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कान का संक्रमण जिसे ओटिटिस मीडिया (otitis media) भी कहा जाता है, बच्चों और नवजातों में होने वाली एक आम समस्या है, लेकिन यह समस्या वयस्कों को भी हो सकती है | अमूमन 90% बच्चों में से कम से कम एक को तीन वर्ष की आयु तक कान का संक्रमण हो जाता है | [१] संक्रमण थोडा पीड़ादायक हो सकता है क्योंकि तरल का निर्माण होने से कान के परदे पर दबाव पड़ता है | [२] कई प्रकार के कान के संक्रमण घरेलू उपचारों से अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन अधिक गंभीर केसेस में, या छोटे बच्चों में होने वाले संक्रमण में कान के संक्रमण को पूरी तरह से ठीक करने के लिए डॉक्टर के द्वारा लिखे गये उपचार की ज़रूरत हो सकती है | [३]

विधि 1
विधि 1 का 6:

कान के संक्रमण की पहचान करें

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  1. जानें कि कान में संक्रमण होने की सम्भावना किन लोगों में ज्यादा होती है: सामान्यतः, वयस्कों की अपेक्षा बच्चों में कान के संक्रमण की संभावना अधिक होती है क्योंकि यूस्टेसियन ट्यूब (eustacian tube- जो प्रत्येक मध्य कर्ण से गले के पिछले हिस्से तक जाती है) बच्चों में बहुत छोटी होती है और तरल से जल्दी भर जाती है | बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) वयस्कों की तुलना में बहुत कमज़ोर भी होता है और बच्चे वायरल संक्रमण जैसे जुकाम के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं | [४] ऐसी कोई भी चीज़ जो यूस्टेसियन ट्यूब को अवरुद्ध करती हो, कान के संक्रमण को उत्पन्न कर सकती है | कान के संक्रमण के अन्य रिस्क फैक्टर्स में शामिल हैं: [५]
    • एलर्जी
    • श्वसन सम्बन्धी संक्रमण जैसे जुकाम या साइनस संक्रमण होने पर
    • एडेनोईड (adenoid) ग्लैंड (गले के ऊपरी हिस्से में पाए जाने वाले लिम्फ टिश्यू) में संक्रमण या परेशानी होने पर
    • तम्बाकू या धूम्रपान
    • अत्यधिक म्यूकस या लार बनाना जैसे दांत निकलने के समय इनका उत्पादन होना
    • ठन्डे वातावरण में रहना
    • वातावरण में परिवर्तन
    • नवजात होने पर स्तनपान न करना
    • हाल ही में हुई बीमारी
    • डे केयर में जाना, विशेषरूप से कई बच्चों वाले एक बड़े डे केयर में जाना |
  2. मध्य कर्ण (middle ear) में संक्रमण के लक्षणों को पहचानें: मध्य कर्ण में संक्रमण (“एक्यूट ओटिटिस मीडिया”) कान के संक्रमणों में से सबसे सामान्य प्रकार का संक्रमण है और यह वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है | [६] मध्य कर्ण कान के परदे के बिलकुल पीछे की जगह होता है जिसमे छोटी हड्डियाँ होती हैं जो आंतरिक कर्ण तक वाइब्रेशन ले जाती हैं | जब यह जगह तरल से भर जाता है तो बैक्टीरिया या वायरस इसमें प्रवेश कर सकते हैं और इस कारण संक्रमण हो सकता है | [७] अधिकतर कान का संक्रमण श्वसन सम्बन्धी संक्रमण जैसे जुकाम के कारण होता है, लेकिन गंभीर एलर्जी के कारण भी संक्रमण हो सकता है | [८] मध्य कर्ण में संक्रमण के लक्षणों में शामिल हैं: [९] [१०]
    • कान में दर्द
