तो, ऐसा भी सोच सकते हैं, कि आपके द्वारा खोया हुआ पैसा और आपका प्रमोशन, आपकी फ़ैमिली के साथ डिनर को मिस कर देने की अपेक्षा कहीं ज्यादा ध्यान देने लायक बात है, क्योंकि इससे आप आपके बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा वक़्त बिताने लग जाएंगे। इसके साथ ही आपके अपने जुनून से उन लोगों को भी फ़ायदा मिलने वाला है, जो भी सोचने लायक बात है।
  3. सोचकर देखें, कि कहीं आप गिल्टी (guilty) फील तो नहीं कर रहे: गिल्ट के चलते कोई फैसला करना बहुत आम बात है, लेकिन गिल्ट कभी भी किसी सही निर्णय के पीछे की वजह नहीं होता है। गिल्ट की वजह से अक्सर, किसी काम और उसके परिणाम के ऊपर मौजूद हमारा नजरिया कुछ इस तरह से बदल जाता है, कि हम उनकी तरफ देखना (और उसमें अपनी मौजूदगी) ही छोड़ देते हैं। [१७] इस तरह के गिल्ट को कुछ ऐसी वर्किंग वुमन काफी ज्यादा महसूस करती हैं, जिनके ऊपर अपने वर्क और अपनी फ़ैमिली लाइफ को बैलेंस करने का दबाव रहता है। [१८]
    • गिल्टी फील करने की वजह से कोई काम करना भी हमारे लिए हानिकारक होता है, क्योंकि इसके चलते हम कुछ ऐसे फैसले भी कर लेते हैं, जो हमारी मान्यताओं के साथ मेल नहीं खाते हैं। [१९] [२०]
    • आपके फैसले में मौजूद “चाहिए” या “करना ही पड़ेगा” जैसे स्टेटमेंट्स को ढूँढना, इस तरह के गिल्ट को पहचानने का एक तरीका है। [२१] उदाहरण के लिए, “आप ऐसा सोच सकते हैं, कि अच्छे पेरेंट्स को अपना सारा वक़्त अपने बच्चों के साथ बिताना चाहिए” या फिर “एक ऐसा पेरेंट, जो इतने घंटों तक काम करता है, वो बुरा पेरेंट होता है।” इस तरह के स्टेटमेंट्स अक्सर आपके नहीं, बल्कि दूसरों के विचारों पर आश्रित होते हैं।
    • इसलिए, आपके द्वारा लिए जा रहे निर्णय के गिल्ट पर आधारित होने की जांच करने के लिए, एक कदम पीछे लेकर देखें और असली परिस्थिति को जाँचने की कोशिश करें और इसके साथ ही आपकी खुद की मान्यताएं (आपकी आधारभूत विचारधारा, जिनकी आपकी लाइफ में अहमियत है) किसे सही बताती हैं, पर ध्यान दें। क्या आपके बच्चे आपके दिन-रात काम करने को लेकर सच में बेहद परेशान हैं? या आप सिर्फ इसीलिए ऐसा फील कर रहे हैं, क्योंकि किसी ने आप से ऐसा बोला है, कि आपको ऐसा करना “चाहिए”?
  4. आखिर में, सोचकर देखें, कि आप आगे कुछ सालों के बाद अपने इस फैसले के बारे में क्या सोचेंगे, ये आपके लिए फैसला करने का सबसे अच्छा तरीका होगा। सोचकर देखें, कि आप जब खुद को आईने में देखते हैं, तब अपने बारे में क्या सोचते हैं। आप आपके नाती-पोतों को इसके बारे में कैसे बताएँगे। यदि आपको इसके दीर्घकालिक प्रभाव पसंद नहीं आ रहे हैं, तो आपको अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। [२२]
    • उदाहरण के लिए, क्या आपको ऐसा लगता है, कि 10 साल के बाद आपको अपने पार्ट-टाइम जॉब के फैसले को लेकर पछतावा होने वाला है? अगर ऐसा है, तो क्यों? ऐसा क्या है, जिसे आप 10 सालों तक एक फुल टाइम जॉब करके पा सकते हैं और 10 साल तक पार्ट-टाइम जॉब से नहीं पा सकते?
  5. आपको भी शायद खुद से ही ये अनुमान लग जाएगा, कि आपके लिए कौन सा फ़ैसला सही होने वाला है, तो इसलिए अगर आपको कुछ भी काम करते नजर नहीं आ रहा है, तो फिर बस अपने मन कि आवाज सुनें। अपने लिए वही फ़ैसला चुनें, जो आपको सही लगता है, फिर भले ही ये आपकी स्प्रेडशीट में कुछ और ही क्यों न नजर आ रहा हो। रिसर्च में ऐसा दिखाया गया है, कि ऐसे लोग, जो अपनी मन की आवाज सुनकर फैसला लेते हैं, वो टोल-मोल कर फैसले लेने वाले लोगों की तुलना में अपने फैसले को लेकर कहीं ज्यादा सेटीस्फाइ फील करते हैं। [२३] [२४]
    • अपने आप से पूछें, कि आप क्या करना चाहते हैं। संभावना तो यही है, कि आपको खुद से ही इस बात का अंदाजा लग जाएगा, कि कौन सा फैसला आपके लिए सही होने वाला है और आप खुद ही अपने फैसले की तरफ झुकाव महसूस करेंगे। यही वो अज्ञात परिवर्तन और वो डिसकंफ़र्ट है, जो आपके निर्णय को कठिन बना रहा है।
    • एक शांत वातावरण में कुछ वक़्त बिताने से आपको अपने अन्तर्मन से संपर्क करने में मदद मिल सकती है।
    • आप जितने ज्यादा निर्णय लेने की प्रैक्टिस करेंगे, ये आपके अन्तर्मन के विचारों को उतना ही ज्यादा बेहतर और स्पष्ट बनाते जाएगा। [२५]
  6. आगे तक की सोच रखना, आपको किसी भी संभावित नेगेटिव रिजल्ट से होने वाली परेशानी से बचाने में मदद कर सकता है। आप किसी भी बुरे परिणाम से किस तरह से निपटेंगे, इसके लिए एक बैकअप प्लान तैयार रखें। फिर भले ही आपको आपके इस प्लान की कभी जरूरत न पड़ने वाली हो, लेकिन फिर भी अपने पास में एक बैकअप प्लान के होने से आपको किसी भी बुरी स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिलती है। ऐसे लोग, जो किसी ऊंची पोजीशन पर हुआ करते हैं, उनके साथ में हमेशा ही कुछ गड़बड़ होने की संभावना चलती है, इसलिए वो अक्सर ही अपने साथ में एक बैकअप प्लान लेकर चलते हैं। ये स्ट्रेटजी, छोटे से छोटे फैसले करने में भी मददगार हो सकती है। [२६]
    • एक बैकअप प्लान तैयार होने से आपकी किसी भी असफलता या अनचाहे परिणाम से निपटने की काबिलियत बढ़ जाती है। किसी भी असफलता से निपटने की आपकी काबिलियत, अक्सर आपके फैसले में सफलता पाने की काबिलियत को प्रभावित करती है।
  7. आप क्या फैसला करते हैं, कोई मायने नहीं रखता, हर एक परिणाम की ज़िम्मेदारी को स्वीकारने को तैयार रहें। अगर कुछ सही नहीं हो रहा है, तो लापरवाह होने के बजाय सचेत निर्णय लेने के लिए हमेशा बेहतर होता है। ऐसा करके, कम से कम आप आपके बच्चों को तो ये बता सकेंगे, कि आपने अपनी ओर से पूरी कोशिश की थी। अपने फैसले लें, और हमेशा अपने फ़ैसलों के साथ खड़े रहें। [२७]

