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एक गहरी, लंबी साँस लें। आप जो कुछ भी कर रहे हैं, सब कुछ वहीं रोक दें, और खुद को शांत रखने के लिए एक बेहतर स्थान चुनें। अपने आप को किसी तनाव भरी परिस्थिति से बाहर निकाल लें। और अपना सारा ध्यान अपनी साँसों की लय पर केंद्रित कर लें। यह आप को आसानी से शांत कर सकेगा, अपने मन को शांति देने वाली चीज़ों पर अपना ध्यान केंद्रित करें: अपने मनपसंद गानों को सुनें या फिर नहाने चले जाएँ या फिर दौड़ लगाएँ। इन सब से ऊपर बस एक बात याद रखें, कि यह पल ज़्यादा देर तक नहीं रहने वाला। आप के मन की शांति कुछ ही समय में वापस आ जाएगी।

विधि 1
विधि 1 का 3:

जल्द शांत होने की कुछ सामान्य तकनीक का उपयोग करना

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  1. खुद को शांत रखने की तकनीक यह है, कि अपने आप को उन सारी चीज़ों से दूर कर लें, जो आप को दुखी कर रही है। इस समय आप जिस से भी बात कर रहे हैं, उस इंसान को यह बता दें, कि मुझे एक ब्रेक की ज़रूरत है। यदि आप किसी कंपनी में हैं, तो सभ्यता पूर्वक वहाँ से चले जाएँ। खुद को किसी ऐसी जगह पर ले कर जाएँ, जहाँ पर आप शांति का अनुभव कर सकें और अपना सारा ध्यान खुद को शांति पहुँचाने वाले विचारों पर लगाएँ।
  2. जब हम चिंतित, दुखी या गुस्से में रहते हैं, तो हमारा शरीर " वहां से भागें या झगड़ा करें" की परिस्थिति में पहुँच जाता है। हमारे सहानुभूति तंत्रिका तंत्र से हमारा शरीर एड्रेनालाईन (adrenaline) हॉर्मोन का उत्सर्जन होगा। ये हॉर्मोन आप के दिल की धड़कन और साँसों को तीव्र कर देगा, आप की मांसपेशियों में तनाव पैदा करेगा और रक्त वाहिकाओं को कस कर रख देगा। [१] खुद को तनाव में धकेलने वाली हर एक चीज़ से खुद को दूर कर दें और आप का शरीर किस तरह का अनुभव कर रहा है, उस पर ध्यान केंद्रित करें। यह आप को वर्तमान में बनाए रखने में मदद करेगा और "आटोमेटिक रिएक्टिविटी" को कम करेगा। [२]
    • "आटोमेटिक रिएक्टिविटी" तब होती है, जब आप का दिमाग़, किसी भी तरह के तनाव में उत्तेजना पूर्वक प्रतिक्रिया देना शुरू कर देते हैं। आप का दिमाग़ जब कभी भी तनाव में होता है, इसी तरह के उत्तेजनाओं को जन्म देता है। शोधों के मुताबिक, यदि आप का दिमाग़ इन सारे विचारों से दूर, असल में महसूस की जा रही भावनाओं पर केंद्रित रहेगा, तो यह कुछ अच्छी और नई आदतों को भी बना पाएगा। [३]
    • अपने अनुभवों का आंकलन ना करें, सिर्फ़ इन्हें स्वीकार करें। उदाहरण के लिए, यदि आप सच में किसी बात को लेकर गुस्से में हैं, तो आप का दिल तेज़ी से धड़कने लगेगा और आप का चेहरा एकदम गर्म और लाल हो जाएगा। इन सारे अनुभवों को स्वीकार कर लें, लेकिन इन्हें "सही" या "ग़लत" की तराजू में ना तौलें। [४]
  3. जब आप के शरीर का सहानुभूति तंत्रिका तंत्र, किसी तनाव के कारण सक्रिय होता है, तो पहली चीज़ आप को जिसे करने की ज़रूरत है, वह है, अच्छे से साँसें लेना। अपनी गहरी और लंबी साँसों पर ध्यान लगाने से आप को बहुत फायदे होंगे। यह आप के शरीर में ऑक्सीजन को रिस्टोर करेगी, आप के मस्तिष्क की तरंगों को नियंत्रित करेंगी और आप के रक्त में लैक्टेट (lactate) के स्तर को कम करेगी। ये सारी ही चीज़ें आप को शांति और आराम का अनुभव कराएँगी। [५] [६]