    • कान भरा हुआ होने की अनुभूति होना
    • बीमारी अनुभव होना
    • उलटी
    • दस्त
    • संक्रमित कान में बहरापन
    • टिनिटस (कान में घंटियों की आवाजें सुनाई देना)
    • चक्कर आना
    • कान बहना
    • बुखार, विशेषरूप से बच्चों में
  3. मध्य कर्ण संक्रमण और “स्विमर्स एअर (swimmer’s ear)” में अंतर समझें: स्विमर्स एअर को “ओटिटिस एक्सटर्ना (otitis externa)” या बाहरी कर्ण संक्रमण (exeternal ear infection)” के नाम से भी जाना जाता है जो बैक्टीरिया या फंगस के कारण होने वाला बाहरी कान की नलिका का संक्रमण होता है | इस तरह के संक्रमण का सबसे सामान्य कारण नमी है, लेकिन कान की नलिका को कुरेदने या उसमे कोई चीज़ डालने से भी संक्रमण की सम्भावना हो सकती है | [११] लक्षणों की शुरुआत हलके तौर पर होती है, लेकिन ये और बिगड़ते जाते हैं | इनके लक्षण हैं: [१२]
    • कान की नलिका में खुजली होना
    • कान के अंदर लालिमा होना
    • बाहरी कान को खीचनें या दबाने पर असुविधा होना
    • कान बहना (कान बहने की शुरुआत साफ़ और गंधरहित तरल से होती है, आगे चलकर पस भी निकलने लगता है)
    • अधिक गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:
      • कान भरे होने या बंद होने की अनुभूति
      • कम सुनाई देना
      • गंभीर दर्द जो बाहर की ओर आपके चेहरे या गर्दन तक प्रसारित होने लगता है
      • गर्दन की लिम्फ नोड्स में सूजन आना
      • बुखार
  4. बच्चों के कान में होने वाले संक्रमण पर नज़र रखें: बड़े बच्चों और वयस्कों की तुलना में छोटे बच्चों में कान में संक्रमण के भिन्न-भिन्न प्रकार के लक्षण देखे जा सकते हैं | चूँकि छोटे बच्चे बता नहीं सकते कि वो क्या अनुभव कर रहे हैं इसलिए उनमे निम्नलिखित लक्षणों पर नज़र रखें: [१३]
    • कान का कुरेदना या खींचना
    • सिर को चारों ओर पीटना
    • चिडचिडापन या लगातार रोना
    • सोने में परेशानी होना
    • बुखार (विशेषरूप से नवजात और बहुत छोटे बच्चों में)
    • कान से तरल बहना
    • सुस्ती या संतुलन की समस्या
    • सुनने में परेशानी
  5. अधिकतर कान में होने वाले संक्रमणों का इलाज़ घर पर किया जा सकता है और कई अपने आप ठीक हो जाते हैं | परन्तु, आप या आपके बच्चे को विशेष प्रकार के लक्षण अनुभव हों तो तुरंत आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए | ये लक्षण हैं: [१४]
    • कान से रक्त या पस बहना (जो सफ़ेद, पीला, हरा या गुलाबी/लाल दिखाई दे सकता है)
    • लगातार तेज़ बुखार बना रहना, विशेषरूप से 102 डिग्री फेरनहाइट (39 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा होना |
    • चक्कर आना
    • गर्दन में जकड़न
    • टिनिटस
    • कान के पीछे या आस-पास सूजन या दर्द होना
    • 48 घंटे से अधिक समय तक कान में दर्द बना रहना
विधि 2
विधि 2 का 6:

चिकित्सीय देखभाल अपनाएं

