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कुछ लोगों का कहना होता है, कि किसी भी इंसान के लिए एक खूबसूरत, स्ट्रेट मुस्कान से बड़ा और कोई गहना नहीं होता, लेकिन जरूरी नहीं, कि हर कोई अपने दाँतों के अपीयरेंस को लेकर कॉन्फिडेंट हो। जैसे कि जाहिर तौर पर ब्रेसेस (Braces) को दाँतों को स्ट्रेट करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है, लेकिन जरूरी नहीं है, कि हर किसी को ट्रेडीशनल ब्रेसेस का मेटल वाला लुक पसंद ही आए। अच्छा है, कि दाँतों को सीधा करने के ऐसे कुछ तरीके भी मौजूद हैं, जिनमें ब्रेसेस का इस्तेमाल नहीं किया जाता; जो कि पूरी तरह से सिर्फ आपकी डेंटल नीड्स के ऊपर निर्भर करता है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

दांत को टेढ़ा होने से बचाना

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  1. दांतों की क्राउडिंग और अंदरूनी ओवरलैपिंग, दांतों पर पड़ने वाले धीमे, नियमित आंतरिक दबाव के कारण होती है। पेट के बल सोना, ऐसा होने की एक सबसे आम वजह होती है, जिसकी वजह से आपके चेहरे पर काफी दबाव बनता है और इसकी वजह से आपके दांत के ऊपर अच्छा-खासा दबाव बनता है। ये दबाव उस वक़्त और भी ज्यादा बदतर बन जाता है, जब आप पेट के बल सोते हुए अपने सिर के नीचे अपने हाँथ या और किसी कड़क चीज़ को रख लेते हैं। फिर भले ये ही आपके सोने का तरीका ही क्यों न हो, लेकिन फिर भी अपने दांत को धीरे-धीरे अंदर की ओर मुड़ने से बचाने के लिए, पीठ के बल या फिर करवट लेकर सोने की कोशिश करें। [१]
  2. दिनभर में हर वक़्त अपने चेहरे को अपने हाँथों के ऊपर रखने से रोकें: ऐसे वो सारे लोग, जो काफी ज्यादा वक़्त तक डेस्क के ऊपर काम या पढ़ाई करते हैं, उनके गलत पॉस्चर की वजह से ये समस्या होना बेहद आम बात है। जब आप आपकी डेस्क पर सामने की तरफ झुकते हैं और अपने चेहरे को अपने हाँथ के ऊपर रखते हैं, इसकी वजह से आपकी जॉ (जबड़े) के ऊपर लगातार हल्का ही सही, लेकिन एक तरह का दबाव बना रहता है। ये दबाव धीरे-धीरे आपके दांत को अंदर की तरफ धकेल देता है, जिसकी वजह से आपके चेहरे के एक तरफ पर दांत तिरछे हो जाते हैं। [२]
    • इसे अवॉइड करने में मदद करने के लिए, आपके द्वारा बैठते वक़्त अपनी पीठ को झुकाने के बजाय, एकदम सीधे बैठे हुए होने की पुष्टि करते हुए, अपने पॉस्चर को सही करने की कोशिश करें। अपनी लोअर बॉडी को सीधा रखने से, आपको आपकी अपर बॉडी को भी एक ऐसी सही पोजीशन में बनाए रखने में मदद मिलेगी, जिससे आपको आपकी गर्दन में थकान का अहसास न होगा और न ही आपको अपने चेहरे को अपनी हथेली पर रखने की जरूरत पड़ेगी।
