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सम्बन्धों के लिए दोनों को काम करना पड़ता है, मगर संबंध सुधारने को दर्दनाक, थका देने वाला काम होने की आवश्यकता नहीं है। अपने संवाद को सुधार कर तथा एक जोड़े की तरह अपने व्यवहार में थोड़ी सी फेरबदल से आप अपनी प्रेम कहानी को मधुर से, सातवें आसमान तक ले जा सकती हैं। (How to Make Your Boyfriend Love You More, Apne Boyfriend se Jyada Pyar Kaise Paaye)

विधि 1
विधि 1 का 3:

आपसी कम्युनिकेशन को सुधारें

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  1. अपने बॉयफ्रेंड को इम्पोर्टेंस दें और उसे फॉर ग्रांटेड लेना बंद करें: यदि आप दोनों कुछ समय से साथ हों तब यह आम बात है कि आप दोनों एक दूसरे की वैल्यू कम करना शुरू कर दें। रिलेशनशिप्स में यह सबसे कॉमन चैलेंज होता है, मगर इसे अपनी रिलेशनशिप को नष्ट मत करने दीजिये। [१]
    • सप्ताह में कुछ बार इस पर विचार करने का प्रयास करिए कि अपने बॉयफ्रेंड में आपको कौन कौन सी बातें पसंद हैं। शायद यह भी कि उसे ठीक ठीक पता चल जाता ही कि कब आपका दिन खराब रहा है और वह आपके लिए पिज़्ज़ा लेकर आता है और आपको मूवी ले कर जाता है। या शायद यह कि वह फुटबॉल का अच्छा खिलाड़ी है। आप उससे चाहे किसी भी कारण से प्रेम करती हों, प्रयास करके उन कारणों के बारे में सोच कर देखिये। कभी कभार बॉयफ्रेंड को भी ये बता देना कि उसकी कौन से अच्छी बातें हैं, एक अच्छा आईडिया है।
    • हालांकि इस बात की इतनी भी अति न कर दें की आप बिल्कुल चिपकु बन जायें और अपने बॉयफ्रेंड की हर एक्टिविटी को इसलिए जाँचती रहें कि क्या वह “वास्तव में” आपसे प्यार करता है। यह चीज़ आपको न केवल परेशान कर देगी बल्कि तनावग्रस्त भी। यदि वह कहता है कि वह आपसे प्यार करता है, और उसके द्वारा की गई हर बात और काम भी वैसा ही दिखाते हैं (याद रखिए कि कभी कभार तो हर किसी से भूल हो सकती है), तब उसकी बात मान लीजिये।
  2. बातचीत को “अनसुनी” करना सरल होता है, विशेषकर तब, जबकि आपका ध्यान उस पर न हो या आप अपनी ही धुन में खोयी हुई हों। यह सभी के साथ होता है। पहचानिए कि कब आप बेखयाली में आ जाती हैं और उसके स्थान पर “ध्यान से सुनने” की प्रैक्टिस करिए। इससे आपका बॉयफ्रेंड अधिक मूल्यवान तथा स्वीकृत महसूस करेगा और आपको भी शायद ऐसा कुछ पता चल सके जो कि आप को अभी तक नहीं मालूम रहा हो। [२] [३]
    • आपने जो भी सुना हो उसे दोहराइए और स्पष्ट करिए। इस कदम से आप ढेरों दुख से बच सकती हैं, विशेषकर यदि आप भावनात्मक बातचीत कर रही होंगी। यह मान लेने के स्थान पर, कि आपने सही ही सुना होगा, जो भी आपने सुना हो उसे अपने शब्दों में दोहराइए और फिर स्पष्टीकरण मांगिए: “ठीक है, ज़रा देखें कि क्या मैंने आपकी बात सही सुनी। मैंने सुना कि आपने कहा .............. । क्या यह, ठीक है?” तब अपने बॉयफ्रेंड को स्पष्ट करने दीजिये कि क्या आपने पहली बार में कुछ बात नहीं सुन पायी थी।
    • प्रोत्साहित करिए। इससे यह पता चलता है कि जो भी आपका बॉयफ्रेंड कह रहा है आप उसको समझ पा रही हैं। ऐसे छोटे छोटे प्रश्न पूछिये “और फिर क्या हुआ?” आप सिर भी हिला सकती हैं और न्यूनतम प्रोत्साहक जैसे, “अच्छा”, या “ओह” का भी उपयोग कर सकती हैं।
    • संक्षेपण करिए। जब आप बहुत सी जानकारी से परिपूर्ण बातचीत कर चुकें तब मुख्य बातों का संक्षेपण करिए। इससे पता चलेगा कि आप ध्यान दे रही थीं और आपको थोड़ा फेरबदल या फीडबैक का स्थान भी मिल जाएगा। “ठीक है, तो आप चिंतित हैं कि कल आपका दिन बहुत तनावपूर्ण होने वाला है, इसलिए आप चाहते हैं कि मैं आपको बाद में पिक-अप कर लूँ और कल रात में हम लोग आर्केड में जाएँगे। ठीक?”
    • ये तकनीकें रूमानी सम्बन्धों के अलावा भी बहुत महत्वपूर्ण हैं! ये आपका संवाद किसी के भी साथ सुधार सकती हैं।
  3. इसका अर्थ ऐसे प्रश्न पूछना नहीं है जैसे, “आज आपने क्या किया?” या “आप क्या खाना चाहेंगे?” खोजी, अर्थपूर्ण प्रश्न पूछिये जो आप दोनों की बातचीत को समृद्ध बना सके। इससे आप दोनों को अपनी भावनाओं और विचारों को साझा करने में सहायता मिलती है। अध्ययनों से पता चला है कि गहन प्रश्नों के पूछने से घनिष्ठता तथा प्रेम की अनुभूति बढ़ती है। [४]
    • जैसे कि यदि आपका बॉयफ्रेंड अपनी किसी कक्षा में हो रही समस्याओं के बारे में बातें कर रहा हो, तब ऐसे खोजी प्रश्न पूछने का प्रयास करिए, “आप क्या सोचते हैं कि, क्या होता यदि आपने ऐसी कोशिश की होती ................?”