    • अपने डायाफ्राम से साँसें लें, ना कि अपनी छाती से। यदि आप अपने हाथों को अपने पेट पर रखते हैं, तो आप साँस लेते वक़्त अपने पेट के विस्तार और साँस छोड़ते वक़्त इस की सिकुड़न को महसूस कर पाएँगे।
    • सीधे होकर बैठें, खड़े हो जाएँ या अपनी छाती को खुला महसूस कराने के लिए पीठ के बल लेट जाएँ। जब आप झुके हुए होते हैं, तो साँस ले पाना आप के लिए इतना आसान नहीं होता। अपनी नाक के ज़रिए साँस अंदर खीचें और 10 तक गिनती गिनें। आप को अपने फेफड़े और पेट में विस्तार का अनुभव होगा। और इस के बाद धीरे-धीरे अपने मुँह या नाक से साँस को बाहर छोड़ दें। प्रत्येक मिनिट में कम से कम 6-10 गहरी साँस लेने का लक्ष्य रखें।
    • अपनी साँसों की लय पर ध्यान केंद्रित करें। खुद को किसी भी तरह से विचलित ना होने देने की कोशिश करें, फिर भले ही आप कितना ही दुःख क्यों ना महसूस कर रहे हों। यदि आप खुद को विचलित होता हुआ पाते हैं तो, चाहें तो अपनी साँसों को गिन सकते हैं, या फिर खुद को शांत रख सकने वाले शब्दों या वाक्यों पर ध्यान केंद्रित करें। [७]
    • जैसे कि, जब आप साँस अंदर खीचते हैं, तो एक खूबसूसरत प्रकाश की कल्पना करें, जो प्रेम और सच्चाई का प्रतीक है। ऐसा महसूस करें, जैसे यह आप के शरीर में प्रवेश कर रहा है। अब जब आप साँसों को बाहर छोड़ें, तो ऐसा सोचें कि अपना सारा तनाव बाहर छोड़ रहे हैं। इसे 3 या 4 बार दोहराएँ।
  4. जब कभी भी तनाव या भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है, तो आप के शरीर की मांसपेशियाँ सख़्त और तनाव में आ जाती हैं। आप शायद "बँधा हुआ सा महसूस करेंगे।" Progressive Muscle Relaxation, या PMR, आप के शरीर को तनावमुक्त करने में सहायता प्रदान करेगी। बस ज़रा सा अभ्यास कर के PMR आप के तनाव को बाहर निकालने में बहुत ही जल्दी बाहर निकल सकेगा। [८]
    • ऑनलाइन ऐसे बहुत सारे PMR रुटीन मौजूद हैं। MIT के पास 11 मिनिट की एक फ्री PMR ऑडियो क्लिप मौजूद है। [९]
    • एक बहुत ही शांत और अनुकूल जगह की तलाश करें। यहाँ पर बहुत ज़्यादा उजाला ना हो।
    • अच्छी तरह से लेट जाएँ या बैठ जाएँ। अपने चुस्त कपड़ों को ढीला कर लें।
    • मांसपेशियों के किसी एक समूह पर अपना सारा ध्यान लगाएँ। आप अपने पैर के अंगूठे से शुरू कर के ऊपर तक आ सकते हैं या फिर माथे से लेकर पैर तक भी जा सकते हैं।
    • इस समूह की सारी मांसपेशियों को जितना ज्यादा जोर से खींच सकें, खीचने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, यदि आप अपने सिर से शुरू करते हैं, तो अपनी आँखों को पूरी तरह से खोलने के लिए, अपनी आइब्रो को जितना ऊपर तक खींच सकें, खींचे। अपनी पलकों को भींचे। 5 सेकेंड के लिए इसे ऐसे ही रहे दें, फिर छोड़ दें।
    • इस के बाद अन्य मांसपेशी समूह की तरफ आगे बढ़ें और इन में तनाव उत्पन्न करें। उद्धरण के लिए अपनी होंठों को 5 सेकंड के लिए जोर से दबाएँ, फिर छोड़ दें। फिर इस के बाद 5 सेकंड तक जितनी बड़ी मुस्कान दे सकें, दें, और फिर छोड़ दें।
    • अन्य मांसपेशी समूह जैसे कि गले, गर्दन, कंधे, भुजाएँ, छाती, पेट, जंघें, पैर और अंगूठे के साथ आगे बढ़ें।
