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कन्फ़्यूशियस ने एक बार कहा था कि बुद्धिमता प्राप्त करने के तीन तरीके हैं: "पहला, गहन विचार के द्वारा, जो सबसे श्रेष्ठ है; दूसरा अनुकरण के द्वारा, जो सबसे आसान है; और तीसरा अनुभव के द्वारा, जो सबसे कड़वा है।" बुद्धिमता प्राप्त करना, लगभग सभी संस्कृतियों में सबसे कीमती गुण है, यह जीवन में सीखने, सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने, और विचारपूर्वक काम करने का अभ्यास है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अनुभव हासिल करना

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  1. क्या आपको याद है जब आपने संग्रहालय में डायनासौर की हड्डिया पहली बार देखी थीं? या जब आपने पहली बार रसभरा स्वादिष्ट संतरा खाया था? उस पल आपका विश्व थोड़ा सा विस्तारित हुआ था और आप थोड़े अधिक बुद्धिमान हो गए थे। बौद्ध संकल्पना में "प्रारम्भ करने वाले के मस्तिष्क" का अर्थ है उस व्यक्ति का दृष्टिकोण जो बस शुरू ही कर रहा हो, नयी चीजें सीखने के आश्चर्य से भरा हुआ, और इनके द्वारा फिर से नवीनीकृत होने की चुनौतियों का सामना करने वाला। यह बुद्धिमानों द्वारा अपनाई जाने वाली मस्तिष्क की ग्रहणशील अवस्था है। [१]
    • किसी स्थिति पर पूर्वनिर्णय लेने के बजाय, अपने मस्तिष्क को खुला रखना सीखें और खुद से कहें "मुझे नहीं पता कि किस चीज की उम्मीद करनी चाहिए," यह आपको सीखने का और बुद्धिमता पाने का अवसर देगा। जब आप एक ही तरह के लोगों, चीजों और स्थितियों से खुद को दूर करते हैं, आप परिवर्तनों को ग्रहण करके बुद्धिमता को बढ़ाते हैं, नए विचार, किसी व्यक्ति को अपने से ऊँचा या नीचा ना समझें। [२]
  2. सीखना इस बात से रुकता नहीं है, कि आपने स्कूल या कॉलेज की शिक्षा पूरी कर ली है, या आपके बच्चें है और आपके पास उन्हें सिखाने के लिए बहुत अनुभव है। चाहे आप सबसे ऊँचे स्तर पर शिक्षक हों, या अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हों, आपकी शिक्षा पूरी नहीं हुई है। एक बुद्धिमान व्यक्ति अपनी प्रेणाओं पर सवाल उठाता है, व्यापक रूप से स्वीकार किये ज्ञान पर प्रश्न करता है, और लापरवाही के पलों में प्रश्न उठाना पसंद करना सीखता है, क्योंकि एक बुद्धिमान व्यक्ति जानता है कि कब सीखने का समय है।
    • अनैस निन (Anais Nin) ने सीखने की इस निरंतर प्रक्रिया को बड़े अच्छे शब्दों में समझाया है: "जीवन हम जिन परिथितियों से गुजरते हैं, उनका मिश्रण बनना है। लोग वहां असफल होतें है जब वे एक परिस्थिति का चुनाव करना और उसी में रहना चाहते हैं। यह एक तरीके से मृत्यु है।"
  3. दिन में कम से कम एक बार रुक जाएँ, ताकि आप स्वयं को आराम करने और विश्व की जल्दी में प्रवेश करने से रुकने का समय दे सकें। लगातार व्यस्त रहना और स्वयं के अपर्याप्त होने की निरंतर चिंता करते रहना आपको कार्यस्थल पर आदर्श तो बना सकता है, पर यह आपको बुद्धिमान नहीं बनाता। रुकिए। ठहर जाइये। और धैर्यवान परिपेक्ष्य आपके लिए जो लाता है उसे आत्मसात करिये।
    • अपने समय को चिंतन से भरिये। अपने खाली समय को भटकाव की बजाय कुछ सीखने में लगाइये। यदि आप टेलीविज़न या वीडियो गेम्स में अपना खाली समय बिताते हैं, तो टेलीविज़न के एक घंटे को पढ़ने में लगाएं, या किसी अर्थपूर्ण प्राकृतिक वृत्तचित्र को देखें। इस से भी बेहतर हो कि आप बाहर निकलें और जंगल में हिके पर चले जाएँ।
  4. किसी समूह में हमेशा अपना मत व्यक्त करना या कोई योगदान देना सिर्फ इसलिए आवश्यक नहीं है कि आप ऐसा कर सकते हैं। बुद्धिमान लोगों को अपनी बुद्धिमता हमेशा साबित करने की जरूरत नहीं होती। यदि आपका मत आवश्यक है, तो दें। एक पुरानी कहावत के अनुसार, "सबसे अच्छा समुराई अपनी तलवार को म्यान में जंग लगने देता है।"
    • यह कहने का अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि आप समाज से स्वयं को दूर कर लें, या कभी ना बोलें। इसकी बजाय दूसरों के प्रति ग्रहणशील बनें और अच्छे श्रोता बनें। सिर्फ इसलिए अपने बोलने की बारी का इन्तजार ना करें कि आप कमरें में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हैं। यह बुद्धिमता नहीं बल्कि अंहकार है।
विधि 2
विधि 2 का 3:

बुद्धिमता का अनुसरण करें

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  1. ऐसे लोगों को तलाशें जिनका आप सम्मान करते हों और जो उन मूल्यों और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हो जो बुद्धिमता का अनुसरण करें। ऐसे लोगों को तलाशें जो आपके लिए रुचिकर और महत्वपूर्ण काम करते हों। उन लोगों से सवाल पूछें। और बहुत सावधानी से सुने कि वे क्या कहना चाहते हैं जो आपके अनुभव और चिंतन से अधिक सीख सकें। [३] जब आप संदेह में हों तो अपने गुरुओं से सलाह और निर्देशन पर बात करें; जहाँ आपको उनकी बात से सहमत होना अनिवार्य नहीं है, यह आपको निश्चित रूप से सोचने के लिए अच्छे विचार देगा।
    • गुरुओं का सफल व्यक्ति होना आवश्यक नहीं है या उनका "पसंदीदा व्यक्ति" होना जरूरी नहीं है। आप जिस सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को जानते है, वह गणित का प्रोफेसर होने की जगह एक बारटेंडर भी हो सकता है। सबमें बुद्धिमता पहचानना सीखिए।
  2. दार्शनिकों और सामाजिक टीकाकारों का लेखन पढ़ें। कॉमिक्स पढ़ें। ली चाइल्ड की एडवेंचर पुस्तकें पढ़ें। ऑनलाइन या मोबाइल डिवाइस पर पढ़ें। एक पुस्कालय कार्ड का इंतज़ाम करें। आइरिश समकालीन कविता पढ़ें। मेलविल को पढ़ें। ऐसे पढ़ें कि आपका जीवन इस पर निर्भर हो, और जिन चीजों पर आप पढ़तें या दूसरों से बात करते हैं उन पर अपना मत बनायें ।
    • अपनी रूचि के अनुरूप विशेष क्षेत्रों को चुनें, चाहे वो आपकी नौकरी या शौक हों। दूसरों के अनुभव के बारें में पढ़ें और सीखें कि दूसरे लोगों ने आपकी संभावित भविष्य में आ सकने वाली स्थिति से को कैसे निपटाया था।
  3. यह सोचना गलत है कि बुद्धिमता सबसे ऊपर है। अपनी भावनाओं से ऊपर उठकर, बुद्धिमान लोग हम सब के अलावा एक बिना महसूस किये जाने वाली स्थिति के ऊपर रहते हैं, सच नहीं हैं।
    • जब आप किसी चीज को लेकर निराश और हताश हैं, तब ऐसे किसी व्यक्ति से बात करने की इच्छा रखना स्वाभाविक है जो आपकी बात समझेगा। स्वयं को ऐसे लोगों से घेर लीजिये जो अपनी इच्छा से ग्रहणशील होंगे और आपकी बात सुनना चाहेंगे। आप उनके प्रति खुले रहें और वो आपके प्रति खुले रहेंगे।
  4. नम्रता का अभ्यास करें:कया स्वयं को बेचना बुद्धिमता हैं? व्यवसाय और मार्केटिंग ने हमें इस बात पर सहमत कर दिया है कि स्वयं का प्रचार जरूरी है, क्योंकि हमने अच्छी बिक्री सम्भावना के लिए खुद को चीजों में बदल लिया हैं, और व्यवसाहिक भाषा इस बात को प्रायः प्रकट करती है।सिर्फ प्रतियोगिता के लिए वैसे खुद के किसी बात पर अच्छा होने की स्वीकृति देना और अपनी सुविधा से ऊपर उठ कर अपने ज्ञान को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने में बहुत फर्क है।
    • विनम्र होना स्वयं की कीमत छोड़ना नहीं होता; बल्कि, यह स्वयं में अच्छे और सक्षम गुणों के प्रति यथार्थवादी होना है। इसके बदले लोग जान पाएंगे कि इन गुणों की वजह से वो आपके विश्वस्त होने पर निर्भर रह सकते हैं।
    • विनम्र होना बुद्धिमानी है क्योंकि ये आपके व्यक्तित्व को उभारता है। विनम्रता यह भी सुनिश्चित करती है कि आप दूसरों की क्षमताओं से डरने के बजाय उनका सम्मान करते हैं; अपनी स्वयं की सीमाओं को स्वीकार करना और अपनी ताक़त को बढ़ाने के लिए दूसरों की ताक़त से जुड़ पाना बहुत बड़ा गुण है।
  5. बुद्धिमान लोगों को गुफाओं में रहना और एकांत में जादूगरों जैसी दाढ़ी रखें जरूरी नहीं है। दूसरों को निर्देशित करने के लिए अपनी बुद्धिमता को बाँटें। एक गुरु और शिक्षक के रूप में, आप लोगों को महत्वपूर्ण सोच, भावनाओं को आत्मसात करना, जीवनपर्यन्त सीखने की इच्छा से प्रेमभाव रखना और खुद पर विश्वास रखना सिखा सकते हैं।
    • सीखने को दूसरों के विर्रुद्ध रुकावट के रूप में इस्तेमाल करने के लालच से बचें। ज्ञान का अर्थ बांटना है ना की जमा करना, और बुद्धि तभी विकसित होगी जब वो हर किसी के विचारों का सामना करेगी, चाहे आपका सामना उससे किसी भी तरह क्यों न हो।
विधि 3
विधि 3 का 3:

चिंतन करना

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  1. सबसे कठिन यात्रा प्रायः वो होती है जिसमें आपको अपने अंदर झांक के देखना और अपनी खोज के प्रति ईमानदार होना होता है। अपने मत, विश्वास और पूर्वाग्रहों को समझने की कोशिश करें। जब तक आप स्वयं को अच्छे से जानने और अपने अंदर की कमियों और ताक़तों को सीखने के प्रति प्रेमभाव को जन्म नहीं दे सकते, तो बुद्धिमान होना मुश्किल है। स्वयं को जानना आपको अपनी जीवन यात्रा के दौरान खुद को माफ़ करने और स्वयं को विकसित करने का अवसर देता है।
    • ऐसी स्वयं-सुधार की सलाह से बचें जो किसी "भेद" का दावा करती हो। स्वयं-सुधार में जरूरी सिर्फ एक भेद है कि इसमें मेहनत और निरंतरता की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा आप सीमाओं पर बहस कर सकते हैं (स्वयं सहायता उद्योग की अति सफलता ने इस पर मोहर लगायी है) किन्तु आप व्यक्तिगत आत्मविश्लेषण और आत्म चिंतन काम करने की विश्व की वास्तविकता नहीं बदल सकते।
  2. प्रायः दशकों लम्बे सीखने और आत्म-चिंतन के बाद भी, सबसे बुद्धिमान लोग लम्बे समय से वो रहें है जो समझते हैं कि वो बहुत कम जानते हैं। आप जितना ज्यादा लोगों, चीजों और घटनाओं पर सोचेंगे, यह उतना ही साफ़ होगा कि आप जो जानते हैं उससे कहीं ज्यादा बातें जाने के लिए हैं और आप जो जानते है वह ज्ञान का एक सिरा भर है। अपने ज्ञान की सीमाओं का स्वीकरण बुद्धिमता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
    • विशेषज्ञता और ज्ञान के मध्य भ्रमित ना हों। विशेषज्ञता का अर्थ है, किसी क्षेत्र के उच्च स्तरीय ज्ञान होना, जबकि बुद्दिमत्ता उस ज्ञान को व्यापक परपेक्ष्य में देखने की धारणा को कहा जाता है। अपने ज्ञान के प्रकाश में अपने कार्यों और निर्णयों के प्रति आश्वस्त रहते हुए शांति से जीवन व्यतीत करना भी बुद्धिमता है।
