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बाइपोलर (Bipolar) डिसऑर्डर, जिसे पहले मैनिक (manic) डिप्रेशन के नाम से जाना जाता था, ये एक ऐसा ब्रेन का डिसऑर्डर हैं, जिसकी वजह से मूड, एक्टिविटी, एनर्जी और डे-टू-डे फंक्शनैलिटी में बदलाव होता है। हालांकि, दुनियाभर में काफी सारे लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर, होता है, काफी सारी मेंटल बीमारियों की तरह ही, इसे भी अक्सर गलत समझा जाता है। पॉपुलर कल्चर में, लोग ऐसे हर उस इंसान को "बाइपोलर" कहते हैं, जिनमें किसी भी तरह के मूड स्विंग्स को देखा जाता है, लेकिन बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए डाइग्नोस्टिक क्राइटेरिया काफी कठिन होता है। असल में कई तरह के बाइपोलर डिसऑर्डर मौजूद हैं। [१] वैसे तो हर एक तरह का बाइपोलर डिसऑर्डर काफी सीरियस होता है, लेकिन आमतौर पर, प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन और साइकोथेरेपी के जरिए, ये ट्रीट भी हुआ करते हैं। [२] अगर आपको ऐसा लगता है, कि आप भी किसी ऐसे इंसान को जानते हैं, जिसे बाइपोलर डिसऑर्डर है, तो अपने उस प्यारे इंसान को सपोर्ट करने के तरीकों को जानने के लिए आगे पढ़ते जाएँ।

विधि 1
विधि 1 का 3:

बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में सीखना

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  1. अचानक से अजीब तरह से तेजी से होने वाले “मूड एपिसोड्स” की तरफ ध्यान दें: मूड एपिसोड्स, किसी इंसान के मूड में होने वाले खास, यहाँ तक की अजीब से बदलाव को दर्शाता है। आम भाषा में, इन्हें शायद “मूड स्विंग्स (mood swings)” भी बोला जाता है। ऐसे लोग, जो बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं, उनके मूड एपिसोड्स में तेज़ी से बदलाव आता है, या उनके एपिसोड्स के बीच में बहुत कम स्विच होता है। [३]
    • मूड एपिसोड्स के बेसिक दो टाइप मौजूद हैं: इक्स्ट्रीम्ली एलवेटिड (बहुत तेज़ी से बढ़ना) या मैनिक (manic) एपिसोड्स और इक्स्ट्रीम्ली डिप्रेस्ड या डिप्रेसिव (depressive) एपिसोड्स। वो इंसान शायद मिक्स्ड एपिसोड्स को भी महसूस कर सकता है, जिसमें एक ही वक़्त पर मैनिया (पागलपन, उन्माद) और डिप्रेशन, दोनों के ही लक्षण नजर आते हैं। [४]
    • बाइपोलर डिसऑर्डर वाला इंसान इन मूड एपिसोड्स के बीच में “नॉर्मल” मूड वाले पीरियड को भी महसूस कर सकते हैं। [५]
  2. अपने आप को बाइपोलर डिसऑर्डर के अलग-अलग टाइप के बारे में अवगत करें: बाइपोलर डिसऑर्डर के ऐसे चार बेसिक टाइप हैं, जिन्हें रेगुलरली डाइग्नोज किया जाता है: बाइपोलर I (Bipolar I), बाइपोलर II (Bipolar II), बाइपोलर डिसऑर्डर नॉट अदरवाइज़ स्पेसिफाइड (बाइपोलर डिसऑर्डर, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है) और साइक्लोथाइमिया (Cyclothymia)। बाइपोलर डिसऑर्डर का टाइप, डाइग्नोज हुए इंसान पर उसकी गंभीरता और अवधि (ड्यूरेशन) के, साथ ही मूड एपिसोड्स साइकिल की रिपीटीशन के हिसाब से तय किया जाता है। [६] एक ट्रेण्ड मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल, बाइपोलर डिसऑर्डर को डाइग्नोज कर सकता है; आप इसे खुद से नहीं कर सकते हैं और न ही आपको इसे करने की कोशिश भी करना चाहिए।
    • बाइपोलर I डिसऑर्डर में मैनिक या मिक्स्ड एपिसोड्स शामिल होते हैं, जो कम से कम सात दिनों तक बने रहते हैं। उस इंसान को कुछ गंभीर मैनिक एपिसोड्स भी महसूस हो सकते हैं, जो उसे फौरन मेडिकल अटेन्शन लेने की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त खतरे में डाल सकते हैं। डिप्रेसिव एपिसोड्स भी सामने आते हैं, जो कम से कम दो हफ्तों तक बने रहते हैं। [७]
    • बाइपोलर II डिसऑर्डर में 'हाइपोमैनिया (hypomania)' शामिल होता है, जो शायद ही कभी एकदम पूरे पागलपन (मैनिया) और बने रहने वाले डिप्रेशन एपिसोड्स तक पहुंचता है। हाइपोमैनिया एक हल्की मैनिक स्टेट (पागलपन वाली स्थिति) होती है, जिसमें इंसान काफी “उत्तेजित” फील करता है, बहुत ज्यादा एक्टिव और ऐसा लगता है, जैसे उसे बहुत कम या न के बराबर नींद की जरूरत है; मैनिया के दूसरे लक्षण, जैसे कि विचारों की हलचल, जल्दी-जल्दी बहुत कुछ बोलना, और आइडियाज में उलझन भी शामिल हैं, लेकिन मैनिक स्टेट के विपरीत, हाइपोमैनिया को एक्सपीरियंस कर रहे लोग आमतौर पर वास्तविकता से या कुछ करने की क्षमता से ही एकदम दूर हो जाते हैं। इलाज नहीं किए जाने पर, इस तरह की मैनिक स्टेट, एक गंभीर मैनिया में भी बदल सकती है। [८]
    • बाइपोलर II में होने वाले डिप्रेसिव एपिसोड्स आमतौर पर ज्यादा गंभीर होते हैं और ये डिप्रेसिव एपिसोड्स बाइपोलर I से ज्यादा वक़्त तक भी बने रहा करते हैं। इस बात को ध्यान में रखना बहुत जरूरी होता है, कि इनमें से ज़्यादातर लक्षण टाइप I और II दोनों से ही जुड़े हुए हो सकते हैं और इन से जूझने वाले हर एक इंसान के एक्सपीरियंस एकदम अलग भी होते हैं, इसलिए भले ही ज़्यादातर सभी पारंपरिक ज्ञान से इसके होने के बारे में में ही मालूम चलता है, लेंकिन जरूरी नहीं है, कि हमेशा ही ऐसा हो।
