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बेकर्स सिस्ट (जिसे popliteal cyst के नाम से भी जाना जाता है) घुटने के पीछे पायी जाने वाली एक तरल से भरी हुई सिस्ट या सैक है जो घुटने में टाइटनेस, दर्द या जकड़न के कारण बनती है और पैर में चलने या फिजिकल एक्टिविटी के दौरान और बढ़ सकती है | सायनोवियल फ्लूड (घुटनों के जॉइंट को लुब्रिकेट करने वाले फ्लूड) के जमा होने के कारण सूजन और उभार होने से घुटने के अंदर दबाव पड़ने से, घुटने के पीछे सिस्ट बन जाती है | बेकर्स सिस्ट के इलाज़ की सबसे जरुरी स्टेप है– प्रभावित पैर को आराम देना और उससे सम्बंधित कारणों जैसे आर्थराइटिस का इलाज़ करना | अगर आपको लगता है कि आपके पैर में भी बेकर्स सिस्ट है तो डॉक्टर को जरुर दिखाएँ जिससे ब्लड क्लॉट या धमनी अवरुद्धता जैसे ज्यादा गंभीर कारणों का पता चल सके |

विधि 1
विधि 1 का 3:

घर पर ही सिस्ट का इलाज करें

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  1. बेकर्स सिस्ट और किसी और गंभीर परेशानी के बीच अंतर को समझें: हालाँकि आप घर पर बेकर्स सिस्ट का इलाज कर सकते हैं लेकिन आपको सुनिश्चित करना होगा कि वो बेकर्स सिस्ट ही है, डीप वीन थोम्ब्रोसिस (DVT) या धमनी अवरोध (arterial obstruction) जैसी कोई और ऐसी गंभीर परेशानी नहीं है जिसमे मेडिकल अटेंशन की जरूरत पड़े | अगर आपको पैर की अँगुलियों या पंजे पर सूजन या पर्पल निशान दिखाई दें तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए |
  2. आपको घुटने का दर्द बंद होने तक उसे आराम देना चाहिए जिससे उस पर कोई प्रेशर न पड़े | पैर मोड़ते या फैलाते समय घुटने के पीछे या उसके आसपास होने वाले दर्द पर विशेषरूप से ध्यान दें | कम से कम एक या दो दिन तक घुटने को पूरा आराम देना चाहिए |
  3. जितना जल्दी हो सके, घुटने की चोट पर बर्फ से सेंक करें | बर्फ से सेक करने पर चोट के आसपास की सूजन और इंफ्लेमेशन कम होने लगती है जिससे थोड़े दर्द में भी आराम मिलता है | एक बार में घुटने पर केवल 15 से 20 मिनट तक ही बर्फ से सेंक करें | फिर से बर्फ से सेंक करने से पहले उस एरिया को (और 15 से 20 मिनट तक) कमरे के तापमान पर आ जाने दें | इससे चोट लगने के बाद शुरुआती एक या दो दिन तक सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है और इस दौरान आप कई बार घुटने की बर्फ से सिकाई कर सकते हैं |
    • बर्फ (या फ्रोजन सब्जी जैसे फ्रोजन मटर) के बैग पर टॉवल लपेटें और फिर सिकाई करें (कभी भी स्किन पर डायरेक्ट बर्फ न लगायें) |
  4. कम्प्रेस से चोटिल जगह की सूजन को कम करने में मदद मिलती है और इससे घुटने को भी स्थिरता मिलती है | चोटिल जगह के चारो ओर एक इलास्टिक बैंड (ऐस व्रैप), ट्रेनर्स टेप, ब्रेस (brace) या एक कपडे का टुकड़ा बांधें |
    • घुटने को स्थिर करने के लिए इसे कसकर बांधें लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि ब्लड सर्कुलेशन ही रुक जाये |
  5. पैर ऊंचा उठाकर रखने से सूजन कम होती है और ब्लड वापस हार्ट तक जाने लगता है | लेटते समय, अपने पैरों को हार्ट के लेवल से ऊपर पैरों को ऊंचा उठाकर रखें (इतना ऊंचा उठाकर रखें जिससे दर्द न हो) | अगर आप चोटिल पैर को ऊंचा नही उठा सकते तो इसे कम से कम जमीन के समानांतर रखें |
    • इसके अलावा, सोते समय पैरों को ऊंचा उठाकर रखने के लिए पैरों के नीचे रखें |
  6. आप ibuprofen, acetaminophen, aspirin, और naproxen जैसी नॉन–स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) ले सकते हैं | [१] लेबल पर दिए गये डोज़ेस को फॉलो करें और सिफारिश योग्य मात्रा में उसी डेली डोज़ पर बने रहें |
    • बच्चों या 19 साल से छोटे किशोरों को एस्पिरिन नहीं देनी चाहिए क्योंकि उनमे Reye syndrome (ब्रेन और लिवर डैमेज) होने की सम्भावना होती है, विशेषरूप से अगर बच्चे को चिकनपॉक्स या फ्लू हो चुका हो | [२] अपने बच्चे को एस्पिरिन देने से पहले डॉक्टर की सलाह लें |
    • अगर आपको लिवर, किडनी या पेट की समस्याएं हैं तो मेडिकल प्रोफेशनल कोई भी NSAIDs लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेने की सिफारिश करते हैं | [३]
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपने फिजिशियन को दिखाएँ

