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आप जितना ज़्यादा लोगों के साथ जुड़ना शुरू करते हैं, फिर चाहे वह सोशल मीडिया पर मिलना हो या फिर सामने जा कर मिलना हो, किसी ना किसी तरह से आप के अंदर असुरक्षा की भावना जागृत होगी। हो सकता है, कि आप किसी के सुंदर चेहरे को देखकर खुद को उस से कम समझने लगें या फिर किसी के घर, गाड़ी या धन-जायदाद से आप को बुरा लगना शुरू हो जाए, अब जब आप के अंदर इतनी सारी बातें चल रहीं होंगी, तो ऐसे में खुद से प्यार कर पाना आप के लिए असंभव हो जाएगा। हम खुद को दूसरों से अलग समझ कर ही असुरक्षित महसूस करने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं है, हम भी अन्य लोगों की ही तरह होते हैं। यद्यपि खुद को बेहतर इंसान बनाने के लिए यह असुक्षा की भावना एक प्रेरणा की तरह कार्य करती है। इसे अपने साथ रहने दें – इस का सामना करें, इसे स्वीकार करें और इस तरह से आप खुद को आगे ले जाने के रास्ते पर बढ़ना शुरू कर देंगे।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी धारणाओं को बदलना

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  1. किसी भी समय में आप के पास दो तरह की बातें चलतीं हैं: एक आप के मन से बाहर और दूसरी आप के मन के अंदर। इस समय ज़रा सा रुक कर सोचने से आप को समझ आ जाता है, कि आप के मन में चल रही बातों से, बाहर की दुनिया की सच्चाई अलग है। बल्कि ये सब सिर्फ़ आप के मन का वहम और चिंता है, जो आप को पकड़ कर रखा हुआ है। तो अब जब भी आप को किसी भी तरह की चिंता का अनुभव हो, तो सिर्फ़ एक बार सोच कर ज़रूर देखें: कि क्या यह सच्चाई है, या फिर मेरे द्वारा बनाई गई सच्चाई? [१]
    • उदाहरण के लिए, आप का बॉयफ़्रेंड किसी बहुत ज़रूरी बात का जवाब सिर्फ़ "ठीक है" लिख कर देता है। आप के मन में कुछ इस तरह के ख्याल आने शुरू हो जाएँगे, "उसे आप की कोई परवाह नही। उसे मेरी बातों की कोई फ़िक्र नहीं है। मैं क्या करती हूँ? कैसे रहती हूँ? बस इतना ही? क्या हमारा ब्रेकअप होने वाला है?" अरे बस-बस रुक जाइए। वापस आइए और इसे दोबारा सोचकर देखिए। क्या एक "ठीक है" के लिए इतना सब सोचना चाहिए? क्या इस का मतलब इन सारी बातों में से कुछ निकलता है? नहीं। बिल्कुल भी नहीं। ये सिर्फ़ हमारी एक कल्पना है, जो हमारे साथ हमेशा मौजूद रहती है। इसका मतलब यह भी हो सकता है, कि शायद वो व्यस्त हो या फिर बात करने के मूड में ना हो, लेकिन इस मतलब का इन दी हुई बातों में से कुछ भी नहीं है।
    • लोग अक्सर कुछ बुरे विचारों को मन में लाना शुरू कर देते हैं, और हानिरहित परिस्थिति को भी हानिकारक समझना शुरू कर देते हैं। यह लोगों की एक आदत ही होती है। ऐसा ना करें, बल्कि परिस्थिति के ऊपर कुछ भी ऐसे विचार ना लाएँ, जो आप को असुरक्षित महसूस करवाएँ।
  2. जानें, कि आप की यह असुरक्षा की भावना, असल में कुछ भी नहीं है: चलो ऐसा सोचते हैं, आप किसी एक ऐसी पार्टी में जाते हैं, जहाँ पर आप किसी एक को भी नहीं जानते और इस वजह से बेचैनी महसूस करने लगते हैं। अब आप बहुत ज़्यादा असुरक्षित महसूस करने लगते हैं, और यहाँ तक कि पार्टी में आने को लेकर भी प्रश्‍न करने लगते हैं और आप को यह भी लग रहा है, कि वहाँ मौजूद हर एक शख्स सिर्फ़ आप को ही देख रहा है, और आप की इस असुरक्षा की भावना को भी अनुभव कर पा रहा है। बिल्कुल भी नहीं, ये सब झूठ है । हाँ, बेशक आप उन्हें असुरक्षित तो ज़रूर दिखाई देंगे, लेकिन बस इतना ही काफ़ी है। कोई भी आप के अंदर नहीं झाँक कर देखेगा। अपने अंदर मौजूद हर एक बात को किसी के भी सामने उजागर ना होने दें। [२]