    • बाइपोलर डिसऑर्डर नॉट अदरवाइज़ स्पेसिफाइड (Bipolar Disorder Not Otherwise Specified या BP-NOS), ये तब होता है, जब बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण तो मौजूद होते हैं, लेकिन वो DSM-5 (मेंटल डिसऑर्डर के लिए मौजूद डाइग्नोस्टिक और स्टेटिकल मेन्यूअल) के किसी भी ठोस क्राइटेरिया से मेल नहीं खाते हैं। ये लक्षण अभी भी किसी भी व्यक्ति की “नॉर्मल” या बेसलाइन के लिए विशिष्ट नहीं हैं।
    • साइक्लोथाइमिक (Cyclothymic) डिसऑर्डर या साइक्लोथाइमिया (Cyclothymia), बाइपोलर डिसऑर्डर का एक हल्का रूप है। हाइपोमैनिया के पीरियड्स, डिप्रेशन के हल्के, मीडियम एपिसोड्स के बीच में बदलते बदलते रहते हैं। डाइग्नोस्टिक क्राइटेरिया से मैच करने के लिए इन्हें कम से कम 2 सालों के लिए बने रहना होता है। [९] [१०]
    • बाइपोलर डिसऑर्डर वाला कोई इंसान शायद “रैपिड साइकलिंग (rapid cycling)” को भी एक्सपीरियन्स कर सकता है, जिसमें वो 12 महीने के वक़्त के दौरान 4 या इससे भी ज्यादा मूड एपिसोड्स को एक्सपीरियन्स करता है। रैपिड साइकलिंग, पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा प्रभावित किया करती है और ये आती और जाती भी रह सकती है। [११] [१२]
  3. मैनिक एपिसोड्स किस तरह से सामने आता है, ये अलग-अलग लोगों के हिसाब से अलग रहता है। हालांकि, ये किसी भी इंसान के “नॉर्मल” या बेसलाइन इमोशनल स्टेट की अपेक्षा मूड में आए अचानक से तीव्र बदलाव या “उग्रता ( revved up)” की तरह सामने आता है। मैनिया (पागलपन) के कुछ लक्षणों में, ये शामिल हैं: [१३] [१४]
    • बहुत ज्यादा खुशी, सुख या एक्साइटमेंट फील होना। मैनिक एपिसोड्स से जूझने वाला इंसान शायद “बज्ड (भुनभुनाते रहना)” या इतना खुश फील करेगा, कि एक बुरी खबर भी उसके मूड को बिगाड़ नहीं पाएगी। चरम सुख की ये अनुभूति, स्पष्ट कारणों के बिना भी बनी रहती है।
    • ओवरकोन्फ़िडेंस, किसी भी तरह से आहत न होने की क्षमता, भव्यता का मोह। मैनिक एपिसोड्स से जूझने वाले इंसान में उसके लिए विशिष्ट अहंकार या आत्म-सम्मान की काफी उच्च भावना हो सकती है। वो ऐसा भरोसा करता होगा/होगी, कि वो किसी भी चीज़ को अपनी काबिलियत से भी ज्यादा हासिल कर सकता है, जैसे कि ऐसा कुछ भी नहीं, जो उसके रास्ते में रुकावट पैदा कर सके। वो ऐसा सोचकर चलेगा, जैसे कि उसका महत्वपूर्ण ताकतों या सुपरनेचुरल ताकतों के साथ एक खास कनैक्शन है।
    • बढ़ी हुई, अचानक होने वाली इरिटेशन (चिड़चिड़ाहट) और गुस्सा। मैनिक एपिसोड्स से जूझ रहा इंसान, शायद दूसरे लोगों पर चिल्लाएगा, वो भी बिना किसी वजह के। वो शायद अपने “असली” मूड से जरा ज्यादा “टची (तुनकमिजाज)” या आसानी से गुस्सा होने वाला बन सकता है।
    • हाइपरएक्टिविटी। वो इंसान एक-बार में ही एक-साथ काफी सारे काम पकड़ लेगा या एक दिन में हो सकने लायक काम से भी ज्यादा काम अपने हाँथ में ले लेगा। वो सोने या खाने की बजाय किसी ऐसी एक्टिविटी को करने के लिए चुन लेगा, जो शायद असल में किसी भी काम की तक नहीं।
    • बहुत ज्यादा बातें करना, भटकी हुई बातें, विचारों का भटकना। मैनिक एपिसोड्स से जूझ रहे इंसान को अक्सर अपने विचारों को समेटने में तकलीफ होती है, फिर चाहे वो कितनी भी बात क्यों न कर रहा हो। वो बहुत जल्दी से किसी एक विचार या एक्टिविटी से किसी और पर चला जा सकता है।
    • घबराहट या उत्तेजित महसूस करना। वो इंसान शायद घबराहट या उत्तेजना को महसूस कर सकता है। वो बड़ी आसानी से डिस्ट्रेक्ट भी हो सकता है।
    • जोखिम भरे व्यवहार में अचानक से बढ़ोत्तरी होना। वो इंसान शायद कुछ ऐसी चीज़ें करेगा, जो उसकी नॉर्मल बेसलाइन के हिसाब से अजीब होंगी और उनकी वजह से जोखिम होने का खतरा होगा, जैसे कि अनसेफ सेक्स, बहुत ज्यादा उछल-कूद करना या फिर गैम्बलिंग (जुआ खेलना)। स्पीडिंग या किसी खतरनाक स्पोर्ट्स या एथलीट करतब करने जैसी फिजिकल एक्टिविटीज़ -- खासतौर पर वो, जिनके लिए इंसान तैयार ही नहीं है -- भी हो सकती हैं।
    • सोने की आदतों में कमी। वो इंसान शायद बहुत कम सोने लगा होगा, फिर भी कहेगा, कि उसे आराम की जरूरत नहीं है। उसे अनिद्रा (insomnia) हो सकती है या फिर बस उसे ऐसा फील हो सकता है, कि उसे नींद लेने की जरूरत ही नहीं।
  4. अगर एक मैनिक एपिसोड्स, बाइपोलर डिसऑर्डर वाले इंसान को ऐसा महसूस कराते हैं, जैसे कि “वो एकदम सबसे ऊपर है,” एक डिप्रेसिव एपिसोड इसके तल पर कुचले जाने की भावना है। ये लक्षण लोगों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इन्हें पहचानने के लिए कुछ कॉमन लक्षण भी मौजूद हैं: [१५] [१६]
    • बहुत ज्यादा उदासी या मायूसी फील होना। मैनिक एपिसोड्स में होने वाली खुशी या एक्साइटमेंट की भावना की तरह ही इन भावनाओं के पीछे की भी कोई वजह नहीं समझ आएगी। वो इंसान शायद आशाहीन या नाकामी महसूस करेगा, फिर चाहे आप उसे हौसला देने की कितनी भी कोशिश क्यों न करें।
    • ऐन्हीडोनिया (Anhedonia)। ये इस बात को कहने का एक फैंसी तरीका है, कि वो इंसान अब उन चीजों में रुचि या खुशी नहीं दिखाता है, जिसे वो पहले करने में आनंद लेता था। सेक्स ड्राइव भी अब कम हो गई होगी।
    • थकावट। डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के लिए हर वक़्त थकान महसूस करना एकदम कॉमन है। वो अक्सर दर्द या जकड़न फील होने की बात भी कह सकता है।