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  1. अगर आपका बच्चा छह महीने से कम उम्र का हो तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएँ: अगर आपको नवजात में कान में संक्रमण के लक्षणों को नोटिस करें तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएँ | [१५] इस उम्र के नवजातों में उनका प्रतिरक्षा तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता इसलिए ये इनमे गंभीर संक्रमण होने की सम्भावना सबसे अधिक होती है और इसके लिए उन्हें तुरंत एंटीबायोटिक्स देने की ज़रूरत होगी | [१६]
    • नवजात और बहुत छोटे बच्चों को घरेलू उपचार न दें | सबसे उचित देखभाल करने के लिए हमेशा अपने शिशुरोग विशेषज्ञ से सलाह लें |
  2. अपने कान और अपने बच्चे के कान का परीक्षण डॉक्टर से कराएँ: अगर आपको लगे कि आपको या आपके बच्चे को गंभीर रूप से कान में संक्रमण हुआ है तो कुछ टेस्ट के लिए तैयार रहें जैसे: [१७]
    • एक ओटोस्कोप (otoscope-कान के परीक्षण करने के यंत्र) से कान के परदे का दृष्टी परीक्षण कराएं | इस परीक्षण के लिए आपके बच्चे को एक जगह स्थिर बिठाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन बच्चे के कान में संक्रमण का पता लगाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण परीक्षण होता है |
    • मध्यकर्ण के भराव या किसी भी प्रकार के अवरोध के परीक्षण के लिए न्यूमेटिक ओटोस्कोप (pneumatic otoscope) का उपयोग किया जाता है जिसके द्वारा कान के परदे पर थोड़ी सी हवा डाली जाएगी | इस हवा के कारण कान का पर्दा आगे-पीछे हिलेगा | अगर तरल उपस्थित होगा तो कान का पर्दा आसानी से हिलेगा नहीं जो संभवतः कान में संक्रमण का संकेत देता है | [१८]
    • टिम्पेनोमीटर (tympanometer) के द्वारा परीक्षण करवाएं जिसमे मध्यकर्ण में तरल की उपस्थिति को चेक करने के लिए ध्वनी और हवा के दबाव का उपयोग किया जाता है |
    • अगर आपका संक्रमण चिरकारी हो या स्थिति गंभीर हो तो ऑडियोलॉजिस्ट (audiologist) किसी भी प्रकार के बहरेपन का पता लगाने के लिए एक श्रवण परीक्षण या हियरिंग टेस्ट कर सकते हैं |
  3. जिद्दी या चिरकारी संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर द्वारा कान के परदे के अधिक नजदीकी परीक्षण के लिए तैयार रहें: अगर आप या आपका बच्चा कान की परेशानी के कारण थोड़ा बीमार हो जाये तो डॉक्टर आपके कान के परदे में छोटा सा छेद करके मध्यकर्ण से तरल का सैंपल ले सकते हैं | फिर डॉक्टर इस सैंपल को टेस्ट लगाने के लिए लैब में भेज देंगे | [१९]
  4. ध्यान रखें कि कई प्रकार के कान में होने वाले संक्रमण का इलाज़ आप घर पर कर सकते हैं: कई कर्ण संक्रमण बिना किसी इलाज़ के अपने आप ठीक हो जाते हैं | कुछ कर्ण संक्रमण कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं और अधिकतर कर्ण संक्रमण 1-2 सप्ताह के अंदर अपने आप ठीक हो जाते हैं, भले ही आप उनका उपचार न करें | अमेरिकन अकैडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स और अमेरिकन अकैडमी ऑफ़ फैमिली फिजिशियन “इंतज़ार करें और देखें” के दृष्टिकोण की सलाह निम्नलिखित दिशानिर्देशों के साथ देते हैं: [२०]
    • छह से 23 महीने के बच्चों में: इंतज़ार करें और देखें अगर बच्चे के एक तरफ के आंतरिक कर्ण में 48 घंटे से कम समय से हल्का दर्द हो और उसका तापमान 102.2 डिग्री फेरनहाइट (39 डिग्री सेल्सियस) से कम हो |
