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ये विकिहाउ आपको आपके किसी कंप्यूटर प्रोग्राम के लिए, इस्तेमाल होने वाले स्यूडोकोड (Pseudocode) तैयार करना सिखाएगा। स्यूडोकोड आपके कोड के असली मकसद को, एक गैर-प्रोग्रामिंग-लेंग्वेज में लिखकर स्पष्ट करता है।
चरण
विधि 1
विधि 1 का 3:
स्यूडोकोड के बेसिक्स को समझना (Understanding Pseudocode Basics)
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जानें, कि ये स्यूडोकोड होता क्या है: स्यूडोकोड आपके कोड के स्टेप-बाय-स्टेप लिखी हुई एक रूपरेखा या आउटलाइन होता है, जिसे देखकर आप बाद में इसे अपनी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज में लिख सकते हैं। ज़्यादातर प्रोग्रामर कोडिंग से जुड़े ज्यादा बड़े टेक्निकल टास्क को करने से पहले, अपनी तैयारी के लिए, इसका इस्तेमाल करके एलगोरिदम (algorithm) की फंक्शनिंग की प्लानिंग किया करते हैं। स्यूडोकोड एक ऐसी इनफॉर्मल गाइड होती है, जो कि एक ऐसे टूल की तरह काम करती है, जो प्रोग्राम में मौजूद समस्याओं के बारे में सोचने और एक कम्यूनिकेशन विकल्प की तरह काम करे, इसके जरिये आप आपके विचारों को अन्य लोगों तक पहुँचा सकते हैं।
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समझें कि, स्यूडोकोड आखिर किसलिए जरूरी है: स्यूडोकोड का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया जाता है, कि किसी कंप्यूटिंग एल्गोरिदम (algorithm) को किस तरह से काम करना चाहिए। कोडर्स अक्सर ही प्रोग्रामिंग के बीच में, शुरुआती प्लानिंग स्टेज में और असली एग्जीक्यूटेबल कोड लिखने से पहले, एक जरूरी स्टेप की तरह इस स्यूडोकोड को इस्तेमाल करते हैं। स्यूडोकोड के कुछ अन्य उपयोगों में ये उपयोग भी शामिल हैं:
- एलगोरिदम के काम करने के तरीके का वर्णन करने के लिए। किसी प्रोग्राम में किस जगह पर कौन सा कंस्ट्रक्ट (construct), मेकेनिज़्म या टेक्निक इस्तेमाल होने वाली है, इसका सारा विवरण आपको स्यूडोकोड में मिल सकता है।
- जरा कम टेक्निकल यूजर्स के सामने कंप्यूटिंग प्रोसेस का विवरण देना। किसी भी प्रोग्राम को रन कर सकने के लिए कंप्यूटर को एक स्ट्रिक्ट सिंटेक्स की जरूरत पड़ती है, लेकिन ज़्यादातर सभी लोगों (खासकर कि जिन्हें प्रोग्रामिंग नहीं आती) को एक ऐसी आसान, एकदम स्पष्ट भाषा समझ आती है, जिसमें कोड की हर एक लाइन के असली मकसद का बखान किया गया हो।
- ग्रुप के लोगों के साथ मिलकर कोड डिज़ाइन करना। ज़्यादातर हाइ लेवल आर्किटेक्ट अक्सर ही अपने डिज़ाइन में स्यूडोकोड एड किया करते हैं, जिसके पीछे का असली मकसद, उनके प्रोग्रामर्स के सामने आने वाली परेशानियों को हल करना होता है। अगर आप भी दूसरे लोगों के साथ मिलकर प्रोग्राम तैयार कर रहे हैं, तो आप भी देखेंगे, कि स्यूडोकोड किस तरह से आपके मन में मौजूद बातों को दूसरे लोगों को समझाने में मदद करता है।
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याद रखें, कि स्यूडोकोड सब्जेक्टिव (subjective) और नॉनस्टैंडर्ड (nonstandard) होता है: ऐसा कोई सिंटेक्स नहीं बना है, स्यूडोकोड लिखने में जिसका इस्तेमाल किया जा सके, लेकिन फिर भी ये एक कॉमन प्रोफेशनल नियम होता है, कि एक ऐसे स्यूडोकोड स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया जाए, जिसे दूसरे प्रोग्रामर्स भी आसानी से समझ सकें। आप अगर खुद ही किसी प्रोजेक्ट की कोडिंग कर रहे हैं, तो ऐसे में आपका स्यूडोकोड आपके विचारों को एक स्ट्रक्चर देने में और आपके प्लान को पेश करने में मदद करता है।
