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ऐसा कहा जाता है, कि इच्छा को जितना बढ़ाओगे, वह उतनी बढ़ती जाएगी। [१] लेकिन यदि आप किसी चीज़ को पाने की इच्छा ही नहीं रखेंगे, तो उसे पाने के बारे में तो सोच ही नहीं पाएँगे। सपने तो हर कोई देखता है, लेकिन उसे पूरा करने के बारे में सिर्फ़ एक महत्वाकांक्षी ही सोच सकता है। महत्वाकांक्षी बनना भी एक कला है, जिस का विकास आप की मेहनत, दृढ़ता और सब से ज़रूरी एक नीति के तहत होता है। अपने सपनो को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए, नीचे दिए गए चरणों को देखें।

विधि 1
विधि 1 का 2:

सही मानसिकता को अपनाना

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  1. सकारात्मक कथन कुछ आत्म-प्रशंसा जैसे कथन होते हैं। ये सिर्फ़ आप के आत्म-विश्वास के स्तर को बढ़ाने का काम ही नहीं करते, बल्कि इन से आप के अंदर, तनाव की स्थिति में भी समस्या के समाधान की कला का विकास होता है। [२]
    • अपने कुछ बहुत ही असाधारण लक्षणों के बारे में सोचें। क्या आप को खुद को रचनात्मक प्रवत्ति का समझते हैं? बुद्धिमान समझते हैं? कुशल समझते हैं? अपने इन लक्षणों को समझने के लिए अपने अंदर मौजूद सकारात्मक बातों का उपयोग करें।
    • खुद को हर रोज़ दस बार ये बातें कहें: "मैं बुद्धिमान हूँ। मैं अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग, अपने लक्ष्यों को पाने में कर सकता हूँ। मैं रचनात्मक हूँ। मैं अपनी इस रचनात्मकता का उपयोग, किसी समस्या के समाधान में कर सकता हूँ। मैं एक प्रतिभाशाली व्यक्ति हूँ।"
    • इस बात का ध्यान रखें, कि ये सकारात्मक कथन सच्चे हों और जो आप के इर्द-गिर्द ही हों। कुछ भी झूठी तारीफ ना करें। यदि आप जानते हैं, कि आप को किसी चुनौती पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती है, तो कुछ भी ऐसा ना कहें जैसे "मैं किसी भी चुनौती पर ध्यान केंद्रित रखने में अच्छा हूँ।" इस का आप के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और आप के आत्म-विश्वास में कमी आएगी। [३] इस की जगह कुछ ऐसी बातें कहें, जैसे कि "भले ही मुझे किसी भी चीज़ में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, लेकिन मैं इस के लिए कड़ी मेहनत कर सकता हूँ"।
  2. आप क्या खो सकते हैं, से ज़्यादा आप क्या पा सकते हैं, पर ध्यान लगाएँ: जो चीज़ें ग़लत हो सकतीं हैं, उन के बारे में सोचकर आप को सिर्फ़ तनाव और चिंता ही होगी, और यह आप का सारा ध्यान, "क्या करना चाहिए" के बजाय "क्या नहीं करना चाहिए" पर केंद्रित कर देता है। [४]
    • कुछ इस तरह से सोचें, कि "यदि मैं हर रोज व्यायाम करूँगा, तो मैं अद्‍भुत दिखने लगूंगा।" आप खुद को आशावादी पाएँगे और हर रोज व्यायाम करने के लिए उत्सुक भी पाएँगे। यदि आप निरंतर रूप से कुछ ऐसा सोचने लगेंगे, कि " यदि मैं आज दौड़ने नहीं गया, तो मोटा होकर, आकर्षक भी नहीं लगूंगा," इस के बाद, आप नियमित रूप से किसी भी काम करने की चिंता में लग जाएँगे और उसे पूरा भी कर पाएँगे।
    • किसी भी चिंता में या शंका को लेकर किया गया काम, कभी भी पूरा नहीं हो पाएगा। इस के कारण आप सुरक्षित रहने के लिए कोई भी तकलीफ़ का सामना करने से डरने लगेंगे। इस तरह से कोई भी पहल किए बिना, आप कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएँगे।
