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बवासीर (पाइल्स) किसी भी उम्र में हर किसी भी व्यक्ति को हो सकता है | ये असुविधाजनक रूप से बढ़ी हुई शिराएँ गुदा के चारों ओर बाहर या अंदर मिल सकती हैं | पाइल्स की समस्या आमतौर पर पेल्विक और रेक्टल शिराओं पर दबाव बढ़ने के कारण होता है जो सामान्यतः कब्ज़, डायरिया या मलत्याग करने में जोर लगाने की वज़ह से होता है | कुछ केसेस में, पाइल्स मोटापा, भरी वज़न उठाने या प्रेगनेंसी में पड़ने वाले तनाव के कारण भी हो सकता है क्योंकि इनमे पेट के नचले हिस्से की शिराओं पर दबाव पड़ता है | भाग्यवश, बाहरी पाइल्स की देखभाल डॉक्टर को बिना दिखाए भी की जा सकती है | यहाँ ऐसी कई चीज़ें बताई गयी हैं जिनसे पाइल्स के कारण होने वाले दर्द, परेशानी और खुजली को कम किया जा सकता है | (Piles se chutkara kaise paye, Hemorrhoids treatment tips)

विधि 1
विधि 1 का 3:

पाइल्स के दर्द में आराम पायें

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  1. गर्म पानी में रहने से पाइल्स के कारण होने वाले दर्द में राहत मिल सकती है | गर्म पानी में पूरी तरह से शरीर डुबाकर नहायें या सिट्ज़ बाथ लें (एक छोटा सा बेसिन लें जो टॉयलेट सीट पर फिट हो जाए और उसमे आपका गुदा भाग डूब जाए |) फुल बाथ के लिए पानी गर्म करें और उसमे एक कप एप्सोम साल्ट डालें और सिट्ज़ बाथ के लिए 2 से 3 बड़ी चम्मच एप्सोम साल्ट डालें | आप दिन में दो से तीन बार यही प्रक्रिया दोहराएँ | [१]
    • अगर आपको पाइल्स है तो आपको उस एरिया को साफ़ रखना होगा | शावर लेने पर, नहाते समय या टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय सावधानी रखें | आपको साबुन का इस्तेमाल नहीं करना है अन्यथा प्रभावित भाग उत्तेजित हो सकता है | [२] आप बिना उत्त्जेना बढाए प्रभावित एरिया में राहत पहुंचाने के लिए सेटाफिल लोशन लगा सकते है | [३] खुद को एक साफ टॉवेल से थपथपाकर सुखाएं |
  2. दर्द में सुन्नपन लेन के लिए ठंडा सेंक या ठंडा आइस पैक इस्तेमाल कर सकते हैं | एक साफ़ कॉटन का कपडा लें और उसे ठन्डे पानी में भिगोयें | इस सेंक को पाइल्स पर लगभग 10 से 15 मिनट लगायें | आप इसे पूरे दिन में कई बार दोहरा सकते हैं | [४]
    • अगर आप आइसपैक का इस्तेमाल करते हैं तो कपडे को आइस पैक और एक्सपोज्ड स्किन के बीच रखें | [५] बफ को डायरेक्ट स्किन पर लगाने से स्किन टिश्यू डैमेज हो सकते हैं |
  3. दर्द और खुजली में राहत देने वाले जेल्स और लोशन का इस्तेमाल करें: पाइल्स के मस्सों को भिगोने और सुखाने के बाद बहुत थोड़ी सी मात्रा में एलोवेरा जेल या एंटी-इच लोशन लगायें | [६] कुछ ऐसी चीज़ें लगायें जिनमे पेट्रोलियम जेली, मिनरल ऑइल, शार्क लिवर ऑइल और फिनाइलएफ्रिन शामिल हों | फिनाइलएफ्रिन डिकंजेस्टेंट की तरह काम करता है और पाइल्स के मस्सों को संकुचित करने में मदद करता है | पाइल्स के मस्सों की सूथिंग के लिए एलोवेरा जेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है | [७]
    • अगर पाइल्स के मस्से बहुत पीड़ादायक या असुविधाजनक हों तो उस जगह पर थोडा सा बेबी टीथिंग जेल लगायें | टीथिंग जेल में मोकल एंटीसेप्टिक पाया जाता है जिससे दर्द और परेशानी कम हो सकती है |
    • स्टेरॉयड क्रीम में इस्तेमाल से बचें क्योंकि ये पाइल्स के मस्सों के आस-पास के कोमल टिश्यू को डैमेज कर सकती हैं |
  4. एस्ट्रिन्जेंट से पाइल्स के लक्षणों में राहत पायें: एक कॉटन पैड लें और उसे विच हेज़ल में भिगोयें | इसे मलत्याग के बाद पाइल्स के मस्सों पर रखें | इसे जरूरत पड़ने पर रिपीट करते रहें और कम से कम दिन में चार से पांच बार दोहराएँ | अल्टरनेटिवली, लम्बे समय तक आराम पाने के लिए इस पैड को अपने अंडरवियर में रखें | [८]
    • विच हेज़ल से पाइल्स के कारण होने वाली खुजली, परेशानी, उत्तेजना और जलन में राहत मिल सकती है | इससे सूजन भी कम हो सकती है | [९]
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार लायें

