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गर्म पानी फैलने के कारण जलना सबसे कॉमन घरेलू दुर्घटना होती है | किसी गर्म ड्रिंक, नहाने के गर्म पानी या स्टोव पर रखे गर्म पानी के फैलने से स्किन आसानी से जल सकती है | ऐसा किसी भी व्यक्ति के साथ कभी भी हो सकता है | लेकिन अगर आप जानते हैं कि इस सिचुएशन को कैसे संभालना है और यह तय कर सकते हैं कि आपको किस प्रकार का बर्न (burn) है तो इस इंजुरी को जल्दी ठीक करने का तरीका भी खोज सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

स्थिति का आंकलन करें

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  1. स्किन पर गर्म पानी गिरने के बाद आपको पता लगाना होगा कि आपको किस टाइप का बर्न है | बर्न को डिग्री के अनुसार केटेगराइज्ड किया गया है जिसमे हायर डिग्री बर्न का मतलब है सबसे बदतर रूप से जलना | फर्स्ट डिग्री बर्न ऊपरी तौर पर जलना होता है जिसमे स्किन की टॉप लेयर ही जलती है | फर्स्ट डिग्री बर्न में अनुभव किये जाने वाले लक्षण हैं: [१]
    • स्किन की टॉप लेयर डैमेज हो जाना
    • ड्राई, रेड और पीड़ादायक स्किन
    • स्किन को दबाने पर फटना या सफ़ेद हो जाना
    • ये सभी लक्षण बिना निशान छोड़े तीन से छह दिन में हील हो जायेंगे |
  2. अगर पानी बहुत ज्यादा गर्म हो या आपकी स्किन लम्बे समय तक गर्म पानी के सम्पर्क में रहे तो सेकंड डिग्री बर्न डेवलप हो सकता है | इसे सुपरफिशियल आंशिक-मोटाई वाला बर्न माना जाता है | इसके लक्षण हैं: [२]
    • स्किन की दो लेयर्स का डैमेज हो जाना लेकिन केवल सेकंड लेयर की सुपरफिशियल कैपेसिटी तक |
    • बर्न वाली जगह पर रेडनेस होना और तरल बहना
    • फफोले पड़ना
    • प्रभावित हिस्से को दबाने पर फट जाना
    • हलके से छूने पर भी दर्द होना और तापमान में बदलाव आना
    • इसे हील होने में एक से तीन सप्ताह लगते हैं और इससे स्कार बन सकता है या स्किन डिसकलर हो सकती है जो आसपास की स्किन से थोड़ी ज्यादा डार्क या लाइट दिखाई देती है |
  3. जब पानी बहुत ही ज्यादा गर्म हो या आपकी स्किन काफी लम्बे समय तक उस पानी के सम्पर्क में बनी रहे तो थर्ड डिग्री बर्न हो सकता है | इसे डीप पार्शियल-थिकनेस बर्न के रूप में जाना जाता है | थर्ड डिग्री बर्न के लक्षणों में शामिल हैं: [३]