    • हम सभी लोगों को ऐसा महसूस होता है, कि हर कोई हमारे बारे में सब कुछ जानता और समझता है, और यहाँ तक कि हमारी असुरक्षा की भावना को भी महसूस कर पाता है। हालाँकि, ऐसा कुछ भी नहीं है "कोई भी ये सारी बातें नहीं समझ सकता।"
  3. जो जैसा दिखता है, वैसा हो यह ज़रूरी नहीं है, इस बात पर भरोसा करें: क्या आप सच में जानते हैं, कि वह लड़की जो फ़ेसबुक पर अपने दुनिया भर में घूमने के बारे में पोस्ट कर रही है, वह सच में दुनिया घूम रही है? हो सकता है, कि वो ये सारी फोटो अपने घर पर बैठकर ही पोस्ट कर रही हो। [३] या दूसरी भाषा में बोलें, तो लोग आप को सिर्फ़ वही सब दिखाते हैं, जो वो दिखाना चाहते हैं – इन सारे विचारों के पीछे छिपे हुए विचारों को पहचानने की कोशिश करें। हर कुछ जैसा दिखता है, वैसा नहीं होता, जो जैसा दिखता है असल में वैसा ही नहीं होता और यहाँ पर ऐसा कोई भी मानक नहीं है, जिस से किसी को भी आँका जा सके।
    • असुरक्षा की भावना से संघर्ष करने का एक कारण हमारा अपने अंदर की भावना की तुलना किसी व्यक्ति से करना है। [४] हम हर किसी के दिखावटी रूप पर ज़्यादा ध्यान देते हैं और उस के असल चहरे की तरफ देखना भी नहीं चाहते और इस बनावटी रूप से अपनी तुलना करना शुरू कर देते हैं।
  4. असुरक्षा से निपटने का एक रास्ता, इस की पहचान ना करना है। इस के साथ ही यह भावना ना सिर्फ़ आप को दर्द पहुँचाती हैं बल्कि आप को ऐसा भी सोचने पर मजबूर कर देगी, कि आप जो भी सोच रहे हैं, वो सब ग़लत है। जब आप अपनी भावनाओं को ही सही नहीं महसूस कर पाएँगे, तो खुद को कैसे अपना पाएँगे। और जब आप खुद को ही नहीं स्वीकार कर पाएँगे, तो असुरक्षित महसूस करने लगेंगे। तो इन छोटी-छोटी भावनाओं को लें, और इन्हें महसूस करें। आप के ऐसा करने के बाद ये भावनाएँ खुद-ब-खुद गायब हो जाएँगी।
    • हालाँकि इस का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है, कि आप इन भावनाओं को सच मान लें। "मैं बहुत मोटा और बदसूरत हूँ" यह एक ऐसी बात है, जिसे आप को महसूस तो करना चाहिए, लेकिन इसे सच नहीं मानना चाहिए। ऐसा महसूस कर के आप इस में सुधार लाने के हर संभव प्रयास कर सकने लायक हो जाएँगे।
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपनी आत्म-छवि में सुधार लाना

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  1. यदि आप अपनी तुलना किसी से करते हैं, तो खुद की तुलना खुद से ही करें: पुनः – जब आप अन्य लोगों की ओर देखते हैं, तो आप इन के आंतरिक रूप को नहीं बल्कि इन के दिखावटी स्वरूप को देखते हैं। तो ऐसा बिल्कुल ना करें। जब भी आप को ऐसा लगने लगे, कि आप ऐसा ही कर रहे हैं, तो खुद को रोक लें। बस रुक जाएँ। खुद को हमेशा याद दिलाते रहें, कि यह एक सच्ची छवि नहीं है।
    • यदि आप के मन में ज़रा भी ऐसी तुलना की भावना मौजूद हैं, तो, सिर्फ़ खुद की तुलना खुद के साथ ही करें। आप कैसे बेहतर बन रहे हैं? अभी आप के पास में ऐसी कौन सी कुशलताएँ मौजूद हैं, जो पहले नहीं थी? आप ने क्या सीखा? आख़िरकार, तुलनाओं की इस दौड़ में आप ही अपने प्रतियोगी हैं।
  2. एक पेन और पेपर का एक टुकड़ा (या अपने फोन पर) लें और इन सभी को लिख दें। आप को अपने आप में क्या पसंद है? कम से कम पांच खूबियाँ लिखने के बाद ही रुकें। क्या यह कोई गुण हैं? क्या यह कोई शारीरिक विशेषता है?
