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प्रायः स्वयं पर विश्वास करना कठिन होता है, विशेषतः तब जब आपको लगता हो कि आपके पास देने के लिए कुछ नहीं है या व्यर्थ की चीजें हैं। पर आप सुयोग्य और समर्थ हैं। यदि आप को स्वयं के बारे में अद्धभुत चीजें देखने में परेशानी हो रही है, तो ऐसी कुछ साधारण चीजें है जिन्हे करके आप स्वयं पर विश्वास करना शुरू कर सकते हैं। आप ऐसी चीजों को याद कर सकतें है तो आपने पूरी की है और लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं, आप नए दोस्त बना सकते हैं और अपने हुनर को उपयोग करने के मौके तलाश सकते है, या आप अपना ज्यादा ध्यान रख कर भी अपने आत्मविश्वास कर निर्माण कर सकते हैं। स्वयं पर विश्वास कैसे करें इस पर ज्यादा सीखने के लिए पढ़ते रहें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

सकारात्मक विचारों को विकसित करना

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  1. अपनी उपलब्धियों की एक सूची लिखना आपकी स्वयं पर विश्वास करने की शुरुवात करेगा। आराम से बैठ कर उन सब चीजों की एक सूची बनाइये जिनमें आपने जीवन के किसी समय में श्रेष्ठता प्राप्त की थी। छोटी से छोटी चीजों को इस में शामिल करें, जैसे स्कूल की टीम में आपका चयन, या किसी मित्र या पारिवारिक सदस्य के लिए किसी पार्टी का आयोजन।
    • जब आप अपनी सूची बना लें, तो अपनी गतिविधियों में पैटर्न खोजने का प्रयास करें। पहचानें कि क्या काम करने में आपने बार बार निरंतर अच्छा प्रदर्शन किया हैं, इससे आप अपने हुनरों को समझ सकेंगे।
    • जैसे जैसे आप अपने उन हुनरों को समझ लें जिनसे आपको चीजे पूरी करने में सहायता मिली थी, तो उनकी सूची एक अलग कॉलम में बना लें। उन चीजों की सूची आप तीसरे कॉलम में बना सकते है जो आपको खुद के बारे में अच्छी लगती हैं। [१]
    • उदाहरण के लिए, अगर आप देखते हैं कि आप कुत्ते और बिल्ली जैसे जानवरों का ध्यान रखने में सफल हुए थे, इसका अर्थ हो सकता है कि आप स्वाभाविक रूप से एक दयालु व्यक्ति हैं। ऐसे में, ऐसी अधिक गतिविधियों को खोजने का प्रयास करें जो आपको अपने इस हुनर का उपयोग करने का अवसर--जैसे किसी लोकल एनिमल शेल्टर में स्वयंसेवक का काम करना।
  2. अगर आप खुद के बारें में अच्छी चीजें देखने में कठिनाई का अनुभव कर रहें हैं, तो आप सदा किसी ऐसे व्यक्ति से बात कर सकते हैं जो आपसे प्रेम करता हो। कभी-कभी हम खुद के अच्छे गुणों और चीजों को देखने में कठनाई का सामना करते हैं, पर ऐसे लोग तो आपको प्रेम करते हैं उन्हें आपके अच्छे गुण और बातों को देखने में कभी कठिनाई नहीं होती।
    • ऐसा कुछ कहें, "पहले मैं सोचता था मैं किसी चीज में अच्छा नहीं हूँ, पर अब मैं आगे बढ़कर अपने हुनर पहचानना चाहता हूँ। तुम्हे क्या लगता है मैं क्या अच्छे से कर सकता हूँ?"
  3. अगर आप हमेशा दूसरों को खुश करने की कोशिश करते रहते हैं तो खुद में विश्वास करना कठिन हो सकता है। सुनिश्चित करें कि आप ऐसे कारणों और परियोजनाओं को तलाशते रहें जो आपको आकर्षित करते हों और जिनमे आप सचमुच विश्वास करते हैं। इन कारणों और परियोजनाओं के प्रति आपका जूनून आपको ज्यादा कठिन परिश्रम करने और यह पता लगाने में सहायता करेगा कि आप कितना कुछ हासिल कर सकते हैं।
