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प्रोलेक्टिन (Prolactin) एक ऐसा हॉर्मोन है जो ग्रोथ को स्टीमुलेट और मेटाबोलिज्म को रेगुलेट करने वाली पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा बनता है | महिला और पुरुष दोनों में ही ये हॉर्मोन बनता है और अगर इस हॉर्मोन का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो सेक्स ड्राइव कम होना और अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स बंद होने जैसी परेशानियाँ पैदा हो सकती हैं | [१] X विश्वसनीय स्त्रोत National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases स्त्रोत (source) पर जायें कई चीज़ों के कारण प्रोलेक्टिन लेवल बढ़ सकता है जिनमे कुछ डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवाएं, बिनाइन ट्यूमर (benign tumors) और हाइपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism) शामिल हैं इसलिए डॉक्टर से डायग्नोसिस कराना बहुत जरुरी होता है |
चरण
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प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन चेक करें: कुछ प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन के कारण आपका प्रोलेक्टिन लेवल बढ़ सकता है | अगर आप भी ऐसी कोई दवा ले रहे हैं तो वो हाई प्रोलेक्टिन लेवल का कारण बन सकती है | [२] X विश्वसनीय स्त्रोत National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases स्त्रोत (source) पर जायें
- डोपामिन एक ऐसा ब्रेन केमिकल है जो प्रोलेक्टिन के स्त्राव को ब्लॉक कर देता है | जब आप ऐसी दवाएं ले रहे होते हैं जो आपके डोपामिन लेवल को कम या ब्लॉक करती हैं तो उनसे प्रोलेक्टिन लेवल बढ़ सकता है |
- कुछ एंटीसायकोटिक मेडिकेशन जैसे रिस्पेरिडोन (risperidone), मोलिन्डॉन (molindone), ट्राइफ्लुओपेराज़िन (trifluoperazine) और हेलोपेरिडोल (haloperidol) और कुछ एंटी डिप्रेशेंट दवाएं भी यह इफ़ेक्ट पैदा कर सकती हैं | मेटोक्लोप्रमाइड (metoclopramide) जो सीवियर मितली और एसिड रिफ्लक्स के लिए दी जाती है, भी प्रोलेक्टिन के स्त्राव को बढ़ा सकती है |
- हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में दी जाने वाली कुछ मेडिकेशन को भी प्रोलेक्टिन बढाने का दोषी माना जाता है लेकिन इन मेडिकेशन से ऐसा बहुत कम होता है जिनमे रेसेर्पिन (reserpine), वेरापमिल (verapamil) और अल्फा-मिथाइलडोपा शामिल हैं |
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इस मेडिकेशन को बंद करने या बदलने के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें: आपको अचानक मेडिकेशन लेना बंद नही करना चाहिए, विशेषरूप से एंटीसायकोटिक मेडिकेशन को क्योंकि इससे सीवियर विथड्राल इफेक्ट्स हो सकते हैं | इसीलिए अगर आप इनमे से कोई मेडिकेशन बंद करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें |
- वे आपको इन मेडिकेशन को बदलकर दूसरी दे सकते हैं जिनसे ये इफेक्ट्स न हों |
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एंटीसायकोटिक मेडिकेशन के रूप में अरिपिप्रजोल (aripiprazole) के इस्तेमाल के बारे में डॉक्टर से पूछें: इस मेडिकेशन को दूसरी एंटीसायकोटिक मेडिसिन की जगह पर या दूसरी एंटीसायकोटिक मेडिसिन के साथ अतिरिक्त रूप से लेने पर प्रोलेक्टिन कम होते देखा गया है | अगर संभव हो कि आप भी ये मेडिसिन ले सकें तो डॉक्टर से पूछें | [३] X विश्वसनीय स्त्रोत Science Direct स्त्रोत (source) पर जायें
- एंटीसायकोटिक दवाओं में प्रोलेक्टिन को बढाने की क्षमता होती है क्योंकि इनसे डोपामिन निकलना बंद हो जाता है जिसके कारण पिट्यूटरी ग्लैंड से प्रोलेक्टिन निकलने लगता है | लम्बे समय तक लिए जाने वाले एंटीसायकोटिक ट्रीटमेंट से आपमें टॉलरेंस डेवलप हो सकता है जिससे आपका प्रोलेक्टिन लेवल वापस नॉर्मल हो जाता है लेकिन आमतौर पर ये नार्मल लेवल से ज्यादा ही बना रहता है | [४] X रिसर्च सोर्स
