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किसी भी एकेडेमिक रिसर्च पेपर का मेथॉडॉलॉजी सेक्शन आपको अपने रीडर्स को यह समझाने का मौका देता है कि आपकी रिसर्च उपयोगी है और आपके रिसर्च फील्ड में योगदान देगी। एक इफेक्टिव रिसर्च मेथॉडॉलॉजी आपकी सभी चाहे क्वालिटेटिव या क्वांटिटेटिव अप्रोच पर आधारित होती है – और आपके यूज किए गए मेथड्स को अच्छे से बताती है। अच्छे से स्पष्ट करें कि आपने दूसरों मेथड्स के मुकाबले इन मेथड्स को क्यों चुना, फिर समझाएँ कि वे मेथड्स आपकी रिसर्च के सवालों के जवाब कैसे देंगे। [१]

भाग 1
भाग 1 का 3:

अपने मेथड्स को बताना

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  1. अपने रिसर्च के मेथॉडॉलॉजी सेक्शन की शुरुआत उन प्रॉब्लम्स या सवालों को बताते हुए करें जिन्हें आप स्टडी करना चाहते हैं। अपनी हाइपोथेसिस, या अपनी रिसर्च से आप क्या प्रूफ करना चाहते हैं इसको शामिल करें। [२]
    • अपने रीस्टेटमेंट में आपके द्वारा ली गई कोई अजम्पशन या आपके द्वारा ली गई किसी कंडीशन को भी डालें। ये अजम्पशन आपके चुने हुए रिसर्च मेथड्स को भी बताएँगे।
    • आमतौर पर आप जिन वेरीयबल को टेस्ट करेंगे और जिन दूसरी कंडीशन को कंट्रोल कर रहे हैं या समान मान रहे हैं उन्हें बताएँ।
  2. आपकी ओवरऑल अप्रोच या तो क्वालिटेटिव या क्वांटिटेटिव होगी। कभी-कभी, आप दोनों अप्रोच के मिश्रण का यूज कर सकते हैं। संक्षिप्त में समझाएँ कि आपने अपनी अप्रोच को क्यों चुना। [३]
    • अगर आप मापने लायक सोशल ट्रेंड्स पर रिसर्च और लिखना, या मल्टिपल वेरीयबल पर किसी ख़ास पॉलिसी के प्रभाव का मूल्यांकन करना चाहते हैं, तो डाटा कलेक्शन और स्टैटिस्टिकल एनालिसिस पर फ़ोकस्ड क्वांटिटेटिव अप्रोच यूज़ करें।
    • अगर आप लोगों के विचार या किसी मुद्दे की समझ का मूल्यांकन करना चाहते हैं, तो ज़्यादा क्वालिटेटिव अप्रोच को चुनें।
    • आप दोनों अप्रोच को मिला भी सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप पहले मापने लायक सोशल ट्रेंड देख सकते हैं, लेकिन लोगों का इंटरव्यू और उनकी राय भी ले सकते हैं कि कैसे वह ट्रेंड उनके जीवन को प्रभावित करता है।
  3. बताएँ कि आपने डेटा को कलेक्ट या जेनेरेट कैसे किया: आपकी मेथॉडॉलॉजी का यह सेक्शन आपके रीडर्स को बताता है कि आपने कब और कहाँ अपनी रिसर्च की, और आपके रिजल्ट के सही होने को सुनिश्चित करने के लिए कौन से बेसिक पैरामीटर रखे गए थे। [४]
    • उदाहरण के लिए, अगर आप एक सर्वे करते हैं, तो आप बताएँगे कि सर्वे में शामिल प्रश्न, सर्वे कहाँ और कैसे (जैसे कि व्यक्तिगत रूप से, ऑनलाइन, फोन पर) किया गया, कितने सर्वे किए गए, और सर्वे को कम्पलीट करने में आपके उत्तरदाताओं को कितना समय लगा।
    • इतनी जानकारी डालें कि आपकी स्टडी को आपकी फील्ड में दूसरों के द्वारा दोहराया जा सके, चाहे वही रिजल्ट न मिलें जो आपको मिले थे। [५]
  4. विशेष कर सोशल साइंस में, आप उन मेथड्स को भी यूज करते हैं जो आमतौर पर यूज नहीं होते हैं, या आपकी रिसर्च प्रॉब्लम में फिट नहीं होते हैं। इन मेथड्स को और समझाने की जरुरत हो सकती है। [६]
    • क्वालिटेटिव रिसर्च मेथड्स को क्वांटिटेटिव मेथड्स के मुकाबले अधिक एक्सप्लेनेशन की जरूरत होती है।
    • बेसिक इनवेस्टिगेटिव प्रोसीजर को विस्तार से समझाने की आवश्यकता नहीं होती है। सामान्यतः, आप यह मान सकते हैं कि आपके रीडर्स को सोशल साइंटिस्ट द्वारा यूज किए जाने वाले कॉमन रिसर्च मेथड्स जैसे कि सर्वे या फोकस ग्रुप्स की थोड़ी बहुत समझ है।
  5. आपकी मेथॉडॉलॉजी को चुनने में मदद करने वाले सोर्स को साइट करें: अगर आपने अपनी मेथॉडॉलॉजी को बनाने या अप्लाई करने में मदद करने के लिए किसी दूसरे के काम को यूज किया है, तो उन कामों पर चर्चा करें और बताएँ कि कैसे उन कामों ने आपके काम में योगदान दिया, या कैसे आपने उनके काम के आधार पर अपना काम किया है। [७]
    • उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपने एक सर्वे किया और अपने सर्वे के प्रश्न बनाने में मदद के लिए कुछ दूसरे रिसर्च पेपर्स को यूज किया। आप उन्हें कंट्रीब्यूटिंग सोर्स के रूप में दिखायेंगे।
भाग 2
भाग 2 का 3:

