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प्लेटलेट्स सेल फ़्रैगमेन्ट्स होते हैं जिनके कारण रक्त का थक्का जमता है और इसीलिए ये खतरनाक रक्तस्त्राव को रोकने के लिए ज़रूरी होती हैं | प्लेटलेट्स की संख्या कम होने (या थोम्ब्रोसायटोपिनिया) के कई कारण हो सकते हैं जैसे कीमोथेरेपी के विभिन्न फैक्टर के रूप में, गर्भावस्था में, भोज्य पदार्थों से एलर्जी होने से, और डेंगू बुखार के कारण | प्लेटलेट्स की संख्या कम होने की स्थिति का समाना करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह बहुत ज़रूरी होती है | इनके मार्गदर्शन में यहाँ दी गयी प्राकृतिक विधियों के उपयोग से संभवतः आप प्लेटलेट्स के स्तर को बढ़ाने में मदद पा सकते हैं |

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  1. जैसा कि बताया गया है कि कथित रूप से प्लेटलेट्स बढाने वाली विशेष डाइट स्त्रोत दर स्त्रोत बदलती जाती है |
    • संभवतः आपने यह पहले सुना होगा: अधिक ताज़े फल और सब्जियां; अधिक लीन प्रोटीन और समग्र अनाज; कम रिफाइंड स्टार्च और शर्करा; कम सैचुरेटेड और ट्रांस फैट; कम प्रोसेस्ड फूड्स |
    • अधिकतर अधिक पोषक तत्वों वाले भोजन (जैसे ताज़ी सब्जियां) का चयन करके आपको पेट भर के खाना चाहिए, न कि कम पोषक तत्वों से युक्त भोज्य पदार्थों (जैसे कूकीज़) का उपयोग करना चाहिए | [१] जितना हो सके आपके द्वारा खाए जाने वाले भोज्य पदार्थों के द्वारा ही अधिक से अधिक पोषण के रूप में अपने शरीर को प्रत्येक लाभ दें |
  2. मुख्य पोषक तत्व, स्त्रोतों के द्वारा बदलकर प्लेटलेट्स के स्तर को कम भी कर सकते हैं इसलिए अपनी मेडिकल टीम के साथ मिलकर अपने लिए उचित चीजों का पता लगायें | कुछ सामान्य पोषक तत्व जो प्लेटलेट्स की संख्या से बेपरवाह होते हैं और विशेषरूप से महत्वपूर्ण लगते हैं, और जो व्यावहारिक रूप से हर किसी के लिए लाभकारी होते हैं, उनमे शामिल हैं:
    • विटामिन के, जो खून का थक्का ज़माने के लिए ज़रूरी है, में सूजन विरोधी या एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं (प्लेटलेट्स के नष्ट होने से सूजन आ सकती है) | विटामिन के हरी पत्तेदार सब्जियों, जैसे केल (kale), पालक, ब्रोकॉली और खाने योग्य समुद्री सिवार | अगर सभी पोषक तत्वों को सुरक्षित रखना चाहते हों तो इन सब्जियों को हल्का पकाएं | अंडे भी विटामिन-के के अच्छे स्त्रोत हैं | [२] [३]
    • फोलेट (विटामिन बी9), जो कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं (याद रखें कि प्लेटलेट्स भी कोशिकाएं होती हैं); फोलेट की कम मात्रा भी प्लेटलेट्स की कम संख्या के लिए जिम्मेदार होती है | फोलेट से भरपूर भोज्य पदार्थ जैसे ऐस्पैरागस, संतरे, पालक और फोर्टीफाइड (समग्र अनाज, कम शर्करा) अनाज भी आपकी डाइट का हिस्सा होना चाहिए | [४] विटामिन सप्लीमेंट के बारे में भी विचार किया जा सकता है इसलिए अपने डॉक्टर से बात करें |
    • ओमेगा-3 फैटी एसिड के आपके द्वारा किये जाने वाले अंतर्ग्रहण पर नज़र रखें | इसमें प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करने के साथ ही सूजन विरोधी गुण भी पाए जाते हैं और यह मछली, खाने योग्य समुद्री सिवार, अखरोट, फ्लेक्स सीड आयल और फोर्टीफाइड अण्डों में पाया जाता है | [५] [६] कार्डियोवैस्कुलर रोगों की सम्भावना वाले लोगों को ओमेगा-3 का उपभोग करने से लाभ मिल सकता है | परन्तु, ओमेगा-3 फैटी एसिड प्लेटलेट्स को सक्रीय करने वाले कारक को रोक देता है और प्लेटलेट की सक्रियता को कम कर देता है इसलिए थ्रोम्बोसाइटोपिनिया के केस में ओमेगा-3 फैटी एसिड नहीं लिया जाता |
