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न्यूरोपैथी एक ऐसी डिजीज है जिसमे पेरिफेरल नर्वस सिस्टम (PNS) प्रभावित हो जाता है | शरीर में PNS बॉडी मूवमेंट, सेंसेशन और ब्लड प्रेशर और पसीना आने जैसे ऑटोमेटिक फंक्शन्स को कण्ट्रोल करता है | अगर आपको नर्व्स डैमेज हो जाती हैं तो डैमेज हुए नर्व्स के प्रकार के आधार पर कई अलग-अलग तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं | पैरों में होने वाली न्यूरोपैथी से 2.4% पॉपुलेशन और इस डिजीज को अनुभव करने वाले 55 वर्ष की आयु वाले 8% लोग प्रभावित होते हैं | [१] न्यूरोपैथी के लिए डायबिटीज एक मुख्य कारण माना जाता है लेकिन यह आनुवंशिक रूप से या इन्फेक्शन्स, दूसरी बीमारियों और ट्रॉमा के कारण हो सकती है | इसी कारण ट्रीटमेंट मैनेज करने के लिए डॉक्टर के साथ इसका निवारण करना बहुत जरुरी होता है |

विधि 1
विधि 1 का 3:

लाइफस्टाइल में बदलाव लायें

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  1. सप्ताह में कम से कम तीन बार घर से बाहर वॉक पर जाएँ | या, कोई आरामदायक और सुविधाजनक एक्सरसाइज करें | आप अपने डॉक्टर एक एक प्रॉपर एक्सरसाइज रेजिमेन देने की सिफारिश करें | एक्सरसाइज आपके ब्लड फ्लो को सुधार देगी और डैमेज नर्व्स को पोषण देगी | वॉक करने से ओवरऑल ब्लड शुगर लेवल कम हो जाती है और इसे डायबिटीज आसानी से कण्ट्रोल रहती है | अगर आप सफलतापूर्वक डायबिटीज को कण्ट्रोल कर लेते हैं तो न्यूरोपैथी भी कम हो जाएगी |
    • अगर आपको एक्सरसाइज करने का समय नहीं मिल पा रहा है तो याद रखें कि आप एक्टिव रहने के लिए छोटी स्टेप्स भी शुरू कर सकते हैं | उदाहरण के लिए, आप घर की सफाई कर सकते हैं, अपने डॉग के साथ खेल सकते हैं या अपनी कार साफ़ कर सकते हैं | इन सभी कामों से ब्लड फ्लो बढेगा |
  2. एक छोटे कंटेनर या टब में गर्म पानी और प्रत्येक कप पानी के हिसाब से ¼ कप एप्सोम साल्ट मिलाएं | ध्यान रखें कि पानी 100 डिग्री से ज्यादा गर्म न हो | अपने पैरों को कंटेनर या टब में रखें जिससे वे पानी में डूब जाएँ | पानी की गर्माहट आपको आराम देगी और पैरों के दर्द से ध्यान हटाएगी | इसके अलावा, एप्सोम साल्ट में मैग्नीशियम पाया जाता है जो मसल्स को रिलैक्स कर देता है | [२]
    • अगर आपके पैरों में इन्फेक्शन या सूजन हो तो एप्सोम साल्ट वाले पानी में पैर डुबाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें | [३]