  4. ऐसे प्रश्न और वक्तव्य जो केवल “तुम”, तथा “क्यों” के संदेश मात्र पर ही केन्द्रित होते हैं, समस्याएँ खड़ी कर सकते हैं। [५] इनसे लगता है कि दोषारोपण किया जा रहा है, तथा दूसरा व्यक्ति या तो अपने खोल में बंद हो जाता है, या प्रतिरक्षात्मक ढंग से जवाब देने लगता है। [६]
    • जैसे कि, इस प्रकार के प्रश्न पूछना अच्छी बात नहीं है “तुम मुझे सदैव स्कूल से लेना क्यों भूल जाते हो?” इससे लगता है कि या तो आप नाराज़ हैं, या दूसरे व्यक्ति पर दोषारोपण कर रही हैं।
    • इसके स्थान पर, “मैं” वक्तव्यों का उपयोग करिए। आप ऐसे प्रश्न भी पूछ सकती हैं, जिनमें न्यायसंगत जानकारी मांगी जाये। जैसे कि: “जब तुम मुझे तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार लेने नहीं आते हो, तब मैं आहत महसूस करती हूँ। क्या ऐसा कुछ हो रहा है जिसके कारण तुम्हें इसमें कठिनाई हो रही है?” यह दोषारोपण जैसा नहीं लगता है (जब तक कि आप इसे ताने जैसा न लगने दें!), मगर इससे आपकी भावनाएँ उचित स्थान तक पहुँच जाती हैं और आपके बॉयफ़्रेंड को अपनी बात कहने का अवसर भी मिल जाता है।
  5. उपदेश देने का काम मंच पर खड़े व्यावसायिक व्यक्तियों के लिए छोड़ दीजिये। सुझाव देने का प्रलोभन तो होता ही है, विशेषकर तब, जब आपके संबंध हों। यदि कोई आपसे सुझाव मांगता है, तो अवश्य दीजिये। अन्यथा ये ऐसे लगते हैं जैसे कि वे संरक्षणात्मक, उपदेशात्मक, या ऐसे हों कि आपको यह विश्वास ही नहीं कि दूसरा व्यक्ति अपने निर्णय स्वयं ले भी सकता है। [७]
    • कभी कभी जब लोग सुझाव मांगते हैं, तब वास्तव में वे ऐसे लोगों की खोज कर रहे होते हैं जो उनके मन की बात को सहानुभूतिपूर्वक सुनेंगे। यदि आपको लग रहा हो कि ऐसा ही कुछ आपके बॉयफ़्रेंड के साथ हो रहा है, तो पूछिए: “क्या आप केवल किसी से अपनी बात कहना चाहते हैं, या आप चाहते हैं कि मैं प्रयास करके इसको ठीक करने की राह ढूँढूँ?” [८]
    • ”ऐसा होना चाहिए” से दूर रहिए। कोई भी “आपको यह करना चाहिए” या “आपको यही करना चाहिए”, ऐसा सुनना नहीं चाहता है। इससे उन्हें लगता है कि वे मूर्ख हैं, या आप उन पर दया कर रही हैं। इसके स्थान पर, ऐसा कुछ कहने का प्रयास करिए “------, इसके बारे में आपका क्या विचार है? या “क्या आपने -------इसका प्रयास किया है?”
  6. यह वास्तव में कठिन है। हम सभी कम से कम कभी न कभी “सही” होने की इच्छा से प्रेरित होते हैं। अधिकांश परिस्थितियों में हालांकि कुछ भी “सही” या “गलत” नहीं होता है। अपने बॉयफ़्रेंड के साथ बातचीत ऐसे मत करिए जैसे कि कोई युद्ध चल रहा हो। [९] [१०]
    • इसका अर्थ यह नहीं है कि आपका अपनी भावनाओं और विचारों पर अधिकार नहीं है। आपको है। आप जैसे महसूस करती हैं, वैसे ही महसूस करती रहिए। केवल इतना याद रखिए कि आपके बॉयफ़्रेंड को “भी” अपने विचारों और भावनाओं पर अधिकार है। भावनाओं के मामले में कुछ भी “सही” और “गलत” नहीं होता है। वे बस होती हैं। आप दोनों को करना केवल इतना है, कि भावनाओं पर अपनी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रण में रखिए। [११]
    • जैसे कि, मान लीजिये कि आपका बॉयफ्रेंड आपके पास आ कर कहता है कि आपने पहले कभी उसको उसके मित्रों के सामने लज्जित किया था। आपको लग सकता है कि यह बिलकुल अनुचित है, परंतु समय निकाल कर उसकी भावनाओं को स्वीकार करिए: “मुझे दुख है कि मैंने तुम्हें लज्जित किया।“ फिर “उसके बाद” आप अपना पक्ष रख सकती हैं: “मुझे नहीं लगा था कि इससे आपको शर्मिंदा होना पड़ेगा। मैं प्रयास करूंगी कि आगे ऐसा न करूँ।“
    • यदि आप प्रतिरक्षात्मक ढंग से शुरू करेंगी, तो दूसरा व्यक्ति उसके आगे सुनेगा ही नहीं। यदि आप दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को पहले स्वीकार कर लेंगी, और तब स्पष्ट करेंगी जब उचित समय हो, तब दूसरे व्यक्ति को लगेगा कि उसकी बात मान ली गई है, और उसके यह स्वीकार करने की संभावना भी बढ़ जाएगी कि आप उसको आहत नहीं करना चाहती थीं।
