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अधिकतर महिलाएं ऐसे तरीके अपनाना चाहती हैं जिनसे वे बर्थ कण्ट्रोल के लिए उपयोग की जाने वाली पिल्स और अन्य केमिकल्स का उपयोग किये बिना ही प्रेगनेंसी से बच सकें | अगर आप भी ऐसा चाहती हैं तो अपने शरीर के प्रजनन चक्र को सावधानी पूर्वक मॉनिटर करें और उस विशेष समय के दौरान सेक्स करने से बचें जब आप फर्टाइल हों, इससे आप गर्भनिरोध के अन्य तरीकों का उपयोग किये बिना भी प्रेगनेंसी से बच सकती हैं | प्राकृतिक बर्थ कण्ट्रोल विधियों के उपयोग से आप अपने शरीर को बेहतर रूप से समझ सकती हैं और अपनी सेक्स लाइफ पर बहुत अच्छी तरह से नियंत्रण रख सकती हैं (How to Avoid Pregnancy Naturally) |

विधि 1
विधि 1 का 5:

फर्टिलिटी (Fertility) को समझें

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  1. आपकी दोनों ओवरी में से एक ओवरी एक एग सेल को रिलीज़ करती है जो नीचे फेलोपियन ट्यूब (fallopian tube) की ओर ट्रेवल करना शुरू करती है | अगर यह मेल स्पर्म सेल से मिल जाए तो यह एग अगले 12 से 24 घंटे में फ़र्टिलाइज होने के लिए तैयार रहता है | अगर यह स्पर्म से मिलता है और फ़र्टिलाइज होता है तो एग आपके यूटेरस में इम्प्लांट हो जाता है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आप प्रेग्नेंट हो जाओगी | अगर एग इन 12 से 24 घंटों के दौरान फ़र्टिलाइज नहीं होता तो यह आपकी यूटेराइन लाइनिंग के साथ रिलीज़ हो जाता है और आपके पीरियड आ जाते हैं | [१]
    • कई महिलाओं में ओवुलेशन उनके मासिक चक्र के लगभग मध्य में होता है | औसत चक्र 28 दिन का होता है लेकिन यह 24 या कुछ महिलाओं में 32 या उससे भी अधिक दिनों का हो सकता है | जब आपके पीरियड्स शुरू होते हैं मासिक चक्र फिर से शुरू हो जाता है |
  2. जब आप सेक्स करती हैं तब स्पर्म सेल्स बॉडी में प्रवेश कर जाती हैं जहाँ ये पांच दिन तक जीवित रह सकती हैं | [२] अगर आप ओवुलेशन के पहले पांच दिन में या ओवुलेशन के दौरान असुरक्षित सम्बन्ध बनाती हैं तो आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं | इसे आपका फर्टाइल टाइम माना जाता है और प्रेगनेंसी से बचने के लिए आपको इस दौरान असुरक्षित सम्बन्ध बनाने से बचना होगा |
    • यह बहुत आसान लगता है लेकिन सटीक रूप से यह पता लगाना वास्तव में काफी मुशिकल है कि ओवुलेशन विंडो कब शुरू होती है और कब ख़त्म क्योंकि प्रत्येक महिला का मासिक चक्र भिन्न-भिन्न होता है |