    • 24 महीने या उससे अधिक उम्र के बड़े बच्चों में: इंतज़ार करें और देखें अगर बच्चे के एक कान में आंतरिक कर्ण में हल्का सा दर्द हो और तापमान 102.2 डिग्री फेरनहाइट से कम हो |
    • 48 घटे गुज़र जाने पर डॉक्टर को दिखाना जरुरी हो जाता है | अधिकतर आपको या आपके बच्चे को एंटीबायोटिक्स देकर इलाज की शुरुआत की जाएगी जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके और दुर्लभ जीवन के लिए खतरे की सम्भावना को कम किया जा सके |
    • विरले ही, अधिक गंभीर जटिलताएं विकसित हो पाती हैं, जिनमे मेस्टोडिटिस (स्कल के आस-पास की हड्डियों में होने वाल संक्रमण), मैनिंजाइटिस, मस्तिष्क तक संक्रमण का फैलना या बहरापन शामिल है | [२१]
  5. कान में संक्रमण से पीड़ित बच्चे के साथ विमान में उड़ान भरने से पहले सावधानी रखें: कान के सक्रिय संक्रमण वाले बच्चों में बारोट्रॉमा (barotrauma) नामक पीड़ादायक स्थिति से ग्रसित होने की सम्भावना बहुत ज्यादा होती है जो तब अनुभव की जाती है जब मध्यकर्ण दबाव में बदलाव के लिए संतुलन बनता है | इस रिस्क को कम करने के लिए विमान के उड़ान भरते और उतरना शुरू करने के दौरान बच्चे को च्युइंगम चबाने दें | [२२]
    • अगर आपके साथ कान में संक्रमण से ग्रसित नवजात हो तो उसे विमान के उड़ान भरते समय और नीचे उतरते समय स्तनपान कराएँ जिससे मध्यकर्ण में दबाव के नियमन में मदद मिल सकती है |
विधि 3
विधि 3 का 6:

कान में संक्रमण से होने वाले दर्द का घर पर इलाज करें

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  1. अगर दर्द अपनेआप कम न हो या अगर और कोई लक्षण न हों तो इबुप्रोफेन (ibuprofen) या एसेटामिनोफेन (acetaminophen) ली जा सकती हैं | ये दवाएं आपके बच्चे के बुखार को भी कम करने में मदद कर सकती हैं और उसे बेहतर अनुभव करा सकती हैं |
    • कभी भी 18 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को एस्पिरिन (aspirin) न दें क्योंकि इसका सम्बन्ध रेयेस सिंड्रोम (reye’s syndrome) से होता है जिसके परिणामस्वरूप ब्रेन डैमेज और लिवर की परेशानियाँ हो सकती हैं | [२३]
    • बच्चों को जब भी दर्द निवारक दवाएं दें तब चाइल्ड-स्ट्रेंथ फार्मूलेशन (child-strength formulation) का उपयोग करें | पैकेज पर लिखे निर्देशों के अनुसार खुराक दें या पीडियाट्रिशियन से पूछें |
    • छह महीने से कम आयु के बच्चे को इबुप्रोफेन न दें |
  2. एक गर्म सेंक कान में संक्रमण के दर्द को कम करने में मदद करेगा | इसके लिए आप गर्म, गीले कपडे का उपयोग कर सकते हैं | [२४]
    • आप एक साफ़ ट्यूब जुर्राब को चावल या बीन्स से भरकर या जुर्राब के खुले सिरे को सिलकर बंद करके भी उपयोग कर सकते हैं | आशानुकूल तापमान मिलने तक इस जुर्राब को माइक्रोवेव में 30 सेकंड तक गर्म करें | अब इस सेंक को कान से लगायें | [२५]
    • एक बार में गर्म सेंक 15-20 मिनट तक लगायें | [२६]
  3. संक्रमण से उबरने के लिए आपके शरीर को आराम की ज़रूरत होती है | [२७] ध्यान रखें कि कान में संक्रमण होने पर खुद पर बहुत परिश्रम करने के लिए दबाव न डालें, विशेषरूप से अगर आपको बुखार भी हो तो |