अपने चुने गए मेथड्स को जस्टिफ़ाई करना

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  1. अपने डाटा कलेक्शन के सिलेक्शन क्राइटेरिया को समझाएँ: अगर आप प्राइमरी डाटा कलेक्ट कर रहे हैं, तो आप एलिजिबिलिटी पैरामीटर्स को सेट करते हैं। उन पैरामीटर्स को साफ-साफ बताएँ और अपने रीडर्स को बताएँ कि आपने उन पैरामीटर्स को क्यों सेट किया और वे आपकी रिसर्च के लिए कैसे महत्वपूर्ण हैं। [८]
    • स्टडी में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के बारे में बताएँ, और आपके द्वारा प्रतिभागियों का ग्रुप बनाने पर यूज़ की गए किसी इंक्लूज़न या एक्सक्लूजन क्राइटेरिया की लिस्ट बनाएँ।
    • अगर ज़रूरी हो, तो अपने सैंपल के साइज़ को जस्टिफ़ाई करें, और बताएँ कि यह कैसे असर डालता है कि क्या आपकी स्टडी को बड़ी आबादी के लिए जनरलाइज किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप एक यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की 30 प्रतिशत आबादी का सर्वे करते हैं, तो आप उन रिजल्ट को सभी स्टूडेंट पर अप्लाई कर सकते हैं, लेकिन दूसरी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स पर अप्लाई नहीं कर सकते हैं।
  2. अपने मेथड्स की कमियों से अपनी रिसर्च में अंतर करें: हर रिसर्च मेथड की अच्छाइयाँ और कमियाँ होती हैं। आपके चुने गए मेथड की कमियों या आलोचनाओं को संक्षिप्त में बताएँ, फिर बताएँ कि कैसे वे आपकी इस रिसर्च में मायने नहीं रखतीं या लागू नहीं होती हैं। [९]
    • दूसरे रिसर्च पेपर्स को पढ़ना विभिन्न मेथडस से होने वाली प्रॉब्लम्स को पहचानने का अच्छा तरीका है। बताएँ कि क्या आपने अपनी रिसर्च के दौरान इनमें से किसी कॉमन समस्या का सामना किया।
  3. आपकी रिसर्च में बाधाओं से पार पाना आपकी मेथॉडॉलॉजी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। आपकी प्रॉब्लम सॉल्व करने की क्षमता आपके रीडर्स का आपकी स्टडी के रिजल्ट पर कॉन्फिडेंस बढ़ा सकती है। [१०]
    • अगर आपको डेटा कलेक्ट करने पर कोई प्रॉब्लम हुई, तो समझाएँ कि आपने अपने रिजल्ट पर प्रॉब्लम के असर को कम करने के लिए क्या क़दम उठाए।
  4. आप जो दूसरे मेथड्स यूज कर सकते थे उनका मूल्यांकन करें: खासकर अगर आप ऐसे मेथड को यूज कर रहे हैं जो आपके पर्टिकुलर विषय के लिए असामान्य लगता है, तो दूसरे मेथड्स पर चर्चा को शामिल करें, जो आमतौर पर आपके जैसी रिसर्च के लिए यूज होते हैं। समझाएँ कि आपने उन्हें यूज करने के लिए क्यों नहीं चुना। [११]
    • कुछ मामलों में, यह बताना इतना आसान हो सकता है कि एक मेथड को यूज करके कई स्टडी की गई थीं, पर आपके मेथड को यूज़ करने वाली कोई स्टडी नहीं थी, जिससे समस्या को समझने में अंतर आ गया।
    • उदाहरण के लिए, पर्टिकुलर सोशल ट्रेंड के क्वांटिटेटिव एनालिसिस को बताने वाले कई पेपर्स हो सकते हैं। हालाँकि, इनमें से किसी भी पेपर ने गौर से यह नहीं देखा कि यह ट्रेंड लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित कर रहा है।
भाग 3
भाग 3 का 3:

अपने मेथड्स को अपने रिसर्च उद्देश्यों से कनेक्ट करना

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  1. बताएँ कि आपने अपने रिजल्ट्स को कैसे एनालाइज किया: आमतौर पर आपका एनालिसिस इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी अप्रोच क्वालिटेटिव, क्वांटिटेटिव है, या दोनों का मिश्रण है। अगर आप क्वांटिटेटिव अप्रोच यूज कर रहे हैं, तो आप स्टैटिस्टिकल एनालिसिस यूज कर रहे होंगे। क्वालिटेटिव अप्रोच के लिए बताएँ कि आप क्या थ्योरेटिकल अप्रोच या फिलोसोफी यूज कर रहे हैं। [१२]
    • अपनी रिसर्च के सवालों के आधार पर, आप क्वांटिटेटिव और क्वालिटेटिव एनालिसिस को मिला सकते हैं – जैसे कि आप दोनों अप्रोच को यूज कर सकते थे। उदाहरण के लिए, आप स्टैटिस्टिकल एनालिसिस कर सकते हैं, और फिर एक पर्टिकुलर थ्योरेटिकल नज़रिए से उन आंकड़ों की व्याख्या कर सकते हैं।
  2. समझाएँ कि कैसे आपका एनालिसिस आपकी रिसर्च के लक्ष्यों पर ठीक बैठता है: फलस्वरूप, आपकी ओवरऑल मेथॉडॉलॉजी आपकी रिसर्च के सवालों के जवाब देने में सक्षम होनी चाहिए। अगर यह अच्छे से ठीक नहीं बैठती है, तो आपको अपनी मेथॉडॉलॉजी को एडजस्ट करने की या अपने रिसर्च के सवालों को फिर से बनाने की ज़रूरत है। [१३]
    • उदाहरण के लिए, मान लें कि आप ग्रामीण अमेरिका के फ़ैमिली फ़ार्म्स पर कॉलेज एजुकेशन के प्रभाव पर रिसर्च कर रहे हैं। आप फ़ैमिली फ़ार्म में पले-बढ़े कॉलेज-एजुकेटेड लोगों का इंटरव्यू ले सकते हैं, पर वह ओवरऑल इफेक्ट की पूरी कहानी नहीं बताएगा। एक क्वांटिटेटिव अप्रोच और स्टैटिसटिकल एनालिसिस आपको पूरी कहानी बताएँगे।
  3. पहचानें कि आपका एनालिसिस कैसे आपकी रिसर्च के सवालों के जवाब देता है: अपनी मेथॉडॉलॉजी को अपनी ओरिजिनल रिसर्च सवालों से रिलेट करें और अपने एनालिसिस के आधार पर प्रपोज़ की गई आउटकम को प्रस्तुत करें। विशेषतः बताएँ कि आपकी उपलब्धियाँ आपकी रिसर्च सवालों के बारे में क्या बताएँगी। [१४]
    • अगर आपकी रिसर्च के सवालों का जवाब देने पर, आपकी उपलब्धियाँ दूसरे सवाल उठाती उठाते हैं जिनके लिए और रिसर्च की जरूरत हो सकती है, तो इन्हें संक्षेप में बताएँ।
    • आप अपने मेथड्स, या आपकी रिसर्च द्वारा हल नहीं किए गए सवालों के लिए किसी भी लिमिटेशन को शामिल कर सकते हैं।
  4. मूल्याँकन करके देखें कि क्या आपकी उपलब्धियाँ ट्रांसफर या जनरलाइज की जा सकती हैं: आप अपनी उपलब्धियों को किसी और संदर्भ में ट्रान्सफर, या उन्हें बड़ी आबादी के लिए जनरलाइज कर सकते हैं। सोशल साइंस रिसर्च में ट्रान्सफर करना कठिन हो सकता है, ख़ासकर अगर आपने क्वालिटेटिव अप्रोच को यूज़ किया है। [१५]
    • क्वांटिटेटिव रिसर्च में जनरलाइजेशन अक्सर यूज होता है। अगर आपके पास अच्छी तरह से डिजाइन किया गया सैंपल है, तो आप स्टैटिस्टिकली अपने रिजल्ट को अपने सैम्पल की बड़ी आबादी पर अप्लाई कर सकते हैं।

सलाह

  • कैसे आपने रिसर्च मेथड्स को करने के लिए आपने तैयारी की से शुरू करके, कैसे आपने डेटा को कलेक्ट किया, कैसे उस डाटा को एनालाइज किया, इन सभी को अपने मेथॉडॉलॉजी सेक्शन में क्रॉनॉलॉजी के अनुसार लगाएँ। [१६]
  • जब तक आप बताई गई रिसर्च के होने से पहले मेथॉडॉलॉजी सेक्शन सबमिट नहीं कर रहे हैं, तब तक अपनी रिसर्च के मेथॉडॉलॉजी सेक्शन को पास्ट टेन्स में लिखें। [१७]
  • किसी मेथॉडॉलॉजी को चुनने से पहले अपने एडवाइजर या सुपरवाइजर के साथ अपना प्लान डिटेल में चर्चा करें। वे आपके स्टडी में कमियाँ पहचानने में मदद कर सकते हैं। [१८]
  • काम हो रहा है की जगह, काम हो गया है पर फोकस करने के लिए अपनी मेथॉडॉलॉजी को पैसिव वॉइस में लिखें। [१९]

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