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अगर आप एक पुरानी कार खरीदने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो आपको मालूम होगा की ये कितना मुश्किल काम हो सकता है | इतनी सारी चीज़ों पर ध्यान देना पड़ता है की ये एक बड़ी कठिनाई का कार्य बन जाता है | मुश्किल तब और ज्यादा होती है जब आप पहली बार कार खरीदने का विचार कर रहे हों | एक इस्तेमाल की हुई कार खरीदने से पहले कई चीज़ों का ध्यान रखना पड़ता है पर अपना आखरी फैसला लेने से पहले कार की फिजिकल चेक करना सबसे ज़रूरी होता है |

विधि 1
विधि 1 का 5:

कार की स्थिति जांचना

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  1. जांच करने से पहले ये देख लें की कार लेवल ग्राउंड पर हो: इससे आप सही प्रकार से टायर चेक कर पाएंगे और ये भी देख लेंगे की कार में सैग्गिंग (sagging) तो नहीं हो रही है |
  2. ध्यान से कार के पेंट पर नज़र डालें, कोई जंग के निशान, डेंट या स्क्रैच तो नहीं लगे हैं: कार साफ़ होनी चाहिए ताकि पेंट सही से दिखाई दे रहा हो | कार के पीछे से आगे तक वेविनेस (Waviness) के निशान देखें; इससे आपको पेंट का काम नज़र आता है | पैनल के बीच में मोजूद जॉइंट के एज के आस पास अपनी ऊँगली फिराएं; खुरदुरापन का मतलब है की मास्किंग टेप के निशान अभी बाकी हैं |
  3. कार की डिग्गी की जांच कर देख लें की वह किस अवस्था में है: उसमें जंग के निशान नहीं होने चाहिए, और ना ही छेदों की वजह से पानी घुसने की सम्भावना | डिग्गी की हालत जैसी होगी उससे कार के इस्तेमाल के बारे में आपको पता चल जायेगा |
  4. टायर का घिसना एक ही प्रकार से होना चाहिए और वह एक जैसे दिखने चाहिए | टायर की सतह पर फेदरिंग (ख़राब एलाइनमेंट) के संकेत देखिये | ख़राब एलाइनमेंट घिसे हुए स्टीयरिंग/ सस्पेंशन कॉम्पोनेन्ट, सड़क पर गड्डे या फ्रेम को नुकसान की वजह से हो सकती है |
  5. सैडल (रेडियेटर के उपरी हिस्से को जोड़ फ्रंट फेंडर को साथ में रखने वाला) को देखें | हो सकता है की उसे वेल्ड या बोल्ट करवाया गया हो | हुड के अन्दर मोजूद फेंडरस के ऊपर स्थित बोल्ट हेड्स को देखें; अगर वहां पर स्क्रैच मार्क्स हैं तो इसका मतलब है की फेंडर (क्रेश के बाद) बदले या रीअलाइन कराये गए हैं |
  6. जब कार को ठीक से उठाया गया हो तो उस के नीचे जाकर जंग के निशानों और एग्जॉस्ट सिस्टम की जांच करें: एग्जॉस्ट सिस्टम पर मोजूद ब्लैक स्पॉट देखें क्योंकि वह लीकिंग की तरफ इशारा कर रहे हैं | ये समय फ्रेम और यूनी बॉडी डैमेज का जायजा करने के लिए भी उपयुक्त है |
    • अपनी ऊँगली से एग्जॉस्ट को जांच लें | ज्यादा चिकनी गंदगी का मतलब है की कोई अहम् और खर्चा कराने वाली समस्या है | कार को चालू करें | सफ़ेद वेपर (ठन्डे मौसम में नहीं) एक खतरे की घंटी है |
विधि 2
विधि 2 का 5:

हुड के नीचे जांच करना

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  1. हुड के नीचे जांच कर देखें की कोई डेंट, नुकसान या जंग तो नहीं है: ये सब इस बात का संकेत है की कार का ध्यान या तो सही से नहीं रखा गया या फिर वह दुर्घटना ग्रस्त हुई है | हर फेंडर, जहाँ हुड जुड़ता है वहीँ स्थित, में उस कार का VIN (Vehicle Identification Number) के साथ एक डेकल होना चाहिए | अगर डेकल वहां नहीं है, इसका मतलब ये नहीं है की फेंडर निश्चित तौर पर बदला गया है; VIN का स्थान हर निर्माता के ऊपर निर्भर होता है |
  2. उनमें क्रैक नहीं होना चाहिए | रेडियेटर के होज़ नर्म नहीं होने चाहिए |
  3. इंजन ब्लाक पर, देखिये की कोई गहरे भूरे निशान तो नहीं हैं, क्योंकि इसका मतलब है की गैस्केट में लीक है, और ये भविष्य में आपके लिए एक महंगे रिपेयर के तौर पर पेश होगा | ब्रेक फ्लूइड, और रिजर्वायर देख कर ये जानें की वो लीक तो नहीं कर रही है | बेल्ट्स नयी लगनी चाहिए (मतलब उनमें क्रैक या सूखने के निशान नहीं होना चाहिए ) | पुरानी बेल्ट टूट सकती हैं और अगर आपको उन्हें बदलना नहीं आता है तो, कौनसी बेल्ट ख़राब हुई है उस मुताबिक 7000-30000 रूपये का खर्चा हो सकता है |
  4. अन्दर मोजूद फोम के निशान इस बात का संकेत देता है की हेड गैस्केट लीक कर रहा है | इस कार को भूल जायें |
  5. ट्रांसमिशन डिपस्टिक को खींचें; फ्लूइड गुलाबी या लाल होना चाहिए: एक पुरानी कार का गहरा हो सकता है पर वह देखने में या महक से जली हुई नहीं लगनी चाहिए | वह पूरा भरा होना चाहिए (इंजन चला कर जांचें)|
  6. ये आपकी इंजन में मोजूद सबसे अहम् बेल्ट है, और इसलिए इसको बदलने में सबसे ज्यादा खर्चा भी होता है | अगर कार में स्टील टाइमिंग चैन है, तो आपको इसकी चिंता करने की ज़रुरत नहीं है | एक टाइमिंग बेल्ट की उम्र 60-100+ हज़ार मील तक होती है; लेकिन ये निर्माता पर निर्भर होता है |
विधि 3
विधि 3 का 5:

कार के इंटीरियर की जांच करना

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  1. सीट और अपहोल्सट्री को टीयर, रिप, दाग या किसी और प्रकार के नुकसान के लिए जांच लें |
  2. कार के एयर कंडीशनिंग को चला कर देखें की वह सही काम कर रहा है की नहीं: अगर एयर कंडीशनिंग ज़रूरी है, तो एक ऐसी कार खरीदें जिसमें R134 कूलैंट हो | जिन भी गाड़ियों में R134 होता है वह अक्सर 1993 या उसके बाद बनी होती हैं और उनके AC कंडेंसर पर स्टीकर होता है |
  3. ये ज़रूरी है क्योंकि माइलेज कार की उम्र दर्शाती है | सामान्य तौर पर, एक ड्राईवर हर साल अपनी कारको 10000 से 15000 मील (16,000 to 24,000 km) चलाता है; लेकिन, ये कई चीज़ों पर निर्भर होता है | ध्यान रहे, गाड़ियाँ समय और माइलेज के हिसाब से ऐज होती हैं | एक 10 साल पुरानी कार जो बहुत ज्यादा नहीं चली है उसको खरीदना एक अच्छा विचार नहीं है |
  4. अपने साथ एक सस्ता सा कंप्यूटर ला कर उसमें त्रुटियाँ देखें | किसी भी ऑटो स्टोर में आपको सस्ते कंप्यूटर 10000 रुपयों में मिल जायेंगे | लेकिन, ऐसे सस्ते जेनेरिक कोड रीडर सब चीज़ों की जांच कर पाने में सफल नहीं होते हैं |
  5. जब कार चल नहीं रही हो तो लाइट को जांच लें और उसके सभी फंक्शन के काम करने की पुष्टि करें: इनमें शामिल हैं: पार्किंग सेंसर, बेक पार्किंग कैमरा, रेडियो, CD, म्यूजिक इंस्टालेशन इत्यादि |
विधि 4
विधि 4 का 5:

कार को टेस्ट ड्राइव पर ले जाना

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  1. कोई भी फैसला लेने से पहले कार को टेस्ट ड्राइव करें: ये शायद कार की स्थिति जांचने का सबसे उत्तम तरीका है | इसलिए, खरीदार को कोई भी फैसला लेने से पहले एक टेस्ट ड्राइव करने की ज़रुरत है |
  2. कार के ब्रेक्स की जांच करने के लिए उन पर जोर से दबाव लगायें ताकि वो जोर से डीअक्सलेरेट करे, लेकिन इतना नहीं की फिसल जाए: बिना ट्रैफिक के क्षेत्र में इसे 30 मील प्रति घंटा (48 किलोमीटर /घंटा) की गति से चलायें | आपको ब्रेक पेडल से वाइब्रेशन, या कोई और अजीब से आवाजें नहीं सुनाई देनी चाहिए | अगर ब्रेक पल्सेट कर रही है तो इसका मतलब है की आपको रोटर ठीक या बदलवा कर नए पैड लगवाने पड़ेंगे | उसे झूमना नहीं चाहिए; ये ख़राब ब्रेक कैलिपर या स्टीयरिंग कॉम्पोनेन्ट में घिसाव की वजह से हो सकता है |
  3. 45/55/65/ 75 मील प्रति घंटा (121 किलोमीटर /घंटा) पर थोड़ी कंपकंपाहट को जांचें: कम गति अंतराल में थोड़ी बहुत कंपकंपाहट का मतलब है की कार के पार्ट घिस गए हैं जो आपके लिए काफी बड़ा खर्चा साबित हो सकता है | इसमें जॉइंट और आर्म दोनों शामिल हैं | इसके साथ आगे के टायर (स) में भी घिसाव हो सकता है |
  4. 90 डिग्री पर कार को मोढ़ते समय आवाज़ों, कंपकंपाहट और खनक पर ध्यान दें: ऐसा कम गति पर करें | इसका मतलब फिर है, की आगे वाले टायर में घिसाव है: जॉइंट बदलने का समय हो गया है |
विधि 5
विधि 5 का 5:

अंतिम फैसला लेना

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  1. कार की सर्विस हिस्ट्री देख लें क्योंकि इससे आपको उसकी परफॉरमेंस, रिपेयर और प्रॉब्लम पता चल जाएँगी: कायदे से, मोजूदा मालिक ने उन सब मौकों का रिकॉर्ड रखा होगा जब उसने कार की सर्विसिंग करायी थी और वह आपके साथ इस जानकारी को बांटने के लिए तैयार होगा | कुछ कार्स के मेंटेनेंस रिकॉर्ड नहीं होता है क्योंकि उन का घर पर ही ख्याल रखा गया होता है | ये तब तक सही है अगर वो ये साबित कर पाएं की उन्होनें उसे सही से मेन्टेन किया है | कई बार कार को सिर्फ इसलिए बेच दिया जाता है क्योंकि उनके साथ कोई नेगटिव अनुभव जुड़े होते हैं या ऊनके पूर्व में एक्सीडेंट हो चुका होगा |
  2. किसी ऐसे दोस्त को साथ लाना जिसे कार की सभी जानकारी हो एक अच्छा विचार है क्योंकि वह उन चीज़ों को भी देख लेता है जिनकी आप को कोई जानकारी नहीं होती है | अगर आपके पास औटोमेटीव इंडस्ट्री में कोई दोस्त नहीं है तो आप 1500-2000 रुपयों में ये काम किसी मैकेनिक से करवा सकते हैं | ये देख लें की मैकेनिक के रिव्यु अच्छे हैं नहीं तो वह आपको गलत कार खरीदवा सकता है |
  3. .एक यूज्ड कार पर आप मोल भाव कर सकते हैं | जो कीमत वो मांग रहे हैं उसे ही दे देने से बचें | डीलर ने ये कार किसी से कम कीमत में खरीदी है और अब वह आपको इसे बेच रहा है ये सोच कर की आप लिखी कीमत को कम कराएँगे | कार की मोजूदा स्थिति का जायजा कर, अपनी देने वाली राशि का ज़िक्र करें | ये देख लें की कीमत जायज़ हो | अगर डीलर आप से 35000 रूपये मांग रहा है, तो 25000 नहीं दें | ऐसा कर आप उसकी बेईज्ज़ती नहीं करें. | अगर कार की कीमत 35000 से ज्यादा है तो कम से कम 5000 कम करवाने की कोशिश करें | आप किसी बैंक या क्रेडिट यूनियन से अपने को प्री क्वालीफाई करवा सकते हैं | इससे ये निश्चित होगा की आप कार पर कितना खर्च कर सकते हैं | जो कीमत वो बता रहे हैं उससे कम में खरीदने की कोशिश करें | कुछ लोग अपनी हैसियत से ज्यादा महँगी कार खरीदने की कोशिश करते हैं | याद रहे, कार अभी कितनी भी अच्छी हालत में हो, भविष्य में उसे नियमित मेंटेनेंस की ज़रुरत होगी |
    • आपको कार के जो हिस्से पसंद नहीं हों वह बता कर फायदा उठाएं | अगर कार का कलर आपको पसंद नहीं हैं, तो डीलर से कहें, “मुझे कार पसंद है, पर मुझे ये नहीं अच्छा लग रहा है की उसका रंग हरा है, बस यही वजह मुझे इसे खरीदने से रोक रही है” | डीलर समझ जायगा आपको कार चाहिए, और वो किसी और तरीके से आपको कार खरीदने के लिए मनायेगा |
  4. अगर आप प्राइवेट सेल से कार खरीद रहे हैं तो पेन, पेपर और सेल फ़ोन साथ लायें: जैसे आप कार की जांच कर रहे हैं उन सभी वस्तुओं की सूची बनाएं जिन में कुछ कमी है या जिन्हें बदलाव की ज़रुरत है | अगर ज़रुरत हो तो उसे कहें की आप कार को उनके नहीं अपने मैकेनिक को दिखायेंगे इसलिए ये सूची बना रहे हैं | एक बार आपने सूची बना ली आप ऑटो पार्ट्स स्टोर्स को फ़ोन कर के रिप्लेसमेंट पार्ट्स की कीमत और मोजूदगी के बारे में पता करें | आपको पता चल जाए की कार को रिपेयर करने में कितना खर्चा आएगा आप इस बात पर फैसला ले सकते हैं की आप कितने पैसे दे सकते हैं क्योंकि इससे बेचने वाले की कीमत कम करने की सम्भावना बढ़ जाती है |
    • ऐसा करते समय थोड़ा ध्यान रखें क्योंकि कुछ बेचने वालों को ये गलत लग सकता है | हो सकता है वो आपको कार बेचने से मना कर दे |

