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क्या आप अक्सर दूसरे लोगों के मन में आपके बारे चल रहे विचार की कल्पना करते हुए परेशान हुआ करते हैं, या फिर आप अक्सर आगे जाकर आपके साथ क्या होने वाला है, को लेकर डर में रहते हैं? अगर ऐसा है, तो इसका मतलब कि शायद आप एक तरह के पागलपन का सामना कर रहे हैं। हालाँकि कुछ तरह के पागलपन के लिए मेडिकल हैल्प लेना ही जरूरी होता है, लेकिन कुछ लोग अपने अंदर उमड़ने वाले इस तरह के पागलपन के विचारों को अपनी ही कुछ स्व-सहायता तकनीकों के जरिये कंट्रोल या पूरी तरह से खुद से दूर कर लेते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने विचारों को काबू करना (Taking Control of Your Thoughts)

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  1. [१] आपके अंदर इस तरह से पागल की तरह विचार आने की एक वजह ये भी है, कि आप किसी भी स्थिति में संभव परिणामों के बारे में वास्तविक सोच रखने की बजाय, उसके सबसे बुरे परिणाम की कल्पना करने लग जाते हैं। आप ऐसा सोच सकते हैं, कि सारे लोग बस आपके बारे में ही बातें कर रहे हैं, जैसे कि आपका नया हेयरकट किसी को पसंद नहीं आया, या फिर आपके नए बॉस आपसे खुश नहीं हैं। ज़्यादातर संभावना तो यही है, कि इनमें से कोई भी बात सच नहीं है। अब अगली बार जब भी आपके मन में ऐसी निराशाजनक सोच जन्म लेती है, तब आप उसे रोकें और ऐसा करें:
    • इस बात की क्या गारंटी, कि आपके मन में चलने वाली निराशाजनक सोच सच ही होने वाली है।
    • आप जब सबसे बुरे की उम्मीद करते हैं, तब उस परिस्थिति में मिल सकने वाले सिर्फ नेगेटिव विचारों को नहीं, बल्कि सारे संभावित परिणामों के ऊपर विचार करें। फिर आप भी देखेंगे, कि लगभग हर स्थिति के लिए कई तरह की संभावनाएं मौजूद हैं।
    • आपके मन में चलने वाली हर एक निराशाजनक सोच के सामने दो वास्तविक सोच रखकर देखें। उदाहरण के लिए, अगर आपको लग रहा है, कि हर कोई आपके शूज को देखकर हँस रहा है, तो ऐसा सोचकर देखें, कि 1) ऐसा हो ही नहीं सकता, कि एक जोड़ी जूते, किसी को सारा दिन हँसा सकें, 2) ऐसा हो सकता है, कि ऑफिस के लोगों के पास में एक नया मजेदार कैट मीम (meme) आया है, जो धीरे-धीरे आगे बढ़ता जा रहा है।
  2. पागलपन महसूस करने का मतलब सिर्फ ये सोचना नहीं, कि हर कोई आपके खिलाफ है या सब लोग बस आपके ही पीछे पड़े हैं, बल्कि इसका मतलब ये भी है, कि आप इसके बारे में लगातार विचार करते रहते हैं। आप जितना ज्यादा उसी नेगेटिव चीज़ के ऊपर विचार करते रहेंगे, आप खुद को उतना ज्यादा पागलपन के विचारों में ढ़ालते जाएंगे, और आप उतना ज्यादा ही उनके सही होने की संभावना पर भरोसा करते जाएंगे। हालाँकि, किसी भी विचार को पूरी तरह से अपने आप पर हावी करना बंद कर पाना संभव नहीं है, लेकिन यहाँ पर ऐसी कुछ ट्रिक्स दी गई हैं, जिनकी मदद से आप अपने ऐसे जुनून भरे विचारों को कम जरूर कर सकते हैं:
