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यदि आपकी आँखों से पानी आता है और आँखें सूजी हुई रहती हैं तो आपकी अश्रु नलिका में अवरोध हो सकता है | अश्रुनलिका में अवरोध किसी संक्रमण से या किसी गंभीर बीमारी जैसे ट्युमर के कारण हो सकता है | सामान्यतः अश्रुनलिका के अवरोध को मालिश के द्वारा ठीक करना संभव है, लेकिन यदि कुछ अन्य इलाज़ ज़रूरी हो तो चिकित्सक एंटीबायोटिक्स लेने का परामर्श दे सकते हैं या बंद हुई नलिका को खोलने के लिए सर्जरी कर सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

अश्रुनलिका के अवरोध को डायग्नोज़ करना

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  1. पता लगायें कि अश्रुबिंदु या आँसू किस कारण से बंद हैं: एक अश्रुनलिका (जिसे dacrocystitis कहते हैं) बंद तब होती है जब आँख और नाक को मिलाने वाले मार्ग में कोई बाधा हो | यह सामान्यतः नवजात बच्चों में होती है, लेकिन संक्रमण, चोट या ट्युमर के कारण वयस्कों में भी हो सकती है | यहाँ इसके कुछ सामान्य कारण दिए गये हैं: [१]
    • जन्मजात अवरोध जो अक्सर नवजात बच्चों में होता है
    • उम्रदराज़ बदलाव
    • आँख में संक्रमण
    • चेहरे की चोट
    • ट्युमर
    • कैंसर ट्रीटमेंट
  2. सबसे सामान्य लक्षण है आँख से अधिक आँसू आना | ये आँसू चेहरे पर बहने लगते हैं | जब अश्रुनलिका में अवरोध होता है तब आँसू सामान्य से थोड़े मोटे होते हैं और सूखने पर क्रस्ट या पपड़ी की तरह हो जाते हैं | अन्य लक्षण हैं:
    • बार-बार आँख में संक्रमण
    • धुंधली दृष्टी
    • पलकों से म्युकस या पीप के सामान डिस्चार्ज
  3. अश्रुनलिका के अवरोध का निर्णय करने के लिए एक चिकित्सक के द्वारा शारीरिक परीक्षण की ज़रूरत होती है | साधारण संक्रमण के कारण अवरोध हो सकता है, ट्युमर या अन्य गंभीर परेशानी के कारण भी अवरोध हो सकता है इसलिए ज़रूरी है कि डॉक्टर को दिखाया जाये |
    • बंद अश्रुनलिका के लिए टेस्ट करने के लिए डॉक्टर एक डाई युक्त तरल से आँख को धोते हैं | यदि आंसुओं का बहाव सामान्य नहीं होता और आप आप तरल का स्वाद ले पा रहे हों और गले के पिछले भाग में उसकी बूँद गिरने का अनुभव हो तो ये दर्शाता है कि अश्रुनलिका में अवरोध है |
    • डॉक्टर भी आपसे आपके लक्षणों का विवरण पूछेंगें जो अन्य नेत्र स्थितियों जैसे जन्मजात कन्जेक्टीवाईटिस और ग्लूकोमा का पता लगाने में विशेष भूमिका रखते हैं |
विधि 2
विधि 2 का 3:

घर पर अश्रुनलिका का अवरोध दूर करें

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  1. दिन में कई बार ड्रेनेज को साफ़ कपड़े और गर्म पानी से साफ़ करें जिससे दृष्टी साफ़ रहेगी | यह विशेषरूप से तब ज्यादा ज़रूरी है जब संक्रमण के कारण बहाव हो रहा हो जिससे दूसरी आँख में भी संक्रमण फ़ैल सकता है |
  2. ड्रेनेज को निकलने के लिए गर्म सेंक का प्रयोग करें: एक गर्म सेंक इसे खोल सकता है और आसानी से बहाव को निकाल सकता है | दिन में 5 बार 3 से 5 मिनट के लिए जब तक अवरोध खुल न जाये तब तक गर्म सेंक से अश्रुनलिका के ऊपरी भाग पर दबाव डालें |
    • गर्म सेंक बनाने के लिए आप एक गर्म, गीली टॉवेल या एक गर्म पानी या केमोमाइल चाय (जिसमे राहत देने वाले तत्व होते हैं) में डुबोकर राखी गयी कॉटन बॉल का उपयोग कर सकते हैं |
    • ध्यान रखें गर्म सेंक बहुत गर्म नहीं होना चाहिए अन्यथा इससे लालिमा और दर्द हो सकते हैं |
  3. इससे अश्रुनलिका खुल सकती है और ड्रेनेज आसानी से निकल सकता है | आपका डॉक्टर आपको बता सकता है कि यह मालिश खुद पर या बच्चे पर अश्रुनलिका को खोलने के लिए किस प्रकार की जा सकती है | इस मालिश को करने के लिए अपनी तर्जनी ऊँगली को आँखों के अन्दर वाले किनारों पर रखें और नाक के किनारों को बंद करें |
    • इस स्पॉट पर कुछ सेकंड के लिए दबाव डालें, फिर छोड़ दें | इसे 3 से 5 बार प्रतिदिन दोहराएँ |
    • अश्रुकोष की मालिश करने के पहले हमेशा हाथ धोएं जिससे आँखों में बेक्टेरिया का संक्रमण न हो पाए |
  4. बैक्टीरिया को मारने के लिए आँखों में ब्रैस्ट मिल्क लगायें: यह विधि अश्रुनलिका में अवरोध वाले बच्चों के लिए प्रभावकारी है | ब्रैस्ट मिल्क में एंटीमाइक्रोबियल तत्व होते हैं जो बंद अश्रुनलिका में होने वाले संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और आँखों को चिकनाहट प्रदान करते हैं जिससे रूखापन कम हो जाता है | [२]
    • अपनी तर्जनी पर ब्रैस्ट मिल्क की कुछ बूँदें लेकर बच्चे की प्रभावित आँख में डालें | इसे आप दिन में 6 बार तक कर सकते हैं |
    • पुनः, यह बहुत ज़रूरी है कि यह विधि करने के पहले अपने हाथ धोएं और बच्चे की आँखों को बैक्टीरिया के प्रवेश से बचाएं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