- अगर आप दूसरे लोगों के साथ में मिलकर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं—फिर चाहे वो आपके साथ में काम करने वाले लोग हों या फिर नॉन-टेक्निकल सहकर्मी हों—ऐसे में जरूरी है, कि आप कम से कम एक स्टैंडर्ड स्ट्रक्चर इस्तेमाल करें, ताकि आपके साथ में काम करने वाले लोग, आपके इरादे को समझ सके।
- आप अगर किसी यूनिवर्सिटी में, किसी कोडिंग कैम्प में, या किसी कंपनी से एक प्रोग्रामिंग कोर्स कर रहे हैं, तो वहाँ पर आपको कुछ कठिन स्टैंडर्ड "स्यूडोकोड" का सामना करना पड़ेगा। अलग-अलग इंस्टीट्यूशन और टीचर्स के हिसाब से ये स्टैंडर्ड भी अलग होता है।
- स्पष्टता किसी भी स्यूडोकोड का मुख्य उद्देश्य होता है और अगर आप किसी प्रोग्रामिंग कन्वेंशन के अंदर काम कर रहे हैं, तो ये आपकी काफी मदद कर सकता है। आप जब आपके स्यूडोकोड को असल कोड में तैयार करते हैं, तब आपको इसे प्रोग्रामिंग लेंग्वेज में लिखना होता है – इसलिए ये आपके दिमाग को इसकी आउटलाइन ढूँढने में मदद कर सकता है।
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स्यूडोकोड के मुख्य उद्देश्य पर ध्यान लगाएँ: आप जब इस दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा लेते हैं, तब आपको इसे कोड में लिखना काफी आसान लग सकता है। अपने स्यूडोकोड के असली मकसद को ध्यान में रखना—ये दर्शाना कि कोड में मौजूद हर एक लाइन को क्या करना चाहिए—ये स्यूडोकोड डॉक्यूमेंट बनाते वक़्त आपको विषय की जानकारी के साथ स्थिर बनाए रखेगा।
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एक प्लेन टेक्स्ट एडिटर का इस्तेमाल करें: आपके मन में एक रिच-टेक्स्ट (rich-text) डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए, वर्ड डॉक्यूमेंट (जैसे कि, माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड) या इसी तरह के किसी और प्रोग्राम का इस्तेमाल करने का ख्याल आएगा, लेकिन स्यूडोकोड को सिंपल बनाए रखने के लिए कम से कम फ़ारमैटिंग की जरूरत होती है।
- प्लेन टेक्स्ट एडिटर्स में नोटपैड (Notepad, विंडोज के लिए) और टेक्स्टएडिट (TextEdit, मैक के लिए) के नाम शामिल हैं।
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इस प्रोसेस के असली मकसद को लिखते हुए शुरुआत करें: अपने कोड के असली मकसद को दर्शाते हुए एक या दो लाइन लिखने से, बाकी के डॉक्यूमेंट का सेटअप करने में आसानी होगी, और इसके साथ ही ये आपको आपके साथ काम कर रहे हर एक इंसान को इसे समझाने की मेहनत से भी बचा लेगा।
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एक लाइन में सिर्फ एक ही स्टेटमेंट लिखें: आपके स्यूडोकोड में मौजूद किसी एक लाइन को, कंप्यूटर के लिए किसी एक एक्शन को ही दर्शाना चाहिए। ज़्यादातर मामलों में, अगर हर एक टास्क की लिस्ट को सही तरीके से तैयार किया गया होता है, तो हर एक टास्क इस स्यूडोकोड की एक लाइन के अनुरूप ही होगा। पहले टास्क की एक लिस्ट तैयार करें, फिर इस लिस्ट को स्यूडोकोड में ट्रांसलेट करें, फिर धीरे-धीरे इस स्यूडोकोड को एक असल, कंप्यूटर-रीडेबल कोड में तैयार करें। [१] X रिसर्च सोर्स
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प्रभावी ढ़ंग से व्हाइट स्पेस (white spaces) और इंडेटेशन का इस्तेमाल करें: लिखे हुए टेक्स्ट "ब्लॉक्स" के बीच में व्हाइट स्पेस का इस्तेमाल करने से, स्यूडोकोड के अलग कम्पोनेंट्स को अलग ही रखने में मदद मिलती है और हर एक ब्लॉक की अलग इंडेंट करने की वजह से, ये समझ आता है, कि स्यूडोकोड के वो भाग कम-इंडेंट सेक्शन के अंतर्गत आता है।
- उदाहरण के लिए, स्यूडोकोड का वो भाग, जिसमें किसी नंबर को एंटर करने की चर्चा हो रही हो, उसे हमेशा ही एक ही समान "ब्लॉक" में होना चाहिए, जबकि अगला भाग (जिसमें आउटपुट के बारे में चर्चा की गई है), एक अलग ब्लॉक में होना चाहिए।