    • अपने लिए खास रूप से "चिंतन करने का वक़्त" निकालें: इस वक़्त में बैठकर अपने पागलपन भरे विचारों के ऊपर चिंतन करें, उनकी समीक्षा करें और उन्हें कम करने की कोशिश करें। अब अगर दिन में किसी भी वक़्त पर आपके मन में किसी भी तरह की चिंता आती है, तो उसे वहीं पर रोक दें और उसे अपने इस "चिंतन करने के वक़्त" के लिए छोड़ दें। [२]
    • अपने ऐसे पागलों जैसे विचारों की निगरानी करने के लिए अपने पास में एक जर्नल (डायरी) तैयार रखें। इसे हर हफ्ते में पढ़ें। ये न सिर्फ आपको आपके मन में मौजूद पागलपन संबंधी फीलिंग्स को और भी हैल्दी फीलिंग में बदलने में मदद करेगी, बल्कि आप जब इसे दोबारा पढ़ेंगे, तो आपको खुद ही ऐसा महसूस होगा, कि आपने अपने मन में आने वाले किसी दिन के लिए जिन भी पागलपन के डर को इसमें लिखकर रखा है, वो तो असल में कुछ भी नहीं हैं। आपको खुद ही समझ आएगा, कि आप तो किसी डेट पर किसी चीज़ के होने का डर लेकर बैठे थे। जब वो डेट गुजरी, तो आपके द्वारा सोचा हुआ, कुछ तो हुआ ही नहीं, फिर आप भी ये समझने लग जाएंगे, कि असल में आपके ज़्यादातर पागलपन भरे भरोसों के पूरे होने की तो कोई गारंटी ही नहीं है। [३]
  3. आपके पास में ऐसा कोई इंसान होना, जिसके साथ में आप अपने मन में आने वाले पागलपन भरे विचारों को बाँट सकें, ये आपको आपकी सारी चिंताएँ बाहर निकालने में और एक अलग और नया नजरिया पाने में मदद करेगा। इसके साथ ही आपके अपने डर के ऊपर बात करते हुए आपको खुद ही अहसास होगा, कि ये तो बिल्कुल ही तर्कहीन हैं। [४]
    • आप अगर आपके फ्रेंड से कहते हैं, कि आपका फ्रेंड ग्रुप आप से सच में नफरत करता है, ऐसे में आपका फ्रेंड आपके सामने कुछ ऐसे तर्कसंगत और ठोस उदाहरण दे सकेगा, जो आपको गलत साबित कर सकते हैं।
    • बस सुनिश्चित करें कि इसके लिए आप अपने किसी सबसे ज्यादा समझदार और ज्यादा तर्कसंगत फ्रेंड्स को ही चुन रहे हैं। आपको किसी ऐसे फ्रेंड को नहीं चुनना है, जो आपको आपके इस पागलपन भरे व्यवहार के लिए प्रोत्साहित करे और आपको और ज्यादा बुरा फील कराए।
  4. [५] पागल होने से बचने का एक और तरीका ये है कि आप खुद को इस तरह के विचारों के लिए बहुत समय न दें और न ही बैठे-बैठे इस बारे में सोचते रहें कि हर कोई आपके बारे में क्या सोच रहा है। हालांकि बिजी रहने की वजह से आपकी परेशानियाँ आपका पीछा नहीं छोड़ेंगी, लेकिन ये आपके मन को और आपकी एनर्जी को किसी और ज्यादा पॉज़िटिव परिणाम, जैसे कि, अपनी रुचियों को पूरा करना, या अपने खुद के पर्सनल लक्ष्यों को पाने में लगा देगा।
    • आप अगर अपनी पसंद की किसी चीज़, जैसे कि योगा करना या कोइन्स (सिक्के जोड़ना) कलेक्ट करना को पूरा करने के लिए हफ्ते के कुछ घंटे तक भी काम करते हैं, गारंटी है, कि आप खुद को आपके पागलपन के विचारों में कम उलझा हुआ पाएंगे।