    • सोने की आदतों में गड़बड़ होना। डिप्रेशन के साथ, किसी इंसान की सोने की “नॉर्मल” आदतें किसी वजह से बिगड़ जाती हैं। कुछ लोग कम सोएँगे, लेकिन कुछ लोग बहुत ज्यादा सोने लगेंगे। किसी भी तरह से, उनके सोने की आदतें अब उनकी “नॉर्मल” आदतों से काफी बदल चुकी होंगी।
    • भूख में बदलाव। डिप्रेशन से जूझ रहा इंसान वेट लॉस या वेट गेन फील कर सकता है। वो या तो बहुत ज्यादा खाएँगे या फिर जरूरत के हिसाब से भरपूर नहीं खाएगा। ये उस इंसान की नॉर्मल आदतों के हिसाब से अलग भी हो सकते हैं और उसके लिए जो “नॉर्मल” है, उसके हिसाब से बदलाव को दर्शाता है।
    • ध्यान लगाने में मुश्किल होना। डिप्रेशन, किसी भी चीज़ पर फोकस कर पाना या एक छोटा सा भी फैसला करना मुश्किल बना देता है। एक इंसान डिप्रेसिव एपिसोड्स फील करते वक़्त लगभग पैरालाइज्ड सा महसूस कर सकता है।
    • सुसाइडल (आत्महत्या) विचार या एक्शन। ऐसा न मान कर चलें, कि सुसाइडल विचारों को पेश करना या बस उसके बारे में सोचना “सिर्फ अपनी तरफ ध्यान खींचने” का एक तरीका होता है। बाइपोलर डिसऑर्डर वाले इंसान के लिए सुसाइड सच में बहुत बड़ा खतरा होता है। अगर आपका कोई परिचित सुसाइडल ख़यालों को व्यक्त करता है या इसे करने की कोशिश करता है, तो फौरन इमरजेंसी सर्विसेज को कॉल करके इसके बारे में जानकारी दे दें।
  5. डिसऑर्डर के बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की कोशिश करें: वैसे आपने इस लेख की तरफ ध्यान देकर, पहले ही एक अच्छा कदम उठा लिया है। आप बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में जितना भी ज्यादा जानेंगे, आप अपने करीबी लोगों को उतना ही अच्छी तरह से सपोर्ट कर पाएंगे। नीचे आपके लिए ध्यान में देने के लायक कुछ रिसोर्सेज दिए हुआ हैं: [१७] [१८]
    • द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ (The National Institute of Mental Health) बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में जानकारी इकट्ठा करने, इसके लक्षणों को पहचानने, इसके पीछे की वजह को समझने, इसके ट्रीटमेंट के ऑप्शन को जनने और इस बीमारी के साथ में रहने के तरीके को जानने के लिए सबसे अच्छी जगह है। [१९]
    • द डिप्रेशन एंड बाइपोलर सपोर्ट अलायंस (The Depression and Bipolar Support Alliance) बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे इंसान के लिए और उसके करीबी लोगों के लिए रिसोर्सेज ऑफर करता है। [२०]
    • मार्या हॉर्नबेचर की मेमोइर (जीवनी) Madness: A Bipolar Life में लेखक के द्वारा उसके बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझने की पूरी कहानी का उल्लेख किया गया है। डॉ. के रेडफ़ील्ड जेमिसोन की मेमोइर (Dr. Kay Redfield Jamison) An Unquiet Mind इसमें एक ऐसे साइंटिस्ट की लाइफ का बयान किया गया है, जिसे भी बाइपोलर डिसऑर्डर था। वैसे तो हर एक इंसान के एक्सपीरियंस उनके लिए एकदम अलग हैं, ये बुक्स आपको ये समझने में मदद करेंगी, कि आपका कोई करीबी किस स्थिति से गुजर रहा है।
    • डॉ. फ्रेंक मोंडिमोर (Dr. Frank Mondimore) की Bipolar Disorder: A Guide for Patients and Families, आपके करीबी की (और आपकी भी) केयर करने के तरीके के बारे में बखान करती है।
    • डॉ. डेविड जे.माईक्लोविज (Dr. David J.Miklowitz) की The Bipolar Disorder Survival Guide बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों की और उनके करीबियों के द्वारा इस बीमारी को मेनेज करने में मदद करती है।
    • मेरी एलन कोपलेंड और मेथ्यू मेके (Mary Ellen Copeland and Matthew McKay) की The Depression Workbook: A Guide for Living with Depression and Manic Depression, सेल्फ-एक्सर्साइजेज़ के जरिए बाइपोलर डिसऑर्डर डाइग्नोज हुए लोगों की मूड स्टेबिलिटी को मेंटेन रखने में मदद करने के लिए तैयार हुई है।
  6. मानसिक बीमारी (मेंटल इलनेस) के बारे में मौजूद कुछ आम धारणाओं को नकारें: मेंटल इलनेस की अक्सर ही किसी इंसान के साथ कुछ तो “गड़बड़ है” बोलकर आलोचना की जाती है। इसे एक ऐसी चीज़ समझा जाता है, जिससे अगर “उसने भरपूर कोशिश की हो” या “ज्यादा पॉज़िटिव तरीके से सोचा हो,” तो उसे बस “ठीक हो ही जाना” चाहिए। [२१] असली बात ये है, कि इस तरह के विचार असल में बिलकुल भी सही नहीं हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर काफी कॉम्प्लेक्स इन्टरैक्टिंग फ़ैक्टर्स की वजह से हुआ करते हैं, जिनमें जेनेटिक्स, ब्रेन स्ट्रक्चर, बॉडी में केमिकल इम्बेलेंस और सोशिओकल्चरल प्रैशर शामिल हैं। [२२] बाइपोलर डिसऑर्डर हुआ इंसान इस डिसऑर्डर को होने से ऐसे ही नहीं “रोक” सकता है। हालांकि, बाइपोलर डिसऑर्डर ट्रीट हो सकता है। [२३]
    • एक बार सोचकर देखें, कि आप उस इंसान से किस तरीके से बात करेंगे, जिसे कैंसर जैसी कोई बीमारी हुई हो। क्या आप उस इंसान से ऐसा पूछेंगे, कि “क्या आपने कभी खुद को कैंसर न होने से बचाने की कोशिश नहीं की?” ठीक इसी तरह से बाइपोलर डिसऑर्डर हुए किसी इंसान से “और कोशिश करो” कहना, एकदम गलत है। [२४]
    • एक और गलत धारणा ये है, कि बाइपोलर बहुत कम होता है। असल में, दुनिया भर में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो किसी न किसी तरह के बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। [२५] यहाँ तक कि काफी सारे फ़ेमस लोगो ने भी अपने बाइपोलर डिसऑर्डर के डाइग्नोज होने की बात रखी है। [२६] [२७]
