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चाहे आप एक पिता के रूप में आने वाले नये मेहमान की तैयारी कर रहे हों या भावी अभिभावक हों या पहले से न सोचे गये टैक्सी चालक हों, वह समय आ सकता है जब बिना चिकित्सीय मदद वाली जगह पर आपको एक बच्चे को जन्म देने में मदद करने के लिए बुलाया जाये | चिंता नं करें, लोग हमेशा से ऐसा करते आ रहे हैं | अधिकतर आपको माँ को शांत रखने में मदद करने की ज़रूरत होती है और फिर उसके शरीर को अपना काम करने दें | यहाँ कुछ तरीके बताये गये हैं जिनसे मदद मिलने तक सब कुछ यथासंभव ठीक तरह से हो सकता है |

विधि 1
विधि 1 का 5:

जन्म की तैयारियां

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  1. आपातकालीन सेवाओं से सम्पर्क करें | अगर आप स्वयं बच्चे को जन्म भी दिला दें तब भी अगर जटिल स्थिति अनुभव होने पर से जल्दी ही मदद मिलेगी | डिस्पेचर भी प्रसव के समय बात करने में सक्षम होना चाहिए या फिर किसी से आपको संपर्क करना चाहिए |
    • अगर माँ किसी डॉक्टर या दाई को जानती है तो उन्हें भी बुलाएँ | एक डॉक्टर अक्सर फोन पर रहकर आपको पूरी प्रक्रिया का मार्गदर्शन दे सकता है | [१]
  2. प्रसव की पहली स्टेज “लेटेन्ट” स्टेज कहलाती है जिसमे सर्विक्स के फैलने के द्वारा शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है | इसमें लम्बा समय लगता है , विशेषतः जब महिला का पहला बच्चा हो | [२] दूसरी या “एक्टिव” स्टेज तब आती जब सर्विक्स पूरी फ़ैल जाती है | [३]
    • अगर महिला की सर्विक्स पूरी फैली हुई हो और आप बच्चे के सिर की क्राउननिंग देख सकते हों तो वह महिला दूसरी स्टेज में पहुँच गयी है | अपने हाथ धोएं और अगले सेक्शन से आगे बढ़ें और बच्चे को पकड़ने के लिए तैयार रहें |
  3. संकुचन के समय के द्वारा एक शुरुआत से अगली शुरुआत तक लगने वाले समय को नोट करें | इससे प्रसव, संकुचन के साथ अधिक नियमित, मज़बूत, और जल्दी हो जाता है | [४] Here's what you need to know about contractions:
    • 10 मिनट या उससे भी कम समय में आने वाले संकुचन, माँ के प्रसव में प्रवेश करने के चिन्ह हैं | [५] फिजिशियन सलाह देते हैं कि जब संकुचन 5 मिनट में आयें और 60 सेकंड तक बने रहें और यह गतिविधि एक घंटे तक चलती रहे तब अस्पताल में संपर्क करें | [६] इस केस में आपको शायद अस्पताल जाने की तैयारी करने का समय मिल सकता है अगर अस्पताल पास में हो |
    • पहली बार बनने वाली माँ बच्चे को जन्म तब देती है जब संकुचन 3 से 5 मिनट पर आयें और इनमे 40 से 90 सेकंड लगें और कम से कम एक घंटे में इनकी तीव्रता और आवृत्ति बढ़ती जाये | [७]
    • अगर संकुचन 2 मिनट या उससे भी कम समय में आयें तो बच्चे को डिलीवर कराने के लिए तैयार हो जाएँ | विशेषरूप से जब माँ के अन्य बच्चे हों और वो तीव्र प्रसव (fast labor) के द्वारा हुए हों | साथ ही अगर माँ को मलत्याग की अनुभूति हो रही हो तब बच्चा संभवतः बर्थ कैनाल में हिलता है और इससे गुदा पर दबाव पड़ता है और वो बाहर आ सकता है |
