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कॉर्टिसॉल एक हॉरमोन है जो ऐड्रिनल ग्रंथि से निकलता है और जो लिवर को रक्त मे शुगर रिलीज करने के लिए सक्रिय करता है। स्वाभाविक रूप से, कॉर्टिसॉल तनावपूर्ण और दर्दभरे स्थितियों में भी संतुलन की भावना को बनाए रखने में मदद करता है जिसे "लड़िये या भाग जाइये" (fight-or-flight) प्रतिक्रिया के नाम से भी जाना जाता है। जब कॉर्टिसॉल का स्तर रक्त में बढ़ता है तो इसका आपके मन और शरीर पर बहुत विस्तृत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कॉर्टिसॉल का बढ़ा हुआ स्तर सीखने और याद रखने, वजन बढ़ने, उच्च रक्तचाप, हृदय की बीमारी, विषाद और मानसिक बीमारी में इंटरफियर (interfere) कर सकता है। तनाव-नियंत्रण कॉर्टिसॉल-प्रबंधन का सबसे प्रभावी तरीका होता है।

विधि 1
विधि 1 का 4:

तनाव प्रबंधन

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  1. तनाव आपको सामान्य से तेज़ गति से और ऊपरी (shallow) सांस लेने के लिए बाध्य करता है। जब आप गहरी सांस लेने की तकनीक का अभ्यास करते हैं, तो आप अपने तनाव और कॉर्टिसॉल के स्तर को कम करने में सक्षम हो जाते हैं। प्रति दिन 20 - 30 मिनट तक ऐब्डामिनल ब्रीदिंग का अभ्यास करने से चिंता और तनाव का स्तर काफी कम हो जाता है। डीप ब्रीदिंग से मस्तिष्क में ऑक्सीज़न का प्रवाह बढ़ जाता है जिससे शांति की अनुभूति में वृद्धि होती है।ब्रीदिंग तकनीक में प्रवीणता होने से आपके तन और मन जुड़ जाते हैं और कॉर्टिसॉल के रिलीज होने की वजह से होने वाले तनाव की प्रतिक्रिया भी रुक जाती है। [१]
    • कॉर्टिसॉल के विनाशकरी प्रभाव को रोकने के लिए गहरे श्वसन और कल्पनाशीलता को जोड़ें। ऐसी कल्पना करें कि आपके पैरों मे छिद्र हैं जिनसे होकर गर्म हवा आपके शरीर में प्रवेश कर सकती है। अब एक गहरी सांस लें और कल्पना करें कि गर्म हवा छिद्रों से अंदर की ओर बह रही है और फिर पूरे शरीर में बह रही है। साँस छोड़ते समय अपने मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें और गर्म हवा को अपने शरीर में वापिस नीचे की ओर धकेलते हुये छिद्रों से बाहर निकलने दें। इस अभ्यास को पूरा होने मे छः सेकेंड लगते हैं और इसे "क्वाइटिंग प्रतिकृया" (quieting response) कहते है।
    • साँस लेने के विशिष्ट प्राकृतिक लय के माध्यम से अपने तन, मन और भावनाओं में सामंजस्य स्थापित करें। लयबद्ध श्वसन की तकनीक से तनाव, थकान और क्रोध से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
    • अपने पीठ के बल लेट कर एक हाथ को अपने छाती पर और दूसरे हाथ को पेट पर रखें। अपनी आँखें बंद करके अपने शरीर को आराम दें और साथ ही अपनी नाक से धीरे धीरे सांस अंदर लें। इस समय जो हाथ आपके पेट पर है उसे उठना चाहिए (जो हाथ आपके छाती पर है वो नहीं)। इस गहरी सांस को तीन सेकेंड तक रोके रखें और फिर छोड़ दें। इस अभ्यास को तब तक करें जब तक आप पूरी तरह रिलैक्स्ड महसूस न करने लगें।