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अगर जरूरत हो, तो जरूरी कमांड्स को कैपिटलाइज्ड (Capitalize, बड़े अक्षरों में लिखना) करें: स्यूडोकोड की जरूरत और आप किस माहौल में इस स्यूडोकोड को पब्लिश करने वाले हैं, उसके हिसाब से आपको शायद उन कमांड्स को कैपिटलाइज्ड करना होगा, जो कि असली कोड में भी ऐसे ही रहने वाली हैं।
- उदाहरण के लिए, अगर आप अपने स्यूडोकोड में, "if" और "then" कमांड्स इस्तेमाल कर रहे हैं, तो फिर आपको इन्हें पढ़ने के लिए "IF" और "THEN" (मतलब, "IF input number THEN output result") में बदलना होगा।
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लिखने के लिए सिंपल टर्म्स का इस्तेमाल करें: याद रखिए, आप यहाँ पर ये लिख रहे हैं, कि ये प्रोजेक्ट क्या करने वाला है, आपको यहाँ पर पूरे कोड का उल्लेख नहीं दे देना है। ये करना उस वक़्त और भी जरूरी बन जाता है, जब आप अपने किसी ऐसे कस्टमर को एक प्रमाण देने के लिए स्यूडोकोड लिख रहे हैं, जिसे कोडिंग के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं, या फिर किसी नए प्रोग्रामर के प्रोजेक्ट के लिए लिख रहे हैं। [२] X रिसर्च सोर्स
- यहाँ पर आपको साथ में किसी भी कोडिंग कमांड का इस्तेमाल करने से भी बचना है और हर एक लाइन की प्रोसेस को एकदम आसान भाषा में भी समझाना है। उदाहरण के लिए, "if input is odd, output 'Y'" की जगह पर "if user enters an odd number, display 'Y'" लिखना है।
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अपने स्यूडोकोड को एक सही क्रम में रखें: हालाँकि आपको आपके स्यूडोकोड को बनाने के लिए एक आसान भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन फिर भी आपको आपके स्यूडोकोड के हर एक भाग को उनके एग्जीक्यूट किए जाने के क्रम में ही रखना चाहिए।
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कल्पना करने लायक कुछ न छोड़ें: प्रोसेस में जो भी कुछ होने वाला है और हो रहा है, उसे पूरी तरह से समझा दिया जाना चाहिए। स्यूडोकोड स्टेटमेंट लगभग इंग्लिश स्टेमेंट्स जैसे ही होते हैं। स्यूडोकोड में आमतौर पर वेरिएबल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता, लेकिन इसमें ये जरूर दर्शाया जाता है, कि प्रोग्राम को अकाउंट नंबर्स, नेम्स या ट्रैंज़ैक्शन अमाउंट जैसे रियल वर्ल्ड ओब्जेक्ट्स के साथ में क्या करना चाहिए। [३] X रिसर्च सोर्स
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स्टैंडर्ड प्रोग्रामिंग स्ट्रक्चर्स का इस्तेमाल करें: भले ही यहाँ पर स्यूडोकोड के ऊपर इस्तेमाल करने लायक कोई स्ट्रक्चर नहीं है, अगर आप मौजूदा (सीक्वेंशियल) प्रोग्रामिंग लेंग्वेज के स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हैं, तो ऐसे में दूसरे प्रोग्रामर्स को आपके स्टेप्स को समझने में आसानी हो जाएगी। "if", "then", "while", "else", और "loop" जैसी टर्म्स को ठीक उसी तरह से इस्तेमाल करें, जैसे इन्हें आपकी चुनी हुई प्रोग्रामिंग लेंग्वेज में किया जाता है। इस तरह के स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके देखें:
- if CONDITION then INSTRUCTION — इसका मतलब ये है, कि दिया हुआ इन्सट्रक्शन केवल तभी पूरा होगा, जब दी हुई कंडीशन पूरी हो जाएगी। यहाँ पर "इन्सट्रक्शन (Instruction)" का मतलब, वो स्टेप है, जो ये प्रोग्राम पूरा करेगा, जबकि "कंडीशन (condition)" का मतलब उस डेटा से है, जो प्रोग्राम के द्वारा किसी भी काम को करने से पहले, दिये गए मानदंडों के एक निश्चित सेट को पूरा करना चाहिए।