  3. केवल आप जान सकतें हैं कि आप कौन हैं और अपने अंतिम चुनावों के लिए केवल आप ही जिम्मेदार हो सकते हैं। यदि आप वर्षों से अपने स्वयं के बजाय किसी और के मापदंडों के अनुसार जो सही था वो करते आ रहें हैं, तो आप स्वयं के प्रति जिम्मेदार नहीं बन रहे।ऐसी नौकरी बदल दें जहाँ कोई आपकी प्रतिभा को नहीं पहचानता और ऐसी जगह काम करें जहाँ लोग आपके अंदर की प्रतिभा को पहचानें।ऐसी किसी जगह जाएँ जहाँ आप आरामप्रद महसूस करें।अपनी आजीविका अर्जित करने के लिए ऐसी जगह की तलाश करें जहाँ आपको अपनी संवेदना, परवाह और रुचियों से समझौता ना करना पड़े। स्वयं के प्रति जिम्मेदार होना और अपने लिए निर्णयों के परिणामों को स्वीकार करना सीखना, बुद्धिमता को बढ़ाता है।
  4. कई लोगों के लिए, जीवन में अर्थ की भावना "निर्मित" करने का तरीका है बहुत ज्यादा व्यस्त हो जाना और काम से लेकर प्रेम तक हर चीज को जटिल बना लेना। जटिलता एक व्यक्ति को महत्वपूर्ण और वांछित महसूस करवा सकती है परन्तु यह बुद्धिमता नहीं है। इसके बजाय यह स्वयं को खुद से और जीवन के उन मुद्दों से भटकाना जो वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, जैसे अपने उद्देश्य और जीवन क्या है इस पर स्वयं से प्रश्न करना। जटिलता चिंतन को आपसे दूर कर देती है, और आपको विशेषज्ञता के रहस्य का शिकार बना सकती है, और चीजों को जरूरत से अधिक कठिन बना देती है। सरलता बनाये रखें और बुद्धिमता विकसित होगी।

सलाह

  • आप कुछ निर्णयों पर शंका करेंगे, क्योंकि आपके निर्णय उतने ही सही होंगे जितनी आपकी तर्क शक्ति, जो - कई बार - आप सोच सकते है बिलकुल सही नहीं है। पर निर्णय लिए बिना, आप उन चीजों को नहीं प्राप्त कर सकते जो आप चाहते हैं। कोई लेख इस प्रकार के संतुलन बनाने पर सलाह नहीं दे सकता, यह सब आप पर निर्भर हैं।
  • हम तीन तरीकों से बुद्धिमता सीख सकतें हैं: पहला, चिंतन द्वारा, जो सबसे श्रेष्ठ है; दूसरा, अनुसरण करके, जो सबसे आसान है; और तीसरा अनुभव द्वारा, जो सबसे कड़वा है।
  • यदि आप निर्णय लेने में तर्क का उपयोग करते हैं, इस पर विचार करें: जब आप अपने तर्क में बहुत शंका में हों, तो वे निर्णय लेना आपके लिए कठिन हो जायेगा।
  • कुछ करने के पहले सोचें या आप अपने किये पर बाद में पछताएंगे।

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