  2. शावर लेना, ब्रेकफ़ास्ट और लंच बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना, आफिस के लिए कपड़े पहन कर तैयार होना और भीड़ भरे ट्रैफिक से निपटना कुछ ऐसी जिम्मेदारियाँ हैं जो आपके हर सुबह के कार्यक्रम का हिस्सा होते हैं। सुबह उठकर अपने समस्त दैनिक गतिविधियों को शुरू करने से पहले 12 मिनट तक रिलैक्स करें। [२]
    • अध्ययन बताते हैं कि सुबह लगभग 12 मिनट तक रिलैक्स करने से कॉर्टिसोल, जिसे "तनाव हर्मोन" (stress hormone) भी कहते हैं, को कम किया जा सकता है। कॉर्टिसोल अक्सर प्रातःकाल ही रिलीज होता है और होमियोस्टैसिस (homeostasis) को बनाए रखने का कार्य करता है।
    • बजाय इसके कि आप सीधे उठकर ई-मेल संदेश पढ़ना शुरू कर दें या कम्प्युटर खोल लें, बेहतर होगा कि आप एक कप चाय बनायेँ और उसे लेकर बाहर धूप मे तब तक बैठें जब तक आपका मस्तिष्क साफ (clear) न हो जाए।
  3. एक लंबे अरसे से तनाव को कम करने और मस्तिष्क को शांत बनाते रखने मंे मदद करने की अपनी क्षमता के लिए,मेडिटेशन प्रसिद्ध रहा है परंतु अब मेडिटेशन से होने वाले जैव-रसायनिक (biochemical) लाभ की खोज भी की जा चुकी है जिसके अनुसार, कॉर्टिसॉल स्तर को कम करने, सेरोटोनिन (serotonin) को बढ़ाने और एंडोर्फ़िन्स (endorphins) को रिलीज करने के लिए ये ब्रेन केमिस्ट्री को बदल सकता है। [३]
    • मेडिटेशन, अल्फा (फोकस्ड सतर्कता) और थीटा (रिलैक्स्ड) ब्रेन-वेव्ज उत्पन्न करती हैं।
    • मेडिटेशन के सभी प्रारूप एक आरामदायक प्रतिक्रिया को सक्रिय करते हैं जो आपके शरीर को आराम पहुंचाती है और आपके शरीर में कॉर्टिसॉल के प्रभाव को कम करती है।
    • नये रिसर्च से, ध्यानपूर्वक किए जाने वाले मेडिटेशन तथा तनाव, चिंता और थकान में होने वाले कमी के बीच, स्पष्ट संबंध के बारे में पता चलता है।
  4. योगा आपके मस्तिष्क को साफ करने और तनाव को कम करने में मदद करता है। रिसर्च से पता चलता है कि योगाभ्यास, चाहे पहली बार ही किया जा रहा हो, शरीर में संतुलन स्थापित करते हुए कॉर्टिसॉल के स्तर को सामान्य करता है। योगा, मांसपेशियों के तनाव को कम करता है और उसके कारण तनाव से होने वाले प्रतिक्रिया को निष्क्रिय करता है। योगा के दौरान किया गया व्यायाम आपके मस्तिष्क के द्वार खोल देता है ताकि आप अपने वास्तविक स्वभाव से जुड़े विचारों, भावनाओं, और अनुभूतियों को महसूस कर सकें। [४]
    • अपने चेहरे की मांसपेशियों को आराम दीजिये और तनाव और चिंता को कम करने के लिए अपनी नाक से धीरे धीरे सांस लीजिये। अपने आँखों को बंद करके वर्तमान क्षण में रहते हुए अपने आस-पास के वातावरण को महसूस कीजिये।
    • व्यायाम और ध्यान के संयोजन से हीलिंग-हॉरमोन्स (healing hormones) उत्पन्न होते हैं जिनके बारे में यह सिद्ध हो चुका है कि वे प्रभावी ढंग से कॉर्टिसोन (cortisone) के स्तर को कम करते हैं और हीलिंग की क्षमता को बढ़ाते हैं।
