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ल्यूकेमिया एक ब्लड कैंसर है, जो आपके शरीर की आमतौर पर किसी इन्फेक्शन और बीमारी से लड़ने वाली ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है। जिन लोगों को ल्यूकेमिया की समस्या होती है, उनकी दूषित हुई व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बढ़कर दूसरी हेल्दी सेल्स को ढँकने लग जाती है और किसी गंभीर समस्या की ओर ले जाती है। [१] ल्यूकेमिया तेजी से भी बढ़ सकता है और धीमी गति से भी और इसके कई प्रकार होते हैं। [२] ल्यूकेमिया के आम लक्षणों की पहचान करें और इलाज कराने की जरूरत को समझना सीखें।

विधि 1
विधि 1 का 2:

आम लक्षणों की पहचान करना

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  1. इसके लक्षणों में बुखार, थकान महसूस होना या फिर ठंड लगना शामिल है। अगर ये लक्षण कुछ दिनों के बाद गायब हो जाते हैं और आपको फिर से हेल्दी महसूस होने लग जाता है, तो इसका मतलब आपको शायद फ्लू ही हुआ था। इसके बाद भी, अगर फ्लू जैसे लक्षण कम नहीं होते हैं, तो अपने फिजीशियन को दिखा लें। ल्यूकेमिया के पेशेंट्स ल्यूकेमिया के लक्षणों को फ्लू या फिर किसी दूसरे इन्फेक्शन के लक्षण समझने की गलती कर देते हैं। आमतौर पर, इनकी तरफ ध्यान देने की कोशिश करें:
    • लगातार रहने वाली कमजोरी या थकान
    • बार-बार या गंभीर रूप से नाक से खून निकलना
    • बार-बार होने वाला इन्फेक्शन
    • अचानक हुए वजन की कमी
    • फूली हुई लिम्फ़ नोड्स
    • स्प्लीन (ब्लड सेल्स के प्रॉडक्शन और रिमूवल में शामिल एक पेट का अंग) या लिवर में सूजन
    • आसानी से खरोंच लगना या खून निकल आना
    • त्वचा पर छोटे लाल निशान
    • बहुत ज्यादा पसीना
    • बोन क्रेम्प्स [३]
    • ब्लीडिंग गम्स (मसूड़ों से खून आना) [४]
  2. क्रोनिक थकान या काफी समय से बनी रहने वाली थकान अक्सर ल्यूकेमिया का शुरुआती लक्षण होती है। क्योंकि थकान होना बहुत आम बात होती है, इसलिए ज़्यादातर पेशेंट्स इस लक्षण को भी नजरअंदाज कर देते हैं। कमजोरी और बहुत कम एनर्जी भी थकान के साथ में जुड़ी हो सकती है। [५]
    • क्रोनिक या लंबे समय से बने रहने वाली थकान, और केवल थकान महसूस करने में बहुत फर्क होता है। अगर आपको लगता है कि आप ध्यान नहीं दे पा रहे हैं या फिर आपकी याददाश्त अब पहले से ज्यादा कमजोर होने लग गई है, तो आपको शायद क्रोनिक थकान हो सकती है। दूसरे लक्षणों में लिम्फ़ नोड में सूजन नया या बेवजह होने वाला मसल पेन, गले में खराश या फिर एक दिन से ज्यादा समय तक रहने वाली गंभीर थकावट शामिल हैं। [६]
    • आप शायद आपके किसी अंग में कमजोरी भी महसूस कर सकते हैं। आपके लिए अब उन्हीं चीजों को कर पाना मुश्किल लगने लगेगा, जो पहले आप नॉर्मली कर लिया करते थे।
    • थकान और कमजोरी के साथ, आप शायद खुद को थोड़ा पेल या भद्दा होता भी महसूस करेंगे। ये सभी बदलाव शायद एनीमिया की वजह से भी हो सकते हैं, जो कि आपके खून में हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से होता है। आपका हीमोग्लोबिन आपके सभी टिशू और सेल्स में ऑक्सीज़न ट्रांसपोर्ट करता है। [७]