    • बात के “सही” होने की ज़िद न करने का अर्थ यह नहीं है, कि आपकी बात छोटी थी। यदि आपको दृढ़ता से यह महसूस होता है कि कोई चीज़ महत्त्वपूर्ण है, तब उसके बारे में बात अवश्य करिए। केवल दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण को सुनने की याद रखिए। हो सकता है कि समझौता ही सर्वश्रेष्ठ समाधान हो।
  7. यदि आप अपने अंतरंग, कभी कभी शर्मिंदा करने वाले विचारों, आवश्यकताओं, तथा भावनाओं को एक दूसरे से साझा नहीं करेंगे, तब आपके सम्बन्धों को हानि पहुँच सकती है। [१२] अध्ययनों से पता चला है कि वे लोग जो दूसरों के साथ, खुल कर अपनी भावनाओं और आवश्यकताओं के संबंध में बातें नहीं करते हैं, आमतौर पर, उन लोगों की अपेक्षा, जो ऐसा करते हैं, भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं, तथा कम प्रसन्न रहते हैं। [१३] अध्ययनों से यह भी पता चला है कि वे युगल, जो खुल कर और सीधे सीधे एक दूसरे से संवाद नहीं करते हैं, उनकी, अपने सम्बन्धों के संबंध में अनिश्चित रहने की संभावना बढ़ जाती है। [१४]
    • अपनी या अपने बॉयफ्रेंड की आवश्यकताओं को “मूर्खतापूर्ण” या “अधकचरी” समझ कर नकार देने का प्रयास मत करिए: नकारने से विश्वास मर जाता है। आप दोनों को यह महसूस करने की आवश्यकता है कि दूसरा व्यक्ति इतना सुरक्षित है, कि सबसे डरावने मामले भी उसके साथ साझा किए जा सकते हैं।
    • ”मज़बूत” दिखने का प्रयास करने के लिए अपनी भावनाओं को छिपाइए या गोपनीय मत रखिए। भावनाओं को दबाने, या छुपाने से अप्रसन्नता आ सकती है, जिससे कि आपके संबंध को गंभीर हानि पहुँच सकती है। [१५]
    • जब आपका बॉयफ्रेंड आपके साथ कुछ साझा कर रहा हो, तब ऐसा कुछ कहते हुये दिखाइए कि आप उसकी बात सुन रही हैं, तथा समानुभूति कर रही हैं, “मैं तुम्हारी साझा करने की इच्छा की सराहना करती हूँ” या “तुम कह रहे हो कि तुम्हें डर इसलिए लग रहा है क्योंकि ----।“ इस प्रकार की खुली, तथा स्वीकार्य प्रकार की टिप्पणियाँ उसे यह समझने के लिए प्रेरित करेंगी कि आप पर विश्वास किया जा सकता है। [१६]
  8. निष्क्रिय आक्रामक व्यवहार, खुले, स्पष्ट संवाद का विपरीत होता है, और यह सम्बन्धों को थोड़े ही समय में नष्ट कर सकता है। इसका प्रोत्साहन, क्रोध या चोट से मिलता है। प्रलोभन यह हो सकता है कि यदि आपके बॉयफ्रेंड ने आपको नाराज़ या आहत किया हो, तब उसे “सज़ा” दी जाये, परंतु कहीं अधिक स्वस्थ (तथा प्रभावी) यह होगा कि मामले पर बात कर ली जाये। निष्क्रिय आक्रामक व्यवहार कई तरह के हो सकते हैं, जैसे कि ये, जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए: [१७] [१८]
    • कुछ करना “भूल जाना”। सम्बन्धों में निष्क्रिय आक्रामकता दिखाने का एक आम तरीक़ा यह है कि लोग, जो वे नहीं करना चाहते हैं, उसे “भूल जाते हैं”। शायद आप उस मूवी का टिकट लेना “भूल जाएँ”, जिसे आप सचमुच में जाकर देखना नहीं चाहटी हैं। यदि आपने उसे नाराज़ किया हो, तब शायद वह आपकी ऐनिवर्सरी “भूल जाये”। इस प्रकार का व्यवहार आप दोनों को आहत करता है।
    • ऐसी बातें कहना, जो आपके मन की बात नहीं है। ताने मारना, लोगों को शीघ्र आहत करने का एक तरीक़ा है। कभी कभी लोग निष्क्रिय आक्रामक भाषा में बातें करने लगते हैं, जिससे वे यह बताते हैं कि वे अप्रसन्न, या रुष्ट हैं। जैसे कि, यदि आपका बॉयफ्रेंड भूल जाये कि शुक्रवार की शाम को आपको डेट पर जाना था, तथा उसके स्थान पर वह हॉकी के खेल के टिकट ख़रीद लाये, तब एक निष्क्रिय आक्रामक प्रतिक्रिया इस प्रकार होगी: “नहीं, मैं क्यों नाराज़ हूँगी? मुझे तो पसंद आता है जब तुम उन चीजों को भूल जाते हो जो मेरे लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं। तुम्हें निश्चय ही हॉकी के उस खेल को देखने जाना चाहिए।“ अपनी भावनाओं को सम्मान तथा स्पष्टता के साथ बताने के स्थान पर इस प्रकार की भाषा का उपयोग बचाव की भावना को भड़काता है, यहाँ तक कि उलझन को भी (कुछ लोगों को तो तानों का अर्थ भी समझ में नहीं आता है)।