    • गर्भनिरोध की विधियों (चाहे वो प्राकृतिक हों या नहीं) के उपयोग का मुख्य उद्देश्य आपके फर्टाइल विंडो के दौरान एग सेल को स्पर्म से मिलने से रोकना है |
  3. जानें कि प्राकृतिक गर्भनिरोधक (natural contraception) कैसे काम करते हैं: प्राकृतिक गर्भनिरोधक जिन्हें अधिकतर फर्टिलिटी अवेयरनेस या नेचुरल फेमिली प्लानिंग कहा जाता है, इनके दो भाग हैं | पहला, आपको अपने शरीर के प्रजनन चक्र या रेप्रोडक्टिव साइकिल (reproductive cycle) को काफी अच्छी तरह सटीक रूप से ट्रैक करना होता है कि आपकी फर्टाइल विंडो की शुरुआत और अंत कब होता है | दूसरा, उस दौरान सेक्स करने से बचें जब आपके प्रेग्नेंट होने के चान्सेस हों | जब इस विधि का उपयोग बिलकुल सही रूप से किया जाता है तब यह विधि 90% प्रभावी होती है | जब इसका उपयोग टिपिकल रूप से किया जाता है तब यह 85% प्रभावी (कंडोम के उपयोग की अपेक्षा 1% कम इफेक्टिव) होती है | [३]
    • अपने शरीर के प्रजनन चक्र को तीन डेली टास्क के ज़रिये ट्रैक करें: अपना बेसल बॉडी टेम्परेचर लें, वेजाइनल म्यूकस चेक करें और कैलेंडर में रिकॉर्ड किये गये निष्कर्ष | इन ट्रैकिंग विधियों के कॉम्बिनेशन को फर्टिलिटी अवेयरनेस की सिम्पटो-थर्मल मेथड (sympto-thermal method) कहा जाता है | समय के साथ-साथ आप इस डाटा को एनालाइज़ कर सकते हैं और आपने फर्टाइल विंडो की शुरुआत और अंत का पता लगा सकती हैं |
    • इस विधि में सबसे मुश्किल हिस्सा सटीक रूप से यह पता लगाना है कि आप कब सेक्स कर सकते हैं और कब नहीं | कई महिलाएं सुरक्षा के लिहाज़ से थोड़े और लम्बे समय विस्तार करते हुए तक फर्टिलिटी विंडो शुरू होने से कुछ दिन पहले से और फर्टिलिटी विंडो ख़त्म होने के कुछ दिन बाद तक सेक्स करने से बचती हैं जिससे प्रेगनेंसी से बचा जा सके | अगर आप इस समय में भी सेक्स करना चाहती हैं तो आप इस विस्तार के दौरान कंडोम या गर्भनिरोध के अन्य विकल्पों का उपयोग कर सकती हैं |
    • अपने प्रजनन चक्र (fertility cycle) को ट्रैक करना कोई सटीक विज्ञान नहीं है | हर महीने होने वाले वज़न में वृद्धि या कमी, तनाव, बीमारी और एजिंग आपके साइकिल में काफी बदलाव ला सकते हैं | प्राकृतिक गर्भनिरोध को प्रभावी बनाने के लिए सभी ट्रैकिंग विधियों का यथासंभव सख्ती से उपयोग करना और समय के साथ-साथ डाटा की व्याख्या भी जरुरी होती है |
विधि 2
विधि 2 का 5:

अपना बेसल बॉडी टेम्परेचर (Basal Body Temperature) मॉनिटर करें

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  1. बेसल बॉडी टेम्परेचर, पूरे 24 घंटे में आपके शरीर का सबसे कम तापमान होता है | ओवुलेशन के तुरंत बाद आपके शरीर का तापमान थोडा सा बढ़ जाता है | समय के अनुसार बेसल बॉडी टेम्परेचर को मॉनिटर करने से आपको संकेत मिल सकता है कि आपका पीक फर्टिलिटी टाइम कब शुरू होने वाला है || बेसल बॉडी थर्मामीटर ड्रगस्टोर्स पर आसानी से मिल जाता है और इसके साथ एक चार्ट भी आता है जिससे प्रतिदिन टेम्परेचर ट्रैक करने में मदद मिल सकती है |
    • बेसल बॉडी थर्मामीटर लेना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि इसी से आपके शरीर के तापमान में छोटी-छोटी बढ़त के रूप में होने वाले बदलाव नापे जा सकते हैं | रेगुलर थर्मामीटर, जिसे फीवर नापने के लिए उपयोग किया जाता है, सटीक माप नहीं देगा | [४]
  2. रोज़ सुबह बेसल बॉडी टेम्परेचर लें और इसका रिकॉर्ड रखें: बेसल बॉडी टेम्परेचर को सटीक रूप से ट्रैक करने के लिए हर रोज़ एक ही समय पर टेम्परेचर लेना चाहिए | सबसे सटीक माप के लिए सुबह जागने के तुरंत बाद, बेड से उठने और उठकर आस-पास चलने–फिरने से पहले ही टेम्परेचर लें | थर्मामीटर को अपने बेड के पास ही रखें और सुबह सबसे पहले टेम्परेचर लेने की आदत बनायें |
    • बेसल बॉडी टेम्परेचर आपकी वेजाइना या मुंह में लिए जा सकता है | वेजाइना में लिए गये टेम्परेचर से दिन-प्रतिदिन सबसे सटीक रीडिंग मिलेगी | चाहे आप टेम्परेचर मुंह से लें या वेजाइना से, जितना हो सके रीडिंग हर दिन एक ही समय पर निरंतर लें जिससे सही रीडिंग आ सके | [५]
    • टेम्परेचर लेने के लिए थर्मामीटर के साथ आये हुए निर्देशों का पालन करें जिससे आप सही रूप से थर्मामीटर को सेट करें और वेजाइना में प्रवेश करा सकें | जब लगभग 30 सेकंड से 1 मिनट के बाद कोई बीप सुनाई दे तो थर्मामीटर के साथ आये हुए चार्ट में या एक डायरी में बिलकुल सही तापमान लिखें | ध्यान रखें, कि टेम्परेचर के साथ ही आपको डाटा भी रिकॉर्ड करना है |
  3. टेम्परेचर स्पाइक (तापमान में बढ़ोत्तरी) पर नज़र रखें जो सातवें और बारहवे दिन के बीच होती है: ओवुलेशन से पहले आपके शरीर का औसत तापमान 97.2 और 97.7 फेरनहाईट के बीच की रेंज में रहेगा | ओवुलेशन के दो से तीन दिन के बाद, शरीर का तापमान 0.4 और 1.0 डिग्री के बीच तेज़ी से बढेगा | उच्चतम तापमान आमतौर पर वापस कम होने से पहले सातवें और बारहवें दिन के बीच उच्चतम ही बना रहता है | [६] इस टेम्परेचर स्पाइक को महीने–दर-महीने ट्रैक करते रहने से एक पैटर्न सामने आएगा जिससे आप पूर्वानुमान लगाना शुरू कर पाएंगे कि अगले महीने आपकी बॉडी कब ओवुलेट करेगी |
