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फफोले (Blisters) स्किन की सतह पर पाए जाने वाले तरल से भरे हुए पॉकेट होते हैं जो घिसने या जलने से बन जाते हैं | ये आमतौर पर पैरों और हाथों पर पाए जाते हैं | हालाँकि अधिकतर फफोले बिना किसी घरेलू इलाज के अपने आप ठीक हो जाते हैं लेकिन बड़े और पीड़ादायक फफोले या ब्लिस्टर को ठीक करने के लिए इलाज की जरूरत होती है | भाग्यवश, बड़े ब्लिस्टर को घरेलू इलाजों से ठीक करने के कई तरीके होते हैं और इनसे भविष्य में बड़े फफोले होने से भी रोके जा सकते हैं | घरेलू उपचारों के बारे में जानने के लिए स्टेप 1 से शुरुआत करें, फिर घरेलू दवाओं की जानकारी लें और भविष्य में होने वाले छालों या फफोलों को रोकने के लिए आगे पढ़ते जाएँ |

विधि 1
विधि 1 का 3:

ब्लिस्टर का इलाज करें (Treating the Blister)

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  1. अधिकतर ब्लिस्टर्स बिना ड्रेन किये अपने आप ठीक हो जाते हैं | चूँकि बिना टूटी स्किन कवरिंग एक ब्लिस्टर के ऊपर एक सुरक्षा कवच बनाती है जिससे इन्फेक्शन से बचाव होता है | कुछ दिनों बाद, शरीर ब्लिस्टर के अंदर मौजूद तरल (जिसे सीरम कहा जाता है) को फिर से अवशोषित कर लेगा और ब्लिस्टर गायब हो जायेगा | अगर ब्लिस्टर में कोई दर्द न हो रहा हो तो यह तरीका सबसे सही होता है जिसमे इन्फेक्शन की रिस्क सबसे कम होती है |
    • अगर ब्लिस्टर आपके हाथ पर या शरीर की किसी ऐसी जगह पर हो जहाँ वो किसी चीज़ से रगड़ न सके तो उस जगह को हवा में खुला छोड़ दें | अगर यह पैर में हो तो इसे किसी गौज या मोलेस्किन पैड से ढंककर रखना होगा जिससे ब्लिस्टर सुरक्षित रहे और उसमे हवा लगती रहे |
    • अगर फफोला अपने आप फूट जाता है तो इसके तरल को पूरी तरह से निकल जाने दें, फिर उस जगह को साफ़ करें और इसके बाद, इसके घाव के भरने तक इसे एक सूखे, स्टेराइल बैंडेज से कवर करके रखें | इससे घाव इन्फेक्शन से बचा रहेगा | [१]
  2. अगर ब्लिस्टर के कारण दर्द हो रहा हो तो इसे ड्रेन करें: हालाँकि डॉक्टर्स के अनुसार, जितना हो सके, फफोले को फोड़ने से बचना चाहिए लेकिन कुछ केसेस में इसे ड्रेन करना काफी जरुरी हो जाता है, विशेषरूप से अगर इसके कारण बहुत दर्द और खिंचाव हो रहा हो | उदाहरण के लिए, प्रतियोगी धावकों (competitive runners) के पैर में होने वाले बड़े ब्लिस्टर को ड्रेन करना पड़ सकता है, अगर उनकी रेस का समय आने वाला हो तो | अगर आपको फफोले ड्रेन करना हो तो इन्फेक्शन से बचने के लिए इसे सही आर्डर प्रोसीजर के साथ करना बहुत जरुरी होता है |
  3. सबसे पहले ब्लिस्टर के ऊपर और आस-पास की जगह को गर्म पानी और साबुन से साफ़ करना चाहिए | इसके लिए किसी भी साबुन का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन एंटीबैक्टीरियल सोप बेहतर होती हैं | इससे ड्रेनिंग से पहले प्रभावित जगह पर मौजूद पसीना और धूल साफ़ हो जाती है |
  4. एक साफ़, शार्प नीडल लें और निम्नलिखित किसी एक मेथड से स्टेरिलाइज करें ; उबलते हुए पानी में काफी देर तक खौलाएं या नीडिल का रंग नारंगी होने तक इसे किसी खुली फ्लेम या लौ के ऊपर रखें |
  5. फफोले के किनारों के आस-पास कई स्पॉट्स पर ब्लिस्टर को नीडिल से पंक्चर करें | एक साफ़ गौज पीस या टिश्यू से ब्लिस्टर को धीरे-धीरे दबाएँ और तरल बाहर निकलने दें | ब्लिस्टर को कवर करने वाली लूज़ स्किन को न हटायें क्योंकि ये फफोले को सुरक्षित रखेगी | [२]
  6. पूरा तरल निकल जाने के बाद, ब्लिस्टर पर थोडा एंटीबैक्टीरियल ऑइंटमेंट या क्रीम लगायें | इसके लिए बाज़ार में मिलने वाले किसी भी एंटीबैक्टीरियल प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे नियोस्पोरिन (neosporin), पॉलीमिक्सिन B (polymyxin B) या बेक्सीट्रेसिन (bacitrain) | ये ऑइंटमेंट ब्लिस्टर के आस-पास मौजूद बैक्टीरिया को मारने और इन्फेक्शन से बचाने में मदद करेंगे और इसके साथ ही, लूज़ स्किन से बैंडेज को चिपकने भी नहीं देंगे | [३]
  7. ऑइंटमेंट लगाने के बाद, ड्रेन हो चुके ब्लिस्टर को थोड़े से गौज पैड या जेल-बेस्ड प्लास्टर से कवर करें | इससे खुले फफोले में धूल-मिट्टी या बैक्टीरिया अंदर नहीं जा पाएंगे और अगर ब्लिस्टर पैर में हो तो इससे चलने या दौड़ने में भी थोडा आराम मिलेगा | आपको हर दिन नया प्लास्टर लगाना चाहिए, विशेषरूप से अगर पहले से लगा हुआ प्लास्टर गीला या गन्दा हो गया हो तो |
  8. दो या तीन दिन के बाद, बैंडेज हटायें और लूज़ और डेड स्किन को किसी स्टेरीलाइज्ड कैंची से काटकर हटा दें | फफोले से चिपकी हुई स्किन को खींचकर निकालने की कोशिश न करें | प्रभावित जगह को फिर से साफ़ करें, थोडा ज्यादा ऑइंटमेंट लगायें और एक साफ़ बैंडेज से कवर कर दें | ब्लिस्टर तीन से सात दिन के अंदर पूरी तरह से ठीक हो जाएगा |
  9. अगर इन्फेक्शन के कोई चिन्ह दिखाई दें तो डॉक्टर को दिखाएँ: कई बार इन्फेक्शन से बचने के सारे उपाय अपनाने के बाद भी इन्फेक्शन हो जाता है | अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ | वे आपको इन्फेक्शन को ख़त्म करने के लिए स्ट्रोंग टॉपिकल एंटीबायोटिक या ओरल एंटीबायोटिक लिख सकते हैं | इन्फेक्शन के चिन्हों के शामिल हैं; ब्लिस्टर के आस-पास की स्किन में लालिमा और सूजन, पस बनना, स्किन पर लाल धारियां होना और बुखार आना | [३]
विधि 2
विधि 2 का 3:

घरेलू दवाओं का इस्तेमाल करें

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  1. टी ट्री ऑइल असरदार एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज वाला एक नेचुरल एसेंशियल ऑइल है | यह एक एस्ट्रिजेंट भी है जिसका मतलब है कि यह ब्लिस्टर को सुखाने में मदद कर सकता है | एक क्यू-टिप को इस ऑइल में थोडा डुबाकर एक साफ़ बैंडेज लगाने से पहले, दिन में एक बार ड्रेन्ड (drained) या लान्सड (lanced) ब्लिस्टर पर इसे लगायें | [४]
  2. एप्पल साइडर विनेगर कई तरह की छोटी-मोटी परेशानियों जिनमे ब्लिस्टर भी शामिल हैं, में इस्तेमाल की जाने वाली एक ट्रेडिशनल घरेलू दवा है | इसमें पायी जाने वाली एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज के कारण इसका इस्तेमाल इन्फेक्शन दूर करने के किया जा सकता है | एप्पल साइडर विनेगर स्किन पर काफी चुभता (sting) है इसलिए इसे इसमें क्यू-टिप को भिगोकर ब्लिस्टर पर लगाने से पहले इसमें पानी मिलाकर आधी स्ट्रेंग्थ में डायल्यूट कर लेना चाहिए |
  3. एलोवेरा एक ऐसा प्लांट है जिसके गूदे में सूथिंग और हीलिंग प्रॉपर्टीज पायी जाती हैं | यह एक नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी और माँइश्चराइजर है और इन गुणों के कारण यह जलने के कारण बने फफोलों को हील करने के लिए बेहतर ऑप्शन बन जाता है | इसका इस्तेमाल करने के लिए, प्लांट से एक पत्ती तोड़ें और ब्लिस्टर पर इससे निकलने वाले जेल (gel) के जैसे गूदे को मलें | फफोले के फूट जाने के बाद यह विशेषरूप से असरदार साबित होता है क्योंकि इससे हीलिंग की प्रोसेस तेज़ हो जाती है | [५]
  4. ग्रीन टी में नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं इसलिए एक बाउल ठंडी ग्रीन टी में फफोले को भिगोने से फफोले के आस-पास की सूजनयुक्त स्किन में आराम मिल जाता है |
  5. विटामिन E से स्किन जल्दी हील होती है और इससे स्कार बनने से रोका जा सकता है | यह ड्रगस्टोर्स पर ऑइल और क्रीम दोनों रूपों में मिल सकता है | हीलिं को प्रेरित करने के लिए इसे हर दिन स्किन पर लगायें |
  6. केमोमाइल में सूथिंग क्वालिटी होती हैं जिससे ब्लिस्टर की सूजन और दर्द में राहत पाने में मदद मिल सकती है | एक कप स्ट्रोंग केमोमाइल टी बनायें और इसे पांच से छह मिनट तक भाप में रखें | जब यह थोड़ी ठंडी हो जाए तब एक साफ़ कपडे को इसमें भिगोयें और फिर अतिरिक्त नमी को निचोड़ दें | ब्लिस्टर पर इस गर्म सेंक को लगभग दस मिनट तक या दर्द कम होने तक लगायें | [६]
  7. एप्सोम साल्ट बिना फूटे फफोले को सुखाने में मदद करता है और इसे ड्रेन कराता है | नहाने के गर्म पानी में थोडा सा एप्सोम साल्ट घोलें और ब्लिस्टर को इसमें भीगने दें | ध्यान रखें कि ब्लिस्टर के फूटने पर एप्सोम साल्ट से फफोले में जलन होगी |
विधि 3
विधि 3 का 3:

ब्लिस्टर होने से रोकें

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  1. अधिकतर ब्लिस्टर सही फिटिंग वाले जूते न पहनने से होने वाले घर्षण के कारण बनते हैं | जूतों की रगड या पैर से खिसकने के कारण ये स्किन को आगे और पीछे खीचते हैं जिसके कारण स्किन की बाहरी लेयर अंदर वाली लेयर से अलग हो जाती है और एक पॉकेट बनती है जो ब्लिस्टर या फफोले का रूप धारण कर लेता है | ऐसा होने से रोकने के लिए, अच्छी क्वालिटी वाले और सही फिटिंग वाले ब्रीथेबल (breathable) जूते खरीदें |
    • अगर आप रनर (runner) हैं तो विशेषरूप से रनिंग स्टोर पर जाएँ जहाँ प्रोफेशनल आपको बता सकें कि आपके लिए सही फिटिंग वाले बेस्ट शूज़ कौन से हैं |
  2. जब बात फफोलों से बचाव की हो तो मोज़े भी बहुत जरुरी माने जाते हैं क्योंकि इनसे नमी कम हो जाती है (जिससे ब्लिस्टर बनने की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है) और घर्षण कम होता है | नायलॉन के सॉक्स की जगह कॉटन सॉक्स पहनने से पैरों में हवा आती-जाती रहती है | विकिंग सॉक्स (wicking socks) जो ऊन से बने हुए मोज़े होते हैं, भी एक बेहतर विकल्प होते हैं क्योंकि ये पैर से नमी को दूर रखते हैं | [७]
    • रनर्स या दौड़ लगाने वाले प्रतियोगी विशेष प्रकार के एथलेटिक सॉक्स भी ले सकते हैं जो पैर के उन हिस्सों को अतिरिक्त गद्दी (cushioning) देते हैं जिनमे फफोले होने की सम्भावना सबसे ज्यादा होती है |
  3. बाज़ार में ऐसे कई प्रोडक्ट्स मिलते हैं जिन्हें घर्षण कम करने के लिए चलने या दौड़ने से पहले पैरों पर लगाया जा सकता है जिससे नमी रखी जा सकती है | फूट पाउडर का इस्तेमाल करें जिससे पैरों को ड्राई रखा जा सके या ऐसी क्रीम लगायें जो मोजों और जूतों को स्किन पर घर्षण करने की बजाय खिसका सके | [७]
  4. अक्सर बेलचा (shovel) या गार्डनिंग जैसे टूल्स के इस्तेमाल वाले मैन्युअल लेबर के परिणामस्वरूप हाथों पर फफोले बन जाते हैं | इस तरह की एक्टिविटी करते समय प्रोटेक्टिव ग्लव्स पहनने से ऐसे ब्लिस्टर्स से बचा जा सकता है |
  5. धूप से झुलसी स्किन पर बहुत आसानी से ब्लिस्टर बन जाते हैं | सनबर्न से बचने का सबसे सही उपाय यह है कि हाई SPF वाला सनस्क्रीन लगायें और लम्बी आस्तीन वाले कपडे पहनें | अगर आपको सनबर्न हों तो थोडा माँइशचराइजर, आफ्टर-सन और कैलामाइन लोशन लगाकर फफोले होने से रोके जा सकते हैं |
  6. गर्म पानी, भाप, ड्राई हीट या केमिकल से जलने के बाद फफोले बन जाते हैं इसलिए गर्म चीज़ों के इस्तेमाल में पर्याप्त सावधानी रखना चाहिए जैसे केतली या स्टोव या ब्लीच जैसे केमिकल के इस्तेमाल के समय ध्यान रखना चाहिए | [१]