- while CONDITION do INSTRUCTION — इसका मतलब ये है कि दिया गया इन्सट्रक्शन तब तक चलता रहेगा, जब तक कि दी हुई कंडीशन गलत नहीं हो जाती या पूरी होना बंद नहीं हो जाती।
- do INSTRUCTION while CONDITION — ये एकदम "while CONDITION do INSTRUCTION" की तरह ही होता है। इसमें इन्सट्रक्शन को पूरा करने से पहले, इसके फर्स्ट केस में कंडीशन को चेक किया जाता है, लेकिन सेकंड केस में, पहले इन्सट्रक्शन को चलाया जाता है; इसलिए सेकंड केस में कम से कम एक बार इन्सट्रक्शन को जरूर पूरा किया जाता है।
- function NAME (ARGUMENTS): INSTRUCTION — इसका मतलब कि कोड में हर बार एक खास नाम का इस्तेमाल होगा, ये किसी इन्सट्रक्शन के लिए छोटा फॉर्म होता है। "Arguments" कुछ ऐसे वेरिएबल्स की लिस्ट होती है, जिसे आप किसी इन्सट्रक्शन को स्पष्ट करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अपने स्यूडोकोड सेक्शन्स को ऑर्गनाइज़ करें: अगर आपके पास में स्यूडोकोड के ऐसे बहुत सारे सेक्शन्स मौजूद हैं, जो उसी ब्लॉक में मौजूद स्यूडोकोड के अन्य भागों को डिफ़ाइन करते हैं, तो फिर हर एक चीज़ को शामिल रखने केलिए आपको ब्रेकेट्स या अन्य दूसरे आयडेंटिफ़ायर का इस्तेमाल करना होगा।
- स्टैंडर्ड ब्रेकेट्स (जैसे कि, [code]) और कर्वड ब्रेकेट्स (जैसे कि, {code}) दोनों ही—स्यूडोकोड के बड़े-बड़े भागों को शामिल करने में मदद करते हैं।
- कोडिंग करते वक़्त, आप आपके कमेन्ट के बाँये तरफ "//" टाइप करके, (जैसे कि,
//This is a temporary step.
), आपका कमेन्ट एड कर सकते हैं। आप चाहें तो इसी मेथड के जरिये, अपने स्यूडोकोड में कुछ ऐसे नोट्स भी छोड़ सकते हैं, जिनका आपके कोडिंग से कोई लेना-देना नहीं।
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आपके स्यूडोकोड के पढ़ने योग्य और स्पष्ट होने की जांच करने के लिए, इसे एक बार अच्छे से चेक कर लें: अपने स्यूडोकोड के पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद, आपको कुछ इन सवालों का जवाब देता आना चाहिए:
- क्या ये स्यूडोकोड किसी ऐसे इंसान को समझ आ सकता है, जिसे इस प्रोसेस के बारे में कोई जानकारी ही नहीं?
- क्या ये स्यूडोकोड कुछ इस तरह से तैयार हुआ है, कि ये आपको इसे कंप्यूटिंग लेंग्वेज में ट्रांसलेट करने में मदद कर सके?
- क्या ये स्यूडोकोड, बिना कुछ छोड़े, पूरी प्रोसेस को पूरी तरह से समझा पा रहा है?
- क्या इस स्यूडोकोड में इस्तेमाल किए हुए सारे ऑब्जेक्ट, आपके चुनी हुई आडियन्स को समझ आ रहा है?
- अगर आपको लगता है, कि आपके स्यूडोकोड में और कुछ बढ़ाने की जरूरत है या फिर इसमें किसी एक ऐसे स्टेप को और अच्छी तरह से पेश करने की जरूरत है, जिसे कोई आसानी से भूल सकता है, तो वापस जाएँ और सारी जरूरी इन्फॉर्मेशन को एड कर दें।
विधि 3
विधि 3 का 3:
उदाहरण के लिए एक स्यूडोकोड डॉक्यूमेंट तैयार करना (Creating an Example Pseudocode Document)
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एक प्लेन-टेक्स्ट एडिटर ओपन करें: अगर आप और किसी नए प्रोग्राम को इन्स्टाल नहीं करना चाहते हैं, तो आप नोटपैड (विंडोज पर) या फिर टेक्स्टएडिट (TextEdit, मैक पर) इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अपने प्रोग्राम को डिफ़ाइन करें: वैसे तो ये करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन अगर आप अपने डॉक्यूमेंट में सबसे ऊपर एक-या डॉ-सेंटेन्स लिख सकें, तो इससे आपको शुरुआत में ही आपके प्रोग्राम के असली मकसद को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी:
This program will request a greeting from the user. If the greeting matches a specific response, the response will be delivered ; if not, a rejection will be delivered.