- इस दवा के कारण चक्कर, घबराहट, सिरदर्द, पेटदर्द, वज़न बढ़ना और जॉइंट्स में दर्द जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं | इससे आपको अपने पैर गंदे भी महसूस हो सकते हैं | [५] X विश्वसनीय स्त्रोत MedlinePlus स्त्रोत (source) पर जायें
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प्रोलेक्टिन लेवल को चेक कराने के लिए ब्लड टेस्ट कराएं: अगर आपको लगता है की आपका प्रोलेक्टिन लेवल बहुत ज्यादा हाई है तो डॉक्टर के पास जाकर चेक कराएं | इसका पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है कि ब्लड टेस्ट कराएं | डॉक्टर आपका खाली पेट ब्लड टेस्ट करा सकते हैं जिसका मतलब है कि टेस्ट कराने के 8 घंटे पहले से आपको कुछ खाना-पीना नहीं है | [६] X विश्वसनीय स्त्रोत MedlinePlus स्त्रोत (source) पर जायें
- अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई देंगे तो डॉक्टर इस टेस्ट को करवाने की सलाह दे सकते हैं: अनियमित पीरियड्स या पीरियड न होना, इनफर्टिलिटी, इरेक्शन प्रॉब्लम, लो सेक्स ड्राइव और स्तनवृद्धि (breast engorgement) |
- नॉन-प्रेग्नेंट महिला के लिए नॉर्मल लेवल 5 से 40 नेनोग्राम प्रति डेसी लीटर (106 से 850 मिली इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर) होता है और प्रेग्नेंट महिला के लिए नॉर्मल लेवल 80 से 400 नेनोग्राम प्रति डेसीलीटर (1700 से 8500 मिली इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर) होता है |
- पुरुषों के लिए नॉर्मल लेवल 20 नेनोग्राम प्रति डेसीलीटर (425 मिली इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर) होता है |
- हाई प्रोलेक्टिन का कारण बनने वाले दूसरे कारण जैसे किडनी डिजीज या दूसरी समस्याओं का पता लगाने के लिए डॉक्टर दूसरे ब्लड टेस्ट भी करा सकते हैं |
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अगर आपको हाल ही में चेस्ट इंजरी हुई हो तो डॉक्टर को बताएं: छाती पर चोट लगने से प्रोलेक्टिन लेवल अस्थायी रूप से बढ़ सकता है इसलिए अगर पिछले कुछ सप्ताह में आपके सीने में कोई चोट लगी हो तो डॉक्टर को बताएं | सीने पर हाइव्स (hives) या शिन्ग्लेस (shingles) होने पर भी ये लक्षण देखे जा सकते हैं | [७] X विश्वसनीय स्त्रोत MedlinePlus स्त्रोत (source) पर जायें
- आमतौर पर, प्रोलेक्टिन लेवल चेस्ट इंजरी के बाद अपने आप कम होने लगेगा |
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हाइपोथायराइडिज्म के टेस्ट कराएं: हाइपोथायराइडिज्म एक ऐसी कंडीशन है जिसमे थाइरोइड ग्लैंड पर्याप्त थाइरोइड हॉर्मोन प्रोड्यूस नहीं करती है | अगर आपको भी यह परेशानी हो तो इसके कारण भी प्रोलेक्टिन लेवल बढ़ सकता है | इस कंडीशन को डायग्नोज़ करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देंगे | [८] X विश्वसनीय स्त्रोत National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases स्त्रोत (source) पर जायें
- अगर डॉक्टर को लगता है कि प्रोलेक्टिन लेवल हाई है तो वे इस कंडीशन को चेक करेंगे लेकिन पूछने में कोई बुराई नहीं है |
- यह कंडीशन आमतौर पर लिवोथाइरॉक्सिन (levothyroxine) जैसी मेडिकेशन से ठीक की जा सकती है |
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डॉक्टर से पूछें कि क्या आपके लिए विटामिन B6 लेना उचित है: विटामिन का एक सिंगल डोज़ ही प्रोलेक्टिन लेवल को कम करने में लिए काफी होता है, विशेषरूप से अगर प्रोलेक्टिन अस्थायी रूप से बढ़ा हो तो | लेकिन इसे IV या IM लेना बेहतर होता है इसलिए डॉक्टर से सलाह लें | [९] X रिसर्च सोर्स