    • एक और आम धारणा ये है, कि मैनिक या डिप्रेसिव मूड एपिसोड्स बिलकुल “नॉर्मल” हैं या ये अच्छी बात हैं। वैसे तो ये बात एकदम सच है, कि हर किसी का कोई दिन अच्छा जाता है, तो कोई दिन बुरा, बाइपोलर डिसऑर्डर की वजह से मूड में ऐसा बदलाव आता है, जो कि बहुत ज्यादा उग्र होता है और कॉमन “मूड स्विंग्स (mood swings)” या “बुरे दिन (off days)” को बर्बाद करता है। ये किसी भी इंसान की डेली लाइफ में खासतौर की गड़बड़ ला देता है।
    • स्किट्सफ्रीनीया (schizophrenia) और बाइपोलर डिसऑर्डर के बीच में कनफ्यूज होने की भी कॉमन मिस्टेक की जाती है। भले ही इन दोनों के कुछ लक्षण (जैसे कि डिप्रेशन) एक-जैसे क्यों न हों, लेकिन तब भी ये दोनों एक ही बीमारी नहीं बन जाती हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर को मुख्य रूप से इंटेन्स मूड एपिसोड्स के बीच से परखा जाता है। स्किट्सफ्रीनीया में मतिभ्रम (हलूसनैशन, hallucinations), डिलूश़न (delusions, आभाष) और बेतरतीब बातों जैसे लक्षण देखे जाते हैं, जो आमतौर पर बाइपोलर डिसऑर्डर में नहीं हुआ करते हैं। हालांकि स्किट्सोअफेक्टिव डिसऑर्डर हुए इंसान का इन दोनों ही लक्षणों का महसूस किया जाना भी संभव है। [२८]
    • ज़्यादातर लोग ऐसा मानते हैं, कि बाइपोलर डिसऑर्डर या डिप्रेशन वाला इंसान, दूसरे इन्सानों के लिए खतरनाक होता है। असल में न्यूज़ मीडिया भी इसी तरह के विचारों को सपोर्ट करती है। लेकिन असली में, रिसर्च से ऐसा मालूम हुआ है, कि बाइपोलर डिसऑर्डर हुआ इंसान, बिना डिसऑर्डर के इंसान से कम ही हिंसक काम करता है। हालांकि, बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझने वाला इंसान सुसाइड करने या उसके बारे में ज्यादा सोच सकता है। [२९]
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपने करीबी के साथ बात करना

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  1. कुछ लोग कभी-कभी खुद के बारे में डिस्क्राइब करते वक़्त, मज़ाक में ऐसा कह देते हैं, कि वो “जरा से बाइपोलर” या “स्किट्सो (schizo)” है, जबकि उन्हें किसी तरह की मेंटल इलनेस के लिए डाइग्नोज भी नहीं किया गया होता। गलत होने के साथ ही, इस तरह की भाषा बाइपोलर डिसऑर्डर हुए इंसान के सारे एक्सपीरियंस को ही निरर्थक बना देती है। मेंटल इलनेस के बारे में डिस्कस करते वक़्त रिस्पेक्ट से पेश आएँ। [३०]
    • ये याद रखना भी जरूरी है, कि लोग उनकी बीमारी के बारे में ऐसा कुछ सुनना नहीं पसंद करते हैं। इसलिए “मुझे लगता है, कि तुम बाइपोलर हो,” जैसे वाक्यों का यूज मत करें। इसकी जगह पर कुछ ऐसा बोलें, कि “मुझे लगता है, कि तुमको बाइपोलर डिसऑर्डर हो सकता है।” [३१]
    • किसी को उसकी बीमारी “से” पेश करना, उन्हें अपनी इन्सल्ट की तरह लगता है। इसकी वजह से इस कलंक को बढ़ावा मिलता है, कि सभी अक्सर मानसिक बीमारी से घिरे रहते हैं, फिर चाहे आपके कहना का मतलब ये न भी हो।
    • किसी इंसान को “मैं भी जरा-सा बाइपोलर हूँ” कहकर उसे अच्छा फील कराने की आपकी कोशिश, उनका कुछ अच्छा करने के बजाय, इसे और भी बदतर बना देगी। इस तरह की बातें उस इंसान को ऐसा फील कराएंगी, जैसे कि आप उनकी बीमारी को सीरियसली नहीं ले रहे हैं।
  2. अपने उस प्यारे इंसान के साथ में अपनी चिंता के बारे में बात करें: हो सकता है, कि आप अपने करीबी इंसान को दुख पहुंचा देने के डर से, उससे बातें करने में हिचकिचा रहे हों। लेकिन असल में अपने उस करीबी इंसान के साथ में अपनी चिंताओं के बारे में बात करना, काफी मददगार और जरूरी होता है। मेंटल इलनेस के बारे में बात नही करना, उसके बारे में गलत धारणाओं को फैलाने का काम करता है और शायद ये उस इंसान को अपने डिसऑर्डर को गलत तरीके से लेने, और ऐसा भरोसा दिलाने के लिए प्रेरित कर दें, कि वो “बुरे हैं” या “वो किसी काम के नहीं” या उन्हें अपनी बीमारी को लेकर शर्मिंदा होना चाहिए। जब आप आपके करीबी इंसान के पास जाएँ, तब एकदम ओपन और ऑनेस्ट (ईमानदार) रहें और उनकी तरफ अपना प्यार भी दिखाएँ। [३२]
    • उस इंसान को भरोसा दें, कि वो अकेला नहीं है। बाइपोलर डिसऑर्डर किसी भी इंसान को एकदम अकेला फील करा सकता है। अपने उस करीबी इंसान को बताएं, कि आप हमेशा उसके साथ हैं और आप उसे पूरी तरह से सपोर्ट करने को तैयार हैं।
    • इस बात को स्वीकार करें, कि आपके करीबी इंसान की बीमारी असली है। अपने उस प्यारे इंसान के लक्षणों को कम करने की कोशिश से उसे बेहतर नहीं महसूस होने लग जाएगा। इसकी जगह पर, उस इंसान से ऐसा कहने की कोशिश करें, कि बीमारी होना “कोई बहुत बड़ी बात नहीं है,” उसे इस बात का अहसास दिलाएँ, कि उसकी कंडीशन सीरियस है, लेकिन उसका इलाज़ हो सकता है। जैसे कि: “मुझे मालूम है, कि तुम्हें सच में बीमारी है और इसकी वजह से तुम ऐसी कुछ चीज़ें भी करते हो, या ऐसा फील करते हो, जो असल में तुम हो ही नहीं। हम दोनों मिलकर इसके लिए मदद की तलाश करेंगे।”
