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महिलाओं में ऐसी छोटी, पीड़ारहित सिस्ट अक्सर हो जाती हैं जो अपने आप ठीक भी हो जाती हैं (जैसे- अंतर्वेशन सिस्ट या inclusion cysts) | लेकिन अगर आपको वेजाइना या वल्वा के आसपास सैक के समान उभार या गाँठ हो तो समझ जाएँ कि वो एपीडर्मल सिस्ट हैं | विशेषरूप से अगर ये बहुत छोटी हों तो आमतौर पर पीड़ारहित होती हैं | वेजाइनल सिस्ट ट्रॉमा, सर्जरी, प्रसव या किसी अनजान कारण से हो सकती हैं | आपको सिस्ट को मॉनिटर करते रहना होगा क्योंकि ये संक्रमित होने पर पीड़ादायक और इर्रीटेटिंग भी बन सकती हैं |

विधि 1
विधि 1 का 2:

सिस्ट को डायग्नोज़ और मॉनिटर करें

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  1. अधिकतर वेजाइनल सिस्ट इन्क्लूजन सिस्ट या अंतर्वेशन सिस्ट कहलाती हैं | ये सिस्ट, छोटी, पीड़ारहित सिस्ट होती हैं जो आमतौर पर नोटिस नहीं होती और अपने आप ठीक हो जाती हैं | अगर आपकी वेजाइनल ओपनिंग के दोनों तरफ सिस्ट दिखाई दें तो समझ जाएँ कि वे बर्थोलिन सिस्ट हो सकती हैं | सामान्यतौर पर ग्लैंड्स ऐसा फ्लूड स्त्रावित करती हैं जिससे वेजाइना के लिप्स और ओपनिंग लुब्रिकेट हो सकें | लेकिन, इसके कारण ये ब्लॉक भी हो सकती हैं और फ्लूड- भरी हुई सिस्ट बना सकती हैं | [१] वेजाइना के अंदर डेवलप होने वाली सबसे कम देखी जाने वाली सिस्ट हैं:
    • गार्टनर्स डक्ट सिस्ट: ये सिस्ट भ्रूण में बनती हैं और जन्म के बाद गायब हो जाती हैं | अगर ये सिस्ट जीवन में बाद में कभी डेवलप होती हैं तो इन्हें डायग्नोज़ करने के लिए MRI करवानी पड़ती है |
    • मुलेरियन सिस्ट: ये भ्र्रों के स्ट्रक्चर से डेवलप होती हैं जो जन्म के बाद गायब हो जाती हैं लेकिन कई बार ऐसा नहीं भी होता | इन सिस्ट में म्यूकस भरा होता है और ये वेजाइना की भित्ति में कहीं भी डेवलप हो सकती हैं |
  2. हालाँकि अधिकतर सिस्ट के कारण कोई परेशानी नहीं होती लेकिन आपको सिस्ट में इन्फेक्शन होने के संकेत मिल सकती हैं | इस लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता है जिससे आप तुरंत इनका इलाज़ करा सकें | इन्फेक्शन के ये संकेत हैं: [२]
    • वेजाइनल ओपनिंग के पास उभार जो छूने पर दर्द करने वाला और पीड़ादायक हो
    • उभार के चारो ओर रेडनेस और सूजन
    • चलने या बैठने में परेशानी होना
    • सम्बन्ध बनाने के दौरान दर्द होना
    • बुखार आना