    • अगर आपके बच्चे को कान में संक्रमण के साथ बुखार न हो तो शिशुरोगविशेषज्ञ बच्चे को स्कूल न जाने की सिफारिश नहीं करते | [२८] परन्तु, आपको अपने बच्चे की गतिविधियों को मॉनिटर करते रहना चाहिए जिससे आप सुनिश्चित कर सकें कि वह आवश्यकतानुसार आराम कर रहा/रही है या नहीं |
  4. विशेषरूप से, बुखार होने पर आपको अतिरिक्त तरल पदार्थ पीना चाहिए | [२९]
  5. अगर किसी भी प्रकार का दर्द न हो रहा हो तो सांस बंद करने की कुशलता (valsalva’s maneuver) को आजमायें: यह कान में संक्रमण के कारण बंद यूस्टेसियन ट्यूब को खोलने और “भराव” की अनुभूति से राहत दिलाने के लिए उपयोग की जा सकती है | अगर वर्तमान में आपको कान में किसी प्रकार का दर्द न हो तभी आप इसे कर सकते हैं | [३१]
    • गहरी सांस भरे और अपना मुंह बंद करें |
    • अपनी नाक को दबाकर बंद कर लें | अब, नाक को दबाए हुए ही धीरे-धीरे “झटकें (blow)” |
    • बहुत अधिक तेज़ी से न झटकें अन्यथा आपका कान का पर्दा फट सकता है | आपको अपने कान में “ध्वनि” को महसूस करना चाहिए |
  6. अपने कान में कुछ बूँद गर्म मुलिन (mullin) या लहसुन का तेल डालें: मुलिन और लहसुन प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स हैं और कान में संक्रमण के दर्द में राहत भी दे सकते हैं | प्रत्येक कान में गर्म (बहुत गर्म नहीं) तेल की 2-3 बूँद डालने के लिए एक ऑय ड्रॉपर का उपयोग करें | [३२]
    • बच्चों के कान में तेल डालने से पहले “हमेशा” शिशुरोग विशेषज्ञ से सलाह लें |
  7. एक अध्ययन के अनुसार, ओटिकोन ओटिक (otikon otic) सलूशन नाम की प्राकृतिक दवा कान में संक्रमण के कारण होने वाले कान के दर्द को कण करने में मददगार साबित हो सकती है | [३३]
    • इस दवा के उपयोग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें | शिशुरोग विशेषज्ञ की सलाह के बिना अपने बच्चे को कभी भी कोई वैकल्पिक उपचार न दें |
विधि 4
विधि 4 का 6:

स्थिति का आंकलन करें

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  1. अपना या अपने बच्चे का तापमान बार-बार चेक करें और अन्य लक्षणों पर नज़र रखें |
    • अगर बुखार आने लगे या आपको फ्लू जैसे लक्षण जैसे मितली या उल्टियाँ हों तो संभवतः इसका मतलब है कि संक्रमण और बिगड़ गया है और कान में संक्रमण के लिए घरेलू उपचार प्रभावी रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं |
    • जिन लक्षणों के दिखाई देने पर डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी होता है उनमे शामिल हैं, भ्रम, गर्दन में जकड़न और कान के आस-पास लालिमा, या दर्द और सूजन होना | ये लक्षण संकेत देते हैं कि संक्रमण और फ़ैल सकता है इसलिए तुरंत इलाज की ज़रूरत है |
  2. अगर कोई दर्द न होने पर अचानक आपके कान में तीव्र दर्द हो तो ध्यान दें: यह संकेत देगा कि आपके कान का पर्दा फट गया है | कान का पर्दा फटने से बहरापन हो सकता है | यह आपके कान को संक्रमण के प्रति और अधिक संवेदनशील बना सकता है और स्थिति को और गंभीर कर सकता है | [३४]