  3. "मैं ऐसा महसूस नहीं करता" इसे अपने जीवन में कभी उपयोग ना करें: जब तक आप किसी चीज़ को महसूस नहीं करेंगे, तब तक आप उसे सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर सकेंगे।
    • जब हम खुद को इस तरह की बातें बोलते हैं, जैसे कि "मैं व्यायाम करने के लिए सुबह जल्दी नहीं उठ सकता," तो हम सच कुछ ऐसा कह रहे होते हैं, "कि मैं खुद को व्यायाम करने के लायक सही नहीं महसूस करता।" आप को कोई भी चीज़ सुबह व्यायाम करने से नहीं रोक सकती। असली रुकावट आप के अंदर ही है, और वो है कुछ कर सकने की प्रेरणा, जिसे आप बाहर ही नहीं आने देना चाहते ।
    • अधिकांश सफल लेखक या कलाकारों के सफल होने की वजह ही यह होती है, कि वे अपनी दिनचर्या के अनुरूप ही बड़ी मेहनत के साथ सारे काम करते हैं। [५]
    • प्रेरणा को सिर्फ़ नाम के रूप में ना अपनाएँ, बल्कि इसे एक क्रिया के रूप में अपनाएँ। प्रेरणा एक ऐसी चीज़ है, जिस के लिए आप को निरंतर काम करने की ज़रूरत होती है।
  4. आप किसी चीज़ को करने के लिए "यदि ऐसा, तो वैसा (if-then)" योजना का प्रयोग करें: खुद को कुछ विशेष मानक के अंदर काम करने की सीमा का निर्धारण करें।
    • "मैं इस काम को बाद में कर लूँगा" ऐसा कभी भी ना कहें। बल्कि कुछ ऐसा बोलें, जैसे, "यदि" 2 बज जाएँगे हैं, "तो" मैं काम करना शुरू कर दूँगा। इस तरह, पहले से ही तय कर लेने से, आप को काम करने में आसानी होगी। [६]
    • अब, जबकि आप पहले ही सब-कुछ तय कर चुके हैं, तो अब 2 बजे, आप खुद को ऐसा कुछ भी नहीं कहेंगे, कि "क्या मुझे ये अभी करना चाहिए?"
    • यदि-तब (if-then) योजना के तहत आप औसत से 200-300 लक्ष्य ज़्यादा पा सकते हैं। [७]
  5. इसे आप के प्रयासों का अंत ना समझें, बल्कि इसे अपने लक्ष्यों को पाने के अभ्यास की तरह सोचें।
    • जब थॉमस एडिसन ने एक लाइट बल्ब बनाया, तब उन्होने कहा, कि "मैं विफल नहीं हुआ; बल्कि मुझे बल्ब ना बनाने के 2,000 तरीकों के बारे में पता चला।" [८]
    • सफलता की शुरुआत ही विफलता के साथ होती है। [९] जब आप बहुत ज़्यादा कोशिश करते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से विफल होते हैं। तो विफल होने या ग़लती करने के डर से, कोशिश करना बंद ना कर दें। यदि आप कोशिश करना बंद कर देंगे, तो ये ही असल विफलता होगी।
  6. अपनी सफलता का आनंद लें, लेकिन उस पर अपना सारा ध्यान ना केंद्रित कर दें: इस तरह से आप हमेशा सिर्फ़ "अपनी उपलब्धियों पर ही रुककर रह जाएँगे" और यह आप का ध्यान क्या पाना चाहिए, को छोड़कर आप के पास क्या हैं, पर लगा देगा। [१०]
    • आप ने जिन भी चीज़ों को सही तरीके से पूरा किया है, उन के बारे में सोचकर आनंद लेना अच्छी बात है, लेकिन इस तरह से आप अपने अगले लक्ष्य को पाने के बारे में सोच भी नहीं पाएँगे।
    • अपने लक्ष्यों की सफलता के बारे में सोचना तब के लिए अच्छा होगा, जब आप ने आगे के लिए कोई भी विशेष लक्ष्य ना बनाया हो। जब भी आप किसी लक्ष्य की ओर कार्य करते हैं, तो अपनी सफलता का आनंद लेकर आप इस प्रक्रिया पर विराम लगा देते हैं। [११]
विधि 2
विधि 2 का 2:

लक्ष्यों का निर्धारण करना

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  1. "यदि-तब (if-then) योजना की ही तरह, कुछ शारीरिक गतिविधियों से संबंधित लक्ष्य बनाएँ, और अपने दिमाग़ में इन्हें एक जगह देकर, इन को पाने की आकांक्षा रखें।
    • हर दिन अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करें, लेकिन सफलता पाने के लिए सिर्फ़ इतना ही काफ़ी नहीं है। जैसे " मैं आज की दौड़ में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दूँगा," के बजाय कुछ ऐसा कहें कि "मैं 10 मिनिट में आज की दौड़ पूरी करने की कोशिश करूँगा"। [१२]
    • जबकि "आप का सर्वश्रेष्ठ" का तात्पर्य हर किसी के लिए एक अलग होता है, अब जब आप किसी लक्ष्य को कर पाने में कठिनाई महसूस करने लगेंगे, तो कम से कम ये तो सोच सकते हैं, कि आप ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया था। उदाहरण के लिए, यदि आप दौड़ते समय थोड़ा कष्ट का अनुभव कर रहे हैं, तो कह सकते हैं, "अब बस मेरा हो गया। यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।"
  2. अब, जबकि आप ने अपना एक विशेष लक्ष्य निर्धारित कर लिया है, तो इसे पाने के लिए उठाए जाने वाले सारे कदमों की एक लिस्ट बना लें।
    • उदाहरण के लिए किसी दौड़ को 10 मिनिट में पूरा कर सकने के लिए, मुझे हर रोज़ अपने घर के पास मौजूद गार्डन के दस चक्कर काटने होंगे। इस के बाद मैं इस के 20 चक्कर लगाना शुरू कर दूँगा।
    • कुछ लोग कुछ विशेष लक्ष्यों को भी सिर्फ़ इसीलिय हासिल नहीं कर पाते, क्योंकि उन्होने इस के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई होती है। यदि आप के पास इस की कोई योजना नहीं है, तो आप इसे पा सकेंगे या नहीं यह ज्ञात कर पाना आप के लिए कठिन होगा।
  3. यदि आप स्वस्थ्य हैं और हर रोज़ जॉगिंग करते हैं, तो आप के लिए 1 किलोमीटर की किसी दौड़ को 10 मिनिट में पूरा कर पाना, एक पाने लायक लक्ष्य है। लेकिन किसी अस्थमा या किसी अन्य बीमारी के चलते इस लक्ष्य को प्राप्त कर पाना असंभव है।
    • आप के लक्ष्यों को इतना भी आसान नहीं होना चाहिए, कि इन्हें पाने के लिए आप को मेहनत ही ना करनी पड़े। यदि आप ने 1 किलोमीटर की दौड़ को इस के पहले भी 10 मिनिट के अंदर पूरा किया है, तो अब इसे 9 मिनिट में पूरा करने का लक्ष्य करें। आसानी से पूरे हो सकने वाले लक्ष्यों को बनाने से आप के आत्म-विश्वास को बढ़ाने में मदद होगी, लेकिन यह आप के प्रदर्शन को नहीं बढ़ा सकेगा। [१३]
    • आप के इन लक्ष्यों को इतना भी कठिन नहीं होना चाहिए, कि इन को पाने की कोई संभावना ही ना हो। जैसे कि, 1 किलोमीटर को 4 मिनिट में दौड़ पाना, ओलंपिक में दौड़ने वाले किसी व्यक्ति के लिए तो पा सकने वाला लक्ष्य है, लेकिन किसी औसतन जॉगर के लिए यह असंभव है। इतने कठिन लक्ष्य भी आप को हताश और क्रोधित कर सकते हैं, और इस वजह से आप आगे भी किसी लक्ष्य को पाने के बारे में गंभीरता से नहीं सोच पाएँगे।
  4. अल्पकालिक और दीर्घकालिक, दोनों ही तरह के लक्ष्य भी रखें: सिर्फ़ दीर्घकालिक लक्ष्य होने से, अब क्योंकि इन को पूरा होने में लंबा समय लग सकता है, इस लिए आप इन की तरफ कम ध्यान देने लगेंगे। और अल्पकालिक लक्ष्यों को पूरा होने में कम समय लगता है, तो आप हर समय इन को याद रखने के लायक रहेंगे और इन की तरफ ज़्यादा प्रेरणादायी तरह से देख पाएँगे।