  5. यदि आप ऐसा कर सकें, तो ऐसी सारी बातों से अपना ध्यान भटका लें, जो आप को दुखी करतीं हैं। यदि आप अपना ध्यान दुख पहुँचाने वाले विचारों पर लगाएँगे, तो आप गहन चिंतन के चक्र में चलते जाएँगे, जहाँ पर आप एक ही बात को बार-बार सोचना शुरू कर देंगे। यह चिंतन चक्र, चिंता और परेशानी के लक्षणों को प्रोत्साहित करता है। [१०] खुद को विचलित करना एक दीर्घकालीन समाधान तो नहीं है, लेकिन यह आप के मन को कुछ समय के लिए समस्याओं से दूर ले जाने का अच्छा तरीका है। फिर बाद में आप इस साफ मन के साथ इस समस्या का सामना कर सकते हैं। [११]
    • किसी अच्छे दोस्त के साथ बातें करें। बातचीत करना भी, अपने मन को इस तरह के दर्द पहुँचाने वाले विचारों से दूर ले जाने में और अच्छा और शांत महसूस कराने में मदद करती है। चूहों पर किए गए अध्ययनों के मुताबिक, ऐसे चूहे जो ज़्यादातर एक -दूसरे के साथ रहते हैं, उन में अकेले रहने वाले चूहों की तुलना में कम तनाव देखने को मिला। [१२]
    • एक मजेदार मूवी या टीवी शो देखें। “मज़ाक” से आप के अंदर मौजूद दर्द में कमी आती है। अपने आप को किसी भी तरह के व्यंग्यात्मक टिप्पणियों से दूर रखें, क्योंकि ये आप को शांति देने की बजाय और भी गुस्सा दिलाते हैं। [१३]
    • कुछ शांतिप्रद संगीत सुनें। एक मिनिट में 70 बीट वाले गाने चुनें। कुछ पुराने गानों की तलाश करें। (आप चाहें तो क्लासिकल संगीत भी सुन सकते हैं।) आक्रामक संगीत ना सुनें, ये ना सिर्फ़ आप को आक्रामक बनाते हैं, बल्कि आप में और भी ज़्यादा क्रोध की भावना उत्पन्न करते हैं। [१४]
    • ऐसी तस्वीरें देखें, जो आप को खुशी दें। हम आम इंसान हर किसी चीज़ में कुछ ना कुछ ऐसा तो खोज ही लेते हैं -- जैसे बड़ी-बड़ी आँखों वाला एक बच्चा --- कुछ आकर्षक, जिसे बाद में सोच कर हमें हँसी आए। कुछ प्यारी-प्यारी बिल्लियों की तस्वीरें देखना भी आप को ख़ुशी का अहसास दिला सकता हैं। [१५]
    • किसी ऐसी जगह जाएँ, जहाँ पर आप एक कुत्ते की तरह अपने शरीर के सारे अंगों को हिला सकें, यह भी आप की काफ़ी मदद करता है, क्योंकि आप का मस्तिष्क इस समय आप के शरीर के अंगों को हिलाने में व्यस्त हो जाता है। [१६] [१७]
  6. ऐसा व्यवहार इस्तेमाल करें, जो आप को शांति पहुँचाए: इस तरह के व्यवहार आप के अंदर से जल्दी ही तनाव की भावना के अनुभव को दूर कर देते हैं। ये सिर्फ़ और सिर्फ़ आप को अनुकूल बनाने के लिए केंद्रित होते हैं। [१८] [१९]
    • गर्म पानी से नहाएँ या शॉवर लें। शोध के मुताबिक शरीर को आराम दने वाली चीज़ों का सीधा असर आप के मन पर भी होता है। [२०]
    • शांति के लिए उपयोगी तेलों, जैसे लैवेंडर और कैमोमाइल तेल का इस्तेमाल करें। [२१]
    • अपने पालतू जानवर के साथ खेलें। जानवरों के साथ खेलना आप के ब्लड प्रेशर को कम करने में सहायक होता है। [२२]
  7. हम इंसानो में स्पर्श से भी शांति महसूस करने की क्षमता होती है। करुणा से भरे स्पर्श से हमारे शरीर से ऑक्सैटोसिन निकलता है, जो हमारे मूड को परिवर्तित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। [२३] हालाँकि आप इसे किसी अच्छे मित्र से गले लगकर भी महसूस कर सकते हैं, आप अपने खुद के स्पर्श से भी खुद को शांत कर सकते हैं। [२४]