    • यदि आप किसी एक को भी नहीं सोच पा रहे हो, तो फिर अपने दोस्तों से या परिवार के किसी सदस्य से पूछो। इस के अलावा कई सारे शोधों से इस बात को पता लगाया जा चूका है, कि दूसरे लोग हमें, हम से बेहतर जानते हैं। [५]
    • अब जब कभी भी आप को कुछ बुरा महसूस हो, तो इस लिस्ट में शामिल अपने गुणों को याद कर लें। आभार व्यक्त करने की भावना आप के अंदर से असुरक्षा की भावना को बदल देतीं हैं। यदि किसी के अंदर कोई भी अच्छा गुण ना मौजूद हो, तो ऑनलाइन मौजूद अच्छे गुणों की लिस्ट देखें।
  3. अपने शरीर, अपनी स्वतंत्रता और अपने समय का ध्यान रखें: खुद से प्यार करना सीखने के लिए, हमारे मन को कुछ साक्ष्य देखने की ज़रूरत होती है। यदि कोई आप के साथ बहुत ज़्यादा अच्छा व्यवहार करता है, तो इस का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है, कि वह आप से प्यार करता है। यहाँ पर याद रखने लायक कुछ बातें दी गईं हैं:
    • अपने शरीर का ध्यान रखें। कसरत करें, अच्छा और स्वस्थ खाना खाएँ, अच्छे से सोएँ, और जहाँ तक हो सके इसे अच्छा और स्वस्थ रखने का प्रयास करें।
    • अपनी स्वतंत्रता का ध्यान रखें। यदि आप किसी भी तरह के बंधन में रहेंगे, तो आप कभी भी संसार को नहीं समझ पाएँगे। सब से ज़्यादा ज़रूरी अगर कुछ है, तो वो है आप की मानसिक स्वतंत्रता। मेडिटेशन या योग करें। या किसी भी तरह से बस अपने मन को तनाव मुक्त रखने की कोशिश करें।
    • अपने समय का ध्यान रखें। या यूं कहें कि कुछ समय A) आराम करने, और B) अपनी मनपसंद चीज़ें करने के लिए समय निकालें। इन दो तरह की चीज़ों से आप के मन में खुशी का आगमन होगा – और आप को खुद को स्वीकार करने में सहायता .।
  4. आशा है, कि आप खुद के साथ अच्छा व्यवहार करते हों या फिर जानते हों, कि किस तरह से अच्छी तरह से व्यवहार करना जानते हों, लेकिन फिर अन्य लोगों का क्या? अपनी सीमाओं का निर्धारण करें – या दूसरे शब्दों में बोलें तो, आप क्या और क्या नहीं करना चाहेंगे? यह इतना ज़रूरी क्यों है? क्योंकि आप अच्छा व्यवहार पाने के अधिकारी हैं। आप अपने साथ किस तरह का व्यवहार होना पसंद करते हैं, आप को समझना होगा। [६]
    • एक अच्छा उदाहरण, आप किसी मित्र के लिए कितना लंबा इंतेज़ार कर सकते हैं। आप को खुद के लिए एक नियम बनाना होगा, जिस में आप 30 मिनिट से ज़्यादा किसी का इंतेज़ार करना चाहेंगे। ऐसा क्यों ना हो आख़िरकार आपका समय कीमती है – और भी बहूमूल्य हैं। यदि कोई इस बात का सम्मान नहीं करता, तो वह आप का अपमान कर रहा होता है। यदि वे आप का सम्मान करते हैं, तो वे समय पर ही आएँगे।
  5. इसे तब तक ना मानें, जब तक कि आप को यकीन ना हो जाए। और इस तरह से झूठा विश्वास दिखाकर भी आप को बहुत सहायता होगी। झूठा आत्म-विश्वास का उपयोग अन्य लोगों के सामने खुद को आश्वस्त दिखाने का अच्छा तरीका है। [७] तो जब कभी भी आप को अतिरिक्त आत्म-विश्वास की ज़रूरत हो, तो अपनी नाट्य-कला का उपयोग करें।