    • आप चाहें तो मालिश करवा सकते हैं। पोषक मसाज एक बहुत अच्छा विश्राम-प्रतिक्रिया-उत्प्रेरक है जो कि अन्य सेल्फ-हीलिङ्ग प्रक्रियाओं को जोड़ता है।
    • यदि आपके पास स्थानीय स्टूडियो में पहुँच कर योगा क्लास ज्वाइन करने के लिए समय नहीं है तो आप योगा क्लासेज की डीवीडी (dvd) खरीद सकते हैं या इंटरनेट से प्राप्त कर सकते हैं।
  5. पेड़-पौधों के बीच या किसी स्थानीय पार्क में टहल कर अपने तन और मन दोनों को रिलैक्स करें। किसी फारेस्ट से होकर गुजरने से, जिसके बैकग्राउन्ड में पक्षियों की चहचहाहट हो, पत्तियां के जमीन पर गिरने की आहाट हो और गिलहरियों आदि के पेड़ों पर दौड़कर चढ़ने की सरसराहट हो रही हो, इन सबसे मन को जो शांति मिलती है वह अन्य किसी चीज से नहीं मिलती है। प्रकृति, आधुनिक सोसाइटी के शोर-शराबे से हटकर स्थिरता और त्वरित शांति प्रदान करती है। [५]
    • यदि आप सभी ध्वनि-प्रदूषणों से मुक्त होकर प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं और अपने शरीर को रिलैक्स करना चाहते हैं तो अपने सेल-फोन, आई-पॉड या टैबलेट को घर पर छोड़ दें। आधुनिक टेक्नोलोजी को अपने शांति और मौन को भंग न करने दें।
    • यदि आप शहर में रहते हैं तो चाहें तो अपने किसी पालतू के साथ रहें। अपने पालतू के साथ खेलने से शरीर में (आक्सिटोसिन) oxytocin, एंडोर्फ़िंस (endorphins), और अन्य बहुत से हीलिङ्ग हार्मोन्स पैदा होते हैं। जब आपका शरीर स्वयं को हील कर रहा हो तो अपने पालतू कुत्ते को कोर्टिसोल (cortisol) के स्तर को घटाने दीजिये।
  6. किसी भी तनावकारी कार्य को करने से पहले संगीत को सुनने से आपके साइकोबायोलाजिकल (psychobiological) नर्वस सिस्टेम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और साथ ही तनाव से बड़ी तेजी से राहत मिलती है। संगीत सुनने और बजाने से शरीर द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले ऐन्टीबाडी इम्यूनोग्लोब्यूलिन-ए (immunoglobulin A) में वृद्धि होती है – ये कोशिकाएं वाइरस पर हमला करती हैं और इम्यून सिस्टेम की प्रभाविता को बूस्ट करने में और कोर्टिसोल के स्तर को घटाने में सहायता प्रदान करती हैं। [६]
    • संगीत का सृजन, उसे बजाना और सुनना या सृजनात्मक अभिव्यक्ति एंडोर्फ़िंस तथा अन्य सकारात्मक न्यूरोट्रांसमिटर्स के रिलीज़ को बढ़ावा देते हैं।
    • संगीत आपके विषाद और चिंता को कम करने में, आटो-इम्यून सिस्टेम को सुधारने में और शारीरिक दर्द में राहत पहुंचाने में सहायक हो सकता है जिससे आपके हृदय की गति कम हो सकती है, आपका ब्लड प्रेशर घट सकता है और आपके सांस की गति भी धीमी हो सकती है।
    • संगीत की ध्वनि के वाइब्रेशन का शरीर पर एक मांर्मिक प्रभाव भी पड़ता है।
