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अलग-अलग फ्लेवर्स का स्वाद लेने की क्षमता वास्तव में जीवन का सबसे अच्छा सुख है | लेकिन कई बार, किसी बीमारी या उम्र बढ़ने के कारण स्वाद लेने की क्षमता कम हो सकती है | ऐसा होने पर स्वादिष्ट खाने का मजा लेना काफी मुश्किल जाता हो है | लेकिन चिंता न करें! क्योंकि स्वादहीनता की अधिकतर स्थितियाँ अस्थायी या रिवर्सेबल होती हैं | कुछ आसान सी रेमेडीज के साथ आप जल्दी ही अपने खाने का लुफ्त उठा सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

घरेलू उपचार आजमायें

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  1. साइनोसाइटिस में राहत पाने के लिए कैस्टर ऑइल से मसाज करें: साइनोसाइटिस में राहत पाने और सूंघने और स्वाद के सेंस को बढाने के लिए लगभग ½ छोटी चम्मच (2.5 मिलीलीटर) कैस्टर ऑइल में एक बूँद यूकेलिप्टस ऑइल जैसे किसी एसेंशियल ऑइल को मिलाकर चेहरे पर मध्यम प्रेशर के साथ मलें | आँखों के बीच से शुरुआत करें और फिर आईब्रो से ले जाते हुए कानों तक मसाज करें | अब नीचे की ओर नाक तक मसाज करें |
    • स्थानीय रूप से कैस्टर ऑइल लगाने से बलोद फ्लो बढ़ जाता है और साइनसेस को ड्रेन करने में मदद मिलती है | [१]
    • स्वाद और सूंघने के सेंस आपस में सम्बंधित होते हैं और इनमे से किसी एक की हानि होने पर दूसरा भी प्रभावित हो सकता है | इसीलिए सर्दी-जुकाम, फ्लू या एलर्जी के कारण कंजेशन होने पर स्वाद लेने के सेंस भी कम हो जाते हैं |
  2. एक पॉट या केतली में पानी उबालें और उसे एक टीपॉट में डाल लें | इसमें थोड़ी सी चायपत्ती या अपनी पसंद की कोई हर्बल चाय के टी बैग्स डालें और उपयोग की जाने वाली चाय के प्रकार के अनुसार सही समय तक लगभग 3 से 5 मिनट तक भाप में पकने दें | इस चाय को गर्मागर्म ही पियें |
    • आप दिन में जितना चाहें उतनी बार हर्बल चाय पी सकते हैं लेकिन बीमार होने पर दिन में कम से कम एक बार हर्बल चाय पीने का लक्ष्य बनायें |
    • जुकाम होने पर गर्मागर्म हर्बल टी पीने से नासाछिद्रों से म्यूकस पतला होकर आसानी से निकल जाता है | इससे स्वाद और सूंघने के सेंसेस को रिस्टोर करने में मदद मिलती है | गर्मागर्म स्वादिष्ट चाय स्वाद कलिकाओं या टेस्ट बड्स को भी उत्तेजित कर सकती हैं |
    • आप कई तरह की हर्बल टी का लुफ्त उठा सकते हैं | केमोमाइल टी एंटी-इंफ्लेमेटरी होती है और पेपरमिंट टी एंटी-माइक्रोबियल और दोनों ही डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के लिए अच्छी होती हैं | दोनों ही बीमारी से लड़ने में मदद करने और जुकाम के लक्षणों को दूर करने के लिए बेहतरीन होती हैं | [२]
  3. जुकाम दूर करने के लिए पानी में लहसुन मिलाकर पियें: लहसुन एक नेचुरल एंटीबायोटिक होता है जिससे बीमारी दूर करने में मदद मिलती है | इसे एक प्रभावशाली दवा में रूप में लेने के लिए एक से दो बारीक कटी हुई लहसुन की कलियों को एक पानी से भरे छोटे गिलास में डालें और तुरंत पी जाएँ |