सलाह

  • कोई भी सिनारियो परफेक्ट नहीं होता है। एक बार आप कोई फैसला कर लेते हैं, फिर आप से जितना हो सके, उतना बिना किसी खेद के और आपके द्वारा न चुने हुए दूसरे किसी विकल्प के बारे में सोचे बिना, इसे पूरे दिल से निभाने की कोशिश करें।
  • अगर आपको बाद में जाकर अपने फैसले के ऊपर कोई भी विचार आए, तो ऐसा सोचने लगें, कि आपके द्वारा चुना हुआ कोई भी विकल्प, ठीक इसी तरह से काम करता। इस मामले में, आपके पास मौजूद सारे विकल्पों की अपनी कुछ खासियत और खामियाँ भी हो सकती हैं। अगर उनमें से कोई भी विकल्प, किसी दूसरे विकल्प से बेहतर साबित हो गया होता, तो आपने उसे तब ही चुन लिया होता।
  • याद रखें, कि आपके पास में कोई फ़ैसला करने लायक भरपूर इन्फॉर्मेशन नहीं भी हो सकती है। अगर आपको अपने सामने मौजूद विकल्पों को कम करने में परेशानी हो रही है, तो ऐसे में थोड़ी सी और जांच-पड़ताल करके देख लें। इस बात को समझें, कि हो सकता है कि आपको जिस इन्फॉर्मेशन की जरूरत है, वो आपको मिल ही जाए। आपके पास में मौजूद सारी इन्फॉर्मेशन्स के ऊपर विचार करने के बाद, आपको आगे बढ़ना होगा और एक फ़ैसला करना होगा।
  • आपके द्वारा फ़ैसला कर लेने के बाद, आपके सामने एक ऐसी नई इन्फॉर्मेशन भी आ सकती है, जो आपके द्वारा लिए गए असली फैसले को पूरी तरह से बदल डाले। अगर ऐसा होता है, तो एक बार फिर से फ़ैसला लेने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तैयार हो जाएँ। फ्लेक्सिबिलिटी होना, एक बहुत अच्छी स्किल होती है।
  • अगर आपको जल्दी ही कोई फ़ैसला लेना हो या फिर आपका फ़ैसला इतना ज्यादा जरूरी न हो, तो फ़ैसला करने के लिए खुद को एक टाइम लिमिट दे दें। "बहुत ज्यादा सोच-विचार करने से कन्फ़्यूजन होने" का खतरा वास्तविक होता है। अगर आप इस वीकेंड पर किसी मूवी को देखने के ऊपर फ़ैसला करने की कोशिश कर रहे हैं, तो ऐसे में टाइटल्स लिखने में वक़्त न गँवाएँ।
  • अगर आप बहुत ज्यादा भी कोशिश करेंगे, तो आप किसी बहुत छोटी सी और जाहिर बात को भी छोड़ सकते हैं। बहुत ज्यादा भी न सोचें।
  • अपने लिए बहुत सारे विकल्प भी न तलाशें। रिसर्च से ऐसा मालूम हुआ है, कि हर तरफ से कोई उम्मीद की किरण न नजर आने की भावना, हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर देती है। [२८]
  • अच्छाइयों और कमियों की एक लिस्ट बना लें! आप चाहें तो विकल्पों की लिस्ट भी बना सकते हैं, और इन्हें तब तक कम करते रह सकते हैं, जब तक कि आपको कोई संभावना न नजर आ जाए। फिर, एक अंतिम फैसले तक पहुँचने के लिए, दूसरों के साथ मिलकर इसके ऊपर डिस्कस करें।
  • याद रखें, कि कुछ जगहों पर आपके मन में कोई फ़ैसला न करने का खयाल भी आ सकता है, जो कि सबसे ज्यादा बदतर फैसला हो सकता है।
  • हर एक एक्सपीरियंस को एक लर्निंग एक्सपीरियंस की तरह ही ट्रीट करें। जरूरी निर्णय करके, आप हमेशा ही कठिन दौर से गुजरने के तरीको को सीखेंगे और यहाँ तक कि आपको मिली असफलताओं को भी अपने लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस की तरह इस्तेमाल करेंगे, जिसके साथ आप आगे बढ़ेंगे और जिसे स्वीकार भी करेंगे।