    • उपलब्धियाँ, आप के आत्म-विश्वास को बढ़ाने में मददगार साबित होतीं हैं। कुछ बहुत छोटे-छोटे, अल्पकालिक लक्ष्य बनाकर, और उन्हें कम समय में पाकर, आप को अपने आप में बहुत सारे प्रभाव देखने को मिलेंगे।
    • उदाहरण के लिए, इस महीने में 1 किलोमीटर को 9 मिनिट में पूरा करने का और अगले महीने में 8:30 मिनिट में पूरा करने का लक्ष्य रखना। और इसे 7 मिनिट में पूरा करना, आप के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य होगा।
  5. एक लक्ष्य को पूरा करने के फ़ौरन बाद ही एक दूसरा लक्ष्य निर्धारित कर लें: महत्वाकांक्षी लोगों के अंदर मौजूद गुणों में से एक बहुत महत्वपूर्ण गुण यह भी होता है, कि उन्हें हर समय अन्य लोगों से बेहतर बनने की लालसा रहती है। [१४]
    • अन्य लक्ष्य निर्धारित कर के, आप अपनी सफलता की धूप को सेंकने के बजाय, इस नए लक्ष्य को पाने की कोशिश में लग जाएँगे। तो जितना भी जल्दी संभव हो, एक लक्ष्य के बाद में फ़ौरन ही दूसरा निर्धारित कर लें।
    • जब भी आप 1 किलोमीटर की दौड़ को 7 मिनिट में पूरा करें, तो उस के फ़ौरन बाद किसी छोटे मैराथन में दौड़ने की कोशिश करें। अपने पैरों को कुछ समय के लिए आराम दें, लेकिन समय के दौरान, अपने नए लक्ष्य को पाने की रणनीति बनाएँ।
  6. किसी भी लक्ष्य को पाने के बाद, हर बार खुद को कोई पुरस्कार देना ना भूलें: उदाहरण के लिए, किसी लक्ष्य को पाने के बाद खुद के लिए कुछ अच्छे कपड़ों की शॉपिंग करें।
    • थोड़ा सा तनाव भी ज़रूरी है, क्योंकि यह आप के दिमाग़ को केंद्रित करने और प्रोत्साहित करने में मददगार साबित होता है। हाँ, लेकिन बहुत ज़्यादा तनाव भी आप के प्रदर्शन के स्तर को कम कर देगा। यह आप के आत्म-विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा, जो आख़िर में आप को अपने लक्ष्यों को बिना पाए ही त्याग देने पर मजबूर कर देगा।
    • निरंतर तनाव में रहने से ना सिर्फ़ आप के हौसलों को कमजोर बनाएगा, बल्कि यह आप के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। पुराना तनाव आप के हृदय पर तनाव डालता है और डाइयबिटीस या अस्थमा जैसी बीमारियों का कारण बनता है। और इस के कारण आप को सर्दी होने का भी ख़तरा बना रहता है। [१५]
    • खुद को पुरस्कृत करना, अपनी सफलता पर अटके रहने से बहुत अलग है। खुद को पुरस्कार देकर आप खुद को आगे के लक्ष्यों को पाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस का तात्पर्य यह बिल्कुल भी नहीं है, कि आप अपनी सफलता पर बिल्कुल भी ध्यान ना दें। ज़्यादातर बातों के लिए हाँ बोलने का भी लक्ष्य रखें, यह आप को बहुत आसान नज़र आएगा, लेकिन ये आप को आगे बढ़ने के लिए और भी प्रेरित करेगा।

सलाह

  • व्यवस्थित रहें। अपने लक्ष्यों पर ध्यान लगाना और भी आसान हो जाएगा, यदि आप को अन्य किसी भी काम जैसे कि, कमरे में मौजूद किताबों या अन्य सामान में से कोई चीज़ छाँटने में अपना दिमाग़ ना लगाना पड़े ।
  • लिस्ट बनाएँ। और इन्हें अपने बेड के पास या बाथरूम की दीवार पर चिपका दें, ताकि आप हर समय इन पर अपनी नज़र डाल सकें!

चेतावनी

  • कुछ लोग आप को हर समय काम में डूबे रहने वाला व्यक्ति समझेंगे। उन पर भरोसा ना करें। अपनी सामाजिक जीवन के साथ-साथ अपने लक्ष्यों को पाने की कोशिश भी जारी रखें, और उन की टिप्पणियों को भूल जाएँ।

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