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लेख अनेक प्रकार के होते हैं, जिनमें समाचार कहानियाँ, फ़ीचर, प्रोफ़ाइल, निर्देशात्मक लेख वगैरह शामिल होते हैं। हालांकि उनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्टताएँ होती हैं, मगर सभी लेखों में कुछ सामान्य तत्व होते हैं। विचारों के बनाने और उन पर रिसर्च करने से ले कर अपनी बात लिखने और संपादित करने के बीच, लेख लिखने से आपको अपने पाठकों के साथ कुछ अकाट्य और महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने का अवसर मिलता है।

भाग 1
भाग 1 का 5:

विचार बनाना

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  1. आप जिस प्रकार का लेख लिखना चाहते हैं उससे परिचित हो जाइए: जब आप अपना विषय तय करके उस पर फ़ोकस कर रहे हों, तभी यह विचार कर लीजिये कि किस प्रकार का लेख आपके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले मुद्दों के लिए सर्वश्रेष्ठ होगा। कुछ प्रकार के लेख कुछ विशिष्ट विषयों के लिए अधिक उचित होते हैं। कुछ सामान्य प्रकार के लेख होते हैं:
    • समाचार: इस प्रकार के लेख उन तथ्यों के बारे में होते हैं जो अभी हाल में हुये हों या निकट भविष्य में होने वाले हों। इनमें आम तौर पर 5 W और H कवर किए जाते हैं: कौन, क्या, कहाँ, कब, क्यों और कैसे (who, what, where when, why & how)।
    • फ़ीचर: इस प्रकार के लेखों में सीधे समाचार लेख के स्थान पर सूचना को अधिक सृजनात्मक, विस्तृत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। यह लेख किसी व्यक्ति, दृश्य, जगह या किसी और विषय के बारे में हो सकता है।
    • संपादकीय: इस लेख में किसी विषय या चर्चा पर लेखक की राय प्रस्तुत की जाती है। इसका उद्देश्य, किसी विषय पर पाठक को खास तरह से सोचने के लिए प्रेरित करना होता है। [१]
    • कैसे: इस लेख में कोई कार्य पूर्ण करने के लिए स्पष्ट निर्देश एवं जानकारी दी जाती है।
    • प्रोफ़ाइल: इस लेख में उन सूचनाओं के आधार पर किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी दी जाती है, जिसे लेखक ने सामान्यतः इंटरव्यू तथा बैकग्राउंड रिसर्च करके जुटाया होता है।
  2. संभावित विषयों की सूची बनाइये। आप शायद इमीग्रेशन या ऑर्गनिक फ़ूड या स्थानीय पशु शेल्टर के बारे में लिखना चाहते हों। समझने में आसान मगर संक्षिप्त लेख लिखने के लिए आपको विषय को सीमित करना होगा। इससे आपको लिखने के लिए कुछ ख़ास चीज़ मिल जाएगी, जो कि आपके लेख को और भी अधिक सशक्त बना देगी। स्वयं से ये प्रश्न पूछिये:
    • इस विषय में आपको दिलचस्पी क्यों है?
    • कौन सा बिन्दु लोग आम तौर पर छोड़ जाते हैं?
    • इस विषय में आप लोगों को क्या बताना चाहते हैं?
    • जैसे कि, अगर आप ऑर्गनिक खेती के बारे में लिखना चाहते हैं, आप स्वयं से कह सकते हैं, “मुझे लगता है कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि फ़ूड पैकेजों पर ऑर्गनिक लेबेलों का क्या अर्थ है। उस सबका क्या मतलब है यह जानना बहुत उलझन भरा हो सकता है।“
  3. सुनिश्चित करिए कि वह ऐसा कुछ हो जिस पर आप बहुत कुछ लिख सकते हों। आप जिस विषय को लिखने के लिए चुनें आपको उसकी परवाह होनी चाहिए। आपका उत्साह आपके लेखन में झलकेगा और आपके पाठकों को और भी मोहित करेगा।