    • उस इंसान तक अपना प्यार और अपनापन पहुंचाएँ। खासतौर पर डिप्रेसिव एपिसोड्स के दौरान, उस इंसान को ऐसा लग सकता है, कि वो एकदम किसी काम का नहीं है या बिगड़ा हुआ है। उस इंसान की ओर अपना प्यार और अपनापन दिखाते हुए, उसके इन नेगेटिव विचारों को खत्म करें। जैसे कि: “मैं तुम से प्यार करता/करती हूँ और तुम मेरे लिए बहुत मायने रखते हो। मैं तुम्हारी परवाह करता/करती हैं और इसीलिए मैं तुम्हारी मदद करना चाहता/चाहती हूँ।”
  3. अपनी फीलिंग्स को उस तक पहुंचाने के लिए “मैं (I)” स्टेटमेंट्स का यूज करें: जब दूसरे इंसान से बात कर रहे हों, तब आपका ऐसा अहसास दिलाना जरा मुश्किल हो जाता है, कि आप आपके उस करीबी पर हमला नहीं बोल रहे हैं, या न ही उसे जज कर रहे हैं। मेंटल इलनेस से जूझने वाले लोग शायद ऐसा फील कर सकते हैं, कि सारा जहान उनके खिलाफ है। इसी वजह से आपका ये दिखाना जरूरी हो जाता है, कि आप आपके करीबी के ही साइड हैं।
    • उदाहरण के लिए, उससे ऐसा कुछ बोलकर देखें, “मैं तुम्हारी परवाह करता हूँ और मैंने जो कुछ भी देखा है, उसकी वजह से मैं बहुत चिंता में हूँ।”
    • ऐसे कुछ स्टेटमेंट्स हैं, जो काफी डिफ़ेंसिव (रक्षात्मक) लग सकते हैं। आपको उन्हें अवॉइड करना चाहिए। उदाहरण के लिए, ऐसी कुछ बातें बोलने से बचें, “मैं तुम्हारी मदद करने की कोशिश कर रहा हूँ” या “तुम्हें मुझे सुनना होगा।”
  4. आप शायद आपके करीबी इंसान की हैल्थ के बारे में चिंता कर सकते हैं और उन्हें “किसी भी तरह से” मदद पहुंचाने की पुष्टि करने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि, आपको कभी भी डराने, धमकाने, “गिल्ट महसूस कराने,” या फिर मदद की तलाश करने के लिए किसी दूसरे इंसान को दोषी ठहराने से बचना चाहिए। ये सिर्फ उस इंसान के इस भरोसे को और भी मजबूत बना देंगे, कि आपको उनमें कुछ “गड़बड़” नजर आती है। [३३]
    • “तुम मेरी चिंता बढ़ा रहे हो” या “तुम्हारा बर्ताव बहुत बेकार है” जैसे स्टेटमेंट्स को बोलना अवॉइड करें। ये बातें दोषी ठहराने जैसी लगती हैं और शायद ये दूसरे इंसान को नीचा भी दिखा सकती हैं।
    • ऐसे स्टेटमेंट्स, जो दूसरे इंसान में दोष की भावना लाने की कोशिश करते हों, ये आपकी कोई मदद नहीं कर सकेंगे। जैसे कि, “अगर तुम सच में मुझे प्यार करते हो, तो तुम मदद की तलाश करोगे” या “एक बार सोचो जरा तुम हमारी फैमिली के साथ में क्या कर रहे हो,” जैसी कुछ बातें बोलकर, रिश्तों का नाजायज फायदा उठाने की कोशिश मत करें। बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे इंसान अक्सर ही शर्म और नाकामी की भावनाओं से जूझ रहे होते हैं और इस तरह की बातें उनकी इन भावनाओं को और भी बदतर बना देती हैं।
    • धमकाना अवॉइड करें। आप किसी को भी आपके मन का करने के लिए नहीं फोर्स कर सकते हैं। उससे कुछ ऐसा बोलना, “अगर तुम अपने लिए मदद नहीं खोज रहे हो, तो मैं तुम्हें छोड़कर जाने वाला/वाली हूँ” या “तुम अगर अपने लिए मदद की नहीं करोगे, तो मैं तुम्हारी कार के लिए पे करना बंद कर दूंगा/दूँगी,” ये सिर्फ उस इंसान को स्ट्रेस में डाल देगा और स्ट्रेस की वजह से सीरियस मूड एपिसोड्स हो सकते हैं।
  5. कुछ लोगों को इस बात को मानने में न जाने क्या तकलीफ होती है, कि उन्हें कोई परेशानी है। जब कोई बाइपोलर इंसान मैनिक एपिसोड्स एक्सपीरियंस करता है, तब वो खुद में कोई परेशानी होने वाली बात को मानने में तकलीफ के चलते काफी ज्यादा “हाइ” फील करता है। जब भी कोई इंसान डिप्रेसिव एपिसोड्स एक्सपीरियंस कर रहा होता है, तब वो ऐसा तो समझ जाता है, कि कुछ न कुछ गड़बड़ है, लेकिन वो इसके इलाज़ के लिए मौजूद किसी भी आशा को नहीं देख पाता है। [३४] आप आपकी चिंता को मेडिकल कंसर्न की तरह पेश कर सकते हैं, जिससे शायद आपको मदद मिले।
    • उदाहरण के लिए, आप चाहें तो बाइपोलर डिसऑर्डर के एक बीमारी होने के विचार को, डाइबिटीज़ या कैंसर की तरह ही बार-बार दोहरा सकते हैं। ठीक वैसे ही, जैसे कि आप उस इंसान को कैंसर के लिए ट्रीटमेंट लेने के लिए प्रेरित करेंगे, उसी तरह से आपको उन्हें इस डिसऑर्डर के लिए भी ट्रीटमेंट तलाशने के लिए प्रेरित करना है।
    • अगर वो इंसान अभी भी उसमें किसी परेशानी के होने की बात को नकार रहा है, फिर आप उसे “डिसऑर्डर” के लिए नहीं, बल्कि उसके द्वारा महसूस किए हुए लक्षणों के लिए किसी एक डॉक्टर के पास जाने की सलाह दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप पाएंगे, कि उस इंसान को अनिद्रा या थकावट के लिए डॉक्टर के पास जाने की सलाह देना, उसके लिए मदद की तलाश करने में ज्यादा मददगार रहेगा।
  6. उस इंसान को आपके साथ में उसकी फीलिंग्स और एक्सपीरियंस को शेयर करने को प्रोत्साहित करें: आपके द्वारा अपने करीबी इंसान के साथ में उसकी हैल्थ के लिए की जाने वाली बातों से बड़ी आसानी से ऐसा लग सकता है, जैसे आप उसे उपदेश दे रहे हैं। ऐसा होना अवॉइड करने के लिए, अपने उस करीबी इंसान को आपके साथ में उसकी फीलिंग या विचारों को शेयर करने को इन्वाइट करें। याद रखें: हो सकता है, कि आप इस इंसान के डिसऑर्डर के कारण प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन ये आपके बारे में नहीं है। [३५]
    • उदाहरण के लिए, एक बार जब आप अपने विचारों को उसके साथ में शेयर कर लेते हैं, फिर उससे कुछ ऐसा बोलें, “तुम अभी जो भी सोच रहे हो, क्या तुम उसे मेरे साथ में शेयर करना चाहोगे?” या “अब जबकि तुमने दिल की बात को सुन ही लिया है, तो अब बताओ तुम्हारा क्या मानना है?”