  5. ये कोशिश आपको बहुत मदद करने वाली है। आप अगर खुद को उन लोगों की जगह पर रखकर देखेंगे, जिनको लेकर आप इतना परेशान हो रहे हैं, इससे आपको ये बात समझने में मदद मिलेगी, कि आपके ज्यादातर डर तो निराधार हैं। एक आसान से उदाहरण के लिए, मान लीजिये, कि आप किसी पार्टी में जाते हैं और खुद से कहते हैं, कि "पार्टी में मिलने वाला हर एक इंसान समझ जाएगा, कि मैंने आज भी वही ड्रेस पहनी है, जो तीन हफ्ते पहले हुई पार्टी में पहनी थी।" ऐसे में, एक बार खुद से पूछकर देखें, कि क्या आपको याद है, कि तीन हफ्ते पहले हुई पार्टी में किसने कौन-सी ड्रेस पहनी थी; आपको उनकी पहनी हुई ड्रेस के बारे में कुछ भी याद होने की संभावना बहुत कम है।
    • अपने आप से पूछें कि इस बात की क्या गारंटी कि आप जिन लोगों के मन में आपके बारे में चल रहे विचारों को लेकर चिंतित हैं, वो सच में ही आपके बारे में वही सोच रहे हैं, जो आपने सोचा है। क्या आप भी उन लोगों के बारे में अपनी नापसंद के बारे में सोचने में घंटों बिताते हैं? शायद नहीं।
  6. देखें, कि आपका ये पागलपन कहीं चिंता में निहित तो नहीं: अगर आपको किसी तरह की चिंता है, तो आप इस चिंता से और अपने मन में हर वक़्त कुछ बुरा होने के ख्याल से बहुत परेशान हो सकते हैं। चिंता आपके मन में इस तरह के पागलपन भरे विचारों को ला सकती है, हालाँकि ये दोनों ही स्थितियाँ एक-दूसरे से एकदम अलग हैं। चिंता आपके मन में ऐसे ख्याल पैदा कर सकती है, कि आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं; इसके विपरीत, पागलपन की वजह से आपके मन में ऐसा ख्याल आता है, कि आपके डॉक्टर ने जानबूझकर आपको पागल बना दिया है। [६]
  7. आपके फ्रेंड्स आपके बारे में क्या सोचते हैं, इसके बारे में कभी-कभी चिंता करने और इसे अपने ऊपर हावी होने देने के बीच में काफी अंतर होता है। इसके साथ ही आपके मन में आ रहे विचारों को निराधार समझना और हर कोई आपको दर्द देने चाहता है, इस तरह के विचारों को गंभीरता से सोचने के बीच में काफी अंतर होता है। अगर आपको लगता है, कि आपके पागलपन भरे विचार आपके ऊपर हावी होते जा रहे हैं और आपको सोशल बनने और अपनी मर्जी से जीने से रोक रहे हैं, तो फिर अपनी इस स्थिति के लिए किसी सायकोलोजिस्ट से या अन्य किसी मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल से मदद लेने का फैसला करें। [८]
विधि 2
विधि 2 का 3:

लोगों के सामने पागलपन करने से बचें (Getting Rid of Paranoia When Socializing)

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  1. दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, इसके ऊपर ध्यान देना कम करें: [९] आप अगर दूसरों के मन में आपके लिए चलने वाले विचारों की चिंता किए बिना, लोगों से बात करना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले आपको अपने मन से ये ख्याल बाहर निकालना होगा, कि कौन आपके बारे में क्या सोचता है। बेशक, ये बोलने में जितना आसान है, उतना इसे करना नहीं, लेकिन जैसे ही आप अपने ऊपर भरोसा करना शुरू करते हैं और दूसरों के साथ कम्फ़र्टेबल होना शुरू करते हैं, फिर आप देखेंगे, कि आपके आसपास मौजूद छोटी-छोटी बातें या आपके द्वारा पहने हुए कपड़े असल में किसी के लिए मायने ही नहीं रखते।