  4. कम से कम तीन महीने तक हर दिन अपना तापमान ट्रैक करें: जब तक आप तीन या उससे अधिक समय तक अपने टेम्परेचर का रिकॉर्ड नहीं रखेंगे तब तक आप इस विधि के द्वारा अपने प्रजनन चक्र की जानकारी की सटीकता पर भरोसा नहीं कर सकते | अगर आपका चक्र रेगुलर रहता है तो तीन महीने के डाटा से भी आने वाले महीनों में पीक फर्टिलिटी की पर्याप्त जानकारी मिल जाएगी | [७]
    • अगर आपके चक्र अनियमित रहते हैं तो विश्वसनीय पैटर्न बनाने तैयार करने के लिए छह महीने या उससे अधिक समय तक शरीर के तापमान का रिकॉर्ड रखना होगा |
    • याद रखें कि बीमारी, तनाव, अल्कोहल के सेवन और अन्य कई सारे फैक्टर्स भी आपकी बॉडी के टेम्परेचर को प्रभावित कर सकते हैं | इसीलिए इस विधि के साथ अन्य ट्रैकिंग विधियों का उपयोग करना भी जरुरी होता है जिससे किसी भी कारण से बेसल बॉडी टेम्परेचर के पैटर्न ख़राब होने की स्थिति में आपके पास बेकअप रहे |
  5. ओवुलेशन का अंदाज़ा लगाने के लिए पैटर्न को एनालाइज़ करें: हर दिन तीन या उससे अधिक महीनों तक अपने टेम्परेचर को ट्रैक करने के बाद अपने जांच-परिणामों का उपयोग करके अंदाज़ा लगाने की कोशिश करें कि आप अगली बार कब ओवुलेट होंगी | अगर आप ओवुलेट होने वाली हैं तो इसका सटीक रूप से पता लगाना मुश्किल होगा लेकिन कई महीनों के डाटा से फर्टाइल विंडो का पता लगाने में मदद मिल सकती है | डाटा को एनालाइज़ इस प्रकार करें:
    • अपने चार्ट को देखें और उस दिन का पता लगायें जब हर महीने आपके टेम्परेचर में रेगुलर बढ़त (स्पाइक) होती है |
    • कैलेंडर में, ओवुलेशन की सम्भावना वाले दिनों के रूप में टेम्परेचर दो से तीन दिन पहले बढ़ने पर मार्क करें | याद रखें कि ओवुलेशन के दो से तीन दिन के बाद आपका तापमान नहीं बढ़ता |
    • प्राकृतिक गर्भनिरोध को अपनाने के लिए, ओवुलेशन के शुरू होने अनुमान के कम से कम पांच दिन पहले से लेकर ओवुलेशन के दिन तक असुरक्षित सम्बन्ध बनाने से बचें |
    • टेम्परेचर विधि को अन्य विधियों के साथ उपयोग करने से आपको अपने फर्टाइल पीरियड की सटीक जानकरी मिल जाएगी |
विधि 3
विधि 3 का 5:

सर्वाइकल म्यूकस (Cervical Mucus) चेक करें

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  1. अपने पीरियड्स समाप्त होने के बाद जांच शुरू करें। सर्वाइकल म्यूकस को आपका शरीर वेजाइनल डिस्चार्ज के रूप से निकालता है और पूरे चक्र के दौरान इसके टेक्सचर, कलर और गंध में बदलाव होता रहता है | हर दिन चेक करते रहने से, आप उस पैटर्न के द्वारा अनुमान लगा सकते हैं कि आपका शरीर कब फर्टाइल होता है | [८]
    • म्यूकस चेक करने के लिए, अपने हाथ धोएं और वेजाइना के अंदर दो अंगुलियाँ डालकर बाहर निकालें |
    • म्यूकस को लेने के लिए आप एक कॉटन स्वाब का उपयोग कर सकते हैं लेकिन अभी भी उसके टेक्सचर का परीक्षण करने के लिए आपको उसे स्पर्श करना होगा |
  2. जैसे-जैसे हार्मोन लेवल में उतार-चढ़ाव होगा, दिन-प्रतिदिन म्यूकस में भी बदलाव आते जायेंगे | विशिष्ट प्रकार के म्यूकस की उपस्थित दर्शाएगी कि आपकी बॉडी ओवुलेट करने वाली है या ओवुलेट कर चुकी है | यहाँ साइकिल के भिन्न-भिन्न समय पर म्यूकस की क्वालिटी में होने वाले बदलाव बताये गये हैं:
    • आपके पीरियड्स ख़त्म होने के तीन से पांच दिन बाद आपको संभवतः थोडा सा डिस्चार्ज होगा या हो सकता है कि डिस्चार्ज बिलकुल न हो | इस दौरान सेक्स करने पर प्रेगनेंसी की सम्भावना बिलकुल नहीं होगी |
    • ड्राई पीरियड के बाद, म्यूकस धुंधला और थोडा चिपचिपा होना शुरू होगा | इस दौरान सेक्स करने पर जरुरी नहीं है कि आप प्रेग्नेंट हो जाएँ (लेकिन असंभव भी नहीं है) |
    • चिपचिपे डिस्चार्ज पर नजर रखें, यह लोशन के समान सफ़ेद या पीलापन लिए हुए और क्रीमी टेक्सचर में आना शुरू होगा | अगर आप इस दौरान सेक्स करती हैं तो आपके प्रेग्नेंट होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है लेकिन अभी भी आपकी फर्टिलिटी उच्चतम शिखर (पीक) पर नहीं पहुंची है |
    • क्रीमी डिस्चार्ज पर नज़र रखें, आप एग वाइट की कंसिस्टेंसी वाले पतले, स्ट्रेची म्यूकस का आना नोटिस करेंगे | यह संभवतः बिना टूटे आपकी अँगुलियों के बीच स्ट्रेच हो सकता है | ओवुलेशन के शुरू होने पर या आखिरी दिन के बाद यह म्यूकस निर्मित होता है | जब आपको ऐसा म्यूकस दिखाई दे तो आप समझ जाए कि यही वो समय है जब आप सबसे ज्यादा फर्टाइल हैं और आपके प्रेग्नेंट होने की सम्भावना सबसे अधिक है |
    • इसके बाद, यह कई दिनों के लिए फिर से धुंधली और चिपचिपी स्टेज आ जाएगी |
    • जब आपके पीरियड्स आते हैं तब चक्र समाप्त हो जाता है |
  3. म्यूकस के बदलते टेक्सचर का रिकॉर्ड सावधानीपूर्वक रखें: हर दिन म्यूकस के कलर और टेक्सचर को लिखें | आप चाहे तो टेम्परेचर का रिकॉर्ड रखने वाले चार्ट में ही इनका रिकॉर्ड भी रख सकते हैं जिससे आपके सभी डाटा एक ही जगह पर रहेंगे | याद रहे कि इसमें तारीख का रिकॉर्ड भी रखें | यहाँ कुछ डिटेल्ड एंट्रीज़ दी जा रही हैं जिन्हें आप लिख सकते हैं:
    • 4/22: म्यूकस चिपचिपा और सफ़ेद |
    • 4/26: म्यूकस सफ़ेद और पतला, एग वाइट के समान
    • 4/31: पीरियड्स शुरू; हैवी फ्लो |
  4. अपने सर्वाइकल म्यूकस पैटर्न्स पर ध्यान दें और उनका रिकॉर्ड रखें | अगर आप अपने पैटर्न को कई महीनों तक संभवतः तीन या उससे अधिक समय तक ट्रैक करके रखें तो सर्वाइकल म्यूकस डाटा बहुत उपयोगी साबित होगा: रेगुलर पैटर्न पर नज़र रखना शुरू करें जिससे पता लगा सकें कि आने वाले महीने में आप कब फर्टाइल होंगी |
    • जब आपके म्यूकस की कंसिस्टेंसी खिंचने वाले एग वाइट जैसी होती है उस समय आप सबसे अधिक फर्टाइल होती हैं | फिर भी हर महीने म्यूकस की ऐसी क्वालिटी दिखाई देने के कुछ दिन पहले और बाद में सुरक्षा के लिहाज़ से सेक्स न करें | जब आपका म्यूकस क्रीमी से चिपचिपा होने लगे तो आपको सेक्स करना बंद कर देना चाहिए |
    • बेसल बॉडी टेम्परेचर पैटर्न्स के डाटा की तुलना करें | आपके बॉडी टेम्परेचर के बढ़ने के कई दिन पहले से म्यूकस संभवतः गीला और स्ट्रेची होने लगेगा | ओवुलेशन आमतौर पर म्यूकस चेंज होने और टेम्परेचर बढ़ने के बीच के समय में ही होगा |
विधि 4
विधि 4 का 5:

कैलेंडर पर अपने प्रजनन चक्र को ट्रैक करें

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  1. अपना टेम्परेचर लेने और वेजाइनल म्यूकस को टेस्ट करने के अलावा आप अपने चक्र को ट्रैक करने के लिए कैलेंडर का उपयोग भी कर सकती हैं और इससे भी आपको अपने फर्टाइल पीरियड की जानकारी मिल सकती है | अधिकतर रेगुलर पीरियड्स वाली महिलाओं का सायकल 26 से 32 दिनों के बीच का होता है परन्तु कुछ महिलाओं में चक्र बहुत कम या ज्यादा दिनों का भी होता है | चक्र का पहला दिन, आपके पीरियड शुरू होने का पहला दिन होता है और आखिरी दिन आपके अगले पीरियड की शुरुआत वाले दिन का होता है | [९]
    • कई महिलाओं में, हर महीने सायकल में थोडा बदलाव होता है | तनाव, बीमारी, वज़न के घटने या बढ़ने और अन्य फैक्टर्स आपने पीरियड्स में बदलाव ला सकते हैं |
    • कैलेंडर विधि काफी उपयोगी साबित होती है लेकिन इसे अन्य ट्रैकिंग विधियों के संयोजन के साथ उपयोग किया जाना चाहिए |
  2. आप हर महीने अपने सायकल के पहले दिन को कैलेंडर पर सर्किल कर सकती हैं, इसे डॉट लगाकर मार्क कर सकती हैं या किसी और तरीके के द्वारा अपने पीरियड के पहले दिन की पहचान कर सकती हैं | हर चक्र के अंत में अपने पिछले चक्र के दिनों की संख्या गिनें |
    • अपने सायकल की लम्बाई के बारे में सटीक डाटा पाने के लिए कम से कम आठ चक्रों तक अपने चक्र को ट्रैक करें | [१०]
    • प्रत्येक चक्र में दिनों की कुल संख्या निकालें और पैटर्न देखें |
  3. उस पैटर्न का उपयोग करें जससे अंदाज़ा लगाया जा सके कि आप कब फर्टाइल होंगी: सबसे पहले, आपके द्वारा ट्रैक किये गये सबसे छोटे प्रजनन चक्र को खोजें | पिछले चक्र के दिनों की संख्या से 18 से घटायें और अब आई हुई संख्या को लिखें | अब, अपने कैलेंडर में अपने वर्तमान चक्र के पहले दिन को खोजें | अपने वर्तमान चक्र के पहले दिन से शुरू करते हुए आगे गिनने के लिए आपके द्वारा लिखी गयी संख्या का उपयोग करें | आप जिस दिन पर आकर रुकते हैं, वही आपका पहला फर्टाइल दिन होगा |
    • अपने आखिरी फर्टाइल दिन के बारे में जानकारी के लिए, आपके द्वारा ट्रैक किये गये सभी चक्रों में से सबसे लम्बे चक्र को खोजें | दिनों की संख्या में से ग्यारह घटा दें और अब आई हुई संख्या को लिखें | अपने वर्तमान चक्र के पहले दिन को खोजें और आपके द्वारा लिखी गयी संख्या से आगे की ओर, दिनों की संख्या को गिनें | जिस दिन पर आपकी गिनती समाप्त होती है, वही आपका फर्टाइल डे होना चाहिए |
  4. अन्य विधियों का उपयोग किये बिना अकेले इसी विधि पर भरोसा न करें: हो सकता है कि कभी आप अपना टेम्परेचर लेना या म्यूकस चेक करना भूल जाएँ इसलिए आपकी फर्टिलिटी विंडो की सटीक जानकारी के लिए कैलेंडर विधि पर्याप्त रूप से विश्वसनीय नहीं है | कैलेंडर विधि का उपयोग, अन्य विधियों से आपके द्वारा पहचाने गये पैटर्न की सुनिश्चितता के लिए करें | [११]
    • इस विधि पर पूरी तरह से भरोसा करना सही नहीं है क्योंकि कई ऐसे फैक्टर हैं जो चक्र की लम्बाई को प्रभावित कर सकते हैं |
    • अगर आपके पीरियड्स अनियमित हैं तो यह विधि कोई उपयोगी जानकारी नहीं दे सकती |
विधि 5
विधि 5 का 5:

अपने निष्कर्षों का पालन करें

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  1. पता लगायें कि आपके फर्टाइल होने की सम्भावना सबसे ज्यादा कब है: जब सभी पैटर्न यह दर्शाते हैं कि आप ओवुलेट होने वाली हैं तभी से आपकी फर्टिलिटी की खिड़की खुलना शुरू होती है | कई महीनों के पीरियड्स पर प्रत्येक ट्रैकिंग विधि के उपयोग के बाद आपको स्पष्ट रूप से ज्ञात होगा कि आपका शरीर कब फर्टाइल होगा | आप संभवतः तब फर्टाइल होंगी जब: [१२]
    • आपके रिकॉर्ड यह संकेत दें कि आपका बेसल बॉडी टेम्परेचर 3 से 5 दिनों में बढेगा, जब आप ओवुलेट होंगी |
    • आपका सर्वाइकल म्यूकस सफ़ेद, पीला या क्रीमी होता है जो ओवुलेट होने के बिलकुल पहले गीला, स्ट्रेची और टेक्सचर के एग वाइट के समान हो जाता है |Your cervical mucus is white or yellow and creamy, just before it becomes wet, stretchy and similar to egg whites in texture.
    • आपका कैलेन्डर दर्शाए कि आपका पहला फर्टाइल डे शुरू हो चुका है |
  2. अधिकतर महिलाओं में तकनीकी रूप से फर्टाइल विंडो लगभग 6 दिनों तक रहती है- ओवुलेशन के दिन और इसके पांच दिन पहले | [१३] कुछ लोग ओवुलेशन की बताई गयी तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले से लेकर उसके बाद कई दिनों तक सुरक्षा के लिहाज़ से सेक्स करने से बचते हैं | जबकि अन्य लोग ओवुलेट होने के बिलकुल पांच दिन पहले सेक्स काना बंद कर देते हैं | जब आपके पास पर्याप्त डाटा हों तो आपके पास सेक्स करने के कई विकल्प होते हैं |
    • चूँकि आप प्राकृतिक गर्भनिरोध की विधियों का उपयोग कर रही हों तो आपको पहली बार में काफी सतर्क रहना चाहिए | रिस्क लेने से पहले अपने शरीर को अच्छी तरह से समझने के लिए खुद को समय दें |
    • छह महीने या एक साल तक सिम्पटोथर्मल विधि का उपयोग करने के बाद, आपको अनुभव हो सकता है कि आप अपने प्रजनन चक्र को अच्छी तरह से समझने लगी हैं | अब सेक्स न करने वाले समय को कम कर सकती हैं, और रिलैक्स हो सकती हैं क्योंकि आप सावधानीपूर्वक लिए गये रिकार्ड्स पर भरोसा कर सकती हैं |
  3. अगर आपकी ट्रैकिंग पीछे छूट जाए तो गर्भनिरोध के अन्य तरीकों पर सावधानीपूर्वक भरोसा करें: अगर छुट्टियों में आप अपने टेम्परेचर को ट्रैक करना भूल जाएँ या किसी महीने वेजाइनल म्यूकस को चेक न कर पायें तो प्रेगनेंसी रोकने के लिए प्राकृतिक गर्भनिरोध पर तब तक भरोसा न करें जब तक आप फिर से कम से कम दो या तीन महीनों के सावधानीपूर्वक लिए गये रिकार्ड्स का डाटा न बना लें | इस समय में प्रेगनेंसी को रोकने के लिए कंडोम या गर्भनिरोध के अन्य उपाय आजमायें |

चेतावनी

  • ये विधियाँ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STDs) से नहीं बचाती हैं | STDs से बचने के लिए कंडोम का उपयोग करें |
  • संयम या निग्रह (abstinence) के अतिरिक्त बर्थ कण्ट्रोल की कोई भी विधि पूरी तरह से प्रभावी नहीं है |

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