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थाइरोइड ग्लैंड हमारी गर्दन के आधार भाग में स्थित होती है और इसका आकार बो-टाई या तितली के समान होता है जो गले के आधार भाग के चारों ओर झुकी होती है | यह बहुत आवश्यक ग्लैंड है जो थायरोक्सिन हार्मोन का उत्पादन करती है जिससे मेटाबोलिज्म के नियमन, हार्ट रेट और बच्चों में उनकी ग्रोथ और डेवलपमेंट में मदद मिलती है | [१] थाइरोइड में असंतुलन होने के परिणामस्वरुप थाइरोइड अंडर-फंक्शनिंग या ओवर-फंक्शनिंग हो सकती है | आप अपनी थाइरोइड के फंक्शन्स को सही खानपान, एक्सरसाइज, आराम के द्वारा तथा अपने जीवन में स्ट्रेस को कम करने के द्वारा ठीक कर सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

उचित खान-पान खाएं (Eating the Right Foods)

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  1. न्यूट्रीशन और थाइरोइड फंक्शन के बीच लिंक को समझें: आयोडीन, सेलेनियम और विटामिन्स पाने के लिए थाइरोइड अच्छे पोषण पर निर्भर करती है जो इसके उचित फंक्शन के लिए जरुरी हैं | उचित पोषण संतुलन के बिना थाइरोइड ग्लैंड अपने काम उचित प्रकार से नहीं कर सकती |
    • पोषण के लिए समय निकालें: हालाँकि, यह हमेशा बहुत आसान काम नहीं होता लेकिन आप अपना खाना खुद पकाकर स्वयं को और अपनी फैमिली को बहुत अच्छी सेवा प्रदान करेंगे और अपने परिवार के सभी सदस्यों को स्वस्थ डाइट अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे |
  2. प्रोसेस्ड और प्री-पैकेज्ड फूड्स न खाएं या सीमित मात्रा में खाएं: आमतौर पर प्रोसेसिंग के द्वारा फूड्स में चीनी मिला दी जाती है | इससे थाइरोइड की परेशानी और बदतर हो सकती है | हालाँकि इसमें थोड़ी प्रैक्टिस और प्लानिंग करनी पड़ती है लेकिन इनसे दूर रहने में ही समझदारी है | बिना प्रोसेस किये गये समग्र अनाज में अधिकतर ओरिजिनल विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं |
    • एक आम सिद्धांत हैं कि अगर फूड्स बहुत सफ़ेद हों जैसे वाइट ब्रेड, वाइट राइस, वाइट पास्ता तो वे बहुत ज्यादा प्रोसेस करके बनाये गये होते हैं | इसलिए इनके स्थान पर समग्र अनाज, ब्राउन राइस, और समग्र पास्ता खाएं |
  3. जितना संभव हो, स्थानीय, मौसमी, ताज़े और आर्गेनिक रूप से उत्पादन किये गये फल और सब्जियां ही उपभोग करें क्योंकि ये ही बेहतर होते है | सब्जियों के स्त्रोतों के बारे में ज्यादा मत सोचें | किसी भी प्रकार का उत्पादन, उत्पादन न करने से बेहतर होता है बल्कि फ्रोजन फल और सब्जियां भी आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी ही होते हैं |
  4. कम मीट खाएं, विशेष रूप से रेड मीट | [२] अगर आप मीट खाते हैं तो ध्यान दें कि आपके द्वारा खाये जाने वाले मीट में फैट की मात्रा बहुत कम हो अर्थात लीन फैट (lean fat) यूज़ करें। (संभवतः घास खाने वाले पशु हों क्योंकि इसमें ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैट्स का सही प्राकृतिक अनुपात होता है) और पॉल्ट्री स्किनलेस होनी चाहिए |