सलाह

  • उपभोक्ता के रिपोर्ट देख कर कार की विस्तृत साख की जानकारी मिल जाएगी | ज्यादा अच्छी साख के लिए अधिक पैसे नहीं दें | नेम प्लेट से ज्यादा अहम् है कार की स्थिति |
  • एक अलग से स्रोत्र से अपने द्वारा पसंद की गयी कार की होलसेल और रिटेल कीमत पता करें | क्या विक्रेता की कीमत आस पास है, या दोनों ही कीमतों में बहुत फर्क है?
  • अपने पसंद के सर्विस सेंटर से कार खरीदना लम्बे समय तक संतुष्ट रहने का सबसे बेहतरीन तरीका है | अगर आपको बिना सर्विस सेंटर के डीलर से कार खरीदनी है तो कार को मैकेनिक से ज़रूर जांच लें |
  • सर्टिफाइड कार थोड़ी महंगी होती है पर उनमें भरोसा और वारंटी साथ मिलती है |
  • अगर कार को काम की ज़रुरत है, तो उसे मोल भाव का जरिया बनाएं |
  • कार के अन्दर की स्थिति की तुलना ओडोमीटर पर आ रही रीडिंग से करें | एक कार जो 15000 मील (24000 किलोमीटर) चली है उसका ड्राईवर सीट ऐसा नहीं होगा की जैसे उसे चाकू से खोंपा गया हो | एक बहुत घिसा हुआ यात्री कम्पार्टमेंट और कम माइलेज का मतलब है की ओडोमीटर की रीडिंग के साथ छेड़छाड़ हुई है |
  • उसी कार और वैसे ही माइलेज की कार ढूँढें | अगर उसकी कीमत आपकी पसंद की कार से मिलती जुलती है, तो इस बात को मोल भाव के लिए इस्तेमाल करें |
  • UFOs.... से बचें | U nidentified F unky O dors | एक इस्तेमाल की हुई कार से किसी अजीब सी महक को निकालना बहुत मुश्किल और महंगा हो सकता है |
  • बारिश के दौरान कार की जांच करने नहीं जाएँ | बारिश से पेंट और एक्सीडेंट के निशान छुप जायेंगे | इसके इलावा कोई सस्पेंशन का शोर होगा तो वह भी सुनाई नहीं देगी |

चेतावनी

  • अगर आप किसी ऐसे स्थान पर रहते हैं जहाँ सभी कार पर स्मोग या एमिशन टेस्ट करना ज़रूरी है तो खरीदने से पहले जांच करवा लें | एमिशन कण्ट्रोल सिस्टम में कोई भी रिपेयर महंगा होता है और अगर कोई कार उसकी जांच में असफल रहती है तो रजिस्टर करने से पहले आपको उसे ठीक कराना पड़ेगा | इसके इलावा, अगर अंदरूनी इंजन के कॉम्पोनेन्ट जैसे पिस्टन रिंग और वाल्व सीट में बहुत ज्यादा घिसाव है तो वह एमिशन टेस्ट पास नहीं करेंगी; स्मोग चेक करवाने से आप ये देख सकते हैं की कार अब सही से चल रही है और उसमें ऐसे कोई बढ़े डिफेक्ट नहीं है जो बाद में आपको तकलीफ दे सकते हैं | इस टेस्ट को किसी क्वालिफाइड मैकेनिक से जांच के साथ जोड़ा जा सकता है | ऐसे स्थानों में जहाँ स्मोग चेक की ज़रुरत नहीं है, ये देख लें की मैकेनिक इंजन की कम्प्रेशन देख ले क्योंकि उससे भी पता चलता है की कोई अंदरूनी इंजन वियर प्रॉब्लम तो नहीं है (खास तौर से 50000 मील से अधिक चलने वाली गाड़ियाँ) |
  • इस जांच को करने के बाद अगर आपको लगे की आप कार खरीद सकते हैं, तो एक क्वालिफाइड मैकेनिक से उसकी राय ज़रूर लें | ये तब बेहतर रहता है जब आप पहली बार कार खरीद रहे हैं या आपको कार का ज्यादा अनुभव नहीं है | कार के मोजूदा मालिक को आपको किसी मैकेनिक को दिखाने से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए; अगर मालिक को इस बात से कोई आपत्ति है, तो हो सकता है की उन्हें कोई बात छुपानी हो, और तब आपको खरीदने के लिए कोई दूसरी कार देखनी चाहिए |
  • अगर आपको ये एक फायदे का सौदा लग रहा है, तो ये होगा ही |

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