  3. अंगूठा चूसना या इसी तरह की और दूसरी आदतों को छोड़ने की कोशिश करें: दांतों के तिरछे होने की एक वजह, लगातार अंदर की तरफ दिये जाने वाले प्रैशर के अलावा, आपके द्वारा दिया जाने वाला बाहरी बाहरी प्रैशर भी होता है। ये उन बच्चों के लिए एक बहुत आम बात होती है, जो बहुत ज्यादा अंगूठा चूसा करते हैं; हालाँकि, ऐसे बहुत से टीनएज बच्चे और एडल्ट्स भी अपनी इस आदत को लेकर शर्मिंदा हैं, जो कि बाहरी दबाव बना सकती है। स्ट्रॉ इस्तेमाल करना, पेन चबाना, और बबल गम से बबल्स फुलाना, इन सभी कि वजह से भी, अंगूठा चूसने जितना प्रैशर बनता है, और इसकी वजह से दांत बाहर की तरफ निकल जाते हैं। ऐसी हर उस आदत को खत्म करने की कोशिश करें, जिनकी वजह से आपके दांतों पर बाहरी दबाव पड़ता है। [३]
    • अगर आप स्ट्रॉ इस्तेमाल करना नहीं छोड़ सकते हैं, तो स्ट्रॉ इस्तेमाल करते वक़्त कम कम से इतना ध्यान में रखें, कि स्ट्रॉ आपके मुँह में अंदर पीछे की तरफ है और इसे आपके दांतों के बीच में न रखे रहने दें।
  4. वैसे तो बेबी टीथ (दूध के दांतों) का गिरना और फिर नए और मजबूत दांतों के आने के लिए जगह छोड़ना, ये एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन एडल्ट होने के बाद दांत गिरने की वजह से समस्या खड़ी हो सकती हैं, जिसमें दांतों का तिरछा होना भी शामिल है। एडल्ट्स एक्सट्रेक्शन (extractions), डेंटल प्रॉब्लम्स के कारण, किसी चोट के कारण या फिर बेबी टीथ के गिरने के बाद, मजबूत दांत न आने की वजह से भी दांत खो देते देते हैं। इस खोये हुए दांत की वजह से बना गेप, चबाते वक़्त असमान रूप से फोर्स डिस्ट्रीब्यूट होने के कारण, मौजूदा दांतों के ऊपर और भी ज्यादा प्रैशर बनाता है। इसकी वजह से ये खिसक जाते हैं और मुड़ भी जाते हैं। इस गेप को ब्रेसेस से, डेंटल ब्रिजेस (dental bridges) से, डेंटल इम्प्लांट्स (dental implants) से, या पार्शियल डेंचर्स (dentures) से भरने की वजह से मौजूदा दांत खिसक जाते हैं और टेढ़े हो जाते हैं। [४]
    • दांतों का खिसककर मौजूदा गेप्स को भर देना भी "मेसिएलाइजेशन (mesialization)" नाम की एक नेचुरल प्रोसेस का नतीजा होता है, जिसका मतलब ये निकलता है, कि दांतों की आगे आने की प्रवृत्ति होती है।
  5. समय आने पर अपने विज्डम टीथ (अक्लदाढ़) को निकलवा लें: हालाँकि कुछ रिसर्च से ऐसा मालूम हुआ है, कि अपने विज्डम टीथ को निकलवाने के बजाय, उसे आपके मुँह में आने देने से, वो दूसरे किसी भी दांत के लिए परेशानी खड़ी नहीं करता है, लेकिन ये बात सभी लोगों के मुँह के ऊपर लागू नहीं होती है। अगर आपका विज्डम टीथ, उसकी सही पोजीशन के बजाय किसी दूसरी पोजीशन में आने लगता है या फिर आपके दांत अगर पहले से ही कसे हुए हैं, तो विज्डम टीथ जल्दी से दांतों की सीरियस रीपोजीशनिंग (पुनर्स्थापन) का कारण बन सकता है। [५]
    • डेन्टिस्ट के पास बार-बार जाना और अपने मुँह का और अपने जॉ का एक्स-रे (X-ray) करवाना, आपके साथ में हो सकने वाली इस परेशानी की संभावना के बारे में पहले ही जानकारी दे देता है और साथ ही जब आपका डेन्टिस्ट आप से आपके विज्डम टीथ को निकालने का बोले, तब आपको उसे निकलवा लेना चाहिए। इसे रखे रहने से आपको सिर्फ दर्द ही मिलेगा (जिसमें इन्फेक्शन और चबाने में परेशानी भी शामिल है) और इसकी वजह से दांतों के तिरछे होने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