    • ”चुपचाप रहने” की सज़ा। यदि आप आहत या रुष्ट हैं, तब आप अपने बॉयफ्रेंड की उपेक्षा कर सकती हैं, या ऐसा ढोंग कर सकती हैं कि आप उसकी बात सुन ही नहीं रही हैं। इस प्रकार का व्यवहार घातक होता है क्योंकि यह बातचीत शुरू करने के ईमानदार प्रयासों को नष्ट कर सकता है, और अंततः बातचीत को पूरी तरह हतोत्साहित भी कर सकता है। यदि आपको क्रोध ठंढा करने के लिए कुछ समय चाहिए – जो कि स्वाभाविक और उचित है – तब खुले तौर से उसके बारे में बताइये: “मैं अभी इसके बारे में बातें करने के लिए बहुत रुष्ट हूँ। मुझे एक घंटे का समय दीजिये और फिर हम बातें करेंगे।“
  9. हम अपने अशाब्दिक संवाद से – हमारे हाव भाव तथा मुद्राएँ – वास्तविक, शाब्दिक संवाद की तुलना में बहुत कुछ कहते हैं। अपने हाव भाव का ध्यान रखिए। उनसे शायद वे संदेश जा रहे हों, जो आप देना भी नहीं चाहती हों। [१९]
    • अपनी बाहें खुली और ढीली रखिए। सीने पर उन्हें बांधने से आप प्रतिरक्षात्मक और बंद दिखती हैं।
    • आँखों से संपर्क बनाइये। आँखों से संपर्क नहीं बनाने से दूसरे व्यक्ति को लगता है कि जो वो कह रहा है उसमें आपकी रुचि नहीं है, या आप उसे सुन नहीं रही हैं। उसके बोलने के दौरान कम से कम 50% समय आँखों से संपर्क बनाए रखिए, और सुनते समय कम से कम 70% समय। [२०]
    • उंगली दिखाने से बचिए। इससे दोषारोपण करते हुये या धमकाने जैसा लग सकता है। इसके स्थान पर खुली हुयी हथेली से इशारे करिए।
    • जब आपसे बातें हों, तब अपने शरीर को उस व्यक्ति की ओर घुमाए रखिए। उससे दूर देखते हुये, या उस व्यक्ति के बगल में देखने से लगता है कि आपका पूरा ध्यान, जो कुछ हो रहा है उस पर नहीं है।
विधि 2
विधि 2 का 3:

कुछ करके प्रेम का निर्माण करना

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  1. हम ऐसे विश्व में रहते हैं, जहां सब एक दूसरे से जुड़े हुये हैं, मगर त्रासदी यह है कि इससे आप और आपके बॉयफ्रेंड में दूरियाँ बढ़ सकती हैं। यदि आप दोनों लगातार फ़ोन तथा कम्प्युटर पर लगे रहते हैं, तब शायद आपमें आपसी संवाद नहीं ही हो रहा है। कुछ समय केवल अपने दोनों के लिए निकालिए: न कोई फ़ोन, न कम्प्युटर, न विडीयो गेम। [२१]
    • सच तो यह है कि कभी कभी बिना यह जाने कि आपने ऐसा किया है, आप अपना फ़ोन उठा लेती हैं। यदि यह आपकी समस्या है, तो जब आपका “बिना टेक्नालजी के साथ रहने का समय” हो, तब फ़ोन को कहीं और, जैसे कि, दरवाज़े के पास किसी डिब्बे में रख दीजिये।
    • यदि आप दोनों एक साथ नहीं रहते हैं, तब टेक्स्ट भेजने के अलावा फ़ोन या स्काइप पर बातें करने का प्रयास करिए। अनेक बार संवाद में अशाब्दिक संकेत, जैसे आवाज़ का लहज़ा, चेष्टाएँ, तथा चेहरे की मुद्राएँ, बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं। [२२] प्रति दिन कम से कम कुछ मिनटों के लिए, “व्यक्तिगत रूप से बातें करने के” जितने निकट हो सके, उतने से बातें करिए। इससे संबंध के निर्माण में सहायता मिलेगी, और उसकी इच्छा होगी कि उसी निकटता को बनाए रखा जाये, जो आपने उससे शुरुआत में दिखाई थी।
  2. याद करिए कि जब आपने डेटिंग शुरू की थी, तब कैसे हर डेट में कुछ नवीनता लगती थी? और आप दोनों एक दूसरे को देख कर इतने उत्तेजित हो जाते थे कि अगली डेट की प्रतीक्षा करना तक कठिन हो जाता था? यदि आप दोनों के संबंध एक “लीक” पर पड़ गए हों, तब अपनी दिनचर्या को इस प्रकार से परिवर्तित करिए ताकि आप दोनों एक साथ समय बिताने में अधिक उत्साहित हो सकें। [२३]
    • कुछ नया करने का प्रयास करिए। नई चीज़ों को एक साथ करने की कोशिश करने का अनुभव, चाहे वह किसी नए रेस्टोरेन्ट में जाना हो, या कोई नया शौक़ पालना, आप दोनों के जुड़ाव में सहायता करेगा। इससे आप दोनों में साथ साथ ख़ुशनुमा चीज़ों को करने की “तकनीकों” में भी विस्तार होगा।
    • अपनी वर्तमान दिनचर्या में परिवर्तन लाइये। जैसे कि, यदि आपको साथ साथ शाम को मूवी देखना पसंद हो, तो देखिये कि क्या आप उसको और मज़ेदार बना सकती हैं। पता करिए कि क्या आपकी प्रिय मूवी किसी पुराने थिएटर में दिखाई जा रही है। यह भी पता करिए कि गर्मियों में “तारों की छांव में” कोई मूवी दिखाई जाने वाली है। किसी ऐसी मूवी में जाइए जहां पर आप खा भी सकें, या साथ साथ गा भी सकें। अगली बार जब आप मूवी देखने का विचार करिए, तब साथ में उस शाम को उसी थीम पर बिताइए (‘चीनी कम’ मूवी वाली शाम को बिरयानी कैसी रहेगी?)