    • आपका लक्ष्य होगा कि आपके पाठकों तक पर्याप्त भावनाएँ पहुंचाई जा सकें ताकि वे समझें कि आपका लेख परवाह करने लायक है।
  4. यदि आप अपने विषय के बारे में कुछ भी नहीं जानते (यदि, मान लीजिये, आपको क्लास असाइनमेंट के लिए किसी खास विषय पर लिखना है), तब आपको उस पर प्रारम्भिक रिसर्च शुरू करनी पड़ेगी।
    • किसी ऑनलाइन सर्च इंजन में कुछ की-शब्द डालिए। इससे आप उन स्त्रोतों तक पहुँच सकेंगे जहां आपके विषय पर कुछ लिखा होगा। इन स्त्रोतों से आपको उस विषय में विभिन्न दृष्टिकोणों की भी जानकारी मिलेगी।
    • उस विषय पर जितना हो सके उतना पढ़िये। अपनी स्थानीय लाइब्रेरी जाइए। जानकारी के लिए किताबें, पत्रिकाओं के लेख, प्रकाशित इंटरव्यू और ऑन लाइन फीचर तथा समाचार स्त्रोतों, ब्लॉगों तथा डेटाबेस से सलाह लीजिये। जो भी डेटाइन्टरनेट पर तुरंत उपलब्ध न हो उसे खोजने की शुरुआत आप गेल डाइरेक्टरी ऑफ डेटाबेसेज़ में देखने से कर सकते, जो कि पुस्तक के रूप में (लाइब्रेरियों में) या online पर उपलब्ध है।
  5. जब आपने अपना विषय चुन लिया हो और उसको किसी विशिष्ट चीज़ पर सीमित भी कर लिया हो, अब सोचिए कि आप इस लेख को कैसे खास बना सकते हैं। यदि आप किसी ऐसी चीज़ पर लिख रहे हों जिस पर और लोग भी लिख रहे हों तब प्रयास करिए कि उस विषय को देखने का आप का दृष्टिकोण कुछ ख़ास ही हो। आपको बातों में कुछ नई बात जोड़नी चाहिए, न कि बस बातों के साथ होना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, ऑर्गनिक फ़ूड के विषय में, आप शायद उस खुदरा ग्राहक पर फ़ोकस करना चाहें जिसे ऑर्गनिक फ़ूड के लेबल समझ ही में न आते हों। उस प्रारम्भिक किस्से को अपना मुख्य तर्क तक पहुँचने का रास्ता बना सकते हैं, जिसे “नट ग्राफ़” कहते हैं, जिससे आपका विशेष दृष्टिकोण संक्षेप में दे दिया जाता है।
  6. अधिकांश लेखों में, लेखक कोई तर्क देता है। यही लेख का मुख्य मुद्दा होता है। फिर लेखक इस तर्क की सहायता के लिए साक्ष्य खोजता है। बढ़िया लेख लिखने के लिए, आपको बढ़िया तर्क भी चाहिए। जब आपने विशिष्ट दृष्टिकोण तय कर लिया हो, तब आप उस तर्क तक पहुँच सकते हैं जिसे आप प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, यदि आप इस बारे में लिख रहे हैं कि कैसे किसी व्यक्ति ने ऑर्गनिक लेबल पढ़ना सीख लिया, आपका कुल तर्क शायद यह हो सकता है कि किस प्रकार जनता को जानकारी होनी चाहिए कि कैसे कंपनियाँ ऑर्गनिक लेबलिंग का दुरुपयोग करती हैं। ये उत्पादों के विज्ञापन में बेईमानी की ओर ले जाती हैं। एक अन्य विषय हो सकता है: यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपके स्थानीय मीडिया आउटलेट किसकी संपत्ति हैं। यदि आपका स्थानीय समाचार पत्र कॉर्पोरेट मीडिया संगठन की संपत्ति है, आपको अपने क्षेत्र का मीडिया कवरेज बहुत कम मिलेगा और आप अपने समुदाय के बारे में बहुत जानकारी नहीं पा पाते हैं।
    • अपने तर्क को एक वाक्य में लिखिए। इसे अपने कंप्यूटर या लेखन क्षेत्र के पास रख लीजिये। जब आप अपने लेख पर काम कर रहे होंगे, तब इससे आपको फ़ोकस बनाए रखने में मदद मिलेगी।
भाग 2
भाग 2 का 5:

अपने विचार पर रिसर्च करना

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  1. अपने विषय और तर्क के बारे में रिसर्च शुरू करिए। आपने जो प्रारम्भिक रिसर्च की थी, उसके आगे जाइए। जो मूल मुद्दे दाँव पर हैं उनके बारे में जानिए, पक्ष और विपक्ष जानिए, विशेषज्ञों की राय जानिए, वगैरह।
    • सर्वश्रेष्ठ लेखकों का “डॉकयुमेंट स्टेट ऑफ माइंड” होता है। वे उस विषय पर दोनों, प्राइमरी (मूल, अप्रकाशित) डॉकयुमेंट तथा सेकंडरी डॉक्युमेंट देखते हैं।
      • लेजिस्लेटिव हियरिंग की प्रतिलिपि, नालिश की फ़ाइलिंग, फ़ोलिओ संख्या के साथ स्थानीय संपत्ति का इंडेक्स, सेना के डिस्चार्ज प्रमाणपत्र और फ़ोटो ये सभी ’’’’प्राइमरी स्त्रोत’’’’ हो सकते हैं। अन्य प्राइमरी स्त्रोत में शामिल हो सकते हैं राष्ट्रीय आर्काइव्स में रखे हुये सरकारी लिखित दस्तावेज़, या आपके स्थानीय या विश्वविद्यालय के विशेष कलेक्शन प्रभाग, बीमा पॉलिसियाँ, कॉर्पोरेट वित्तीय रिपोर्ट या निजी पृष्ठभूमि रिपोर्ट।
      • ’’’’सेकंडरी स्त्रोत’’’’ में शामिल होते हैं प्रकाशित डेटाबेस, पुस्तकें, ऐब्स्ट्रैक्ट, अंग्रेज़ी या अन्य भाषाओं में छपे लेख, बिबलिओग्राफ़ीज़, डिसर्टेशन्स और संदर्भ पुस्तकें।
    • आपको जानकारी इन्टरनेट या लाइब्रेरी में मिल सकती है। आप इंटरव्यू भी कर सकते हैं, वृत्तचित्र देख सकते हैं, या अन्य स्त्रोतों में से सलाह ले सकते हैं।
  2. वे तरीके ढूँढना शुरू करिए जिनसे आप अपने तर्क का समर्थन जुटा सकें। आपको 3-5 ठोस उदाहरण जुटाने चाहिए जो कि आपके पूर्ण तर्क का समर्थन कर सकें।
    • आप साक्ष्यों और उदाहरणों की और भी लंबी सूची बना सकते हैं। जब आप और सबूत इकट्ठे कर लेंगे, तब आप तय कर सकेंगे कि उनमें से सबसे सशक्त कौन से हैं।
  3. ऑनलाइन रिसर्च करते समय सावधान रहिएगा। केवल विश्वस्त स्त्रोतों से सामग्री लीजिये जैसे ख्यातिप्राप्त समाचारपत्र, विषय के विशेषज्ञ, सरकारी वेबसाइटें, या विश्वविद्यालय की वेबसाइटें। उन सूचनाओं की तलाश करिए जिनमें अन्य स्त्रोत सूचीबद्ध हों, चूंकि इससे आपके स्त्रोतों के दावे सिद्ध होने में सहायता मिलेगी। आप छपे हुये स्त्रोतों को भी देख सकते हैं और वहाँ भी यही सावधानियाँ बरतनी होंगी।
    • कभी यह मत मान लीजिये कि कोई भी एक ही स्त्रोत बिलकुल सही होगा। पूरी तस्वीर के लिए आपको अनेक असम्बद्ध स्त्रोत चाहिए होंगे।
  4. लिखिए कि आपको जानकारी कहाँ से मिली है ताकि आप स्त्रोत को साइट कर सकें। विशिष्ट तौर पर, किसी स्त्रोत की बिबलिओग्राफ़ी की जानकारी में लेखक का नाम, लेख का शीर्षक, प्रकाशन का शीर्षक, वर्ष, पृष्ठ संख्या और प्रकाशक का नाम होता है।
    • देरी करने के स्थान पर जल्दी ही साइटेशन की शैली चुन लीजिये, ताकि आप साइटेशन जानकारी को सही फ़ॉर्मटमें लिख सकें। एमएलए, एपीए और शिकागो विधियाँ कुछ बहुत ही सामान्य साइटेशन शैलियाँ हैं।
  5. । जब आप अन्य स्त्रोतों से जानकारी ले रहे हों, तब आप सूचनाएँ कैसे एकत्र करते हैं इस बारे में सावधान रहिए। कभी-कभी, लोग अपने लेख के नोट्स के लिए टेक्स्ट को एक ही डॉकयुमेंट में कॉपी कर लेते हैं। मगर ऐसा करने से, वे साहित्यिक चोरी का जोखिम उठाते हैं क्योंकि कॉपी किया गया टेक्स्ट उनके लिखे हुये काम में मिल सकता है। सावधानीपूर्वक यह ट्रैक करना सुनिश्चित करिए कि कौन सा लेखन आपका नहीं है।
    • कोई भी टेक्स्ट किसी और स्त्रोत से सीधे कॉपी मत करिए। इसके स्थान पर टेक्स्ट को पैरा फ़्रेज़ करिए, और साइटेशन को शामिल करिए।
भाग 3
भाग 3 का 5:

विचार की रूपरेखा बनाइये

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  1. क्या इस लेख में वर्ड काउंट है? क्या आपको कुछ निश्चित पृष्ठ लिखने ही हैं? विचार करिए कि आप किस प्रकार की सामग्री आप लिखने वाले हैं और उससे कितनी जगह भरेगी। साथ ही, विचार करिए कि विषय को पर्याप्त रूप से कवर करने के लिए करीब कितना लिखना चाहिए।
  2. सोचिए कि आपका लेख कौन पढ़ने वाला है। आपको पाठकों के स्तर, रुचियों, अपेक्षाओं वगैरह का ध्यान रखना होगा।
    • उदाहरण के लिए, अगर आप विशिष्ट अकादमिक पाठकों के लिए लेख लिख रहे हैं, तब आपका टोन और दृष्टिकोण उससे बिलकुल फ़र्क होगा जबकि आप लेख किसी लोकप्रिय पत्रिका के लिए लिख रहे होंगे।
  3. औपचारिक रूप से लिखना शुरू करने से पहले अपने लेख की रूपरेखा लिख डालिए। इस रूपरेखा से यह तय हो जाएगा कि कौन सी जानकारी कहाँ जाएगी। यह एक गाइड की तरह आपको यह समझने में सहायता करता है कि कहाँ आपको अधिक जानकारी की आवश्यकता है।
    • पाँच-पैराग्राफ़ की निबंध की रूपरेखा से शुरुआत करना बेहतर है। [२] इस रूपरेखा में एक पैराग्राफ़ परिचय, तीन सहायक साक्ष्यओं, और एक पैराग्राफ़ निष्कर्ष के लिए रहेगा। जब आप रूपरेखा में जानकारियाँ रखना शुरू करेंगे, आपको पता लगेगा कि यह संरचना आपके लेख के लिए उतना उचित नहीं है।
    • आपको यह भी पता चल सकता है कि यह संरचना कुछ विशिष्ट प्रकार के लेखों के लिए भी उचित नहीं है। जैसे कि, अगर आप किसी व्यक्ति का प्रोफ़ाइल बना रहे हैं, तब आपका लेख अलग फॉर्मट का होगा।
  4. अपने पॉइंट के समर्थन के लिए उद्धरण और साक्ष्य का चयन करिए: संभव है कि आपको वह जानकारी मिल जाये जो सारगर्भित ढंग से उसका समर्थन करे जो आप कह रहे हों। इसमें शायद किसी का कथन हो सकता है, या किसी और लेख में कोई वाक्य जो कि विशेष रूप से प्रासंगिक हो। अपने लेख के लिए, सबसे महत्वपूर्ण और विवरण वाला भाग चुनिये। ये उद्धरण अपनी रूपरेखा में शामिल कर लीजिये।
    • सुनिश्चित करिए कि आप उद्धरण को पूरी तरह श्रेय दें और जो भी आपने नहीं लिखा हो उस सबके बाहर उद्धरण के चिन्ह लगाएँ। जैसे कि, शायद आप लिखें: डेयरी ब्रांड मिल्कटोस्ट के एक प्रवक्ता ने कहा है, “हमारे दूध पर ऑर्गनिक लेबल इस लिए लगा है क्योंकि हमारी गायों को ऑर्गनिक घास दी जाती है।“
    • उद्धरणों की अति मत करिए। आप उद्धरणों का इस्तेमाल सावधानी से करिए। अगर आप बहुत उद्धरणों का इस्तेमाल करेंगे, आपके पाठक को लग सकता है कि आप अपनी सामग्री प्रस्तुत करने की जगह पर उनका इस्तेमाल फ़िलर की तरह कर रहे हैं।
भाग 4
भाग 4 का 5:

अपना लेख लिखना

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  1. पाठक की दिलचस्पी जगाने के लिए एक मोहक परिचयात्मक पैराग्राफ़ आवश्यक है। पहले कुछ वाक्यों में, पाठक यह मूल्यांकन कर लेगा कि आपका लेख पूरा पढ़ने लायक है या नहीं। लेख शुरू करने के बहुत तरीके हैं, जिनमें से कुछ निम्नांकित हैं:
    • किस्सा सुनना।
    • किसी इंटरव्यू से उद्धरण का इस्तेमाल।
    • आंकड़ों से शुरुआत।
    • कहानी के सीधे सादे तथ्यों से शुरुआत।
  2. आपने अपने लेख का ड्राफ़्ट रूपरेखा की तरह किया है, और इससे आपको एक ठोस तथा सुसंगत लेख लिखने में मदद मिलेगी। रूपरेखा से आपको यह याद रखने में भी मदद मिलेगी कि कैसे चीज़ों को एक दूसरे से सम्बद्ध किया जाये। आपको यह भी याद दिलाया जाएगा कि किस प्रकार कुछ उद्धरण उन पॉइंट्स का समर्थन करते हैं जिन्हें आप बताना चाहते हैं।
    • वैसे, थोड़े लचीले रहिए। कभी कभी जब आप लिखते हैं, तब प्रवाह का अर्थ कुछ उस प्रकार निकलता है, जैसा कि आप नहीं चाहते हैं। अगर आपका लेख पढ़ने में उस प्रकार अच्छा लगता हो तब उसकी दिशा बदलने में संकोच मत करिएगा।
  3. यह मत मान लीजिये कि आपके पाठक को विषय के बारे में आपसे अधिक पता होगा। सोचिए कि आपके पाठक को विषय को समझने के लिए पृष्ठभूमि संबंधी कितनी जानकारी की आवश्यकता होगी। [३] लेख के प्रकार के आधार पर, सहायक साक्ष्य देने से पहले आप शायद पृष्ठभूमि की जानकारी देने के लिए एक पैराग्राफ़ लिखना चाहेंगे। या, शायद आप संदर्भ सूचनाएँ अपने लेख में पिरो देना चाहेंगे।
  4. आप जो भी लिख रहे हैं पाठक के सामने उसका स्पष्ट चित्रण करने के लिए भावपूर्ण और विवरणात्मक भाषा का इस्तेमाल करिए। विवरणात्मक क्रियापद और सटीक विशेषणों का चुनाव ध्यान से करिए।
    • जैसे कि, आप शायद उस किराना ग्राहक के बात लिखना चाहें जिसे ऑर्गनिक लेबलों से परेशानी हो रही हो: “घनश्याम शेल्फ़ पर लगे पीनट मक्खन की शीशियों को ध्यान से देख रहा था। ‘ऑर्गनिक’ तथा ‘प्राकृतिक’ शब्द, जैसे उस पर कूद पड़ रहे थे। हर शीशी कुछ अलग ही बात कह रही थी। उसे लग रहा था जैसे वे चिल्ला कर कह रही हों: ‘मुझे चुन लो!’ ‘मुझे ख़रीद लो!’ वे शब्द उसकी आँखों के सामने तैरने लगे। वह गलियारे में से बिना कुछ ख़रीदे चला गया।“
  5. प्रत्येक अलग विचार को परिवर्तन से सम्बद्ध करिए ताकि आपका पूरा लेख एक संगठित रूप में पढ़ा जा सके। हर नए पैराग्राफ़ को उस परिवर्तन से शुरू करिए जो उसे पिछले पैराग्राफ़ से सम्बद्ध कर सके।
    • जैसे कि, “हालांकि...,” “एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है...,” या “यह याद रखना होगा कि...” जैसे शब्दों या मुहावरों का प्रयोग करिए।
  6. आप ऐसी शैली, संरचना और ध्वनि में लिखना चाहेंगे जो उस प्रकार के लेखों के लिए उचित हो जो आप लिख रहे हैं। अपने पाठकों का यह जानने के लिए आकलन करिए कि अपनी जानकारी उन तक पहुंचाने के लिए सर्वश्रेष्ठ विधि क्या होगी।