    • ऐसा मत मान लें, कि आपको उस इंसान की फीलिंग्स मालूम हैं। आपके लिए एक दिलासा देने के लिए, ऐसा बोलना, कि “मुझे मालूम है, तुम कैसा फील कर रहे हो” कहना आसान है, लेकिन असल में, ये बोलने में ज्यादा अच्छा नहीं लगता है। इसकी जगह पर कुछ ऐसा कहें, जिससे ऐसा लगे, कि आप उस इंसान की फीलिंग्स को स्वीकार रहे हैं, वो भी उन्हें अपना बनाए बिना, जैसे कि: “मुझे समझ आ रहा है, कि आखिर क्यों तुम इतना बुरा फील कर रहे हो।”
    • अगर आपका वो करीबी फ्रेंड अभी भी उसमें कोई गड़बड़ होने की बात को स्वीकार करने से बच रहा है, तो इसके बारे में बहस न करें। आप आपके उस करीबी इंसान को ट्रीटमेंट लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, लेकिन आप ऐसा कर नहीं सकते।
  7. अपने उस करीबी इंसान के विचारों और फीलिंग्स को “नकली” या ध्यान देने लायक नहीं समझकर खारिज मत करें: फिर चाहे उसकी फीलिंग, डिप्रेसिव एपिसोड्स की वजह से बिना काम की ही क्यों न लग रही हो, लेकिन ये उस इंसान के लिए तो एकदम असली लगती हैं, जो इन्हें महसूस कर रहा है। उस इंसान की फीलिंग्स को एकदम नकारने की वजह से, उस इंसान के मन में अब अगली बार कभी भी आपके साथ में अपनी फीलिंग्स को नहीं शेयर करने की बात घर कर जाएगी। इसकी बजाय, उस इंसान की फीलिंग्स को सही मानें और उसी वक़्त पर उनके नेगेटिव विचारों को भी चेलेंज करें।
    • उदाहरण के लिए, अगर आपका करीबी इंसान आपके सामने इस विचार को पेश करता है, कि क्योंकि वो एक “बुरा” इंसान हैं, इसी वजह से कोई भी उससे प्यार नहीं करता है, तो उससे कुछ ऐसा कहें: “मुझे मालूम है, कि तुमको ऐसा फील हो रहा है और मुझे माफ कर दो, जो तुम इस तरह से फील कर रहे हो। मैं बस तुम्हें ये बताना चाहता/चाहती हूँ, कि मैं तुमसे प्यार करता/करती हूँ और मुझे लगता है, कि तुम एक बहुत अच्छे और केयरिंग इंसान हो।”
  8. अपने उस करीबी इंसान को एक स्क्रीनिंग टेस्ट (screening test) लेने को प्रेरित करें: मैनिया और डिप्रेशन, ये दोनों ही बाइपोलर डिसऑर्डर के पक्के सबूत होते हैं। द डिप्रेशन एंड बाइपोलर सपोर्ट अलायन्स (The Depression and Bipolar Support Alliance) की वेबसाइट फ्री, कोन्फिडेंशियल ऑनलाइन मैनिया और डिप्रेशन के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट ऑफर करती है। [३६]
    • किसी के घर में ही बैठकर, एक कोन्फिडेंशियल टेस्ट लेना, उस इंसान के द्वारा इलाज की जरूरतों को समझने का सबसे कम-स्ट्रेस वाला तरीका होता है।
  9. बाइपोलर डिसऑर्डर एक बहुत सीरियस बीमारी है। इसका इलाज़ न होने पर, यहाँ तक कि डिसऑर्डर का एक छोटा सा फॉर्म भी बहुत बदतर बन सकता है। अपने उस प्यारे करीबी इंसान को फौरन ही इलाज की तलाश लेने के लिए प्रेरित करें। [३७]
    • एक जनरल प्रैक्टिसनर के पास जाना, आमतौर पर पहला कदम माना जाता है। [३८] एक फिजीशियन ये तय कर सकता है, कि उस इंसान को एक साइकेट्रिस्ट के पास भेजना है या फिर एक मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल के पास।
    • एक मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल आमतौर पर साइकोथेरेपी को ट्रीटमेंट प्लान के ही एक भाग के तौर पर ऑफर किया करते हैं। ऐसे काफी सारे मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल हैं, जो थेरेपी ऑफर करते हैं, जिनमें साइकेट्रिस्ट, साइकोलोजिस्ट, साइकेट्रिक नर्सेस, लाइसेन्स्ड क्लीनिकल सोशल वर्कर्स और लाइसेन्स्ड प्रोफेशनल काउन्सलर शामिल हैं। अपने डॉक्टर या हॉस्पिटल से आपके एरिया में मौजूद लोगों को रेकमेंड करने का कहें। [३९]
    • अगर ऐसा मालूम होता है, कि मेडिकेशन लेना जरूरी है, आपका करीबी फ्रेंड एक फिजीशियन, साइकेट्रिस्ट, एक साइकोलोजिस्ट के पास जा सकता है, जिसके पास में मेडिकेशन प्रिस्क्राइब करने का लाइसेन्स हो या प्रिस्क्रिप्शन को लेने वाली साइकेट्रिक नर्स हो। LCSWs और LPCs थेरेपी तो ऑफर कर सकते हैं, लेकिन ये मेडिकेशन प्रिस्क्राइब नहीं कर सकते हैं। [४०]
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपने प्यारे करीबी इंसान को सपोर्ट करना

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  1. इस बात को समझें, कि बाइपोलर डिसऑर्डर एक ज़िंदगी भर तक चलने वाली बीमारी है: मेडिकेशन और थेरेपी का एक कोंबिनेशन, आपके करीबी इंसान को काफी लाभ पहुंचा सकता है। इलाज़ के साथ, बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझने वाले ज़्यादातर लोगों ने उनके फंक्शन में और उनके मूड काफी हद तक सुधार आते हुए पाया है। हालांकि, बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए किसी भी तरह का “इलाज़” नहीं मौजूद है और इसके लक्षणों को भी जिंदगीभर आते हुए देखा जा सकता है। आप बस अपने करीबी इंसान के साथ धैर्य बनाकर बने रहें। [४१]
  2. खासतौर पर, डिप्रेसिव एपिसोड्स के दौरान, बाइपोलर डिसऑर्डर वाले इंसान को सारी दुनिया ही एक बोझ की तरह लगने लग सकती है। उस इंसान से पूछें, कि ऐसा क्या है, जिससे उसे अच्छा फील होगा। और अगर आपको अपने करीबी इंसान को अच्छा फील कराने के लिए कुछ भी समझ आ रहा है, तो आप उसे कुछ खास सलाह भी दे सकते हैं। [४२]
    • उदाहरण के लिए, आप उससे कुछ ऐसा भी बोलकर देख सकते हैं, कि “ऐसा लग रहा है, कि तुम इस वक़्त बहुत ज्यादा स्ट्रेस फील कर रहे हो। अगर मैं तुम्हारे बच्चों की देखभाल कर लूँ और तुम्हें शाम का सारा वक़्त सिर्फ ‘तुम्हारे लिए’ छोड़ दूँ, तो क्या इससे तुम्हें कोई मदद मिलेगी?”