  4. किसी भी तरह के आभूषण जैसे अंगूठी या घड़ी को निकल कर रख दें | अपने हाथों को कीटाणुरोधी साबुन और गर्म पानी से धोएं | कोहनी तक अपने हाथों को अच्छे से रगड़ें | अगर आपके पास समय हो तो 5 मिनट तक हाथ धोएं आर अगर समय न हो तो कम से कम 1 मिनट तक हाथ धोएं | [८]
    • याद रखें कि अपनी उँगलियों के बीच के भाग और अपने नाखूनों को रगड़ें | एक नेल ब्रश या एक टूथब्रश का प्रयोग नाखूनों को अंदर से साफ़ करने के लिए करें | [९]
    • अगर उपलब्ध हों तो कीटाणुरहित ग्लव्स या दस्ताने पहनें |
    • फिनिश के लिए (या अगर आपके पास साबुन और पानी नहीं है तो) अल्कोहल बेस्ड हैण्ड सेनिटाइज़र या रबिंग अल्कोहल के प्रयोग से अपनी त्वचा में उपस्थित किसी भी तरह के बैक्टीरिया या वायरस को मारा जा सकता है | इनकी मदद से माँ और बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सकता है |
  5. एक सेटअप करें जिससे आपको जिन चीज़ों की ज़रूरत हो वो आपकी पहुँच में रहें और माँ यथासंभव आराम में रहे | यहाँ बाद में बहुत गंदगी हो जाएगी इसलिए आपके पास एक ऐसा जन्मस्थान होना चाहिए जिसके गंदे होने की फ़िक्र न रहे | [१०]
    • साफ़ टॉवेल और साफ़ चादर इकट्ठे करें | अगर आपके पास साफ़ वाटरप्रूफ़ टेबल क्लॉथ या एक साफ़ विनाइल शावर कर्टेन है तो ये फर्नीचर या कारपेंटर पर खून और अन्य फ्लुड (fluid) के दाग लगने से बचाने के लिए सबसे अच्छे होते हैं |
    • एक कम्बल रखें या कुछ और साफ़ कपड़े बच्चे को लपेटने के लिए रखें | एक नवजात को पैदा होने के तुरंत बाद गर्म रखना चाहिए |
    • कुछ तकिये साथ रखें | माँ के द्वारा जोर लगाने (pusshing) पर ये सहारा देते हैं | इन्हें साफ़ चादर या टॉवेल से ढँककर रखें |
    • एक साफ़ बाउल में गर्म पानी भरकर रखें और एक जोड़ी कैची, कुछ लम्बे धागे, रबिंग अल्कोहल, कॉटन बॉल्स और एक बल्ब सिरिंज रखें | बाद में होने वाले रक्तस्त्राव को रोकने के लिए सेनेटरी नैपकिन्स या पेपर टावेल्स मददगार होती हैं |
    • माँ को मितली होने या उल्टी होने के केस में एक बाल्टी रखें | आप माँ को एक गिलास पानी भी दे सकते हैं क्योंकि प्रसव बहुत मेहनत का काम है |
  6. वह घबराहट और परेशानी अनुभव कर सकती है |उसे शांत रखने के लिए आप जो कर सकते हों, करें और उसे आराम देने की कोशिश करें |
    • उसे सांस लेने के लिए प्रोत्साहित करें | धीमे, मीठी आवाज़ में बोलकर उसे सांस लेने के लिए निर्देश दें और हायपरवेंटीलेशन से बचें | उसे एक लय में अपनी नाक से सांस लेने और मुँह से छोड़ने के लिए प्रेरित करें | अगर आप खुद भी मुसीबत में हों तो उसका हाथ पकडकर साथ में गहरी और धीमी सांस लें | [११]