    • आपके द्वारा उपभोग किये जाने वाले सभी मीट का उत्पादन बिना किसी हार्मोन या एंटीबायोटिक के उपयोग के होना चाहिए | अधिकतर मीट की पैकेजिंग पर विशेष रूप से निर्देश दिए होते हैं कि वे हार्मोन-फ्री हैं जबकि कुछ पर नहीं लिखा होता | इसलिए हार्मोन-फ्री मीट आप्शन के लिए आर्गेनिक सेक्शन चेक करें |
  5. फिश में अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन होता है और इसमें हेल्थी ओमेगा-3 फैट्स की उच्च मात्रा पाई जाती है | [३] फिश लीन फैट होती हैं और इन्हें पकाना बहुत आसान होता है |
    • फिश का चुनाव करते समय सावधानी बरतें | हाई मरकरी वाली फिश, थाइरोइड के फंक्शन के लिए बुरी साबित हो सकती हैं | [४]
  6. अपनी डाइट में बीन्स और लेग्युम्स (legumes) शामिल करें: लेग्युम्स में दाल जैसे फूड्स शामिल होते हैं जिनमे कई सारे विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं जो थाइरोइड हार्मोन में निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं | ये ऐसे लोगों में प्रोटीन के भी अच्छे स्त्रोत होते हैं जो मीट का उपभोग सीमित मात्रा में करते हैं या मीट नहीं खाते हैं |
  7. अपने शुगर लेवल को कम रखें, कॉम्प्लेक्स कार्बोहायड्रेट चुनें जैसे समग्र अनाज | चीनी और चीनी से बनी हुई चीज़ें न लें | साधारण चीनी चाहे वो दानेदार चीनी हो या हाई फ्रक्टोस कॉर्न सिरप के रूप में हो, एक एडिक्टिव ड्रग की तरह काम करती है | [५] अगर आपको चीनी छोड़ने में बहुत मुश्किल हो रही हो तो चीनी के स्थान पर स्टेविया नामक हर्ब का उपयोग करें जो चीनी का विकल्प है |
    • डायबिटिक पेशेंट्स को अपना थाइरोइड चेक कराते रहना चाहिए | थाइरोइड पेशेंट्स को अपनी ब्लड शुगर मॉनिटर करते रहना चाहिए क्योंकि आमतौर पर लोगों में ये दोनों रोग एक साथ भी पाए जाते हैं |
  8. अगर आप ऐसी डाइट लेते हैं जिसमे नमक और थोड़े रेड मीट की मध्यम मात्रा हो तो आप संभवतः पर्याप्त मात्रा में आयोडीन ले रहे हैं | लेकिन, अगर आप ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए नमक कम ले रहे हैं तो आयोडीन के वैकल्पिक स्त्रोतों से आयोडीन ग्रहण करें | थाइरोइड के प्रॉपर फंक्शन के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है |अगर जरूरत हो तो हाई क्वालिटी के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं जिनमे प्रतिदिन की जरूरत के आधार पर कम से कम 50% आयोडीन हो | आप नीचे दिए गये आयोडीन के स्त्रोतों के द्वारा भी अपनी डाइट में सप्लीमेंट शामिल कर सकते हैं: [६]
    • भूरी समुद्री सब्जियां (केल्प (Kelp), वाकमे (wakame), दूल्से (dulse)
    • समुद्री भोजन और मछली
    • दही
    • दूध
    • अंडे
  9. अपने डॉक्टर से सप्लीमेंट लेने के बारे में पूछें: हेल्थकेयर प्रोवाइडर से थाइरोइड की उचित फंक्शनिंग के लिए आवश्यक जिंक, सेलेनियम और मिनरल्स जैसे सप्लीमेंट्स से मिलने वाले फायदे के बारे में जानकारी लें | साथ ही, विटामिन डी3 (Vitamin D3) (प्रतिदिन 2000 IU) लेने के बारे में पूछें | [७] ऑटो इम्यून डिजीज का सम्बन्ध विटामिन डी का लेवल कम होने से बताया जाता है |
  10. हमेशा पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहें | इससे शरीर को अपने काम उचित रूप से करने में मदद मिलती है और इससे आप स्वस्थ अनुभव करेंगे |
विधि 2
विधि 2 का 3:

एक्सरसाइज और रेस्ट करें

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  1. थाइरोइड फंक्शन के लिए एक्सरसाइज के महत्त्व को समझें: प्रतिदिन 30 मिनट एक्सरसाइज करें | आपको बहुत कठिन एक्सरसाइज नहीं करनी है या प्रभावी रूप से एक्सरसाइज करने के लिए जिम भी जा सकते हैं | हर दिन 30 मिनट ब्रिस्क वाक करना भी स्वास्थ्य की दृष्टी से काफी होता है | अगर आपको लगता है कि आपको अपने एक्सरसाइज रेजिमेन को तीव्र करने की जरूरत है तो आप अपनी वाकिंग की स्पीड या लम्बाई बढ़ा सकते हैं |
  2. अगर आप एक्सरसाइज करने के लिए खुद को उत्साहित नहीं कर पा रहे हों तो ग्रुप फिटनेस में शामिल होने के बारे में सोचें | कुछ वैलनेस सेण्टर होते हैं जैसे योग, ताई ची, और किगोंग जो एक्टिव रहने के और थाइरोइड ग्लैंड को प्रोटेक्ट करने के लिए सर्वोत्तम विकल हैं |
    • एक्सरसाइज करने से ब्लड फ्लो उचित रूप से बना रहता है जिससे यह थाइरोइड ग्लैंड की सभी सेल्स में ठीक से प्रवाहित होता रहता है | [८]
  3. अपने जीवन के स्ट्रेस एरिया पहचानें और उनसे आपके शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए उपाय खोजें | इसके लिए आपको अपने स्वास्थ्य के लिए पहले खुद पर लगायी गयी बंदिशों (जिनके लिए पहले आप सहमत थे) के बारे में कुछ कठोर विकल्प अपनाने पड़ सकते हैं | ब्रेथिंग एक्सरसाइज, आध्यात्म या काउंटिंग ब्रेथ जैसी मैडिटेशन की तकनीकों को सीखें |
  4. शांतिपूर्वक बैठें और थाइरोइड वाले स्थान पर अपने शरीर के अंदर नीली रोशनी को विसुअलाइज करें | हर बार सांस अंदर लेते समय लाइट और अधिक चमक्च्दार और अधिक नीली होती जाती है | जैसे-जैसे आप सांस छोड़ते हैं लाइट धीमी होती जाती है | यथासंभव इस विसुअलाइजेशन को अपने दिमाग में रखें और ऐसा हर दिन कम से कम 5 मिनट करने की कोशिश करें |
    • प्राचीन चक्र ऊर्जा तंत्र में, थाइरोइड ग्लैंड 5वे चक्र (विशुद्ध) में स्थित होती है और इसे नीले रंग से दर्शाया गया है | [९]
  5. ध्यान दें कि आप रात में पर्याप्त नींद लें और दिन के समय में रेस्ट करने के लिए पर्याप्त समय दें | थाइरोइड स्ट्रेस के प्रति बहुत संवेदनशील होती है क्योंकि यह उन ग्लांड्स में से एक है जो स्ट्रेस के प्रति प्रतिक्रिया देती है | इसलिए, थाइरोइड को “रि-बूट” होने के लिए समय की जरूरत होती है | रेस्ट और रिलैक्सेशन थाइरोइड को वही आवश्यक समय देते हैं |
विधि 3
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थाइरोइड फंक्शन्स को समझें

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  1. हाइपोथायरायडिज्म या अंडर-फंक्शनिंग थाइरोइड के बारे में जानें: हाइपोथायराइडिज्म वायरल इन्फेक्शन, रेडिएशन डैमेज, कुछ दवाओं, प्रेगनेंसी और अन्य बहुत कम कारणों से हो सकती है | अधिकतर शरीर में आयोडीन की बहुत कम मात्रा होने के कारण हाइपोथायराइडिज्म हो सकती है | हाइपोथायराइडिज्म को लक्षणों और लैब टेस्ट के द्वारा डायग्नोज़ किया जाता है (उदाहरण के लिए; हाई TSH) | अंडर-एक्टिव थाइरोइड के लक्षणों में शामिल हैं:
    • थकान
    • मासिकचक्र में बदलाव
    • कब्ज़
    • डिप्रेशन
    • सूखे और बेजान बाल
    • बाल झड़ना
    • ड्राई स्किन
    • डिस्टर्बड स्लीप साइकिल, आमतौर पर नींद बहुत ज्यादा आना
    • शीत असह्यता (cold intolerence)
    • हार्ट रेट कम हो जाना
    • थाइरोइड ग्लैंड की सूजन (गोइटर)
    • बिना किसी कारण वज़न बढ़ना या वज़न कम करने में परेशानी आना
  2. हाइपरथायराइडिज्म या ओवर-एक्टिव थाइरोइड के बारे में जानें: हाइपरथायरायडिज्म अधिकतर ग्रेव्स डिजीज (Grave’s Disease)के रूप में दिखाई देता है | यह थाइरोइड नोड्युल के कारण भी हो सकता है जो की थाइरोइड ग्लैंड में होने वाली छोटी सी वृद्धि है | हाइपरथायराइडिज्म लक्षणों और लैब टेस्ट्स (जैसे लो TSH) से डायग्नोज़ किया जाता है | अनुपचारित या ठीक प्रकार से उपचार न की जाने वाली हाइपरथाइरोइडिज्म निकट भविष्य में हार्ट प्रॉब्लम, बोन प्रॉब्लम और एक बहुत ही गंभीर स्थिति जिसे थाइरोइड स्टॉर्म कहा जाता है, हो सकती हैं | ओवर-एक्टिव थाइरोइड के लक्षणों में शामिल हैं:
    • रैपिड हार्ट रेट
    • बढ़ी हुई श्वसन दर
    • बार-बार होने वाले दस्त
    • बाल पतले होना जो आसानी से टूट जाते हैं
    • बिना किसी कारण के वज़न घटना
    • घबराहट, चिडचिडापन, हाई एनर्जी अनुभव करना
    • मूड बदलते रहना
    • उष्णता सहन न होना
    • पसीना अधिक आना
    • लालिमायुक्त स्किन जिसमे खुजली हो सकती है
  3. अगर आपके थाइरोइड के लक्षण बहुत बदतर होने लगें या प्राकृतिक रूप से थाइरोइड को ठीक करने की कोशिश के दौरान 4 से 6 सप्ताह के बाद भी लक्षण बने रहें तो डॉक्टर को दिखाएँ | सबसे पहले जनरल प्रैक्टिशनर को दिखाएँ | इसके बाद थाइरोइड स्पेशलिस्ट को दिखाने की जरूरत हो सकती है |
    • अगर आपको हाइपोथायराइडिज्म है तो डॉक्टर संभवतः थाइरोइड रिप्लेसमेंट हार्मोन (लेवोथायरोक्सिन) प्रेस्क्रिब कर सकते हैं | [१०] अगर आपको हाइपरथायराइडिज्म या ग्रेव्स डिजीज है तो रेडिएशन थेरेपी से लेकर, थाइरोइड को इन्हिबिट करने वाली दवायें, अनियमित हार्ट रेट को ठीक करने वाली दवाएं (बीटा-ब्लॉकर) या सर्जरी जैसे कई सारे विकल्प होते हैं | [११]
  4. अगर आपको मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत हो तो भी आपको हेल्थी थाइरोइड फंक्शन्स के लिए जरुरी रूप से बताये गये डाइट, एक्सरसाइज और रेस्ट का पालन करना चाहिए | अपने डॉक्टर से इन सभी चीज़ों के बारे में जरुर पूछें |