    • स्किन की दो लेयर्स डैमेज हो जाना जो ज्यादा अंदर तक डैमेज होती हैं लेकिन सेकंड लेयर्स पूरी तरह से डैमेज नहीं होती |
    • जलने वाली जगह पर तेज़ी से दबाने पर दर्द होना (लेकिन इंजरी के समय यहाँ दरदं नहीं होता क्योंकि यहं नर्व डैमेज या नर्व डेथ हो जाती है)
    • स्किन दबाने पर नहीं फटेगी (सफ़ेद नहीं होगी)
    • जलने वाली जगह पर फफोले बन जाते हैं
    • जला हुआ, लेदर जैसा लुक या छिला हुआ दिखाई देना
    • थर्ड डिग्री बर्न में हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ती है और अगर शरीर का 5% से ज्यादा हिस्सा जल चुका हो तो रिकवर होने के लिए हॉस्पिटल ट्रीटमेंट या सर्जरी कराना पड़ती है |
  4. फोर्थ डिग्री बर्न बहुत ही सीवियर बर्न होता है | यह एक सीवियर इंजरी है और तुरंत इमरजेंसी मदद की जरूरत पड़ती है | इसके लक्षणों में शामिल हैं: [४]
    • स्किन की दो लेयर्स पूरी तरह से डैमेज हो जाना, जिसमे उनसे सम्बंधित फैट और मसल्स भी डैमेज हो जाती हैं | थर्ड और फोर्थ डिग्री बर्न में हड्डियाँ भी प्रभावित हो सकती हैं |
    • यह पीड़ादायक नहीं होता
    • जलने वाली जगह पर कलर बदल जाता है और यह सफ़ेद, ग्रे या ब्लैक हो जाता है
    • जलने वाली जगह पर ड्राईनेस होना
    • इसके इलाज़ के लिए सर्जरी और रिकवर होने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है |
  5. चाहे आप किसी भी डिग्री में जले हो, लेकिन अगर यह जॉइंट्स को कवर कर लें या शरीर के बड़े हिस्से को कवर कर लें तो इसे मेजर बर्न कहा जाता है | अगर आपके वाइटल संकेतों के साथ कॉम्प्लिकेशन आ रहे हों या जलने के कारण नॉर्मल एक्टिविटी नहीं कर पा रहे हों तो इसे मेजर बर्न माना जायेगा |
    • किसी वयस्क व्यक्ति के हाथ-पैर को शरीर का 10% और धड़ को 20% माना जाता है | अगर शरीर की कुल सरफेस का 20% हिस्सा जल चुका हो तो उसे मेजर बर्न माना जायेगा |
    • कुल मोटाई में शरीर का 5% हिस्सा (भुजाएं, आधा पैर आदि) जलने पर जैसे थर्ड और फोर्थ डिग्री में होता है, मेजर बर्न माना जाता है |
    • इस तरह के बर्न्स को थर्ड और फोर्थ डिग्री बर्न की तरह ही ट्रीट करना होगा और तुरंत इमरजेंसी मदद लेनी होगी | [५]
विधि 2
विधि 2 का 3:

माइनर बर्न का इलाज़ करें

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  1. भले ही बर्न माइनर हो, जो आमतौर पर फर्स्ट या सेकंड डिग्री बर्न में होता है, अगर कुछ ख़ास क्राइटेरिया से मेल खाता हो तो भी मेडिकल हेल्प लेने की जरूरत हो सकती है | अगर किसी एक या कई अँगुलियों के आसपास के पूरे टिश्यू जल गये हो तो आपको जल्दी से जल्दी मेडिकल हेल्प लेना चाहिए | इससे अँगुलियों में ब्लड फ्लो रुक सकता है जो आमतौर पर एक्सट्रीम केसेस में ही होता है और बिना इलाज़ के छोड़ने पर अंगुलियाँ काटनी पड़ सकती हैं | [६]
  2. माइनर बर्न होने पर आप उसकी देखभाल घर पर को जा सकती है | सबसे पहली स्टेप है कि बर्न को साफ़ करें | इसके लिए बर्न को कवर करने वाले कपडे हतेयं और ठन्डे पानी में उस हिस्से को डूबा दें | बहते हुए पानी के नीचे प्रभावित स्किन को लाने से स्किन डैमेज हो सकती है और स्कारिंग बढ़ सकती है या फिर डैमेज और कॉम्प्लिकेट हो सकता है | गर्म पानी का इस्तेमाल बिलकुल न करें क्योंकि इससे जली हुई जगह पर इर्रीटेशन हो सकता है |
    • जली हुई स्किन को माइल्ड सोप से धोएं |
    • हाइड्रोजन पेरोक्साइड जैसे किसी भी डिसइन्फेक्टेंट का इस्तेमाल न करें | इनसे हीलिंग धीमी हो सकती है |
    • अगर कपडे स्किन से चिपक गए हो तो उन्हें खुद से न निकालें: आपने जितना सोचा होगा, बर्न उससे भी ज्यादा सीवियर हो सकता है इसलिए आपको इमरजेंसी मेडिकल देखभाल लेनी चाहिए | [८] जली हुई स्किन से जुड़े कपडे को छोड़कर बांकी कपडे को काटकर अलग कर दें और जली हुई स्किन पर कोल्ड पैक/बर्फ को कपडे में लपेटकर रखें और दो मिनट तक सेंक करें |
  3. जली हुई जगह को धोने के बाद ठंडे पानी में 15 से 20 मिनट तक डुबायें रखें | बर्फ या बहते हुए पानी का इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे और ज्यादा डैमेज होगा | इसके बाद, एक कपडे को ठन्डे पानी में गीला करें और इसे जले हुए हिस्से पर लगाएं लेकिन रगड़ें नहीं | इस कपडे को सिर्फ उस एरिया पर बिछा दें |
    • आप कपडे को नल के पानी से गीला करके उसे ठंडा होने तक रेफ्रिजरेट करके भी तैयार कर सकते है |
    • घाव पर बटर न लगाएं | इससे ठंडक नहीं मिलती बल्कि इन्फेक्शन और बढ़ सकता है | [९]
  4. जले हुए हिस्से को संक्रमित होने से बचाने के लिए, इसे ठंडा करने के बाद इसकी देखभाल करनी पड़ेगी | इस पर साफ़ अंगुली या कॉटन बॉल से नियोस्पोरिन (neosporin) या बेसीट्रासिन (bacitracin) जैसे एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट लगायें | अगर खुला घाव हो तो इसकी जगह पर नॉन-स्टिक गौज का इस्तेमाल करें क्योंकि कॉटन बल के फाइबर खुले घाव में चिपक सकते हैं | इसके बाद, जले हुए एरिया को ऐसी बैंडेज से कवर करें जो उस एरिया पर चिपके नहीं जैसे टेल्फा (telfa) | दिन में एक या दो बार बैंडेज बदलें और फिर से ऑइंटमेंट लगायें |
    • इस्म्मे बनने वाले किसी भी फफोले को फोड़ें नहीं |
    • अगर हील होते समय स्किन में खुजली हो तो खुजाएँ नहीं अन्यथा यह संक्रमित हो सकती है | जली हुई स्किन में बहुत जल्दी संक्रमण हो सकते हैं |
    • खुजली में राहत पाने के लिए आप एलोवेरा, कोका बटर और मिनरल ऑइल वाले ऑइंटमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं |
  5. कोई भी माइनर बर्न होने पर आपको दर्द अनुभव होगा | जब घाव कवर कर लें तो जले हुए हिस्से को हार्ट से ऊपर उठाकर रखें | इससे सूजन कम हो जाएगी और दर्द में आराम मिलेगा | लिंग के दर्द में राहत पाने के लिए बाज़ार में मिलने वाली दर्दनिवारक दवाएं जैसे एसीटामिनोफेन (tylenol) या आइबूप्रोफेन (advil और motrin) लें | इन पिल्स को दर्द रहने तक दिन में कई बार लें |
    • एसिटामिनोफेन के लिए सिफारिश योग्य डोज़ 650 मिलीग्राम प्रत्येक चार घंटे में लेने के लिए होता है जबकि इसका डेली डोज़ मैक्सिमम 3250 मिलीग्राम होता है |
    • आइबूप्रोफेन के लिए सिफारिश योग्य डोज़ 400 से 800 मिलीग्राम प्रत्येक छह घंटे में लेने के लिए होता है लेकिन इसे दिन में मैक्सिमम 3200 मिलीग्राम तक ही लिया जा सकता है |
    • मेडिकेशन कंटेनर पर दिए गये डोज़ को ध्यान दे पढ़ें क्योंकि अलग-अलग ब्रांड्स और टाइप्स के डोज़ भी अलग-अलग हो सकते हैं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