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ओपनिंग सीक्वेंस लिखें: आपकी फर्स्ट कमांड—जो कि, वो पहली चीज़ है, जिसे प्रोग्राम रन होने की शुरुआत में करेगा—वही आपकी फर्स्ट लाइन होनी चाहिए:
print greeting "Hello stranger!"
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अगली लाइन एड करें: ↵ Enter दबाकर, लास्ट लाइन और अगली लाइन के बीच में एक स्पेस एड करें, फिर अगली लाइन का कोड तैयार करें। इस उदाहरण में, यूजर को अगली लाइन पर प्रतिक्रिया देने को कहा जा रहा है:
print prompt press "Enter" to continue <user presses "Enter" >
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कॉल टू एक्शन एड करें: इस उदाहरण में, यूजर को एक ग्रीटिंग दी जाएगी:
print call-to-action "How are you?"
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यूजर के सामने, रिस्पोंस की एक लिस्ट दिखाना: फिर से, इस उदाहरण में ↵ Enter दबाने के बाद, अब यूजर को सभी संभावित रिस्पोंस की एक लिस्ट नजर आएगी:
display possible responses "1. Fine." "2. Great!" "3. Not good."
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यूजर से इनपुट देने की माँग करना: यहाँ पर प्रोग्राम अपने यूजर से एक रिस्पोंस एंटर करने की माँग करेगा:
print request for input "Enter the number that best describes you:"
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यूजर के इनपुट के लिए "if" कमांड्स तैयार करना: जैसे कि यहाँ पर ऐसे बहुत सारे रिस्पोंस मौजूद हैं, जिन्हें कोई यूजर चुन सकता है, तो इसलिए आपको, उनके द्वारा चुने गए रिस्पोंस के हिसाब से अलग-अलग रिजल्ट्स भी एड करना होंगे:
if "1" print response "Dandy!" if "2" print response "Fantastic!" if "3" print response "Lighten up, buttercup!"
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एक एरर (error) मैसेज एड करें: ऐसे वक़्त पर, जबकि यूजर एक गलत रिस्पोंस चुन लेता है, उसके लिए आपको एक एरर मैसेज तैयार रखना होगा:
if input isn 't recognized print response "You don' t follow instructions very well, do you? "
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प्रोग्राम के और दूसरे कम्पोनेंट्स एड करें: अपने डॉक्यूमेंट को अच्छे से देखें, और ये पक्का करने के लिए, कि आप और इस डॉक्यूमेंट को पढ़ने वाला हर इंसान, इसमें मौजूद किसी भी विवरण को पूरी तरह समझ सके, जरूरी डिटेल्स एड कर दें। इस उदाहरण के हिसाब से, आपका फ़ाइनल स्यूडोकोड डॉक्यूमेंट कुछ इस तरह से नजर आना चाहिए:
This program will request a greeting from the user. If the greeting matches a specific response, the response will be delivered ; if not, a rejection will be delivered. print greeting "Hello stranger!" print prompt press "Enter" to continue <user presses "Enter" > print call-to-action "How are you today?" display possible responses "1. Fine." "2. Great!" "3. Not good." print request for input "Enter the number that best describes you:" if "1" print response "Dandy!" if "2" print response "Fantastic!" if "3" print response "Lighten up, buttercup!" if input isn 't recognized print response "You don' t follow instructions very well, do you? "
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आपके डॉक्यूमेंट को सेव करें: ऐसा करने के लिए, Ctrl + S (विंडोज में) या ⌘ Command + S (मैक में) दबाएँ, एक नाम एंटर करें, फिर Save क्लिक करें।
सलाह
- स्यूडोकोड ऐसे प्रोग्राम्स के लिए काफी उपयोगी होता है, जिसमें सौ से लेकर हजारों लंबी लाइन मौजूद हों।
चेतावनी
- प्रोग्राम तैयार करते वक़्त, स्यूडोकोड को असली कोड की जगह पर नहीं रखा जा सकता। स्यूडोकोड का इस्तेमाल सिर्फ इस बात की जानकारी रखने के लिए किया जाना चाहिए, कि आपका कोड असल में क्या करने वाला है।