  3. परेशानी उत्पन्न करने वाले भोज्य पदार्थों को लेना कम कर दें: कम पोषक तत्व और अधिक कैलोरी वाले भोज्य पदार्थ जैसे, रिफाइंड अनाज वाले खाद्य पदार्थ (जैसे सफ़ेद ब्रेड) और शर्करा (जैसे केक, कूकीज़ आदि) आपके शरीर को लाभ बहुत कम देते हैं और माना जाता है कि इनमे से कुछ सूजन बढ़ा देते हैं | [७]
    • अत्यधिक अल्कोहल लेने से अस्थि मज्जा को नुकसान पहुँच सकता है और प्लेटलेट्स का उत्पादन कम हो सकता है, [८] इसलिए अगर आप अपनी प्लेटलेट्स का स्तर बढ़ाने की कोशिश कर रहे हों तो बुद्धिमानी इसी में है कि अल्कोहल के उपभोग को बहुत कम या सर्वथा बंद कर दें |
    • ग्लूटेन संवेदनशीलता और सेलिअक रोग (celiac disease)(एक प्रकार की ग्लूटेन एलर्जी) स्व-प्रतिरक्षित रोग (autoimmune disease) हैं जिनका आपकी प्लेटलेट्स की संख्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है | इन विकारों के लिए टेस्ट करवाने के बारे में सोचें और अगर ये विकार हों तो अपनी डाइट से ग्लूटेन बाहर कर दें | [९]
  4. कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम जैसे, तेज़ चलना या तैरना और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज शरीर में रक्त के प्रवाह को प्रेरित करती हैं और ये आपके प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करने में मदद कर सकती हैं, अगर आपकी प्लेटलेट्स की संख्या कम है तो ये दोनों एक्सरसाइज आपको लाभ पहुंचा सकती हैं |
    • खून निकलने की सम्भावना वाली गतिविधियों से खुद को दूर रखें और विशेष सावधानी रखें क्योंकि इनसे न सिर्फ बाहरी रक्तस्त्राव होता है बल्कि इनसे आंतरिक रक्तस्त्राव (bruising) भी हो सकती है | [१०] याद रखें कि प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर आपके खून का थक्का बहुत धीरे-धीरे जमेगा |
    • परवाह किये जाने योग्य रक्तस्त्राव की संभावनाओं में, डॉक्टर से सामान्य रूप से मिलने वाली दवाओं जिनसे यह सम्भावना बढ़ सकती है, के बारे में जानें जैसे, एस्पिरिन (aspirin) और अन्य दर्द निवारक | [११]
  5. प्लेटलेट्स की संख्या की परवाह किये बिना वयस्कों के लिए 7 से 9 घंटों की नींद लेने की सिफारिश की जाती है, लेकिन जो लोग प्लेटलेट्स की संख्या बढाने की कोशिश कर रहे हों, उन्हें अपने शरीर को पर्याप्त आराम देने और शरीर को तरोताजा रखने से ही लाभ मिल सकता है |
    • आपकी प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर आपको अधिकतर थकान अनुभव हो सकती है इसलिए आवश्यकतानुसार आराम के द्वारा अपना संतुलन बनाये रखें और अपने फिजिशियन से सलाह लें |
  6. पानी प्रत्येक व्यक्ति की ज़रूरत है और हममे से कुछ लोग पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं | एक सही रूप से हाइड्रेटेड शरीर की कार्यक्षमता भी बेहतर होती है जिससे शरीर प्लेटलेट्स बनाने के लिए अधिक संवाहक हो सकता है |
    • एक वयस्क को औसत रूप से प्रतिदिन दो से तीन लीटर तरल लेना चाहिए इसलिए प्रतिदिन 8 गिलास पानी पीने वाली पुरानी कहावत बिलकुल सही है | [१२]
    • कुछ लोग प्लेटलेट्स का स्तर बढाने के लिए गर्म या बहुत गर्म पानी पीने का समर्थन करते हैं क्योंकि ठंडा पानी पाचन क्रिया को धीमा कर देता है और इस प्रकार पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा पहुँच सकती है | [१३]
  7. हमेशा अच्छी सलाह लें, विशेषरूप से जब आप किसी चिकित्सीय समस्या जैसे थ्रोम्बोसाइटोपिनिया से जूझ रहे हों | [१४]