चिकित्सीय उपचार

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  1. अश्रुनलिका के संक्रमण से लड़ने के लिए मुख द्वारा एंटीबायोटिक्स लें: संक्रमण के कारण होने वाले अवरोध में ओरल एंटीबायोटिक्स मददगार साबित होती हैं | एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से शरीर के एक विशेष भाग में होने वाली बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है |
    • एरिथ्रोमायसिन (erythromycin) सबसे सामान्य दवा है जो अश्रुनलिका के अवरोध में दी जाती है | यह दवा बैक्टीरिया की प्रोटीन मेकिंग साइकिल से होने वाली बैक्टीरिया की वृद्धि और गुणन से होने वाले नुकसान से आँखों की सुरक्षा करती है |
    • एरिथ्रोमाइसिन का सामान्य डोज़ है एक 250 मिली ग्राम की टेबलेट दिन में रोज़ चार बार | हाँलाकि यह डोज़ संक्रमण की गंभीरता और रोगी की उम्र के अनुसार बदल जाता है इसलिए अपने डॉक्टर का परामर्श लें |
  2. मुख से ली जाने वाली दवाओं की जगह एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स का प्रयोग करें | कभी-कभी कम गंभीर संक्रमण के लिए ओरल एंटीबायोटिक्स के स्थान पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स लेने की सलाह डी जाती है |
    • आई ड्रॉप्स प्रयोग करने से पहले बोतल को अच्छी तरह से हिला लें, अपने सिर को पीछे करें और फिर आँख में डॉक्टर के परामर्श के अनुसार आई ड्रॉप्स की मात्रा डालें | आई ड्राप को अवशोषित होने के लिए 30 सेकंड से 1 मिनट तक आँख बंद करके रखें |
    • बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने के लिए आई ड्राप प्रयोग करने से पहले हमेशा हाथ धोएं | आई ड्राप प्रयोग करने के बाद फिर से हाथ धोएं |
    • बच्चों के लिए भी यही निर्देश है लेकिन बड़ों की देखरेख में |
  3. डायलेटेशन, प्रोबिंग और इरीगेशन न्यूनतम आक्रामक उपचार हैं जो बंद अश्रुनलिका को खोलने के लिए प्रयोग किये जाते हैं | यह प्रक्रिया जनरल एनेस्थिसिया देकर की जाती है और इस प्रक्रिया में 30 मिनट लगते हैं |
    • यह प्रक्रिया पन्क्टा (पलकों में पाए जाने वाले दो छोटे छेद) को एक छोटे धात्विक डायलेटिंग टूल से फैलाकर की जाती है | इसके बाद एक प्रोब को उस मार्ग से नाक तक पहुँचाया जाता है और नाक तक पहुँचने पर एक कीटाणु नाशक तरल से उस मार्ग को सींचा जाता है |
    • अगर आप या आपका बच्चा इस उपचार को लेने के लिए तैयार हैं तो ज़रूरी है कि आप सर्जरी के पहले 2 सप्ताह तक एस्पिरिन या इबुप्रोफेन न लें, इनसे ब्लीडिंग हो सकती है |
  4. इनट्युबेशन (गले में नली डालना) एक अन्य न्यूनतम आक्रामक उपचार का विकल्प है | यह प्रोबिंग और इरीगेशन के समान है और इसका उद्देश्य अश्रुनलिका की रूकावट को दूर करना है | रोगी को सुलाने के लिए इस प्रक्रिया में सामान्य निश्चेतक दिया जाता है |
    • प्रक्रिया के समय, एक पतली ट्यूब को आँखों के किनारों पर अश्रु कोष से नाक तक पहुँचने तक अन्दर डाला जाता है | इस ट्यूब को नलिका के अन्दर 3 से 4 महिनों के लिए छोड़ दिया जाता है जिससे अश्रुनलिका ड्रेन हो सके और फिर से बंद होने से बचाया जा सके |
    • ट्यूब भी कठिनता से दिखाई देती है लेकिन सर्जरी के बाद विशेष सावधानियों के द्वारा संक्रमण से बचना चाहिए | हिलने और नलिका के डैमेज होने की स्थिति में अपनी आँखों को मलने से बचना चाहिए और आँखों को स्पर्श करने से पहले हमेशा अपने हाथ धोना चाहिए |
  5. यह आखिरी विकल्प है | ऊपर दी गयी किसी भी विधि से जब अश्रुनलिका का अवरोध दूर नहीं होता तब इसे डेक्रोसिसटोराइनोस्टोमी नाम की विधि के द्वारा पूरी तरह से हटाने की ज़रूरत होती है |
    • डेक्रोसिसटोराइनोस्टोम विधि के द्वारा अश्रुनलिका और नाक के बीच एक बाईपास मार्ग बनाया जाता है जिससे आंसू निकल सकें |
    • फिर एक फिस्टुला को नलिका में डालते हैं जिससे आंसुओं को निकलने का मार्ग बन जाता है |

सलाह

  • अधिकतर बच्चे डेक्रोसिसटाईटिस (बंद अश्रुनलिका) के साथ ही पैदा होते हैं लेकिन कुछ महीनों बाद जब ड्रेनेज सिस्टम परिपक्व होने पर ये अपनेआप ठीक हो जाती है |

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रेफरेन्स

  1. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/blocked-tear-duct/basics/causes/con-20033765
  2. http://www.parenting.com/article/blocked-tear-duct-infants
  3. Cohen NA, et al. Prevention and management of lacrimal duct injury. Otolaryngology Clinics of North America. 2010;43:781.
  4. Davis H, Mant D, Scott C et al.; Relative impact of clinical evidence and over-the-counter prescribing on topical antibiotic use for acute infective conjunctivitis. British Journal of General Practice, Volume 59, Number 569, December 2009.
  5. Kanski J. Clinical Ophthalmology, A Systematic Approach, 5th Ed, 2003, Butterworth Heinemann
  6. Kunimoto DY, Kanitkar KD, Makar MS; The Wills Eye Manual, 4th Edition, 2004, Lippincott, Williams and Wilkins
  7. Nasolacrimal duct obstruction. American Association for Pediatric Ophthalmology and Strabismus. http://www.aapos.org/terms/conditions/72 .

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