  4. वास्तविक लक्ष्यों को निर्धारित करने से आपको खुद में और अपनी चीजो को पूरा या हासिल करने की योग्यता पर विश्वास करने में सहायता मिलेगी। आप ऐसे लक्ष्यों को विकसित करना सुनिश्चित करें जो आपके हुनर और योग्यता के अनुकूल हों और प्राप्त किये जा सकते हों। उदाहरण के लिए, यदि आपने अपनी पशुओं को सँभालने की योग्यता के कारण पशु चिकित्सक बनने की ओर बढ़ने का दीर्घकालिक निर्णय लिया है, तो पशु चिकित्सक कार्यक्रम में प्रवेश प्राप्ति के छोटे लक्ष्य से शुरुवात करें। एक बार इस लक्ष्य की प्राप्ति के बाद, आप अपने दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए अगला छोटा प्राप्ति योग्य लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। [२]
    • कभी भी अपनी कंफर्ट जोन से बाहर निकलने के तैयार रहें। चाहे आप वास्तविक लक्ष्य निर्धारित कर रहे हों, आपको अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए ऐसे काम करने की जरूरत पड़ सकती है जो आप सामान्यतः नहीं करते।
    • लक्ष्य निर्धारित करने के बाद, उसे हासिल करने तक भरपूर मेहनत करें। बहुत कठिन बन जाने के कारण एक लक्ष्य को छोड़े नहीं। अगर लक्ष्य बहुत कठिन लग रहा है, तो इस लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में बाँट लें फिर एक समय में प्रत्येक पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. आत्म-चिंतन आत्म-सुधार का एक महत्वपूर्ण अवयव है। इससे आपको समझने में सहायता मिलेगी की क्या आप बिलकुल ठीक कर रहे हैं और किन चीजों में सुधार की आवश्यकता है। हर दिन के अंत में अपने अनुभवों पर आत्म-चिंतन करने का समय निकालें। अगर किसी दिन आप उम्मीद के अनुसार लक्ष्य की ओर नहीं भी बढ़ पाते तो आप उस परिस्थिति से हर संभव बात सीखने को प्रयास करेंगे ताकि आप अपनी गलतियों को दोहराने से बच सकें। [३]
    • उदाहरण के लिए, अगर आप प्लान की हुई हाईकिंग पर जाने के लिए सुबह नहीं जाग पाये, तो आप सीख सकते कि सुबह जल्दी उठने के लिए आप प्रेरित होने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। कई सारे अलार्म्स लगा के, और यहाँ तक कि उन्हें अपने बिस्तर से कुछ फ़ीट दूरी पर रख के आजमाएं ताकि आपको उन्हें बंद करने के लिए उठना पड़े। या, हाईकिंग के लिए खुद को सुबह मजबूर करने की, बजाय आप हाईकिंग के लिए किसी और समय का चुनाव कर सकते हैं।
  6. कभी कभी आप असफलता की सम्भावना के कारण पीछे हटने की सोचने लगते हैं, पर किसी भी काम को पहली बार करते समय संघर्ष का सामना करना बिलकुल स्वाभाविक है। कुछ गलत करने के लिए खुद पर आरोप लगाने की बजाय, खुद को बिना परिणामों की चिंता किये बिना प्रयोग करके देखने की इजाजत दें। कुछ सबसे सफल अन्वेषकों ने पाया है कि एक लक्ष्य पर स्थिर मानसिक सोच की बजाय तात्कालिक उपाय में अधिक मजाकिया मानसिक स्तिथि की जरूरत होती है। [४]
विधि 2
विधि 2 का 3:

अच्छी आदतें बढ़ाएं

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  1. तंत्रिका विज्ञानं में नए परिपेक्ष्य आ रहे है जिनके अनुसार कार्यात्मक मस्तिष्क प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में दूसरों के साथ अपने संबंधों को बनाना और परिवर्तित करना महत्वपूर्ण है। [५] उसी रूप में, जब तक हम यह नहीं समझ लेते कि किस हद तक हमारा व्यव्हार हमारे आसपास के लोगों से अनुकूलित होता है या उन पर निर्भर करता है, हम अपनी आदतों को बदलने में संभवतः नाकाम हो जायेंगे। [६]
    • अगर आप पाते हैं की लोग लगातार आपके पास सलाह मांगने आते हैं, पर जब आप नाखुश होते है तब शायद ही कोई खुद के बारें में बात करने के लिए आपके पास होता है, इस मामले में हो सकता है कि आप अपने मित्रों के समूह में पालक की भूमिका निभाने आये हैं। दूसरो की मदद करने में कुछ भी गलत नहीं है, पर खुद का ध्यान रखना भी जरूरी है। वास्तव में कई बार हम दूसरों की खुद से भी ज्यादा मदद करते हैं क्योंकि हमें ऐसा करनी की आदत पड़ चुकी है। सोचिये कि क्यों आपमें दूसरों की मदद करने की प्रवत्ति है और इसका आप पर क्या प्रभाव है।
  2. स्वयं के और अपने व्यवहार के बारे में सकारात्मक तरीके से सोचने पर काम करें। प्रतिदिन अपनी दो शक्तियों को पहचान कर अपने नकारात्मक होने की तीव्र इच्छा से लड़ें।
    • सुनिश्चित करें कि आप अपने दिमाग में आने वाले हर अनुत्पादक विचार को चुनौती दें। यदि आप खुद को ऐसे कुछ नकारात्मक विचारों में घिरा पाएं जैसे "मैं एक हारा हुआ व्यक्ति हूँ, "मुझे कोई पसंद नहीं करता," और "मैं कुछ भी सही नहीं कर सकता," खुद को रोकें और विचार को चुनौती दें। अपनी दो शक्तियों को पहचान कर, इसका उत्पादक विचार से प्रतिकार करें। आप जितना ऐसी सकारात्मक सोच का अभ्यास करेंगे, ये उतना ही आसान होता जायेगा। [७]
    • उदाहरण के लिए, आप खुद को ऐसे नकारात्मक विचार करते पाएं जैसे, "मैं गणित में बहुत बुरा हूँ," तो इसका वाक्य विन्यास ज्यादा सकारात्मक रूप में बदलें ऐसा कुछ कह के, "मुझे गणित चुनौतीपूर्ण लगता है, पर मैं इस पर बहुत मेहनत और सुधार कर रहा हूँ।"
  3. कई बार आप खुद को ऐसी बुरी परिस्थिति में पाते हैं, आपको समझ ही नहीं आता की आगे क्या करें। ऐसे मामलों में, एक गहरी सांस लें और वर्तमान क्षण को परिपेक्ष्य में रखें। अधिकांशतः लोग नकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिसकी वजह से हम अच्छी चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। [८] कई बार जरूरत सिर्फ परिदृश्य बदलने, या शायद बस अपनी दैनिकचर्या में परिवर्तन भर की होती है।
    • यदि भय और निराशा की स्थति बड़ी अवधि तक बनी रहती है, तो शायद आपको अपने थेरेपिस्ट या मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार से बात करनी चाहिए।
    • अपने दैनिक क्रम या व्यवहार में परिवर्तन के रास्ते ढूंढे। उदाहरण के लिए, अगर आपको लगता है कि आप नकारात्मक लोगों से घिर हुए हैं, तो आप किसी स्पोर्ट्स क्लब या लोकल ग्रुप को ज्वाइन करके नए लोगो से मिल सकते हैं। [९]
  4. कठिन होने के कारण चीजों को टालन या उन्हें छोड़ देन, आपकी असफलता को तय कर देता है। जब आप के पास कोई काम करने के लिए समय कम होगा तो आप उसे जल्दी में करेंगे और चीजों को लेकर चूक करेंगे। इसकी बजाय, कामों को समय पर करें ताकि आपके पास अपना सबसे अच्छा करने के लिए अतिरिक्त समय हो! पूरे हुए कामों की छोटी सफलताओं का अनुभव करना आपमें बड़ी चीजों को कर पाने का विश्वास जगायेगा।
    • उदाहरण के लिए, आपके घर का बर्तनों का सिंक भरा हुआ है और आप अपने फेवरेट टीवी शो को देखने के लिए उसे टाल देती हैं। पर आपके समझने से पहले, कई और काम आ सकते हैं, जैसे टीवी का ख़राब हो जाना और उसे ठीक करवाने की जरूरत पैदा हो जाना या आपके घर आये हुए बिल में कोई समस्या होना, इस काम की वजह से आप डिशेस धोने का काम और ज्यादा टालने पर मजबूर हो जाएंगे।
    • रोजमर्रा के कामों को एक दूसरे के साथ एकत्रित होने देने की बजाय, जैसे ही आप उस बारें में सोचे उसे निपटा लें। शुरुवात में यह बुरा लग सकता है, पर कुछ समय बाद यह आपकी आदत बन जायेगा, और आपके रोजमर्रा के काम खुद-ब-खुद ही पूरे होने लगेंगे।