  3. अल्कोहल आपकी नर्व के लिए टॉक्सिक हो सकते हैं, विशेषरूप से अगर वो पहले से ही डैमेज हों | आपको खुद को एक सप्ताह में चार ड्रिंक्स तक ही सीमित रखना होगा | कुछ तरह की न्यूरोपैथी विशेषरूप से अल्कोहल या शराब पीने की वजह से हो होती है इसलिए अगर आपको भी इसी तरह की न्यूरोपैथी है तो आपको शराब पीना बंद करना होगा | [४] शराब छोड़ने से आपके लक्षणों में आराम मिल सकता है और नर्व्स और डैमेज होने से बच सकती हैं | [५]
    • अगर आपकी फैमिली में अल्कोहल का इस्तेमाल किया जाता है तो आपको ड्रिंक नहीं करनी है | सुरक्षित और हेल्दी रहने के लिए शराब की लत छोड़ें |
  4. यह नेचुरल ऑइल जंगली फूल से मिलता हिया और गोली (pill) के रूप में मिलता है | अपने डॉक्टर से इसकी स्पेसिफिक डोज़ देने के लिए कहें | स्टडीज दर्शाती हैं कि इसमें पाया जाने वाला फैटी एसिड न्यूरोपैथी के लक्षणों में सुधार ला सकता है | [६] ये फैटी एसिड नर्व फंक्शन को सुधारते हैं |
    • लाभदायक फैटी एसिड (GLA) के अन्य सोर्सेज में शामिल हैं; बोरेज ऑइल और ब्लैक करंट ऑइल |
  5. एक्यूपंक्चर एक ट्रेडिशनल चायनीज मेडिसिन है जिसमे स्पेसिफिक प्रेशर पॉइंट्स पर नीडल्स लगायी जाती हैं | इन प्रेशर पॉइंट्स या एक्युपॉइंट्स को स्टीमुलेट करने से बॉडी एंडोर्फिन रिलीज़ करती है जिससे दर्द में आराम मिलता है | एक्यूपंक्चरिस्ट इन एक्युपॉइंट्स पर चार से दस नीडल्स अंदर डालेगा और उन्हें लगभग आधे घंटे तक वहीँ छोड़ेंगे | आपको तीन महीने में छह से बारह सेशन लेने की जरूरत पड़ेगी | [७]
    • अपने अपॉइंटमेंट से पहले एक्यूपंक्चरिस्ट की दक्षता और प्रतिष्ठा चेक कर लें | ध्यान रखें कि ब्लड-बोर्न डिजीज से बचने के लिए फैसिलिटी और नीडल्स स्टेराइल हों |
  6. कॉम्प्लिमेंटरी और अल्टरनेटिव थेरेपी लेने पर विचार करें: एक्यूपंक्चर के अलावा, आप न्यूरोपैथी के लक्षणों में आराम पाने के लिए मैडिटेशन और लो-इंटेंसिटी ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टीमुलेशन (TENS) आजमा सकते हैं | [८] TENS प्रोसीजर में प्रोब्स को चार्ज करने के लिए छोटी बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है जो दर्द वाली जगहों पर लगाये जाते हैं | प्रोब्स और बैटरी एक सर्किट बनाते हैं जिसमे से इलेक्ट्रिक करंट पास होता है और उस एरिया को स्टीमुलेटी करता है | स्टडीज पुष्टि करती हैं कि TENS किसी भी तरह के न्यूरोपेथिक दर्द को ठीक करने में काफी इफेक्टिव है लेकिन अभी इस पर और रिसर्च होने की जरूरत है | [९]
    • मेडिकेशन मेथड्स की बजाय वॉकिंग मेडिकेशन, सिटिंग मेडिकेशन, किगोंग (qigong) या ताई ची (tai chi) करने की कोशिश कर सकते हैं | स्टडीज, रेगुलर मेडिसिन लेने पर दर्द कम होने की पुष्टि करती हैं | [१०]
विधि 2
विधि 2 का 3:

मेडिकल ट्रीटमेंट लें

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  1. न्यूरोपैथी के इलाज़ के लिए कई तरह की दवाएं उपलब्ध होती हैं | डॉक्टर आपके उस मेडिकल डिसऑर्डर को मैनेज करने पर फोकस करेंगे जिसके कारण न्यूरोपैथी हुई है जिससे लक्षणों को कम किया जा सके और पैरों में नर्व फंक्शन्स को सुधार जा सके | [११] डॉक्टर आपको निम्नलिखित दवाएं लिख सकते हैं:
    • एमीट्रिपटायलिन (Amitriptyline): यह दवा मूलरूप से एंटीडिप्रेसेंट की तरह इस्तेमाल की जाती है लेकिन न्यूरोपैथिक पैन में भी काफी असरदार होती है | आपको इसे सबसे कम डोज़ के साथ हर दिन 25 मिलीग्राम लेना शुरू करना चाहिए | धीरे-धीरे इसका डोज़ बढाकर 150 मिलीग्राम तक कर सकते हैं | इस दवा को हमेशा रात में सोने से पहले लें | अगर आपकी सुसाइड करने की हिस्ट्री रही है तो इस दवा को नहीं लेना चाहिए| | [१२]
    • प्रेगाबलिन (pregabalin): इस सीडेटिव दवा का इस्तेमाल आमतौर पर डायबिटीज के कारण होने वाली पेरिफेरल न्यूरोपैथी से होने वाले दर्द में किया जाता है | आप इसके सबसे कम डोज़ के साथ शुरुआत करेंगे और डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसका डोज़ बढाते जायेंगे | इसका मैक्सिमम डोज़ 50 से 100 मिलीग्राम होता है जिसे मुख के द्वारा दिन में तीन बार लिया जाता है | सबस मैक्सिमम डोज़ समय के साथ बढाकर 600 मिलीग्राम प्रति दिन किया जा सकता है लेकिन इस मात्रा से ज्यादा डोज़ असरदार नहीं होता | [१३]
    • डुलोक्सिटिन (duloxetine): यह दवा आमतौर पर डायबिटीज के कारण होने वाले न्यूरोपैथी के दर्द में दी जाती है | इसका डोज़ 60 मिलीग्राम ओरली देना शुरू किया जाता है | यह डोज़ डबल भी किया जा सकता है और दो महीने के बाद डॉक्टर इस ट्रीटमेंट को रिव्यु करेंगे | हालाँकि आप इस डोज़ को डबल कर सकते हैं लेकिन 60 मिलीग्राम से ज्यादा का डोज़ लेने पर फायदे कम और दूसरी परेशानियाँ ज्यादा होती हैं | [१४]
    • कॉम्बिनेशन थेरेपी: डॉक्टर आपको TCA, वेंलाफेक्सिन (venlafaxine) या ट्रेमाडॉल (tramadol) जैसी कई सारी दवाओं के कॉम्बिनेशन दे सकते हैं | ये न्यूरोपैथी में किसी सिंगल मेडिसिन की तुलना में ज्यादा बेहतर रिजल्ट्स दे सकती है | [१५]
  2. डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी अफीमजन्य (opiates) दवाएं लें: डॉक्टर न्यूरोपेथी के दर्द को ठीक करने के लिए आपको लम्बे समय तक काम देने वाली अफीम वाली दवाएं दे सकते है | इनका आंकलन आमतौर पर व्यक्तिगत आधार पर किया जाता है क्योंकि इसके साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं; आदत पड़ना (एडिक्शन), टॉलरेंस (से के साथ इनका असर कम होता जाता है) और सिरदर्द | [१६]
    • लम्बे समय से चली आ रही उस न्यूरोपैथी को (डिसइम्यूनन्यूरोपेथी) ठीक करने के लिए डॉक्टर द्वारा सायक्लोफोस्फेमाइड (cyclophosphamide) जैसे इम्यूनोसप्रेसिव एजेंट्स भी लिखे जा सकते हैं जिस पर दूसरे ट्रीटमेंट असर न कर पा रहे हों |
  3. आपकी न्यूरोपैथी के कारण के आधार पर डॉक्टर आपको डिकंप्रेसिव सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं | इससे फंसी हुई नर्व्स से प्रेशर रिलीज़ हो जायेगा और वे सही तरीके से काम करने लगेंगी | डिकंप्रेसिव सर्जरी आमतौर पर कार्पल टनल सिंड्रोम (carpal tunnel syndrome) के लिए की जाती है | लेकिन, कुछ ख़ास तरह की आनुवांशिक न्यूरोपैथी जिनके कारण पैर और टखने में परेशानी होती है, में भी इससे लाभ मिल सकते हैं |
    • एमायलोइड (amyloid) पेरिफेरल न्यूरोपेथी को लिवर ट्रांसप्लांट के जरिये ठीक किया जा सकता है क्योंकि इस तरह की न्यूरोपैथी मेटाबोलिक लिवर प्रॉब्लम (metabolic liver problem) के कारण होती है | [१७]
विधि 3
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अपने स्वास्थ्य को सुधारें