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  1. डॉक्टर को सिस्ट के कारण का पता लगाने दें और इलाज़ करने दें | चूँकि इस सिस्ट के होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमे घुटने की चोट, रूमेटिक आर्थराइटिस, ओस्टोआर्थराइटिस और कार्टिलेज या टेंडन की चोट जैसे कुछ नाम शामिल होते हैं | डॉक्टर को एक्सामिन करने दें जिससे वे प्रॉपर डायग्नोसिस बना सकें | [४]
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    अगर सिस्ट बढती जाए तो डॉक्टर से चेक कराएं: बढ़ी हुई सिस्ट के कारण पैर के निचले हिस्से में सूजन आ सकती है क्योंकि इससे आसपास की शिराएँ दब सकती हैं | इसीलिए, अगर सिस्ट आकर में बढ़ रही हो तो डॉक्टर को दिखाना जरुरी होता है | डॉक्टर को एक्सामिन करने दें और उनके दिए हुए इलाज और परामर्श का पालन करें | [५]
    • जब आप अपॉइंटमेंट लेने जाएँ तो डॉक्टर की क्लिनिक पर बता दें कि आपको सिस्ट बढ़ने की आशंका हो रही है |
  3. भले ही आपने ट्रीटमेंट प्लान के लिए डॉक्टर से पहले ही सलाह ले चुके हों, फिर भी अगर आपको लगता है कि सिस्ट फट गयी है या दूसरे उपद्रव भी हो रहे हैं तो डॉक्टर को जरुर दिखाएँ | अगर आपकी बेकर्स सिस्ट फट जाती है तो फ्लूड पैरों की पिंडली वाले एरिया में बहने लगता है जिससे ये समस्याएं हो सकती हैं: [६]
    • पिंडलियों में पानी बहने जैसी अनुभूति
    • रेडनेस और सूजन
    • नील बनना, जो घुटने के पिछले हिस्से से लेकर टखने तक फैलते जाते हैं
    • फ्लूड बहने और उसके साथ ही इंफ्लेमेशन होने के कारण तेज दर्द होना जिससे ब्लड क्लॉट भी बन सकते हैं |
    • चूँकि ये लक्षण ब्लड क्लोट्स के समान दिखाई दे सकते हैं इसलिए जरुरी है कि क्लॉट के इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर की सलाह लें | एक जगह भरे हुए ब्लड से बने क्लोट्स के कारण प्राणघातक कंडीशन बन सकती हैं | [७] अगर डॉक्टर को लगता है कि आपको सिस्ट फटने से होने वाले कॉम्प्लिकेशन होने की कोई सम्भावना नहीं है तो आपके पैर में एक से चार सप्ताह के अंदर ही फ्लूड फिर से अवशोषित हो जायेगा और डॉक्टर साधारण से दवाएं देंगे | [८]
  4. एक क्लिनिकल स्टडी में बताया गया है कि ओस्टोआर्थराइटिस से प्रेरित बेकर्स सिस्ट से पीडित रोगियों की सिस्ट में डायरेक्ट कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन देने से सूजन, दर्द और पैर के मूवमेंट की रेंज इन सभी में सुधार आने लगता है | [९] डॉक्टर सिस्ट की कैविटी में नीडल से डायरेक्टली कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन देंगे | स्टेरॉयड से प्रभावित जगह पर इंफ्लेमेशन और सूजन कम करने में मदद मिलती है |