    • जैसे कि, समाचारपत्र जानकारी को विवरणात्मक, क्रोनोलोजिकल फ़ॉर्मट में देना पसंद करेंगे। उसे समझ में आने वाली सीधी सादी भाषा में लिखा जाना चाहिए। अकादमिक लेख और अधिक औपचारिक भाषा में लिखा जाएगा। कैसे करना है वाला लेख और अधिक अनौपचारिक भाषा में लिखा जाएगा।
    • अपना लेख लिखते समय, अपने पाठक को आगे बढ्ने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु हर पैराग्राफ़ की शुरुआत में कोई मज़बूत “एंकरिंग” वाक्य अवश्य रखिए। साथ ही, अपने वाक्यों की लंबाई बदलते रहिए, छोटे और लंबे दोनों। अगर आप पाते हैं कि आपके सभी वाक्य एक ही लंबाई के हैं, तब संभावना यह है कि आपका पाठक एक स्टैंडर्ड “लय” में डूब कर सो जाएगा। अगर आपके वाक्य छोटे और अस्थिर होंगे तब पाठक को लगेगा कि आप सोच-विचार-कर-लिखा-हुआ लेख नहीं बल्कि किसी विज्ञापन की कॉपी लिख रहे हैं।
  7. अपने लेख का समापन एक डायनामिक निष्कर्ष से करिए। आपके लेख के आधार पर, शायद यही वह निष्कर्ष हो जो आपके पाठक को सशक्त कर सके। जैसे कि, अगर आप फ़ूड लेबलिंग के बारे में अपनी राय लिख रहे हों, आप शायद अपने पाठकों को यह बता सकें कि किस प्रकार वे लेबलों के बारे में और जानकारी पा सकते हैं।
    • अगर आपने किसी किस्से या आंकड़े को अपने परिचय में दिया है, तब सोचिए कि आप कैसे उस अपने निष्कर्ष को उस पॉइंट से सम्बद्ध कर सकते हैं।
    • निष्कर्ष अक्सर सबसे मज़बूत तब होते हैं जब वे एक अंतिम, संक्षिप्त ठोस उदाहरण का उपयोग करते हैं, जो पाठक को एक नई अंतर्दृष्टि की ओर ले जाता है। निष्कर्ष को ‘फॉरवर्ड थिंकिंग’ होना चाहिए - पाठक को उस दिशा की ओर दिखाये कि उसकी ज्ञान की “पिपासा” बढ़ती ही रहे।
  8. ग्राफिक्स और अनुपूरक सामग्री शामिल करके आप अपने पाठक को विषय को और स्पष्टता से समझने में सहायता कर सकते हैं।
    • जैसे कि, आप अपने पॉइंट को दिखने के लिए फ़ोटोग्राफ़, चार्ट या इन्फ़ोग्राफ़िक शामिल कर सकते हैं।
    • साइडबार प्रकार के बॉक्स से आप किसी मुख्य बिन्दु को हाईलाइट या विकसित कर सकते हैं। यह कुछ अतिरिक्त लेखन है जो विषय के एक पक्ष पर और गहराई से विचार करता है। जैसे कि, अगर आप शहर के फ़िल्म फ़ेस्टिवल के बारे में लिख रहे हों, आप किसी फ़िल्म को हाईलाइट करने के लिए साइडबार प्रकार के राइट-अप का प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के राइट-अप आम तौर पर संक्षिप्त होते हैं (50-75 शब्द, जो कि प्रकाशन आउटलेट पर निर्भर करता है)।
    • याद रखिए, ये सामग्री अनुपूरक है। इसका अर्थ है कि आपके लेख को इसके बिना भी मज़बूत होना चाहिए। आपका लेखन समझ में आने लायक होना चाहिए, बिना चार्ट्स, फ़ोटोग्राफ़्स या अन्य ग्राफ़िक्स की मदद के, स्पष्ट और फ़ोकस्ड।
भाग 5
भाग 5 का 5:

अपने काम को फ़ाइनल करिए

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  1. कुछ समय निकाल कर अपने काम को दोहराएँ और संपादित करें। अगर समय हो तो सम्पादन से पहले एक या दो दिन रुकिए। इससे आपको अपने लेख से कुछ दूरी बनाने में मदद मिलेगी। तब आप अपने लेख को ताज़ी नज़र से देख सकेंगे।
    • अपने केंद्रीय तर्क को या जो पॉइंट आप सिद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं, उसे ध्यान से देखिये। क्या आपके लेख की हर चीज़ उस केंद्रीय तर्क को सहारा देती है? क्या आपका कोई ऐसा पैराग्राफ़ है जो असम्बद्ध है? यदि ऐसा है, तब या तो इस पैराग्राफ़ को निकाल देना चाहिए या उसे फिर से रचना चाहिए ताकि वह मुख्य तर्क को सहारा दे सके।
    • लेख में कोई असंगत सूचना हो तो उसे हटा दीजिये, या उन विसंगतियों का सामना करिए, यह दिखाते हुये कि किस प्रकार वह जानकारी पाठक के लिए प्रासंगिक है।
    • जैसी ज़रूरत हो उसके अनुसार या तो कुछ भाग या पूरा लेख ही फिर से लिख डालिए। इस प्रकार का दोहराना हर प्रकार के लेखों में आम बात है, इसलिए ऐसा मत महसूस करिए कि आप असफल हुये हैं या आप अक्षम हैं।
  2. चाहे लेख बहुत भली भांति ही क्यों न लिखा हो, उसे गंभीरता से नहीं लिया जाएगा यदि उसमें व्याकरण और वर्तनी की ग़लतियाँ होंगी। अपने व्याकरण की शुद्धि करके अपने लेखन को सशक्त करिए।
    • अपने लेख की एक हार्ड कॉपी निकालना सहायता करता है। एक कलम पेंसिल ले कर उसकी ग़लतियाँ सुधारिए। फिर वापस जा कर कंप्यूटर पर इन ग़लतियों को ठीक करिए।
  3. टोन, धुन, वाक्यों की लंबाई, संगति, व्याकरण या सामग्री की ग़लतियों और मोहक तर्कों के लिए ध्यान से सुनिए। अपने लेखन को संगीत का एक टुकड़ा समझिए, एक श्रवणीय अनुभव, और अपने कानों का इस्तेमाल करिए उसकी गुणवत्ता, ख़ूबियों और कमियों को जाँचने के लिए।
    • ज़ोर से पढ़ते समय व्याकरण या लेखन अपनी ग़लतियाँ निकाल लेना आम बात है; इससे उस फ़ीडबैक में कमी आएगी जो अन्यथा आपको दूसरों से मिलता।
  4. अपना लेख किसी मित्र, अध्यापक या दूसरे विश्वसनीय व्यक्ति को पढ़ने को दीजिये। क्या यह व्यक्ति उन पॉइंट्स को समझ पा रहा है जो आप सिद्ध करना चाहते हैं? क्या वह आपके तर्क को समझ पा रहा है?
    • यह व्यक्ति उन ग़लतियों और विसंगतियों को भी पहचान सकता है जो शायद आपसे छूट गई हों।
  5. अपने लेख को एक उचित शीर्षक दीजिये। शीर्षक को संक्षिप्त और सटीक होना चाहिए, जिसमें अधिक से अधिक 10 शब्द इस्तेमाल किए गए हों। शीर्षक को क्रिया-उन्मुख होना चाहिए और उससे यह पता चलना चाहिए कि कहानी महत्वपूर्ण क्यों है। उसे पाठकों को पकड़ कर लेख की ओर खींचना चाहिए। [४] , [५]
    • अगर आप कुछ और अधिक जानकारी देना चाहते हों तब एक उप-शीर्षक डालिए। यह एक सेकंडरी वाक्य होगा जो शीर्षक को सहारा देगा।

