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शीतपित्त को चिकित्सीय भाषा में अर्टिकेरिया (urticaria) भी कहा जाता है, ये स्किन पर दिखाई देने वाले खुजलीयुक्त उभार होते हैं | अधिकतर ये लाल होते हैं और ये एक चौथाई इंच से लेकर कई इंच तक के व्यास में फैल सकते है | इनमे से कई, घरेलू उपचारों से लगभग एक ही दिन में चले जाते हैं | अगर आपके शरीर में दो दिन से अधिक समय तक शीतपित्त बने रहें तो आपको डॉक्टर से चैक कराना चाहिए | [१]

विधि 1
विधि 1 का 3:

शीतपित्त को उत्तेजित करने वाले कारण या ट्रिगर को हटायें

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  1. आप अपने साथ एक फ़ूड डायरी रख सकते हैं जिसमे आप उन सभी खाद्य पदार्थों को लिख सकते हैं जिन्हें खाने से पहले और बाद में आपको कोई भी परिवर्तन दिखाई देते हैं | इससे आपको परेशानी उत्पान करने वाले खाद्य पदार्थों को पहचानने में मदद मिलेगी | ऐसे कई खाद्य पदार्थ होते हैं जिससे कुछ लोगों में शीतपित्त हो जाता है: [२]
    • वासोएक्टिव अमींस (vasoactive amines) युक्त खाद्य पदार्थ: इन केमिकल के कारण शरीर हिस्टामिन निकालने लगता है जिससे शीतपित्त हो सकता है | ये केमिकल शेलफिश, फिश, टमाटर, पाइनएप्पल, स्ट्रॉबेरी, और चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थों में पाये जाते हैं |
    • सैलिसिलेट्स (salicylates) युक्त खाद्य पदार्थ: ये यौगिक आमतौर पर एस्पिरिन (aspirin) के समान होते हैं | ये टमाटर, रास्पबेरी, संतरे का रस, मसाले और चाय जैसे खाद्य और पेय पदार्थो में पाए जाते हैं |
    • अन्य आम फ़ूड एलर्जन्स में शामिल हैं-मूंगफली, ट्री नट्स (tree nuts), अंडे, चीज़ और दूध | [३] कुछ लोगों में कैफीन और अल्कोहल को भी शीतपित्त के ट्रिगर के रूप में देखा गया है | [४]
  2. अगर आपको वातावरण में उपस्थित किसी चीज़ से एलर्जी हो तो उसका पता लगायें: ऐसा करने से, इन ट्रिगर्स के संपर्क में कम आने पर आप अपने शीतपित्त से मुक्ति पा सकते हैं | कुछ लोग शीतपित्त के प्रति इन पदार्थों से प्रतिक्रिया देते हैं: [५] [६] [७]
    • पराग (pollen): अगर यह आपका ट्रिगर है तो आपको उस समय शीतपित्त होने की सम्भावना सबसे अधिक होगी जब वातावरण में पराग अपने उच्च स्तर पर होते हैं | इस समय के दौरान घर से बाहर न निकलने की कोशिश करें और अपने घर की खिड़कियाँ बंद रखें |
    • धूल के कण और जानवरों के बाल: अगर आपको धूल के कणों से एलर्जी हो तो अपने अपने आस-पास के वातावरण को अत्यधिक साफ और धूलमुक्त रखने से मदद मिल सकती है | नियमित रूप से वैक्यूम, डस्टिंग, और वाशिंग करने की कोशिश करें | अपनी बेडशीट बदलें जिससे आपको धूलभरी बेडशीट पर न सोना पड़े |
    • लेटेक्स (latex): कुछ लोगों को लेटेक्स के संपर्क में आने से प्रतिक्रिया के रूप में शीतपित्त हो जाता है | अगर आप स्वास्थ्यकर्ता हैं और आपको लगता है कि आपको लेटेक्स के संपर्क में आने से शीतपित्त हो सकता है तो लेटेक्स-फ्री ग्लव्स पहनें जिससे आपको शीतपित्त न हो सके |