विधि 2
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अपनी जानकारी बढायें

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  1. जब शेविंग करते समय कट जाने या अंगुली कट जाने पर या नाक से निकंलने वाला रक्त बहना बंद हो जाए तो समझ लीजिये कि प्लेटलेट्स काम कर रही हैं | ये कोशिकाएं खून में पाई जाती हैं जहाँ ये आपस में बंधी हुई होती हैं और इस प्रकार आपके प्रवाहित होते हुए रक्त के बाहर निकलने के मार्ग को नियंत्रित करती हैं | [१५]
    • विशिष्टरूप से प्लेटलेट्स आपके खून में सिर्फ 10 दिन तक ही जीवित रहती हैं इसलिए इसनकी पुनः पूर्ती की ज़रूरत लगातार बनी रहती है | एक औसत रूप से स्वस्थ व्यक्ति के प्रति माइक्रो लिटर रक्त में 150000 से 450000 तक प्लेटलेट्स पाई जाती हैं |
    • अगर आप कहते हैं कि आपकी प्लेटलेट्स की संख्या या प्लेटलेट्स काउंट 150 है तो इसका मतलब है कि आपमें प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 150000 प्लेटलेट्स हैं |
  2. प्लेटलेट्स की संख्या को कम करने वाले कारकों की विस्तृत रेंज हो सकती है | परन्तु, जब प्लेटलेट्स की संख्या 150 से कम हो जाती है तो इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपिनिया कहते हैं |
    • इसमें शामिल होते हैं; प्रतिरक्षा तंत्र के विकार (जिनमे प्लेटलेट्स गलती से हमला कर रही होती हैं), ल्यूकेमिया (leukemia, क्योंकि प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा में बनती हैं), कीमोथेरेपी (जहाँ प्लेटलेट्स की हानि सहायक क्षति के रूप में होती है), गर्भावस्था (जिसमे शरीर के तंत्रों पर खिंचाव पड़ने के कारण प्लेटलेट्स की संख्या को नुकसान पहुँच सकता है) और अन्य कई संभावित कारण | [१६]
    • थ्रोम्बोसाइटोपिनिया के लक्षणों में शामिल किया जा सकता है; थकान, आसानी से पड़ने वाले नील, लम्बे समय तक रक्तस्त्राव होना, नाक या मसूड़ों से खून आना, मूत्र या मल में रक्त आना, और पैरों के निचले हिस्से और पंजों पर पिन के आकार के पर्पल-लाल धब्बे पड़ना | [१७]
    • अगर आपको इनमे से कोई लक्षण हो तो अपनी प्लेटलेट्स की संख्या का पता लगाने के लिए संभावित टेस्ट के बारे में डॉक्टर से पूछें |
  3. अगर आपकी प्लेटलेट की संख्या कम हो और इसका कारण ज्ञात न हो तो कई टेस्ट किये जा सकते हैं |(उदाहरण के लिए, स्प्लीन ख़राब हो जाने से खून में गलत तरीके से प्लेटलेट्स फ़िल्टर होकर निकल जाना |)
    • सामान्यतः थ्रोम्बोसाइटोपिनिया का कारण पता लगाया जा सकता है और कभी-कभी थोड़े से इंतजार से (अधिकतर गर्भावस्था के दौरान की स्थिति के रूप में) इसका सबसे अच्छा उपचार किया जा सकता है, लेकिन अपने डॉक्टर से उपचार के विकल्पों के बारे में विचार-विमर्श करते रहें | [१८]
    • अपने प्लेटलेट्स को बढाने या कम से कम स्थिर करने के लिए, अधिक प्राकृतिक विकल्पों के द्वारा थ्रोम्बोसाइटोपिनिया के उपचार के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ से बात करें | आपकी विशिष्ट प्रकार की स्थिति पर आपके लिए उचित विकल्प अपनाने से महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है |
    • आपको फिर से आगाह किया जाता है कि बिना मेडिकल टीम के मार्गदर्शन के अपनी प्लेटलेट्स के स्तर को बढाने की कोशिश न करें |
  4. चिकित्सीय उपचार को आवश्यकता के रूप में स्वीकारें: हालाँकि, इस बात पर भरोसा करना अच्छा है कि आप प्राकृतिक रूप से प्लेटलेट्स का स्तर बढ़ा लेंगे और सामान्यतः ऐसा करने में कोई नुकसान भी नहीं है, लेकिन आपकी स्थिति की विशिष्टता और आपके थ्रोम्बोसाइटोपिनिया की गंभीरता चिकित्सीय उपचार को ज़रूरी बना सकती है | अधिकांशतः इनमे शामिल हैं: [१९]