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  1. अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा विटामिन शामिल करें: अगर आप डायबिटिक नहीं हैं और आपको न्यूरोपैथी के अलावा कोई और जानी-पहचानी सिस्टमिक डिजीज नहीं है तो यह न्यूरोपैथी विटामिन E, विटामिन B1, विटमिन B6 और विटामिन B12 की कमी के कारण हो सकती है | [१८] ल्विकं, कोई भी सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें | डॉक्टर को कोई भी सप्लीमेंट या दवा लेने की सलाह देने से पहले आपकी न्यूरोपैथी के कारण को डायग्नोज़ करना पड़ेगा |
    • हेल्दी डाइट में खूब सारी हरी पत्तेदार सब्जियां, एग योक और फिश लिवर खाकर ज्यादा से ज्यादा विटामिन प्राप्त करें |
  2. आमतौर पर डायबिटीज डायग्नोज़ होने के कई साल बाद न्यूरोपैथी डेवलप हो जाती है | उचित डायबिटीज कण्ट्रोल से न्यूरोपैथी से बचा या इसे रोका जा सकता है | लेकिन अगर ये एक बार डेवलप हो जाए तो इस कंडीशन को पूरी तरह से रिवर्स कर पाना संभव नहीं होता | डॉक्टर डायबिटीज को मैनेज करने और न्यूरोपैथी के कारण होने वाले दर्द को कण्ट्रोल करने पर फोकस करेंगे | [१९]
    • अपने ब्लड ग्लूकोस लेवल को चेक करते रहना बहुत जरुरी होता है | ब्लड ग्लूकोस लेवल को खाली पेट 70 से 130 मिलीग्राम/डेसीलीटर और नाश्ता करने से दो घंटे बाद 180 मिलीग्राम/डेसीलीटर से कम रखने का टारगेट बनायें | आपको पाना ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रखना होगा |
  3. आपको न्यूरोपैथिक फीट में बहुत कम सेंसेशन और फीलिंग नोटिस हो सकती हैं | इस कारण कट्स, चुभन या खरोंच जैसी इंजुरी होने की संभावना बढ़ सकती है | घर के अंदर या बाहर रहते समय हमेशा सॉक्स या जूते पहनकर ही रहें | पैरों में बार-बार चोट लगने से ऐसे अल्सर आसानी से बन सकते हैं जो बहुत मुश्किल से हील होते हैं | डॉक्टर के पास रेगुलर चेकअप कराने जाने पर उनसे अपने पैरों को एक्सामिन करने के लिए जरुर कहें | [२०]
    • बैकलेस स्लिपर्स जैसे ढीली फिटिंग वाले फुटवियर पहनें लेकिन शूज, सैंडल्स या फ्लिप-फ्लॉप पहनने से बचें क्योंकि इनसे पैर को बहुत कम सपोर्ट मिलता है | टाइट शूज से पैरों के प्रेशर पॉइंट्स तक पर्याप्त ब्लड सप्लाई नहीं हो पाती जिससे उन एरिया में अल्सर बनने लगते हैं |
    • अपने नाखून को उचित लम्बाई तक ही रखें | इससे इन्ग्रोन टोनेल (अन्तर्वर्धित नाखून) से बचाव होगा | नाखून काटते समय सावधानी रखें | एक्सीडेंटल कट्स से बचने के लिए ब्लेड्स का इस्तेमाल न करें |
  4. अल्सर वाले एरिया को नमक वाले गर्म पानी से धोकर साफ़ करें | एक छोटा सा स्टेराइल गौज पीस लें और उस पर थोडा सेलाइन वॉटर डालें | इससे अल्सर पर मौजूद डेड टिश्यू को साफ़ करें | अब, उस एरिया को सुखा लें और एक स्टेराइल ड्रेसिंग से कवर कर दें | ड्रेसिंग को दिन में एक या दो बार या गीली होने पर इससे ज्यादा बार बदलते रहें | अगर अल्सर से बदबू आने लगे तो फिर से तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ क्योंकि यह इन्फेक्शन की निशानी हो सकती है जो काफी सीरियस हो सकती है | [२१]
    • डॉक्टर को तुरंत बताएं कि आपको अल्सर हैं | अगर ये अल्सर छोटे हैं तो वे ड्रेसिंग और एंटीबायोटिक्स से आसानी से ठीक किये जा सकते हैं | लेकिन, बड़े अल्सर को हील करना काफी मुश्किल होता है | इनके कारण कई बार पैर की अंगुली या पंजा काटना (amputation) पड़ता है |
  5. न्यूरोपेथिक पैन की गंभीरता काफी विस्तृत होती है | अगर आपको माइल्ड से मॉडरेट दर्द हो तो बाज़ार में मिलने वाली एनाल्जेसिक लें | इनका इलाज़ बाज़ार में मिलने वाली दर्दनिवारक दवाओं से किया जा सकता है | आप दिन में दो से तीन बार तक 400 मिलीग्राम आइबूप्रोफेन या 300 मिलीग्राम एस्पिरिन ले सकते हैं | [२२]
    • एंटी-पेप्टिक दवाएं लेना न भूलें क्योंकि एनाल्जेसिक (आइबूप्रोफेन, आदि) पेट खराब कर देती हैं | उदाहरण के लिए, आपको खाने से पहले दिन में दो बार 150 मिलीग्राम रेनीटिडीन (ranitidine) लेनी होगी |
  6. अन्तर्निहित कारणों के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट लें: किडनी, लिवर या एंडोक्राइन डिजीज के कारण होने वाली न्यूरोपैथी को इन डिजीज को ट्रीट करके ठीक किया जा सकता है | अगर आपको नर्व कम्प्रेशन या स्थानीय परेशानी है तो फिजियोथेरेपी या सर्जरी से ठीक की जा सकती हैं |
    • न्यूरोपैथी अनुभव होने और कोई भी सप्लीमेंट लेने से पहले पर हमेशा डॉक्टर से सलाह लें |

सलाह

  • यह डिजीज एक्यूट (तीव्रता वाली) या लम्बे से तक रहने वाली (क्रोनिक) हो सकती है | एक्यूट न्यूरोपैथी के केस में तुरंत मेडिकल एग्जामिनेशन की जरूरत होती है |
  • आप हाइड्रेशन बढाकर या कम्प्रेशन स्टॉकिंग पहनकर लक्षणों में आराम पा सकते हैं |

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