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हाइड्रोसील (hydrocele) पुरुषों के अंडकोष की थैली (स्क्रोटम) में फ्लूड से भरा हुआ एक सैक (sac) होता है जिसमे एक या दोनों टेस्टीकल्स (वृषणों) के आसपास फ्लूड का बेकअप हो सकता है | [१] यह कंडीशन अपेक्षाकृत भारत में जन्में बच्चों में औसतन 1 से 2 % तक कॉमन होती है | [२] अधिकतर केसेस में, हाइड्रोसील हानिकारक नहीं होती और बिना ट्रीटमेंट अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन स्क्रोटम में सूजन आने पर हमेशा डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए जिससे उस सूजन के कारण जा पता लगाया जा सके | बार-बार होने वाली या बनी रहने वाली हाइड्रोसील का स्थायी इलाज़ सर्जरी ही है लेकिन कुछ होम रेमेडीज से भी मदद मिल सकती है |

विधि 1
विधि 1 का 2:

हाइड्रोसील को समझें और उसका सामना करें (Understanding and Dealing with Hydroceles)

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  1. अगर आपके टेस्टीकल्स/स्क्रोटम में पीड़ारहित सूजन दिखाई दे तो गर्म पानी में कुछ कप एप्सोम साल्ट डालकर नहायें | [३] बाथटब में अपने पैर थोड़े फैलाकर 15 से 20 मिनट तक रिलैक्स करें जिससे पानी से स्क्रोटम में सेंक होता रहे | पानी की गर्माहट बॉडी फ्लूड के मूवमेंट को उत्तेजित करती है (जिससे ब्लॉकेज खुलने में मदद मिल सकती है) और नमक आपकी स्किन से फ्लूड को बाहर खींचकर सूजन कम कर सकता है | एप्सोम साल्ट मैग्नीशियम का भी रिच सोर्स है जिससे मसल्स/टेंडन को रिलैक्स करने में मदद मिल सकती है और टेंडरनेस (छूने पर दर्द होना) में राहत मिल सकती है |
    • अगर हाइड्रोसील के कारण उस जगह पर दर्द हो रहा हो तो गर्म पानी (या हीट के किसी सोर्स) में स्क्रोटम एक्स्पोज होने पर सूजन और बढ़ सकती है और स्थिति और ख़राब हो सकती है |
    • बहुत ज्यादा गर्म पानी से न नहायें (जलने से बचें) और इस बाथटब में बहुत ज्यादा देर तक न बैठें (जिससे डिहाइड्रेशन से बचे रहें) |
  2. हाइड्रोसील का पहला संकेत है - दर्दरहित सूजन या अंडकोष की थैली (स्क्रोटम) का आकार बढ़ना जो एक या दोनों वृषणों (testicles) के आसपास फ्लूड कलेक्शन को प्रदर्शित करता है | [४] बेबीज में हाइड्रोसील से कॉम्प्लिकेशंस बहुत कम होते हैं और अधिकतर उम्र बढ़ने पर बिना कसी ट्रीटमेंट के अपनेआप ठीक हो जाते हैं | इसके विपरीत, पुरुषों में हाइड्रोसील से होने वाली परेशानी धीरे-धीरे बढ सकती है क्योंकि स्क्रोटम सूज जाते हैं और भारी हो जाते हैं | इससे एक्सट्रीम केसेस में बैठने या चलने/दौड़ने में बहुत परेशानी होती है |
    • हाइड्रोसील से होने वाले दर्द या परेशानी का सम्बन्ध उसके साइज़ से होता है, जितना बड़ा साइज़ होगा, उतनी ज्यादा परेशानी फील होगी |
    • हाइड्रोसील सुबह (जागने पर) बहुत छोटी होते हैं और फिर दिन बढ़ते-बढ़ते सूजन बढती जाती है | [६] जोर लगाने से हाइड्रोसील साइज़ में बढ़ सकती है |
    • जो बच्चे समय से पहले जन्म (premature born) ले लेते हैं, उनमे हाइड्रोसील होने की सम्भावना बहुत ज्यादा होती है | [७]

    क्या आप जानते हैं: हाइड्रोसील के मुख्यतः 2 टाइप होते हैं: संचारी (communicating) और गैर-संचारी (noncommunicating)। एक संचारी हाइड्रोसील में, द्रव (fluid) अंडकोश (scrotum) और उदर गुहा (abdominal cavity) के बीच ट्रेवल करता है, जिससे हाइड्रोसील आकार में कम ज्यादा होती रहती है। एक गैर-संचारी हाइड्रोसील में, द्रव अंडकोश के ऊतकों से ही आता है, इसलिए द्रव की मात्रा पूरे दिन स्थिर रहती है। [५]