    • क्या आप को नहीं पता, कहाँ से शुरुआत करना चाहिए? अपने शरीर को महसूस करें और अपनी उन मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें, जो तनाव और चिंता को बाँध कर रखी हुई हैं। जब हम परेशान होते हैं, तो हमारा शरीर भी तनाव महसूस करने लगता है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

पहल करें

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  1. खुद को मिलने वाली हर एक तारीफ को, चाहें तो, नोटबुक पर या फ़ोन पर लिखकर रख लें। हर एक को लिखें। जब भी आप को खुद को अच्छा महसूस कराने (या जब भी आप के सामने कुछ खाली वक़्त मौजूद हो) की ज़रूरत हो, तो इसे देख लें। आख़िर में आप को बहुत अच्छा महसूस होगा। [८]
    • नकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित कर पाना बहुत आसान होता है। जब भी हम असुरक्षित महसूस करते हैं, तो सारे दुनिया की कही गई बातें भी आप को बुरी ही लगने लगेंगी। इन सभी को लिख लेने से आप को बहुत सहायता होगी। इस के परिणामस्वरूप आप खुद से प्यार करने लगेंगे।
  2. अपने आप को ऐसे लोगों के साथ में रखें, जो आप को अच्छा महसूस कराते हों: असल में हम अपने बारे में कैसा महसूस करते हैं, यह सब हमारे आसपास मौजूद लोगों पर निर्भर करता है। ये लोग आप को आप के बारे में जैसा भी महसूस कराएँगे, आप वैसा ही करेंगे। यदि हम कुछ नकारात्मक लोगों के साथ रहेंगे, तो खुद को लेकर हमारे विचार भी नकारात्मक ही हो जाएँगे। और अच्छे और खुश लोगों के साथ रहकर हम भी अपने बारे में अच्छा महसूस करना शुरू कर देंगे। [९] तो खुद के आसपास अच्छे लोगों को रखें।
    • यदि ऐसा ना हो, तो फिर इन से डोर रहना शुरू कर दें। सच में, यदि आप के आसपास ऐसे कुछ लोग मौजूद हैं, जो आप को अच्छा महसूस ना कराते हों, तो बिल्कुल इन्हें खुद से दूर कर दें। आप इन से कहीं ज़्यादा बेहतर हैं। हानिकारक लोगों से खुद को बचा पाना बहुत कठिन हो सकता है। लेकिन इस के बाद आप कितना बेहतर महसूस करेंगे, इसे सोच भी नहीं सकते।
  3. काम आप के जीवन का बहुत अहम हिस्सा है, और इस का बहुत गहरा असर आप के जीवन पर भी पड़ता है। तो फिर आप क्या करते हैं, यह आप के लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है। यदि आप बे-मन से कोई काम करेंगे, तो जाहिर सी बात है, आप का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं होगा। और आप के अंदर किसी भी चीज़ को करने के काबिल ना होने की भावना जन्म लेने लगेगी। तो फिर अपने ऐसा ही कोई काम चुनें, जो आप को खुशी दे।
    • कल्पना करें, कि यदि आप ज़्यादा से ज़्यादा समय कुछ ऐसा करते हैं, जो आप को खुशी देता हो – तो कैसा महसूस होगा? जब कभी भी आप के पास में कोई औचित्य होगा, तो आप खुद से प्यार करना भी शुरू कर देंगे।
  4. ज़रा पीछे से सोचना शुरू करें, जब हमने आप से कुछ ऐसा कहा था, "अपनी भावनाओं को महसूस करें?", एक बार आप इन का अनुभव कर लें, तो आप इन का सामना कर पाएँगे और इन के पनपने के कारणों का अनुभव भी कर सकेंगे। ऐसा क्या है, जो आप को खुश रहने से रोक रहा है? क्या यह आप का वजन है? क्या आप का लुक है? आप के व्यक्तित्व के बारे में कुछ है? या फिर बीते पलों में आप के साथ किसी के द्वारा किया गया व्यवहार?