  3. अगर आपको इन्फेक्शन के लक्षण दिखाई दें या सिस्ट पीड़ादायक बन जाए तो डॉक्टर या गायनेकोलोजिस्ट को दिखाने जाना चाहिए | नॉर्मल बैक्टीरियल इन्फेक्शन या सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन के कारण सिस्ट असुविधाजनक बन सकती है | इनमे मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है | अगर आपको बार-बार सिस्ट होती हैं जो भले ही घरेलू उपचारों से ठीक हो जाती हैं तो भी यह बात अपने डॉक्टर को जरुर बताएं | बार-बार होंने वाली सिस्ट को सर्जिकली ट्रीट कराना पड़ सकता है |
    • अगर आपकी उम्र 40 साल से ज्यादा है और आपको बर्थोलिन ग्लैंड सिस्ट है तो आपको सिस्ट को निकलवाना पड़ेगा | डॉक्टर इसके लिए कैंसर का टेस्ट करा सकती हैं जो बर्थोलिन ग्लैंड सिस्ट में बहुत कम देखा जाता है | [३]
  4. कैंसर के लिए सिस्ट की टेस्टिंग करने के अलावा, डॉक्टर कुछ ट्रीटमेंट लेने की सिफारिश भी करेंगे | इन ट्रीटमेंट में एक चीरा लगाकर बर्थोलिन सिस्ट को ड्रेन किया जा सकता है और उसके बाद इसे टांकें या पैकिंग के साथ खुला रखा जाता है जिसे कुछ दिनों में बाद हटा दिया जायेगा | सिस्ट को ड्रेन करने के लिए एक ट्यूब का इस्तेमाल भी किया जा सकता है | अगर ये फिर से हो जाती है, बड़ी होती है और पीड़ादायक होती है तो डॉक्टर को इसे सर्जिकली निकालना होगा |
    • याद रखें कि ज्यादातर वेजाइनल सिस्ट में किसी ट्रीटमेंट की जररूत नहीं होती | बल्कि, ये अपने आप ही ठीक हो जाती हैं | अगर ये अपने आप ठीक न हों तो ये छोटी हो जाती हैं और पीड़ारहित बनी रहती है |
  5. अगर आपकी सिस्ट निकाली जा चुकी है तो सिस्ट के फिर से होने के बारे में चेक करने के लिए समय-समय पर उस एरिया को चेक करना होगा | इसलिए बेहतर है कि रेगुलर गायनेकोलॉजिकल एग्जामिनेशन ही कराती रहें | इससे सर्वाइकल सिस्ट और कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता चल सकता है | फिजिशियन सिफारिश करते हैं कि सर्विकल कैंसर की औसत रिस्क के लिए महिलाओं को इस नए शिड्यूल के अनुसार पेप स्मीयर टेस्ट और एग्जामिनेशन कराते रहना चाहिए: [४]
    • 21 से 29 वर्ष की आयु में: प्रत्येक तीन साल में एक बार |
    • 30 से 65 वर्ष की आयु में: प्रत्येक तीन साल में एक बार (या HPV और पेप स्मीयर प्रत्येक पांच साल में)
    • 65 वर्ष से अधिक आयु में: अगर हाल ही में किये गये टेस्ट नॉर्मल आये हों तो इनमे से किसी चीज़ की जरूरत नहीं है |
विधि 2
विधि 2 का 2:

घर पर वेजाइनल सिस्ट का इलाज़ करें

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  1. गर्म पानी टब में भरकर उसमे सिट्ज़ बाथ लें और इसे टॉयलेट के ऊपर रखें | इससे आप इस पर बैठ पाएंगे और आपके जेनाइटल एरिया भी पानी में डूबे रहेंगे | इस पानी में एक से दो बड़ी चम्मच एप्सोम साल्ट भी डालें और नमक घुलने तक हिलाएं | दिन में दो बार 10 से 20 मिनट सिट्ज़ बाथ लें | आपको तीन से चार दिन या सिस्ट में सुधार होने तक सिट्ज़ बाथ करनी चाहिये | [५]
    • आप किसी फार्मेसी या मेडिकल सप्लाई स्टोर से सिट्ज़ बाथ टब खरीद सकती हैं | अगर यह आपके पास नहीं हैं तो आप अपने बाथटब में कुछ इंच की ऊंचाई तक पानी भरकर भी उसमे बैठ सकती हैं |
  2. इस पर अभी और ज्यादा रिसर्च होना बांकी हैं लेकिन ACV का इस्तेमाल वेजाइनल सिस्ट के साइज़ और सूजन को कम करने के लिए किया जा सकता है | आप चाहें तो पानी में एक कप ACV मिलाकर सिट्ज़ बाथ लें या एक कॉटन बॉल या स्वाब को ACV में भिगोकर उस एरिया पर लगायें | ACV में भीगे हुए कॉटन बॉल या स्वाब को डायरेक्टली सिस्ट पर रखें और इसे सूजन कम होने तक दिन में दो बार 30 मिनट के लिए रखें |
  3. एक हॉट वॉटर बोतल में गर्म पानी भरें और इस पर एक साफ़ टॉवल लपेट लें | अब दर्द में राहत पाने के लिए इससे सिस्ट पर सेंक करें | आप चाहें तो हीट पैक का इस्तेमाल भी कर सकती हैं लेकिन स्किन और हीट पैक के बीच एक कपडा रख लें | सावधानी से सिकाई करें जिससे वेजाइनाल एरिया में मौजूद कोमल ऊतक जलें नहीं |
  4. एक से दो बड़ी चम्मच एलोवेरा जेल में ¼ से ½ छोटी चम्मच हल्दी पाउडर मिलाये | एक पेस्ट बन्ने तक अच्छी तरह से इसे मिलाएं | एक कॉटन बॉल, टेम्पून या स्वाब से इस मिक्सचर को सिस्ट पर लगायें | इसे दिन में एक बार 20 से 30 मिनट के लिए लगाएं रखें | पेस्ट को धोएं नहीं या साफ़ न करें | इसे अपने आप ही झड़ने दे |
    • आप सेनेटरी नैपकिन पहन सकती हैं जिससे हल्दी के दाग कपड़ों पर न रहें |
    • स्टडीज से पता चलता है कि हल्दी (curcumin) में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं | [८] इससे वेजाइनल सिस्ट के कारण होने वाले इर्रीटेशन को कम किया जा सकता है |
  5. बाज़ार में मिलने वाली दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करें: हालाँकि सिस्ट को साफ होने में कुछ दिनों का समय लग सकता है इसलिए आप ibuprofen या acetaminophen जैसी बाज़ार में मिलने वाली दर्द निवारक दवाएं ले सकती हैं लेकिन पहले डॉक्टर की सलाह लें | [९]
    • कितनी बार दवा लेना है और कितना डोज़ लेना चाहिए, इससे सबंधित मैन्युफैक्चरर के इंस्ट्रक्शन को हमेशा फॉलो करें |
  6. सिस्ट को सफाई करने या धोते समय भी कभी भी रगड़ें नहीं | उस एरिया को साफ़ रखने के लिए मृदु सिट्ज़ बाथ या तब में भिगोना ही काफी होता है | आपको कभी भी डूशिंग नहीं करना चाहिए | डूशिंग अनावश्यक ही होती है और इससे सिस्ट भी इर्रीटेड हो सकती हैं इसलिए इसे महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है | [१०]
    • चूँकि आपको सिस्ट को इर्रीटेड होने से बचाना होगा इसलिए पीरियड्स आने पर टेम्पून की बजाय सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करें |

सलाह

  • एब्सिस (संक्रमित सिस्ट) को हमेशा ही तुरंत ड्रेन नहीं किया जाता | सिस्ट के ड्रेन होने के लिए उनका पकना जरुरी होता है और इस समय ये छूने पर काफी सख्त हो जाती हैं | अगर ये ज्यादा जल्दी ही खुल जाएँ तो ड्रेन होने के लिए इनमे कुछ नहीं होगा और इन्हें फिर से ड्रेन करना पड़ेगा | अगर सिस्ट ड्रेन होने के लिए तैयार नहीं होती तो आप एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर सकती हैं, घर पर पानी में भिगोये रख सकती हैं और आमतौर पर 24 से 48 घंटे बाद फिर से एग्जामिनेशन कराने डॉक्टर के पास जा सकती हैं | कई बार यह अपने आप ही खुल जाती है और बिना किसी चीज़ के अपने आप ही ड्रेन भी हो जाती हैं |

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