  7. स्वस्थ भोजन पैदा करने से मिलने वाले संतोष के अतिरिक्त बागवानी भी एक ऐसा एक्सरसाइज़ माना जाता है जो कोर्टिसोल के स्तर को घटाने में सहायता प्रदान करता है। अध्ययन से पता चलता है कि बागवानी के बाद “सुस्ताने के दौरान” कोर्टिसोल का स्तर काफी हद तक घट जाता है जिससे तीव्र तनाव भी कम हो जाता है। [७]
    • तनाव में कमी, उग्रता का बहकर निकलना और वज़न में कमी, ये सभी बागवानी करते समय किए गए शारीरिक परिश्रम के परिणामस्वरूप होते हैं।
    • ”हार्टिकल्चर थिरेपी” (horticultural therapy) के नाम से जाना जाने वाले बागवानी संबन्धित शारीरिक कार्य, अपने चारो ओर के प्रकृति का एहसास और संज्ञानात्मक उत्तेजना तथा किसी कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने से होने वाला संतोष का आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ही, इनके कोर्टिसोल को घटाने की क्षमता के कारण, एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
विधि 2
विधि 2 का 4:

एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाना

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  1. दैनिक व्यायाम द्वारा अपने तनाव के स्तर को कम करें। एरोबिक व्यायाम से एंडोर्फ़िंस (endorphins) पैदा होते हैं जबकि वज़न-प्रशिक्षण से मानवीय ग्रोथ हारमोन में वृद्धि होती है और ये दोनों ही कोर्टिसोल के स्तर को ब्लाक भी करते हैं और नियंत्रित भी। कोर्टिसोल पर अधिकतम नियंत्रण बनाए रखने के लिए 30 से 45 मिनट तक ही व्यायाम करें और अतिशय व्यायाम करने से बचें। [८]
    • व्यायाम के बाद की तैयारी के बाद कार्बोहाइड्रेट-प्रोटीन शेक लें जिससे आपका ग्ल्युकोज और नाइट्रेट का स्तर अपने मूल स्तर पर वापस आ जाये और आपका कोर्टिसोल भी सामान्य स्तर पर तेजी से आ जाये।
    • वेट-लिफ्टिंग से मसल-मास बढ़ता है तथा सेरोटोनिन (serotonin) और डोपमीन (dopamine) में वृद्धि होती है। ये केमिकल्स, चिंता और विषाद को कम करते हैं। मसल-मास को तेजी से बढ़ाने के लिए डीएचएई (DHEA) सप्लीमेंट लें ताकि आप शक्ति और ऊर्जा का अनुभव कर सकें और आप इसे जारी रखने के लिए उत्साहित भी बने रहें।
    • एरोबिक एक्सर्साइज़ शरीर के वज़न को एक स्वस्थ स्तर पर बनाए रखते हुए तनाव और उच्च-रक्तचाप को भी घटाता है तथा ब्लड शुगर के स्तर को भी नियमित करता है।
  2. एकाकीपन का हृदय रोगों पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है जो उन लोगों की तुलना में ज्यादा होता है जो लोग सोशल और घूमने-घामने वाले होते हैं। कुछ शोधकर्ताओं ने एकाकीपन को स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान और व्यायाम छोडने की तुलना में ज्यादा बड़ा खतरा बताया है। [९]
    • कोई क्लब, जिम या स्वैच्छिक कार्य ज्वाइन करें जिससे आप घर से बाहर निकल कर आस-पास घूम सकें। स्वैच्छिक कार्य करने से आप भीतर-बाहर दोनों जगह अच्छा महसूस करेंगे। .