    • साथ ही, दर्द की अनुपस्थिति में भी कान से तरल बहकर बाहर आ सकता है |
    • हालाँकि, कान का पर्दा फटने पर दो सप्ताह के अंदर परदे के घाव भर जाते हैं, लेकिन कुछ परेशानियाँ रह जाती हैं जिनमे चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है | [३५]
  3. अगर आपके कान का दर्द 48 घटे में ठीक न हो तो डॉक्टर को बुलाएँ: हालाँकि, अधिकतर डॉक्टर 48 घंटों तक “इंतजार करें और देखें” के दृष्टिकोण को अपनाने की सिफारिश करते हैं, लेकिन अगर इस दौरान आप बदतर पीड़ा अनुभव करें तो डॉक्टर को बुलाएँ | डॉक्टर आपको और अधिक तीव्र उपचार और एंटीबायोटिक्स देंगे | [३६]
  4. अगर कान में 3 महीनों के बाद भी लगातार तरल का निर्माण होता रहे तो अपना या अपने बच्चे का श्रवण परीक्षण कराएं क्योंकि ऐसा होने पर विशेष प्रकार का बहरापन आ सकता है | [३७]
    • कभी-कभी कम समय के लिए होने वाला बहरापन भी देखा जाता है जो विशेषरूप से दो साल के बच्चों या उससे भी छोटे बच्चों के लिए चिंता का विषय है |
    • अगर आपका बच्चो दो साल से छोटा हो और उसमे तरल के निर्माण के साथ ही सुनने में भी परेशानी आने लगे तो आपके डॉक्टर इलाज़ शुरू करने के लिए तीन महीनों के समय का इंतज़ार नहीं कर सकते | इस उम्र में सुनने में परेशानी होने पर आपके बच्चे के बोलने की क्षमता प्रभावित हो सकती है और उससे अन्य विकास सम्बन्धी समस्याएं भी होने लगती हैं |
विधि 5
विधि 5 का 6:

एंटीबायोटिक्स और चिकित्सीय उपचार का उपयोग करें

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  1. एंटीबायोटिक्स लेने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर प्रिस्क्रिप्शन लें: वायरस के कारण कान में होने वाले संक्रमण में एंटीबायोटिक्स कोई मदद नहीं करेंगी इसलिए डॉक्टर कान में संक्रमण के लिए हमेशा एंटीबायोटिक्स नहीं लिखते | छह महीने से कम आयु वाले सभी बच्चों का इलाज़ एंटीबायोटिक्स के द्वारा किया जायेगा | [३८]
    • आपने आखिरी बार कौन सी और कब एंटीबायोटिक्स ली थीं, उसके बारे में अपने डॉक्टर को जरुर बताएं | इससे आपके डॉक्टर को आपके लिए सबसे अधिक प्रभावी दवाओं का चुनाव करने में मदद मिलेगी |
    • ध्यान रखें कि आप या आपका बच्चा सभी दवाएं समय पर लें जिससे संक्रमण वापस लौटकर न आ सके |
    • जब तक डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी दवाओं का पूरा कोर्स खत्म न हो तब तक बेहतर अनुभव करने पर भी एंटीबायोटिक्स लेना बंद न करें | पूरे कोर्स के खत्म होने के पहले ही एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देने से बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोध विकसित कर सकते हैं जिससे उपचार के लिए स्थिति और अधिक ख़राब हो जाती है | [३९]
  2. डॉक्टर से एअर ड्रॉप्स (ear drops) लिखने के बारे में पूछें: एअर ड्रॉप्स जैसे एंटीपायरिन-बेन्ज़ोकैन-ग्लिसरीन (ऑरोडेक्स) (antipyrine-benzocaine-glycerin (aurodex)) कान में संक्रमण के दर्द में राहत दे सकती है | डॉक्टर, कान के परदे के फट जाने पर एअर ड्रॉप्स नहीं लिखते | [४०]