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  1. अपनी डाइट में धीरे-धीरे फाइबर की मात्रा बढाते जाएँ क्योंकि थोड़ी-थोड़ी मात्रा बढाने से गैस या ब्लोटिंग नहीं हो पाती | हालाँकि हर व्यक्ति को उनके कैलोरी कंज्यूम करने के आधारप र फाइबर की अलग-अलग मात्रा की जरूरत होती है | फिर भी अगर आप महिला हैं तो हर दिन 25 ग्राम (0.88 oz) फाइबर लें और अगर आप पुरुष हैं तो हर दिन 30 गर्म (1.1 oz) फाइबर लें फाइबर लेने से मल सॉफ्ट हो जाता है जिससे इसे निकलने में आसानी रहती है | [१०] अलग-अलग तरह के फाइबर का शरीर पर भिन्न-भिन्न प्रभाव होता है इसलिए अपनी डाइट में व्हीट ब्रान फाइबर और अन्य अनाज ज्यादा से ज्यादा शामिल करें | ये ऐसे फाइबर हैं जिनसे स्टूल (मल) सॉफ्ट होता है | [११]
    • फाइबर सप्लीमेंट आमतौर पर पाइल्स के कारण होने वाली ब्लीडिंग, उत्तेजना और सूजन को कम कर सकते हैं | [१२]
    • अगर आपको गैस या ब्लोटिंग हो तो आप बहुत ज्यादा फाइबर खा सकते हैं |
    • आप साबुन अनाज, छिलके सहित फल, पत्तेदार हरी सब्जियां, बीन्स और दालों का सेवन करके फाइबर इन्टेक बढ़ा सकते हैं | [१३]
    • आप दही में मौजूद फाइबर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जिसमे एक्टिव कल्चर और प्रोबायोटिक पाए जाते हैं | [१४]
  2. ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों से भरपूर और स्माल मील चुनें और पूरे दिन खाएं | इसे डाइजेस्टिव सिस्टम को खाना अच्छी तरह से पचाने का मौका मिल जाता है और पाइल्स के मस्सों को हील होने के लिए जरुरी सभी पोषक पदार्थ भी मिल जाते हैं | पूरे दिन खूब पानी पियें |
  3. स्विमिंग, डांसिंग, योग और वॉकिंग जैसी लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज चुनें लेकिन ऐसी एक्टिविटी से बचें जिनके कारण जोर पड़ता हो जैसे वेट लिफ्टिंग | लो-इम्पैक्ट एक्टिविटीज से शरीर पर एंटी-इंफ्लेमेटरी इफ़ेक्ट होता है जिससे पाइल्स के लक्षण कम करने में मदद मिलती है | [१६] इससे बॉडी सिस्टम और आंतें भी स्वस्थ रहती हैं |
  4. बैठने के लिए एक फोम वाला कुशन या डोनट कुशन खरीदने से काफी मदद मिल सकती है | इससे थोडा प्रेशर का हो सकता है | कठोर सतह पर डायरेक्टली बैठने से बचें |
  5. अगर हो सके तो, बिना नियम तोड़े हर दिन एक ही निश्चित समय पर बाथरूम जाएँ | अगर आप हर दिन नियमित रूप से मलत्याग करते हैं तो जोर नहीं लगाना पड़ेगा | [२०] नियमित रूप से मलत्याग करना एक बेहतर स्वास्थ्य का निशानी है |
    • दबाव डालकर या बहुत जोर लगाकर मलत्याग न करें | ग्रेविटी की मदद लें जिससे आपकी आंते अपना काम कर सकें | अगर इससे कुछ न हो तो एक घंटे या इससे ज्यादा देर तक इंतजार करें और फिर से आजमायें |
    • मलत्याग करते समय एक छोटे से स्टूल पर पैर रखने से भी काफी मदद मिल सकती है क्योंकि इससे घुटने कूल्हों की अपेक्षा ऊंचे हो जाते हैं | [२१]
विधि 3
विधि 3 का 3:

बाहरी पाइल्स के मस्सों का इलाज़ करें

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  1. पाइल्स होने पर रेगुलर मलत्याग करना बहुत जरुरी होता है | जोर लगाने से बचें क्योंकि यही पाइल्स का मुख्य कारण है | इसकी बजाय अस्थायी रूप से बल्क लक्सेटिव या स्टूल सॉफ्टनर का इस्तेमाल करें | बल्क लक्सेटिव मल को सॉफ्ट कर देता है और स्टूल पास करने के लिए जरुरी प्रेशर को कम कर देता है जिससे पाइल्स के मस्सों को सिकुड़ने में मदद मिलती है | डाइट में फाइबर लेने से स्टूल रेगुलर ही रहता है, फिर भी आप निम्नलिखित लक्सेटिव में से कोई एक चुन सकते हैं: [२२]
    • बल्क लक्सेटिव: इनमे फाइबर (आमतौर पर इसबगोल) पाया जाता है जिससे स्टूल का मास और वेट बढ़ जाता है जो मल को आँतों से आसानी से बाहर लाने में मदद करता है |
    • स्टूल सॉफ्टनर: ये मल में नमी मिलाकर स्टूल को सॉफ्ट कर देते हैं जिससे इसे बाहर निकालने में आसानी होती है | अधिकतर स्टूल सॉफ्टनर में डोकुसेट पाया जाता है जो स्टूल में नमी लाकर उसे सॉफ्ट कर देता है |
    • लुब्रिकेंट लक्सेटिव: ये लुब्रिकेट आँतों की भित्ति और गुदा को चिकनाई देते हैं जिससे स्टूल पास करना काफी आसान हो जाता है | अधिकतर लुब्रिकेंट लक्सेटिव में मिनरल ऑइल पाया जाता है | अगर इन्हें कम समय के लिए लिया जाए तो ये आमतौर पर सुरक्षित होते हैं लेकिन लम्बे समय तक इस्तेमाल के लिए इन्हें लेने की सिफारिश नहीं की जाती |
    • स्टीमुलेंट लक्सेटिव लेने से बचें जिनमे स्नाय, कैस्कारा, एलोवेरा या बिसाकोडायल पाया जाता है | ये आँतों के आंतरिक हिस्से को उत्तेजित करने का काम करते हैं जो पाइल्स की कंडीशन में मददगार साबित नहीं होता |
  2. बाहरी पाइल्स का सबसे कॉमन लक्षण मलत्याग के समय ब्लीडिंग और परेशानी होना है | आप सबसे पहले एक्सटर्नल पाइल्स को तब नोटिस करते हैं जब आप रेस्टरूम में गुदा साफ करते हैं | एक्सटर्नल पाइल्स से गुदा में आस-पास छूने में दर्द करने वाली सूजन होती है जो पहली बार देखने में अंगूर के साइज़ और शेप की दिखाई देती है | इसमें खुजली और दर्द भी हो सकता है | आमतौर पर, लोगों को टॉयलेट पेपर या टॉयलेट में खून दिखाई देता है | [२३]
    • अगर आपको यह नहीं पता कि आपको एक्सटर्नल पाइल्स है या इंटरनल, तो सही तरीके से फील करके पता लगायें | आमतौर पर आप इंटरनल पाइल्स को फील नहीं कर पाते लेकिन गुदाद्वार पर ये किसी उभार के रूप में मिल सकते हैं | इंटरनल पाइल्स में मलत्याग के समय ब्लीडिंग के अलावा भी कुछ लक्षण देखे जाते हैं |
  3. अधिकतर एक्सटर्नल पाइल्स दो से तीन दिन में सिकुड़ जाते हैं या गायब हो जाते हैं | अगर तीन से पांच दिन के बाद भी पाइल्स में मस्से बने रहें तो डॉक्टर को दिखाएँ | अगर उस एरिया से ब्लीडिंग हो या दर्द हो तो भी डॉक्टर को दिखा सकते हैं | डॉक्टर रेक्टल एग्जामिनेशन के द्वारा एक्सटर्नल या इंटरनल पाइल्स को डायग्नोज़ कर सकते हैं | [२४]
    • अगर रेक्टल ब्लीडिंग पाइल्स के कारण नहीं हो रही हो तो डॉक्टर सिग्मोइडोस्कोपी या कोलनोस्कोपी जैसे एक्सटेंसिव टेस्ट करवाने की सिफारिश कर सकते हैं क्योंकि कोलन कैंसर का एक लक्षण रेक्टल ब्लीडिंग भी है | [२५]
  4. अगर पाइल्स के मस्से किसी भी बेसिक होम केयर से या अपने आप ठीक न हो रहे हों तो डॉक्टर सबसे कम इनवेसिव सर्जरी कराने की सिफारिश कर सकते हैं | सबसे कॉमन एप्रोच में शामिल हैं: [२६]
    • लाइगेशन (ligation): इसमें ब्लड फ्लो को रोकने के लिए एक रबर बैंड को पाइल्स के बेस के चारों ओर बाँध दिया जाता है |
    • इंजेक्शन (स्क्लेरोथेरेपी): इसमें एक केमिकल सलूशन को पाइल्स में मस्से संकुचित करने के लिए इंजेक्ट किया जाता है |
    • काउटेराइजेशन (cauterization): इससे पाइल्स में मस्से जला दिए जाते हैं |
    • हेमोर्र्होइडेक्टॉमी: इसमें पाइल्स के मस्से(हेमोर्रहोइड) को ओ.पी.डी. में ही सर्जिकली निकाल दिया जाता है (हालाँकि कई बार इसमें पूरी रात हॉस्पिटल में भी बिताना पड़ सकती है) |


सलाह

  • रेस्टरूम का इस्तेमाल करने के बाद खुद को साफ़ करने के लिए टॉयलेट पेपर की बजाय बेबी वाइप्स का इस्तेमाल करें |
  • आइस पैक से सूजन कम हो सकती है लेकिन इसे बहुत देर तक लगाकर न रखें | हर बार ज्यादा से ज्यादा 5 से 10 मिनट तक ही लगायें |

चेतावनी

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