    • अगर वो इंसान बहुत ज्यादा डिप्रेशन फील कर रहा है, तो उसे कुछ अच्छा सा डिस्ट्रेक्शन ऑफर करें। बस इसलिए क्योंकि वो इंसान बीमार है, उसे ऐसे न ट्रीट करें, जैसे कि आप उसके करीब नहीं जा सकते हैं। अगर आप अपने करीबी इंसान को डिप्रेसिव लक्षणों (जिन्हें इस लेख में हर जगह दर्शाया गया है) की वजह से स्ट्रगल करता हुआ पाते हैं, तो उससे ऐसा कुछ बोलकर देखें, फिर इसे बहुत बड़ा मुद्दा मत बना लें। “मैंने देखा, कि तुम इस हफ्ते बहुत बुरा फील कर रहे हो। क्या तुम मेरे साथ मूवी देखने चलना चाहोगे?”
  3. अपने करीबी इंसान के लक्षणों के ऊपर नजर बनाकर रखने और उनका ट्रेक रखने से कई तरीकों से मदद मिल सकती है। पहला तो, ये आपको आपके करीबी इंसान के मूड एपिसोड्स के लिए एक वार्निंग साइन की तरह काम करेगा। ये किसी फिजीशियन या मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल के लिए बहुत मददगार जानकारी भी दे सकता है। साथ ही ये आपको मैनिक या डिप्रेसिव एपिसोड्स के लिए मुमकिन ट्रिगर्स को भी समझने में मदद करेगा। [४३] [४४]
    • मैनिक के लिए वार्निंग साइंस में, ये शामिल हैं: कम सोना, हमेशा “हाइ” या एक्साइट होने लायक फील होना, ज्यादा इरिटेट होने लगना, बेचैनी,, और उस इंसान के एक्टिविटी लेवल में बढ़ोत्तरी होना।
    • डिप्रेशन के वार्निंग साइन में ये शामिल हैं: थकावट, सोने की आदतों में गड़बड़ (ज्यादा या कम सोने लगना), ध्यान लगाने या फोकस करने में तकलीफ, उसके द्वारा पहले एंजॉय की जाने वाली चीजों में दिलचस्पी की कमी आना, और भूख में बदलाव।
    • द डिप्रेशन एंड बाइपोलर सपोर्ट अलायंस (The Depression and Bipolar Support Alliance) का लक्षणों को ट्रेक करने का पर्सनल केलेंडर है। ये आपके लिए और आपके करीबी लोगों के लिए मददगार साबित हो सकता है। [४५]
    • मूड एपिसोड्स के कॉमन ट्रिगर्स में, स्ट्रेस, सब्सटेन्स अब्यूस (मादक पदार्थों का सेवन) और नींद की कमी शामिल हैं। [४६]
  4. अपने उस प्यारे इंसान से पूछें, कि उसने अपनी दवाइयाँ ली हैं या नहीं: कुछ लोगों को इस तरह के जेंटल रिमांडर से मदद मिलती है, खासकर कि उस वक़्त, जब वो मैनिक एपिसोड्स एक्सपीरियंस कर रहे होते हैं, जिसमें वो शायद चंचल या सब-कुछ भूलने लग जाते हैं। वो इंसान ये भी मानता है, कि बेहतर फील कर रहा है और इसलिए दवाइयाँ लेना बंद कर दो। अपने प्रियजन को ट्रैक पर बने रहने में मदद करें, लेकिन दोष मड़ने जैसे भी न बनें। [४७] [४८]
    • उदाहरण के लिए, “क्या तुमने अपनी आज की दवाइयाँ ले ली?” जैसा एक जेंटल स्टेटमेंट भी ठीक रहेगा।
    • अगर आपका वो करीबी इंसान कहता है, कि वो बेहतर फील कर रहा है, तो आपको उसे दवाइयों के लाभ के बारे में याद दिलाना होगा: “मुझे ये सुनकर बहुत अच्छा लग रहा है, कि तुम अब बेहतर फील करने लगे हो। मुझे लगता है, कि ये तुम्हारी दवाइयों का ही कमाल है। लेकिन अगर वो काम कर रही हैं, तो फिर उन्हें ऐसे बीच में छोड़ना भी ठीक नहीं होगा, है न?”
    • दवाइयों को अपना काम शुरू करने में कई हफ्तों तक का वक़्त भी लग सकता है, इसलिए अगर आपके उस करीबी इंसान के लक्षणों में कोई सुधार आता हुआ नजर नहीं आए, तो आप धैर्य रखें। [४९]
  5. रेगुलरली प्रिस्क्राइब की हुई दवाइयाँ लेने और थेरेपिस्ट से मिलने जाने के साथ ही, फिजिकली एक्टिव रहना भी बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। [५०] बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में मोटापा बढ़ने के ज्यादा रिस्क होता है। [५१] अपने उस करीबी इंसान को सही तरीके से, अच्छा खाने, मोडरेट एक्सर्साइज़ करने और सोने के लिए एक शेड्यूल बनाने के लिए प्रेरित करें।
    • बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोग अक्सर उनके खानपान की गलत आदतों की बात करते हैं, जिसमें रेगुलर मील्स न खाना या अनहैल्दी फूड खाना, शामिल है, जो शायद उनके बीमार होने के बाद हुई इनकम की कमी की वजह से ऐसा होता हो। [५२] अपने उस करीबी इंसान को फ्रेश फ्रूट्स, वेजिटेबल्स, बीन्स और होल ग्रेन्स जैसे कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स और लीन मीट और फिश वाली एक बैलेंस डाइट लेने को प्रेरित करें। [५३]
      • ओमेगा-3 फेटी एसिड्स (omega-3 fatty acids) लेने से बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों के ऊपर कुछ मदद मिल सकती है। कुछ स्टडीज़ से ऐसा मालूम होता है, कि ओमेगा-3 खाने से, खासकर कि वो वाले जो ठंडे पानी की फिश में मिलते हैं, ये डिप्रेशन को कम करने में मदद करते हैं। सैल्मन (salmon) और ट्यूना (tuna) जैसी फिश, और अखरोट (walnuts) और फ्लैक्सीड (flaxseed) जैसे वेजिटेरियन फूड्स ओमेगा-3 के अच्छे सोर्स होते हैं। [५४]
      • अपने उस करीबी इंसान को बहुत ज्यादा कैफीन लेना अवॉइड करने के लिए प्रेरित करें। बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में कैफीन कुछ अनचाहे लक्षणों को ट्रिगर कर सकती है। [५५]
    • अपने उस करीबी इंसान को बहुत ज्यादा अल्कोहल लेना अवॉइड करने के लिए प्रेरित करें। बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोग, बिना डिसऑर्डर वाले बाकी के लोगों कि तुलना में पाँच गुना ज्यादा अल्कोहल लेने और दूसरे सब्सटेन्स लिया करते हैं। अल्कोहल एक डिप्रेसन्ट (depressant) है और ये मेजर डिप्रेसिव एपिसोड्स को ट्रिगर कर सकता है। इसके अलावा ये कुछ प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन्स के प्रभाव के बीच में भी रुकावट डाल सकता है। [५६]