विधि 2
विधि 2 का 3:

एक ओर्थोड़ोंटिस्ट (Orthodontist) की तलाश करना

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  1. पहले पता करें, कि आपको अपने दांतों के बारे में क्या नहीं पसंद: आपको मालूम होना चाहिए, कि आप आपके दांतों के अपीयरेंस में कैसा बदलाव कराना चाहते हैं, ताकि आप आपके मन की बात को अपने ओर्थोड़ोंटिस्ट के सामने सही तरह से पेश कर सकें। ट्रीटमेंट के कुछ ऑप्शन सिर्फ किसी एक तरह की डेंटल परेशानियों को ठीक कर पाते हैं, तो ऐसे में इसलिए आपके मन में आपके दांतों के लुक के बारे में एक एकदम स्पष्ट तस्वीर होना, आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।
  2. आपके एरिया में मौजूद बोर्ड-सर्टिफाइड ओर्थोड़ोंटिस्ट के ऊपर रिसर्च करें: डेंटिस्ट्स और ओर्थोड़ोंटिस्ट अलग-अलग होते हैं: डेंटिस्ट्री के साथ ही, ओर्थोड़ोंटिस्ट टीथ के कॉम्प्लेक्स डेवलपमेंट और फेशियल फॉर्म के ऊपर भी ट्रेनिंग ले रहे हैं। अपने लिए एक ट्रीटमेंट प्लान तलाशने और पाने के लिए आपका डेन्टिस्ट से नहीं, बल्कि ओर्थोड़ोंटिस्ट से मिलना जरूरी है। इसके साथ ही, ये भी जरूरी है, कि वो बोर्ड-सर्टिफाइड भी हों, क्योंकि इससे ये बात पक्की हो जाती है, कि उन्हें व्यापक उपचार के उच्चतम स्तर के लिए लाइसेन्स और ट्रेनिंग प्राप्त हैं। [६]
    • कुछ कॉम्प्लेक्स केस में, एक पूरा ट्रीटमेंट प्लान बनाने के लिए, ओर्थोड़ोंटिस्ट को किसी एक ओरल सर्जन से या फिर एक मैक्सिलोफेशियल (maxillofacial) सर्जन से मदद लेनी पड़ती है
  3. ट्रीटमेंट के ऊपर डिस्कस करने के लिए किसी एक ओर्थोड़ोंटिस्ट के साथ में अपोइंटमेंट फिक्स करें: आपने खुद से भी कुछ रिसर्च तो की ही होगी, लेकिन वो आपके ओर्थोड़ोंटिस्ट ही हैं, जो डेंटल अप्लायन्स के हिसाब से, आपको आपके लिए मौजूद एकदम सटीक ऑप्शन के बारे में बता सकते हैं। कभी-कभी डेंटल नीड्स के हिसाब से सिर्फ ब्रेसेस ही एकलौता आखिरी ऑप्शन बचता है। अगर ये नहीं है तो, फिर जरूरी है, कि उनके साथ में ट्रीटमेंट के बारे में डिस्कशन किया जाए और उनकी एड्वाइस को सुना भी जाए। उनसे पूछे जाने लायक कुछ मददगार सवालों में, ये सवाल शामिल हैं: [७]
    • दिये हुए ट्रीटमेंट प्लान में क्या-क्या शामिल है और अगर मैं अभी दिये हुए ऑप्शन्स में से किसी एक को नहीं चुनता हूँ, तो इसकी वजह से मुझे क्या नतीजे देखने को मिलेंगे?
    • आप ट्रीटमेंट की कीमत (कोस्ट) को किस तरह तय करेंगे और कौन से बिलिंग ऑप्शन्स मौजूद हैं? साथ ही, आप किस इंश्योरेंस प्लान को एक्सेप्ट करते हैं?
    • इस ट्रीटमेंट ऑप्शन को करने के बाद, इसके बाद भी कौन से पोस्ट-ट्रीटमेंट्स कराने होंगे?
    • क्या आप अपने किसी ऐसे पेशेंट की, आपके द्वारा किए हुए ट्रीटमेंट के पहले और बाद की पिक्चर दिखा सकते हैं?
