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क्या आप भी अक्सर नर्वस हो जाते हैं और आपको लगता है कि आप उसे कण्ट्रोल नहीं कर सकते? क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि आप जब भी कोई काम करने जाते हैं, उसे करते समय हर बार नर्वस होते हैं ? इस परेशानी का सामना करने के लिए मुसीबतों से लड़ने के हुनर, रिलैक्सेशन तकनीकों के इस्तेमाल, अपनी हेल्थ पर फोकस करने और अपनी सोच बदलने से बेहतर और कुछ भी नहीं है |

विधि 1
विधि 1 का 4:

नर्वसनेस का सामना करें

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  1. डिस्ट्रेक्शन का मतलब है कि अपनी नर्वस फीलिंग्स की बजाय किसी और चीज़ पर ध्यान देना | कम समय में ही नकारात्मक भावनाओं को कम करने के लिए डिस्ट्रेक्शन बहुत मददगार उपाय होता है | [1]
    • नर्वस फीलिंग से खुद को डिस्ट्रेक्ट करने के कुछ उदाहरण हैं- गेम खेलना, टेलीविज़न या कोई मूवी देखना, कुकिंग या क्लीनिंग करना |
    • रीडिंग करके, नहाकर, बबल बाथ लेकर, मोमबत्तियां जलाकर या अरोमाथेरेपी के इस्तेमाल जैसी रिलैक्सिंग एक्टिविटी से खुद को राहत दें |
    • म्यूजिक सुनें | अगर आपको कोई पसंदीदा गाना है तो उसे सुनें और माइंड को रिलैक्स होने दें |
    • पालतू जानवरों का इस्तेमाल थेरेपी के रूप में करें | स्ट्रेस के समय में पालतू जानवर काफी आराम दे सकते हैं | आप अपने पालतू जानवर को सहला सकते हैं | रियल लाइफ में आप जिस काम को करने में नर्वस फील करते हैं, उसे सच में करने से पहले ही अपने पालतू जानवर के सामने आप उसकी प्रैक्टिस कर सकते हैं |
    • लिख लें | अपनी फीलिंग्स को लिखना काफी असरदार साबित हो सकता है | मन में फीलिंग्स को दबाए रखने की बजाय अपनी भावनाओं को पेपर पर उतार दें और चिंता से मुक्ति पायें | [2]
  2. स्टेज पर जाने से पहले एक्टर्स अपनी बॉडी को वार्म-अप करने की तकनीक का इस्तेमाल इसी थेरेपी के रूप में करते हैं | शरीर को हिलाने से मसल्स का तनाव कम हो जाता है और नर्वसनेस या “बैचैनी” कम हो सकती है | [3] अक्सर नर्वस होने पर हमारा शरीर प्रतिक्रिया देता है और हमें टेंशन, पेट खराब होना (जिसे पेट में असहज महसूस होना भी कहा जाता है) या सिरदर्द भी हो सकता है | यह सब शरीर में घबराहट की प्रतिक्रिया के रूप में होता है | जब हम हिलते हैं तो थेराप्युटिक रूप से थोड़ी टेंशन रिलीज़ हो जाती है |
    • थोडा हिले-डुलें! अपने हाथ, शरीर के ऊपरी हिस्से और फिर पैरों से शुरू करते हुए शरीर के सभी हिस्सों को हिलायें |
    • डांस करते रहें | अपने पसंदीदा म्यूजिक पर डांस करना, शरीर से घबराहट की फीलिंग्स को दूर करने का सबसे बेहतरीन उपाय होता है | आप यू-ट्यूब वीडियोज देख सकते हैं और एरोबिक डांस रूटीन को आजमा सकते हैं |
    • ऊपर-नीचे उचकें | रैंडमली हिलते रहें या मस्ती में झूमें | डांस में आनंद लें |
  3. किसी काम को करने में होने वाली नर्वस फीलिंग को कम करने का बेस्ट तरीका यह है कि वो काम करें और फिर दोबारा करें | नर्वस फील कराने वाले कामों को बार-बार करें | इससे कॉन्फिडेंस बढेगा और नर्वसनेस कम होगी |
    • जब तक काम पूरा न हो जाए नकली सांत्वना दें | आप जो भी काम कर रहे हैं, उसमे खुद को कॉंफिडेंट फील करने का ढोंग करें और फिर देखिये आप इस एक्टिविटी में पूरी तरह से एक्सपर्ट हो जायेंगे (भले ही आप थोड़ी सी बात करें या कोई स्पीच दें) | किसी शांत और कॉंफिडेंट व्यक्ति की तरह एक्ट करें |
  4. अगर आपकी नर्वसनेस या एंग्जायटी की वजह से आपके दैनिक जीवन में बाधा आ रही हो या आप सामाजिक रूप से सक्रिय नहीं रह पा रहे हों तो किसी प्रोफेशनल की सलाह लेनी ही उचित होगा |
    • थेरपी के लिए किसी थेरापिस्ट, सोशल वर्कर या साइकोलोजिस्ट से सम्पर्क करें जिससे आप घबराहट के इलाज़ के लिए नयी तकनीकें और तरीके सीख सकें |
    • संभावित दवाओं के लिए किसी जनरल प्रैक्टिसनर (डॉक्टर) या साइकेट्रिस्ट से सम्पर्क करें |
विधि 2
विधि 2 का 4:

तकनीकें आजमायें

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  1. डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज काफी सरल होती है और इससे फिजियोलॉजिकली नर्वसनेस को कम करने में मदद मिल सकती है | गहरी साँसे लेने से पेट की असहजता, घबराहट और शरीर के तनाव कम होने लगते है | [4]
    • इसकी शुरुआत किसी शांत, सुरक्षित जगह पर बैठकर करें | नाक से सांस भरें और मुंह से धीरे- धीरे निकालें | [5] हर बार सांस लेते और छोड़ते समय डायाफ्राम में होने वाली अनुभव को नोटिस करें | हर बार कुछ देर तक इस तरह से सांस लेना जारी रखें, भले ही आप सिर्फ ब्रीथिंग और उसकी फीलिंग के बारे में ही क्यों न सोच रहे हों |
  2. प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन एक ऐसी रिलैक्सेशन तकनीक है जो खुद को शांत करने और अतिरिक्त तनाव हटाने में बहुत मदद करती है | [6]
    • इसकी शुरुआत पांच सेकंड तक अपने पैरों की अँगुलियों पर खिंचाव डालते हुए करें और फिर उन्हें 10 से 20सेकंड तक रिलैक्स करें | इसके बाद अपने शरीर को धीरे-धीरे ऊपर उठायें और सिर से लेकर पाँव तक शरीर की अधिकांश मसल्स ग्रुप्स पर खिंचाव डालें और फिर रिलैक्स करें |
  3. शरीर से तनाव, दर्द और घबराहट को हटाने का यह सबसे पुराना तरीका है | मैडिटेशन आमतौर पर किसी शांत और सुरक्षित जगह पर किया जाता है | इसके लिए आप बैठ या लेट सकते हैं | आमतौर पर मैडिटेशन आँखें बंद करके किया जाता है लेकिन आप अपनी आँखें खुली भी रख सकते हैं और चाहें तो किसी विशेष जगह पर भी नजर टिका सकते हैं | दिमाग से सारे विचार हटा दें और सिर्फ खुद के साथ बैठे रहें | [7]
    • मैडिटेशन का तात्पर्य दिमाग से विचारों को हटाना है | अगर आपको लगे कि आपका ध्यान भंग हो रहा है तो बिना सोच-विचार किये फिर से मैडिटेशन पर अपना फोकस वापस लायें |
    • आप किसी ख़ास टॉपिक पर भी मैडिटेशन कर सकते हैं | उदाहरण के लिए, अगर आपको लोगों के सामने जाने में डर लगता है तो शांति से बैठे हुए आप केवल इसी टॉपिक के बारे में सोचते हुए मैडिटेट कर सकते हैं |
  4. आप जब भी नर्वस, डरे हुए या अन्तरंग होने पर खुद को झुककर छिपाने या अपने शरीर को सिकोड़ने की कोशिश करते हैं | अगर आप अपने शरीर को झुकाते या सिकोड़ते हैं तो अशाब्दिक रूप से दुनिया को प्रदर्शित करते हैं कि आप कॉंफिडेंट नहीं हैं | चूँकि व्यहार का फीलिंग्स से करीबी सम्बन्ध होता है इसलिए अगर हम अपने शरीर में बदलाव करते हैं तो अशाब्दिक रूप से कम्यूनिकेट करने की शुरुआत करते हैं कि हम कुछ अलग फील कर रहे हैं | सीधे बैठने या खड़े होने का तरीका कॉंफिडेंट और पॉजिटिव दिखने का सबसे बेहतरीन तरीका है | [8]
    • अगर आप खड़े हों तो अपने कन्धों को पीछे की ओर धकेलें | अपनी पीठ को दीवार से समतल रखते हुए खड़े हों |
    • अगर आप बैठे हैं तो ध्यान दें कि आगे झुकने की बजाय पीठ कुर्सी से सीधी लगी हो |
  5. माइंडफुलनेस का मतलब है- आप वर्तमान में जो कर रहे हैं, फील कर रहे हैं, देख रहे हैं या आपके वातावरण में जो भी हो रहा है उस पर फोकस करना | [9] माइंडफुलनेस से भविष्य की चिंता करने या अतीत के बारे में सोचने की बजाय वर्तमान पर फोकस करने में मदद मिलती है | अगर आप किसी संभावित डरावनी इवेंट के बारे में सोचकर खुद को नर्वस फील कर रहे हों तो उस स्थिति में माइंडफुलनेस से विशेषरूप से मदद मिल सकती है |
    • माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस मजेदार तरीके से करें,, जैसे एक कैंडी का टुकड़ा खाते हुए सबसे पहले उसे फील करने पर फोकस रखें और उसे देखें, और इसके बाद उसके स्वाद और मुंह के अंदर उसकी उपस्थिति को फील करें | केवल कैंडी और उसे खाने के अनुभव पर ही फोकस रखें | एक बार में इसका छोटा सा टुकड़ा ही खाएं और इसका लुफ्त उठायें |
    • कमरे में मौजूद कोई चीज़ उठायें और उस पर फोकस करें | उसे देखें, पैनी दृष्टी डालें, छुएं, उठायें और उसके बारे में सारी डिटेल्स का परीक्षण करें | इसके बाद, आपने उस चीज़ के बारे में जो भी नोटिस किया है, उन सभी जानकारी को लिखें और किसी के साथ शेयर करें |
  6. नर्वसनेस, स्ट्रेस और एंग्जायटी के समय में ग्राउंडिंग एक्सरसाइज विशेषरूप से फायदेमंद साबित होती है | ग्राउंडिंग से आपको ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलती है और इससे कुछ समय के लिए अपने इमोशन से ध्यान हटाया जा सकता है और अपनी एनर्जी को किसी एक जगह पर फिर से फोकस किया जा सकता है |
    • इसका सम्बन्ध उन एक्टिविटी से हैं जिनमे कमरे की सभी अलग-अलग चीज़ों और उनके अलग-अलग इस्तेमालों को कोई न कोई नाम दे दिया जाता है |
    • आप वो सभी कलर्स या स्टेट्स के नाम दे सकते हैं जिन्हें आप सोच पा रहे हों |
विधि 3
विधि 3 का 4:

अपनी हेल्थ पर फोकस करें

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  1. नर्वसनेस और एंग्जायटी कम करने के सबसे बसत तरीका है- एक्सरसाइज | [10] एक्सरसाइज के ऐसे तरीके खोजें जिनसे नर्वसनेस को कम करने में मदद मिल सके | कुछ ऐसा काम करें जिससे ब्लड फ्लो बढे और आप स्ट्रेस को अपने शरीर से बाहर कर सकें | [11]
    • वाकिंग, जॉगिंग, हाईकिंग, स्विमिंग, बाइकिंग, योग, टेनिस या डांसिंग जैसी फन एक्टिविटी करें |
  2. अल्कोहल और दूसरी डिप्रेसिव चीज़ों से आपको कम समय में ही ज्यादा रिलैक्स फील करने में मदद मिल सकती है लेकिन इनसे लम्बे समय तक नर्वसनेस से राहत नहीं मिल सकती | [12] आमतौर पर नर्वस सिचुएशन का सामना करने के लिए ये चीज़ें दी जाती है लेकिन इनके इस्तेमाल से आप कभी नहीं सीख पाते कि हेल्दी तरीके से घबराहट का सामना कैसे किया जाना चाहिए | बल्कि, नर्वसनेस कम करने के लिए आप इन चीज़ों पर निर्भर हो जायेंगे | इन चीज़ों की आदत से हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है |
  3. कॉफ़ी, सोडा, एनर्जी ड्रिंक्स- ये सभी कैफीन होते हैं जो आपको शांत करने की बजाय उत्तेजित कर देते हैं | [13]
    • नर्वसनेस और एंग्जायटी बढाने वाली चीज़ों को पीने की बजाय केमोमाइल टी पीने की कोशिश करें |
    • अगर आप हर दिन कैफीन पीते हैं तो उसे एकदम से तुरंत पूरी तरह न छोड़ें | आप इसका इस्तेमाल समय के साथ धीरे-धीरे कम करते जाएँ |
विधि 4
विधि 4 का 4:

अपनी सोच बदलें

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  1. घबराहट या नर्वसनेस की फीलिंग अपने साथ डर भी लाती है | हमे डर रहता है कि क्या होगा, इसकी बजाय अभी जो हो रहा है और हम जो चाहते हैं, उस पर फोकस करें | [14] कई बार हम बहुत चिंता करने लगते हैं कि कुछ बुरा होगा जिससे सच में बुरा हो जाता है | उदाहरण के लिए, अगर आप सच में भाषण के दौरान अपने शब्दों में अटकने के बारे में बहुत ज्यादा सोचते और चिंता करते हैं तो सच में आपके साथ ऐसा ही हो जाता है | इसे आत्म-पूर्ती भविष्यवाणी (self-fulling prophecy) कहा जाता है |
    • कुछ बुरा होने के बारे में चिंता करने की बजाय ऐसी पॉजिटिव चीज़ों के बारे में सोचें जो आप सच में चाहते हैं (जैसे स्पष्ट, संक्षेप में और कॉन्फिडेंस के साथ बोलना) |
    • आप जिस चीज़ के बारे में घबरा रहे थे, सोचें कि आपने उसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है | सोचें कि इसे पूरा करने के बाद आप कैसा फील करेंगे |
  2. कई बार जब हम नेगेटिव इमोशन फील करते हैं तो उन्हें तुरंत खुद से दूर हटाने लगते हैं या उन्हें छिपाने की कोशिश करते हैं | हालाँकि, इमोशन किसी न किसी कारण से ही आते हैं जो हमे होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी देते हैं जिससे हम उसी के अनुसार व्यवहार कर सकें | इसलिए अपनी सोच को ऐसे आईडिया पर फोकस करके रखें जो नर्वस फील करने पर भी पूरी तरह से सामान्य रहना सिखाएं | [15] नर्वसनेस या घबराहट एक नेचुरल रिएक्शन है और यह हम सभी को समय –समय पर फील होती रहती है | इसलिए धैर्य रखें |
    • आपको हर बार ऐसा लगे जैसे अपनी फीलिंग के बारे में आपके विचार नकारात्मक हैं जैसे, “ओह, मैं बहुत नर्वस फील कर रहा हूँ | यह भयानक है |” इसकी बजाय खुद से कहें, “मैं नर्वस फील कर रहा हूँ और इसमें कोई बुराई नहीं है | यह एक नेचुरल फीलिंग है और मैं इससे उबर सकता हूँ |”
  3. सिचुएशन की भयावहता से डरने और घबराने की बजाय, परेशानी के केवल एक छोटे से हिस्से के बारे में ही सोचें और उस पर काम करें | सरल शुरुआत करें | सभी चीज़ों पर फोकस करने की बजाय छोटी-छोटी शुरुआत करें | इसके बाद, थोडा और सोचें और थोडा और काम करें |
  4. जब किसी विशेष सिचुएशन या इवेंट के लोगों के बारे में सोचते हैं जो अक्सर ऐसे नकारात्मक विचार ही रखते हैं तो उससे उनमे घबराहट और चिंता की फीलिंग बढ़ने लगती है | इस तरह के विचारों में शामिल हैं-तबाही (सोचना कि सबसे बुरा होकर ही रहेगा), दिमाग-पढना या माइंड-रीडिंग (यह सोचना कि आप जानते हैं कि दूसरे लोग क्या सोच रहे हैं) और भविष्यवाणी करना (यह विश्वास होना कि आप जानते हैं कि क्या होने वाला है) | [16] नोटिस करें कि आपको इस तरह के विचार कब आते हैं और उन्हें तुरंत सुधारें |
    • उदाहरण के लिए, अगर आप खुद को तबाह या बर्बाद फील करने तो खुद से पूछें, “अगर यह बुरा हुआ तो क्या सच में दुनिया ख़त्म हो जाएगी? यह सच में कितना बुरा होगा? क्या ये संभव है कि यह सब इतना बुरा न हो पाए?”
    • उस समय को याद करें जब आप बहुत ज्यादा कॉंफिडेंट फील करते थे | अच्छे दोस्तों, समय, हंसी-ठहाकों और अपनी पसंदीदा चीज़ों जैसी पॉजिटिव चीओं पर ध्यान केन्द्रित करें | [17]

सलाह

  • ध्यान रखें की आप हर सिचुएशन को कण्ट्रोल नहीं कर सकते | हर तरह के संभावित रिजल्ट्स के लिए तैयार रहने की कोशिश करें और अनजानी सिचुएशन को भी स्वीकारना सीखें |

चेतावनी

  • जिस काम को करते समय नर्वस हो जाते हैं, उनमे सावधानी रखें | अगर आपका लक्ष्य बहुत ही खतरनाक एक्टिविटी (जैसे स्कूबा डाइविंग, स्काई-डाइविंग या कार-रेस ड्राइविंग) करने के हों हो ध्यान दें कि आप इसके लिए पहले से सभी सुरक्षात्मक उपायों के साथ तैयार हों और प्रोफेशनली ट्रेनिंग ले चुके हों | ऐसा कोई काम न करें जो आपकी हेल्थ के लिए जोखिमभरा हो या जिसमे आपको उचित ट्रेनिंग न मिली हो |

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