    • डॉक्टर भी सिस्ट को देखने और नीडल को गाइड करने के लिए मदद के रूप में अल्ट्रासाउंड मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं |
  5. डॉक्टर सिस्ट में मौजूद फ्लूड को हटा भी सकते हैं | अगर आपको सेकेंडरी सिस्ट्स हैं (घुटने के आगे और पिछले हिस्से में फ्लूड जमा हो जाना) तो डॉक्टर घुटने के सामने वाले और साइड के हिस्सों से फ्लूड हटा भी सकते हैं | इससे भी दर्द और सूजन में काफी आराम मिल जाता है और घुटना ज्यादा आसानी से काम कर पाता है | डॉक्टर फ्लूड में सही तरीके से नीडल इंजेक्ट करने के लिए अल्ट्रासाउंड कराएँगे और प्लंजर से फ्लूड को खींच लेंगे | [१०]
    • सिस्ट में भरे गाढ़े तरल को निकालने के लिए डॉक्टर 18 या 20 गेज नीडल का इस्तेमाल करेंगे |
    • सिस्ट में भरे हुए फ्लूड की मात्रा या कई जगहों पर फ्लूड जमा होने के आधार पर डॉक्टर इस प्रोसीजर को एक से ज्यादा बार भी कर सकते हैं |
    • डॉक्टर के लिए एस्पिरेशन (ड्रेनेज) के साथ स्टेरॉयड इंजेक्शन देना बहुत कॉमन होता है | कई स्टडीज में बताया जा चुका है कि दोनों प्रोसीजर के बाद घुटने के फंक्शन बेहतर हो जाते हैं और लक्षणों में सुधार आने लगता है | [११] [१२] [१३]
  6. सिस्ट के सर्जिकल एक्सीजन के बारे में डिस्कस करें: अगर लक्षण बने रहें, दूसरे उपचार असफल हो जाएँ या सिस्ट बहुत बड़ी हो जाए तो यह आखिरी उपाय होता है | आपको एनेस्थीसिया देने के बाद सर्जन फ्लूड दरें करने के लिए सिस्ट के चारो ओर एक छोटा सा (3 से 4 मिलीमीटर) का इन्सीजन या चीरा लगाते हैं | सर्जन पूरी सिस्ट को नहीं निकाल सकते क्योंकि यह अपने आप ही ठीक हो सकती है | सिस्ट को दरें करने के बाद सर्जन इन्सीजन पर टांके लगा देते हैं | [१४]
    • इस प्रोसीजर में आमतौर पर एक घंटा (या उससे कम, जो सिस्ट के सीए पर निर्भर करता है) समय लगता है | बड़ी सिस्ट में ज्यादा समय लगेगा क्योंकि इसमें नर्व और ब्लड वेसल्स के चारो ओर सूजन होगी |
    • जरूरत पड़ने पर आपको दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं |
    • घर जाकर, RICE थेरेपी विधि (rest, ice, compression, और elevation) अपनाएं |
    • सर्जन आपको कई दिनों तक उस एरिया से वज़न दूर रखने के लिए बैसाखी या बेंत इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