    • दोस्तों के साथ “रात बाहर बिताने” का कार्यक्रम बनाएँ या काम के बाद सहकर्मियों से मिलें।
    • लोगों से मिलने और बात-चीत करने से आपके अंदर सकारात्मक मानसिक भाव उत्पन्न होगा।
  3. दिनभर की व्यस्तता के बाद जब आप घर लौटते हैं तो तनाव के स्तर को कम करने के लिए अपने चारो ओर एक शांत वातावरण बनाएँ। अव्यवस्थित, अराजक या परस्पर विरोधी परिस्थितियाँ, जिनसे आपका तनाव बढ़ता है, से बच कर रहें। इसके बजाय अपने आपको सकारात्मक सुदृढ़कारी घटकों के बीच में रखें। [१०]
    • दरवाजे के नजदीक, अपनी मेज़ पर और बेडरूम में ताज़े फूल रखें जिससे वातावरण में शांति व्याप्त रहे।
    • धूपबत्ती जलाने से भी आपको शांति और आराम की अनुभूति होगी।
    • सूर्य का प्राकृतिक प्रकाश न केवल आपके शरीर के लिए लाभदायक होता है बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।
    • पर्दे खोल दें और सूर्य का प्राकृतिक प्रकाश अंदर आने दें। सूर्य आपको गरमाहट और प्रसन्नता प्रदान करता है।
    • घर की गंदगी को साफ करें। अव्यवस्था से अराजकता और दुर्व्यवस्था का नकारात्मक एहसास होता है।
  4. यदि आप अपने शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को नियमित और घटाना चाहते है तो आपको कम से कम 8 घंटे की लंबी और गहरी नींद लेनी पड़ेगी। हम कैसे दिखते हैं, प्रतिदिन कितनी निपुणता से कार्य करते हैं और हमारे जीवन की समस्त गुणवत्ता और लंबाई कैसी और कितनी होगी, इन सब चीजों पर नींद का प्रभाव पड़ता है। पर्याप्त नींद लेना महत्वपूर्ण होता है। [११]
विधि 3
विधि 3 का 4:

अपने आहार पर ध्यान देना

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  1. हद से ज्यादा काफी पीने से बचें। हालांकि यह सही है कि कैफीन तनाव को कम करता है और फोकस को बढ़ाता है परंतु यह कोर्टिसोल के स्तर को भी पीने के 18 घंटों तक बढ़ाए रखता है। यही बात सोडा और चाय, जो कैफीनयुक्त होते हैं, पर भी लागू होता है। काफी न पीने से आपके कोर्टिसोल का स्तर नियंत्रण में रहता है और आपका पर्स भी। [१२]
    • एक कप (340 मिली वाला) काफी में 200 मिलिग्राम कैफीन होता है। कैफीन की इतनी मात्रा एक घंटे में कोर्टिसोल के स्तर को 30% तक बढ़ा देता है। अपने आहार से कैफीन को निकालने से आपका कैटाबोलिक मेटाबोलिज़्म (catabolic metabolism) अत्यधिक तेज़ी से घटता है और एनबोलिक (anabolic) मेटाबोलिज़म बढ़ता है।
    • प्रतिदिन 500 मिलिग्राम से ज्यादा कैफीन लेने से सरदर्द, बेचैनी या चिंता होने लगती है। इसके फलस्वरूप आपके सोने का पैटर्न प्रभावित होता है जिससे आपका कोर्टिसोल का स्तर भी बढ़ जाता है।
  2. विटामिन सी एक ऐन्टी-आक्सीडेंट होता है जो कोशिका-भित्ति (cell membrane) को मजबूत करता है, इम्यून-सेल फंक्शन को सहारा देता है और कोलैजेन सिंथेसिस का कार्य करता है। कुल मिलाकर विटामिन सी का कोशिकाओं (cells) की सुरक्षा करने का बहु-आयामी पद्धति ही तनाव का मुक़ाबला करती है। [१३]
    • विटामिन सी का श्रोत सभी साइट्रस फलों जैसे कि नारंगी, नीबू और अंगूर तथा टमाटर, ब्रोकोली और काली मिर्च में पाया जाता है।
    • विटामिन सी के किसी सप्लीमेंट का 1000 मिलिग्राम प्रतिदिन लेने से ऐड्रीनल्स के कोर्टिसोल के रिलीज को सामान्य करने की क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है।
    • अन्य “स्ट्रेस फार्मूला” वाले मल्टी-विटामिन्स, जिनमें विटामिन्स बी-1, बी-5 और बी-6 होते हैं, भी कोर्टिसोल रेंज को सामान्य स्तर पर वापस लाने में सक्षम होते हैं। .