    • रेगुलर मोडरेट एक्सर्साइज़, खासकर कि एरोबिक एक्सर्साइज़, बाइपोलर डिसऑर्डर वाले इंसान के मूड और ओवरऑल फंक्शनिंग को इंप्रूव कर सकती है। [५७] [५८] [५९] अपने उस करीबी इंसान को रेगुलर एक्सर्साइज़ करने के लिए प्रेरित करना भी जरूरी होता है; बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में अक्सर एक्सर्साइज़ की आदतों में कमी देखी जाती है। [६०]
  6. बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों के फ्रेंड्स और फैमिली को अपनी खुद की भी देखभाल करने की पुष्टि भी करना चाहिए। अगर आप खुद ही परेशान हैं या स्ट्रेस में हैं, तो ऐसे में आप आपके करीबी इंसान को सपोर्ट नहीं कर सकेंगे।
    • स्टडीज़ से मालूम हुआ है, कि अगर आपके करीबी इंसान स्ट्रेस में हैं, तो बाइपोलर डिसऑर्डर वाले इंसान को अपने ट्रीटमेंट प्लान के साथ में बने रहने में और भी ज्यादा तकलीफ होती है। अपनी खुद की देखभाल करना भी सीधे तौर पर आपके करीबी इंसान की मदद करता है। [६१]
    • एक सपोर्ट ग्रुप भी शायद आपको आपके करीबी इंसान की बीमारी का सामना करने के बारे में काफी कुछ सिखा सकता है। द डिप्रेशन एंड बाइपोलर सपोर्ट अलायंस (The Depression and Bipolar Support Alliance) एक ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप [६२] और लोकल पीर (peer) सपोर्ट ग्रुप्स ऑफर करता है। [६३] द नेशनल अलायंस ऑन मेंटल इलनेस (The National Alliance on Mental Illness) पर भी कई तरह के प्रोग्राम हैं। [६४]
    • पुष्टि करें, कि आप भी भरपूर नींद ले रहे हैं, अच्छा खा रहे हैं और रेगुलर एक्सर्साइज़ कर रहे हैं। इस तरह की हैल्दी आदतें, आपके उस करीबी इंसान को भी हैल्दी बने रहने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। [६५]
    • अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए भी कुछ करें। अपनी लिमिट्स को समझें और जरूरत पड़ने पर किसी और से मदद लेने से भी न कतराएँ। आप मेडिटेशन या योगा जैसी एक्टिविटीज़ को भी चिंता वाली फीलिंग्स को कम करने में मदद करती हैं।
  7. सुसाइड बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों के लिए सुसाइड (आत्महत्या) का ख्याल एक बहुत ही वास्तविक जोखिम होता है। बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोग, बहुत ज्यादा डिप्रेशन वाले लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा सुसाइड करने के बारे में सोचा करते हैं। अगर आपका करीबी इंसान सुसाइड करने के जैसा कुछ करता है, फिर भले ही वो ऐसे ही क्यों न कर रहा हो, फौरन मदद की तलाश करें। इस तरह के विचारों या एक्शन को सीक्रेट रखने का वादा न करें। [६६] [६७]
    • अगर वो इंसान किसी नुकसान के खतरे में नजर आ रहा है, तो फौरन इमरजेंसी सर्विसेज को कॉल करके इसकी जानकारी दें। [६८]
    • अपने उस करीबी इंसान को (9133) 24744704/ 2413339999 जैसी सुसाइडल प्रिवेंशन हॉटलाइन (suicide prevention hotline) पर फ़ोन करने की सलाह दें। [६९]
    • उस इंसान को भरोसा दिलाएँ, कि आप उससे प्यार करते हैं और आपका मानना है, कि उसकी लाइफ भी मायने रखती है, फिर भले वो इंसान अभी इस तरह से न भी क्यों न सोच पा रहा हो।
    • अपने उस करीबी इंसान को किसी खास तरीके से न सोचने की बात न कहें। फीलिंग्स असली हुआ करती हैं और वो उन्हें नहीं बदल सकता। इसकी जगह पर, उन बातों की तरफ ध्यान दें, जिन्हें वो काबू में कर सकता है। जैसे कि: “मुझे मालूम है, कि ये तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है और मैं ये जानकर भी खुश हूँ, कि तुम मुझ से इस बारे में बात कर रहे हो। मुझ से बात करो। मैं हूँ तुम्हारे साथ।”

सलाह

  • बाइपोलर डिसऑर्डर, ठीक दूसरी मेंटल इलनेस की तरह ही, इसमें किसी भी इंसान की कोई गलती नहीं होती है। न ही आपके करीबी इंसान का इसमें कोई हाँथ होता है। न आपका। अपने और अपने उस करीबी इंसान के साथ में प्रेम और लगाव के साथ पेश आएँ।
  • हर एक बात को इसी बीमारी से न जोड़ दें। आपके लिए अपने करीबी इंसान की बीमारी की देखभाल करते-करते उसका बहुत ज्यादा खयाल रखने लगना या हर एक बात को उसकी बीमारी से जोड़ने लग जाना एक आम बात है। याद रखें, आपके लिए, आपका वो करीबी, इस बीमारी से कहीं ऊपर है। उसकी भी अपनी हॉबीज, पैशन्स और फीलिंग्स हैं। मजे करें और अपने उस करीबी इंसान को भी अपनी लाइफ को जीना सिखाएँ।
  • आप आपके या आपके करीबी इंसान के लिए, एक काउन्सलर भी तलाश सकते हैं।

चेतावनी

  • बाइपोलर लोगों के साथ में सुसाइड का खतरा बना रहता है। अगर आपका कोई फ्रेंड या फैमिली मेम्बर इस कंडीशन के साथ रह रहा है और सुसाइड के बारे में बातें करने लगा है, तो उन्हें सीरियसली लें और फौरन साइकेट्रिक अटेन्शन की तलाश करें।
  • अगर आप से हो सके, तो मुश्किल हालात में, पुलिस को बुलाने से पहले, एक हैल्थ केयर प्रोफेशनल को या सुसाइडल प्रिवेंशन हॉटलाइन को कॉल करें। ऐसे कुछ मामले हैं, जिनमें किसी इंसान के मानसिक तौर पर मुश्किल हालात के पड़ने पर, पुलिस को शामिल करने की वजह से डैथ के मामले देखे गए हैं। जब भी हो सके, तो किसी ऐसे इंसान को शामिल करने की पुष्टि करें, जिसे मेंटल हैल्थ या साइकेट्रिक क्राइसिस में सब-कुछ संभालने की ट्रेनिंग हो। [७०] [७१]

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  61. The Washington Post: Distraught People, Deadly Results - Officers often lack the training to approach the mentally unstable, experts say (USA)
  62. Police Brutality's Hidden Victims: The Disabled

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