  4. दिये हुए किसी भी ट्रीटमेंट प्लान के साथ आगे बढ़ने से पहले, आपको और दो या तीन ओपिनियन्स लेने की सलाह दी जाती है, खासकर कि तब, जब अगर आपको ऐसा कहा गया हो, कि आपको टीथ एक्सट्रेक्ट (extracted) करा लेना चाहिए या फिर अगर आपका मामला जरा सा गंभीर है। बहुत से ओर्थोड़ोंटिस्ट, और दूसरे ऑप्शन्स मौजूद होने के बाद भी, आपको ब्रेसेस लगाने की सलाह देते ही हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स इस बात से सहमति दिखाते हैं, कि यहाँ पर कभी भी किसी के लिए, सिर्फ कोई “एक ही सही तरीका” बस नहीं मौजूद होता। कुछ ओर्थोड़ोंटिस्ट के साथ में मीटिंग करने से आपको आपके लिए एक कम्फ़र्टेबल और आपके बजट में आने वाले ओर्थोड़ोंटिस्ट की तलाश करने में मदद मिलेगी।
  5. किसी एक ओर्थोड़ोंटिस्ट को चुनें और शुरुआती प्रोसीजर पूरी कर लें: एक बार आप आपके लिए भरोसेमंद ओर्थोड़ोंटिस्ट की तलाश कर लेते हैं, फिर एक पोस्ट-कंसल्टेशन अपोइंटमेंट फिक्स की जाएगी। इस अपोइंटमेंट के दौरान ओर्थोड़ोंटिस्ट आपके मुँह का मोल्ड (ढाँचा या साँचा) लेंगे और आपके चेहरे और आपकी जॉलाइन का एक पैनारोमिक एक्स-रेज़ किया जाएगा। मोल्ड और एक्स-रेज़ का इस्तेमाल करते हुए, ओर्थोड़ोंटिस्ट इस बात का फ़ैसला करेंगे, कि उन्हें आपकी स्माइल को फिक्स करने के लिए क्या करने की जरूरत है और वो आपको अलग-अलग ट्रीटमेंट ऑप्शन्स के बारे में भी डीटेल से समझा सकेंगे। [८] इस जानकारी की मदद से आप आपके ऑप्शन्स के बारे में विचार कर सकते हैं और साथ ही आपके लिए बेस्ट ट्रीटमेंट को चुन सकेंगे।
विधि 3
विधि 3 का 3:

बेस्ट ट्रीटमेंट ऑप्शन चुनना

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  1. क्लियर अलाइनर्स टाइट-फिटिंग, कस्टम-मेड रिटेनर्स की एक सीरीज होती है, जो दांतों के ऊपर स्लिप हो जाती है और धीरे-धीरे उन्हें एक-लाइन में ला देती है। क्योंकि बच्चों के मुँह अभी भी बन रहे और बढ़ रहे होते हैं, इसलिए ये क्लियर अलाइनर्स बच्चों पर नहीं, बल्कि उन टीन्स या एडल्ट्स के लिए बेस्ट होते हैं, जिनके मुँह में अब आगे कोई बदलाव नहीं होने वाला है। इस ट्रीटमेंट ऑप्शन को आमतौर पर उन पेशेंट्स पर भी इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें हल्की से मोडरेट क्राउंडिंग या स्पेसिंग प्रॉब्लम होती है, और इसे बहुत गंभीर अंडरबाइट्स, ओवरबाइट्स या और भी ज्यादा कॉम्प्लेक्स प्रॉब्लम्स के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाता। क्लियर अलाइनर्स के ट्रीटमेंट में आमतौर पर 10-24 महीने का वक़्त लग जाता है और आपके ट्रीटमेंट की लेंथ के हिसाब से इनकी लागत लगभग Rs.40,000 – Rs.60,000 के बीच होती है। इसके कुछ और बेनिफ़िट में ये शामिल हैं: [९]
    • एक बेनिफ़िट तो ये है, कि क्लियर अलाइनर्स को बाहर निकाला जा सकता है, जो इसे क्लीन करना और ओरल हाइजीन को बनाए रखने को आसान बनाता है।
    • एक और दूसरा बेनिफ़िट ये है, कि क्लियर अलाइनर ट्रेडीशनल ब्रेसेस की तुलना में कम नजर में आते हैं। अगर आप ट्रेडीशनल ब्रेसेस के अपीयरेंस को लेकर परेशान हैं, तो ऐसे में ये आपके लिए अच्छा ऑप्शन रहेंगे।
    • क्लियर अलाइनर्स को इस्तेमाल करने के लिए ऐसे पेशेंट्स की जरूरत होती है, जो इन्हें पूरी तरह से पहने रहने को तैयार हों। इन्हें ज्यादा न पहने जाने की वजह से आपके ट्रीटमेंट में और ज्यादा वक़्त भी लग सकता है।