  3. बेबी बॉयज, किशोर और पुरुषों के ज्यादातर केसेस में, हाइड्रोसील आमतौर पर बिना किसी विशेष ट्रीटमेंट के अपने आप ठीक हो जाती है | [८] टेस्टीकल्स से आसपास के कंजेशन या ब्लॉकेज अपने आप ठीक हो जाते हैं और हाइड्रोसील ड्रेन होकर बॉडी में अवशोषित हो जाती है | इसलिए, अगर आपके आकर में बड़ा हुआ स्क्रोटम दिखाई दे और इसके कारण न तो दर्द हो और न ही मूत्रत्याग या सेक्स के दौरान कोई परेशानी हो तो ये कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो सकता है |
    • बेबी बॉयज में होने वाली हाइड्रोसील आमतौर पर जन्म के एक साल बाद अपनेआप धुंधली होती जाती है |
    • पुरुषों में हाइड्रोसील छह महीने में धीरे-धीरे गायब हो जाती है जो उसके कारणों पर निर्भर करती है | सबसे बड़ी हाइड्रोसील में थोडा ज्यादा समय लग सकता है लेकिन एक साल से ज्यादा समय तक बनी रहने वाली हाइड्रोसील को डॉक्टर को दिखाना चाहिए |
    • बच्चों और किशोरों में हाइड्रोसील इन्फेक्शन, ट्रॉमा, टेस्टीकुलर टोर्सन (testicular torsion) या ट्यूमर के कारण हो सकता है इसलिए डॉक्टर से इन सभी संभावनाओं के लिए एक्सामिन कराए |
    • हाइड्रोसील फ्लूड से भरे हुए गैंगलियोन्स (ganglions) के समान होते हैं जो जॉइंट के नज़दीक टेंडन शीथ में बनते हैं और फिर धीरे-धीरे गायब हो जाते हैं |
  4. बेबी बॉय में हाइड्रोसील होने का कारण अज्ञात होता है लेकिन ऐसा माना जाता है कि गर्भ में बच्चे की पोजीशन में कारण सही ब्लड सर्कुलेशन न होने के कारण फ्लूड वापस आ जाता है | परन्तु, बड़े लड़कों और पुरुषों में यह स्क्रोटम में ट्रॉमा लगने या इन्फेक्शन के कारण होता है | [9] यह ट्रॉमा रेसलिंग (कुश्ती), मार्शियल आर्ट्स, साइकिलिंग और कई तरह की सेक्सुअल एक्टिविटी के कारण हो सकता है | टेस्टीस/स्क्रोटम में इन्फेक्शन का सम्बन्ध ज्यादातर सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से होता है; [10] इसीलिए अपने स्क्रोटम (अंडकोष की थैली) को ट्रॉमा से बचाएं और सुरक्षित सेक्स करने की आदत डालें |
    • अगर आप कांटेक्ट स्पोर्ट्स खेलते हैं तो हमेशा स्क्रोटम को इंजुरी से बचाने के लिए प्लास्टिक कप वाले एथलेटिक सपोर्टर पहनें |
    • इन्फेक्शन की रिस्क कम करने के लिए हर बार सेक्स करते समय नये कंडोम का इस्तेमाल करें | STDs हमेशा टेस्टीकल्स को संक्रमित नहीं करती लेकिन ये इन्फेक्शन सामान्य भी नहीं है |
  5. अगर आपके बेबी बॉय के स्क्रोटम सूज गये हैं और एक साल तक सूजन कम न हो या लगातार सूजन बढती जाए तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए | [11] पुरुषों को डॉक्टर को दिखाने तब जाना चाहिए जब हाइड्रोसील छह महीने से भी ज्यादा समय से बनी रहे या इतनी बड़ी हो जाए कि इससे दर्द/परेशानी या असामान्य आकार दिखाई देने लगे |
    • टेस्टीकुलर इन्फेक्शन हाइड्रोसील के समान नहीं होता बल्कि हाइड्रोसील बने रहने पर सेकेंडरी कारण के रूप में हो सकता है | टेस्टीकुलर इन्फेक्शन बहुत पीड़ादायक होते हैं और इनका इलाज़ जरुरी होता है क्योंकि इनसे इनफर्टिलिटी की रिस्क बढ़ जाती है | अगर आपके स्क्रोटम में सूजन और बुखार हो तो डॉक्टर को दिखाएँ |
    • अगर हाइड्रोसील के कारण आप दौड़, चल या बैठ नहीं पा रहे हों तो डॉक्टर को दिखाएँ |
    • हाइड्रोसील से फर्टिलिटी पर कोई फर्क नहीं पड़ता |
विधि 2
विधि 2 का 2:

मेडिकल ट्रीटमेंट लें

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  1. अगर हाइड्रोसील नॉर्मल से ज्यादा दिनों तक बनी रहे तो इसके कारण दर्द और दूसरे लक्षण हो सकते हैं इसलिए डॉक्टर को दिखाकर एग्जामिनेशन कराएं | हाइड्रोसील सीरियस नहीं होती लेकिन डॉक्टर उन सभी सीरियस कंडीशन का पता लगायेंगे जो एकसमान दिखाई देती हैं जैसे; इन्गुइनल हर्निया (inguinal hernia), वेरीकोसील (variocele), इन्फेक्शन, बिनाइन ट्यूमर (benign tumor) या टेस्टीकुलर कैंसर (testicular cancer) | [12] जब हाइड्रोसील की डायग्नोसिस बन जाए तो आपको कई तरह की जरुरी सर्जरी कराने के विकल्प मिल जायेंगे | इसमें मेडिकेशन असर नहीं करेंगी |
    • डॉक्टर स्क्रोटम के अंदर की असामान्यता को बेहतर रूप से देखने के लिए डायग्नोस्टिक अल्ट्रासाउंड, MRI या CT स्कैन करा सकते हैं |
    • स्क्रोटम पर ब्राइट लाइट की चमक से देखकर बताया जा सकता है कि उसमे भरा फ्लूड क्लियर है या धुंधला है जो ब्लड और/या पस हो सकता है |
    • ब्लड और यूरिन टेस्ट्स कुछ इन्फेक्शन का पता लगाने में बहुत काम आते हैं जैसे, एपिडिडायमाइटिस (epididymitis), मम्प्स (mumps) या कई तरह की STDs |
  2. हाइड्रोसील डायग्नोज़ होने के बाद, स्क्रोटम से फ्लूड निकालने की सबसे इनवेसिव प्रोसीजर है नीडल से फ्लूड निकालना जिसे एस्पिरेशन (aspiration) कहा जाता है | [13] स्थानीय एनेस्थीसिया देने के बाद, स्क्रोटम में नीडल डाली जाती है और फिर क्लियर फ्लूड को ड्रेन किया जाता है | अगर फ्लूड ब्लड मिश्रित और/या पस वाला हो तो यह इंजरी, इन्फेक्शन या संभवतः कैंसर का संकेत हो सकता है | यह प्रोसीजर बहुत जल्दी हो जाती है और इससे रिकवरी में बहुत ज्यादा समय नहीं लगता, केवल एक या दो दिन ही लगते हैं |
    • हाइड्रोसील को नीडल से ड्रेन करने पर सारा फ्लूड ख़त्म नहीं होता क्योंकि यह फिर से जमा हो जाता है और इसके लिए ज्यादा ट्रीटमेंट की जरूरत होती है | [14]
    • अगर हाइड्रोसील स्क्रोटम में ऊंचाई पर हो या आंशिक रूप से बाहर की और हो तो कई बार नीडल को इन्गुइनल (ग्रोइन) एरिया से डालना पड़ता है |
  3. बार-बार होने वाले और/या लक्षणों वाले हाइड्रोसील को फ्लूड सहित बाहर निकालने का सबसे कॉमन और इफेक्टिव तरीका है- हाइड्रोसीलेक्टॉमी (hydrocelectomy) | [15] इस तरीके से फिर से हाइड्रोसील डेवलप होने के केवल 1% चांसेस होते हैं | [16] यह सर्जरी स्कैल्पल या एक लेप्रोस्कोपी से की जाती है जिसमे एक लम्बी कटिंग डिवाइस के साथ छोटा सा कैमरा लगा होता है | हाइड्रोसील सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया के साथ क्लिनिक में की जा सकती है | आरोग्यलाभ मिलने में एक सप्ताह या इससे ज्यादा समय लग सकता है जो इस बात पर निर्भर करता है कि सर्जरी में पेट की वॉल भी काटी गयी थी या नहीं |
    • छोटे बच्चों (बेबीज) में सर्जरी करने के लिए आमतौर पर ग्रोइन (इन्गुइनल एरिया) में कट लगाया जाता है जिससे फ्लूड ड्रेन किया जा सके और सैक (sac) को बाहर निकल दिया जाता है | इसके बाद मसल्स वॉल को मजबूती देने के लिए टाँके लगा दिए जाते हैं जो हर्निया रिपेयर सर्जरी में भी जरुरी होते हैं |
    • वयस्कों में, सर्जन स्क्रोटम में कट लगाकर फ्लूड ड्रेन करते हैं और हाइड्रोसील सैक को हटा देते हैं | [17]
    • हाइड्रोसीलेक्टॉमी के बाद, आपको एक ट्यूब स्क्रोटम में डालकर रखनी पड़ेगी जिससे कुछ दिनों तक अतिरिक्त फ्लूड को ड्रेन किया जा सके |
    • हाइड्रोसील के टाइप के आधार पर सर्जिकल रिपेयर कराने की सिफारिश की जाती है जिससे ब्लड सप्लाई रुकने से उस एरिया में हर्निया होने की रिस्क को कम किया जा सके |
  4. अधिकतर केसेस में हाइड्रोसील ऑपरेशन से अपेक्षाकृत बहुत जल्दी रिकवरी हो जाती है | बल्कि कुछ हेल्दी पुरुष तो सर्जरी के कुछ घंटे बाद ही घर चले जाते हैं, बहुत ही कम ऐसा देखा गया है कि ऑपरेशन में बाद पूरी रात हॉस्पिटल में गुजारनी पड़े | [18] बच्चों की एक्टिविटी (कोई भी कठोर चीज़ से सम्पर्क) सीमित कर दी जाती है और सर्जरी के बाद लगभग 48 घंटे या इससे ज्यादा समय तक एक्स्ट्रा बेड रेस्ट दिया जाता है | पुरुष को भी यही सलाह फॉलो करनी होगी बल्कि सुरक्षा की दृष्टी से एक सप्ताह तक कोई सेक्सुअल एक्टिविटी भी नहीं करनी चाहिए |
    • अधिकतर मरीज हाइड्रोसील ऑपरेशन कराते हैं और चार से सात दिनों में ही नॉर्मल एक्टिविटी फिर से शुरू कर सकते हैं | [19]
    • सर्जरी से होने वाले बड़े कॉम्प्लिकेशंस जिन पर नज़र रखना जरुरी है, वे हैं; एनेस्थीसिया से होने वाले एलर्जिक रिएक्शन (जैसे सांस लेने में परेशानी), स्क्रोटम के बाहर या अंदर होने वाली ऐसी ब्लीडिंग जो रुक न रही हो और इन्फेक्शन हो जाना |
    • बैक्टीरियल इन्फेक्शन के संकेतों में शामिल हैं; ग्रोइन (दोनों जांघो के बीच का एरिया) पैन, सूजन, रेडनेस, गन्दी बदबू आना और संभवतः हल्का बुखार होना |