सीवियर बर्न का इलाज करें

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  1. अगर आपको लगता है कि आपको सीवियर बर्न है जो थर्ड या फोर्थ डिग्री का हो सकता है तो तुरंत मदद के लिए कॉल करें | इसे घर पर ट्रीट करना काफी मुश्किल होता है और किसी प्रोफेशनल से ही ट्रीट कराना पड़ता है | [१०] इमरजेंसी सर्विसेज को कॉल करें, अगर बर्न:
    • गहरा और सीवियर हो
    • फर्स्ट डिग्री से ज्यादा हो और आपको पांच साल से ज्यादा समय से टिटनेस का इंजेक्शन न लगा हो
    • 3 इंच (7.6 सेंटीमीटर) से ज्यादा बड़ा हो या किसी बॉडी पार्ट के चारो ओर सर्किल में हो
    • रेडनेस या दर्द बढ़ने, प्रभावित एरिया से पूस निकलने या बुखार आने जैसे इन्फेक्शन के संकेत दिखाई दें
    • पांच साल से छोटे बच्चे या 70 साल से ज्यादा बूढ़े व्यक्ति को हो
    • किसी ऐसे व्यक्ति को हो जिसे इन्फेक्शन से लड़ने में मुश्किल हो जैसे HIV से पीड़ित व्यक्ति में, जो इम्यूनोसप्रेसर दवाएं ले रहे हों, डायबिटिक हों या लिवर डिजीज वाले व्यक्ति को हो |
  2. अगर आप किसी जले हुए प्रियजन की मदद कर रहे हैं तो इमरजेंसी सर्विसेज को कॉल करने के बाद संवेदनशीलता चेक करें | अगर वे रिस्पांड न करें या शॉक में जा रहे हों तो इमरजेंसी सर्विसेज को बताएं जिससे वे इसके लिए तैयार रहें |
  3. मदद पहुँचने तक, जली हुई जगह के आसपास के या उस जगह की ज्वेलरी और सिकुड़ने वाले कपडे हटा दें | लेकिन, जो कपडे या ज्वेलरी जले हुए एरिया से चिपक गये हों, उन्हें न निकालें | अन्यथा जली हुई जगह की स्किन खिंच जाएगी और इससे इंजरी और बढ़ जाएगी |
    • मेटल ज्वेलरी जैसे रिंग्स या मुश्किल से निकलने वाले ब्रेसलेट पर कोल्ड पैक रखें क्योंकि मेटल ज्वेलरी हीट का संवहन करके आसपास किस्किन और जली हुई जगह के पीछे वाली जगह को भी जलाएगी |
    • आप उस जगह के ढीले कपड़ों को काटकर हटा सकते हैं, जहाँ वे जले हुए एरिया से चिपक गये हो |
    • खुद को या पीड़ित को गर्म रखें क्योंकि सीवियर बर्न के कारण आप शॉक में जा सकते हैं | [१२]
    • माइनर बर्न की तरह इस बर्न को पानी में न डुबायें अन्यथा हाइपोथर्मिया हो सकता है | अगर बर्न शरीर के मूवेबल पार्ट पर हो तो उस एरिया को हार्ट से ऊपर की ओर उठाकर रखें जिससे सूजन से बचने या उसे कम करने में मदद मिल सके |
    • कोई भी दर्दनिवारक दवा न लें, फफोले न फोड़ें, डेड स्कन को न नोंचें या कोई ऑइंटमेंट न लगायें | इससे आपका मेडिकल ट्रीटमेंट बाधित हो सकता है | [१३]
  4. अगर जले हुए एरिया से कपडे हटाने में परेशानी हो तो बर्न को साफ़, न चिपकने वाली बैंडेज से कवर कर दें | इससे यह एरिया इन्फेक्शन से बचा रहेगा | ध्यान रखें की ऐसे किसी मटेरियल का इस्तेमाल न करें जो बर्न पर चिपक जाए | नॉन-स्टिक गौज या गीले पट्टी का इस्तेमाल करें |

चेतावनी

  • जो बर्न सीरियस दिखाई दे लेकिन उसमे कोई दर्द न हो तो वो भी काफी सीवियर हो सकता है | तुरंत उसे ठंडा करें और अगर मन में कोई शंका हो तो इमरजेंसी देखभाल का सहारा लें | कई लोग सोचते हैं कि थर्ड बर्न सीरियस नहीं होता क्योनिक पहली बार में पैन-ब्लॉकिंग मैकेनिज्म होती है और शुरुआत में दर्द नहीं होता | बर्न को ठंडा करने में असफल होने और जल्दी ट्रीटमेंट शुरू करने से और डैमेज हो सकता है, हीलिंग प्रोसेस बाधित हो सकती है और स्कारिंग बढ़ सकती है |

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