    • अपने हाथ को दिल पर रखें। अपने शरीर की गर्माहट और धड़कन को महसूस करें। धीरे-धीरे से और एक समान साँस लें। साँस खींचते वक़्त अपनी छाती के विस्तार को और साँस छोड़ते वक़्त सिकुड़न को महसूस करें।
    • खुद को गले लगाएँ। अपने हाथों को अपनी छाती पर से क्रॉस करें और हथेलियों को भुजा के ऊपरी हिस्से पर रखें। खुद को हल्का सा दबाएँ। अपने हाथों और भुजाओं के दबाव को महसूस करें।
    • अपने चेहरे को अपने हाथों से ढँक लें। आप पानी उंगलियों के माध्यम से अपनी अंकों के नीचे मौजूद मांसपेशियों को हल्का सा दबा सकते हैं। अपने हाथों से अपने सिर को सहलाएँ।
विधि 2
विधि 2 का 3:

शांति में सुधार लाना

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  1. हमारा शरीर और दिमाग़ दोनों ही किसी भी तरह से अलग-अलग नहीं हैं। एक क्या करता है, उस का प्रभाव दूसरे पर पड़ता है, और ऐसा ही आप के खानपान के साथ भी है। [२५]
    • कैफ़ीन की मात्रा लेना कम कर दें। कैफ़ीन एक उत्तेजक पदार्थ है। इसकी अधिकता आप के अंदर चिंता और परेशानी की भावना पैदा कर देती है। [२६]
    • प्रोटीन की अधिकता वाला भोजन करें। प्रोटीन आप के पेट को ज़्यादा और लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। लीन प्रोटीन, जैसे मछली या अंडे बहुत ही अच्छे होते हैं। [२७]
    • बहुत सारे फाइबर युक्त जटिल कार्बोहाइड्रेट्स आप के मस्तिष्क से सेरोटोनिन (serotonin) का प्रवाह करता है। होल ग्रेन ब्रेड और पास्ता, ब्राउन राइस, मसूर दाल, फल और सब्जियाँ, बहुत अच्छे विकल्प हैं। [२८]
    • प्रचुर मात्रा में मौजूद शुगर वाले भोजन और फास्ट फूड से दूर ही रहें। यह आप को और भी ज़्यादा दुखी और तनाव-युक्त कर सकते हैं। [२९]
    • अल्कोहल लेना कम कर दें। अल्कोहल को लोग खुद को शांत करने के लिए एक दवा मान कर लेते हैं, लेकिन यह आप को ज़्यादा समय तक तनाव से दूर नहीं रख पाती। यद्यपि इस के कारण आप में बेचैनी के लक्षण देखने को मिलते हैं। यह आप के सोने के समय को भी गड़बड़ कर देती है, जो भी आप को चिड़चिड़ा बनाता है। [३०]
  2. शारीरिक कसरत एनडॉर्फिन्स (endorphins) को मुक्त करती है, जो आप के शरीर में मौजूद “प्राकृतिक अच्छा महसूस कराने वाला” केमिकल है। [३१] [३२] इस प्रभाव को उत्पन्न करने के लिए आप को एक बॉडी बिल्डर बनने की ज़रूरत नहीं है। अध्ययनों के अनुसार, हर दिन की गई हल्की सी कसरत जैसे, पैदल चलना और गार्डनिंग करना, आप के अंदर आराम, खुशी और शांति की भावना उत्पन्न करने में मददगार साबित होती हैं। [३३]
  3. मेडिटेट करें : मेडिटेशन करने का अपना ही एक इतिहास है। वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक, मेडिटेशन आप के अंदर शांति और अच्छा महसूस करने की भावनाओं को उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। [३६] मेडिटेशन के बहुत सारे प्रकार मौजूद हैं, अध्ध्यनो के द्वारा सुझाया जाने वाला "माइंडफुलनेस (mindfulness)" मेडिटेशन जिन में से एक है। [३७]
    • आप को मेडिटेशन सीखने के लिए घर से बाहर तक जाने की ज़रूरत नहीं है। MIT पर बहुत सारे MP3 फाइल्स मौजूद हैं, जिन्हें आप घर बैठकर भी डाउनलोड कर सकते हैं। [३८] इस के साथ ही UCLA Mindful Awareness Research Center भी ऐसा ही करते हैं। [३९]
