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अगर आप दूसरों को खुश रखने वाले इंसान हैं, तो मतलब कि आप हमेशा ही अपने से पहले दूसरों की खुशियों का ख्याल रखा करते हैं। हो सकता है कि आप हर एक काम के लिए दूसरों की हामी का इंतजार किया करते हों या फिर हर चीज़ दूसरों को देना सीखे हों। इसे एडजस्ट होने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन हर एक चीज़ के लिए “हाँ” की जगह पर “ना” बोलना शुरू कर दें। अपनी कुछ हद तैयार करें और अपनी आवाज और अपने विचारों को बुलंद करें। इन सबसे ऊपर, अपनी देखभाल के लिए कुछ समय जरुर निकालें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

प्रभावी रूप से “ना” बोलना

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  1. पहले इसे बात को समझें, कि आपके पास में विकल्प मौजूद हैं: अगर कोई आप से कुछ पूछता है, या कुछ करने को कहता है, तो आपके पास में उसे हाँ, ना और शायद बोलने का विकल्प मौजूद है। अगर आप कुछ नहीं करना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए हाँ बोलने की जरूरत नहीं है। जब कोई आप से कुछ पूछे, तब कुछ पल रुकें, और याद रखें कि आप जो भी जवाब देंगे, वो आपका अपना फैसला होगा। [१]
    • जैसे कि, अगर कोई आप से देर रात तक किसी प्रोजेक्ट के लिए रुकने के लिए कहता है, तो अपने आप से बोलें, कि “या तो मैं हाँ बोलकर यहाँ रुक जाऊं या फिर ना बोलकर घर निकल जाऊं, इसका फैसला मेरे हाँथ में ही हैं।”
  2. अगर आपके मुँह से हर एक काम के लिए हमेशा ही “हाँ” निकलता है, फिर भले आप वो करना चाहते हों या नहीं, या फिर उसकी वजह से आपको स्ट्रेस हो रहा हो तो फिर आप “ना” बोलना शुरू कर दें। इसके लिए आपको कुछ प्रैक्टिस करने होगी, लेकिन लोगों को बताया करें, कि आप उनके काम को नहीं करना चाहते हैं। आपको इसके लिए कोई बहाना बनाने की जरूरत नहीं है। एक सिम्पल सा “नहीं” या “नहीं, शुक्रिया” भी काफी होगा। [२]
    • पहले शुरुआत करने के लिए, किसी छोटी सी बात पर "नहीं" बोलने की कोशिश करें और इसे दृढ़ता से बोलें। जैसे कि, जैसे आप थके हुए हैं, और अगर आपका पार्टनर आप से डॉग को बाहर ले जाने को कहता है, तो उससे बोलें, कि “नहीं। प्लीज़ क्या तुम आज इसे घुमाकर ला सकते हो।”
    • आप अगर चाहें, तो “न” बोलने की आदत अपनाने के लिए, अपने फ्रेंड्स के साथ में कुछ रोल प्ले भी कर सकते हैं। आपके फ्रेंड्स से कहें, कि वो आपसे कुछ करने की माँग करें और फिर आप उनकी हर एक रिक्वेस्ट का जवाब “नहीं” बोलकर दें। फिर आप जब भी “नहीं” कहते हैं, तब इस बात पर ध्यान दें, कि आपको कैसा महसूस होता है।
  3. अगर एक सीधा “नहीं” आपको थोड़ा सा असभ्य लगता है, तो संवेदना के साथ ही आपकी बात भी कह दें। ऐसा दर्शायें कि आप उसे और उसकी जरूरत को समझ रहे हैं, लेकिन फिर भी आपको अभी भी उसे दृढ़ता से यह बोलना है, कि आप उसकी कोई मदद नहीं कर सकते। [३]
    • जैसे कि, ऐसा बोलें, “मुझे मालूम है, कि तुम पार्टी के लिए एक बहुत अच्छा केक पाना चाहते हो और ये तुम्हारे लिए कितने मायने भी रखता है। मैं तुम्हारे लिए जरुर लाना चाहता था, लेकिन मै अभी ऐसा नहीं कर सकता।”
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपनी हद तैयार करना (Creating Boundaries)