    • माँ को हिम्मत दिलाएं | हो सकता है कि उसके पास शायद जन्म देने का अनुभव न हो और वो इससे सम्बंधित जटिल स्थितियों से चिंतित हो | उसकी मदद करने के लिए उससे पूछें और उस समय आप जो सबसे अच्छा कर सकते हों, करें | उसे याद दिलाएं कि हजारों सालों से लोग अस्पताल के बाहर भी बच्चों को जन्म देते आ रहे हैं और यहाँ भी सुरक्षित जन्म संभव है |
    • माँ को मान्य करें | माँ डर, गुस्सा,या इस तरह की अनुभूतियों का मेल अनुभव कर सकती है | वो जो भी अनुभव करे,उसे मान्य करें | उसे सही करने की या उसके साथ बहस करने की कोशिश न करें | [१२]
  7. एक आरामदायक स्थिति को ढूंढने में माँ की मदद करें: प्रसव की अवस्था में वो चारों ओर घूम सकती है या बैठ सकती है, विशेषतौर पर तब,जब संकुचन आते हों | जैसे ही प्रसव की दूसरी फेज़ शुरू होती है वह जन्म देने की स्थिति में सेटल हो सकती है | स्थितियों के बीच में बदलाव करने से प्रसव को आसान करने में मदद मिल सकती है लेकिन यह उसे ही निर्णय लेने दें कि उसका शरीर कौन सी स्थिति में आसानी महसूस करता है | [१३] यहाँ चार मानक स्थितियां दी गयी हैं औरप्रत्येक के लाभ और हानि भी बताये गये हैं: [१४] [१५] [१६]
    • उकड़ू बैठाना: इस स्थिति में गुरुत्वाकर्षण के कारण माँ को लाभ मिलता है और बर्थ कैनाल अन्य स्थितियों की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत तक अधिक खुलती है | अगर बच्चे के ब्रीच स्थिति (जिसमे पैर पहले बाहर आते हैं) में होने की संभाबना है तो इस स्थिति की सलाह दें जिससे बच्चे को घूमने के लिए ज्यादा जगह मिल सकती है | आप घुटनों पर माँ के पीछे बैठकर और उसकी कमर को सहांरा देकर माँ की मदद कर सकते हैं | [१७]
    • सभी-चार: यह स्थिति गुरुत्वाकर्षण उदासीन (gravity nutral) स्थिति है जिससे कमर दर्द बढ़ सकता है और माँ इसे कम ही चुनती है | अगर माँ बबासीर (piles) से पीड़ित हो तो यह स्थिति दर्द से राहत दिला सकती है | इस केस में आप खुद उसके पीछे की ओर रहें | [१८]
    • करवट से लेटना: इससे बर्थ कैनाल के द्वारा धीमी गति से प्रसव होता है लेकिन यह स्थिति पेरिनियम को ज्यादा धीमे से खींचती है जिससे वो कम फटती है | [१९] माँ को घुटने मोड़कर करवट से लिटायें और ऊपर वाले पैर को उठायें | उसे भी खुद उठने के लिए कोहनी के सहारे की ज़रूरत होगी |
    • लिथोटोमी स्थिति (पीठ के बल लेटना): यह अस्पतालों में प्रयोग की जाने वाली सबसे सामान्य स्थिति है जिसमे महिला पीठ के बल लेटकर अपने घुटनों पर से पैरों को मोड़ लेती है | यह अधिकतर देखभालकर्ताओं की पहुँच में होता है लेकिन इससे माँ की पीठ पर बहुत दबाव पड़ता है और यह सही नहीं है | [२०] इससे संकुचन कम हो सकते हैं और यह अधिक पीड़ादायक होती है | [२१] अगर इस स्थिति को वो अपनाना चाहती है तो दर्द को कम करने के लिए उसकी पीठ के नीचे कुछ तकिये लगायें |
विधि 2
विधि 2 का 5:

प्रसव से बच्चे को निकलना

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  1. जब तक वो बंद न होने वाले दबाव (unstoppable pressure) का अनुभव न करे तब तक उसे जोर लगाने के लिए न कहें क्योंकि इससे उसकी ऊर्जा की हानि होगी और वो जल्दी ही थक जाएगी | जब महिला जोर लगाने के लिए तैयार होती है तब वो अपनी कमर के निचले हिस्से, पेरिनियम या गुदा पर दबाव के बढ़ने का अनुभव करती है | कई बार उसे मलत्याग करने के समान भी अनुभूति होती है | [२२] जब वो तैयार हो तब आप उसे जोर लगाने के लिए मार्गदर्शन दे सकते हैं |
    • माँ को आगे की ओर कर्ल (curl) होने और अपनी ठोढ़ी को टक (tuck) करने के लिए कहें | इस तरह की घुमावदार स्थिति से बच्चे को पेल्विस में से आने में मदद मिलेगी | [२३] जोर लगते समय अगर माँ अपने पैरों या घुटनों को पकडकर पीछे की ओर खींचे तो यह प्रसव में मददगार होगा |
    • वेजाइना के चारों ओर के भाग से एक उभार निकलेगा जिससे आप बच्चे के सिर का ऊपरी भाग (क्राउननिंग) देख सकते हैं | जैसे ही क्राउननिंग होती है, माँ को जोर लगाने के लिए तत्पर रहना चाहिए |
    • संकुचनों के बीच धीरे-धीरे जोर लगाने के लिए माँ को प्रोत्साहित करें | एक संकुचन की उच्च अवस्था पर वो तेज़ी से जोर लगाना चाहेगी लेकिन यह सही नहीं होगा | जब संकुचन तीव्र हो तब उसे मुँह से सांस छोड़ने के लिए कहें और जैसे ही संकुचन बढ़ें, वो जोर लगाना शुरू कर दे |
    • जिस तरह तेज़ी से मूत्र त्याग करने के लिए कोशिश की जाती है उसी तरह उसकी पेट की मांसपेशियों को नीचे की ओर जोर लगाने के लिए प्रोत्साहित करें | इससे दबाव या जोर लगाने का बल सीधे ऊपर गर्दन और चेहरे की ओर जाने से बचेगा | [२४]
    • हर संकुचन में लगभग 3 से 4 ज़ोर (push) हर 6 से 8 सेकंड में लगवाएं | हाँलाकि यह महत्वपूर्ण है कि माँ जो प्राकृतिक रूप से कर सके उसके लिए उसे प्रोत्साहित किया जाये | [२५]
    • धीरे और गहरी सांस लेने के लिए प्रोत्साहित करें | गहरी सांस पर ध्यान केन्द्रित करने और विभिन्न तरीकों से मानसिक शांति के द्वारा दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है | विभिन्न लोगों का मानसिक नियंत्रण का लेवल भिन्न-भिन्न होता है लेकिन बच्चे के जन्म के समय पर धीरे और गहरी सांस लेने से हमेशा फ़ायदा मिलता है | [२६]
    • इस बात को समझें कि प्रसव के समय महिला का मूत्रत्याग या मलत्याग हो सकता है | यह चिंता की बात नहीं बल्कि सामान्य बात है | इस पर ध्यान ही न दें और माँ को परेशान न होने दें | [२७]
  2. यह प्रक्रिया कठिन नहीं है, लेकिन महत्वपूर्ण है | इन बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दें:
    • बच्चे के सिर या नाल (cord) को न खींचें” | ऐसा करने से नर्व डैमेज हो सकता है | [२८]
    • अगर नाल बच्चे की गर्दन के चारों ओर लिपटी हुई हो तो बच्चे के सिर के ऊपर से उसे धीरे से उठाएं या सावधानी के साथ ढीला करें जिससे बच्चा लूप में से खिसक सके |”नाल पर खिंचाव न डालें’ |
    • नीचे की ओर चेहरा होने पर पेल्विस से बच्चे के निकलने की यह प्राकृतिक और ऐक्षिक है | अगर बच्चे का चेहरा माँ के पीछे के भाग की ओर हो तो चिंता न करें, वास्तव में यह स्थिति प्रसव के लिए श्रेष्ठ है| [२९]
    • अगर सिर बाहर आने के बजाय आप पैर या नितम्बों को पहले बाहर आता देखें तो यह ब्रीच बर्थ होगी | इसे लिए नीचे दी गयी स्थिति के निर्देश देखें |
  3. जब बच्चे का सिर एक तरफ़ घूम जाये (जो अपनेआप होता है) तब तैयार रहें क्योंकि अगले जोर के साथ ही शरीर बाहर आता है |