  4. आप को जो कुछ भी दुखी करता है, उस बारे में विचार करें: तनाव कब बढ़ जाता है, हमें पता भी नहीं चलता। अधिकांश परिस्थितियों में, कोई बहुत बड़ी चीज़ से आप को तनाव नहीं होता, तनाव तो बहुत ही छोटी-छोटी बातों के कारण होता है। [४०]
    • प्राथमिक और माध्यमिक भावनाओं के बीच में अंतर समझने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी मित्र से मूवी पर मिलने वाले थे और उस ने आप के सामने ऐसा कुछ भी नहीं दर्शाया, और आप फ़ौरन ही दुखी हो जाते हैं। तो यह आप की प्राथमिक भावना है। इस समय आप हताश, निराश या गुस्से को महसूस करेंगे। ये आप की माध्यमिक भावनाएँ होंगी। अपनी भावनाओं के स्त्रोत के बारे में पता होने से आप को यह समझने में आसानी होगी, कि आप क्यों इस तरह से महसूस कर रहे हैं। [४१]
    • ऐसा अक्सर होता है, कि आप एक समय पर एक से ज़्यादा बातों को महसूस करते हैं। हर एक भावना को छाँटने की कोशिश करें और हर एक अनुभव को एक नाम दें। एक बार आप इस अनुभव को एक नाम दे देते हैं, तो इन से निपटने में आप को मदद होगी। [४२]
    • लोगों के दुखी होने का एक कारण यह भी है, कि लोग अक्सर हर जगह अपने मन की करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि चीज़ें वैसी ही होनी चाहिए जैसा उन्होने सोच रखा है। खुद को हर वक़्त याद दिलाते रहें, कि आप हर एक चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकते -- और ना ही अपनी चाहतों पर नियंत्रण कर सकते हैं। [४३]
    • इन भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का आंकलन ना करें। इन्हें स्वीकार करें और समझने की कोशिश करें।
  5. जब भी संभव हो, परेशानी पहुँचाने वाले कारकों से बच कर रहें: बेशक यह तो असंभव ही है, कि आप कभी भी दुखी ना हों। कुछ अनचाही या समस्याप्रद बातें या परिस्थिति और अनुभव, हमारे जीवन का ही एक हिस्सा हैं। हालाँकि, यदि आप अपने जीवन से तनाव को दूर करना जानते हैं, तो इस से निपटना भी जानते होंगे। [४४]
    • आप चाहें, तो परेशान करने वाली इन परिस्थितियों को “चतुरता से मात दे” सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप हर रोज़ एक घंटे से ट्रेफिक में फँसते हैं -- ऐसा किस के साथ नहीं होता? -- तो आप अपने काम से थोडा जल्दी या थोडा सा देर से निकल सकते हैं, या फिर किसी दूसरे रास्ते को चुन सकते हैं।
    • इस के सुनहरे रूप को देखने कि कोशिश करें।अपनी इन दुखदायी परिस्थितियों को, सीखने के एक अनुभव के रूप में देखने से, आप को शांत रह सकने में मदद होगी। किसी भी परिस्थिति को, ऐसा हो जाता है, समझने के बजाय, इस से कुछ सीखने की कोशिश करें। [४५]
    • यदि लोग आप को दुखी कर रहे हैं, तो सोचें, ऐसा क्यों हो रहा है। उन का व्यवहार से आप को क्या परेशान कर रहा है? क्या आप भी उन्हीं के जैसे ही कुछ कर रहे हैं? लोगों की भावनाओं को समझने की कोशिश करें। याद रखें, हम सब इंसान हैं, और हम सभी के बुरे दिन भी आते हैं।
  6. यहाँ पर गुस्से के साथ ही अन्य किसी भी भावना के होने में स्वभाविक रूप से कुछ भी बेकार नहीं होता। [४६] कुछ बुरा होगा तो वह, ये कि आप इन्हें स्वीकार करने के बजाय अपने ही अंदर दबा के रख लें। [४७]