  3. इन्हें कुछ बहुत बड़ा होने की आवश्यकता नहीं है। चाहे वह साथ बैठ कर स्कूल का काम ही करना क्यों न हो, अच्छा समय एक साथ बिताने से आप अधिक सम्बद्ध होते हुये महसूस करती हैं।
  4. सुनिश्चित करिए कि आपके बॉयफ्रेंड के पास अपना काम करने के लिए भी समय हो: संबंध तभी सबसे बढ़िया चलते हैं जब दोनों लोग अपनी अलग अलग रुचियाँ बनाए रखते हैं और कुछ समय अपने मन से, या अपने मित्रों के साथ भी बिताते हैं। [२४] आप दोनों को अपनी ऐसी पहचान बनाए रखने की आवश्यकता होती है, जो कि दूसरे व्यक्ति के चारों ओर न घूमती रहे। कोई भी लगातार देखे जाना या आस पास किसी का घूमते रहना, पसंद नहीं करता है।
    • इससे उसे पता चलता है कि आप उस पर विश्वास करती हैं। यदि आप उसे यह पता चलने देंगी कि उसने आपका विश्वास अर्जित कर लिया है, तब उसके द्वारा उस विश्वास को तोड़ दिये जाने की संभावना वास्तव में कम हो जाती है। यदि आप उस पर यह विश्वास नहीं करती हैं कि वह अपने आप ज़िम्मेदारी उठा सकता है, तब अधिक संभावना यही है कि वह धोखा देगा ही क्योंकि उसे विश्वास का नहीं किया जाना पसंद नहीं होता है। [२५]
    • आप चाहे एक दूसरे से कितना ही प्यार क्यों न करते हों, दुनिया में कोई भी आदमी किसी दूसरे व्यक्ति की सारी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता है। मित्रों के साथ समय बिताने से और बाहरी रुचियाँ रखने से आप दोनों को प्रसन्न, स्वस्थ, और सम्पूर्ण व्यक्ति बनने में सहायता मिलती है। इससे आपको साथ बिताया हुआ समय और भी विशेष लगता है।
  5. अपने गिफ्ट्स को तथा साथ बाहर घूमने फिरने को व्यक्तिगत बनाइये: विशेषकर, यदि आपका बॉयफ्रेंड गिफ्ट्स को पाने में तथा सरप्राइज किए जाने में मज़े लेता है, तो उनको व्यक्तिगत बनाने से आप उसे यह दिखाती हैं कि आप उसे किसी भी और से बेहतर जानती हैं, तथा उसकी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर सचमुच में ध्यान देती हैं। उन चीज़ों के बारे में सोचिए जो आपका बॉयफ्रेंड करना/पाना चाहता हो, और उसे गाइड की तरह इस्तेमाल करिए।
    • क्या आपके बॉयफ्रेंड को खेल कूद पसंद हैं? क्या वह सदैव एक्साइटमेन्ट की खोज में रहता है? आप, दोनों के लिए स्थानीय फूटबाल, बास्केटबाल, या वॉलीबॉल के खेलों के टिकट लीजिये। उसे किसी एम्यूज़्मेंट पार्क में ले जाइए, और तीन घंटों में जितने हो सकें, उतने रोलर कोस्टर्स पर सैर करवाइए।
    • क्या आपका बॉयफ्रेंड ठीक न हो सकने वाला रूमानी प्रकार का व्यक्ति है? जिसको अपनी संवेदनाओं का एहसास है? उसे नीरज या सुमित्रानंदन पंत की कविताओं की एक पुस्तक दीजिये, और उसके मुखपृष्ठ पर ऐसा कुछ लिखिये: “दिल की पूरी बात यह है – इन शब्दों से प्रवाहित होने वाला प्यार केवल तुम्हारे लिए है।“
    • क्या आपका बॉयफ्रेंड बाहर घूमने फिरने वाले प्रकार का है? उसे कैंपिंग यात्रा पर ले जाइए और उसके स्लीपिंग बैग में उसके साथ लिपट जाइए। या उसे अपने साथ बड़ी समुद्री मछलियाँ दिखाने या स्थानीय बर्ड वाचिंग सोसाइटी द्वारा आयोजित चिड़ियों के देखने के कार्यक्रम में ले जाइए।
  6. उसके लंच बॉक्स या कमीज़ की जेब में एक छोटा सा विचारपूर्ण नोट रख दीजिये: यदि आपके बॉयफ्रेंड को बार बार हाँ सुनने में अच्छा लगता हो, (प्यार भरी भाषा की याद है ना?), तब एक छोटा सा नोट छोड़ने का प्रयास करिए। चाहे वह सीधा सादा हो, मज़ाकिया हो, या बिलकुल पागलपन का, ये छोटे छोटे रिमाइन्डर दिखाते हैं कि आप उसकी परवाह करती हैं। [२६]
    • नोट में ऐसी भाषा का उपयोग करिए जिससे आपके बॉयफ्रेंड को सबसे सहज लगे। यदि प्यार में डूबे शब्दों में उसे गिजगिजापन लगता हो तो उसे एक चंचल, मज़ाकिया नोट लिखिए। यदि उसे भावनाओं का गंभीर प्रदर्शन अच्छा लगता हो, तब उसे बताइये कि वह आपके लिए कितना महत्त्व रखता है।
    • मनुष्य अपने जीवन में सकारात्मक चीज़ों के भी आदी हो जाते हैं। इसको “सुख की आदत” कहते हैं। सुनिश्चित करिए कि आप इतने नोट न छोड़िए कि वे अर्थहीन हो जाएँ। अच्छी चीज़ की बहुतायत भी कभी कभी असह्य हो जाती है। [२७]