    • अगर आप एक दीर्घकालिक काम टालने वाले (chronic procrastinator) है, तो आपको अपने थेरेपिस्ट या मानसिक चिकित्सा सलाहकार से बात करने की जरूरत हो सकती है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) आपको इस समस्या से निजात पाने में मदद कर सकती है। [१०]
  5. मनोचिकित्सकों ने पाया है कि हम प्रायः अपने बारें में नकारात्मक टिप्पणियों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं और सकारात्मक टिप्पणियों की उपेक्षा कर देते हैं। [११] हम यह भी मान लेते हैं की लोग हम पर बहुत ध्यान दे रहे हैं, जितना वो असल में दे भी नहीं रहे होते। [१२] नकारात्मकता से अधिक ध्यान सकारात्मकता पर देने की खुद को याद दिलाने का प्रयत्न करें। यदि आप स्वयं या अपने आस-पास के लोगों को अधिक आलोचनात्मक होते पाते हैं, तो कुछ परिवर्तनों को लाने पर विचार करें। [१३]
  6. अगर हम हमेशा आसान मार्ग अपनाएंगे, तो यह सोचना आसान हो जायेगा कि हम कठिन चीजें करने में सक्षम नहीं हैं। बस यही करके स्वयं को साबित करें कि आप चुनौतियाँ ले सकते हैं। चुनौतियों को स्वीकार करें। ऐसी चीजें कर जिनका पुरस्कार मिले, चाहे वे कठिन परिश्रम से ही क्यों न हों। आप कर सकते है! याद रखें कि आप हमेशा कठिन काम को छोटे और आसान कामों के रूप में बदल सकते हैं।
  7. जब आपके आसपास घटनाएं रहीं हों, और आपका एक मत हो या कोई काम करने का बेहतर तरीका जानते हों, बोलिए! बस चीजें जैसी हैं उन्हें उसी रूप में स्वीकार मत करिये। स्थिति में सक्रिय भागीदारी कीजिये। यह दूसरों को दिखाता है कि आप उनके सामने नियंत्रण अपने हाँथ में लेने और उनके सामने अपनी जरूरतें या इच्छाएं व्यक्त करने में सक्षम हैं। यह आपको ऐसे लोगों के संपर्क में आने में भी सहायता करता है जिनकी आकांक्षाएं और चिंताएं आपके समान हैं। ये सभी चीजें आपको अपने वातावरण में अधिक सहज बनाने के लिए आवश्यक हैं, शोध दिखाता है कि यह अपनी जरूरतों और इच्छाओं पर प्रतिक्रिया करने की अपनी क्षमता में विश्वास को विकसित करने के लिए एक आवश्यक कदम है। [१४]
    • उदाहरण के लिए, यदि आपका कोई सहकर्मी अक्सर महिलाओं के बारें में अनुचित जोक्स सुनाता है, तो इस बारे में अपनी चिंताओं को उसके ध्यान में सृजनात्मक तरीके से रखने का मार्ग खोजें। आप सीधा-सादा कह सकते हैं, "मैं तुम्हारे जोक्स से कुपित हूँ, क्योंकि ये एक बहुत गंभीर मुद्दे को हल्का बनाते हैं।" यह बातचीत गर्म हो सकती है, पर जितना आप गंभीर मुद्दों जैसे लिंग समानता पर खुद के लिए बोलने का अभ्यास करेंगे, उतना ही ये आसान होता जायेगा।
    • अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हो जाते हैं कि दूसरे आपकी बात का क्या मतलब निकालेंगे और यह प्रायः आपको बोलने से रोक देता है, इस आदत से मुक्त होने का प्रयास करें। दूसरों के सामने अपने विचार और भावनाओं को इस बात की चिंता के बिना व्यक्त करने का अभ्यास करें कि उनका क्या मतलब निकाला जाएगा, जिसका अर्थ है कि दूसरे लोगों से बातचीत के दौरान पैदा हुई गलतफहमियों का आपको सामना करना पड़ सकता है। [१५]
    • अगर मिसकम्युनिकेशन हो जाए, तो अपने व्यक्तिगत इतिहास को बांटने से ना डरें, विशेषतः अपने निवास स्थान का होने के कारण आपने दूसरों से कैसे कम्यूनिकेट करना सीखा है। इसमें शामिल सभी लोगों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि मिसकम्युनिकेशन के ऐसे मुद्दों में किसी की गलती नहीं होती, पर ये ऐसे अवसर होते हैं जिनकी सहायता से सम्मेलित सभी लोगों को एक दूसरे के अद्व्तीय अभिव्यक्ति के तरीके को जानने का मौका मिलता है।
  8. दूसरों की मदद करने में, हमें अक्सर खुद की क्षमताओं को जानने का बेहतर अवसर मिलता है और इस प्रक्रिया में हम खुद के बारे में बेहतर महसूस करते हैं। स्वयं सेवा या रोजमर्रा के दयालुता के कार्यों से दूसरों की मदद करना एक सुखद संतुष्टि का भाव लाता है। यह आपको अपनी कुशलता के उपयोग और विकास के अतिरिक्त अवसर भी प्रदान करता है। [१६] दूसरों की मदद करके, आप खुद को अभूतपूर्व रूप से अधिक आत्मविश्वासी पाते हैं।
विधि 3
विधि 3 का 3:

खुद का ध्यान रखना

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  1. खुद में विश्वास करना ज्यादा आसान हो सकता है अगर आप इस बात को लेकर आत्मविश्वास से परिपूर्ण हों कि आप कैसे दिखते हैं। आप एक अच्छी साफसफाई और साजसज्जा की दिनचर्या का पालन करके भी यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आप सबसे अच्छे दिख और महसूस कर रहें हैं। [१७] सुनिश्चित करें कि आप:
    • शावर लेते या नहाते हैं
    • अपने बाल सवाँरते हैं
    • अपने नाखून काटते हैं
    • शेव करते हैं या अपनी दाढ़ी को व्यवस्थित रखते हैं (पुरुष)
    • अपने दाँत ब्रुश करते है (दिन में दो बार)
    • डिओडोरेंट,इत्र या परफ्यूम के उपयोग से अपने शरीर की गंध अच्छी रखते हैं
    • सही फिटिंग के और सुविधाजनक कपडे पहनते हैं
    • अपने चेहरे के मुताबिक मेकअप करते हैं
  2. वो भोजन जो आप रोज लेते हैं इस बात को भी प्रभावित करता है कि आप भावनात्मक और शारीरक रूप से कैसा महसूस करते हैं। अगर आप खुद के लिए अच्छा सा खाना बनाने का समय निकालते हैं, तो आप बाजार के खाने के उपयोग की अपेक्षा ज्यादा बेहतर महसूस करेंगे। सुनिश्चित करें कि आप सिर्फ स्वास्थ्यप्रद भोजन लेकर अपने सम्पूर्ण स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। [१८]
  3. तनाव को घटाने और लोगों को प्रसन्न रखने में व्यायाम की क्षमता तो जानी-मानी है ही, पर कुछ अध्ययनों ने दिखाया है कि व्यायाम लोगों के आत्मविश्वास के स्तर को सुधारने में भी सहायक हो सकता है। व्यायाम के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों को लेने के लिए अपनी दिनचर्या में व्यायाम के कम से कम 30 मिनट्स को अवश्य सम्मिलित करें। [१९]
  4. नींद का अभाव व्याकुलता और दूसरी नकारात्मक प्रवत्तियों को बढ़ावा देता है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप हर रात पर्याप्त नींद लें। [२०] व्याकुल या नकारात्मक महसूस करना आपके स्वयं में विश्वास रखने को और कठिन बना देगा। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए हर रात करीब 8 घंटे की नींद लेने का प्रयास करें।
  5. सुनिश्चित करें कि आप हर रोज आराम करने का प्रयास करें। ध्यान, योग, गहरी साँसें, अरोमाथेरपी, और अन्य सुखद तकनीकों को दिनचर्या में शामिल करना आपकी नकारात्मक विचारों से बचने और स्वयं में विश्वास करने में सहायता करेगा। ऐसी कोई चीज खोजे और उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें। [२१]
  6. आपका परिवेश भी इस बात को प्रभावित कर सकता है कि आप स्वयं के बारे में कैसा महसूस करते है, इसलिए महत्वपूर्ण है कि आप अपने लिए एक साफ़ और खुशनुमा घर बनाये रखें। अपने मकान (या कम से कम अपने कमरे, यदि आप औरों के साथ रहते हैं) को स्वच्छ और लुभावना रखें। अपने कमरे के आस-पास अर्थपूर्ण वस्तुएं रखना आपको प्रोत्साहित बनें रहने में सहायता करेगा। [२२]

सलाह

  • अगर आपको लगे कि आपके बहुत प्रयासों के बाद भी आप स्वाभिमान की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार से बात करके मदद लेने पर विचार करें। आपको जितनी आप स्वयं की कर सकते हैं उससे अधिक मदद की जरूरत हो सकती है।

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