चेतावनी

  • खुद को बहुत ज्यादा स्ट्रेस में डालने से भी बचें। ये सिर्फ चीजों को और भी ज्यादा बदतर बना देगा।
  • ऐसे लोगों से दूर ही रहें, जो ऐसा दिखाते हैं, कि वो जो सोच रहे हैं, वही आपके लिए सबसे सही रहेगा, लेकिन आपके सामने ऐसा दिखाते हैं, कि आप अपने मन की ही कर रहे हैं। उनकी सलाह सही भी हो सकती हैं , लेकिन अगर वो आपकी फीलिंग्स और आपकी चिंताओं को सुनने तक को तैयार नहीं हैं, तो वो आपके लिए शायद बहुत ज्यादा गलत भी हो सकते हैं। साथ ही ऐसे लोगों से भी दूर रहें, जो कि हमेशा आपके भरोसे को गलत ठहराते हैं।
  1. https://www.psychologytoday.com/blog/dont-delay/201004/are-your-goals-value-congruent
  2. http://www.mindtools.com/pages/article/newTED_85.htm
  3. http://www.kent.ac.uk/careers/sk/decisionmaking.htm
  4. http://gbr.pepperdine.edu/2010/10/great-leaders-are-great-decision-makers/
  5. http://www.kent.ac.uk/careers/sk/decisionmaking.htm
  6. http://lifehacker.com/four-tricks-to-help-you-make-any-difficult-decision-987762341
  7. https://www.ideals.illinois.edu/bitstream/handle/2142/29170/useofdevilsadvoc1036schw.pdf?sequence=1
  8. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3490329/
  9. http://www.workingmother.com/research-institute/what-moms-choose-working-mother-report
  10. https://www.psychologytoday.com/blog/dont-delay/201004/are-your-goals-value-congruent
  11. http://www.wire.wisc.edu/yourself/selfreflectknowyourself/Yourpersonalvalues.aspx
  12. http://www.cci.health.wa.gov.au/docs/ACFE3E6.pdf
  13. http://www.forbes.com/sites/mikemyatt/2012/03/28/6-tips-for-making-better-decisions/
  14. Timothy D. Wilson et al., “Introspecting about Reasons Can Reduce Post-Choice Satisfaction,”Personality and Social Psychology Bulletin, 19 (1993): 331–339.
  15. http://gbr.pepperdine.edu/2010/10/great-leaders-are-great-decision-makers/
  16. http://www.forbes.com/sites/mikemyatt/2012/03/28/6-tips-for-making-better-decisions/
  17. http://www.forbes.com/sites/mikemyatt/2012/03/28/6-tips-for-making-better-decisions/
  18. http://www.forbes.com/sites/mikemyatt/2012/03/28/6-tips-for-making-better-decisions/
  19. http://www.nytimes.com/2008/02/26/science/26tier.html

विकीहाउ के बारे में

सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो १४,७६१ बार पढ़ा गया है।

यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?