  3. [८] [९] कुछ लोगों को कीड़ों के काटने पर कीड़ों के द्वारा उन लोगों के शरीर में छोड़े गये केमिकल से प्रतिक्रिया होने पर शीतपित्त हो जाता है | कुछ लोग गंभीर एलर्जिक रिएक्शन अनुभव करते हैं और कीट के दंश होने की स्थिति में, अपने साथ एपिनेफ्रिन इन्जेक्टोर्स रखते हैं | अगर आप बाहर काम करते हैं तो निम्नलिखित उपायों के द्वारा कीड़ों के दंश और उनके काटने के संपर्क में आने को कम कर सकते हैं:
    • मधुमक्खी के छत्तों और ततैया के घोसलों से दूर रहें | अगर आपको मदुमक्खी या ततैया दिखाई दें तो उन्हें छेड़ें नहीं, बल्कि धीरे-धीरे उनसे दूर जाएँ और उनके उड़ने का इंतज़ार करें |
    • अपने कपड़ों और शरीर के खुले अंगों पर इन्सेक्ट रेपेल्लेंट लगायें | इन केमिकल्स को अपनी नाक, आँख या मुंह में न जानें दें | बाज़ार में ऐसे कई प्रोडक्ट्स उपलब्ध होते हैं लेकिन आमतौर पर DEET वाले प्रोडक्ट्स अधिक प्रभावी होते हैं |
  4. कठोर वातावरणीय फैक्टर्स से अपनी स्किन को सुरक्षित रखें: इसमें अपने शरीर को नए वातावरण में ढलने तक खुद को अत्यधिक तापमान के उतार-चड़ाव से बचाना या सनस्क्रीन का उपयोग करना शामिल हो सकता है | कुछ लोगों की स्किन बहुत संवेदनशील होती है जो वातावरण में पाए जाने वाले कई फैक्टर्स से प्रतिक्रिया करके शीतपित्त उत्पन्न कर सकती हैं, इन फैक्टर्स में शामिल हैं: [१०] [११]
    • हीट
    • ठंडक
    • सूय का प्रकाश या धूप
    • पानी
    • स्किन पर दबाव पड़ना
  5. कुछ दवाओं के कारण भी लोगों में शीतपित्त उभर सकता है | [१२] अगर आपको लगता है कि आपके द्वारा ली जा रही किसी एक दवा के कारण आपको शीतपित्त हो रहा है तो उस दवा को अपने डॉक्टर की सलाह लिए बिना, लेना बंद न करें | आपके डॉक्टर आपको अलग-अलग प्रकार की दवा दे सकते हैं जो आपकी वास्तविक स्थिति का उपचार करेंगी, लेकिन आपको शीतपित्त नहीं होने देंगी | जिन दवाओं से कभी-कभी लोगों को शीतपित्त होने लगता है, उनमे शामिल हैं: [१३]
    • पेनिसिलिन (penicillin)
    • कुछ ब्लड प्रेशर की दवाएं
    • एस्पिरिन (aspirin)
    • नाप्रोक्सेन (naproxen जैसे aleve)
    • इबुप्रोफेन (ibuprofen जैसे advil, mortin IB और अन्य)
  6. अपने सम्पूर्ण स्वास्थ्य की स्थिति का जायज़ा लें: अपने डॉक्टर की सलाह लेकर पता लगायें कि आपका शीतपित्त किसी अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या का लक्षण तो नहीं है | ऐसी परिस्थितियां व्यापक रेंज में पायी जाती हैं जिनके कारण शीतपित्त हो सकता है | इनमे शामिल हैं: [१४] [१५]
    • बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स
    • आँतों में पाए जाने वाले पैरासाइट के कारण
    • वायरल इन्फेक्शन्स जैसे हेपेटाइटिस, सायटोमेगालोवायरस (cytomegalovirus), एप्स्टीन-बार (epstein-barr) वायरस और HIV
    • थाइरोइड प्रॉब्लम
    • इम्यून डिसऑर्डर जैसे ल्यूप्स (lupus)
    • लिंफोमा (lymphoma)
    • ब्लड ट्रांसफ्यूज़न से प्रतिक्रिया होना
    • बहुत ही कम होने वाले जेनेटिक डिसऑर्डर जो इम्यून सिस्टम और रक्त के प्रोटीन के कार्य को प्रभावित करते हैं |
विधि 2
विधि 2 का 3:

प्राकृतिक उपचार लगायें

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  1. [१६] इससे खुजली कम होगी और आपको उसे खुजलाने से रोकने में मदद मिलेगी | इसके लिए आप ये कर सकते हैं:
    • एक कपडे को ठन्डे पानी में भिगोयें और इसे स्किन पर बिछाएं | स्किन की खुजली कम होने तक इसे स्किन पर रखें रहें |
    • एक आइस पैक लगायें: अगर आप आइस का उपयोग कर रहे हों तो इसे टॉवल में लपेट लें, जिससे आप आइस को सीधे अपनी स्किन पर न लगा पायें क्योंकि आइस को सीधे स्किन के ऊपर रखने से फ्रॉस्टबाईट या शीतदग्ध होने की सम्भावना बढ़ जाती है | अगर आपके पास आइस पैक न हो तो आप फ्रोजेन वेजिटेबल का पैकेट उपयोग में ले सकते हैं | अपनी स्किन को गर्म होने देने से पहले लगभग 10 मिनट तक आइस लगायें |
  2. प्राकृतिक, खुजली रोधी औषधियों के साथ स्नान के ठन्डे पानी में भीगे रहें: यह खुजली दूर करने की बहुत प्राचीन विधि है | बाथटब में सुविधाजनक ठंडा पानी भरें और फिर मैन्युफैक्चरर के द्वारा सिफारिश की गयी मात्रा का अनुकरण करें, नीचे दी गयी दवा में से कोई दवा लें खुजली से राहत मिलने तक कई मिनट तक उस पानी में भीगे रहें: [१७]
    • बेकिंग सोडा
    • बिना पकी ओटमील
    • कॉलोइडल ओटमील (जैसे aveeno और अन्य)
  3. अपनी स्किन को ठन्डी और सूखी रखने के लिए ढीले और नर्म कपडे पहनें: शीतपित्त कसे हुए और पसीना न सोखने वाले कपड़ों से स्किन के उत्तेजित होने के कारण भी हो सकता है | ढीले कपडे पहनने से आपकी स्किन को हवा लगती रहेगी और अत्यधिक गर्मी और उत्तेजना के कारण होने वाले शीतपित्त से भी बचा जा सकेगा | [१८] [१९]
    • खुरदुरे फैब्रिक्स न पहनें, विशेषरूप से ऊनी कपडे | अगर आपको ऊनी कपडे पहनने हों तो ध्यान रखें कि ये आपकी स्किन के सीधे संपर्क में न रहें | उदाहरण के लिए, अगर आप एक ऊनी स्वेटर पहने तो पहले अंदर एक पतली शर्ट पहन लें |
    • जिस प्रकार पसीना भी शीतपित्त को उत्तेजित कर सकता है, उसी प्रकार गर्म शावर या गर्म स्नान भी शीतपित्त को उत्तेजित कर सकता है |
  4. कुछ लोगों में अत्यधिक तनाव होने पर भी शीतपित्त उभर आता है | [२०] विचार करें कि कही आप अपने जीवन में तनावपूर्ण स्थितियों को अनुभव तो नहीं कर रहे हैं जैसे नयी जॉब शुरू होना या जॉब छूटना, परिवार में किसी की मृत्यु होना या आपके निकट संबंधों में परेशानी आना | अगर आपका केस यही है तो तनाव का प्रबंधन करना सीखने से शीतपित्त को दूर भगाया जा सकता है | इसके लिए आप निम्नलिखित चीज़ें आजमा सकते हैं: [२१]
    • मैडिटेशन: मैडिटेशन एक रिलैक्सेशन तकनीक है जिसमे आप अपने दिमाग से सारी परेशानियाँ दूर कर सकते हैं | आपको थोड़ी देर के लिए अपनी आँखें बंद करनी हैं, रिलैक्स होना है और तनाव को बाहर निकालना है | कुछ लोगो मैडिटेशन करते समय अपने मन में एकल शब्द का उच्चारण करते रहते हैं |
    • गहरी साँसे लें: इस विधि के दौरान, आप पूरी तहर से अपने फेंफड़ो पर ध्यान केन्द्रित करें | इससे आपको रिलैक्स होने में मदद मिलेगी और उथली सांसें दूर होंगी | गहरी साँसे लेने से दिमाग को साफ़ करने में भी मदद मिल सकती है |
    • शांतिदायक चित्रों की कल्पना करें: यह एक रिलैक्सेशन तकनीक है जिसमे एक आरामदायक स्थान की कल्पना की जाती है | यह स्थान काल्पनिक या वास्तविक हो सकता है | जैसे ही आप इस स्थान की कल्पना करते हैं, आप कल्पना में लगभग उस स्थान पर पहुँच जाते हैं और उस स्थान के अनुभवों, सुगंध और आवाजों के बारे में सोचने लगते हैं |
    • व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करने से आपको रिलैक्स रहने, अपने मूड को ठीक रखने और अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिल सकती है | डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज सिफारिश करता है कि लोगों को हर सप्ताह कम से कम 75 मिनट की शारीरिक गतिविधियाँ करनी चाहिए | इसमें आप टहलना, दौड़ना, बाइकिंग या कोई खेल को शामिल कर सकते हैं | लोगों को हर सप्ताह स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसे वेट लिफ्टिंग करने की सिफारिश भी की जाती है | [२२] [२३]
विधि 3
विधि 3 का 3:

चिकित्सीय मदद लें

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  1. अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो तो इमरजेंसी को बुलाएं: कभी-कभी शीतपित्त होने पर लोगों को सांस लेने में परेशानी भी हो सकती है या ऐसा लग सकता है जैसे उनका गला बंद हो रहा है | अगर यह स्थित आपके साथ हो तो समझ लें कि यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और आपको तुरंत एक एम्बुलेंस बुलाना चाहिए | [२४] [२५]
  2. ये दवाएं आमतौर पर भी मिलती हैं और डॉक्टर के पर्चे के आधार पर भी मिलती हैं | ये शीतपित्त के उपचार के लिए फर्स्ट लाइन ऑफ़ ट्रीटमेंट होती हैं और खुजली और सूजन को कम करने में प्रभावशाली होती हैं | [२७] [२८]
    • आमतौर पर उपयोग की जाने वाली एंटीहिस्टामिंस में शामिल हैं-सेटिरिजिन (cetirizine), फेक्सोफेनाडाइन (fexofenadine), और लोराटाडाइन (loratadine) | डाइफेनहाइड्रामाइन (diphenhydramine जैसे benadryl) बहुत ही आमतौर पर मिलने वाली और उपयोग की जाने वाली दवा है | [२९]
    • एंटीहिस्टामिन के कारण आपको नींद आ सकती है इसलिए अपने डॉक्टर से पूछें कि इन्हें लेकर ड्राइविंग करना सुरक्षित होगा या नहीं | इन्हें लेने के बाद अल्कोहल न पियें | इन्हें लेने के लिए मैन्युफैक्चरर के निर्देशों का पालन करें या डॉक्टर के द्वारा सिफारिश की गयी मात्रा लें |
    • अगर आप गर्भवती हों तो डॉक्टर से सलाह लें | एंटीहिस्टामिन गर्भवती औरतों के लिए सुरक्षित नहीं होतीं |
  3. अपने डॉक्टर से कोर्टिकोस्टेरॉयड के बारे में पूछें: ये दवाएं आमतौर पर तब लिखी जाती हैं जब एंटीहिस्टामिन असर नहीं करतीं | ये आपके इम्यून रिस्पांस को कम करके शीतपित्त को कम कर देते हैं | आमतौर पर प्रेस्क्राइब किया जाने वाला ट्रीटमेंट, 3 से 5 दिन प्रेड्निसोलोन (prednisolone) लेने का होता है | [३०]
    • अगर आपको उपरोक्त स्थितियों में से कोई भी स्थिति हो तो कोर्टिकोस्टेरॉयड लेने से पहले डॉक्टर से पूछें कि ये आपके लिए उचित हैं या नहीं | ये स्थितियां हैं-हाई ब्लड प्रेशर, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद या डायबिटीज | अगर आपको लगता है कि आप गर्भवती हो सकती हैं या आप स्तनपान कराती हों तो पहले डॉक्टर से पूछें |
    • इसके साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं-वज़न बढ़ना, मूड बदलना और अनिद्रा |
  4. जिद्दी शीतपित्त का उपचार करने के लिए अतिरिक्त दवाएं आजमायें: अगर आपका शीतपित्त उपचारों के प्रति रेसिस्टेंट हो जाए तो आपके डॉक्टर आपको किसी स्पेशलिस्ट के पास भेज सकते हैं | आप अतिरिक्त दवाओं के विकल्प को भी चुन सकते हैं | अगर आप गर्भवती हैं या स्तनपान कराती हैं तो कोई भी नयी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें | [३१]
    • मेंथोल क्रीम: इसे खुजली कम करने के लिए स्थानीय रूप से लगाया जा सकता है |
    • H2 एंटीहिस्टामिन: ये आमतौर पर मिलने वाली एंटीहिस्टामिन से अलग होती हैं | ये आपके ब्लड वेसल्स को संकरा कर देती हैं और सूजन और लालिमा को कम कर देती हैं | इनके साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं-सिरदर्द, दस्त और चक्कर आना |
    • ल्यूकोट्रिन रिसेप्टर एन्टागोनिस्ट (leukotriene receptor antagonist): इन दवाओं का उपयोग कोर्टिकोस्टेरॉयड के स्थान पर प्रेस्क्राइब किया जाता है क्योंकि अक्सर इनके बहुत कम साइड इफेक्ट्स होते हैं और अगर साइड इफेक्ट्स होते भी हैं तो केवल सिरदर्द और मितली होती है |
    • सायक्लोस्पोरिन (cyclosporin): यह दवा इम्यून सिस्टम को दबा देती है | इसके साइड इफेक्ट्स में, हाई ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, किडनी की प्रॉब्लम, हाई कोलेस्ट्रॉल, झटके आना, और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है | आमतौर पर, यह दवा केवल कुछ महीनो तक ही ली जा सकती है |
  5. कुछ चकत्ते संकरे बैंड वाली अल्ट्रावायलेट B फोटोथेरेपी से ठीक हो जाते हैं | इसके लिए आपको एक छोटे कमरे में कुछ मिनट तक प्रकाश के संपर्क में खड़े होने की ज़रूरत होती है | [३२]
    • इस ट्रीटमेंट का असर तुरंत नहीं दिखाई दे सकता | आपको इस ट्रीटमेंट को हर सप्ताह 2 से 5 सेशन लेना होगा और इसके पूरा असर देखने के पहले आपको 20 सेशन तक लेने पड़ सकते हैं |
    • इस ट्रीटमेंट के कारण सनबर्न हो सकता है और स्किन कैंसर होने की रिस्क बढ़ जाती है |