सलाह

  • लेख लिखने के लिए स्वयं को काफ़ी समय दीजिये। अगर आप नहीं करेंगे, तो आप आख़िरी समय पर जल्दी कर रहे होंगे और ऐसा कुछ लिख डालेंगे जो वास्तव में उसका प्रतिनिधित्व नहीं करेगा जो आप सचमुच में कर सकते हैं।
  • प्राइमरी रिसर्च टूल्स और डेटाबेस के बारे में और जानने के लिए सलाह करिए Investigative Reporters and Editors website या The Investigative Reporter's Handbook: A Guide to Documents, Databases and Techniques, पांचवा संस्करण की एक प्रति लीजिये। लेखक: ब्रेण्ट ह्यूस्टन और इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टर्स तथा एडिटर्स इंक (न्यूयॉर्क: बेडफोर्ड/ सेंट मार्टिन 2009)
  • तय करिए कि आपको लेखन में वास्तव में रुचि है या नहीं। यथासंभव सृजनात्मकता से 2 पैराग्राफ़ लिखने का प्रयास करिए।

चेतावनी

  • जब किसी समाचारपत्र या पत्रिका के लिए लिख रहे हों, तब यह निःशुल्क मत करिए। पहले ही पूछ लीजिये कि फ़्रीलांस शुल्क क्या है। आपका भुगतान आम तौर पर प्रति शब्द या प्रति लेख के आधार पर तय किया जाएगा। आपका काम मूल्यवान है। मुफ़्त में लिखने से उनका जीवन कठिन हो जाएगा जो जीवनयापन के लिए फ़्रीलांस शुल्क पर निर्भर करते हैं। अगर आप अभी शुरुआत ही कर रहे हों, तब किसी छोटे समुदाय, छात्र प्रकाशनों या वाणिज्य पत्रिकाओं के लिए कुछ लेख लिखने को वोलंटियर करना, अपना पोर्टफ़ोलिओ बनाने का एक बढ़िया तरीका है।

अपने विचारों को कसा रखिए

  • लेख लिखते समय केवल उसे लंबा करने के लिए उसमें जानकारी मत डालिए। अगर लेख लंबा होगा तब उसे नीरसता बढ़ेगी और पाठक की रुचि बनी नहीं रह पाएगी। इसलिए कोशिश करिए कि आपके विचार सादे मगर टेढ़े मेढ़े हों ताकि लक्षित पाठक की दिलचस्पी बनी रहे।

विकीहाउ के बारे में

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