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जब 20 सप्ताह के गर्भकाल से पहले ही गर्भावस्था आगे बढ़ न पाए तो गर्भपात या मिसकैरेज हो जाता है | [१] मिसकैरेज बहुत कॉमन होते हैं और 25% स्वीकृत प्रेगनेंसी को प्रभावित करता है और इसमें शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है | आपको गर्भपात या मिसकैरेज हुआ है या नहीं, इसकी पहचान करने के लिए आपको कुछ रिस्क फैक्टर का आंकलन करना होगा और हेल्दी प्रेगनेंसी होने पर भी कुछ लक्षणों को मॉनिटर करते रहना होगा लेकिन, अगर आपको लगे कि मिसकैरेज होने की सम्भावना है, तो मेडिकल पुष्टिकरण कराना चाहिए | अगर आपको लगता है कि आपको मिसकैरेज हुआ है तो फिजिशियन की सलाह का फॉलो करें |

विधि 1
विधि 1 का 2:

मिसकैरेज के कारण और लक्षण

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  1. मिसकैरेज अधिकतर प्रेगनेंसी के शुरूआती सप्ताह में ही होता है | इसका कॉमन कारण है - क्रोमोसोमल अब्नोर्मिलिटी या क्रोमोसोम में असामन्यता और अधिकतर केसेस में इससे बचने के लिए माँ कुछ नहीं कर पाती | गर्भधारण के तेरहवें सप्ताह के बाद मिसकैरेज की रिस्क काफी कम हो जाती है क्योंकि तब तक, अधिकतर क्रोमोसोम अब्नोर्मिलिटी पहले ही प्रेगनेंसी ख़त्म करने का कारण बन चुकी होती हैं | निम्नलिखित फैक्टर्स के कारण भी मिसकैरेज होने की संभावना बढ़ जाती है: [2]
    • ज्यादा उम्र की महिलाओं को मिसकैरेज होने की संभावना ज्यादा होती है | जो महिलायें 35 से 45 साल से ज्यादा उम्र की होती हैं, उनमे मिसकैरेज के चांसेस 20 से 30% ज्यादा होते हैं और 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में 50% चांसेस होते हैं |
    • डायबिटीज या ल्यूप्स जैसी लम्बे समय से चली आ रही गंभीर बीमारियों को झेलने वाले महिलाओं को मिसकैरेज होने की संभावना ज्यादा होती है |
    • स्कार टिश्यू जैसी यूटेरस की असामान्यताओं के कारण मिसकैरेज हो सकता है |
    • स्मोकिंग, ड्रग्स और अल्कोहल के इस्तेमाल से मिसकैरेज हो सकता है |
    • बहुत ज्यादा या बहुत कम वज़न वाली महिलाओं को मिसकैरेज होने की रिस्क काफी ज्यादा होती है |
    • जिन महिलाओं को पहले ही एक से ज्यादा मिसकैरेज हो चुके हैं, वे भी हाई रिस्क में होती हैं |
  2. मिसकैरेज होने के संकेत के रूप में हैवी वेजाइनल ब्लीडिंग सबसे कॉमन चिन्ह है | इसके साथ ही क्रेम्प्स भी होते हैं जो पीरियड के समय होने वाले दर्द के समान होते हैं | [3] यह ब्लड ब्राउन या सुर्ख लाल रंग का होता है | [4]
    • हेल्दी प्रेगनेंसी में हलकी स्पॉटिंग और बल्कि मॉडरेट ब्लीडिंग भी हो सकती है | क्लॉटिंग के साथ हैवी ब्लीडिंग मिसकैरेज का संकेत दे सकती है | प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर को जरुर बताएं |
    • कुछ स्टडीज के अनुसार, 50 से 75% मिसकैरेज केमिकल प्रेगनेंसी के होते हैं | इसका मतलब है कि मिसकैरेज इम्प्लांटेशन के तुरंत बाद होते हैं | कई बार, महिला समझ ही नहीं पाती कि वो प्रेग्नेंट थी और ब्लीडिंग उसके नॉर्मल मासिक पीरियड की डेट पर ही होती है | यह ब्लीडिंग नॉर्मल से ज्यादा हो सकती है और क्रेम्पिंग काफी गंभीर हो सकती है |