    • बच्चे को एअर ड्रॉप्स देने के लिए, पहले एअर ड्राप सलूशन को अपने हाथों के बीच कुछ देर रखकर या गर्म पानी में बोतल को रखकर गर्म कर लें | [४१] अपने बच्चे के संक्रमित कान को अपनी ओर करके एक समतल सतह पर बच्चे को लिटायें | सिफारिश की गयी मात्रा का उपोग करें | अपने बच्चे के संक्रमित कान के साथ उसके सिर को लगभग 2 मिनट तक थोडा झुकाकर रखें |
    • चूँकि बेन्ज़ोकैन एक सुन्न करने वाला एजेंट है इसलिए बेहतर होगा कि आप इस एअर ड्राप का उपयोग करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की मदद लें | ड्रॉपर को अपने कान से स्पर्श न होने दें | [४२]
    • बेन्ज़ोकैन (benzocaine) के कारण थोड़ी खुजली या लालिमा हो सकती है | इसका सम्बन्ध आपके शरीर की ऑक्सीजन के लेवल को प्रभावित वाली बहुत ही विरल, लेकिन गंभीर समस्या से भी है | कभी भी इसकी सिफारिश की गयी मात्रा से अधिक मात्रा का उपयोग नहीं करना चाहिए और अपने बच्चे को इसका सही डोज़ देने के लिए शिशुरोग विशेषज्ञ से सलाह लें | [४३]
  3. अगर आपको कान में बार-बार संक्रमण होता हो तो डॉक्टर से एअर ट्यूब (ear tube) के बारे में पूछें: बार-बार होने वाली ओटिटिस मीडिया में मायरिंगोटॉमी (myringotomy) नामक प्रक्रिया की ज़रूरत हो सकती है | बार-बार संक्रमण होने का मतलब है कि छह महीनों में तीन बार संक्रमण होना या एक साल में चार बार संक्रमण होना जिसमे छह महीनों में कम से कम एक बार कान में संक्रमण हुआ हो | अगर कान में संक्रमण उपचार के बाद भी साफ़ न हो पाए तो यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए भी उचित होती है | [४४]
    • कान की नलिका की सर्जरी या मायरिंगोटॉमी (myringotomy) एक बहिरंग प्रक्रिया है | इसमें सर्जन एक छोटी सी ट्यूब को कान के परदे में प्रवेश कराते हैं जिससे कान के परदे के पीछे उपस्थित तरल आसानी से निकल आता है | ट्यूब को निकालने के बाद कान का पर्दा फिर से बंद हो जाता है | [४५]
  4. अपने डॉक्टर से सूजे हुए एडेनॉइड (adenoids) को निकालने के लिए एडेनॉइडेक्टॉमी (adenoidectomy) की संभावनाओं के बारे में चर्चा करें: अगर आपके एडेनॉइड (जो नासगुहा के पीछे उपस्थित ऊतक को समूह होते हैं) में लगातार सूजन बनी रहे तो उन्हें सर्जरी के द्वारा निकलवाने की ज़रूरत पड़ सकती है | [४६] [४७]
विधि 6
विधि 6 का 6:

कान में होने वाले संक्रमण से बचाव करें

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  1. कई गम्भीर प्रकार के बैक्टीरिया की स्ट्रेंस से होने वाले संक्रमणों को टीकाकरण के द्वारा रोका जा सकता है | मौसमी फ्लू का टीका और न्यूमोकोक्कल टीकाकरण कान में होने वाले संक्रमण को कम करने में संभवतः मदद करेंगे | [४८]
    • आपको और आपके परिवार के हर सदस्य को प्रतिवर्ष फ्लू का टीकाकरण कराना चाहिए | टीकाकरण आपको और आपके परिवार दोनों को संक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद करेगा | [४९]
    • विशेषज्ञ सिफारिश करते हैं कि बच्चों को पीसीवी13 न्यूमोकोक्कल कांजुगेट (PCV13 pneumococcal) टीकाकरण कराना चाहिए | इसके लिए अपने शिशुरोग विशेषज्ञ से सलाह लें | | [५०]