सलाह

  • समय-समय पर अपने स्क्रोटम (वृष्ण) का आत्मनिरीक्षण करने से न झिझकें | यह हाइड्रोसील जैसी परेशानियों को बहुत ज्यादा सीरियस कंडीशन में डेवलप होने से पहले से पता लगाने के एक बढ़िया तरीका है |
  • हालाँकि असामान्य हाइड्रोसील वृषणों (testes) में फ़ाइलेरिया वर्म (पैरासाइट) इन्फेक्शन के कारण बन सकता है जिससे आगे चलकर गभीर सूजन और एलीफैंटाइसिस (elephantiasis) हो सकती है |
  • हाइड्रोसेलेक्टोमी के बाद परेशानी में आराम पाने के लिए स्क्रोटल सपोर्ट स्ट्रेप के इस्तेमाल पर विचार करें और सूजन कम करने के लिए कुटी हुई बर्फ (किसी कपडे में लपेटकर) इस्तेमाल करें |
  • कई बार हाइड्रोसील के साथ इन्गुइनल हर्निया (inguinal hernia) भी होते हैं लेकिन एक सिंगल सर्जरी से दोनों को एक ही समय रिपेयर किया जा सकता है |

चेतावनी

  • अगर स्क्रोटम में दर्द हो रहा हो और जल्दी ही सूजन आना शुरू हो जाए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ |

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