  2. लिंगुयल ब्रेसेस भी ट्रेडीशनल ब्रेसेस की तरह ही होती हैं, बस इनमें सिर्फ इतना ही फर्क होता है, कि इन्हें दांतों के पीछे रखा जाता है। इनमें भी दांतों को टाइट करने और स्ट्रेट बनाए रखने के लिए वायर्स का इस्तेमाल होता है और इन्हें आपके ट्रीटमेंट की कॉम्प्लेक्सिटी के हिसाब से छः से 24 महीने तक भी पहना जा सकता है। ये ट्रीटमेंट ऑप्शन 10 और इससे बड़ी उम्र के उन लोगों के लिए बेस्ट होता है, जिनमें मोडरेट स्पेसिंग प्रॉब्लम्स हों। क्लियर अलाइनर्स की तरह ही, क्योंकि लिंगुयल ब्रेसेस भी इतने जल्दी नजर नहीं आते हैं, इसलिए ये भी उन लोगों के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं, जो अपने लिए एक स्मार्ट ऑप्शन चाहते हैं। हालाँकि ये ट्रेडीशनल ब्रेसेस की अपेक्षा कहीं ज्यादा महँगे भी होते हैं, इनकी कीमत आपके ट्रीटमेंट की कॉम्प्लेक्सिटी और लेंथ के हिसाब से लगभग Rs.45,000 – Rs.1,00,000 तक होती है। इसके साथ ये भी ध्यान में रखकर चलें:
    • इनके महँगे होने का एक कारण ये भी है, कि इनमें मटेरियल के तौर पर गोल्ड (सोने) का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि आपके दांतों के अंदर के शेप के साथ परफेक्टली फिट हो जाता है।
    • शुरू-शुरू में ये कुछ अनकम्फ़र्टेबल लग सकते हैं और इन्हें एडजस्ट होने में कुछ टाइम भी लग सकता है। बहुत से लोगों को ब्रैकेट्स और जीभ के कांटैक्ट से तकलीफ का अहसास भी होता है।
    • बात करने में परेशानी और तुतलाना लिंगुयल ब्रेसेस के साथ होने वाली कॉमन प्रॉब्लम्स होती हैं।
  3. इन्हें रेपिड मेक्सिलरी एक्स्पांशन अप्लायन्स (rapid maxillary expansion appliance) या एक ओर्थोंडोंटिक एक्सपांडर (orthodontic expander) के नाम से भी जाना जाता है, पेलेटल एक्सपांडर्स का इस्तेमाल अपर जॉ को चौड़ा करने के लिए किया जाता है, ताकि अपर जॉ और लोअर टीथ, दोनों एक-साथ बेहतर ढ़ंग से फिट हो सकें। इसमें दांत पर बैंड्स के साथ में लगा हुआ एक स्क्रू मौजूद होता है और जब आप स्क्रू को की (key) की मदद से घुमाते हैं, तब अपर जॉ चौड़ी होती है। इस तरह से चौड़ा किया जाना, ओवरक्राउडिंग के दौरान दांत को नेचुरल ढ़ंग से और सही पोजीशन में बड़े हो सकने के लिए जगह बना पाने के लिए मददगार साबित होता है। क्योंकि बच्चों और 15 साल से कम उम्र तक के टीनएजर्स की जॉ अभी भी फ्लेक्सिबल होती है, इसलिए इसे इनके ऊपर इस्तेमाल करना काफी अच्छा होता है। पेलेटल एक्सपांडर की कीमत आपके ट्रीटमेंट की लेंथ के हिसाब से लगभग Rs.8,000 – Rs.25,000 के बीच होती है। ध्यान में रखें: [१०]
    • एक्स्पांशन पूरा होने के बाद भी एक्सपांडर को लगभग तीन महीने के लिए मुँह के अंदर ही रखा जाता है, ताकि ये निकाले जाने से पहले आपके टीथ और पैलेट (जिसमें एक्स्पांशन के बाद वीक बोन स्ट्रक्चर होता है) स्थिर बना सकें।
    • पेलेटल एक्सपांडर्स के लिए आपको बार-बार ऑर्थोडोन्टिस्ट के पास जाना होता है, जो कि तालमेल को बढ़ाने में विशेष की का उपयोग करते हैं।
    • पेलेटल एक्स्पांशन कभी-कभी बहुत दर्द भी दे सकते हैं और कभी-कभी तो इनकी वजह से बोलने में परेशानी और मुँह में इरिटेशन होने जैसी प्रॉब्लम्स भी होती हैं।