    • ज़रा कम संकोची बनने की कोशिश करें: संकोची लोग अक्सर ही दूसरों के अनुभवों को लेकर चिंतित हो जाया करते हैं, जो कि एक ऐसी बात है, जिस पर किसी का वश नहीं चलता। [१०] इस बात को पहचानें, कि कोई आपके बारे में क्या सोचता है, ये बात कोई मायने नहीं रखती, वो आपके बारे में जो चाहें, वो सोच सकते हैं। कभी-कभी लोग हमारे बारे में वही बात बोल जाते हैं, जो हम खुद भी सोच रहे होते हैं। इस तरह की परिस्थिति में, किसी की राय सच नहीं बन जाती। इस तरह की राय को अपने से दूर करने की कोशिश करें और जब भी कोई आपके बारे में इस तरह के पर्सनल कमेंट्स करे, तो इसके लिए अपने आप को दोषी ठहराने की कोशिश न करें।
    • बिना शर्त खुद को स्वीकार करने की कोशिश करें। [११] इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कैसे कपड़े पहने हैं या फिर आपके बाल चिपके हुए हैं, आप अभी भी एक इंसान ही हैं। हर एक इंसान में कोई न कोई कमी जरूर होती है। आपके अंदर मौजूद नेचुरल गुणों को और निखारें और ऐसे सोचना बंद कर दें, कि आपके अलावा बाकी सारे लोग परफेक्ट हैं। आप एक रियलिटी चेक करना चाहेंगे? खुद को इस बात का अहसास दिलाने के लिए, कि इंसान गलतियाँ करते हैं, यूट्यूब पर जाएँ और वहाँ मौजूद अजीब-अजीब वीडियो देखें - और इस तरह की गलतियाँ कभी-कभी आपको हँसा भी देंगी।
  2. ऐसे पागलपन भरे विचारों वाले ज़्यादातर लोग ऐसा सोचते हैं, कि उन्हें कोई पसंद ही नहीं करता या वो अपना ज्यादा वक़्त सिर्फ अकेले में ही बिताने लगते हैं, या फिर आप बाहर निकलने की बजाय सिर्फ घर पर रहना पसंद करते हैं। अगर आपने कभी खुद को खुलकर बाहर नहीं निकाला है, तो फिर आप बाहर निकलने के पॉज़िटिव पहलुओं को अनुभव न कर पाने की वजह से, इसके बारे में हमेशा कुछ बुरा ही सोचेंगे। हफ्ते में कई बार या कम से कम दो बार अक्सर अपने घर से बाहर निकलने और बाहरी दुनिया में मौजूद लोगों से बातें करने का लक्ष्य बनाएँ। [१२]
    • आप जितना ज्यादा बार बाहर निकलकर लोगों से घुलेंगे-मिलेंगे, आप आपके आसपास मौजूद लोगों के साथ में उतना ही ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करने लगेंगे और फिर ऐसा बहुत कम होगा, जब आपको ऐसा लगे, कि वो लोग आपको पसंद नहीं करते हैं।
  3. आपके फ्रेंड्स के ग्रुप के साथ में बात करने के बाद या फिर आपकी कॉलोनी में मौजूद आपके पड़ोसी से बात करने के बाद या फिर आपके पास में मौजूद किराने की दुकान पर मिले किसी इंसान से बात करने के बाद, आपको दुनिया में मौजूद लोगों के बारे में कुछ न कुछ अच्छाई जरूर मिल जाएगी। हर दिन या हफ्ते के आखिर में, आपको मिलने वाले लोगों के साथ होने वाली अच्छी बातों को, उनके द्वारा आपको फील कराए सारे पॉज़िटिव अहसासों को और उन सारी वजहों को लिख लें, जिसकी वजह से आपको आपकी लाइफ में कुछ पॉज़िटिव असर देखने को मिला है। [१३]
    • आप जब भी पागलों की तरह फील करें, तब आपके द्वारा तैयार की हुई इस लिस्ट को देख लें। खुद को वो सभी कारण याद दिलाते हुए, कि दूसरों पर आपको इतना ज्यादा भरोसा क्यों रखना चाहिए, आप अपने पागलपन भरे विचारों को कम कर सकते हैं।