- इसका साधारण डोज़ 300 मिलीग्राम होता है | मेडिकल स्टाफ या तो इस मेडिकेशन को बड़े मसल्स (जैसे जांघ या नितम्ब में) इंजेक्ट करेंगे या इसे इंजेक्ट करने के लिए नीडल को शिरा के अंदर डालेंगे |
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प्रतिदिन 5 ग्राम अश्वगंधा पाउडर लें: इस सप्लीमेंट को विथानिया सोम्नीफेरा (विथानिया somnifera) के नाम से भी जाना जाता है और यह प्रोलेक्टिन लेवल को कम करने में मदद कर सकता है | बल्कि, यह महिलाओं और पुरुषों में मेल फर्टिलिटी और सेक्स ड्राइव को भी बढाता है | [१०] X विश्वसनीय स्त्रोत PubMed Central स्त्रोत (source) पर जायें
- कोई भी सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें |
- इसे लेने पर आपको मितली, पेटदर्द या सिरदर्द हो सकता है | [११] X रिसर्च सोर्स
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अपने डेली सप्लीमेंट में 300 ग्राम विटामिन E भी शामिल करें: अपना विटामिन E बढाने से प्रोलेक्टिन लेवल को कम किया जा सकता है, विशेषरूप से अगर प्रोलेक्टिन बहुत हाई हो तो | इसके कारण पिट्यूटरी ग्लैंड से बहुत ज्यादा प्रोलेक्टिन रिलीज़ होना बंद हो जाता है | [१२] X विश्वसनीय स्त्रोत PubMed Central स्त्रोत (source) पर जायें
- अगर आप किडनी डिजीज या हीमोडायलिसिस (Hemodialysis) जैसी किसी कंडीशन से जूझ रहे हों तो कोई भी सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें |
- विटामिन E से कोई ख़ास साइड इफ़ेक्ट नहीं होते | लेकिन, इसके हाई डोज़ लेने पर आपको पेटदर्द, थकान, कमजोरी, रेशेज़, सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, यूरिन में क्रिएटिनिन बढ़ना और गोनेडल (टेस्टिकल) डिसफंक्शन हो सकते हैं | [१३] X विश्वसनीय स्त्रोत Mayo Clinic स्त्रोत (source) पर जायें
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सप्लीमेंट के रूप में जिंक का इन्टेक बढ़ाएं: जिंक सप्लीमेंट भी प्रोलेक्टिन लेवल कम करने में मदद कर सकता है | प्रतिदिन 25 मिलीग्राम लेने के साथ शुरुआत करें और जरूरत पढने पर इसे बढाते हुए 40 मिलीग्राम प्रतिदिन तक लें | अगर आपको डोज़ बढाने की जरूरत महसूस हो तो पहले प्रोलेक्टिन लेवल फिर से चेक करा ले | [१४] X विश्वसनीय स्त्रोत PubMed Central स्त्रोत (source) पर जायें
- जिंक जैसे सप्लीमेंट के सही डोज़ के बारे में डॉक्टर से जानकारी लें |
- इसके साइड इफेक्ट्स में सिरदर्द, अजीर्ण, मितली, डायरिया और उल्टियाँ हो सकती है |
- अगर आप 40 मिलीग्राम प्रतिदिन से ज्यादा समय तक ये सप्लीमेंट लेते हैं तो आपको कॉपर डेफिशियेंसी हो सकती है | इसे इंट्रानेसल वैरायटी (नाक के द्वारा लेना) में लेने से बचें क्योंकि इसके कारण सूंघने की शक्ति ख़त्म हो सकती है | [१५] X विश्वसनीय स्त्रोत Mayo Clinic स्त्रोत (source) पर जायें
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7 से 8 घंटे की बेहतर नींद लें : पर्याप्त नींद न लेने से आपके सिस्टम का बैलेंस बिगड़ सकता है जिसमे प्रोलेक्टिन जैसे हॉर्मोन का प्रोडक्शन भी शामिल होता है | सही समय पर सोने जाएँ जिससे आपको पूरी रात अच्छी नींद मिल सके | केवल पयाप्र नींद लेने से भी प्रोलेक्टिन लेवल को कम करने में मदद मिल जाएगी | [१६] X विश्वसनीय स्त्रोत PubMed Central स्त्रोत (source) पर जायें
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प्रोलेक्टिनोमा के लक्षणों पर ध्यान दें: प्रोलेक्टिनोमा एक प्रकार का ट्यूमर होता है जो पिट्यूटरी ग्लैंड से जुड़ा रहता है | लगभग सभी केसेस में, यह ट्यूमर बिनाइन होता है, कैंसर पैदा करने वाला नहीं | लेकिन इसके कारण शरीर में प्रोलेक्टिन का लेवल बहुत बढ़ जाता है | [१७] X रिसर्च सोर्स