  2. अपने बच्चे के हाथ, खिलौने और खेलने की जगह को साफ़ रखें: बच्चे के हाथ, खिलौनों और खेलने की जगह को बार-बार धोएं जिससे संभावित संक्रमण को कम किया जा सके | [५१]
  3. बच्चे को शांत करने के लिए किसी भी चीज़ को देने से बचें: शांत करने वाली ये चीज़ें बैक्टीरिया के लिए वाहक का काम कर सकती हैं जिसके कारण कान में संक्रमण हो सकता है | [५२]
  4. स्तनपान की अपेक्षा बोतल से दूध पिलाने में दूध के टपकने की सम्भावना अधिक होती है जिससे बैक्टीरिया का संचरण बढ़ सकता है |
    • स्तनपान आपके बच्चे के प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत बनाता है जिससे वे संक्रमण से आसानी से लड़ सकते हैं | [५३]
    • अगर बोतल से दूध पिलाना ज़रूरी हो तो बच्चे को सीधा करके बिठाएं जिससे बच्चे के कान में दूध न जा पाए | [५४]
    • जब बच्चा झपकी ले रहा/रही हो या रात को गहरी नींद में सो रहा/रही हो तो उसे बोतल से दूध या अन्य कोई चीज़ कभी न दें | [५५]
  5. ऐसा कान में संक्रमण होने से बचने और सामान्य स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों के लिए करें |
  6. एंटीबायोटिक्स के लम्बे समय तक उपयोग किया जाने से उन दवाओं के प्रभाव के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेने के कारण कुछ विशेष बैक्टीरिया आपके या आपके बच्चे के शरीर में बचे रह सकते हैं | एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल तभी करें जब उन्हें आपके डॉक्टर के द्वारा लिखा गया हो या उनके अलावा कोई विकल्प न बचा हो | [५६]
  7. ये सुविधाएँ बैक्टीरिया और वायरस के सामान्य संचरण के कारण आपके बच्चे में कान के संक्रमण के विकसित होने की सम्भावना को 50 प्रतिशत तक बढ़ा देती हैं | [५७]
    • अगर आप अपने बच्चे को रोज़ डे केयर में भेजते हों तो उसे कुछ उपाय सिखाएं जिससे उसे कान में संक्रमण उत्पन्न करने वाले संक्रमणों जैसे जुकाम को फ़ैलाने से रोकने में मदद मिल सके | [५८]
    • बच्चे को सिखाएं कि वो खिलौनों या अपनी अंगुली को अपने मुंह में न डालें | वे अपने हाथ से अपना चेहरा छूने से बचे, विशेषरूप से म्यूकस मेम्ब्रेन वाले हिस्सों जैसे मुंह, आँखें और नाक को छूने से बचें | वे बाथरूम जाने के बाद और भोजन करने से पहले हाथ धोएं | [५९]
  8. विस्तृत वैरायटी में उपलब्ध फलों और सब्जियों, समग्र अनाज और लीन प्रोटीन का उपयोग करें जिससे आपके शरीर को स्वस्थ और मज़बूत बने रहने में मदद मिलेगी | कुछ शोध भी सुझाव देते हैं कि “अच्छे” बैक्टीरिया जैसे प्रोबायोटिक आपके शरीर को संक्रमण से सुरक्षा देने में मदद कर सकते हैं | [६०]
    • एसिडोफिलस (acidophilus) सामान्यतः प्रोबायोटिक्स की अध्ययन की हुई स्ट्रेन (strain) होती है | आप इसे दही से प्राप्त कर सकते हैं |

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  1. http://www.mckinley.illinois.edu/handouts/ear_infection/ear_infection_.htm
  2. http://www.mckinley.illinois.edu/handouts/ear_infection/ear_infection_.htm
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