बेकर्स सिस्ट के साथ ही जॉइंट और मसल्स की स्ट्रेंग्थ मेन्टेन करें

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  1. बेकर्स सिस्ट वाले एरिया के इंफ्लेमेशन के कारण मसल्स में टाइटनेस और जॉइंट्स में जकड़न आ सकती है | [१५] आपको पीड़ारहित फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेंथनिंग देने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए जिससे उस एरिया को फिर से पहले वाली अवस्था में लाया जा सके और जॉइंट और मसल्स को मेन्टेन रखा जा सके | इससे भविष्य में भी उस एरिया के आसपास की मसल्स और जॉइंट में कमजोरी और/या जकड़न नहीं रहेगी |
    • आपको quadriceps, hamstrings, buttocks, और पिंडलियों की मसल्स पर फोकस करना चाहिए |
  2. कोई ऐसी स्टूल या चीज़ खोजें जो लगभग 1.5 फीट (50 सेंटीमीटर) ऊंची हो | बिना चोट वाले पैर के घुटने को मोड़ते हुए स्टूल पर पंजे को रखें | थोडा आगे की ओर और नीचे झुकें और जाँघों पर स्ट्रेच फील होने तक अपनी पीठ सीधी रखें | इस पोजीशन में 30 सेकंड तक रहें |
    • दूसरी एक्सरसाइज के पहले और बाद में भी दिन में दो बार इसके तीन रेपिटेशन करें |
    • अगर आपको पर्याप्त स्ट्रेच फील न हो तो स्ट्रेचिंग वाले पैर की तरफ थोडा और आगे की ओर झुके |
  3. पीठ के बल लेट जाएँ | जिस पैर की स्ट्रेचिंग करना चाहते हैं, उसके घुटने को मोड़ें | एक हाथ अपनी जांघ के पिछले हिस्से पर रखें और दूसरे को पिंडली के पीछे पर रखें | घुटने को लगभग 20 डिग्री पर मोड़कर रखें | आपको जांघ के पिछले हिस्से पर स्ट्रेच फील होगा | इस पोजीशन में 30 सेकंड तक बने रहें |
    • एक्सरसाइज के पहले और बाद में करने के साथ ही इसे दिन में दो बार प्रति सेशन तीन टाइम्स तक रिपीट करें |
    • अगर आप खिंचाव डालते समय पैर तक नहीं पहुँच पायें तो पैर के चारो ओर एक टॉवल रख लें | इसके बाद आप टॉवल को खींचकर उसी स्ट्रेच को पूरा कर सकते हैं |
  4. इस एक्सरसाइज के लिए कुर्सी के किनारों पर बैठें | अपने स्वस्थ पैर को एक नॉर्मल सिटींग पोजीशन में मोड़ें और प्रभावित पैर को केवल थोडा सा घुटना मोड़ते हुए अपने सामने रखें | इस पोजीशन के लिए जांघ के पिछले हिस्से पर खिंचाव अनुभवव होने तक आगे की ओर झुकें (पीठ एकदम सीधी और सिर ऊपर रखें) | इस पोजीशन में 30 सेकंड तक बने रहें |
    • दिन में दो बार या एक्सरसाइज करने के पहले या बाद में प्रति सेशन तीन रिपीटेशन करें |
  5. बैठे हुए, अपने घुटने पर अतिरिक्त दर्द न होने तक अल्टरनेट रूप से उसे मोड़ें और सीधा करें | इस एक्सरसाइज से घुटने के मोशन की नॉर्मल रेंज को मेन्टेन किया जा सकता है |
    • अगर कोई दर्द न हो तो दिन में एक बार 20 रिपीटेशन तक करें |
  6. स्थिर क्वाड्रिसेप्स संकुचन वाली एक्सरसाइज करें: पैर सीधे रखते हुए घुटने के नीचे एक टॉवल रोल करके रखें | अपने घुटने पर टॉवल की ओर प्रेशर लगायें जिससे जांघ की मसल्स (क्वाड्रिसेप्स) टाइट हो जाएँ | संकुचन करते समय जांघ की मसल्स की टाइटनेस को फील करने के लिए अपनी अंगुलियाँ क्वाड्रिसेप्स मसल्स पर रखें |
    • प्रत्येक रिपीटेशन को पांच सेकंड तक होल्ड करें और फिर बिना दर्द के यथासंभव जितना मुश्किल से हो सके, दस बार रिपीट करें |

सलाह

  • अगर आप मोटापे से ग्रस्त हैं तो सिस्ट ठीक होने के बार आपको वज़न कम करने की सलाह दी जाती है क्योंकि मोटापे के कारण घुटने पर बहुत तनाव पड़ता है और इसके कारण और भी डैमेज हो सकते हैं |

चेतावनी

  • बेकर्स सिस्ट होने पर खुद को घुटने पर वज़न डालकर चलने पर मजबूर न करें |
  • हालाँकि इस आर्टिकल में बेकर्स सिस्ट के बारे में जानकारी दी गयी है लेकिन इस आर्टिकल को मेडिकल एडवाइस की तरह नहीं लेना चाहिए | कोई भी ट्रीटमेंट प्लान बनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें |

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  1. Di Sante L. et al. Ultrasound-guided aspiration and corticosteroid injection of Baker's cysts in knee osteoarthritis: a prospective observational study. American Journal of Physical Medicine & Rehabilitation. 2010 Dec;89(12):970-5.
  2. Bandinelli F. et al. Longitudinal ultrasound and clinical follow-up of Baker's cysts injection with steroids in knee osteoarthritis. Clinical Rheumatology. April 2012 Vol. 31 Issue 4, p727
  3. Di Sante L. et al. Ultrasound-guided aspiration and corticosteroid injection of Baker's cysts in knee osteoarthritis: a prospective observational study. American Journal of Physical Medicine & Rehabilitation. 2010 Dec;89(12):970-5.
  4. Koroglu M. et al. Ultrasound guided percutaneous treatment and follow-up of Baker's cyst in knee osteoarthritis. November 2012 Volume 81, Issue 11, Pages 3466–3471
  5. http://www.iskinstitute.com/kc/knee/bakers_cyst/t3.html
  6. http://bakers-cyst-knee.html

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