  4. ऐसा भी हो सकता है, कि आप किसी इंसान की तरफ से मिलने वाली रचनात्मक आलोचनाओं और आप में सुधार करने की कुछ सलाह को सुनकर ऐसा सोचने लग जाएँ, कि वो आपको पसंद नहीं करता। अगर आपके टीचर आपको किसी टेस्ट में कम नंबर देते हैं, तो ऐसा सोचने की बजाय, कि आपको उन्होने कम नंबर इसलिए दिये हैं, क्योंकि वो आपको पसंद नहीं करते, एक बार फीडबैक पढ़ें और उसमें मौजूद किसी तर्कसंगत बात को देखने की कोशिश करें।
    • कोई अगर आपको एकदम दिल दुखाने वाली समीक्षा देता है, तो याद रखें, कि ये पूरी तरह से आप पर है, कि आप उसे किस तरह स्वीकार करते हैं। आप या तो उसके लिए हफ्तों तक रो सकते हैं, या उसे अपने दिल में दबाकर रख सकते हैं, या फिर आप इसे अपने आपको और बेहतर बनाने के अवसर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। उस बुरी आलोचना को लिखकर रख लें और उसकी वैधता पर विचार करें। अगर आपको कहीं से भी उस बुरी आलोचना के सच होने की संभावना नजर आती है, तो फिर आपको सच में ये विचार करने की जरूरत है, कि क्या आप इस पहलू में बदलाव करना चाहते हैं या फिर आप जैसे हैं, अभी भी वैसे ही रहना चाहते हैं।
  5. दुनिया में मतलबी लोग भी हैं, इस बात को स्वीकार कर लें: जरूरी नहीं, कि आप जिससे भी मिलें या बात करें, वो आपको पसंद ही करे या आपके साथ में अच्छा बर्ताव करे। लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं निकलता, कि आपको उनके सामने ही नहीं आना चाहिए था! असल में खुद को इस सच्चाई के साथ अवगत रखना, कि दुनिया में मतलबी, लापरवाह या चोट पहुंचाने वाले लोग मौजूद हैं, इसकी वजह से आप आपकी लाइफ में मौजूद अच्छे लोगों को और भी ज्यादा मानने लग जाएंगे। अगर कोई इंसान बिना किसी वजह, आपके साथ अजीब सा व्यवहार करता है, तो ऐसे में आपको ये बात स्वीकार करना सीखना है, कि ये उस इंसान के अपने किसी डर या पर्सनल लाइफ की परेशानियों का एक परिणाम है, न कि आपके किए किसी काम का परिणाम।
    • अपने आपको बस एक बात याद दिलाते रहें, कि इस दुनिया को इन सभी लोगों ने मिलकर बनाया है। हर एक इंसान आपका बेस्ट फ्रेंड नहीं बनेगा, लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं, कि हर कोई आपका दुश्मन बनने को ही तैयार बैठा है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

पागलपन भरे बर्ताव के स्थितिगत उदाहरणों पर काबू पाना (Overcoming Situational Examples of Paranoia)

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  1. अगर आपको लगता है, कि आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है, तो उसके सामने आपकी बात रखें: आप अगर इस बात को लेकर चिंता में हैं, कि आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है - खासकर तब, जबकि आपको अपने द्वारा डेट किए हुए सारे लोगों को लेकर भी इसी तरह की चिंता हुआ करती थी - तो, संभावना तो यही है, कि आपकी चिंताएँ, पागलपन में तब्दील हो गई हैं। एक बार खुद से सवाल करके देखें, कि आपके पास में इसकी संभावना से जुड़ा कोई सबूत भी है या फिर ये सिर्फ आपके मन का वहम मात्र है। [१४]