    • अगर बच्चे का सिर बिना मदद के नहीं घूमें तो माँ के पीछे के भाग की ओर से नरमी से मार्गदर्शन दें | इससे अगले ज़ोर के साथ एक कंधे के बाहर आने में मदद मिल सकती है |
    • अन्य कंधे को भी बाहर आने दें | शरीर को कोमलता से माँ के पेट की ओर उठायें जिससे अन्य दूसरे कंधे को बाहर आने में मदद मिलेगी | बांकी शरीर तेज़ी के साथ बाहर आ सकता है |
    • सिर को सहारा दिए रहें | शरीर चिकना हो सकता है | ध्यान रखें कि आप बच्चे की गर्दन को पर्याप्त सहारा दें क्योंकि इसमें सिर को संभालने के लिए मज़बूत नहीं होती और बच्चे के सिर की तरह इसे भी काफी सहारे की ज़रूरत होती है | [३०]
  4. आशा करें कि सब कुछ अच्छा हो और अब आप सफलतापूर्वक एक स्वस्थ बच्चे का प्रसव करवा सकें | अगर प्रसव अवरुद्ध होता लगे तो आप उस स्थिति में क्या कर सकते हैं यहाँ दिया गया है:
    • अगर उसके तीन बार जोर लगाने के बाद सिर बाहर आ जाये और बांकी शरीर बाहर न आये तो उसे पीठ के बल लिटाकर उसे अपने घुटने पकडकर अपनी छाती से लगाने के लिए और हर दर्द पर या संकुचन के साथ तेज़ी से जोर लगाने के लिए कहें |
    • अगर पैर पहले आयें तो ब्रीच बर्थ के सेक्शन में नीचे देखें |
  5. बच्चे को पकड़ें जिससे उसके मुँह और नाक में भरा फ्लुड या तरल बाहर निकल सके: प्रसव से हुए बच्चे को अपने दोनों हाथों से पकड़ें, उनमे से एक हाथ से उसकी गर्दन और सिर को सहारा दें | तरल को बाहर करने के लिए सिर को लगभग 45 डिग्री के कोण से नीचे झुकाएं | पैर सिर की अपेक्षा थोड़े ऊपर होने चाहिए पर बच्चे को पैरों से नहीं पकड़ना चाहिए |
    • एक साफ़ कीटाणु रहित गौज या कपड़े से नाक और मुँह के भाग पर उपस्थित म्युकस या अम्नियोटिक फ्लुड को साफ़ करें | [३१]
  6. ध्यान रखें कि पूरी तरह से त्वचा का संपर्क रहे और दोनों को साफ़ टॉवेल या कम्बल से ढँक दें | त्वचा से त्वचा का संपर्क एक ओक्सीटोसिन नामक हार्मोन को निकलने के लिए बढ़ावा देता है जिसकी मदद से माँ प्लेसेंटा को बाहर निकाल पाती है | [२८]
    • बच्चे को ऐसी स्थिति में रखें कि उसका सिर बांकी शरीर से थोडा नीचे रहे जिससे फ्लुड बाहर निकलता रहे | अगर माँ लेटी है तो बच्चे का सिर उसके कंधे पर हो और बांकी शरीर उसके ब्रैस्ट पर हो, यह स्थिति प्राकृतिक रूप से होना चाहिए | [३२]
  7. इससे बच्चा थोडा रो सकता है | अगर न रोये तो आप कुछ प्रक्रियाओं के द्वारा वायुरंध्रों के साफ़ होने का पता लगा सकते हैं |
    • शरीर को मलें | शारीरिक स्पर्श बच्चे को सांस लेने में मदद करता है | जब बच्चा माँ के सीने से लगा हो तब उसकी पीठ को कोमलता से मलें | अगर इससे मदद न मिले तो बच्चे का मुँह छत की ओर करके उसके सिर को पीछे की ओर झुकाएं जिससे वायुरंध्र एक सीध में हो और शरीर को मलते रहें | इससे हो सकता है कि बच्चा रोये नहीं पर उसे जितनी ज़रूरत होगी उतनी वायु लेता रहेगा | [३३]
    • हाथ से तरल या फ्लुड को साफ़ करें | अगर बच्चा नीला पड़ रहा हो तो मुँह और नाक को एक साफ़ कपड़े से साफ़ करें | अगर इससे काम न बने तो एक बल्ब सिरिंज से हवा बाहर निकलकर सिरिंज की टिप को मुँह या नाक में डालें और बल्ब को छोड़ दें जिससे बल्ब फ्लुड को खींच लेगा | इस प्रक्रिया को फ्लुड के साफ़ होने तक दोहराएँ और प्रत्येक प्रयोग के बाद बल्ब को ख़ाली करते जाएँ | अगर आपके पास बल्ब नहीं है तो आप ड्रिंकिंग स्ट्रा का प्रयोग कर सकते हैं |
    • आखिरी सहारे के रूप में बच्चे को थपकी मारें | अगर ये भी काम न आये तो बच्चे के पंजों पर अपनी ऊँगली से झटके दें या नितम्ब (bottom) पर कोमलता से थपकी मारें | [२८]
    • अगर इनमे से कुछ काम न आये तो बच्चे पर सीपीआर (CPR) आजमायें या नवजात सीपीआर का पालन करें |
विधि 3
विधि 3 का 5:

एक ब्रीच बर्थ का प्रसव

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  1. अगर हों तो ब्रीच बर्थ की अवस्था में पैर या नितम्ब (buttocks) पेल्विस में सिर के बाहर आने के पहले ही प्रवेश कर जाते हैं | [३४]
  2. माँ को बिस्तर के किनारे या अन्य सतह पर पैरों को सीने की ओर खींचकर बिठाएं | सावधानी के लिए बच्चे के गिरने के स्थान पर तकिया या कम्बल रखें |
  3. आपको बच्चे की पीठ और नितम्ब नीचे आते दिखेंगे और आप उन्हें पकड़ना चाहेंगे लेकिन ऐसा न करें | सिर के बाहर आने तक बच्चे को स्पर्श नहीं करना चाहिए अन्यथा आपका स्पर्श बच्चे को हांफने के लिए उत्तेजित करेगा जबकि उस समय सिर अम्नियोटिक फ्लूड में ही डूबा होगा | [२८]
    • ध्यान रखें कमरा गर्म हो, कम तापमान बच्चे के लिए हानिकारक है | [२८]
  4. एक बार सिर बाहर आने पर बच्चे को अपनी बांहों में लेकर माँ के पास लायें | अगर भुजाएं बाहर आने के बाद जोर लगने पर सिर बाहर नहीं आये तो माँ को उकड़ूं बिठाएं और जोर लगवाएं |
विधि 4
विधि 4 का 5:

प्लेसेंटा को निकालना

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  1. प्लेसेंटा को निकालना प्रसव का तीसरा चरण है | बच्चा निकलने के बाद यह कुछ मिनट से कुछ घंटों के बीच कभी भी निकलेगा | [३५] माँ को कुछ मिनट बाद तक जोर लगाने की अनुभूति होगी जो प्लेसेंटा को बाहर करने में मदद करेगी | [३६]
    • वेजाइना को बंद करने के लिए उस पर एक बाउल रखें | इसके निकलने के तुरंत पहले वेजाइना से रक्त निकलेगा और नाल लम्बी हो जाएगी |
    • माँ को बिठाकर प्लेसेंटा को एक बाउल में धकेंलें |
    • रक्त के बहाव को कम करने के लिए माँ के पेट पर नाभि के नीचे कोमलता से मलें | इससे उसे परेशानी हो सकती है लेकिन यह ज़रूरी है | तब तक मलें जब तक कि निचले पेट में गर्भाशय (uterus) एक बड़े अंगूर के समान अनुभव न होने लगे | [३७] [३८]
  2. अगर ऐसा करने से नाल बहुत नहीं खिंचे तो जितना जल्दी हो माँ को अपने बच्चे को अपना दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित करें | इससे संकुचन होगा और प्लेसेंटा बाहर आएगा | साथ ही इससे रक्त का निकलना भी कम होगा | [३९]
    • अगर ब्रेस्टफीडिंग न हो सके तो निप्पल्स को उत्तेजित करने से भी प्लेसेंटा के बाहर आने में मदद मिलती है | [२८]
  3. जैसे ही प्लेसेंटा बाहर निकल जाये, वैसे ही नाल को एकदम खींचें नहीं बल्कि माँ के जोर लगाने से इसे स्वयं बाहर आने दें | इसे खींचने से गंभीर क्षति हो सकती है | [४०] [२८]
  4. एक बार प्लेसेंटा के बाहर आ जाने पर उसे एक ट्रेश बैग या ढक्कन वाले बर्तन में रखें | अगर माँ को हॉस्पिटल ले जाया जाता है तो हो सकता है कि किसी तरह की असामान्यताओं की जांच के लिए डॉक्टर प्लेसेंटा का निरीक्षण करना चाहें |
  5. आपको नाल केवल तब काटनी चाहिए जब चिकित्सीय देखरेख की उपलब्धता कुछ ही घंटों की दूरी पर हो | [४१] अन्यथा इसे ऐसा ही छोड़ दें और ध्यान रखें कि यह कसकर खिंचे नहीं | [४२] [७]
    • अगर आपको नाल काटने की ज़रूरत पड़े तो पहले पल्स के लिए नाल को कोमलता से अनुभव करें और उसके लगभग 10 मिनट बाद प्लेसेंटा के अलग हो जाने से नाल की पल्स बंद हो जाने पर उसे काटें | इसके पहले न काटें | [४३]
    • दर्द की चिंता न करें | नाल पर कोई भी नर्व एंडिंग नहीं होती और न ही माँ या बच्चे को नाल काटने पर दर्द होता है | हाँलाकि नाल फिसलनेवाली होती है उसे पकड़ने में कठिनाई होती है | [४४]
    • बच्चे की नाभि से लगभग 3 इंच की दूरी पर एक धागा या लेस बांधें और इसे दोहरी गांठ से कसें |
    • दूसरी लेस को पहली से 2 इंच दूर बांधें और फिर से दोहरी गांठ लगायें |
    • एक कीटाणुरहित चाकू या कैंची का प्रयोग (जिसे 20 मिनट तक पानी में उबाला गया हो या रबिंग अल्कोहल में डुबोकर रखा गया हो) करके दो लेस के बीच से नाल काटें | आश्चर्यचकित न हों अगर यह काटने में रबर जैसी और कड़क लगे, बस ध्यान से काटें |
    • नाल को फिर से काटने के बाद बच्चे को ढंकें |
विधि 5
विधि 5 का 5:

माँ और बच्चे की देखभाल

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  1. दोनों को कम्बल से ढँककर रखें और माँ को अपने बच्चे को अपने सीने से लगाकर रखने के लिए प्रोत्साहित करें | गीली और गन्दी चादरों को बदलें और उस जगह को साफ़ और सूखा रखें |
    • दर्द नियंत्रित करें | पहले २४ घंटों के लिए माँ की वेजाइना पर आइसपैक (icepack) रखें जिससे दर्द और खुजली में राहत मिलेगी | अगर उसे इन दवाओं से एलर्जी न हो तो एसिटामिनोफेन (acetaminophen) या पेरासिटामोलर इबुप्रोफेन (paracetamolor ibuprofen) दें |
    • माँ को खाने और पीने के लिए कुछ हल्का-फुल्का दें | कार्बोनेटेड पेय और वसा और शर्करा वाले भोज्यपदार्थ न दें क्योंकि इनसे मितली (nausea) हो सकती है | टोस्ट, क्रेकर्स या हलके-फुल्के सैंडविचेस खाने के लिए अच्छे विकल्प हैं | माँ इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर स्पोर्ट्स ड्रिंक्स से खुद को रिहाईड्रेट कर सकती है | [४५]
    • बच्चे को डायपर पहनाएं और ध्यान रखें की यह नाल के नीचे हो | अगर कटी हुई नाल में से गन्दी बदबू आ रही हो (जो कि संक्रमण का सिग्नल है) तो इससे तब तक अल्कोहल से साफ़ करें जब तक बदबू आना बंद न हो जाये | अगर आपके पास एक छोटी टोपी उपलब्ध हो तो बच्चे को पहनाएं जिससे ठण्ड से उसका बचाव हो सके |
  2. निर्देश दें और अगर ज़रूरत पड़े तो हर बार मूत्रत्याग के बाद उस जगह को साफ़ रखने के लिए वेजाइना को गर्म पानी से धोने में माँ की मदद करें | इस काम के लिए आप एक साफ़ बोतल का प्रयोग भी कर सकते हैं | [४६]
    • अगर उसे मलत्याग की ज़रूरत हो तो उसके जोर लगाते समय उसकी वेजाइना पर एक साफ़ पैड या धुला हुआ कपड़ा लगायें |
    • मूत्र त्याग करने में माँ की मदद करें | उसके लिए उसका मूत्राशय खाली रखना अच्छा है लेकिन रक्त की हानि होने पर सबसे अच्छा होगा किया एक उसे एक पैन में या कपड़े पर जिसे आप नीचे से बदल सकें और उसे उठना न पड़े, मूत्र कराएँ |
  3. एक बार प्रसव पूरा हो जाने पर नज़दीक के हॉस्पिटल में भर्ती कराएँ या आपके द्वारा बुलाई गयी एम्बुलेंस का इन्जार करें |