    • एक बार आप को असल कारण समझ आ जाए, तो आप पहल करना शुरू कर देंगे। यदि आप का वजन आप को परेशान कर रहा है, तो फिर वजन कम करने और खुद को सुंदर महसूस करने के लिए प्रेरणा की तलाश करें। यदि यही आप के जीवन की सब से बड़ी तकलीफ़ है, तो आप इसे सुधारने के लिए किसी ना किसी प्रेरणा की तलाश कर ही लेंगे। अपनी इस असुरक्षा की भावना को एक अवसर के रूप में लें, और फिर किसे पता कि यह आप के जीवन में कुछ बदलाव ले कर सामने आ जाए?
  5. ऐसा अक्सर कहा जाता है, कि आप जिसे स्वीकार नहीं कर सकते, उसे बदल दें, लेकिन इस का एक और पहलू यह भी कहता है, कि जिसे आप नहीं बदल सकते उसे स्वीकार कर लें। आप अपनी दिखावट को स्वीकार नहीं कर सकते? तो इस के लिए कुछ करें। अपने करियर से खुश नहीं हैं? तो इसे बदल लें। आप के साथ हो रहे व्यवहार को स्वीकार नहीं कर सकते? तो इस रिश्ते को ख़त्म कर दें। आप के अन्दर शक्ति मौजूद है – बस आप को इस का उपयोग करते आना चाहिए।
    • बिलकुल, यह बहुत कठिन काम होगा। वजन कम कर पाना इतना भी आसान नहीं होगा। अपनी नौकरी बदल पाना भी आसान नहीं होगा। अपने साथी के साथ रिश्ता तोडना भी इतना आसान नहीं होगा। लेकिन इस तरह की चीज़ें कर सकना भी आप के लिए जरूरी होगा। यह शुरुआत में ज़रा सा कठिन तो लगेगा, लेकिन आखिर में आप इस से आप एक अलग ही स्थान पर होंगे। सुरक्षा और खुद से प्यार का स्थान आप के मन में जगह ले चूका होगा।

सलाह

  • आप जो भी हैं, बस वही बने रहें। मुस्कुराना ना भूलें और खुद से प्यार करना सीखें।
  • बस इसलिए क्योंकि आप अपने मित्र के जैसे नहीं हैं, इस का अर्थ बिल्कुल भी नहीं है, कि आप खुद को उन के जैसा बनाने का प्रयास करना शुरू कर दें।
  • अपना सर हमेशा ऊँचा रखें।
  • जब कभी भी आप कठिन परिस्थितियों से घिरे हों, तो इस समय में अपने कुछ अच्छे पलों को याद करने की कोशिश करें।
  • मुस्कुराएँ! यह आप को बहुत आकर्षक बनाएगी और आप के अंदर आत्म-विश्वास को भी जगाएगी।
  • यदि आप के पास में ऐसी कोई चीज़ नहीं है, जो हर किसी के पास में है, जैसे आप के सामने के दाँतों में हल्का सा अंतर है, तो इसे छिपाने के लिए मुस्कुराना ही ना छोड़ दें! अपने इस अनोखेपन से प्यार करना सीखें।
  • ऐसा कुछ भी कर के देखें, जिस में आप को असहज महसूस होता है। आप जितना भी ज़्यादा ऐसा करेंगे, उतना ज़्यादा खुद से प्यार करना सीख सकेंगे।
  • खुद को जानने का समय लें। यह शायद थोड़ा असहज, लेकिन बहुत ज़रूरी चरण है। ऐसा करने के लिए, शांति में अपने साथ समय बिताएँ।
  • अपने मित्रों और परिवार के करीब रहें।
  • कसरत करें, और स्वस्थ्य रहें, इस से आप को बहुत अच्छा महसूस होगा। ना सिर्फ़ अंदर से ही बल्कि बाहर से भी।

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