  3. मिसकैरेज के लक्षणों में पिंक-वाइट वेजाइनल म्यूकस भी शामिल होता है जिसमे प्रेगनेंसी टिश्यू पाए जा सकते हैं | अगर डिस्चार्ज क्लॉट वाले टिश्यू जैसा दिखाई दे या थोडा सॉलिड दिखाई दे तो यह संकेत है कि मिसकैरेज होने वाला है या मिसकैरेज होना शुरू हो गया है इसलिए आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए |
    • कई प्रेग्नेंट महिलाओं को साफ़ या मिल्की वेजाइनल डिस्चार्ज भी होता है जिसे ल्यूकोरिया (leukorrhea) कहा जाता है | [5] अगर आपको इस टाइप के हाई लेवल के डिस्चार्ज हों तो सतर्क होने की कोई जरूरत नहीं हैं |
    • आप वेजाइनल डिस्चार्ज के लिए यूरिन के स्पॉट को भी गलती से चेक कर लेते हैं | हेल्दी प्रेगनेंसी में मूत्र असंयम (urinary incontinence) होना आम बात है |
  4. हर प्रेगनेंसी के साथ कई तरह के दर्द भी होते हैं | मिसकैरेज के दौरान, दर्द आमतौर पर कमर के निचले हिस्से में होता है और यह माइल्ड से सीवियर हो सकता है | अगर आपको कमर के निचले हिस्से में दर्द हो तो तुरन्त डॉक्टर को दिखाएँ | [6]
    • कई बार पेट, पेल्विक एरिया और पीठ में होने वाले तेज़ दर्द या क्रेम्प्स वास्तव में बढ़ते हुए भ्रूण को शरीर में समायोजित करने के लिए होने वाले एडजस्टमेंट के कारण होते हैं | अगर दर्द बहुत तेज़ हो और लगातार होता रहे और विशेषरूप से ब्लीडिंग भी हो रही हो तो मिसकैरेज हो सकता है |
    • अगर आपको मिसकैरेज होगा तो संभव है कि "वास्तविक संकुचन" अनुभव हों | ये संकुचन हर 15 से 20 मिनट में होते हैं और कई बार बहुत पीड़ादायक होते हैं | [7]
  5. प्रेगनेंसी होते ही कई अलग-अलग तरह के लक्षण दिखाई देते हैं और ये सभी आपके सिस्टम में हार्मोन लेवल बढ़ जाने के कारण होते हैं | अगर आपको ये लक्षण कम होते हुए नज़र आयें तो यह मिसकैरेज और हार्मोन लेवल का वापस अपनी प्री-प्रेगनेंसी स्टेट में आने का संकेत हो सकता है |
    • अगर आपको मिसकैरेज हो चुका है तो आपको मोर्निंग सिकनेस, ब्रैस्ट में सूजन और टेंडरनेस कम अनुभव होगी और आपको प्रेगनेंसी फील नहीं होगी | हेल्दी प्रेगनेंसी में, इस तरह के लक्षण 13 सप्ताह के बाद अपने आप ही ख़त्म हो जाते हैं और इस समय मिसकैरेज होने की रिस्क भी कम होती है |
    • लक्षणों की बारंबारता और गंभीरता हर प्रेगनेंसी के अलग-अलग होती है | 13 सप्ताह से पहले ही अचानक बदलाव होना, डॉक्टर को बुलाने का संकेत दे सकता है |
  6. मिसकैरेज का स्पष्ट रूप से पता लगाने के लिए डॉक्टर की क्लिनिक या अपने एरिया के किसी हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम या लेबर रूम जाएँ | बल्कि, अगर आपको ऊपर बताये सभी लक्षण अनुभव हो रहे हों तो भी भ्रूण के जिन्दा रहने के चांसेस हो सकते हैं जो मिसकैरेज के टाइप पर निर्भर करता है |
    • प्रेगनेंसी के दिन गुजरने के आधार पर फिजिशियन ब्लड टेस्ट करायेंगे और पेल्विक एग्जाम या अल्ट्रासाउंड कराकर प्रेगनेंसी की जीवन क्षमता चेक करेंगे |
    • अगर प्रेगनेंसी की शुरुआत में आपको हैवी ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर आपको तब तक आपको अपनी क्लिनिक नहीं बुलाएँगे जब तक आप खुद वहां न जाना चाहें |I
विधि 2
विधि 2 का 2:

मिसकैरेज का इलाज़ कराये

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  1. मिसकैरेज हर महिला के शरीर को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है | कुछ केसेस में, शरीर से सभी प्रेगनेंसी टिश्यू जल्दी बाहर निकल जाते हैं जबकि दूसरे केसेस में, यह प्रक्रिया लम्बी और थोड़ी ज्यादा मुश्किल हो सकती है | यहाँ अलग-अलग तरह के मिसकैरेज और शरीर पर उनके प्रभावों के बारे में बताया जा रहा है:
    • थ्रेटेन्ड मिस्केरेज: इसमें सर्विक्स बंद रहती है | इसमें संभव है कि ब्लीडिंग और मिसकैरेज के दूसरे लक्षण बंद हो जाएँ और प्रेगनेंसी नॉर्मल की तरह आगे बढ़ जाए | [8]
    • अपरिहार्य (inevitable) मिस्केरेज: इसमें हैवी ब्लीडिंग होती है और सर्विक्स खुल जाती है | इस पॉइंट पर प्रेगनेंसी जारी रहने की कोई संभावना नहीं बचेगी |
    • अपूर्ण (incomplete) मिस्केरेज: इसमें कुछ प्रेगनेंसी टिश्यू शरीर से बाहर निकल जाते हैं लेकिन कुछ अंदर ही रह जाते हैं | कई बार बचे हुए टिश्यू को बाहर निकालने के लिए प्रोसीजर की जरुरी होते हैं |
    • पूर्ण (कम्पलीट) मिस्केरेज: इसमें सभी प्रेगनेंसी टिश्यू शरीर से बाहर निकल जाते हैं |
    • मिस्ड एबॉर्शन: इसमें प्रेगनेंसी ख़त्म हो जाने पर भी टिश्यू शरीर के अंदर बने रहते हैं | कई बार ये अपने आप बाहर निकल जाते हैं लेकिन कई बार इन्हें निकालने के लिए ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है | [9]
    • एक्टोपिक प्रेगनेंसी: यह तकनीकी रूप से मिसकैरेज का प्रकार नहीं है लेकिन एक अलग तरह की गर्भ क्षति है | इसमें अंडा यूटेरस में इम्प्लांट होने की बजाय फेलोपियन ट्यूब या ओवरी में इम्प्लांट हो जाता है जहाँ यह ग्रो नहीं कर पाता |
  2. अगर ब्लीडिंग अपने आप बंद हो जाए तो फिजिशियन को कॉल करें: अगर आपको हैवी ब्लीडिंग हो रही हो जो धीरे-धीरे बंद हो जाए और यह ब्लीडिंग भी प्रेगनेंसी की शुरूआती दौर में हो तो आपको हॉस्पिटल नहीं जाना पड़ेगा | [10] कई महिलाएं अतिरिक्त रूप से हॉस्पिटल नहीं जाना चाहतीं और घर पर ही आराम करना चाहती हैं | ऐसा तभी किया जा सकता है जब ब्लीडिंग दस दिन से दो सप्ताह में बंद हो जाए |
    • अगर आपको क्रेम्प्स या दूसरे दर्द हो रहे हों तो डॉक्टर आपको बता सकते हैं कि मिसकैरेज के दौरान आप खुद को कैसे कम्फ़र्टेबल फील कर सकती हैं |
    • अगर आप अपने मिसकैरेज की जानकारी कन्फर्म करना चाहते हैं तो एक अल्ट्रासाउंड कराएं | [11]
  3. अगर आपको हैवी ब्लीडिंग हो रही हो और मिसकैरेज के और भी लक्षण दिखाई दें लेकिन आप यह तय नहीं कर पा रही हों कि मिसकैरेज पूरा हो गया है या नहीं तो फिजिशियन को दिखाएँ | वे नीचे दी गयी स्ट्रेटेजीज में से किसी एक का इस्तेमाल कर सकते हैं:
    • एक्स्पेक्टेंट मैनेजमेंट: आपको इन्तजार करना होगा और देखा होगा कि अंततः बचे हुए टिश्यू निकल गये हैं या नहीं और ब्लीडिंग अपने आप बंद हो गयी है या नहीं |
    • मेडिकल मैनेजमेंट: बचे हुए टिश्यू को शरीर से बाहर निकालने के लिए मेडिकेशन दिए जाते हैं | ऐसा हॉस्पिटल में कम समय के लिए भर्ती होकर कराया जा सकता है लेकिन इसके कारण होने वाली ब्लीडिंग तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है |
    • सर्जिकल मैनेजमेंट: डायलेशन और क्यूरेटेज को D&C के नाम से जाना जाता है जो बचे हुए टिश्यू को शरीर से बाहर निकालने के लिए की जाती है | आमतौर पर जो लोग मेडिकल मैनेजमेंट विधि का इस्तेमाल करते हैं, उनकी ब्लीडिंग ज्यादा जल्दी बंद हो जाती है | [12] मेडिकेशन से ब्लीडिंग कम हो सकती है |
  4. अगर आपके डॉक्टर न कहा हो कि ब्लीडिंग धीमी होते-होते बंद हो जाएँगी लेकिन फिर भी बाद तक आपकी ब्लीडिंग लगातार होती रहे तो तुरंत इलाज़ कराना जरुरी होता है | अगर आपको बुखार या कंपकपी जैसे कोई दूसरे लक्षण भी दिखाई दें तो तुरंत हॉस्पिटल जाकर डॉक्टर को दिखाएँ |
  5. किसी भी स्टेज पर गर्भपात होने पर बहुत बड़ा भावनात्मक आघात पहुँचता है | अपनी क्षति पर दुःख होना स्वाभाविक है लेकिन इसके लिए काउन्सलिंग कराने से काफी मदद मिल सकती है | अपने डॉक्टर से दुःख परामर्श `के लिए रेफर करने को कहें या अपने एरिया के किसी अच्छे थेरापिस्ट के पास जाएँ |L
    • ऐसा कोई निश्चित समय नहीं होता जिसके बाद आप बेहतर फील करने लगें | यह हर महिला के लिए अलग-अलग होता है | अपना दुःख भुलाने में आपको जितना समय लगे, खुद को उतना समय दें |
    • जब आप फिर से माँ बनने के लिए तैयार हों तो अपने डॉक्टर से बात करके हाई-रिस्क प्रेगनेंसी के स्पेशलाइज्ड डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लें | यह केवल उन महिलाओं के लिए जरुरी है जिनके दो या उससे ज्यादा मिसकैरेज हुए हों |

सलाह

  • अधिकतर केसेस में, सन्निकट मिसकैरेज को रोका नही जा सकता और माँ की हेल्थ और लाइफ स्टाइल केलिए भी कुछ नहीं किया जा सकता | प्रेग्नेंट महिला को प्रीनेटल विटामिन लेना चाहिए और ड्रग्स, तम्बाकू और अल्कोहल से बचना चाहिए लेकिन जो महिलाएं हेल्दी प्रेगनेंसी मेन्टेन करने के लिए मेहनत करती हैं, वे भी अपने मिसकैरेज को बचा नहीं पाती |

चेतावनी

  • अगर आपकी प्रेगनेंसी के 20 सप्ताह गुजर गये हैं और आपको हैवी ब्लीडिंग या क्रेम्पिंग अनुभव हो तो तुरंत हॉस्पिटल जाएँ | इस तारीख के बाद टर्मिनेट होने वाली प्रेगनेंसी स्टिलबर्थ (मृतजन्म) कहलाती है |

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