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  1. आपकी हदें भी आपकी ही वैल्यू की तरह होती हैं। आप क्या हैं और आप क्या करने में कम्फर्टेबल हैं, ये सब समझने में आपकी हदें आपकी मदद करती हैं। [४] अगर कोई आप से कुछ करने को कहता है, तो आपको उसे फौरन जवाब देने की जरूरत नहीं है। उससे कहें, “मुझे इस बारे में सोचने दो” और फिर वापस उनके पास जाएँ। इससे आपको कुछ वक्त मिल जाएगा, जिसमें आप इस बारे में सोच-समझ सकते हैं, खुद से पूछ सकते हैं, कि कहीं आप पर कोई दबाव तो नहीं और संभावित प्रतिक्रिया के बारे में सोच सकते हैं। [५]
    • अगर सामने वाला आप से फौरन जवाब की माँग करता है, तो नहीं कह दें। एक बार हाँ बोले, और आप समझो कि फँस गए।
    • इसे नहीं कहने से बचने के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल न करें। अगर आपको नहीं बोलना ही है, तो सामने वाले को इंतजार कराए बिना, सीधे बोल दें।
    • अगर आप अपनी हदों को लेकर अभी भी असमंजस में हैं, तो फिर अपनी वैल्यूज और अपने अधिकारों को समझने के लिए कुछ समय लें। ये हदें, मटेरियल, फिजिकल, मेंटल, इमोशनल, सेक्सुअल या स्पिरिचुअल भी हो सकती हैं। [६]
  2. अपनी प्रायोरिटी जानकर, आपको कब हाँ कहना है और कब नहीं, चुनने में मदद मिलेगी। अगर आप किसी निर्णय के लिए फँसा हुआ सा महसूस करते हैं, तो केवल उसी को चुनें, जो आपके लिए जरूरी है। अगर आप अभी भी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं, तो अपनी डिमांड (या विकल्पों) की एक लिस्ट तैयार करें और फिर उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार सेट करें। [७]
    • जैसे कि, आपके लिए अपने फ्रेंड की पार्टी अटेंड करने से ज्यादा, अपने बीमार डॉग की देखभाल करना जरूरी है।
  3. अपने विचार सामने रखने के लिए आवाज उठाने में कुछ भी गलत नहीं है, और इसका मतलब ये भी नहीं होता, कि आप कोई डिमांड कर रहे हैं। बस आप सीधे तरीके से लोगों को ये याद दिला रहे हैं, कि आप एक ऐसे इंसान हैं, जिसके लिए अपने विचार काफी मायने रखते हैं। अगर आपकी आदत अपनी आवाज उठाने की बजाय, दूसरों की मर्जी के अनुसार चलने की है, तो फिर अपने लिए बोलना सीखें।
    • जैसे कि, अगर आपका फ्रेंड साउथ इंडियन खाना चाहता है, लेकिन आप चायनीज़ खाना चाह रहे हैं, तो उसे कह दें कि अगली बार आप चायनीज़ ही खायेंगे।
    • भले ही आप किसी भी चीज़ को कर रहे हैं, लेकिन अपने विचार सामने रखना न भूलें। जैसे कि, “मैं तो दूसरी वाली मूवी को चुनता, लेकिन मैं इसे भी देखने में खुश हूँ।”
    • एकदम आक्रामक होने से बचें। बिना नाराज हुए या किसी पर दोष लगाए, अपनी इच्छा को सामने रखें। अपनी तरफ से दृढ, शांत स्थिर और विनम्र बने रहने की हर संभव कोशिश करें।
  4. अगर आप किसी की मदद करने के लिए हामी भरते हैं, तो एक लिमिट सेट कर लें। आपको अपनी इस लिमिट को जस्टिफाई करने की जरूरत नहीं है और न ही आपको अपनी तरफ से इसे रोकने का कोई बहाना बनाने की जरूरत है। आपकी लिमिट सेट करें और उसे एकदम दृढ रखें। [८]
    • जैसे कि, अगर कोई इंसान कहीं चलने के लिए आप से मदद की माँग करता है, तो उसे बोलें, “मैं सिर्फ दोपहर में तीन बजे के बीच ही आपकी मदद कर सकता हूँ।”
  5. समझौता करना आपकी आवाज़ को सुनाने, अपनी सीमाओं के अंदर ही कुशलता पाने और साथ ही अपनी डिमांड को आधा पूरा करा लेने का एक अच्छा तरीका है। सामने वाला क्या चाहता है, उसे सुनें और फिर आप जो चाहते हैं, उसे समझाएँ। फिर एक ऐसा हल ढूँढ लें, जो आप दोनों के लिए ही उचित हो। [९]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपकी फ्रेंड शॉपिंग पर जाना चाहती है, लेकिन आप हाईक करना चाहते हैं, तो पहले किसी एक एक्टिविटी से शुरुआत करें और फिर दूसरी भी कर लें।
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपना ध्यान रखना (Taking Care of Yourself)