    • प्रेग्नेंट महिलाओं को दवा के रूप में दिन में लहसुन की एक कली से ज्यादा नहीं लेनी चाहिए | [३]
    • आप अपने खाने में भी लहसुन को शामिल कर सकते हैं क्योंकि इसके स्ट्रोंग फ्लेवर के कारण आपकी टेस्ट बड्स उत्तेजित हो सकती हैं |
  4. एक बड़े पॉट में एक से दो कप (240 से 470 मिलीलीटर) पानी उबालें और फिर इसे आंच से उतार लें | इस पॉट को एक ढक्कन से 5 मिनट के लिए ढँक दें और फिर ढक्कन हटाकर अपने फेस को डायरेक्ट पॉट के ऊपर लायें और सिर को किसी टी टॉवेल से कवर करें जिससे हीट इसके अंदर बनी रहे और चेहरे पर स्टीम लगती रहे | जितना हो सके सांस भरते हुए स्टीम लें और कम से कम 15 मिनट तक स्टीम लें |
    • अगर आप चाहें तो इस पानी में दो छोटी चम्मच (9.9 मिलीलीटर) थाइम, ऑरेगैनो और रोजमेरी मिला सकते हैं |
    • आप पानी में ½ कप (120 मिलीलीटर) विनेगर भी मिला सकते हैं जिससे बीमारी से लड़ने में मदद मिल सकती है | [४]
  5. एक से दो छोटी चम्मच (4.9 से 9.9 मिलीलीटर) कोकोनट, ऑलिव या तिल के तेल को मुंह में भरें और 20 मिनट तक मुंह में घुमाते रहें | मुंह में घुमाने पर ऑइल गाढ़ा होता जायेगा और थूकने पर क्रीमी वाइट होगा | स्विशिंग (मुंह में घुमाने) के बाद पाइप अवरुद्ध होने से बचाने के लिए सिंक में थूकने की बजाय इसे किसी ट्रैश में थूकें |
    • अब गर्म पानी से मुंह धो लें और दांतों को ब्रश कर लें |
    • मुंह में ऑइल भरने से मुख के स्वाद को बिगाड़ने वाले हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने में और बुरे टेस्ट को साफ़ करके बाहर निकालने में मदद मिल सकती है | कोई भी चीज़ खाने से पीने से पहले रोज़ सुबह एक बार मुंह में ऑइल भरें | [५]
  6. आप दालचीनी को कई तरह से खाने और ड्रिंक्स में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं | अगर आपको जुकाम या फ्लू है तो एक कप चाय में ½ चम्मच (2.5 मिलीलीटर) दालचीनी डालें और मिठास के लिए थोड़ी सी शहद मिलाकर गर्मागर्म पी जाएँ |
    • दालचीनी के कई सारे स्वास्थ्य लाभ होते हैं क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं | इससे जुकाम और फ्लू के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है क्योंकि इस सूजन के कारण टेस्ट सेंस कम हो जाते हैं और साथ ही दालचीनी से मुंह के स्वाद के सेंसेस को प्रभावित करने वाली दांतों की सडन और मसूड़ों की बीमारियों से भी बचा जा सकता है |
    • किसी भी दूसरे फ़ूड के समान ही बहुत ज्यादा मात्रा में दालचीनी खाना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है | इसलिए दिन में 1 से 2 छोटी चम्मच (4.9. से 9.9 मिलीलीटर) तक ही दालचीनी का सेवन करें और अगर पहले से कोई बीमारी नहीं है तो इतनी मात्रा काफी होती है | अगर कोई भी संदेह हो तो डॉक्टर से सलाह जरुर लें | [६]
विधि 2
विधि 2 का 3:

लाइफस्टाइल में बदलाव लायें

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  1. कई बार स्वाद और सूंघने की शक्ति जिंक की कमी के कारण भी कम हो जाती है | शरीर के काम सही तरह से कराने के लिए जिंक बहुत जरुरी होता है लेकिन यह शरीर में ज्यादा लम्बे समय तक स्टोर नहीं होता | इसलिए आपको अपनी डाइट में लगातार जिंक सप्लाई लेने की आवश्यकता होती है |
    • ओएस्टर, कद्दू, ताहिनी, डार्क चॉकलेट, क्रैब, लॉबस्टर, और बीन्स जैसे फूड्स में जिंक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है |
    • कई बार जिंक सप्लीमेंट की जरूरत होती है लेकिन डॉक्टर से सलाह लिए बगैर इन्हें न लें | बहुत ज्यादा जिंक (100 से 200 मिलीग्राम या 0.0035 से 0.00 71 ओज से ज्यादा मात्रा में) लेने से आयरन और कॉपर लेवल कम हो सकते हैं और उल्टियाँ, पेट से सम्बंधित परेशानियाँ हो सकती हैं | [७]
  2. हर दिन लगभग 8 कप (240 मिलीलीटर के आठ गिलास) पानी पियें: मुंह सूखने के कारण स्वाद लेने और सूंघने के सेंस कम हो सकते हैं | हाइड्रेटेड रहना आमतौर पर स्वस्थ रहने का बेहतरीन तरीका है और संभवतः उस जुकाम से भी बचाव हो जाता है जिसके कारण स्वाद लेने के सेंस कम हो जाते हैं |
    • अगर आपको ज्यादा प्यास नहीं लगती और यूरिन क्लियर या पेल येलो कलर का हो तो समझ जाइए कि आपका फ्लूड इन्टेक पर्याप्त है |
    • कुछ लोगों को उचित रूप से हाइड्रेटेड रहने के लिए दिनभर में आठ गिलास से ज्यादा या कम पानी पीने की जरूरत हो सकती है | औसतन, महिलाओं को दिनभर में लगभग 11.5 कप (2.5 लीटर) और पुरुषों को दिनभर में 15.5 कप (3.7 लीटर) पानी पानी पीने की जरूरत होती है | [८]
  3. नियमित रूप से दांत ब्रश करें और फ्लॉस करें : जिन्जिवाइटिस से बचने के लिए अच्छी डेंटल हाइजीन रखना बहुत जरुरी है क्योंकि यह मसूड़ों की बीमारियों की आरंभिक स्टेज है जिसके कारण मसूड़ों की लाइन में प्लाक बनने लगते हैं | मसूड़ों पर अतिरिक्त प्लाक बनने के साथ ही दांतों की बीमारी और क्षय होने से मुंह के स्वाद पर असर पड़ता है | इसलिए दन में दो बार कम से कम 2 मिनट तक फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट से ब्रश और फ्लॉस करें | [९]
  4. अपने लिए सही तरीका खोजने तक अलग-अलग स्ट्रेटेजीज आजमायें जैसे, ठंडक वाले देश तुर्की जाएँ, गम या पैच जैसी निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरपी का इस्तेमाल करें जिसमे धीरे-धीरे आपके द्वारा लिए जाने वाले निकोटिन की मात्रा कम की जाती है या चेंटिक्स या जायबेन (chantix or zyban) डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी दवाएं लें जो ब्रेन की केमिस्ट्री को बदल देती है और निकोटिन की क्रेविंग और इसे छोड़ने के बाद होने वाले लक्षणों को कम कर देती हैं | [१०]
    • स्मोकिंग आपके पूरे स्वास्थ्य के लिए न केवल हानिकारक होती है बल्कि इससे खाने का स्वाद लेने की क्षमता भी कम होने लगती है | स्मोकिंग छोड़ने के बाद दो दिनों में ही मुंह में स्वाद के सेंसेस फिर से आ जायेंगे | [११]
    • स्मोकिंग छोड़ना सच में चैलेंजिंग हो सकता है लेकिन हार न मानते हुए स्मोकिंग छोड़ें क्योंकि इसके लिए कई तरह की स्ट्रेटेजीज होती हैं और उनमे से कोई न कोई आप पर भी काम करेगी | कुछ स्मोकर्स को हिप्नोसिस, एक्यूपंक्चर के इस्तेमाल से इस लत को छोड़ने में सफलता मिल जाती है जबकि कुछ लोगों को सिगरेट से सम्बंधित मेंटल और फिजिकल लत को तोड़ने में मैडिटेशन से मदद मिलती है | [१२]
  5. अपनी उम्र के अनुसार अपने खाने में अतिरिक्त मसाले और फ्लेवर डालें: उम्र बढ़ने के साथ-साथ मुंह का स्वाद भी कम होने लगता है | [१३] टेस्ट बड्स कमी की पूर्ती करने के लिए अपने खाने में मसाले और बेसिल, ऑरेगैनो, सिलान्ट्रो और काली मिर्च जैसी हर्ब्स डालें |
    • अगर आपको परमिशन हो तो अपनी डाइट में चीज़, बेकन बाईट, ऑलिव ऑइल और भुने हुए नट्स को अपनी सब्जी में डालकर उसे और स्वादिष्ट बनायें |
    • अपनी डाइट में बहुत ज्यादा नमक या चीनी न डालें क्योंकि ये अनहेल्दी होते हैं |
    • पुलाव जैसी डिशेस खाने से बचें क्योंकि इनमे कई सारे मसाले होते हैं जो सभी का स्वाद एक-दूसरे में मिला हुआ होता है | इससे स्वाद नहीं मिल पाता | [१४]
    • ध्यान रखें कि मसाले बहुत पुराने न हो क्योंकि समय के साथ उनका फ्लेवर ख़त्म होता जाता है | [१५]
विधि 3
विधि 3 का 3:

मेडिकल रेमेडीज लें

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  1. अपने नासामार्ग को साफ़ करने के लिए कोई डीकंजेस्टेंट या एंटीहिस्टामिन लें: अगर जुकाम, फ्लू या सीजनल एलर्जी के कारण मुंह का स्वाद चला गया है तो अपनी कंजेस्टेड नाक को खोलने के लिए बाज़ार में मिलने वाली दवाएं लें | इससे स्मेल सेंसेस को ठीक करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही स्वाद से सम्बन्धित सेंस भी बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं | [१६]
    • डीकंजेस्टेंट्स आमतौर पर पिल्स, लिक्विड फ्रॉम और नेसल स्प्रे के रूप में मिलते हैं | बाज़ार में मिलने वाले कुछ सूडोएफ्रेडिन वाले डीकंजेस्टेंट फार्मेसी काउंटर के पीछे मिल जाते हैं इसलिए इन्हें लेने के लिए कोई डॉक्टर के पर्चे की जरूरत नहीं होती | [१७]
  2. अगर आपको बैक्टीरियल इन्फेक्शन है तो डॉक्टर से एंटीबायोटिक्स लिखवायें: बैक्टीरियल साइनोसाइटिस, गले और लार ग्रंथियों के इन्फेक्शन जैसी कुछ कंडीशन में मुंह का स्वाद गायब हो सकता है | डॉक्टर से ल्साह लेने और सही डायग्नोसिस होने के बाद इस तरह की कंडीशन को ठीक करने के लिए डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी एंटीबायोटिक्स लें जिससे स्वाद के सेंसेस वापस आने में मदद मिल सके | [१८]
    • मेडिकल कम्युनिटी में इस बारे में काफी वाद-विवाद हैं कि ऐसी कंडीशन में एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स करना जरुरी होता है या लक्षण ठीक हो जाने पर बंद करना उचित होता है | कोई ठोस जानकारी न होने पर डॉक्टर से सलाह लें और जानें कि आपको मेडिसिन कब तक खानी होंगी और क्या लक्षण खत्म होने पर भी दवाएं लेना जारी रखना होगा या नहीं | [१९]
  3. अगर लम्बे समय से मुंह का स्वाद ख़त्म हो रहा हो तो ऑटोलार्यंगोलॉजिस्ट को दिखाएँ: ऑटोलार्यंगोलॉजिस्ट को आमतौर पर ENT (इयर, नोज़ एंड थ्रोट) डॉक्टर के रूप में जाना जाता है जो कान, नाक, गला, मुंह और श्वासनली से सम्बंधित समस्याओं के स्पेशलिस्ट होते हैं | अगर आपको ऐसी स्वादहीनता की परेशानी हो रही हो जिसका सम्बन्ध जुकाम या बढती हुई उम्र से नहीं है तो डॉक्टर से स्पेशलिस्ट के पास भेजने के लिए रेफरल लें जो स्वादहीनता के कारण को खोज सकते हैं और पहले से होने वाली बीमारियों के इलाज़ में मदद कर सकते हैं |
    • ऑटोलार्यंगोलॉजिस्ट आपके कान, नाक, गला और मुंह को एक्सामिन करेंगे और एक टेस्ट परीक्षण करेंगे जिससे आपके टेस्ट क्वालिटी की सबसे कम कंसेंट्रेशन को पता लगा सकते हैं | आप अपने टेस्ट की तुलना करने के लिए अलग-अलग केमिकल कंसेंट्रेशन को सिप करके और फिर उन्हें थूंककर जान सकते हैं या अपनी जीभ की सतह पर डायरेक्ट लगाकर भी चेक कर सकते हैं | [२०]
    • पार्किन्सन, अल्जाइमर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और बेल्स पाल्सी जैसे डिसऑर्डर्स के कारण मुंह का स्वाद ख़त्म हो सकता है इसलिए अगर आपके मुंह का स्वाद लम्बे समय से धीरे-धीरे कम होता जा रहा हो तो डॉक्टर को जरुर दिखाएँ | [२१]
  4. कई बार दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स के लिए ली जा रही दवाओं के कारण मुंह का स्वाद चला जाता है | उदाहरण के लिए, कैंसर की लिए दी जाने वाली कीमोथेरेपी से स्वाद लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है | [२२] आप भी डॉक्टर से सलाह लें कि इस तरह की मेडिसिन छोड़ सकते हैं या उनका डोज़ कम किया जा सकता है या नहीं | [२३]
  5. कई बार पॉलिप्स के कारण भी मुंह का स्वाद चला जाता है | ये पॉलिप्स सॉफ्ट, दर्दरहित, नॉन कैंसरस ग्रोथ होते हैं जो नासामार्ग या साइनस में लटकते रहते हैं | [२४] नेसल पॉलिप्स दवाओं से ठीक किये जा सकते हैं लेकिन बार-बार होने और बने रहने वाले केसेस में सर्जरी करानी पड़ती है |
    • पॉलिप्स को संकुचित करने और सूजन कम करने के लिए डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉयड दे सकते हैं |
    • अगर दवाओं से नेसल पॉलिप कम या ख़त्म नहीं होते तो डॉक्टर एंडोस्कोपी सर्जरी कर सकते हैं | इसमें सर्जन आपके नासछिद्रों में एक कैमरे वाली ट्यूब डालते हैं और फिर पॉलिप्स को निकालने और नासामार्ग से साइनसेस की ओपनिंग को बढाने के लिए छोटे-छोटे उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं | यह सर्जरी क्लिनिक पर की जा सकती है और इससे रिकवरी में लगभग दो सप्ताह का समय लगता है | [२५]

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