    • मिनरल्स जैसे कि मेग्नीशियम, कड़े व्यायाम के बाद कोर्टिसोल के स्तर को काफी हद तक घटा पाते हैं जब कि ज़िंक व्यायाम के बाद प्लाज्मा में कोर्टिसोल के स्तर को ड्रामाई तरीके से घटा पाता है।
    • तनाव को घटाने और कोर्टिसोल को नियंत्रित करने के अतिरिक्त, ये सप्लीमेंट्स इम्यून सिस्टेम को भी बूस्ट करते हैं।
  3. मेलाटोनिन आपके शरीर द्वारा रात में उत्पन्न किए जाने वाला एक प्राकृतिक हारमोन है जो आपके सोने-जागने के साइकिल का नियमन करता है अपने मेलाटोनिन लेवेल को बढ़ाने के लिए सोने से पहले उसका कोई सपलीमेंट लें ताकि आपकी कम से कम 8 घंटे की नींद सुनिश्चित हो सके। [१४]
    • यद्यपि मेलाटोनिन के बहुत सारे स्पष्ट संबंध हैं तथापि हर व्यक्ति पर इसका एक जैसा प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए, इसे लेने का निर्णय करने से पहले किसी डाक्टर से परामर्श कर लें।
  4. रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और शुगर से परहेज करें ताकि आपका इंसुलिन उत्पादन कम रहे। इसके बजाय, आहार की छोटी-छोटी मात्रा लें जिसमें प्रोटीन, जटिल कार्बोहाइड्रेट तथा अच्छे फैट्स जैसे कि ऑलिव आयल और फ्लैक्सीड आयल का एक अच्छा संतुलन हो। इससे कोर्टिसोल का स्तर नीचे बना रहेगा। [१५]
    • ग्ल्युकागान (Glucagon) रातभर आपके सोने के दौरान और आहारों के बीच में रिलीज होता रहता है। शरीर के ब्लड शुगर और फ्यूएल संतुलन के नियमन के लिए ग्ल्युकागान का नियंत्रण महत्वपूर्ण होता है। इसके असंतुलित रहने से कोर्टिसोल का उत्पादन होने लगता है जिससे ब्लड शुगर का स्तर भी बढ्ने लगता है।
    • हाइड्रेटेड बने रहने के लिए अपने साथ बोतल या थर्मस में पानी रखें ताकि आपको जब भी प्यास लगे आप पानी पी सकें।
विधि 4
विधि 4 का 4:

ऐड्रिनल संबंधी समस्याओं की पहचान करना

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  1. ऐड्रिनल की कमी या एडिसन’स डिजीज़ तब होता है जब आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में कोर्टिसोल नहीं रिलीज करता है। [१६] यह एक दुर्लभ (rare) और क्रानिक स्थिति होती है जिसका कोई उपचार (cure) उपलब्ध नहीं है तथापि हार्मोन ट्रीटमेंट प्रभावी हो सकता है। ऐड्रिनल के कमी से निम्नलिखित लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं: [१७]
    • अत्यधिक थकान
    • वज़न घटना
    • लो ब्लड प्रेशर, जिससे व्यक्ति मूर्छित हो सकता है
    • लो ब्लड शुगर
    • भूख में कमी आना और / या नमक खाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होना
    • मिचली, डायरिया या उल्टी
    • ऐब्डोमिनल पेन (pain)
    • मसल या ज्वाइंट पेन
    • चिड़चिड़ापन
    • डिप्रेशन
    • स्किन का डार्क पड़ना
  2. यदि आपको अपने अंदर ऐड्रिनल के कमी का संदेह है तो अपने डाक्टर से बात करें: आपके डाक्टर के द्वारा आपके कुछ टेस्ट करवाए जा सकते हैं जिससे पता चल सके कि आपके अंदर ऐड्रिनल की कमी है या नहीं। जो टेस्ट डाक्टर के द्वारा करवाए जा सकत हैं उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं: [१८]