    • एकदम खुलकर अपने पार्टनर के साथ इस बारे में बात करें। उसे बताएँ, कि आपको मालूम है, कि आप वेवजह ही ऐसा फील कर रहे हैं और आप इनसे निपटने में उनकी तरफ से मदद की उम्मीद कर रहे हैं।
    • आपके पार्टनर पर आपसे धोखा करने का इल्ज़ाम न लगाएँ, और न ही उसके आसपास न होते वक़्त, हर पल बस इसी तलाश में न लगे रहें, कि वो कहीं आपके साथ धोखा तो नहीं कर रहा। इससे आपके पार्टनर को ऐसा फील होगा, कि आपको उनके साथ आपके रिश्ते में भरोसा ही नहीं है।
    • अपनी खुद की पहचान बनाए रखें। आप अगर आपके साथ डेट कर रहे इंसान को लेकर एकदम जुनूनी बन जाते हैं या आप उस पर बहुत ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं, तो ऐसे में क्योंकि आप पूरी तरह से उस इंसान के भरोसे पर निर्भर हो जाते हैं, इसलिए आपके पागलपन करने की और ज्यादा संभावना बन जाती है। अपने रोमांटिक रिश्ते के अलावा, अन्य रिश्तों को भी बनाकर रखें।
  2. खुद से सवाल करें, कि आपका फ्रेंड सच में आपके ही बारे में बात कर रहा है: पहले खुद से सवाल करें, कि जब आपके फ्रेंड्स ग्रुप में से कोई एक इंसान गायब रहता है, तब आप और आपके फ्रेंड क्या बातें किया करते हैं - क्या आप लोग मिलकर सारा वक़्त बस उस इंसान की बुराई ही बातें करते रहते हैं? आप अगर किसी ऐसे मतलबी फ्रेंड्स या लोगों की बुराई करने वाले फ्रेंड्स ग्रुप का हिस्सा नहीं हैं, तो इसका जवाब नहीं होगा। अपने आप से पूछें कि इस बात की कितनी संभावना है कि लोग आपके जाते ही, आपके पीठ पीछे, आपके बारे में बात करते हैं।
    • क्या आपके फ्रेंड आपको बात करने बुलाते हैं? आपको टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं? आपकी तारीफ करते हैं? आपसे सलाह मांगते हैं? अगर ऐसा है, तो फिर आपको क्यों ऐसा लगता है, कि वो आपको पूरी तरह से नापसंद करते हैं?
  3. [१५] जॉब में लोगों के मन में आने वाले पागलपन के विचारों में, उन्हें नौकरी से निकाले जाने का डर, या उनके बॉस उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करते, जैसे डर शामिल है। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो एक बार खुद से पूछें, कि आपके पास में इस बात का कोई सबूत है, कि आपकी जॉब खतरे में है। क्या आप एकदम टाइम पर ऑफिस पहुँच जाते हैं? वक़्त पर सारा काम करते हैं? बेहतर प्रदर्शन करते हैं? अगर ऐसा ही है, तो फिर आपको नौकरी से क्यों निकाला जाएगा? अगर आपके सामने इस तरह के खतरे से जुड़े कोई संकेत ही नहीं आ रहे हैं और न ही आपके साथ करने वाले लोगों को जॉब से निकाला जा रहा है, तो इससे तो बस एक ही संभावना बनती है, कि आपकी चिंता बस आपके मन का वहम मात्र है।
    • खुद को अच्छा महसूस कराने के लिए, आपके द्वारा ऑफिस में किए अच्छे कामों की एक लिस्ट बना लें।