  4. रिटेनर्स को फिक्स भी किया जा सकता है या हटाया भी जा सकता है और ये दांतों को ब्रेस करने और स्ट्रेट करने के लिए मुँह के अपर या लोअर आर्क के लिए तैयार किए जाते हैं। आमतौर पर रिटेनर का इस्तेमाल ब्रेसेस या क्लियर अलाइनर्स के ट्रीटमेंट के बाद आपके दांतों की पोजीशन को मेंटेन करने के लिए किए जाता है; लेकिन कभी-कभी रिटेनर्स को सभी उम्र के पेशेंट्स के हल्के से मिसअलाइनमेंट्स को सुधारने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। [११]
    • रिटेनर्स की कीमत आमतौर पर Rs.4000 – Rs.20,000 के बीच होती है, जो कि पूरी तरह से आपके ट्रीटमेंट की कॉम्प्लेक्सिटी और लेंथ के ऊपर निर्भर करती है।
    • फ़िक्स्ड रिटेनर्स को दांतों के पीछे लगाया जाता है, ताकि ये मजबूत बने रहें।
    • ओरल हाइजीन मेंटेन करने का सोचा जाए, तो रिमूवेबल (निकाले जाने लायक) रिटेनर्स को आसानी से साफ किया जा सकता है।
  5. इन्हें पोर्सिलेन वेनियर्स (porcelain veneers) या ल्युमिनियर्स (lumineers) के नाम से भी जाना जाता है, डेंटल वेनियर्स पोर्सिलेन कैप्स होती हैं, जिन्हें आपके मौजूदा दांत के ऊपर रखा जाता है। ये उन पेशेंट्स के लिए सबसे अच्छे होते हैं, जिनके दांतों के बीच में गेप हो, दांत टूटा हो, क्राउड हुआ हो या फिर डिसकलरेशन (discoloration) हुआ हो। ओर्थोंडोंटिस्ट टूथ एनामेल की पतली परत निकालते हैं और फिर एक लाइट सेंसिटिव रेजिन (resin) की मदद से चुने हुए वेनियर्स को आपके दांतों से जोड़ देते हैं। इस प्रोसीजर को बस एक ही बार में पूरा किया जा सकता है, इसलिए इसके रिजल्ट्स भी फौरन मिलते हैं।
    • वेनियर्स काफी महँगे होते हैं, आमतौर पर इनकी कीमत प्रति दांत के लिए लगभग Rs.4,000 – Rs.10,000 तक होती है।
    • क्योंकि चेहरे के आकार से ही उचित वेनियर्स साइज़ को तय किया जाता है और चूँकि बच्चे और टीन्स तो अभी भी बढ़ रहे हैं, इसलिए इस ऑप्शन को एडल्ट्स के अलावा शायद ही कभी किसी और के लिए भी चुना जा सकता है।
  6. जिसे टूथ रिशेपिंग (tooth reshaping) के नाम से भी जाना जाता है, डेंटल कंटूरिंग टूथ एनामेल के एरिया को अलग निकालकर या दांत को फिक्स करने के लिए टूथ-कलर्ड रेजिन की मदद लेकर किया जा सकता है। क्योंकि इस ऑप्शन में दांतों की परमानेंट कंटूरिंग हो जाती है, जो कि बढ़ते टीन्स और बच्चों के लिए उचित नहीं होता, इसलिए इसे आमतौर पर एडल्ट-एज के लोगों के ऊपर ही किया जाता है। चूंकि इसे फ़ाइन फाइलिंग माना जाता है, इसलिए डेंटल कंटूरिंग को केवल दांतों को कम करने के लिए या फिर हल्के से मुड़े हुए, दरार को या टूटे हुए दांतों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। [१२]
    • डेंटल कंटूरिंग एक प्रोसीजर में पूरी हो जाती है और इसकी कीमत आमतौर पर एक दांत के लिए लगभग Rs.4000 – Rs.40,000 होती है, जो कि किए जाने वाले काम के ऊपर निर्भर करती है।
    • एक बात का और ध्यान रखें, कि कंपोजिट रेज़िन के साथ की हुई कंटूरिंग लंबे वक़्त तक नहीं टिकती है और आपको रि-कंटूरिंग कराने की जरूरत भी पड़ती है।