सलाह

  • अगर पैदा होने पर बच्चे का रंग हल्का नीला हो या बच्चा सही तरीके से रो नहीं रहा हो तो चिंता न करें | बच्चे का रंग-रूप माँ के जैसा ही होगा बस एक बार बच्चा रोना शुरू कर दे, लेकिन हाथ और पैर नीले बने रह सकते हैं | बस, गीली टॉवेल को सूखी से बदलें और बच्चे के सिर पर टोपी पहनाएं |
  • अगर आपके हाथ में कुछ भी नहीं है तो शर्ट्स या टॉवेल का उपयोग करके माँ और बच्चे को गर्म रखें |
  • गर्भवती माता और पिता को सैर करने की योजना बनाने से पहले या प्रसव की नियत तारीख़ के आस-पास कोई गतिविधि करने से पहले प्रसव होने की सम्भावना के बारे में ध्यान देना चाहिए | साथ ही आपातकालीन आपूर्ति साधन जैसे एक साबुन, कीटाणु रहित गौज (gauze), कीटाणु रहित कैची, साफ़ चादर आदि को अपनी कार में अपने साथ रखें | (नीचे दी गयी आपको इन चीज़ों की आवश्यकता होगी की लिस्ट में देखें)
  • नाल को काटने वाले उपकरण को कीटाणुरहित करने के लिए अल्कोहल से धोएं या फिर गर्म करके कीटाणु रहित बनायें |
  • अगर माँ प्रसव में हो तो उसे मल त्याग करने के लिए शौचालय नहीं जाने दें क्योंकि ऐसे में उसे लगता है कि प्रसव होने वाला है लेकिन यह अनुभव अधिकतर बच्चे के घूमने और गुदा पर दबाव पड़ने के कारण होता है | प्रसव से कुछ पहले जब बच्चा बर्थ कैनाल में स्थान परिवर्तन करता है तब इस तरह की तीव्र इच्छा का अनुभव होना बहुत स्वाभाविक है |

चेतावनी

  • जब तक साबुन और पानी उपलब्ध न हों तब तक बाहरी कट होने पर माँ और बच्चे को एंटीबैक्टीरियल या एंटीसेप्टिक प्रोडक्ट्स से साफ़ न करें |
  • ये निर्देश एक प्रशिक्षित चिकित्सा व्यवसायी के लिए नहीं हैं और न ही घर पर बच्चे को पैदा कराने के लिए मार्गदर्शन है |
  • स्वयं को, माँ को और जन्मस्थान को यथासंभव साफ़ और सुरक्षित रखें | माँ और बच्चे दोनों के लिए संक्रमण की रिस्क बहुत ज्यादा होती है | जन्मस्थान के पास छींकें या खांसें नहीं |

चीज़ें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • बेबी साइज़ की बल्ब सिरिंज (जो नर्म प्लास्टिक की बनी होती हैं और एअर सिरिंज कही जाती हैं, प्लास्टिक टिप वाली नेजल सिरिंज जो बेबी साइज़ की नोज में फिट नहीं होती उसे नहीं लेना चाहिए)
  • आइसोप्रोपाइल अल्कोहल की छोटी बोतल
  • डिस्पोसेबल प्लास्टिक या लेटेक्स के ग्लव्स का डिब्बा
  • जूते के बंध (नाल या अम्लिकल कार्ड को बांधने के लिए)
  • तेज़ धार वाली कैंचियाँ (नाल को काटने के लिए)
  • केमिकल कोल्ड पैक (जो आपके द्वारा दबाने पर शीतलता देते हैं)
  • गर्म पानी की बोतल (बच्चे को गर्म रखने में मदद के लिए)
  • 6 डिस्पोसेबल डायपर्स
  • दर्द की गोलियां जैसे टायलेनोल (Tylenol) या एडविल(Advil)
  • एंटीबैक्टीरियल साबुन की छोटी टिकिया या लिक्विड एंटीबैक्टीरियल हैण्ड सेनिटाइज़र
  • 4 कॉटन के बेबी ब्लैंकेट
  • न्यूबोर्न कैप (new born cap)
  • 4 टॉवेल
  • कपड़े
  • बाउल (प्लासेन्टा रखने के लिए)
  • माँ को गर्म रखने के लिए कम्बल
  • तकिये
  • गंदे कपड़ों के लिए 5 बड़े ट्रेश बैग्स
  • दो माध्यम आकार के ट्रेश बैग प्लेसेंटा के लिए
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