    • सोडियम, पोटैशियम, कोर्टिसोल और एसीटीएच (ACTH) के स्तर को जानने के लिए खून की जांच।
    • एसीटीएच (ACTH) स्टिम्युलेशन टेस्ट जिसके द्वारा आपके खून में एसीटीएच का इंजेक्शन लगाने से पहले और बाद में कोर्टिसोल के स्तर की जांच होती है। यदि आपका ऐड्रिनल ग्लैण्ड डैमेज हुआ होगा तो आपके कोर्टिसोल के स्तर में कोई अंतर नहीं आयेगा।
    • ऐड्रिनल ग्लैण्ड के साइज़ को मापने के लिए एक सीटी (CT) स्कैन।
  3. ऐड्रिनल की कमी का इलाज़ कार्टिकोस्टेरायड्स (corticosteroids) के द्वारा करें: यदि आपके डाक्टर इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि आपमें एडिसन’स डिजीज़ या ऐड्रिनल संबंधी कोई अन्य रोग है तो इलाज़ के लिए डाक्टर के निर्देशों को पालन करें। यदि इलाज़ न किया जाये तो ऐड्रिनल की कमी से जान का जोखिम हो सकता है और उससे ऐड्रिनल क्राइसिस हो सकती है। [१९]
    • ओरल कार्टिकोस्टेरायड्स लें। क्रोटिसोल को प्रतिस्थापित करने के लिए हाइड्रोकार्टिसोन, प्रेड्निसोन या कार्टिसोन एसीटेट को मुंह के रास्ते ले सकते हैं। [२०]
    • यदि आप बीमार हों या एमर्जेंसी की स्थिति हो तो कार्टिकोस्टेरायड के इंजेक्शंस लें। यदि आपको उल्टी हो रही हो और दवा पेट के अंदर रुक न रहा हो या आपको किसी एमर्जेंसी जैसे कि ऐड्रिनल क्राइसिस, का अनुभव हो रहा हो तो आप कार्टिकोस्टेरायड का इंजेक्शन ले सकते हैं। [२१]
    • अपने साथ अतिरिक्त दवाएं रखें। दवा लेना भूलने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हमेशा अतिरिक्त दवा अपने कार्यालय, ब्रीफकेस या बैक-पैक और किसी ट्रैवेल बैग उस सूटकेस में रखें। [२२]
    • मेडिकल एलर्ट ब्रेसलेट पहनें या अपने पर्स में मिडिकल एलर्ट कार्ड रखें। कोर्टिसोल की मात्रा यदि ज्यादा घट जाये तो आप मूर्छित या बेहोश हो सकते हैं और ऐसे समय में आपका मेडिकल एलर्ट ब्रेसलेट एमर्जेंसी वर्कर्स के लिए अत्यधिक सहायक हो सकता है। उन्हें तुरंत पता चल जाएगा कि आपको किस तरह के सहायता की जरूरत है। [२३]
  4. ऐड्रिनल क्राइसिस (या ऐडिनसोनियन क्राइसिस) तब होता है जब कोर्टिसोल के स्तर में अचानक भारी कमी आ जाती है जिससे ऐक्यूट ऐड्रिनल फेल्योर हो जाता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब किसी ऐड्रिनल डिजीज़ के होने के कारण ऐड्रिनल ग्लैण्ड डैमेज हो जाती है। [२४] ऐड्रिनल क्राइसिस का हाइड्रोकार्टिसोन के इंजेक्शन से तुरंत इलाज़ करना आवश्यक होता है। यदि आपको पता हो कि आपको एडिसन’स डिजीज़ है और आप इनमें से किसी भी लक्षण को देखते हैं तो तुरंत चिकित्सीय सहायता लें: [२५]
    • लोवर बैक, ऐब्डोमेन या पैरों में दर्द
    • बुखार
    • गंभीर उल्टी और डायरिया जिससे डीहाइड्रेशन हो रहा हो
    • लो ब्लड प्रेशर
    • चेतना का ह्रास (Loss of consciousness)
    • हाई पोटैशियम (हाइपरकैलीमिया) और सोडियम की कमी (हाइपोनेट्रीमिया)
    • शॉक (ठंडी, चिपचिपी त्वचा; नीली या पीली एक्सट्रीमिटीज़; हाइपरवेंटिलेशन; कन्फ़्यूजन) [२६]
    • कमजोरी

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