  7. हर्बस्ट अप्लायन्स (Herbst appliance) के बारे में सोचकर देखें: ये डिवाइस आपकी जॉ की गड़बड़ को ठीक करके दांतों को सीधा करने में मदद करते हैं। इस अप्लायन्स में एक मेटल एक्सटेंशन होता है, जो कि मोलार्स डेवलप्स (molars develops) निचले जबड़े से फॉरवर्ड डाइरेक्शन में जुड़ा हुआ होता है, जो कि आपकी बाइट को सुधारने में मदद करता है। ये आपकी लोअर और अपर जॉ को मिलाता है, जिसकी जरूरत आपके दांतों को सीधा करने में पड़ती है।
    • आपको अपनी लोअर जॉ को सही पोजीशन में लेकर आने के लिए, इस अप्लायन्स को साल भर के लिए पहनकर रखना होगा।
    • ये अप्लायन्स अलग नहीं होते और इन्हें बेहतर परिणाम देने के लिए समय लगता है।
  8. दांतों को सीधा करने का एक और अप्लायन्स। ये अप्लायन्स ऊपरी दांत पर और जॉ पर प्रैशर बनाता है, जो कि जॉ और टीथ को सही पोजीशन में लाने में मदद करता है।
    • बेहतर रिजल्ट पाने के लिए आपको बताए गए समय के लिए रोजन हैडगियर को पहनना होगा।
  9. इस ट्रीटमेंट में, एक टूथ-कलर्ड रेज़िन मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे दांत के ऊपर आकार देकर चिपका दिया जाता है। ये सीधे दांत का अपीयरेंस देता है।
    • ये ट्रीटमेंट दांतों के डिफ़ेक्ट को मामूली या टेम्पररी रूप से ठीक कर सकता है।
    • साथ ही ये धुंधला होने में भी प्रवण होता है।
  10. ये ट्रीटमेंट अद्भुत रूप से आपकी मुस्कान को सुधार सकता है। ये आपके दांतों को सुंदर बनाने के लिए आपके गम लाइन को बढ़ाता है और स्केल करता है। अगर आपके भरपूर दांत नहीं हैं, बहुत हल्के गम हैं या गम लाइन में विषमता है, तो आप गम लिफ्टिंग कराने का विचार कर सकते हैं।
    • ये ट्रीटमेंट हर किसी के लिए सही नहीं होता है।
    • इसकी सिंपल प्रोसीजर की कीमत भी एक दांत के लिए लगभग Rs.25,000 से लेकर Rs.50,000 तक होती है।

सलाह

  • अपने आसपास मौजूद बोर्ड सर्टिफाइड ओर्थोडोंटिस्ट की तलाश करने के लिए, ऑनलाइन सर्च करें।
  • अगर आपके ओर्थोडोंटिस्ट, ट्रीटमेंट के पूरे होने के बाद आपको रात भर पहनने के लिए एक रिटेनर देते हैं, तो इसे सारी रात पहनना या उनके द्वारा बताए हुए वक़्त के लिए पहनना न भूलें। दांत की अपनी एक मेमोरी होती है और ये स्वाभाविक रूप से अपनी मूल स्थिति में वापस जाना चाहते हैं, तो इसलिए इन्हें जल्दी इस्तेमाल करना बंद कर देने से या फिर भरपूर वक़्त तक न पहनने की वजह से, आपके दांत वापस अपनी पुरानी स्थिति में आ सकते हैं। [१३]
  • अगर दांतों को सीधा करने के ऊपर आने वाला खर्च आपकी परेशानी की वजह बना हुआ है, तो इस बात के ऊपर ध्यान दें, कि कुछ डेंटल स्कूल क्लीनिक्स, सुपरवाइज़ किए हुए स्टूडेंट्स या फ़ैकल्टी के द्वारा कम रेट पर डेंटल सर्विसेज उपलब्ध कराते हैं। [१४]
  • चबाने वाले फूड प्रोडक्ट्स आपके दांतों को जॉ में एक सही दिशा में बनाए रखने और एक-दूसरे के साथ जोड़कर रखने में मदद करने के शानदार विकल्प होते हैं।

चेतावनी

  • चबाने में कडक फूड्स को अवॉइड करें।
  • अपने आप से दांतों को सीधा करने की किसी भी तकनीक का इस्तेमाल न करें। होममेड, DIY ट्रीटमेंट्स काफी अनसेफ होते हैं। इस तरह के DIY टीथ स्ट्रेट करने की टेकनिक्स की वजह से परमानेंट डैमेज, टूथ लॉस, इन्फेक्शन्स, और दांतों का शेप उल्टा और बिगड़ जाने जैसे नुकसान हो सकते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल न किए जाने की सलाह दी जाती है। [१५]

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