    • अपनी भावनाओं को स्वीकार करने का मतलब यह नहीं है, कि आप उदास रहना या अपने लिए कुछ बुरा महसूस करने लगें या फिर दूसरों पर अपना गुस्सा दिखाने लगें। इस के बजाय, अपने आप को एक इंसान की तरह स्वीकार करें और भावनाओं के स्तर को महसूस करना, इंसानों में पाई जाने वाली स्वाभाविक प्रवत्ति है। आप की ये भावनाएँ हर वक़्त जन्म लेंगी, और इन का आंकलन करने की ज़रूरत नहीं है। आप खुद अपनी इन भावनाओं के जिम्मेदार हैं। [४८]
    • एक बार आप अपनी भावनाओं को स्वीकार कर लें, तो इन पर प्रतिक्रिया देने के बारे में विचार करें। उदाहरण के लिए, यदि आप के काम और कड़ी मेहनत की सराहना नहीं की जाना या आप के प्रेमी का आप के साथ धोखा करना, इस पर आप को गुसा आना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। हालाँकि, यह आप के ऊपर निर्भर करता है, कि अपने गुस्से को दबा कर रखना है, या इसे उजागर करना है या फिर इस लेख में दी गई खुद को शांत रखने वाली और अपनी भावनाओं को सावधानी के साथ देखभाल करने वाली तकनीक का उपयोग करना है।
  7. ऐसे लोगों के साथ समय बिताएँ, जो आप को शांत करते हों: हम इंसान अक्सर दूसरे लोगों की भावनाओं को अपने ऊपर भी महसूस करना शुरू कर देते हैं। हम जिन लोगों के साथ रहते हैं, उन में मौजूद चिंता का स्तर, हम को भी प्रभावित करता है। तो ऐसे लोगों के साथ समय बिताने की कोशिश करें, जो शांत हों और देखिएगा आप भी शांत रहना शुरू कर देंगे। [४९]
    • ऐसे लोगों के साथ रहने की कोशिश करें, जो आप का साथ देते हैं। खुद को अलग समझ लेना और अपनी इन भावनाओं का आंकलन कर के आप को तनाव ही होगा।
  8. अक्सर ऐसा सोचते हैं कि जब तक हमें कुछ ज़्यादा ही समस्या हो रही हो, तभी किसी थेरेपिस्ट की सलाह लेनी चाहिए लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। एक थेरेपिस्ट आप की भावनाओं को स्वीकार करने और इन का सामना करने में आप की मदद कर सकता है। [५०]
    • बहुत सारे ऑर्गनाइज़ेशन आप के लिए थेरेपी के साथ-साथ काउन्सलिंग की सुविधा भी देते हैं। इस के लिए, किसी स्वास्थ्य केंद्र या हॉस्पिटल में संपर्क करें।
विधि 3
विधि 3 का 3:

दुखदायी परिस्थितियों को सम्भालना

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  1. खुद को किसी परिस्थिति में शांत बनाए रखने के लिए STOPP का प्रयोग करें। इस के लिए 5 आसान से चरण हैं: [५१]
    • रोकें (Stop) इन फ़ौरन आने वाली प्रतिक्रियाओं को। “खुद-ब-खुद आने वाले विचार,” हमारी, जीवन की आदी होने वाले विचारों से उत्पन्न होते हैं, लेकिन ये अक्सर हानिकारक होते हैं। आप जो कुछ भी कर रहे हैं, उसे वहीं रोक दें और प्रतिक्रिया देने से पहले इंतेज़ार करें।
    • साँस लें (Take) । इस लेख में दी गईं, गहरी साँसें लेने की तकनीक का इस्तेमाल करें। इस के बाद आप और भी अच्छे से सोच पाएँगे।
    • क्या चल रहा है, पर गौर करें (Observe) । आप क्या सोच रहे हैं, किस पर अपना ध्यान लगा रहे हैं, और अपने शरीर में किस तरह की भावनाएँ महसूस कर रहे हैं, ये सारे सवाल खुद से करें।
    • उस परिस्थिति से खुद को वापस खींच लें (Pull) । इस के आगे भी देखने का प्रयास करें। क्या आप के विचार उस तथ्य से संबंधित हैं? इस परिस्थिति को देखने का, क्या यहाँ पर और कोई रास्ता मौजूद है? इस परिस्थिति पर, मैं अनु लोगों से क्या प्रतिक्रिया चाहूँगा? यह सच में कितना महत्वपूर्ण है?