चेतावनी

  • अगर आप गर्भवती हैं, स्तनपान कराती हैं या किसी बच्चे की देखभाल करती हैं तो कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें | इसके अलावा, आमतौर पर मिलने वाली दवाओं, हर्बल उपचारों और सप्लीमेंट को लेने से पहले भी डॉक्टर की सलाह लें |
  • आपके द्वारा ली जाएं वाली सभी दवाओं, हर्बल उपचारों और सप्लीमेंट के बारे में डॉक्टर को बताएं | यह बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि ये दवाएं अन्य दवाओं के साथ मिलकर प्रतिक्रिया कर सकती हैं |
  • दवाएं लेने से पहले मैन्युफैक्चरर के निर्देशों का पालन करें या डॉक्टर के द्वारा दी गयी सलाह का अनुकरण करें |

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  1. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/causes/con-20014815
  2. http://www.nhs.uk/Conditions/Nettle-rash/Pages/Causes.aspx
  3. https://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/000845.htm
  4. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/causes/con-20014815
  5. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/causes/con-20014815
  6. http://www.nhs.uk/Conditions/Nettle-rash/Pages/Causes.aspx
  7. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/lifestyle-home-remedies/con-20014815
  8. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/lifestyle-home-remedies/con-20014815
  9. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/lifestyle-home-remedies/con-20014815
  10. https://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/000845.htm
  11. http://www.nhs.uk/Conditions/Nettle-rash/Pages/Causes.aspx
  12. http://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/stress-management/in-depth/relaxation-technique/art-20045368?pg=2
  13. http://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/fitness/basics/fitness-basics/hlv-20049447
  14. http://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/stress-management/in-depth/stress-management/art-20044289?pg=2
  15. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/symptoms/con-20014815
  16. https://www.nlm.nih.gov/medlineplus/hives.html
  17. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/treatment/con-20014815
  18. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hives-and-angioedema/basics/treatment/con-20014815
  19. http://www.nhs.uk/Conditions/Nettle-rash/Pages/Treatment.aspx
  20. https://www.nlm.nih.gov/medlineplus/ency/article/000845.htm
  21. http://www.nhs.uk/Conditions/Nettle-rash/Pages/Treatment.aspx
  22. http://www.nhs.uk/Conditions/Nettle-rash/Pages/Treatment.aspx
  23. http://www.nhs.uk/Conditions/Nettle-rash/Pages/Treatment.aspx

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