  7. स्नेह का प्रदर्शन तब विशेष महत्त्वपूर्ण हो जाता है जब आपका बॉयफ्रेंड “शारीरिक संपर्क” को प्रेम की भाषा समझता हो। ऐसा कुछ मत करिए जिससे वह लज्जित हो, मगर उसे पता चलने दीजिये कि आप सोचती हैं कि वह बहुत ही प्यारा है।
    • पता करिए कि आपका बॉयफ्रेंड क्या पसंद करता है। हो सकता है कि गले पर होंठों का लगाना उसे पसंद हो, या यह भी हो सकता है कि इससे उसे नफ़रत हो। यह जान पाने से कि किस चीज़ से उसे प्रेम किए जाने का पता चलेगा और किस चीज़ से उसे उत्तेजना होगी, आपको अपने स्नेह का प्रदर्शन भली भांति करने में सहायता मिलेगी।
    • बॉयफ्रेंड के लिए “सेक्सी” कपड़े पहनना, सम्बन्धों को थोड़ा चटपटा बना सकता है। पता करिए कि क्या उसकी कोई कल्पना है, या उसे कोई चीज़ उत्तेजित करती है, और तब कभी कभार कुछ विशेष करती रहिए। वह भी ख़ुशी ख़ुशी बदले में कुछ करना चाहेगा।
    • याद रखिए कि शारीरिक स्नेह प्रदर्शन के सेक्स के अलावा भी तरीक़े हो सकते हैं। हाथ पकड़ने, आलिंगन (hug) करने, चुंबन (kiss) करने, तथा लिपटने के भी प्रयास करिए। एक दूसरे के प्रति स्नेह प्रदर्शन के कई तरीक़े पता होने से अच्छा रहता है।
    • यदि आपका बॉयफ्रेंड स्नेह के भौतिक प्रदर्शन में उसी प्रकार विश्वास नहीं करता है जैसे कि आप, तब इस बात को व्यक्तिगत मत समझिए। लोग तो अलग अलग प्रकार के होते ही हैं। [२८]
  8. हालांकि, यह महत्त्वपूर्ण है कि आप दोनों की अलग अलग रुचियाँ हों, और अपने दोस्त भी हों, परंतु यदि आप एक दूसरे के मित्रों के साथ भी कुछ समय बिताएँगे तो इससे आपके सम्बन्धों में और भी मजबूती आ सकती है। [२९]
    • नए सम्बन्धों में एक सामान्य समस्या यह होती है कि आप अपने बॉयफ्रेंड के साथ अधिक समय बिताना शुरू कर देती हैं, और मित्रों के साथ कम। इससे आपके मित्र उपेक्षित महसूस कर सकते हैं, और आपके सम्बन्धों में तनाव आ सकता है। अपने बॉयफ्रेंड को कभी कभार अपने साथ बाहर चलने का निमंत्रण देकर उसे अपने सामाजिक सर्कल में सम्मिलित करिए। कभी कभार उसके मित्रों के साथ भी बाहर जाइए।
  9. किसी डेट पर ऐसी किसी जगह जाइए जहां आप आराम से बातें कर सकें: उदाहरण के लिए, शांतिपूर्ण जगह पर डिनर पर जाइए, जहां पर आप उसे यह पता चलने दें कि उसका आपके जीवन में कितना अर्थ है। उसको भी अपनी भावनाएँ और अधिक मत साझा करने दीजिये। उसकी बात वास्तव में सुनिए और बातचीत को चलते रहने देने के लिए टिप्पणियाँ भी दीजिये। यदि आवश्यक हो तो कुछ मामले साफ़ भी कर लीजिये।
    • ऐसी डेट्स पर जाइए, जिन्हें आपके विचार से, वह पसंद करे। उन गतिविधियों के बारे में सोचिए जिनमें कि आप दोनों निकट आ सकें: नौका विहार, प्राकृतिक पद- यात्रा, ज़ू की सैर, ट्रेन यात्रा, निकट के किसी शहर में दिन भर की यात्रा, आदि।
  10. एक दिन की छुट्टी लीजिये। कुछ ऐसा करिए, जो बिलकुल ही अनपेक्षित हो, जैसे साथ साथ संगीत की धुनें बनाइये और उन्हें रेकॉर्ड करिए। अपनी नई पायी हुयी स्वतन्त्रता का, चाहे वह केवल एक दिन की ही क्यों न हो, आनंद उठाइए और इस प्रकार से जीवन को जीइये मानो प्रेम करने के लिए केवल एक ही दिन उपलब्ध हो। [३०]
    • साथ साथ स्मृतियाँ बनाने से आपको बाद में याद करने के लिए कुछ मिलेगा। शोध से पता चला है कि साथ साथ पाये गए मज़ेदार अनुभवों की बाद में याद करने से, आपको एक दूसरे से अधिक संबन्धित होने की भावना बनाने में सहायता मिलती है। [३१]
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपने बॉयफ्रेंड की गहन समझ प्राप्त करना

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  1. सीखिये कि आप दोनों प्रेम को कैसे देते, और लेते हैं: मनोवैज्ञानिक गैरी चैपमैन के अनुसार लोगों की अपनी “प्रेम की भाषाएँ” होती हैं, जिनका उपयोग वे स्वयं प्रेम प्रदर्शित करने में और दूसरों के प्रेम प्रदर्शन के समझने में करते हैं। एक दूसरे की प्रेम की भाषा जानने से आप अपना प्रेम इस प्रकार प्रदर्शित कर पाएँगी जिससे कि दूसरा व्यक्ति सबसे मज़बूती से सम्बद्ध हो सके। यदि आपकी और आपके बॉयफ्रेंड की प्रेम की भाषाएँ अलग अलग होंगी, और आपको उसका पता नहीं होगा तो इससे बहुत तनाव उत्पन्न हो सकता है। [३२]