    • अभ्यास करें (Practice), जो आप के लिए काम करे। अपनी पहल का आप पर और अन्य लोगों पर क्या परिणाम पड़ेगा, इस बात को ध्यान में रखें। इस को संभालने का सब से उचित तरीका क्या है? जो सब से उपयोगी हो, उसे ही चुनें।
  2. यह हम लोगों में पाई जाने वाली एक आम विकृति है, "हर चीज़ को अपनाना", जिस में हम हर उस चीज़ के लिए खुद को ज़िम्मेदार ठहरा लेते हैं, जिन के लिए असल में हम ज़िम्मेदार होते भी नहीं हैं। क्योंकि हम अन्य लोगों को तो नियंत्रित नहीं कर सकते, इस तरह से हमारे अंदर गुस्से और कष्ट की भावना उत्पन्न होती है। हालाँकि हम अपनी प्रतिक्रियाओं को तो नियंत्रित कर ही सकते हैं। [५२]
    • उदाहरण के लिए, अपने किसी एक ऐसे सहकर्मी को सोचिए, जो अक्सर किसी ना किसी कारण से गुस्से में ही रहता है, और आप पर चिल्लाता है। यह एक उचित व्यवहार नहीं है। अब आप के पास में विकल्प मौजूद हैं: आप खुद-ब-खुद भी प्रतिक्रिया दे सकते हैं, या फिर आप चाहें तो खुद को कुछ भी सोचने से रोक सकते हैं।
    • एक खुद-ब-खुद वाली प्रतिक्रिया कुछ ऐसी हो सकती है "अभिषेक शायद सच में मुझ से गुस्सा है। मैने ऐसा क्या किया? मुझे यह बिल्कुल भी नहीं पसंद!” हालाँकि यह एक समझने योग्य बात है, कि यह सोचना आप के शांत होने में, किसी भी तरह से मदद नही करेगा।
    • एक बहुत ही मददगार प्रतिक्रिया कुछ इस तरह की होगी: “अभिषेक ने मुझ पर चिल्लाया। यह अज़ीब था, लेकिन मैं अकेला ही ऐसा व्यक्ति नहीं हूँ, जिस पर उस ने चिल्लाया। हो सकता है, कि वह अपने जीवन में किसी बात को लेकर परेशान हो, और यह उसी की प्रतिक्रिया हो। या फिर वह सिर्फ़ एक गुस्सैल व्यक्ति ही है। मुझे बिल्कुल नहीं लगता, कि मैने कुछ भी ग़लत किया है। उस का चिल्लाना उचित नहीं था, लेकिन यह मेरी समस्या नहीं है।” यह बातें आप के दुखी होने की तरफ इशारा तो करतीं हैं, लेकिन ये किसी भी तरह से आप पर हावी नहीं हो रहीं हैं।
    • ध्यान रखें, किसी बात की जवाबदारी उठाने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है, कि आप अपशब्दों को भी स्वीकार कर लें। यदि आप चाहें तो अभिषेक के इस बर्ताव के लिए, अपने बॉस से बात कर सकते हैं। हालाँकि, खुद को हर समय याद दिलाकर, कि आप किसी के बर्ताव को नियंत्रित नहीं कर सकते, आप बहुत ही जल्दी शांत होना सीख सकेंगे।
  3. अपनी इस चर्चा को दर्द पहुँचाने वाले विषय से हटाकर इस का विषय बदलने का प्रयास करें: किसी भी विषय को चर्चा का विषय बनाने से पहले, इस बात को समझने का प्रयास करें, कि आप जितना इस विषय को लेकर उत्सुक हैं, उतना ही सामने वाला व्यक्ति भी उत्सुक हो। यदि आप को लगता है, कि आप किसी विषय पर अच्छी तरह से चर्चा करने के लायक हैं, तो फिर ऐसा कर सकते हैं। यदि आप को लगता है, कि यह चर्चा सही दिशा में नहीं जा रही है, तो फिर इसे परिवर्तित करने का प्रयास करें। [५३]
    • विषय बदलने में आप को थोड़ा सा असहज महसूस तो ज़रूर होगा, लेकिन इस समय होने वाली इस ज़रा सी शर्म से ज़्यादा ज़रूरी खुद को तनाव से दूर रखना है। तो बिल्कुल, जैसे भी हो इस समय पर इस विषय को बदलने में ही आप की भलाई होगी। ऐसा कुछ भी बोलने से न घबराएं, कि "तुम्हें तो मालूम है, मुझे ये विषय बिलकुल भी पसंद नहीं। तो क्यों ना हम कल के क्रिकेट मैच के बारे में बात करें?" [५४]