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  1. आपकी अपनी अहमियत, दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं या वो आपको किस तरह से स्वीकार करते हैं, पर निर्भर नहीं करती। ये आपके अलावा और किसी के अंदर से नहीं आती। अपने चारों तरफ, पॉजिटिव लोगों को भर लें और पहचानें, कि कब आपको, अपने ऊपर कम विश्वास महसूस होता है। आप खुद से किस तरह से बात करते हैं (जैसे कि खुद को फेलियर या नापसंद करते हैं) सुनें, और अपनी गलतियों के लिए खुद को कसूरवार ठहराने से बचें। [१०]
    • अपनी गलतियों से सीखें और खुद को भी उसी तरह से ट्रीट करें, जैसे कि आप, अपने बेस्टफ्रेंड को किया करते हैं। विनम्र रहें, संवेदनशील रहें और माफ़ करना सीखें।
    • अगर आप में लोगों को खुश रखने की आदत मौजूद है, तो इसे नोट करें। ये अक्सर ही कम आत्म-विश्वास का एक संकेत होता है।
  2. अपनी जरूरतों को नजरअंदाज करना, खुद के प्रति प्यार की कमी को दर्शाता है। अपना और अपने शरीर का ध्यान रखना मतलब सेल्फिश होना नहीं होता। अगर आप दूसरों का ख्याल रखते हुए अपना ध्यान रखना नजरअंदाज करते जाते हैं, तो अपनी हैल्थ का ध्यान रखने के लिए हर दिन से कुछ समय जरुर निकालें। हैल्दी खाना खाएं, रोज एक्सरसाइज़ करें, और हर एक वो चीज़ करें, जिससे आपकी बॉडी को अच्छा महसूस हो। इन सबसे ऊपर, इस बात का भी ध्यान रखें, कि आप हर रात को अच्छी नींद ले रहे हैं और हर दिन आराम महसूस कर रहे हैं। [११]
    • हर रात को 7.5-8.5 घंटे की नींद लेना का लक्ष्य बनाएँ। [१२]
    • आप जब अपना ध्यान रखेंगे, आप और भी बेहतर तरीके से दूसरों की मदद कर सकेंगे।
  3. अपना ध्यान रखने से आपको अच्छा महसूस करने और स्ट्रेस का सामना करने में मदद मिलेगी। कुछ वक्त अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के साथ मस्ती करने में बिताएं। कभी-कभी अपनी ओर जरा सा प्यार भरा बर्ताव भी कर लिया करें: मसाज करा लें, स्पा जाएँ और ऐसा कुछ करें, जिससे आपको आराम मिले। [१३]
    • ऐसी एक्टिविटी करें, जिसमें आपको मजा आता हो। म्यूजिक सुनें, जर्नल/डायरी लिखें, वालंटियर करें और हर रोज वाल्क पर जाएँ।
  4. आपके लिए अगर किसी की हामी मायने रखती है, तो वो आप हैं। आप चाहे जितना भी कोशिश कर लें, कुछ लोग कभी खुश नहीं हुआ करते। आप किसी को आपको पसंद करने की धारणा को नहीं बदल सकते न ही उनकी सोच को बदल सकते हैं। उनके फैसले, आप नहीं तय कर सकते, ये उनके ही ऊपर हैं। [१४]
    • आप अगर किसी फ्रेंड ग्रुप के द्वारा पसंद किया जाना चाह रहे हैं, या फिर आपकी दादी माँ को दिखाना चाह रहे हैं, कि आप कितने अच्छे इंसान हैं, तो फिर आप कभी भी ऐसा नहीं कर सकेंगे।
  5. लोगों को खुश करने की आदत के साथ चलना काफी मुश्किल हो सकता है। अगर आपने चीज़ों को बदलने की कोशिश की है, लेकिन फिर भी आप वहीं पर अटके हुए हैं या ये और भी बुरी होते जा रही है, तो अब समय आ गया है, कि आप किसी थेरेपिस्ट से सलाह लें। एक थेरेपिस्ट आपको एक नया व्यवहार अपनाने में और अपने लिए खड़े होने में मदद कर सकता है। [१५]
    • आपके इन्शुरन्स प्रोवाइडर या फिर किसी लोकल मेंटल हैल्थ क्लिनिक पर जाकर एक थेरेपिस्ट की तलाश करें। आप अपने किसी फ्रेंड या फिजिशियन की मदद से भी एक थेरेपिस्ट को पा सकते हैं।

सलाह

  • खुद से पूछें, कि क्या आप ऐसी चीज़ों को सहन करना चाहेंगे, जो दूसरे नहीं कर सकते। दूसरों के ना स्वीकार किये जाने वाले व्यवहार की पहचान और लेबल करना सीखें और जब वे आपकी सीमाओं का उल्लंघन करते हैं तो उनके व्यवहार पर सीमा निर्धारित करें।
  • अपनी बात के लिए हमेशा दृढ रहें। अगर ये आपकी पहले से चली आ रही कोई आदत है, तो इस पर काबू पाना इतना भी आसान नही होगा। अपने बारे में जानना सीखें, ताकि आपको समझ आने लगे, कि कब आप लोगों को खुश करने वाले बन रहे हैं।
  • किसी की मदद तभी करें, जब आप दिल से उसे करना चाह रहे हों, न कि जबरदस्ती में।
  • दूसरे लोग आप के बारे में क्या सोचते हैं, उसकी चिंता न करें।

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