- महिलाओं में, पीरियड्स में बदलाव आना, सेक्स ड्राइव कम होना और अगर स्तनपान कराती हैं तो मिल्क प्रोडक्शन कम हो जाने जैसे लक्षण देखे जाते हैं | पुरुषों में, मासिकधर्म नहीं होता इसलिए इसे डायग्नोज़ करना काफी मुश्किल होता है लेकिन उनमे सेक्स ड्राइव कम (टेस्टोस्टेरोन कम होने के कारण) होना देखा जा सकता है | आपको स्तनवृद्धि (ब्रैस्ट ग्रोथ) भी फील हो सकती है | [१८] X रिसर्च सोर्स
- अगर ट्यूमर को बिना चेक किये छोड़ दिया जाये तो आपको समय से पहले बुढ़ापा, सिरदर्द या दिखाई देना भी बंद हो सकता है |
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ट्यूमर के इलाज़ के लिए कैबेर्गोलिन (cabergoline) दवा लें: यह ऐसी पहली मेडिसिन होती है जिसे डॉक्टर सबसे पहले देना पसंद करते हैं क्योंकि इसके साइड इफेक्ट्स बहुत कम होते हैं और इसे सप्ताह में केवल दो बार पड़ता है | इससे ज्यादातर बिनाइन ट्यूमर सिकुड़ जायेंगे और प्रोलेक्टिन लेवल नॉर्मल हो जायेगा | [१९] X रिसर्च सोर्स
- इस दवा के कारण मितली और चक्कर आ सकते हैं |
- दूसरी दवा है-ब्रोमोक्रिप्टिन (bromocriptine) जिसके कारण मिलती और चक्कर आ सकते हैं | इस दवा को देते समय डॉक्टर संभवतः साइड इफेक्ट्स कम करने के लिए धीरे-धीरे इसके डोज़ को बढ़ाते जायेंगे | यह दवा काफी सस्ती होती है लेकिन इसे दिन में दो से तीन बार लेना पड़ता है | [२०] X विश्वसनीय स्त्रोत National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases स्त्रोत (source) पर जायें
- इस दवा को असीमित समय तक लेना पड़ सकता है | हालाँकि जैसे ही ट्यूमर सिकुड़ जाता है, प्रोलेक्टिन का लेवल भी कम हो जाता है, तब आप इस दवा को लेना बंद कर सकते हैं | इस दवा के डोज़ को डॉक्टर के निर्देशों के अनुसार धीरे-धीरे कम करते हुए बंद करें | [२१] X विश्वसनीय स्त्रोत University of Rochester Medical Center स्त्रोत (source) पर जायें
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अगर दवा से कोई लाभ न हो तो सर्जरी के बारे में पूछें: इस टाइप के ट्यूमर का अगला ट्रीटमेंट आमतौर पर सर्जरी होता है | सर्जन इस ट्यूमर को निकाल देगा जिससे इसके कारण प्रोलेक्टिन लेवल बढ़ने जैसी समस्याएं भी ख़त्म हो जाएँगी | [२२] X रिसर्च सोर्स
- अगर आपको प्रोलेक्टिनोमा की बजाय दूसरी तरह का पिट्यूटरी ग्लैंड ट्यूमर हो तो डॉक्टर सर्जरी को ही अपनाएंगे |
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अगर जरुरी हो तो रेडिएशन ट्रीटमेंट का सहारा लें: इस तरह के ट्यूमर के लिए रेडिएशन एक कॉमन ट्रीटमेंट होता है, चाहे यह ट्यूमर बिनाइन हो या मेलिग्नेन्ट | लेकिन आजकल इसे बहुत कम अपनाया जाता है और आखिरी विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल किया जाता है | इससे विपरीत परिणाम भी देखे जा सकते हैं जिसमे पिट्यूटरी ग्लैंड पर्याप्त हॉर्मोन प्रोड्यूस नहीं कर पाती |
- लेकिन, कुछ केसेस में, अगर आपको दवाओं से कोई लाभ न हो और ट्यूमर को सुरक्षित रूप से ऑपरेट न किया जा सकता हो तो रेडिएशन ही एकमात्र ऑप्शन हो सकता है | इस केस में, आपको यह ट्रीटमेंट कराना पड़ेगा | [२३] X रिसर्च सोर्स
- कभी-कभी आपको केवल एक ही ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है जबकि दूसरे ट्रीटमेंट के ज्यादा ट्रीटमेंट भी कराने पड़ सकते हैं | यह ट्यूमर के साइज़ और टाइप पर निर्भर करता है |
- हाइपोपिट्यूटरिज्म का सबसे कॉमन साइड इफ़ेक्ट यह है कि पिट्यूटरी ग्लैंड पर्याप्त हॉर्मोन प्रोड्यूस नहीं कर पाती | बहुत ही कम होने वाले साइड इफेक्ट्स में ब्रेन के आसपास के टिश्यू डैमेज होना जिसमे लीजन या नर्व डैमेज होना देखा जाता है |
रेफरेन्स
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