सलाह

  • हाइपोथायरायडिज्म का सबसे सामान्य रूप है- हाशिमोटोज थाइरोइडिटिस (Hoshimoto’s Thyroiditis) जो एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसमे आपका अपना इम्यून सिस्टम “कंफ्यूज” हो जाता है और अपनी ही सेल्स को खत्म करना शुरू कर देता है; इस केस में थाइरोइड सेल्स को खत्म करने लगता है | अनुपचारित या अनुचित रूप से उपचारित हाइपोथायराइडिज्म से हार्ट डिजीज, इनफर्टिलिटी या मोटापा हो सकता है और अन्य ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ सकता है |
  • आपने सुना होगा कि अगर आपको हाइपोथायराइडिज्म है तो आपको फूड्स जैसे ब्रोकॉली, पत्तागोभी, ब्रुस्सल स्प्राउट्स, पीचिस और नाशपाती नहीं खाने चाहिए क्योंकि इनमे गोइट्रोजेन्स (goitrogens) पाए जाते हैं जो T4 के उत्पादन को घटा देते हैं | अगर आप इस तरह के फूड्स प्रतिदिन लेते हैं तो इनसे लाभ मिलने की बजाय आमतौर पर नुकसान होने लगता है |
  • अगर आप थाइरोइड में सपोर्ट करने वाली हर्ब्स लेना चाहते हैं तो नेचरोपैथ या मेडिकल हर्बलिस्ट से बात करें | नेचरोपैथ या हर्बलिस्ट आपके लिए विशेषरूप से उचित हर्ब्स लेने के लिए सही मार्गदर्शन करेंगे |
  • आसानी से धीमी आंच पर हेल्थी खाना बनाने के लिए कुकर का उपयोग करें या प्री-कुक करें और ब्राउन राइस, दालों और बीन्स को फ्रीज़ करें |
  • सब्जियों को उबालने की बजाय उन्हें भूनें या भाप में पकाएं जिससे उनके पोषक तत्व बने रहें |

चेतावनी

  • अगर आपको लिस्ट में बताये गये “किसी भी” प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो फिजिशियन से अपॉइंटमेंट लें | थाइरोइड टेस्ट करवाने के बारे में पूछें | अगर सिर्फ TSH की टेस्ट किया गया है और आपको लगता है कि “सब कुछ ठीक है या नार्मल है” लेकिन फिर भी आप लक्षण अनुभव कर रहे हों तो स्पेशलिस्ट के द्वारा T4 (fT4) और T3 (fT3) लेवल टेस्ट करवाने के बारे में विचार करें | कुछ लोगों में TSH लेवल नार्मल रेंज में होता है लेकिन T4 और T3 (एक्टिव हार्मोन) ठीक नहीं होते इसलिए इस स्थिति को “सबक्लिनिकल” हाइपोथायराइडिज्म नाम दिया गया है |

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