    • चैपमैन के अनुसार, प्रेम की पाँच भाषाएँ हैं, “अभिपुष्टि के वचन,” “सेवा के कार्य,” “उपहार पाना,” “क्वालिटी टाइम,” तथा “शारीरिक संपर्क।“ [३३]
      • ”अभिपुष्टि के वचन” वह चीज़ें हैं, जैसे प्रशंसा, प्रोत्साहन, तथा आपकी भावनाओं को “जानने का प्रयास”।
      • ”सेवा के कार्य” वे चीज़ें हैं, जैसे दूसरे व्यक्ति के लिए वे प्रतिदिन के काम कर देना जिन्हें स्वयं करना उसे पसंद नहीं हैं।
      • ”उपहार पाना” का अर्थ है, उपहार या प्रेम के दृष्ट संकेत, जैसे फूल पाना।
      • ”क्वालिटी टाइम” वह समय है जो आप अपने साथी के साथ, बिना किसी व्यवधान अथवा विकर्षण के व्यतीत करते हैं।
      • ”शारीरिक संपर्क” किसी भी प्रकार का शारीरिक स्नेह का प्रदर्शन हो सकता है जिसमें कि आलिंगन, चुंबन, तथा यौन संबंध शामिल हैं।
    • इन भाषाओं की महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन्हें एक दूसरे के साथ साझा किया जाये। इस प्रकार यदि आपका बॉयफ्रेंड “शारीरिक संपर्क” को “उपहार पाने’ से अधिक प्राथमिकता देता है, तब आपको पता चल जाएगा कि अपना प्रेम उससे किस प्रकार प्रदर्शित किया जाये ताकि वह उसे समझ सके। इसी प्रकार, यदि आपके बॉयफ्रेंड को पता हो कि “उपहार पाना” आपकी सबसे प्रमुख भाषा है, तब उसे यह समझने में कोई परेशानी नहीं होगी कि उसके द्वारा प्रतिदिन घर की सफ़ाई करने और कूड़ा फेंकने को आप क्यों प्रेम का संकेत नहीं समझ पाती हैं।
    • इनको याद रखना भी महत्त्वपूर्ण है ताकि आप प्रेम के इन संकेतों को अनदेखा न करें और समय पर पहचान सकें।
  2. अंतरंगता, प्रतिबद्धता, तथा उत्तेजना में संतुलन बनाइये: रोबर्ट स्टर्नबर्ग का प्रेम का सिद्धान्त इन्हीं तीन घटकों से मिलकर बना है। हालांकि, मनोवैज्ञानिकों की राय अलग अलग है, परंतु आमतौर पर, रूमानी प्रेम वह इच्छा है, जो कि किसी व्यक्ति के प्रति अंतरंगता और प्रतिबद्धता की भावना के साथ महसूस की जाती है। उत्तेजना या हवस वह कामेच्छा होती है, जो कि किसी एक व्यक्ति के प्रति सीमित हो भी सकती है, और नहीं भी। सम्बन्धों में हवस, अक्सर उत्तेजित करने वाली भावना होती है: जब आपको कोई भड़कीला दिखता है, तब आपकी रुचि उसका पीछा करने में हो जाती है। प्रेम को विकसित और पल्लवित होने के लिए समय की आवश्यकता होती है। [३४]
    • सम्बन्धों में, यह स्वाभाविक ही है कि ये दोनों भावनाएँ ऊपर नीचे होती रहें। किसी भी संबंध की शुरुआत में – जिसे अक्सर “हनीमून अवस्था” कहा जाता है – हवस का शीर्ष पर होना बहुत आम बात होती है: आप दोनों ही एक दूसरे से हाथ दूर नहीं रख पाते और आपको हर समय यही लगता रहता है कि दूसरा व्यक्ति कितना सेक्सी है। [३५] यह अच्छी बात है, मगर जब आप एक दूसरे के साथ अधिक समय बिताते हैं और अधिक गहराई से एक दूसरे को जान पाते हैं, तब इस अवस्था का धुंधला जाना भी प्राकृतिक है। [३६]
    • जब हवस की पहली फुहार हल्की पड़ती है, तब आप शायद यह पा सकती हैं, कि आप अपने मस्तिष्क में चल रही रासायनिक क्रियाओं के कारण अपने बॉयफ्रेंड को आदर्श के रूप में देख रही थीं। [३७] जब चार दिन की चाँदनी छँटती है, तब आप उन चीज़ों पर ध्यान देना शुरू करती हैं, जिनसे आपको चिढ़ है, जैसे कि आपके सामने उसका फ्लॉस करना, या किराने की दुकान में सामान की जांच उस तरह न करना जैसे आप करती हैं। यह सामान्य है। यहीं पर “प्रेम” सामने आता है। प्रेम आपको वह धीरज प्रदान करता है जिससे कि आप इन छोटी छोटी चिढ़ों की उपेक्षा इसलिए कर पाती हैं क्योंकि आपको यह व्यक्ति सचमुच में पसंद आ गया होता है।
    • इसका अर्थ यह नहीं है कि जब आप कुछ महीनों तक डेटिंग कर चुकें, तब हवस को गायब हो जाना चाहिए। यह खोजने में कुछ समय लगाइये कि वह क्या है जिससे आप दोनों उत्तेजित होते हैं। एक दूसरे को अपनी सेक्सुअल आवश्यकताएँ बताइये। अपनी दिनचर्या में चटपटापन लाइये। एक दूसरे के साथ आनंद लीजिये!