    • आपके बॉस की तरफ से मिले सारे पॉज़िटिव फीडबैक या तारीफ़ों की एक लिस्ट बना लें। अब आप को मिली हर एक नेगेटिव बात को लिख लें। अब आप देखेंगे, कि आपके पास में नेगेटिव से ज्यादा पॉज़िटिव बातें होंगी और ये सब मिलकर आपको पॉज़िटिव दिशा में काम करने योग्य बना देंगे।
  4. एक बात ध्यान में रखें, कि हर आता-जाता इंसान, बस आपको ही नहीं देखता है: अहंकार से प्रेरित होना भी एक तरह से पागलपन का ही एक प्रकार है। [१६] आप ऐसा सोच सकते हैं, कि किसी कमरे में जाते ही या किसी पार्टी में कदम रखते ही, सबकी निगाहें बस आप पर टिक गई, वो आप पर हँस रहे हैं, या आपके पीठ पीछे आपका मज़ाक उड़ा रहे हैं। अब एक बार खुद से ये सवाल करें, कि ऐसा कितनी बार हुआ है, कि किसी जगह पर आने वाले इंसान को देखकर आपने भी कुछ ऐसा ही किया है; बिल्कुल दूसरे लोगों की तरह ही, इसकी संभावना भी है, आप इस बात से बहुत चिंतित हैं कि आप कैसे दिखते हैं और दूसरे लोग आपको, इतना ज्यादा ध्यान क्यों दे रहे हैं।

सलाह

  • जरा रुक जाएँ। हर वक़्त बस ऐसा सोचते रहना, कि हर कोई आपको परेशान करने की कोशिश कर रहा है, और सारी दुनिया आपकी दुश्मन है, ये आपके लिए काफी खतरनाक हो सकता है और इस तरह की चिंताओं के ऊपर विचार करते रहने की वजह से वो स्थिति आपके लिए और ज्यादा दर्दनाक बन सकती है। इसमें कोई बुराई नहीं है। आप अपनी तरफ से कोशिश जारी रखें।
  • खुद पर भरोसा करें, आप हर वो काम कर सकते हैं, जिसे आप करना चाहते हैं। ऐसी छोटी-छोटी बातों की वजह से आपके लक्ष्य को पूरा करने से न रुक जाएँ।
  • ज़्यादातर लोग अक्सर ही बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं और सारी बातें अपने पर लेने लग जाते हैं, खासकर जब बात पागलपन की हो रही हो, तब उन्हें कुछ होश ही नहीं रहता, और वो ढंग से सो भी नहीं पाते। [१७] गुड नाइट स्लीप (लगभग 8 से 9 घंटे की नींद) लें, और आप और ज्यादा बेहतर फील करने लगेंगे। कभी-कभी डरने में कोई बुराई नहीं, लेकिन हमेशा बस डरते ही रहना, कहाँ तक सही है।
  • आपके बारे में जितनी भी अच्छी और अद्भुत बातें मौजूद हैं, उसके बारे में सोचने के लिए कुछ वक़्त लें। अगर आपको ऐसा लगता है, कि लोग आपकी आलोचना कर रहे हैं, लेकिन आप इसे लेकर कन्फ़्यूजन में हैं, तो एक बार शांति से खुद से बोलें, कि: "मैं जैसा भी हूँ, मैं एकदम बेस्ट हूँ।" और जरा सा मुस्कुरा लें।
  • गहरी साँसें लें। अंदर, बाहर, अंदर, बाहर। ऐसा करने से आपके दिमाग को शांत रखने लायक ऑक्सीज़न पहुँचती है।

चेतावनी

  • ऐसे पागलपन को कुछ महीनों तक नज़रअंदाज़ करते रहने का मतलब, कि ये परमानेंट होने वाला है, इसलिए ऐसा न होने दें। इसका अकेले या किसी ऐसे मतलबी फ्रेंड के साथ मिलकर सामना न करें, जिसे मालूम ही नहीं, कि आखिर करना क्या है।
  • अगर आप लगातार कुछ एक या दो महीने से ऐसा पागलपन महसूस कर रहे हैं, तो ये आपके प्रतिक्रिया देने की काबिलियत को खराब कर सकता है, ऐसे में आपको फौरन किसी सायकोलोजिस्ट या सायकैट्रिस्ट से मिलने की सलाह दी जाती है।

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