  3. बिना किसी स्पष्ट वजह के अचानक काफी सारे वजन की कमी का होना ल्यूकेमिया या दूसरे तरह के कैंसर का लक्षण होता है। इस लक्षण को कैशेक्सिया (cachexia) भी कहा जाता है। [८] ये सभी अस्पष्ट लक्षण होते हैं और जरूरी नहीं कि इन अकेले से ही आप कैंसर के होने का मतलब निकाल लें। फिर भी, अगर आप आपकी रेगुलर डाइट और एक्सरसाइज की आदतों में कोई बदलाव किए बिना ही वजन खो रहे हैं, तो जरूरी है कि आप आपके डॉक्टर को दिखा दें। [९]
    • समय के साथ वजन का कम होना या बढ़ जाना नॉर्मल होता है। अपनी ओर से कोई भी मेहनत किए बिना अपने वजन में आने वाली धीमी, लेकिन नियमित कमी के ऊपर नजर रखें।
    • बीमारी के साथ में होने वाला वेट लॉस अक्सर अच्छी हैल्थ महसूस होने की बजाय, एनर्जी की कमी और कमजोरी के साथ में जुड़ा रहता है।
  4. ल्यूकेमिया वाले लोगों को जल्दी खरोंच लग जाती है और खून भी आसानी से निकल आता है। इसके पीछे की एक वजह उनके रेड ब्लड सेल्स और पेलेट्स की संख्या में कमी का होना है, जिसकी वजह से उन्हें एनीमिया हो सकता है। [१०]
    • अगर आपको हल्का से ठोकर लगने के बाद खरोंच दिखती है या फिर बस जरा सा कट लगने के बाद खून निकलना शुरू हो जाता है, तो इसका ध्यान रखें। ये खासतौर से अहम लक्षण है। [११] साथ में, मसूड़ों से निकलने वाले खून को लेकर भी सचेत रहें। [१२]
  5. अपनी त्वचा के ऊपर छोटे लाल निशानों (petechiae) के ऊपर नजर रखें: ये निशान नॉर्मल से थोड़े अलग दिखेंगे और रेगुलर निशानों के विपरीत, आपको एक्ने से धब्बे या त्वचा में कट भी मिल सकते हैं।
  6. ध्यान दें कि कहीं आपको ज्यादा जल्दी-जल्दी इन्फेक्शन तो नहीं हो रहे हैं: क्योंकि ल्यूकेमिया की वजह से आपकी हेल्दी ब्लड सेल्स की संख्या में कमी आ गई है, इसलिए आपको बार-बार इन्फेक्शन हो सकता है। अगर आपको बहुत ज्यादा बार त्वचा, गले या कान का इन्फेक्शन हो रहा है, तो आपकी इम्यूनिटी शायद कमजोर हो चुकी है। [१५]
  7. हड्डियों में दर्द होना कोई आम लक्षण नहीं है, लेकिन ये भी हो सकता है। अफर आपकी हड्डियों में दर्द महसूस हो रहा है और उनमें दर्द होने के पीछे की और कोई दूसरी वजह भी नहीं है, तो फिर ल्यूकेमिया की जांच करा लें।
    • ल्यूकेमिया से जुड़ा हड्डियों का दर्द इसलिए हो सकता है,क्योंकि आपका बोनमैरो व्हाइट ब्लड सेल्स की वजह से ओवरक्राउड़ हो चुका होता है। आपकी ल्यूकेमिया सेल्स भी आपकी हड्डियों के नजदीक या फिर जोइंट्स के अंदर भी जमा हो सकती हैं। [१६]
  8. कुछ लोग ल्यूकेमिया होने के लिए ज्यादा संवेदनशील होते हैं। हालांकि रिस्क फ़ैक्टर्स के होने का मतलब ये नहीं निकल आता कि आपको ल्यूकेमिया होगा ही, रिस्क फ़ैक्टर्स की पहचान करना जरूरी होता है। अगर आपके साथ में ऐसा हुआ है (या हो चुका है), तो आपको इसका खतरा ज्यादा हो सकता है:
    • पहले हुई कैंसर की थेरेपी, जैसे कि कीमो (chemo) या रेडिएशन (radiation)
    • जेनेटिक डिसऑर्डर्स (Genetic disorders)
    • एक स्मोकर हैं
    • किसी फैमिली मेम्बर को ल्यूकेमिया हुआ है
    • बेंजीन (benzene) जैसे केमिकल्स के संपर्क में आए हैं। [१७]
विधि 2
विधि 2 का 2:

ल्यूकेमिया की जांच कराना

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  1. जब आप अपने डॉक्टर के पास जाएँगे, तब वो चेक करेंगे कि आपकी त्वचा कहीं अजीब ही पेल या भद्दी तो नहीं है। ऐसा एनीमिया की वजह से हो सकता है, जो ल्यूकेमिया से जुड़ा होता है। आपके डॉक्टर आप में ऐसी लिम्फ़ नोड्स की जांच भी करना चाहेंगे, जिसमें सूजन हो। आपके फिजीशियन आपके लिवर के नॉर्मल से ज्यादा बढ़े होने की भी जांच करेंगे। [१८]
    • सूजन वाले लिम्फ़ नोड्स भी ल्यूकेमिया की सबसे बड़ी निशानी होती है।
    • एक बढ़ा हुआ स्प्लीन भी मोनोन्यूक्लिओसिस (mononucleosis) जैसी किसी दूसरी बीमारी का लक्षण हो सकता है।
  2. आपके डॉक्टर आपका खून निकालेंगे। फिर, वो खुद से आपके खून की जांच करेंगे या फिर उसे लैब भेजकर व्हाइट ब्लड सेल्स या पैलेट्स काउंट की जांच कराएंगे। [१९] अगर आपके नंबर काफी ज्यादा हुए, तो वो ल्यूकेमिया के लिए आपके दूसरे एडिशनल टेस्ट (जैसे कि एमआरआई/MRIs, लुंबार पंचर्स/lumbar punctures, सीटी स्कैन/CT scans) भी कराएंगे। [२०]
  3. इस टेस्ट के लिए, आपके डॉक्टर आपकी कमर की हड्डी में एक लंबी, पतली सुई डालकर मैरो निकालेंगे। आपके डॉक्टर फिर उसे सैंपल को लैब में भेजकर उसमें ल्यूकेमिया सेल्स के मौजूद होने की जांच कराएंगे। रिजल्ट्स के अनुसार, वो शायद और दूसरी टेस्टिंग भी करेंगे। [२१]
  4. जैसे ही आपके डॉक्टर आपकी कंडीशन के सभी संभावित पहलुओं की जांच कर लेते हैं, फिर वो आपको एक डाइग्नोसिस दे सकते हैं। क्योंकि लैब की प्रोसेसिंग का टाइम अलग हो सकता है,इसलिए इसमें थोड़ा सा समय लग सकता है। फिर भी, आपको कुछ ही हफ्ते के अंदर आपकी रिपोर्ट मिल जाना चाहिए। हो सकता है कि आपको ल्यूकेमिया हुआ ही न हो। अगर आपको ल्यूकेमिया हो गया है, तो आपके डॉक्टर आपके साथ में आपको हुए ल्यूकेमिया के टाइप को और उसके उपचार के संभावित विकल्पों के बारे में डिस्कस करेंगे।
    • आपके डॉक्टर आपको बताएँगे कि आपका ल्यूकेमिया तेजी से बढ़ रहा (एक्यूट) है या फिर धीरे-धीरे (क्रोनिक) बढ़ रहा है। [२२]
    • फिर, वो निर्धारित करेंगे कि किस तरह की व्हाइट सेल्स को ये बीमारी लगी है। लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (Lymphocytic leukemia) लिम्फोइड (lymphoid) सेल्स को प्रभावित करता है। मायलोजेनस ल्यूकेमिया (Myelogenous leukemia) मायलोइड (myeloid) सेल्स को प्रभावित करता है।
    • वैसे तो एडल्ट्स को सभी तरह का ल्यूकेमिया हो सकता है; ज़्यादातर छोटे बच्चे एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (ALL) से गुजरते हैं।
    • बच्चे और एडल्ट्स दोनों ही एक्यूट मायलोजेनस ल्यूकेमिया (AML) से गुजर सकते हैं, लेकिन ये एडल्ट्स के लिए सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाला ल्यूकेमिया है।
    • क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) और मायलोजेनस ल्यूकेमिया (CML) एडल्ट्स को प्रभावित करता है और इसे दिखाई देने में कई वर्षों तक का समय लग जाता है। [२३]

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