  3. जान लीजिये कि लोगों के संवाद के तरीक़े अलग अलग होते हैं: एक सामान्य सत्य यह कहा जाता है कि, “पुरुष मंगल से व स्त्रियाँ शुक्र ग्रह से होती हैं” मगर सत्य वास्तव में इससे कहीं अधिक जटिल होता है। एक लिंग के लोगों तक में बिलकुल अलग अलग संवाद के तरीक़े हो सकते हैं। आप समलैंगिक हों, या सामान्य, यदि आपको लगता है कि कभी कभी आप और आपका बॉयफ्रेंड अलग अलग भाषाएँ बोल रहे हैं, तब शायद इसका कारण यह हो सकता है कि आप दोनों के संवाद के तरीक़े अलग अलग हों। कोई भी एक विधि अंतर्निहित प्रकार से, दूसरी से “बेहतर” नहीं होती है, मगर यह समझ पाने से कि आप दोनों किस प्रकार संवाद करते हैं, सहायता मिलती है। [३८] [३९]
    • कुछ लोग “ताल्लुक बना कर” संवाद करने वाले होते हैं। ताल्लुक बना कर संवाद करने वाले लोग, दूसरों का फ़ीडबैक प्राप्त करने में आनंद लेते हैं। वे मिल जुल कर काम करना पसंद करते हैं, और चुनौतियों और असहमतियों को आक्रामकता अथवा विरोध का संकेत समझते हैं। यदि आप सबकी बातें सुनती हैं, तकरार से बचती हैं, मामलों को मिल जुल कर समझती हैं, और बहुत कम ही बोलती हैं, तब आप ताल्लुक बना कर संवाद करती हैं।
    • कुछ लोग “प्रतिस्पर्धात्मक” संवाद करने वाले होते हैं। प्रतिस्पर्धात्मक संवाद करने वालों की प्रवृत्ति होती है कि वे स्पष्ट, निश्चयात्मक, तथा चुनौतियों को स्वीकार करने वाले होते हैं। उन्हें जानकारी एकत्रित कर के अपने निर्णय स्वयं लेना पसंद होता है। वे अक्सर चीज़ों पर अधिकार रखना पसंद करते हैं। यदि आप मन की बात आसानी से कह पाती हैं, संघर्ष की स्थिति में सहज महसूस करती हैं, तथा अपने निर्णय स्वयं लेना पसंद करती हैं, तब शायद आप प्रतिस्पर्धात्मक संवाद करने वाली हैं।
    • स्पष्टता के संबंध में भी लोगों के अनेक स्तर हो सकते हैं। कुछ लोग इस प्रकार के स्पष्ट संवाद कह कर भी सहज रह सकते हैं, जैसे कि “मैं चाहती हूँ कि हम अधिक समय साथ बिताएँ।“ जबकि दूसरे कुछ लोग परोक्ष संवाद कह कर अधिक सहज होते हैं, जैसे कि “जब हमने समय साथ गुज़ारा था, तब बहुत मज़ा आया था। अब हम ऐसा नहीं करते हैं, यह अच्छी बात नहीं है।“ परिस्थिति के अनुसार दोनों में से कोई भी तरीका उचित हो सकता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि एक दूसरे की बात सुनी जाये, और जब कोई चीज़ समझ में न आए तो उसको स्पष्ट कर लिया जाये।
    • संवाद के स्टाइल फ़र्क होने का अर्थ यह नहीं है कि आपका संबंध अभिशप्त है। इसका अर्थ केवल इतना है कि आपको यह जानने की आवश्यकता है कि कौन से अंतर आप दोनों में तनाव के कारण बन सकते हैं और आप दोनों को लचीलेपन तथा समझौते के लिए प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

सलाह

  • स्वयं पर और अपनी गतिविधियों पर नज़र डालिए। हम केवल स्वयं को बदल सकते हैं, न कि दूसरों को।
  • अपने आत्म सम्मान और विश्वास के लिए कुछ करिए। हम दूसरों के लिए पूर्ण रूप से तभी समर्पित हो सकते हैं जब हम स्वयं से प्रसन्न हों।
  • अपने कृत्यों से उसे दिखाइए कि आपको उस पर विश्वास है और आप उससे प्रेम करती हैं। आप जो भी कहती हैं, उसका समर्थन आपके कृत्यों से होने दीजिये।
  • वही बोलिए जो समझती हों, और वही समझिए जो बोलती हों।
  • लंबे समय के द्वेष पनपने न पाएँ इसलिए हर झगड़े को शीघ्रातिशीघ्र सुलझा लीजिये। छोटी छोटी बातों को बड़ा न बनाने की याद रखिए।
  • उसके आस पास स्वयं ही बनी रहिए।
  • उससे अक्सर कहा करिए, “मैं तुमसे प्यार करती हूँ” ।
  • उसको पता चलने दीजिये कि आप सदैव उसके साथ हैं।
  • यदि वह ऐसे लोगों के साथ उठता बैठता है जो आपको नापसंद हैं, तब उसका पीछा कर के क्रोध मत दिखाइए।

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