    • अपनी हालत के मूल कारण के लिए उपचार, जैसे खून को पलता करने वाले अन्य किसी विकल्प से हेपरिन को बदलना, अगर आपके थोम्ब्रोसाइटोपिनिया का कारण यही हो तो | विशेषरूप से अगर आप एक कार्डियोवैस्कुलर कंडीशन से सामना कर रहे हो तो यह बहुत ज़रूरी है कि आप डॉक्टर द्वारा लिखे गये खून को पतला करने वाले ब्लड थिनर को लेना बंद न करें |
    • पैक्ड रेड ब्लड सेल्स या प्लेटलेट्स के आधान (transfusion) से प्रत्यक्ष रूप से रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाया जाता है |
    • कुछ परेशानी उत्पन्न करने वाली दवाएं भी होती हैं जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉयड (corticosteroid) या अन्य प्रतिरक्षा तंत्र का शमन करने वाली दवाएं | अगर आप संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हों तो ही डॉक्टर की सलाह से इन्हें लें |
    • अगर आपका स्प्लीन (spleen) ख़राब हो गया हो और आपकी स्वस्थ प्लेटलेट्स को गलत तरीके से फिल्टर करके बाहर करता जा रहा हो तो सर्जरी के द्वारा अपने स्प्लीन को निकलवा (spleenectomy) लें |
    • प्लाज्मा एक्सचेंज, जो सामान्यतः आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होने पर सिर्फ गंभीर केसेस में ही कराया जाता है |
  5. प्राकृतिक रूप से प्लेटलेट्स की संख्या बढाने के बारे में कई वेबसाइट पर कई प्रकार के मत प्रचलित हैं | व्यापकता में से सही चीज़ खोजना और असंगत जानकारी की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण हो सकती है और इस कारण से भी आपको फिजिशियन को अपने उपचार में शामिल करना चाहिए |
    • प्लेटलेट विकार पर फोकस करने वाले सम्मानित संगठन से लिए गये आहार के नमूनों में उपभोग किये जाने वाले दूध की गुणवत्ता में विभिन्नता हो सकती है, जैसे चुनौती के प्रदर्शन में पालन करने के लिए उचित क्रम या कार्यप्रणाली अपनाना | [२०] [२१]
    • सच में, ये वैज्ञानिक रूप से कम समर्थित सबूत हैं कि एक विशेष प्रकार की डाइट से प्लेटलेट्स का स्तर बढ़ सकता है | [२२] [२३] जो वैज्ञानिक साक्ष्य के समीप लगता है वो यह विचार है कि डाइट में बदलाव से प्लेटलेट्स के कम होने को रोकने में मदद मिल सकती है |
    • क्या इसका मतलब यह है कि आपके पास कोई विकल्प नहीं बचे ? नहीं, इसका मतलब यह है कि आपको जानकारी इकट्ठा करने, अपनी अपेक्षाओं को व्यवस्थित करने और सलाह और विचार-विमर्श के लिए मेडिकल टीम की ज़रूरत है |

सलाह

  • इनमे से कोई भी उपचार अपनानाने से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें | आपके डॉक्टर को आपको सावधानीपूर्वक मॉनिटर करने की ज़रूरत होगी क्योंकि आपके अंदर पहले से उपस्थित अन्य स्थितियां डाइट में बदलाव करने या सम्पूर्ण व्यवहार में बदलाव से प्रभावित हो सकती हैं | अगर आपकी स्थिति और बुरी हो जाये तो आपको तुरंत चिकित्सीय देखभाल की ज़रूरत पड़ सकती है |
  • किसी भी प्रकार की पिल या गोली की अत्यधिक मात्रा लेने से पहले चेक कर लें कि स्वतंत्र रूप से ऐसे वेरिफाइड चिकित्सीय प्रमाण हैं कि पिल काम करती है | चिकित्सीय प्रमाण में शामिल है वॉल्यूम ब्लाइंड टेस्ट जिसमे टेस्ट की जाने वाली सब्जेक्ट को आधी मात्रा में प्लेसिबो (placebo) दी जाती है | ध्यान रखें कि इसका परिणाम एक वैज्ञानिक चिकत्सा पत्रिका में प्रकाशित हो चुका हो |

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