    • यदि सामने वाला व्यक्ति निरंतर रूप से आप को कष्ट पहुँचाने वाले विषय पर बोलते जा रहा है, तो आप खुद ही उस चर्चा से बाहर निकल आएँ। आप चाहें तो किसी को कुछ बुरा बोले बिना भी, कुछ ऐसा बोलकर इस चर्चा से उठ सकते हैं : “मैं इस विषय से ज़रा सी घबराहट महसूस कर रहा हूँ। आप सभी लोग चर्चा जारी रखें , लेकिन मुझे अब रुकना होगा।”
    • यदि आप सच में इस परिस्थिति से नहीं निकल पा रहे हैं, तो आप मन ही मन भी खुद को इस से बाहर निकाल सकते हैं। खुद की किसी शांत जगह पर, होने की कल्पना करें। हाँ, लेकिन इसे जब कोई भी रास्ता ना बचा हो, तभी इस्तेमाल करें। क्योंकि इस तरह से आप लोगों की बातें ना सुनते हुए प्रतीत होने लगेंगे और यह अन्य लोगों को ज़रा सा परेशान भी कर सकता है। [५५]
  4. बहुत ज़्यादा नकारात्मक होना भी आप के सोचने, समझने, सीखने और याद रखने की क्षमता में समस्या उत्पन्न करते हैं। [५६] निरंतर रूप से नकारात्मक सोचना आप के दिमाग़ को इसी तरह से सोचना सिखा देता है। [५७] हालाँकि किसी काम में या स्कूल में होने वाली शिकायतों में भाग लेना अलग बात है, लेकिन इस में भी खुद से ज़रा सा हट के सोचें, अन्यथा आप खुद को उम्मीद से ज्यादा दुखी हो पाएँगे। [५८]
    • कोई समस्या तब और बढ़ जाती है, जब कोई आप से कुछ ऐसी शिकायत करता है, जिस से आप को भी बुरा महसूस हो। आप लगभग उसी तरह से दुखी हो सकते हैं, जैसे आप को कोई चोट लगी हो। हालाँकि आप को ऐसी किसी भी भावना को अपने अन्दर नहीं रखना चाहिए, जो आगे चल के आप को और भी ज्यादा दर्द पहुंचाये।
    • अन्य भावनाओं की ही तरह, शिकायत करना और नकारात्मक विचार मन में लाने की भावना भी एक-दूसरे के कारण जन्म ले लेती हैं। यहाँ तक किसी से भी 30 मिनिट तक की गई शिकायत भरी बातें, आप के अंदर कोर्टिसोल, एक तनाव के हॉर्मोन के स्तर को बढ़ा देते हैं, जो आप को शांति से सोच पाने तक के लायक नहीं छोड़ते। [५९]
    • इस के बजाय, इस परिस्थिति में उत्पादक रूप से सोचने की कोशिश करें। जब कोई बुरी परिस्थिति सामने आती है, तो हर कोई हताश महसूस करने लगता है। भावनाओं को कुछ समय के लिए खुद से दूर कर देना आप के लिए मददगार साबित होगा। हालाँकि, यह आप के लिए लंबे समय तक मददगार साबित होगी।

सलाह

  • किसी परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए बाथरूम जाने का बहाना बनाना सही रहेगा।
  • जब भी कुछ अच्छा होता है, तो इस पल को अपने मन में सहेज कर रखने की कोशिश करें। फिर जब कभी भी आप को तनाव महसूस हो, तो इन पलों को याद करने की कोशिश करें।
  • यदि आप को चाय पीना पसंद है, तो एक कप चाय पी लें। चाय में L-theanine होता है, जो आप के मन को अच्छा महसूस करने में मददगार साबित होता है। [६०] बस जब कभी भी आप को तनाव महसूस हो, तो कैफ़ीन लेने से बचें; कैफ़ीन बहुत ज़्यादा उत्तेजक होती है, और आप के अंदर और भी ज़्यादा दर्द को उत्पन्न कर देती है।

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सेक्स की अवधी बढ़ाएं (Kaise Sex ka Samay Badhaye)
अपने मन पर काबू पायें (Control Your Mind)
अल्ट्रासाउंड पिक्चर पढ़ें (Read an Ultrasound Picture)
किसी को अपनी आँखों से हिप्नोटाईज (सम्मोहित) करें (Hypnotize Kaise Kare, Kaise Kisi ko Apne Bas Me Kare)
काम वासना पर विजय पायें
वीर्य की मात्रा बढ़ाएँ (Sperm, Shukranu ki sankhya badhayen)
सेक्स के बारे में सोचना बंद करें (Stop Thinking About Sex)
उत्तेजित लिंग (इरेक्शन) को शांत करें
महिला कंडोम का इस्तेमाल करें
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