सलाह

  • ब्लिस्टर की स्किन को खींचे या खुरेदें नहीं अन्यथा इससे इन्फेक्शन और बढ़ जायेगा |
  • अगर आप स्टेरीलाइज टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हों तो भी ध्यान रखें कि केवल ब्लिस्टर को ही टच करें | अन्यथा, आप जिस जगह को टच करेंगे वहां भी कीटाणु और बैक्टीरिया से होने वाले इन्फेक्शन को बढ़ा देंगे |
  • ब्लिस्टर होने पर धूप में न निकलें अन्यथा इसमें हीट और बढ़ जाएगी |
  • ब्लिस्टर को हवा में खुला छोड़ें |
  • ब्लिस्टर को पंक्चर करें |
  • एसेप्क्सिया (asepxia) नामक पिम्पल क्रीम का इस्तेमाल करें | हालाँकि यह सुनने में थोडा अजीब लग सकता है लेकिन अगर ब्लिस्टर से छुटकारा पाना चाहते हैं तो यह काफी मदद कर सकती है |
  • पैरों को कवर करने से बेहतर अनुभव होगा |
  • अगर इससे कोई आराम न मिले तो इसके अंदर इन्फेक्शन सेट होने से पहले ही डॉक्टर को दिखाएँ |
  • अगर आपको फफोला फोड़ना ही पड़े तो इसमें एक धागा डली हुई नीडिल से छेद करें और फिर धागे को अंदर ही छोड़ दें लेकिन ये दो छेदों से बाहर चिपके रहें | इससे लगातार बॉडी फ्लूड बहता रहेगा जिससे घाव सूखेगा नहीं | लगभग हील होने पर धागे को निकाल लें | ध्यान रखें की नीडिल और धागा दोनों ही स्टेरीलाइज हों |

चेतावनी

  • अपने फफोले को रगड़ें, खींचें या मलें नहीं क्योंकि ऐसा करने से इन्फेक्शन फ़ैल सकता है |
  • अगर ब्लिस्टर में से साफ़ तरल के बजाय ब्लड आता दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ | गंभीर इन्फेक्शन छोटे से ब्लिस्टर के साथ शुरू हो सकता है |
  • ब्लिस्टर के हील होने तक उसमे विटामिन E न लगायें | यह कोलेजन प्रोडक्शन को बढाता है जो स्कार्स को हील करने के लिए बेहतरीन होते हैं लेकिन वास्तव में इनसे हीलिंग प्रोसेस धीमी हो जाती है |
  • जलने के कारण बने फफोले में इन्फेक्शन की सम्भावना सबसे ज्यादा होती है |
  • ब्लड से भरे हुए ब्लिस्टर को फोड़ें/खुरेदें नहीं | इसे डॉक्टर को दिखाएँ |
  • गैरपारंपरिक उपचारों को बहुत सावधानी के साथ प्रयोग करें | "घरेलू उपचारों" वाले सेक्शन के दिए गये सुझाव विज्ञानं पर आधारित नहीं होते और ऐसा कोई प्रमाण नहीं होता कि ये काम करेंगे | बेहतर होगा कि गंभीर केसेस में इनका इस्तेमाल न करें अन्यथा इन्फेक्शन बढ़ सकता है | अनजाने हेल्थ प्रोडक्ट ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें |
  • अगर आप ब्लिस्टर को ड्रेन करते हैं तो कोशिश करें की सबसे छोटा छेद बनायें, अपने हाथ/उपकरण/ब्लिस्टर को अल्कोहल या ब्लू फ्लेम से स्टेर्लाइज करें और एंटीबायोटिक क्रीम का इस्तेमाल करें | छोटा सा इन्फेक्शन भी गंभीर रूप धारण कर सकता है |
  • अपने ब्लिस्टर को "क्षति" न पहुंचाएं | इसके हील हो जाने पर इसे खींचने से ब्लिस्टर के अंदर कई सारे बैक्टीरिया प्रवेश कर सकते हैं और इन्फेक्शन फ़ैल जाता है | (इनती सी क्षति भी कई दिनों तक बाई रहती हैं तो सोचिये कि अगर इन्हें खींचा तो क्या हो सकता है! )

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